सत्ता सुख के लिए शीला हो सकतीं हैं नज़रअंदाज़, केजरीवाल से गठबंधन की सुगबुगाहट तेज़

राहुल गांधी और उनके क्षत्रप आत्मसम्मान और अहंकार के बीच की पतली/ महीन रेखा को नहीं भेद पाते। सत्ता सुख उनकी इस अनदेखी की मुख्य वजह है। इन क्षत्रपों का काम जी हजूरी कर अपना काम निकलवाना और सत्ता के केंद्र बिन्दु के आस पास बने रहना है। यथा राजा तथा प्रजा वाली कहावत को चिरितार्थ करते यह क्षत्रप स्वयं कोई कार्य नहीं करते। इनके मुलायम जुमलों द्वारा पोषित सत्ता शीर्ष भी दूसरे के आत्मसम्मान को अहंकार ही मानता है।

बात दिल्ली की हो रही है। दिल्ली की पूर्व मुख्य मंत्री को भ्रष्टाचारी, घोटालेबाज इत्यादि इत्यादि उयाधियों से सम्मानित कर दिल्ली की सत्ता से यूं बाहर किया मानो मक्खन से बाल। ऐसा करने वाले थे दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जो शीला दीक्षित के खिलाफ करीब 360 पन्नों के दस्तावेज़ (फ़ाइल) लेकर घूमते थे मानों एक भी पन्ना कहीं छूट गया तो शीला बरी हो जाएगी। बाद में वही फ़ेल गुम हो गयी और केजरीवाल पूछने वालों ही से सबूत मांगने लगे। शीला है तो राजनीतिज्ञा परंतु स्वाभिमानी भी हैं। आज राहुल भी चाहते हैं की पुरानी बातें भूल कर केजरीवाल से गलबहियाँ डाल लिन जाएँ। राजनीति भी यही कहती है, केजरीवाल गिड़गिड़ा रहे हैं, पर शीला के गुस्से को भांपते हुए राहुल फिलहाल टाल रहे हैं और उनके क्षत्रप शीला को ही नज़रअंदाज़ कर देना चाहते हैं।

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok sabha elections 2019) में दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ गठबंधन करने के लिए सोमवार को पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के घर पर कांग्रेस नेताओं की बैठक हुई. बैठक में दिल्ली कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन के बीच जमकर बहस हुई. शीला दीक्षित ने बेहद तल्ख अंदाज में अजय माकन से पूछा कि 4 साल अध्यक्ष रहते हुए आपने दिल्ली में क्या किया कि आज AAP से गठबंधन की वकालत कर रहे हो.

सूत्रों का कहना है कि बैठक के दौरान अजय माकन आप से गठबंधन करने के पक्ष में अपनी बात रख रहे थे. इसी बात पर शीला दीक्षित गुस्सा हो गईं और उन्होंने तल्ख भरे अंदाज में उनसे सवाल कर बैठीं. आम आदमी पार्टी से गठबंधन को लेकर कांग्रेस पार्टी दो गुटों में बंट गई है. प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित, योगानंद शास्त्री और तीनों वर्किंग प्रेसिडेंट दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ने के पक्ष में हैं. 

वहीं दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी पीसी चाको, अजय माकन और सुभाष चोपड़ा चाहते हैं कि आप के साथ गठबंधन करके लोकसभा चुनाव लड़ा जाए. बताया जा रहा है कि दोनों पक्षों के बीच काफी गरमा-गरम बहस के बाद गठबंधन का फैसला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर छोड़ दिया गया.

सूत्रों का कहना है कि इस बैठक से पहले राहुल गांधी ने एनसीपी समेत कई दूसरे दलों से भी बात की थी. वहीं एक अलग बैठक में कांग्रेस की दिल्ली इकाई की अध्यक्ष शीला दीक्षित ने भी पार्टी की प्रदेश इकाई के कार्यकारी अध्यक्षों देवेंद्र यादव, हारुन यूसुफ एवं राजेश लिलोठिया से अपने आवास पर चर्चा की.

दीक्षित ने कहा कि वह आप के साथ किसी तरह के गठबंधन के खिलाफ हैं, लेकिन वह इस संबंध में पार्टी की ओर से लिए गए फैसले को मानेंगी. सूत्रों ने बताया कि आप ने पंजाब, दिल्ली, हरियाणा में भी कांग्रेस के साथ नये सिरे से गठबंधन की कोशिश की है.

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