Chandigarh March 14, 2019
डिपार्टमैंट ऑफ़ इवनिंग स्ट्डीज़ – बहु अनुशासनीय खोज केंद्र, पंजाब यूनीवर्सिटी, चण्डीगढ़ के हिन्दी-विभाग की ओर से आज इवनिंग स्ट्डीज़ के ऑडीटोरियम में पी. भानू द्वारा लिखित उपन्यास ‘मणी लेखक कैसे बनी’ का विमोचन एवं उपन्यास के सृजनात्मक पहलुओ पर समीक्षकों एवं विचारकों ने विचार-चर्चा की। मुख्य मेहमान श्री माधव कौशिक जी की ओर से उपन्यास की सराहना की गई। प्रो. जसविंदर सिंह ने उपन्यास के विषय-वस्तु एवं वृत्तांत की विशालता को नवीन संकल्पों के साथ जोड़ कर उपन्यास के विधागत रूप के विषय में मूल्यवान विचार पेश किए। प्रो. मुकेश अरोड़ा ने उपन्यास के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला। डॉ. नीरज जैन ने अपने विचार पेश करते हुए प्रवासी लेखक एवं लेखिकाओं के द्वंद्व एवं त्रासदिक विषयों की बात की। डॉ. पंधेर ने कहा कि यह सम्पूर्ण उपन्यास सामंतवादी, पितृसत्तात्मक वृत्तियों के विरुद्ध संघर्ष, सफलता-असफलता, मूलदेश एवं प्रवास के अनुभवों, अतीत एवं वर्तमान के आन्तरिक मेल-सुमेल और क्रांतिकारी विचारधारात्मक प्रतिबद्धता को सुचारू बनाए रखने हेतु मणी के लेखक बनने की अर्थपूर्ण कहानी है। डॉ. धनवंत कौर ने कहा कि यह रचना उपन्यास-संसार की जटिलता को बड़ी ही साधारणता एवं सहजता से चुनौती देती है। साहित्य लेखन में इच्छुक विद्यार्थियों को इसका अध्ययन अवश्य करना चाहिए। डॉ. सुखदेव सिंह मिन्हास ने लेखिका को बधाई देते हुए साहित्य के सार्वभौमिक होने की बात कही। उन्होंने कहा कि साहित्य को खांचों में बाँटना उचित नहीं है। डा. परमजीत ने कहा कि विधागत एवं कथानक रूप में यह एक नवीन रचना है। डॉ. गुरमीत सिंह ने कहा कि यह उपन्यास मुझे इंग्लिश-विंग्लिश फिल्म की याद दिलाता है। अंत में विभागाध्यक्ष प्रो. गुरपाल सिंह संधू ने विचार-विमर्श के लिए आए विशेषज्ञों एवं विद्यार्थियो/शोधार्थियों का धन्यवाद किया।
Press Release No. 7372
(Renuka B Salwan)DPR