Thursday, December 26

1150 विजिट करके दिव्यांगों को समाज की मुख्यधारा में लाने के किए प्रयास

पचंकूला 1 फरवरी: विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए पहियों पर स्कूल का नाम हेै कलाम एक्सप्रैस  जिसका उदेश्य प्रत्येक विशेष आवश्यकता वाले बच्चे को उसके दरवाजे पर शिक्षा व भौतिक चिकित्सा उपलब्ध करवाना हेै। इसका शुभारम्भ हरियाणा के तत्कालीन राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिह सोंलकी, द्वारा स्वतन्त्रता दिवस 2017 के सुअवसर पर किया गया। यह प्रोजेक्ट चण्डीगढ के पश्चात  उत्तर भारत की एक सबसे बड़ी पहल है और पंचकूला हरियाणा का पहला जिला है जिसमें यह संचालित की जा रही हैै।  

क्लाम एक्सप्रैस नामक इस बस टेलीविजन, लैबटाप पुस्तकालय, खेल व सिखाने की किट तथा फिजियोथरैपी आदि उपकरणों से सुसज्जित हेै। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को बस पर चढ़ने के लिए रैम्प की व्यवस्था की गई हेै, ताकि बच्चों को सीखने, खेलने व भोैतिक चिकित्सा आदि में मदद मिले। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों व उनके परिवार वालों के साथ सम्पर्क निश्चित करने के लिए यह बस सप्ताह में छः दिन चल रही हेै, जिसमें विशेष अध्यापक, फिजियोथरैपिस्ट व जरुरत पड़ने वाक चिकित्सक भी अपनी सेवाएं दे रहे हेै। इस बस के माध्यम से त्वनज ब्ींतज बनाकर पंचकूला जिला में 85 विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को गृह आधारित शिक्षा के साथ-साथ 800 विशेष आवश्यकता वाले बच्चे जो विद्यालय पहुंच रहे हेै, इसका लाभ उठा रहे हेै। 

ऐक्सप्रैस बस में विशेष अध्यापक इन बच्चों के मानसिक विकास, समन्वय व कुछ सीमा तक स्थिरता को बढाने के लिए सिखाते है तथा इनके माता पिता को भी यही क्रियाएं इन बच्चों के साथ देाहराने के लिए सिखाया जाता है ताकि यह बच्चे भी कुछ क्रियाओं  में अपनी भागीदारी कर इन बच्चों की आम दिनचर्या में सुधार हो सके। इसके अलावा इस प्रोजेक्ट के माध्यम से विषेष आवश्यक्ता वाले बच्चों के अभिभावकों को फिजियोंथैरपी व वाक चिकित्सा की फिल्में दिखाई जाती है ताकि वे अपने बच्चों की देखभाल करना सीख सके। भौतिक चिकित्सक इन बच्चों को शारीरिक रूप  से विकसित करने में ऐसी भौतिक क्रियाएं करवाते है जिससे इन बच्चों की शारीरिक क्षमता को बढाया जा सके। इस बस प्रोजेक्ट हेतु धन भारतीय स्टेट बैंक के माध्यम से प्राप्त किया गया।

डपायुक्त मुकुल कुमार ने बताया कि दिसम्बर, 2018 तक जिला पंचकूला में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को गृह आधारित शिक्षा/भौतिक चिकित्सा की सुविधा हेतु 1150 वीजिट किए गए तथा जिला के 30 स्कूलों में पढ़ रहे विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को भी शिक्षा/भौतिक चिकित्सा की सुविधा प्रदान करने हेतु 390 स्कूल भी विजिट किए गए।