नए साल के तीसरे ही दिन पंजाब के गुरदासपुर में बड़ी रैली को संबोधित कर प्रधानमंत्री ने अब पूरी तरह से चुनावी मोड में आने का संकेत दे दिया है. मोदी किसानों के गढ़ में थे, नए साल में उनकी रैली के लिए पंजाब को चुना जाना अपने-आप में इस बात का संकेत है कि बीजेपी और सरकार के एजेंडे में किसान सबसे ऊपर हैं. तीन राज्यों में सरकार बनाने के बाद कांग्रेस ने किसानों की कर्जमाफी का ऐलान कर बढ़त लेने की कोशिश की है. लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी ने इस कर्जमाफी को भी छलावा बता दिया है.
रैली को संबोधित करना अपने-आप में बड़ा संकेत है
नए साल के पहले दिन न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटर्व्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने पंजाब सरकार पर किसानों की कर्ज माफ़ी को लेकर सवाल खड़ा किया था. अब इस बयान के दो दिन बाद प्रधानमंत्री खुद पंजाब की धरती पर हैं तो जाहिर है इस पर सियासत तो गरमाएगी ही. लेकिन, उनका पंजाब पहुंचना और वहां रैली को संबोधित करना अपने-आप में बड़ा संकेत है.
दरअसल, करतारपुर कॉरिडोर का शिलान्यास, 1984 के दंगों पर केंद्र सरकार की तरफ से बनाई गई एसआईटी और कई दूसरे फैसलों को लेकर अकाली दल औऱ बीजेपी की तरफ से धन्यवाद रैली का आयोजन किया गया है. चुनाव से पहले इन सभी मुद्दों पर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया जा सकता है जबकि, अकाली-बीजेपी गठबंधन इन सभी मुद्दों पर फायदा उठा सकता है. लिहाजा इस रैली का आयोजन किया गया है.
गुरदासपुर की रैली के पहले प्रधानमंत्री जालंधर में थे, जहां उन्होंने लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि अब ऐसा समय है जब हमें दुनिया का नेतृत्व करना चाहिए. हमें इस बात पर फोकस करना चाहिए कि कम कीमत में टेक्नालॉजी का प्रयोग खेती में कैसे किया जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि हमें केवल रिसर्च करने के लिए ही रिसर्च नहीं करनी है बल्कि ऐसी खोज करनी है जिससे पूरी दुनिया उसके पीछे चले.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 की लड़ाई के लिए अपने-आप को तैयार कर लिया है. उनकी तरफ से गुरदासपुर से ही 2019 का शंखनाद हो गया है. सूत्रों के मुताबिक, लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही मोदी देशभर में 20 राज्यों का दौरा कर लगभग 100 रैलियों या कई दूसरे कार्यक्रमों में शिरकत कर सकते हैं.
गुरदासपुर से हुई शुरुआत अब और रफ्तार पकड़ेगी. सूत्रों के मुताबिक, मोदी 3 जनवरी को जालंधर और गुरदासपुर के बाद 4 जनवरी को नॉर्थ-ईस्ट का दौरा करेंगे. इस दिन उनकी तरफ से मणिपुर और असम में दो रैलियों को संबोधित करने का कार्यक्रम है.
इसके बाद 5 जनवरी को झारखंड और ओडिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली का कार्यक्रम है. झारखंड में पलामू जिले के मेदिनीनगर में बड़ी रैली का कार्यक्रम है. जबकि, इसी दिन ओडीशा में भी बारीपदा में प्रधानमंत्री की रैली होगी. इसी महीने की 16 तारीख को फिर प्रधानमंत्री की ओडिशा में एक और रैली होगी. सूत्रों के मुताबिक, इसके अगले ही दिन 6 जनवरी को पश्चिमी यूपी के आगरा में प्रधानमंत्री मोदी की रैली होगी.
प्रधानमंत्री कार्यालय से बातचीत के बाद ही फाइनल किया जाएगा
जनवरी महीने में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में होंगे. सूत्रों के मुताबिक, 22 जनवरी को पीएम वाराणसी में रहेंगे. जबकि 24 जनवरी को प्रयागराज के कुंभ में वो शिरकत करेंगे. सूत्रों के मुताबिक, दूसरी रैलियों और कार्यक्रमों की तारीखों का ऐलान पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व, राज्य के नेतृत्व और प्रधानमंत्री कार्यालय से बातचीत के बाद ही फाइनल किया जाएगा.
लेकिन, मोदी ने चुनावी साल के पहले दिन ही सबसे पहले हर मुद्दे पर इंटर्व्यू के जरिए अपनी बात सामने रखकर जनता के बीच अपने पक्ष में एक माहौल बनाने की कोशिश कर दी है. अब अपनी रैलियों के माध्यम से इसी कोशिश को आगे बढ़ाने की तैयारी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव के ऐलान से पहले ही होने वाली इन रैलियों और कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी सरकार की पांच साल की उपलब्धियों का बखान करते नजर आएंगे. प्रधानमंत्री का पदभार संभालने के साथ ही मोदी ने पांच साल के काम के पाई-पाई का हिसाब देने की बात की थी, अब चुनावी साल में मोदी उसी हिसाब को देने की तैयारी कर रहे हैं.
हालांकि, पिछले कई महीनों से अपने कार्यक्रम के दौरान उनकी तरफ से अपनी सरकार के कार्यकाल में हुए कामों और पहले की यूपीए सरकार के कामों की तुलना कर यह दिखाने का प्रयास किया जा रहा है कि इन पांच सालों में कितना बदलाव आया है, लेकिन अब चुनाव से ठीक पहले गुरदासपुर से ऐसी शुरुआत कर मोदी ने 2019 के महासमर का शंखनाद कर दिया है.