लोकसभा चुनाव में वामदलों को सीट देने में लालू यादव की कोई रुचि नहीं है.
कमलाकांत मिश्र ‘मधुकर’ की बेटी ने भी मोतिहारी सीट को लेकर भेंट करने की कोशिश की थी लालू नहीं मिले
कन्हैया कुमार का राजनाइटिक भविष्य तो यहीं तय हो गया की बेगूसराय सीट पर उन्हे अपने दम पर ही लड़ना होगा क्योंकि राज्य परिषद की उनकी उम्मीदवारी पर भी ग्रहण लगता दीख पड़ता है।
बिहार की भूमि पर राजनीतिक रूप से सक्रिय तीनों वाम दल क्रमशः सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन अगले महाभारत में अकेले(अपने दम खम पर) चुनाव लड़ेंगे
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार की लोकप्रियता के सहारे बिहार में खुद को पुर्नजीवित करने की वामदलों, खासकर सीपीआई और सीपीएम, की रणनीति दम तोड़ती नजर आ रही है. भरोसेमंद सूत्र का कहना है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि महाभारत 2019 में सीपीआई और सीपीएम की भागीदारी की उन्हें कोई जरूरत नहीं है.
सीपीआई के एक कद्दावर नेता ने भी नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘लोकसभा चुनाव में हमलोगों को सीट देने में लालू यादव की कोई रुचि नहीं है. वो नहीं चाहते हैं कि वामदल फिर से बिहार में जिंदा होकर अपने पैरों पर चल सकें.’
पिछले दो सप्ताह से बिहार के वामदलों के कई शीर्ष नेता लालू यादव से मिलने का अथक प्रयास कर रहे हैं. यहां तक कि सीपीआई के मूर्धन्य नेता रहे कमलाकांत मिश्र ‘मधुकर’ की बेटी ने भी मोतिहारी सीट को लेकर भेंट करने की कोशिश की थी. लेकिन आरजेडी सुप्रीमो ने उन सभी से मिलने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है.
सीपीआई के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने बातचीत में स्वीकार किया, ‘लालू यादव से मिलने के लिए बीते दो शनिवार को हमलोगों ने अर्जी लगाई थी लेकिन सफलता नहीं मिली’.
इसी बीच सीपीआई की बेगूसराय जिला कार्यकारिणी ने 16 फरवरी को सर्वसम्मति से कन्हैया कुमार का नाम चुनाव लड़ने के लिए फाइनल करके राज्य परिषद को भेज दिया है. समझा जाता है कि इस सप्ताह कन्हैया कुमार के अलावा और 4 सीटों के लिए उम्मीदवारों का नाम राज्य परिषद अनुमोदन करके नेशनल एक्जिक्यूटिव कमेटी को अंतिम मुहर लगाने के लिए भेज देगी.
स्टेट सेक्रेटरी सत्यनारायण सिंह तथा सीपीआई राष्ट्रीय परिषद के सदस्य राम नरेश पांडेय ने बतौर पर्ववेक्षक बेगूसराय जिला परिषद की बैठक में शिरकत की थी. सत्यनाराण सिंह का कहना है कि किसी सूरत में बेगूसराय लोकसभा सीट से सीपीआई लड़ेगी. कन्हैया कुमार ही उम्मीदवार होंगे. वैसे कुछ दिन पहले बयान जारी कर जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष ने कहा है कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगे.
कन्हैया कुमार को बेगूसराय सीट से उम्मीदवार बनाए जाने और वामदलों को महागठबंधन में उचित स्थान देने के सवाल पर सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी तथा सीपीआई नेता डी राजा भी क्रमशः जनवरी 12 और 19 को रांची जेल में लालू यादव से मुलाकात कर चुके हैं. सूत्र बताते हैं कि डी राजा ने आरजेडी सुप्रीमो से रिक्वेस्ट की कि बेगूसराय को जोड़कर कम से कम तीन सीट सीपीआई के लिए छोड़ दें. उसी तरह सीताराम येचुरी ने बिहार के राजनीतिक क्षितिज पर आईसीयू में सांस ले रही अपनी पार्टी के लिए दो लोकसभा सीटों की मांग की है.
महागंठबधन से जुड़े एक नेता का कहना है, ‘हमारे कुनबे में चुनावी जंग में भागीदारी के लिए उसी पार्टी और नेता को तरजीह दी जाती है जिसके घर में या तो ‘लक्ष्मी’ का वास हो या फिर पॉकेट में वोट का जखीरा हो. जगजाहिर है कि मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति में बिहार में वाम दलों के पास इन दोनों संसाधनों में से कोई पर्याप्त मात्रा में मौजूद नहीं है.
हां, सीपीआई (एमएल) लिबरेशन यानी माले के पीछे अच्छा खासा जन समर्थन है. इसीलिए हमारे नेता लालू यादव के दिल में इनके प्रति स्नेह का भाव है. हो सकता है कि आरा की लोकसभा सीट माले के खाते में चली जाए. 1989 चुनाव में माले के रामेश्वर प्रसाद ने इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था. माले का अपना मजबूत आधार वोट है.’
चारा घोटाले में सजा काट रहे लालू यादव प्रत्येक शनिवार को तीन लोगों से मुलाकात करते हैं. 16 फरवरी को आरजेडी चीफ अपने छोटे बेटे और बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव से मिले. काफी देर तक बातचीत हुई. लेकिन अर्जी लगने के बाद भी वामदलों के नेताओं से मिलने से मना कर दिया.
कयास लग रहा है कि आरजेडी सुप्रीमो ने तेजस्वी यादव को आरजेडी कोटे से किस सीट पर कौन व्यक्ति चुनाव लड़ेगा इसकी सूची दे दी है. यह भी चर्चा में है कि जेल में बंद पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने उत्तराधिकारी पुत्र को यह भी बता दिया है कि महागठबंधन में शामिल कांग्रेस, रालोसपा, वीआईपी, बीएसपी और हम सेकुलर पार्टियों को कौन सीटें दी जाएंगी.
बहरहाल, महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों की बटवारे की घोषणा इस महीने के अंतिम सप्ताह में की जानी की पूरी संभावना है. वैसे आरजेडी के एक नेता ने बताया कि एनडीए की सूची आने तक हमलोगों द्वारा इंतजार किया जा सकता है. जो भी हो, लेकिन एक बात तो लगभग क्लियर हो गई है कि वामदलों के लिए महागठबंधन में कोई जगह नहीं है.
ऐसी परिस्थति में बिहार की भूमि पर राजनीतिक रूप से सक्रिय तीनों वाम दल क्रमशः सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन अगले महाभारत में एकला तलवार भाजेंगे. कुछ सीटों पर आपसी तालमेल कर सकते हैं. वैसे जानकारी के लिए पड़ोसी राज्य झारखंड में भी महागठबंधन ने वामदलों को लोकसभा की कुल 14 सीटों में से एक सीट भी नहीं दी है, जिसे लेकर वामदलों में नाराजगी है.
वामदल की नाराजगी को दूर करने के लिए झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार ने 16 फरवरी को कहा, ‘विधानसभा चुनाव में हमलोग लेफ्ट पार्टियों को उचित जगह और सम्मान देंगे.’
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/Yechury.jpg300600Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-20 04:42:402019-02-20 04:42:44छतीसगढ़ की तरह बिहार में भी महागठबंधन में पीछे छूटते वामदल
नई दिल्ली: केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता और महंगाई क्षतिपूर्ति में तीन प्रतिशत बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. बढ़ा भत्ता एक जनवरी 2019 से लागू माना जाएगा. इससे केन्द्र सरकार के 1.1 करोड़ कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को फायदा होगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया. इस वृद्धि के बाद महंगाई भत्ता 12 प्रतिशत हो जायेगा. मंत्रिमंडल की बैठक के बाद फैसले की जानकारी देते हुये वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संवाददाताओं को बताया कि मंत्रिमंडल ने सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता तीन प्रतिशत बढ़ाने का फैसला किया है.
महंगाई भत्ता बढ़ने से केन्द्र सरकार के 48.41 लाख कर्मचारियों को फायदा मिलेगा इस समय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता नौ प्रतिशत है. बढ़ा हुआ भत्ता एक जनवरी 2019 से लागू होगा. महंगाई भत्ता बढ़ने से केन्द्र सरकार के 48.41 लाख कर्मचारियों और 62.03 लाख पेंशनभोगियों को फायदा होगा. महंगाई भत्ते की यह वृद्धि 7वें केन्द्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप है. भत्ते में स्वीकार्य फार्मूले के अनुरूप वृद्धि हुई है.
इससे पहले 29 अगस्त 2018 को महंगाई भत्ता बढ़ाया गया था इससे पहले 29 अगस्त 2018 को आर्थिक मामलों की केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में मोदी सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को सौगात देते हुए महंगाई भत्ता (DA) दो फीसदी बढ़ा दिया था. उस समय केंद्रीय कर्मचारियों को महंगाई भत्ता 7 फीसदी मिलता था. जिसे बढ़ाने के बाद 9 फीसदी कर दिया गया था. बता दें, महंगाई भत्ता की गणना कर्मचारी की बेसिक सैलरी के आधार पर होती है. उससे पहले मार्च 2018 में सरकार ने दो फीसदी डीए बढ़ाया था. इसे 5 से बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया गया था.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/01/20091-urjit-arun-jaitley-ians.jpg478849Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-20 02:44:372019-02-20 05:22:22महंगाई भत्ता बढ्ने से 1.1 करोड़ कर्मचारियों और पेंशन धारकों को होगा लाभ
अमृतसर: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को दावा किया कि पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू भारत के हितों से ज्यादा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ अपनी दोस्ती को लेकर चिंतित हैं.
केजरीवाल ने कहा, ‘सिद्धू के बयान से पूरे देश की भावनाएं आहत हुई हैं.’ दिल्ली के मुख्यमंत्री आप की विधायक बलजिंदर कौर के शादी के प्रतिभोज में हिस्सा लेने आए थे. उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि सिद्धू के लिए दोस्ती पहले है और देश बाद में.’ उन्होंने ‘गैरजिम्मेदाराना’ बयान को लेकर सिद्धू की आलोचना की.
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकवादी हमले के बाद कांग्रेस नेता सिद्धू द्वारा दिए गए बयान की आलोचना करते हुए केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने ‘देश की भावनाओं’ को आहत किया है. इस आतंकी हमले में सीआरपीएफ के करीब 40 जवान शहीद हुए हैं. गौरतलब है कि पंजाब सरकार में मंत्री सिद्धू ने पुलवामा आतंकी हमले की निंदा करते हुए कहा था कि कुछ लोगों की करतूत की वजह से किसी एक देश को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है। उन्होंने यह भी कहा था कि हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा मिलनी चाहिए। उनके इस बयान को लेकर विरोधी पार्टियों ने उन पर जमकर निशाना साधा है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/sidhu-kejriwal_1469534385.jpeg6001000Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-20 02:39:102019-02-20 02:39:12‘सिद्धू के बयान से पूरे देश की भावनाएं आहत हुई हैं.’अरविंद
20 फरवरी 2019: आज का दिन आपकी कार्मिक निपुणता का पूरा लाभ देने वाला होगा। जिससे आपके काम करने के हौसले और बढ़े होगे। यदि आप पहले दफा रोजगार की तलाश में है, तो आज आपकी अच्छी शुरूआत होगी। स्वास्थ्य सुखद होगा। निजी रिश्तों में मधुरता होगी। जिससे आप कुछ उपहारों को देगे का मन कर लेगे।
20 फरवरी 2019: आज का दिन आपको काम-काजी जीवन में रूतबा देने वाला होगा। जिससे आप अपने कई कामों को पूरा करने में तत्पर होगे। आप देखेंगे कि आपका स्वास्थ्य आज सुखद व सुन्दर बना हुआ है। आज आप अपने घर परिवार के साथ अधिक घुले-मिले होगे। जिससे आपको कई क्षेत्रों में सम्मान प्राप्त होगा।
20 फरवरी 2019: आज आप अपने पराक्रम को बढ़ा हुआ देखेंगे। जिससे आप अपने कई कामों को तेजी से करने में सक्षम होगे। आज आप जहाँ अपने कामों को तय समय से करने के जरूरी इंतजाम करने में लगे होगे। वहीं सगे भाई के साथ समांजस्य होगा। किन्तु स्वास्थ्य में सांस, रक्त विकार चर्म रोगों से परेशानी होगी।
20 फरवरी 2019: आज आप अपने कामों को तेजी देने के लिए कुछ संबंधित लोगों के साथ बैठक कर कार्य की प्रगति की स्थिति को जानने में व्यस्त होगे। हालांकि आपको कुछ कामों को पूरा करने के लिए लंबी यात्राओं में जाना पड़ सकता है। इस भाग-दौड़ में आपके सेहत में प्रतिकूल असर होगा। जिससे आपको दवा खानी होगी।
20 फरवरी 2019: आज आप अपने कार्मिक प्रगति की समीक्षा में लगे होगे। जिससे योजनाओं को तय समय में पूरा करने में कामयाबी होगी। हालांकि आज कुछ नया जोड़ने के लिए आप उत्सुक होगे। सेहत के लिहाज से आज का दिन मध्यम होगा। दाम्पत्य जीवन में आज अनुकूलता की स्थिति होगी। निजी संबंध मध्यम होगे।
20 फरवरी 2019: आज आप अपने सर्विस/पेशा के मामलों में दिनों-दिन प्रगति की ओर बढ़ते होगे। आज कुछ तकनीक उपकरणों को जोड़ने तथा कर्मचारियों की नियुक्त में ध्यान होगा। हालांकि आपकी आमदनी का स्तर और उच्च होगा। भौतिक सुख के साधनों को जुटाने मे रूचि होगी। निजी संबंध अनुकूल होगे। स्वजनों से तनाव होगे।
20 फरवरी 2019: आज आप अपने सर्विस/पेशा के मामलों में दिनों-दिन प्रगति की ओर बढ़ते होगे। आज कुछ तकनीक उपकरणों को जोड़ने तथा कर्मचारियों की नियुक्त में ध्यान होगा। हालांकि आपकी आमदनी का स्तर और उच्च होगा। भौतिक सुख के साधनों को जुटाने मे रूचि होगी। निजी संबंध अनुकूल होगे। स्वजनों से तनाव होगे।
20 फरवरी 2019: आज आप अपने भौतिक उपयोग की वस्तुओं को तेजी से बढ़ाने में लगे होगे। आप देखेंगे कि आज आपकी शारीरिक क्षमताएं बढ़ी हुई है। जिससे आप प्रसन्न होगे। आप अपने कामों में तेजी देने में पूरी तन्मयता के साथ लगे होगे। प्रेम संबंधों में अनुकूलता होगी। वैवाहिक जीवन सुखद और सुन्दर होगा। जिससे आप प्रसन्न होगे।
20 फरवरी 2019: आज आप अपने अध्ययन और तैयारियों की समीक्षा में लगे होगे। आप देखेंगे कि पिछली हुई भूल को सुधारने में प्रगति की स्थिति होगी। आज आपके घर-परिवार में खुशी की स्थिति होगी। किन्तु पिता के सेहत की चिंता होगी। जिससे उन्हें किसी उपचारक के पास ले जाना होगा। निजी संबंधों में संवादो की कमी होगी।
20 फरवरी 2019: आज आप परिवार में कुछ नए उपकरणों को जोड़ने में लगे होगे। जिससे घर की सुविधाओं में वृद्धि की स्थिति होगी। किन्तु पिता को सेहत की चिंता होगी। जिससे आपको किसी अस्पताल तक जाना पड़ सकता है। निजी रिश्तों में अधिक संवाद नहीं होगे। आप आजीविका को लेकर परेशान से होगे। धन अधिक व्यय होगा।
20 फरवरी 2019: आज का दिन जहाँ आपके शारीरिक बल को बढ़ाने वाला होगा। वहीं आपके आत्मविश्वास को भी उच्च करने वाला होगा। जिससे आप अपने स्तर पर कई कामों को तेजी से करने में लगे होगे। पत्नी व बच्चों को मनोरंजन हेतु वांछित स्थान में ले जाने की तैयारी होगी। निजी संबंधों में मधुर वार्ताओं का क्रम होगा।
20 फरवरी 2019: आज का दिन आपको कुछ नए लोगो से मिलने के अवसर तो देने वाला होगा ही। साथ ही आप पुराने लोगो को भी अपने साथ लेकर चलने में उत्सुक होगे। धन निवेश में फायदा होगा। किन्तु संस्था की वैधता का ध्यान देना होगा। आज का दिन सेहत के लिए ज्यादा अनुकूल नहीं होगा। जिससे दवा खानी होगी।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/12/rashifal.jpg476715Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-20 01:04:422019-02-20 01:04:45आज का राशिफल
विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/12/Hindu-Panchang-1.jpg388997Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-20 00:42:042019-02-20 00:42:07आज का पांचांग
पाकिस्तान में रह रहे जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर की नकेल कसने में भारत को शुरुआती समर्थन मिला है. इस मामले में भारत को फ्रांस का समर्थन मिला है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि फ्रांस ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए कदम उठाने की बात कही है. फ्रांस इस बारे में संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव लेकर आएगा. बताया जा रहा है कि फ्रांस अगले दो दिन में ऐसा प्रस्ताव लेकर आएगा.
पुलवामा हमले पर भारत के नजरिए का फ्रांस ने समर्थन किया है. इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है. मसूद अजहर के संगठन जैश ए मोहम्मद ने पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले की जिम्मेदारी ली थी. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे.
यह दूसरा मौका होगा जब फ्रांस संयुक्त राष्ट्र में ऐसे किसी प्रस्ताव के लिए पक्ष बनेगा. 2017 में अमेरिका ने ब्रिटेन और फ्रांस के समर्थन से संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति 1267 में एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन के प्रमुख पर प्रतिबंध की मांग की गई थी. इस प्रस्ताव पर चीन ने अड़ंगा लगा दिया था.
एक वरिष्ठ फ्रांसीसी सूत्र ने बताया, ‘फ्रांस संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर को आतंकी सूची में डालने के लिये एक प्रस्ताव का नेतृत्व करेगा. यह अगले कुछ दिनों में होगा.’
फ्रांसीसी सूत्रों ने बताया कि फ्रांस के इस फैसले पर फ्रांस के राष्ट्रपति के कूटनीतिक सलाहकार फिलिप एतिन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बीच मंगलवार सुबह चर्चा हुई.
इस दौरान हमले को लेकर अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए फ्रांसीसी कूटनीतिज्ञ ने इस बात पर भी जोर दिया कि दोनों देशों को अपने कूटनीतिक प्रयासों में समन्वय करना चाहिए.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/images-1-3.jpg182277Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-19 17:53:252019-02-19 17:53:27‘फ्रांस संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर को आतंकी सूची में डालने के लिये एक प्रस्ताव का नेतृत्व करेगा.
पुलवामा हमले पर मंगलवार को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने बताया कि भविष्य में पुलवामा आतंकी हमले जैसी किसी भी घटना से बचने के लिए प्रयास किए जाएंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि मंत्रालय जमीनी स्तर पर और जानकारी इकट्ठा कर रहा है.
गौरतलब है कि मंगलवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी पुलवामा हमले पर बयान जारी किया था. इमरान ने इस हमले में पाकिस्तान का हाथ होने से साफ इनकार किया. इमरान के बयानों पर पलटवार करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि वह इस मुद्दे पर अभी कुछ कहना नहीं चाहती हैं क्योंकि उनके शब्द देश के गुस्से और आक्रोश को जताने के लिए बहुत कम होंगे.
पहले भी दे चुके हैं उन्हें सबूत, क्या किया उनका?
पुलवामा हमले की जवाबी कार्रवाई से संबंधित सवाल पर सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी पहले ही साफ कर चुके हैं कि सेना को पूरी आजादी दे दी गई है कि वो जब चाहे जैसे चाहे सही समय पर कार्रवाई करें.View image on Twitter
निर्मला सीतारमण ने कहा कि मुंबई हमले पर न सिर्फ ये सरकार बल्कि पूर्व की सरकारें भी पाकिस्तान को डोजियर और सबूत दे चुकी हैं. इसी के साथ उन्होंने सवाल किया कि इन पर पाकिस्तान ने अब तक क्या कदम उठाया है. गौरतलब है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा था कि अगर भारत सबूत देगा तो वह कार्रवाई करेंगे.
सेना का मनोबल मजबूत है
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘भारत में कानून की उचित प्रक्रिया के बाद, अदालतों से संपर्क किया गया और मुंबई के हमलावरों को उचित प्रक्रिया के तहत दंडित भी किया गया. जबकी पाकिस्तान में निचली अदालतों ने तक अपना काम किया है. पाकिस्तान के पास दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है.’
सीतारमण से सुरक्षा बलों के मनोबल से संबंधित सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सेना के मनोबल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है, वो अपना काम करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. जिस तरीके से भारतवासियों ने प्रतिक्रियाएं दी हैं उससे वो (सेना) काफी प्रोत्साहित हैं.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/09/NIRMALA-SITARAMAN.jpg359638Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-19 17:45:562019-02-19 17:45:59पाकिस्तान ने मुंबई हमले के सबूतों का क्या किया? : निर्मला सीतारमण
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट किया, ‘डियर इमरान खान, जैश का चीफ मसूद अजहर आपके देश में बहावलपुर में है और ISI की मदद से कई हमलों का मास्टरमाइंड भी बना हुआ है. जाओ उसको वहां से पकड़ लो’ बस कैप्टन का ज़ोर नहीं चलता तो सिद्धू पर नहीं.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के पुलवामा हमले पर आए बयान पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पलटवार किया है. अमरिंदर सिंह ने इमरान को दो टूक जवाब देते हुए कहा कि अगर आप से कुछ नहीं हो रहा है तो हमें बताएं हम खुद कर लेंगे. इसी के साथ उन्होंने पाकिस्तान को चुनौती देते हुए कहा कि अब बातों का समय नहीं है.
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट किया, ‘डियर इमरान खान, जैश का चीफ मसूद अजहर आपके देश में बहावलपुर में है और ISI की मदद से कई हमलों का मास्टरमाइंड भी बना हुआ है. जाओ उसको वहां से पकड़ लो. अगर आप नहीं कर सकते तो हमें बताओ, हम कर लेंगे.’ इसी के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री ने तंज भरे अंदाज में कहा, ‘वैसे आपने मुंबई 26/11 हमले के सबूतों का क्या किया. अब समय बातचीत का नहीं है.’View image on Twitter
गौरतलब है कि मंगलवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत के पुलवामा में हुए आतंकी हमले पर एक वीडियो जारी किया था. इसमें उन्होंने कहा कि इस हमले में पाकिस्तान का कोई हाथ नहीं है. साथ ही उन्होंने भारत से सबूतों की मांग की और कहा कि सबूत मिलने पर वह कार्रवाई जरूर करेगा.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/sidhu-imran.png583875Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-19 17:36:472019-02-19 17:36:49पंजाब के मुख्यमंत्री ने पाकिस्तान के प्रधान मंत्री को लताड़ा
भारतीय सेना की चिनार कॉर्प्स के जीओसी लेफ्टिनेंट कर्नल कंवलजीत सिंह ढिल्लन ने आतंकियों को सख्त पैगाम देते हुए कहा, ‘सेना के पास सरेंडर पॉलिसी है और सभी आतंकी सरेंडर कर दें या फिर मौत के लिए तैयार रहें.’ सनद रहे यह वही बयान है जिसके बाद पाकिस्तानी वज़ीर ने पाँच दिन बाद कैमरे का सामना किया था
पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले को लेकर भारतीय सेना ने सख्त चेतावनी दी है. सेना ने बेहद सख्त लहजे में साफ किया कि आतंकियों के पास दो ही विकल्प हैं, या तो वो सरेंडर कर दें या फिर गोलियों के लिए तैयार रहें.
भारतीय सेना की चिनार कॉर्प्स के जीओसी लेफ्टिनेंट कर्नल कंवलजीत सिंह ढिल्लन ने आतंकियों को सख्त पैगाम देते हुए कहा, ‘सेना के पास सरेंडर पॉलिसी है और सभी आतंकी सरेंडर कर दें या फिर मौत के लिए तैयार रहें.’ ढिल्लन ने आतंकियों के मां-बाप को सलाह देते हुए कहा कि उनके मां-बाप आतंक की राह पकड़ चुके अपने बच्चों को सरेंडर करने के लिए कहें, क्योंकि जो बंदूक उठाएगा वो मारा जाएगा.
लेफ्टिनेंट कर्नल केजेएस ढिल्लन ने जानकारी दी कि सेना ने 100 घंटे से कम समय में पुलवामा आतंकी हमले का बदला ले लिया है. सेना के मुताबिक कश्मीर में जैश का सफाया हो चुका है. पुलवामा में सोमवार को हुई मुठभेड़ में 2 पाकिस्तानी और एक कश्मीरी आतंकी मार गिराए गए हैं. इस साल जैश के 31 आतंकी मार गिराए गए हैं. सेना ने आगे कहा कि जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तानी सेना का ही बच्चा है.
ढिल्लन ने कहा, ‘इस हमले में ISI के हाथ होने की आशंका से इनकार नहीं करते हैं. जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तान आर्मी का ही बच्चा है. इस हमले में पाकिस्तानी सेना का 100 फीसदी इनवॉल्वमेंट हैं. इसमें हमें और आपको कोई शक नहीं है.’
गौरतलब है कि 14 फरवरी यानी गुरुवार को पुलवामा में ही सीआरपीएफ के काफिले पर फिदायीन हमला हुआ था. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे और कई अन्य घायल हुए थे. इस घटना के बाद सेना और सुरक्षाबल एक्शन में हैं. इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली है. पाकिस्तानी संगठन की तरफ से हमले की जिम्मेदारी लेने के बाद भारत ने पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग करने की कोशिशें तेज कर दी हैं.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/download-5.jpg145348Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-19 17:23:312019-02-19 17:26:44‘सेना के पास सरेंडर पॉलिसी है और सभी आतंकी सरेंडर कर दें या फिर मौत के लिए तैयार रहें.’ कनवलजीत सिंह ढिललों
शिवाजी भोंसले उर्फ़ छत्रपति शिवाजी महाराज एक भारतीय शासक और मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे। शिवाजी ने आदिलशाही सल्तनत की अधीनता स्वीकार ना करते हुए उनसे कई लड़ाईयां की थी। शिवाजी को हिन्दूओं का नायक भी माना जाता है। शिवाजी महाराज एक बहादुर, बुद्धिमान और निडर शासक थे। धार्मिक कार्य में उनकी काफी रूचि थी। रामायण और महाभारत का अभ्यास वह बड़े ध्यान से करते थे। वर्ष 1674 में शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ और उन्हें छत्रपति का ख़िताब मिला।
शिवाजी महाराज का जन्म 19 फ़रवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। इनके पिता का नाम शाहजी भोसलें और माता का नाम जीजाबाई था। शिवनेरी दुर्ग पुणे के पास है। उनकी माता ने उनका नाम भगवान शिवाय के नाम पर शिवाजी रखा। उनकी माता भगवान शिवाय से स्वस्थ सन्तान के लिए प्रार्थना किया करती थी। शिवाजी के पिताजी शाहजी भोंसले एक मराठा सेनापति थे, जो कि डेक्कन सल्तनत के लिए कार्य किया करते थे। शिवाजी के जन्म के समय डेक्कन की सत्ता तीन इस्लामिक सल्तनतों बीजापुर, अहमदनगर और गोलकोंडा में थी। शिवाजी अपनी माँ जीजाबाई के प्रति बेहद समर्पित थे। उनकी माँ बहुत ही धार्मिक थी। उनकी माता शिवाजी को बचपन से ही युद्ध की कहानियां तथा उस युग की घटनाओं के बारे में बताती रहती थीं, खासकर उनकी माँ उन्हें रामायण और महाभारत की प्रमुख कहानियाँ सुनाती थीं। जिन्हें सुनकर शिवाजी के ऊपर बहुत ही गहरा असर पड़ा था। इन दो ग्रंथो की वजह से वो जीवनपर्यन्त हिन्दू महत्वो का बचाव करते रहे। इसी दौरान शाहजी ने दूसरा विवाह किया और अपनी दुसरी पत्नी तुकाबाई के साथ कर्नाटक में आदिलशाह की तरफ से सैन्य अभियानो के लिए चले गए। उन्होंने शिवाजी और जीजाबाई को दादोजी कोंणदेव के पास छोड़ दिया। दादोजी ने शिवाजी को बुनियादी लड़ाई तकनीकों के बारे में जैसे कि- घुड़सवारी, तलवारबाजी और निशानेबाजी सिखाई।
शिवाजी महाराज ने वर्ष
1645 में, आदिलशाह सेना को बिना
सूचित किए कोंड़ना किला पर हमला कर दिया। इसके बाद आदिलशाह सेना ने शिवाजी के पिता
शाहजी को गिरफ्तार कर लिया। आदिलशाह सेना ने यह मांग रखी कि वह उनके पिता को तब रिहा करेगा जब वह कोंड़ना का किला छोड़ देंगे। उनके पिता की रिहाई
के बाद 1645 में शाहजी की मृत्यु
हो गई। पिता की मृत्यु के बाद शिवाजी ने फिर से आक्रमण करना शुरू कर दिया।
वर्ष 1659 में, आदिलशाह ने अपने सबसे
बहादुर सेनापति अफज़ल खान को शिवाजी को मारने के लिए भेजा। शिवाजी और अफज़ल खान 10 नवम्बर 1659 को प्रतापगढ़ के किले
के पास एक झोपड़ी में मिले। दोनों के बीच एक शर्त रखी गई कि वह दोनों अपने साथ केवल
एक ही तलवार लाए गए। शिवाजी को अफज़ल खान पर भरोसा नही था और इसलिए शिवाजी ने अपने
कपड़ो के नीचे कवच डाला और अपनी दाई भुजा पर बाघ नख (Tiger’s Claw) रखा और अफज़ल खान से
मिलने चले गए। अफज़ल खान ने शिवाजी के ऊपर वार किया लेकिन अपने कवच की वजह से वह बच
गए, और फिर शिवाजी ने अपने
बाघ नख (Tiger’s Claw) से अफज़ल खान पर हमला
कर दिया। हमला इतना घातक था कि अफज़ल खान बुरी तरह से घायल हो गया, और उसकी मृत्यु हो गई।
इसके बाद शिवाजी के सैनिकों ने बीजापुर पर आक्रमण कर दिया।
शिवाजी ने 10 नवम्बर 1659 को प्रतापगढ़ के युद्ध
में बीजापुर की सेना को हरा दिया। शिवाजी की सेना ने लगातार आक्रमण करना शुरू कर
दिया। शिवाजी की सेना ने बीजापुर के 3000 सैनिक मार दिए, और अफज़ल खान के दो पुत्रों को गिरफ्तार कर लिया। शिवाजी ने बड़ी
संख्या में हथियारों ,घोड़ों,और दुसरे सैन्य सामानों को अपने अधीन कर लिया। इससे शिवाजी की
सेना और ज्यादा मजबूत हो गई, और मुगल बादशाह औरंगजेब ने इसे मुगल साम्राज्य का सबसे बड़ा खतरा
समझा।
मुगलों के शासक औरंगजेब का ध्यान उत्तर भारत के बाद दक्षिण भारत की तरफ गया। उसे शिवाजी के बारे में पहले से ही मालूम था। औरंगजेब ने दक्षिण भारत में अपने मामा शाइस्ता खान को सूबेदार बना दिया था। शाइस्ता खान अपने 150,000 सैनिकों को लेकर पुणे पहुँच गया और उसने वहां लूटपाट शुरू कर दी। शिवाजी ने अपने 350 मावलो के साथ उनपर हमला कर दिया था, तब शाइस्ता खान अपनी जान बचाकर भाग खड़ा हुआ और शाइस्ता खान को इस हमले में अपनी 3 उँगलियाँ गंवानी पड़ी। इस हमले में शिवाजी महाराज ने शाइस्ता खान के पुत्र और उनके 40 सैनिकों का वध कर दिया। शाइस्ता खान ने पुणे से बाहर मुगल सेना के पास जा कर शरण ली और औरंगजेब ने शर्मिंदगी के मारे शाइस्ता खान को दक्षिण भारत से हटाकर बंगाल का सूबेदार बना दिया।
इस जीत के बाद शिवाजी की शक्ति और ज्यादा मजबूत हो गई थी। लेकिन कुछ समय बाद शाइस्ता खान ने अपने 15,000 सैनिकों के साथ मिलकर शिवाजी के कई क्षेत्रो को जला कर तबाह कर दिया, बाद में शिवाजी ने इस तबाही का बदला लेने के लिए मुगलों के क्षेत्रों में जाकर लूटपाट शुरू कर दी। सूरत उस समय हिन्दू मुसलमानों का हज पर जाने का एक प्रवेश द्वार था। शिवाजी ने 4 हजार सैनिकों के साथ सूरत के व्यापारियों को लूटने का आदेश दिया, लेकिन शिवाजी ने किसी भी आम आदमी को अपनी लूट का शिकार नहीं बनाया।
शिवाजी महाराज को आगरा बुलाया गया जहां उन्हें लागा कि उनको उचित सम्मान नहीं दिया गया है। इसके खिलाफ उन्होंने अपना रोष दरबार पर निकाला और औरंगजेब पर छल का आरोप लगाया। औरंगजेब ने शिवाजी को कैद कर लिया और शिवाजी पर 500 सैनिकों का पहरा लगा दिया। हालांकि उनके आग्रह करने पर उनकी स्वास्थ्य की दुआ करने वाले आगरा के संत, फकीरों और मन्दिरों में प्रतिदिन मिठाइयाँ और उपहार भेजने की अनुमति दे दी गई थी। कुछ दिनों तक यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा। एक दिन शिवाजी ने संभाजी को मिठाइयों की टोकरी में बैठकर और खुद मिठाई की टोकरी उठाने वाले मजदूर बनकर वहा से भाग गए। इसके बाद शिवाजी ने खुद को और संभाजी को मुगलों से बचाने के लिए संभाजी की मौत की अफवाह फैला दी। इसके बाद संभाजी को मथुरा में एक ब्राह्मण के यहाँ छोड़ कर शिवाजी महाराज बनारस चले गए। औरंगजेब ने जयसिंह पर शक करके उसकी हत्या विष देकर करवा डाली। जसवंत सिंह ( शिवाजी का मित्र) के द्वारा पहल करने के बाद सन् 1668 में शिवाजी ने मुगलों के साथ दूसरी बार सन्धि की। औरंगजेब ने शिवाजी को राजा की मान्यता दी। शिवाजी के पुत्र संभाजी को 5000 की मनसबदारी मिली और शिवाजी को पूना, चाकन और सूपा का जिला लौटा दिया गया, लेकिन, सिंहगढ़ और पुरन्दर पर मुग़लों का अधिपत्य बना रहा। सन् 1670 में सूरत नगर को दूसरी बार शिवाजी ने लूटा, नगर से 132 लाख की सम्पत्ति शिवाजी के हाथ लगी और लौटते वक्त शिवाजी ने एक बार फिर मुगल सेना को सूरत में हराया।
सन 1674 तक शिवाजी के सम्राज्य का अच्छा खासा विस्तार हो चूका था। पश्चिमी महाराष्ट्र में स्वतंत्र हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के बाद शिवाजी ने अपना राज्याभिषेक करना चाहा, परन्तु ब्राहमणों ने उनका घोर विरोध किया। क्योंकि शिवाजी क्षत्रिय नहीं थे उन्होंने कहा की क्षत्रियता का प्रमाण लाओ तभी वह राज्याभिषेक करेगा। बालाजी राव जी ने शिवाजी का सम्बन्ध मेवाड़ के सिसोदिया वंश से समबंद्ध के प्रमाण भेजे जिससे संतुष्ट होकर वह रायगढ़ आया और उन्होंने राज्याभिषेक किया। राज्याभिषेक के बाद भी पुणे के ब्राह्मणों ने शिवाजी को राजा मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद शिवाजी ने अष्टप्रधान मंडल की स्थापना कि। विभिन्न राज्यों के दूतों, प्रतिनिधियों के अलावा विदेशी व्यापारियों को भी इस समारोह में आमंत्रित किया गया। इस समारोह में लगभग रायगढ़ के 5000 लोग इकट्ठा हुए थे। शिवाजी को छत्रपति का खिताब दिया गया। उनके राज्याभिषेक के 12 दिन बाद ही उनकी माता का देहांत हो गया। इस कारण फिर से 4 अक्टूबर 1674 को दूसरी बार उनका राज्याभिषेक हुआ। दो बार हुए इस समारोह में लगभग 50 लाख रुपये खर्च हुए। इस समारोह में हिन्दू स्वराज की स्थापना का उद्घोष किया गया था।
शिवाजी के परिवार में
संस्कृत का ज्ञान अच्छा था और संस्कृत भाषा को बढ़ावा दिया गया था। शिवाजी ने इसी
परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अपने किलों के नाम संस्कृत में रखे जैसे कि- सिंधुदुर्ग, प्रचंडगढ़, तथा सुवर्णदुर्ग। उनके
राजपुरोहित केशव पंडित स्वंय एक संस्कृत के कवि तथा शास्त्री थे। उन्होंने दरबार
के कई पुराने कायदों को पुनर्जीवित किया एवं शासकिय कार्यों में मराठी तथा संस्कृत
भाषा के प्रयोग को बढ़ावा दिया।
शिवाजी एक कट्टर हिन्दू थे, वह सभी धर्मों का सम्मान करते थे। उनके राज्य में मुसलमानों को धार्मिक स्वतंत्रता थी। शिवाजी ने कई मस्जिदों के निर्माण के लिए दान भी दिए था। हिन्दू पण्डितों की तरह मुसलमान सन्तों और फ़कीरों को बराबर का सम्मान प्राप्त था। उनकी सेना में कई मुस्लिम सैनिक भी थे। शिवाजी हिन्दू संकृति का प्रचार किया करते थे। वह अक्सर दशहरा पर अपने अभियानों का आरम्भ किया करते थे।
शिवाजी ने काफी कुशलता से अपनी सेना को खड़ा किया था। उनके पास एक विशाल नौसेना (Navy) भी थी। जिसके प्रमुख मयंक भंडारी थे। शिवाजी ने अनुशासित सेना तथा सुस्थापित प्रशासनिक संगठनों की मदद से एक निपुण तथा प्रगतिशील सभ्य शासन स्थापित किया। उन्होंने सैन्य रणनीति में नवीन तरीके अपनाएं जिसमें दुश्मनों पर अचानक आक्रमण करना जैसे तरीके शामिल थे।
शिवाजी को एक सम्राट के रूप में जाना जाता है। उनको बचपन में कुछ खास शिक्षा नहीं मिली थी, लेकिन वह फिर भी भारतीय इतिहास और राजनीति से अच्छी तरह से परिचत थे। शिवाजी ने प्रशासकीय कार्यों में मदद के लिए आठ मंत्रियों का एक मंडल तैयार किया था, जिसे अष्टप्रधान कहा जाता था। इसमें मंत्रियों प्रधान को पेशवा कहते थे, राजा के बाद सबसे ज्यादा महत्व पेशवा का होता था। अमात्य वित्त मंत्री और राजस्व के कार्यों को देखता था, और मंत्री राजा के दैनिक कार्यों का लेखा जोखा रखता था। सचिव दफ्तरी काम किया करता था। सुमन्त विदेश मंत्री होता था जो सारे बाहर के काम किया करता था। सेनापति सेना का प्रधान होता था। पण्डितराव दान और धार्मिक कार्य किया करता था। न्यायाधीश कानूनी मामलों की देखरेख करता था।
मराठा साम्राज्य उस समय तीन या चार विभागों में बटा हुआ था।
प्रत्येक प्रान्त में एक सूबेदार था जिसे प्रान्तपति कहा जाता था। हरेक सूबेदार के
पास एक अष्टप्रधान समिति होती थी। न्यायव्यवस्था प्राचीन प्रणाली पर आधारित थी।
शुक्राचार्य, कौटिल्य और हिन्दू धर्मशास्त्रों को
आधार मानकर निर्णय दिया जाता था। गाँव के पटेल फौजदारी मुकदमों की जाँच करते थे।
राज्य की आय का साधन भूमिकर था,
सरदेशमुखी से भी
राजस्व वसूला जाता था। पड़ोसी राज्यों की सुरक्षा की गारंटी के लिए वसूले जाने
वाला सरदेशमुखी कर था। शिवाजी अपने आपको मराठों का सरदेशमुख कहा करते थे और इसी
हैसियत से सरदेशमुखी कर वसूला जाता था।
शिवाजी महाराज ने अपने पिता से स्वराज की शिक्षा हासिल की, जब बीजापुर के सुल्तान ने उनके पिता को गिरफ्तार कर लिया था तो शिवाजी ने एक आदर्श पुत्र की तरह अपने पिता को बीजापुर के सुल्तान से सन्धि कर के छुड़वा लिया। अपने पिता की मृत्यु के बाद ही शिवाजी ने अपना राज-तिलक करवाया। सभी प्रजा शिवजी का सम्मान करती थी और यही कारण है कि शिवाजी के शासनकाल के दौरान कोई आन्तरिक विद्रोह जैसी घटना नहीं हुई थी। वह एक महान सेना नायक के साथ-साथ एक अच्छे कूटनीतिज्ञ भी थे। वह अपने शत्रु को आसानी से मात दे देते थे।
एक
स्वतंत्र शासक की तरह उन्होंने अपने नाम का सिक्का चलवाया। जिसे “शिवराई”
कहते थे, और यह सिक्का संस्कृत भाषा में था।
3 अप्रैल, 1680 में लगातार तीन सप्ताह तक बीमार रहने के बाद यह वीर हिन्दू
सम्राट सदा के लिए इतिहासों में अमर हो गया, और उस समय उनकी आयु 50 वर्ष थी। शिवाजी महाराज एक वीर पुरुष थे, जिन्होंने अपना पूरा
जीवन मराठा, हिन्दू साम्राज्य के लिए समर्पित कर दिया। मराठा इतिहास में
सबसे पहला नाम शिवाजी का ही आता है। आज महाराष्ट्र में ही नहीं पूरे देश में वीर
शिवाजी महाराज की जयंती बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाई जाती है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/02/शिवाजी-महाराज-का-राज्याभिषेक.jpg368768Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-02-19 17:11:212019-02-19 17:11:23शिवाजी भोंसले उर्फ़ छत्रपति शिवाजी महाराज
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