चीमा और अरोड़ा ने बिजली पर सफेद (वाइट) पेपर लाने की मांग की

अगर कैप्टन पानियों के समझौते रद्द कर सकते हैं तो बिजली कंपनियों के क्यों नहीं -हरपाल सिंह चीमा
बिजली कंपनियों के साथ नाजायज समझौतों के बारे में ‘आप’ के दोषों पर कांगड़ और राणा गुरजीत ने भी लगाई मोहर -अमन अरोड़ा

राकेश शाह चंडीगढ़ ,21 फरवरी 2019
विरोधी पक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने पिछली बादल सरकार की तरफ से सरकारी थर्मल प्लांटों की बिजली ले कर निजी बिजली कंपनियों के साथ किए नाजायज महंगे समझौतों को तुरंत रद्द करने की मांग करते कहा कि यदि कैप्टन अमरिन्दर सिंह 2004 में केंद्र सरकार समेत पड़ोसी राज्यों से दरियाई पानियों के पिछले सभी समझौते पंजाब विधान सभा के द्वारा रद्द कर सकती है तो तीन निजी बिजली कंपनियों के साथ किए पंजाब और लोग विरोधी समझौते रद्द क्यों नहीं कर सकती?
हरपाल सिंह चीमा विधान सभा प्रैस गैलरी में अमन अरोड़ा और बाकी विधायकों के साथ मीडिया के रूबरू हुए। चीमा ने कहा कि चुनाव से पहले कैप्टन और कांग्रेस ने बादलों की ओर से बड़ी मिलीभगत के साथ किए इन समझौतों को रद्द करने का वायदा किया था, परंतु अब न सिर्फ वायदे से पलटे हैं बल्कि बादलों के रास्ते पर ही चल पड़े हैं।
इस मौके अमन अरोड़ा ने समझौते सम्बन्धित सरकारी दस्तावेजों के हवाले से बताया कि यह समझौते लोगों की जेबों और सरकारी खजाने के लिए इतने घातक हैं कि यदि पंजाब सरकार इन प्राईवेट थर्मल प्लांटों से एक यूनिट भी बिजली नहीं खरीदेगी तो सालाना करीब 2800 करोड़ रुपए इन बिजली कंपनियों को देने ही पड़ेंगे। इस के साथ अगले 25 सालों में करीब 70 हजार करोड़ रुपए का लोगों और खजाने को बेवज़्हा चूना लगेगा। अमन अरोड़ा ने कहा कि ‘आप’ द्वारा किये गए इस खुलासे पर रविवार को सदन में जवाब देते बिजली मंत्री गुरप्रीत सिंह कांगड़ ने इन तीनों निजी थर्मल प्लांटों को बादलों की ओर से बांधे हुए सफेद हाथी बताया है। यहीं बस नहीं सदन में पूर्व बिजली मंत्री और कांग्रेसी विधायक राणा गुरजीत सिंह ने ‘आप’ के दोषों को सही करार देते कहा कि बिजली मंत्री होते उन्होंने सरकारी थर्मल प्लांटों का तुलनात्मिक अनुमान लगवाया था, जिस से पता चला कि 25 सालों में इन थर्मल प्लांटों को 62500 करोड़ रुपए फालतू जाएंगे।
अमन अरोड़ा ने कहा कि गुरप्रीत सिंह कांगड़ यह भी मान रहे हैं कि 10 महीने में ही 446 करोड़ रुपए बिना बिजली खरीदे बिजली कंपनियों को दिए हैं। अरोड़ा ने कहा कि एक तरफ प्रदर्शन कर रहे अध्यापकों का पूरा वेतन जो लगभग 300 करोड़ रुपए बनता है हैं, दिए नहीं जा रहे, दूसरी तरफ़ साढ़े 400 करोड़ बिना वजह लुटाए जा रहे हैं। जिसको कैप्टन के पूर्व और मौजूदा बिजली मंत्री भी मान रहे हैं, फिर बिजली कंपनियों के समझौते रद्द क्यों नहीं किया जा रहे।
चीमा और अरोड़ा ने बिजली पर सफेद (वाइट) पेपर लाने की मांग करते अकाली -भाजपा खास कर बादल परिवार को इन लूटने वाले समझौतों के लिए जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने अकाली-भाजपा विधायकों की तरफ से आज सदन में काले चौले पर बिजली बिल टांगने को नाटक करार दिया। अमन अरोड़ा ने कहा कि आज जोकर बन कर बिजली बिलों को लेकर मगरमच्छ के आंसू बहा रहे अकाली -भाजपा वाले ही महंगी बिजली के लिए जिम्मेदार हैं। जो सस्ती बिजली पैदा करने वाले पंजाब के सरकारी थर्मल प्लांटों को बंद करके निजी कंपनियों से महंगी बिजली लेने वाले लूटने वाले समझौते में खुद हिस्सेदार हैं। उन्होंने कहा कि महंगे बिजली बिलों से सताए लोगों के लिए आम आदमी पार्टी ने 8 फरवरी को बिजली आंदोलन शुरू किया था, जो कल तक 4000 गांवों से पार हो चुका है। आज सुर्खियां बटौरने के लिए अकाली -भाजपा विधायक जोकर बन कर सदन में आ गए।
इस मौके विधायक कुलतार सिंह संधवां, मीत हेयर, प्रिंसिपल बुद्धराम, जै कृष्ण सिंह रोड़ी, कुलवंत सिंह पंडोरी, प्रवक्ता नील गर्ग और स्टेट मीडिया इंचार्ज मनजीत सिंह सिद्धू भी मौजूद थे।

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