पिछले कुछ हफ्तों से सीबीआई काफी हरकत में है जिससे विपक्ष बौखलाया हुआ है। सभी अपनी अपनी गोटियाँ बैठाने में लगे हैं। जहा सीबीआई का काम हाइ प्रोफ़ाइल मामलों की जांच कर उन्हे अंजाम तक पहुंचाना है वहीं जिनके खिलाफ जांच चल रही है वह सीबीआई निदेशक के पद पर अपना आदमी बैठाने की फिराक में हैं। सीजेआई रंजन गोगोई और खडगे प्रधान मंत्री मोदी के साथ विचार विमर्श कर अभी तक इस नतीजे तक नहीं पहुँच पाये हैं की अगला सीबीआई निदेशक कौन होगा?
शुक्रवार को सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन(सीबीआई) के नए निदेशक के नाम पर एक बार फिर से कोई फैसला नहीं हो सका. शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चयन समिति की बैठक तो हुई पर किसी एक नाम पर कोई सहमति नहीं बन पाई. शुक्रवार को लंबी बैठक के बाद किसी एक नाम पर न तो आम सहमति बन पाई और न ही 2-1 से फैसला ही हो पाया. पीएम मोदी, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगई और लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे सीबीआई के अगले निदेशक का फैसला करेंगे.
ऐसा कहा जा रहा है कि शुक्रवार को सेलेक्शन कमिटी ने पांच नाम तय किए थे. 1985 बैच के मध्यप्रदेश कैडर आईपीएस अधिकारी और मध्यप्रदेश के डीजीपी आर के शुक्ला, डीजी सीआरपीएफ राजीव राय भटनागर, यूपी के पूर्व डीजीपी और एनसीएफएस के डीजी जाविद अहमद, बीपीआर के डीजी एपी मेहश्वरी और सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर अरविंद कुमार के नाम पर चर्चा हुई, लेकिन किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पाई है. गौरतलब है कि सीबीआई के अगले डायरेक्टर के नाम पर बीते 24 जनवरी को भी बैठक हुई थी जो बेनतीजा रहा थी. बीते 10 जनवरी को आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाए जाने के बाद से ही यह पद खाली चल रहा है. वहीं पिछली बैठक टलने के बाद यह तय हो गया था कि देश की पहली महिला सीबीआई डायरेक्टर बनने की तमन्ना पाले बैठी रीना मित्रा अब इस रेस से बाहर हो जाएंगी. रीना मित्रा 31 जनवरी को रियाटर हो गईं. इसके बावजूद इस रेस में अब और कई हाई प्रोफाइल अधिकारियों का नाम जुड़ गया है.
10 जनवरी से पद खाली
1985 बैच के राजस्थान कैडर के आईपीएस अधिकारी और राजस्थान के पूर्व डीजीपी ओपी गल्होत्रा का नाम भी रेस में शामिल हो गया है. गल्होत्रा सीबीआई में 10 साल तक काम कर चुके हैं. हरियाणा कैडर के 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी और आईटीबीपी के डीजी एसएस देशवाल भी सीबीआई डायरेक्टर के रेस में शामिल हो गए हैं. इसके अलावा यूपी कैडर के 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी और वर्तमान में आरपीएफ के डीजी अरुण कुमार का भी नाम सीबीआई के अगले डायरेक्टर के रेस में लिया जाने लगा है. दरअसल, पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने ही बीते 10 जनवरी को आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटा दिया था, तब से यह पद खाली चल रहा है. सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा और सीबीआई के ही पूर्व स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना की लड़ाई के बाद सीबीआई चर्चा में आई थी. सीबीआई के नंबर वन और टू अधिकारी ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. जिसके बाद आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाकर दमकल सेवा महानिदेशक, नागरिक रक्षा और होम गार्ड्स का महानिदेशक बनाया गया था, जिसके बाद उन्होंने खुद इस्तीफा दे दिया था.
जानकारों का मानना है कि सरकार इस बार कोई मौका मोल नहीं लेना चाहती है. इसीलिए उन्होंने 12-18 अधिकारियों को शॉर्टलिस्ट किया गया है. जिन अधिकारियों को शॉर्टलिस्ट किया गया है, उनमें 1983 बैच से 1985 बैच के कुछ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शामिल हैं. गुजरात के डीजीपी शिवानंद झा, बीएसएफ के महानिदेशक रजनीकांत मिश्रा, सीआईएसएफ के महानिदेशक राजेश रंजन, एनआईए के डीजी वाईसी मोदी और मुंबई पुलिस आयुक्त सुबोध जायसवाल के नाम सीबीआई के फ्रंट रनर में पहले से ही शामिल चल रहा है. सरकार के सूत्रों का कहना है कि शिवानंद झा का सीबीआई डायरेक्टर बनने का चांस ज्यादा बन रहा है. एक तो झा पीएम के भी नजदीकी हैं और दूसरा 2021 में रिटायर भी होंगे. दूसरी तरफ कुछ वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि एनआईए के डीजी वाईसी मोदी इस पद के लिए एक और मजबूत दावेदार हैं. बीएसएफ के महानिदेशक आरके मिश्रा की दावेदारी से भी इनकार नहीं किया जा रहा है. सूत्रों का कहना है कि वह पीएम के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा की पहली पसंद हैं. मुंबई के पुलिस कमिश्नर सुबोध जायसवाल भी अपने आरएसएस लिंक के लिए जाने जाते हैं और वह भी इस पद के रेस में अब तक बने हुए हैं.
पांच आईपीएस अफसरों की दावेदारी
सीबीआई डायरेक्टर के लिए इसके अलावा जिन नामों को प्रमुखता से लिया जा रहा है, उनमें 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी और सीआईएसएफ के डीजी राजेश रंजन के साथ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के महानिदेशक राजीव राय भटनागर और रॉ के विशेष सचिव विवेक जौहरी का नाम भी प्रमुखता से लिया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूपी के पांच आईपीएस अफसरों की दावेदारी सामने आ रही है. यूपी के डीजीपी ओपी सिंह के अलावा डीजी रैंक के तीन आईपीएस अधिकारी इस समय केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं, जबकि एक अधिकारी यूपी में ही सेवाएं दे रहे हैं. बीएसएफ के डीजी रजनीकांत मिश्रा, एनआईसीएसएफ के डीजी जावीद अहमद, आरपीएफ के डीजी अरुण कुमार और यूपी में निदेशक सतर्कता हितेश चंद्र अवस्थी भी रेस में शामिल बताए जाते हैं.
बता दें कि हितेश चंद्र अवस्थी और जावीद अहमद के पास सीबीआई में काम करने का लंबा अनुभव है. जावीद अहमद तो यूपी के डीजीपी भी रह चुके हैं. अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री के अंतिम दिनों में जावीद अहमद यूपी के डीजीपी बने थे. पिछला यूपी विधानसभा का चुनाव जावीद अहमद के नेतृत्व में ही संपन्न हुआ था. बाद में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के कुछ महीनों के बाद अहमद का ट्रांसफर कर दिया गया. अवस्थी और जावीद अहमद का सीबीआई में 15-15 सालों का काम करने का तजूर्बा है. ये दोनों अधिकारी सीबीआई में एसपी से लेकर ज्वाइंट डायरेक्टर लेवल जैसे पदों पर काम कर चुके हैं.
बता दें कि तीन सदस्यीय चयन समिति चाहे तो किसी एक नाम पर सर्वसम्मति से फैसला कर निदेशक तय कर सकती है. अगर तीन सदस्यीय समिति में आम राय नहीं बन पाती है और तीनों की राय अलग-अलग होती है तो डीओपीटी से कहा जाता है कि कुछ और अधिकारियों के नामों को भेजे. साथ ही अगर दो सदस्यों की किसी एक नाम पर सहमति बन जाती है और तीसरा सदस्य दोनों सदस्यों की राय से इत्तेफाक नहीं रखता है तब भी यह फैसला 2-1 से माना जाता है. यानी किसी को हटाने और बनाने में दो सदस्यों की राय अहम होती है.