संत निरंकारी पब्लिक स्कूल के पास स्थित एक कैमिकल फैक्ट्री में भीषण आग

 

नई दिल्ली,29 मई। राजधानी दिल्ली के मालवीय नगर में मंगलवार शाम संत निरंकारी पब्लिक स्कूल के पास स्थित एक कैमिकल फैक्ट्री में भीषण आग लग गई। आग इतनी भीषण है की आसमान में काफी दूर तक चारों ओर काला धुआं छाया हुआ है। आग पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है।

दमकल विभाग के सूत्रों ने बताया कि आग लगने की सूचना मिलते ही दमकल की करीब 25 गाड़ियां मौके पर भेजी गई हैं। आग लगने के कारणों का फिलहाल कुछ पता नहीं चल सका है।

वहीं आग लगने की सूचना मिलते ही पुलिस भी मौके पर पहुंच गई है। घटनास्थल के आसपास के इलाके को खाली करा लिया गया है।

आग से किसी जान-माल के नुकसान की अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। आग को देखते हुए माना जा रहा है कि आग काफी भीषण है औऱ इससे काफी नुकसान की संभावना है।

छात्र संघ चुनाव शीघ्र हों: दीपांशु बंसल

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस छात्र संगठन एनएसयूआई हरियाणा के प्रदेश मीडिया प्रभारी व एवीएसएसओ के प्रवक्ता दीपांशु बंसल ने कहा कि भाजपा सरकार ने लगभग 3 माह पूर्व हरियाणा में छात्र संघ चुनाव बहाल करने की घोषणा की थी जबकि 3 माह बीतने के बाद भी न तिथि की घोषणा की गई व नाही बजट का आवंटन किया गया जोकि भाजपा सरकार की मंशा पर सवालिया निशान खड़ा करता है। विश्वविद्यालयों के वार्षिक कलेंडर जारी हो चुके है परन्तु उनमे चुनावो की तिथि निश्चित नहीं हुई न ही कोई तारीख दी गई है।बंसल ने कहा कि छात्र संघ चुनावो के लिए विश्वविद्यालयो के पास किसी प्रकार का बजट नही होता, राज्य सरकार बजट उपलब्ध करवाती है जबकि सरकार ने बजट में छात्र संघ चुनावो हेतु आवंटन तक नही किया। प्रदेश सरकार अपनी जिम्मेवारी से हटकर छात्रो के हितों से कुठाराघात करने का निंदनीय कार्य कर रही है। भाजपा सरकार ने अपने चुनावी वायदों में छात्र संघ चुनाव कराने का वायदा किया था जोकि खोखला साबित हो चुका है। साढ़े 3 साल बीतने के बाद भी सरकार ने चुनाव नही करवाए, व यदि इस सत्र चुनाव न हुए तो अगले साल लोकसभा व विधानसभा चुनावों का बहाना देकर भाजपा द्वारा छात्रो को गुमराह करने का काम किया जाएगा।प्रदेश के छात्रो में सरकार के प्रति भारी रोष है।वही, भाजपा के छात्र संगठन एबीवीपी द्वारा भी छात्र संघ चुनावो के लिए ढोंग रचा गया था जिसमे मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाना सद्बुद्धि के लिए यज्ञ करना आदि था जोकि जुमला साबित हुआ। इनेलो ने हमेशा से छात्रो को छात्र संघ चुनावो के नाम पर वोटें बटोरने का काम किया जबकि जब चुनाव बन्द हुए थे उसके बाद इनेलो की सरकार थी यदि वह चाहते तो तभी चुनाव बहाल कर सकते थे, इनसो दोहरी राजनीति करने का काम करती है जिस कारण छात्रो ने दिल्ली व पंजाब विश्वविद्यालयों के चुनावों में नकारा था व एनएसयूआई को विजयी बनाया। पंजाब में कांग्रेस की सरकार आते ही एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष फिरोज खान के प्रयासों से प्रदेश में छात्र संघ चुनाव बहाल हुए ।दीपांशु बंसल ने सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि न तो आज तक सरकार ने कोई ऐसा बजट दिया और न ही सरकार ने इस पर कोई चर्चा की यदि सरकार ने कोई बजट जारी किया है तो व तिथि निश्चित करी है तो सरकार उसका श्वेत पत्र जारी करे। सन 1996 में भाजपा व हविपा की सरकार ने ही छात्र संघ चुनावो को बंद किया था व 2014 के चुनावों में छात्र संघ चुनावो के नाम पर छात्रो से वोटे बटोरने का काम किया। मीडिया प्रभारी, एनएसयूआई हरियाणा दीपांशु ने कहा कि पूरे प्रदेश के हर विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों में एनएसयूआई हरियाणा की प्रदेशाध्यक्ष दिव्यांशु बुद्बिराजा के नेतृत्व में लहर है व एनएसयूआई निरन्तर छात्रो की आवाज को उठाती रही है । यदि भाजपा सरकार ने छात्र संघ चुनावों की तिथि की घोषणा नही की तो एनएसयूआई पूरे प्रदेश में सरकार का विरोध करेगी।

सीपीएम के नेता की अगुआई में दलित की ऑनर किलिंग

केविन की हत्या की खबर सोमवार को सुर्खियों में बनी रही. चेंगन्नूर में भारी मतदान भी हुआ. अब 31 मई को मतगणना है. इसी से पता चलेगा कि क्या केविन की हत्या ने उप-चुनाव पर असर डाला?

 

केरल की सत्ताधारी लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) सरकार के लिए यह घटना कितनी बदतर हो सकती है, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है. वह भी तब, जब इसका खुलासा चेंगन्नूर के महत्वपूर्ण

उप-चुनाव के दिन हुआ. इस उप-चुनाव को पिनाराई विजयन सरकार के दो साल के शासन के जनमत संग्रह के रूप में प्रचारित किया गया है. जाहिर है, ये सरकार के लिए एक जोर का झटका ही माना जाएगा.

23 साल के एक दलित लड़के केविन पी जोसेफ को रविवार को ‘ऑनर किलिंग’ के नाम पर, कथित तौर पर एक समृद्ध ईसाई परिवार की लड़की से शादी करने के लिए मार डाला गया था.

सत्तारूढ़ मोर्चे के लिए शर्मिंदगी की बात यह है कि जिस गिरोह ने केविन का अपहरण किया और बाद में हत्या कर दी, उसकी अगुआई नियास कर रहा था. नियास सीपीआई (एम) के यूथ विंग, डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) का सेक्रेटरी है. इस तथ्य की पुष्टि राज्य पुलिस द्वारा कर दी गई है. एक अन्य सदस्य ई शान, जो पहले से ही पुलिस हिरासत में है, भी डीवाईएफआई कार्यकर्ता माना जा रहा है.

माना जाता है कि ये अपराध उस लड़की के भाई की तरफ से किया गया है, जिसके साथ केविन पहले गायब हुआ और बाद में शादी कर ली थी. केविन का मृत शरीर सोमवार सुबह राज्य की राजधानी के करीब थेनमाला के चलियाकारा नहर से बरामद किया गया था. शुरुआती रिपोर्टों के मुताबिक, उसकी आंखें निकाल ली गई थी और गर्दन पर गहरे घाव के निशान थे.

उत्तर भारत के कई ग्रामीण हिस्सों में प्रायः ऑनर किलिंग जैसे भयानक अपराध की खबरें आती रहती है. लेकिन, केरल जैसे साक्षर राज्य में घटी ऐसी घटना ने न केवल एक साक्षर समाज को चौंका दिया है, बल्कि सत्तारूढ़ सीपीएम को भी शर्मिंदा होने पर मजबूर कर दिया है, जो खुद को दलितों की आवाज मानती है.

प्रख्यात दलित कार्यकर्ता ध्याणा रमन नेबताया, ‘यह जातीय हत्या का एक बहुत ही गंभीर मामला है. हमारे पास यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि लड़की का परिवार उसे हर कीमत पर वापस लाना चाहता था और स्थानीय डीवाईएफआई नेताओं/कार्यकर्ताओं ने मदद की. इस हत्या के राजनीतिक पक्ष है जो कि जाति आधारित राजनीति है. केविन एक शेड्यूल कास्ट का लड़का है और वास्तविकता यह है कि केरल में वामपंथी प्रगतिशील संगठन भी अब इस तरह के विवाह के खिलाफ हैं. यह एक दुखद सच्चाई है.’

अन्य गैर-दलित कार्यकर्ताओं की बातें भी ध्याणा के शब्दों को मजबूत देती हैं. इससे यह भी लगता है कि केरल में वामपंथी सरकार कैसे मूलभूत नीतियों का क्षरण कर रही है, जिससे इस तरह की प्रवृत्ति केरल जैसे प्रगतिशील राज्य में देखने को मिल रही है.

मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता पोरान ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया कि यह साक्षर केरल के चेहरे पर एक जबरदस्त तमाचा है. लेकिन यह अपेक्षित था, क्योंकि जब वामपंथी, जो इस तरह की बुराइयों पर पहले निगरानी रखते थे वहीं अब कॉरपोरेट के पिछलग्गू बन गए और अपनी मूल नीतियों से भटक जाएं तो केरल के समाज में भी क्षरण तो आना ही था. इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है.

केरल में सत्तारूढ़ दल के लिए स्थिति खराब करने में राज्य पुलिस की भी भूमिका रही. रविवार की सुबह केविन की पत्नी नीनू चाको को जब अपने पति के अपहरण की खबर अपने चचेरे भाई अनिश से मिली तो वो कोट्टयम के गांधी नगर पुलिस स्टेशन गई.

नीनू को केविक ने पहले ही एक छात्रावास में डाल दिया था. ये काम उसने तब किया जब उसे शादी के बाद, तीन दिन से लगातार नीनू के परिवार की तरफ से गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी मिल रही थी. शनिवार की रात को नीनू के भाई शानू चाको, डीवाईएफआई नेता नियास की अगुआई में दस लोगों ने केविन के घर पर हमला कर दिया और उसका अपहरण कर लिया था.

रविवार को पुलिस थाने के बाहर नीनू ने मीडिया को बताया,’मैं रविवार सुबह से पुलिस स्टेशन में इंतजार कर रही थी, लेकिन पुलिसकर्मी मेरी शिकायत को ले कर गंभीर नहीं थे. वे शुरू में मेरी शिकायत दर्ज करने के लिए तैयार नहीं थे. उन्होंने कहा कि चूंकि मुख्यमंत्री एक समारोह के लिए शहर में हैं, इसलिए वे उनकी सुरक्षा में व्यस्त हैं और मेरी शिकायत बाद में लेंगे.’

जब कुछ दलित संगठन पुलिस थाना पहुंचे और मीडिया ने रिपोर्ट करना शुरू किया, तब जा कर गांधी नगर पुलिस स्टेशन के उप निरीक्षक ने काम करना शुरू किया. लेकिन तब तक समय बीत रहा था और केविन को बचाया नहीं जा सका.

अपहरणकर्ता राज्य के तीन जिलों से गुजर सकते थे. चेंगान्नूर में उप-चुनाव की वजह से सुरक्षा कड़ी थी. ऐसे में पुलिस को अपहरणकर्ताओं के बारे में निश्चित जानकारी रही होगी, लेकिन पुलिस ने झूठ बोलने का काम किया.

केविन के परिवार के पास यह मानने का एक और कारण है कि पुलिस हत्यारों के साथ मिली है. केविन के पिता का दावा है कि स्थानीय पुलिस खतरे से अवगत थी, क्योंकि केविन की शादी के बाद दोनों परिवारों को, लड़की वाले के परिवार की शिकायत के बाद पुलिस थाने बुलाया गया था.

पुलिस थाने में और उसके बाद केविन के घर से भी जबरन नीनू को ले जाने का प्रयास भी किया गया था. इसके बावजूद पुलिस ने कुछ भी नहीं किया. केविन के परिवार का दावा है कि लड़की के परिवार और पुलिस के बीच मिलीभगत है. अपहरण के बाद केविन के पिता ने पुलिस को उस वाहन की पंजीकरण संख्या, जिसमें केविन का अपहरण किया गया था और नीनू के भाई का फोन नंबर भी दिया. लेकिन पुलिस ने केविन को बचाने के लिए कुछ नहीं किया.

यह भी आरोप है कि गांधी नगर स्टेशन के निरीक्षक ने खुद फोन पर नीनू के भाई से बात की थी. नीनू के भाई ने कहा था कि अगर केविन चाहिए तो पहले लड़की को घर लौटना होगा. अपहरणकर्ताओं की तलाश करने के बजाए पुलिस ने एक वार्ताकार की भूमिका निभाई. नतीजतन, एक युवा असमय मौत का शिकार हो गया.

सेवानिवृत्त पुलिस अधीक्षक सुभाष बाबू ने कहा,’यह कर्तव्य के अपमान का एक स्पष्ट मामला है. जब अपहरण जैसे गंभीर संज्ञेय अपराध की सूचना दी जाती है तो पुलिस का काम सीधे एक्शन लेना होता है, पुलिस को चाहिए था कि वो राज्य की पुलिस को सतर्क करती. तुरंत कार्रवाई करना था. शायद लड़का बचाया जा सकता था. गांधीनगर पुलिसकर्मियों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.’

गांधीनगर पुलिस स्टेशन के उप निरीक्षक और सहायक उप निरीक्षक को निलंबित कर दिया गया है और कोट्टायम पुलिस अधीक्षक को स्थानांतरित कर दिया गया है. लेकिन राज्य भर में बड़े पैमाने पर शुरू हो रहे विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए यह शायद ही पर्याप्त हो.

कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ और बीजेपी ने मंगलवार को कोट्टायम जिले में हड़ताल की घोषणा की है. दोनों मोर्चों ने मांग की है कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, जिनके पास गृह विभाग भी है, को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए.

गांधीनगर पुलिस स्टेशन के बाहर सोमवार को कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने विरोध प्रदर्शन किया था. विपक्षी नेता रमेश चेन्निथला ने मीडिया से कहा, ‘मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बार-बार साबित किया है कि वह गृह विभाग के लिए पूरी तरह से मिसफिट है. उन्हें इस्तीफा देना चाहिए और ये विभाग ऐसे व्यक्ति को दे जो इसे चलाने में सक्षम हो. अन्यथा केरल की कानून और व्यवस्था और बदतर हो जाएगी.’

बहुत से लोग कहते हैं कि ऐसी घटनाओं को रोकने में पुलिस की विफलता असल में पक्षपातपूर्ण निष्क्रियता की वजह से तो है ही, बल्कि पुलिस बल का भारी राजनीतिकरण भी हो चुका है. ऐसा मानने के कई ठोस कारण भी हैं. यह कोई पहला मामला नहीं है, जिसमें राजनीतिक संलिप्तता इतनी स्पष्ट है. एक महीने पहले वारापुझा में श्रीजिथ की पुलिस हिरासत में मौत हुई थी. उसमें भी राजनीतिक हस्तक्षेप स्पष्ट था. एर्नाकुलम डीवाईएसपी की भूमिका तब सामने आई थी. सत्तारूढ़ दल के एक वरिष्ठ जिला नेता के आदेश पर ही श्रीजिथ की गिरफ्तारी हुई थी. ये चर्चा शहर में तब आम थी.

ध्याणा रमन कहती हैं,’आप में से कई ने सीधे इसका सामना नहीं किया होगा. लेकिन हम केरल के पुलिस स्टेशनों में रोजाना ऐसी घटनाओं से दो-चार होते है, जहां पार्टी कार्यकर्ताओं के एक फोन कॉल पर दलितों और अन्य के खिलाफ पुलिस वाले मामला दर्ज कर लेते हैं. स्थानीय सीपीएम नेताओं के साथ पुलिस वालों की मिलिभगत इतनी अधिक है कि जब तक आपको उनका समर्थन नहीं है, तब तक आप कुछ भी नहीं कर सकते हैं.’

उनके शब्दों को पिछले महीने लीक हुई एक खुफिया रिपोर्ट से और मजबूती मिलती है. डीजीपी को राज्य की पुलिस खुफिया प्रमुख द्वारा भेजी गई एक रिपोर्ट बताती है कि 2016 में वामपंथी सरकार आने के बाद से केरल पुलिस का जबरदस्त तरीके से राजनीतिकरण किया गया है.

रिपोर्ट में पुलिस एसोसिएशन की बैठकों के दौरान, पुलिस वालों द्वारा अक्सर राजनीतिक नारे लगाने और शहीदों के कॉलम को लाल रंग से रंगने के प्रयास करने जैसी बढ़ती प्रवृत्ति के बारे में बात की गई है.

ये चिंता तब और अधिक बढ़ गई जब पुलिस एसोसिएशन के राज्य सम्मेलन के दौरान उत्तरी केरल, सीपीएम का गढ़, से आने वाले 50 अधिकारी लाल रंग की कमीज पहन कर पहुंचे. वे पुलिस अधिकारी कम सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ता अधिक लग रहे थे.

सीआर नीलकंदन, प्रसिद्ध अधिकार कार्यकर्ता और आम आदमी पार्टी के राज्य संयोजक, ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया, ‘यह कोई रहस्य नहीं है. राज्य पुलिस का एक बड़ा हिस्सा (लेफ्ट) पार्टी से सहानुभूति रखता है. ऐसी परिस्थितियों में जब पार्टी कार्यकर्ता पुलिस से एक खास लाइन लेने को कहते हैं तो क्या वे ऐसा नहीं करेंगे? यही कारण है कि केविन की खोज में देरी हुई, क्योंकि पुलिसकर्मी जानते थे कि इसके पीछे कौन है. अन्यथा लड़की के भाई से फोन पर बात करने के बाद भी, पुलिस ने उन्हें पकड़ने के लिए कार्रवाई क्यों नहीं की? ये एक स्पष्ट मिलीभगत है.’

इस बीच वरिष्ठ पुलिस अधिकारी चिंतित हैं और कहते हैं कि राज्य के विभिन्न स्टेशनों में तैनात औसत पुलिस अधिकारी सत्तारूढ़ राजनीतिक वर्ग के दबाव से जबरदस्त तनाव में हैं. दूसरी तरफ उन्हें कानून का भी पालन करना है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘केविन केस में सब इंस्पेक्टर ने गलत विकल्प चुना और उसे अपनी नौकरी खोकर इसकी कीमत चुकानी पड़ी. लेकिन वामपंथी सत्ता के आने के बाद से युवा अधिकारियों को इस सब का सामना करना पड़ रहा है. यह पुलिस बल को एक बहुत ही खतरनाक रास्ते पर ले जा रहा है.’

इस बीच, सीपीएम ने इस अपराध में अपने किसी भी कैडर या डीवाईएफआई की भागीदारी के दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है. सीपीएम विधायक एएन शमशीर ने मीडिया से कहा, ‘यह एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण ऑनर किलिंग है. केरल जैसे राज्य में ये नहीं होना चाहिए था. जहां तक हम जानते हैं कि हत्या में लड़की का परिवार शामिल है और उनकी राजनीतिक निष्ठा का यहां कोई मतलब नहीं है. पार्टी दोषी पाए गए किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करेगी.’

इस बीच राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने केविन की हत्या पर राज्य पुलिस से एक रिपोर्ट मांगी है और आयोग के अध्यक्ष जल्द ही स्थिति का जायजा लेने के लिए राज्य का दौरा करेंगे.

केविन की हत्या की खबर सोमवार को सुर्खियों में बनी रही. चेंगन्नूर में भारी मतदान भी हुआ. अब 31 मई को मतगणना है. इसी से पता चलेगा कि क्या केविन की हत्या ने उप-चुनाव पर असर डाला?

दादा के आर एस एस के न्योते को स्वीकारने पर कांग्रेसी रार

पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता स्वीकार करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। कांग्रेस के एक नेता द्वारा सवाल खड़ा करने और मीडिया में इसके सुर्खियों में आने के बाद अब बीजेपी ने इस पर करारा जवाब दिया है। संघ से लंबे समय से जुड़े रहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी ने कहा कि क्या RSSकोई पाकिस्तानी संगठन है, जो इस तरह मामले को उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ‘लोग तो दारू की दुकान पर जाते हैं, लेडीज बार में जाते हैं। ऐसे में अगर पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में जा रहे हैं तो इसे कोई मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए।’

उन्होंने कहा कि राजनीतिक अस्पृश्यता अच्छी बात नहीं है। आरएसएसके कार्यक्रम में जाने को लेकर टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए। उधर, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मैं इस मामले पर कुछ नहीं कहूंगा लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि उस (आरएसएस) विचारधारा से देश को बचना चाहिए। इससे पहले कांग्रेस के नेता संदीप दीक्षित ने कहा था कि जो आरएसएस के खिलाफ विचार रखते थे अब वह उनके ही कार्यक्रम में जाने को तैयार हो गए हैं, ऐसे में वह क्या कहते हैं, देखना दिलचस्प होगा।

 

दीक्षित ने आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘प्रणव मुखर्जी सांप्रदायिकता और हिंसा को लेकर आरएसएस की भूमिका पर पहले सवाल उठा चुके हैं। RSS को ये बातें पता होंगी। अगर उन्हें संघ अपने कार्यक्रम में बुला रहा है तो क्या प्रणव मुखर्जी ने अपनी विचारधारा बदली है या RSS में कोई स्वाभिमान नहीं बचा है।’

Iपूर्व राष्ट्रपति पनब मुखर्जी 

उधर, बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा कि ‘पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी RSS के कार्यों की प्रशंसा कर चुकी हैं। पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी संघ को पर्याप्त सम्मान देते थे। आज दुनिया के कोने-कोने में आरएसएस को अलग पहचान मिली है। प्रणव वहां जाकर क्या बोलते हैं यह देखना होगा।’ स्वामी ने कहा कि जब परिस्थितयां बदलती हैं तो लोगों का नजरिया भी बदलता है। लाल बहादुर शास्त्री ने भी आरएसएस को महत्व दिया था। आज कांग्रेस का पतन हो रहा है तो मुझे लगता है कि प्रणव मुखर्जी को देश की चिंता है।

 इस बीच, आधिकारिक रूप से कांग्रेस पार्टी ने मामले से दूरी बनाते हुए कहा है कि यह सवाल पार्टी से नहीं बल्कि प्रणव मुखर्जी से पूछा जाना चाहिए कि वह संघ के कार्यक्रम में क्यों शामिल हो रहे हैं। कहा गया है कि यह फैसला प्रणव मुखर्जी का है, कांग्रेस पार्टी का नहीं।

आपको बता दें कि कांग्रेस से लंबे समय से जुड़े रहे पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने 7 जून को नागपुर में संघ के भावी ‘प्रचारकों’ के सामने राष्ट्रवाद पर व्याख्यान देने का न्योता स्वीकार कर लिया है। वह नागपुर में आरएसएस के उन कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे, जिन्होंने संघ के शैक्षिक पाठ्यक्रम का तृतीय शिक्षा वर्ग पास किया है। यह ट्रेनिंग पास करने वाले ही आगे चलकर पूर्णकालिक प्रचारक बनते हैं।

उत्तर प्रदेश के एटीएस हेडक्वॉर्टर में तैनात अपर पुलिस अधीक्षक राजेश साहनी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत

उत्तर प्रदेश के एटीएस हेडक्वॉर्टर में तैनात अपर पुलिस अधीक्षक राजेश साहनी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। हालांकि विभाग के उच्चाधिकारियों का कहना है कि उन्होंने आत्महत्या की है। उनका शव मंगलवार दोपहर एटीएस के हेडक्वॉर्टर में उनके कमरे में मिला। सूचना मिलने पर सभी आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं।

राजेश साहनी की मौत की खबर से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। हालांकि मौके पर पहुंचे एडीजी लॉ ऐंड ऑर्डर आनंद कुमार ने बताया कि राजेश साहनी ने अपने ऑफिशल रिवॉल्वर से खुद को गोली मारी है। उन्होंने आत्महत्या क्यों की यह अभी तक पता नहीं चल पाया है।

1992 बैच के पीपीएस सेवा में चुने गए राजेश साहनी 2013 में अपर पुलिस अधीक्षक बने थे। वह मूलतः बिहार के पटना के रहने वाले थे। 1969 में जन्मे राजेश साहनी ने एमए राजनीति शास्त्र से किया था। राजेश साहनी ने बीते सप्ताह आईएसआई एजेंट की गिरफ्तारी समेत कई बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया था। 

राजेश साहनी की गिनती तेज तर्रार अधिकारियों में होती है। उन्होंने कई आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था। वह एटीएस में एएसपी के पद पर तैनात थे। गोमती नगर स्थित हेडक्वॉर्टर में उनका ऑफिस था। सूत्रों ने बताया कि साहनी मंगलवार को छुट्टी पर थे लेकिन वह फिर भी ऑफिस आए।

इस मामले पर यूपी पुलिस के डीजीपी ओपी सिंह ने कहा, ‘हमें बताते हुए अत्यधिक कष्ट हो रहा है कि राजेश साहनी (एएसपी एटीएस) नहीं रहे। वह यूपी पुलिस के सबसे काबिल ऑफिसर्स में से एक थे। उनकी आत्महत्या के कारणों के बारे में अभी तक पता नहीं चल पाया है। हमारी प्रार्थना उनके परिवार के साथ हैं। उनकी आत्मा को शांति मिले।’

Agam Bhullar scored 98%

Agam Bhullar of British School sector 12 topped in Panchkula by scoring 98% marks in 10th class of CBSE board

 

कांग्रेस एक थोथा चना बाजे घना: विज

 

चंडीगढ़ : 29 मई, 2018

स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कांग्रेस नेताओं पर प्रहार करते हुए कहा कि कांग्रेस में अब मुख्यमंत्री प्रोजैक्ट होने की होड़ लग गई है। विज ने कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुर्जेवाला द्वारा दिए गए उस बयान पर कि मोदी का विजय रथ रुक गया है और 2019 तक फीका पड़ जाएगा पर टिप्पणी करते हुए कहा कि थोथा चना बाजे घना।

विज ने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेसी नेता बिना मुर्गी के अंडा खाने की कोशिश कर रहे हैं और उनके पास बयानबाजी के सिवाय कुछ नहीं है। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर पर पलटवार करते हुए विज ने कहा कि भाजपा के राज में देश भी बचा हुआ है और संविधान भी बचा है और संविधान को तार-तार तो बार-बार कांग्रेस पार्टी ने ही किया है।

लोगों को आज तक याद है कि एमरजैंसी के दौरान कांग्रेस ने लाखों लोगों को जेलों में कैसे ठूसा था, लोगों को आज भी याद है कि किस तरह समाचार पत्रों पर प्रतिबंद लगाया गया था?, कैसे उनकी बिल्डिंगों को तोड़ा गया था? लोग सब जानते हैं, वो भूले नहीं हैं। लोग जानते हैं प्रजातंत्र की हत्यारी पार्टी कांग्रेस ही है।

स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के भाजपा पर उनके विधायक तोडऩे के बयान पर विज ने कहा कि ये जो आप नाम की पार्टी है, ये दिल्ली में पूरी तरह से बेनकाब हो चुकी है, ऐसा कोई आरोप नहीं जो इनके विधायकों पर न लगा हो और कोई ऐसा कुकर्म नहीं, जो इनके विधायकों ने न किया हो, जनता यह सब जान चुकी है कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चलती, ऐसी बहुत सी बातें हो गई और उसके नतीजे भी दिल्ली की जनता देख चुकी है।

दंगल गर्ल पहलवान बबीता फौगाट के उस बयान कि राष्ट्रमंडल खेलों में पदक विजेता खिलाड़ी सरकार से ईनामी राशि न मिलने के कारण जकार्ता में होने वाली एशियन गेम्स का भी बहिष्कार कर सकते हैं। इस पर खेल मंत्री अनिल विज ने अपने कड़े तेवर दिखाते हुए कहा कि जो भी नियम के तहत होता है, वही किया जाएगा, नियम से बाहर जाकर वह भी कुछ नहीं कर सकते। विज ने कहा कि वह इनको नियमों में परिवर्तन करके जो दे रहे थे, जिसे पदक विजेताओं ने लेने से इंकार कर दिया।

कैथल में भाजपा को लगा झटका , कांग्रेस समर्थित सीमा कश्यप के सिर सजा चैयरमैनी का ताज

 

नगर परिषद कैथल के चुनाव में कांग्रेस समर्थित सीमा कश्यप के सिर सजा चैयरमैनी का ताज सीमा कश्यप को मिले 19 वोट व भाजपा समर्थित पूजा अग्रवाल 14 वोट भाजपाइयों के चेहरे फिर मुरझाए कांग्रेसियों के खिले, रणदीप सुरजेवाला की कोठी पर जश्न का माहौल

Neerja Bhanot Hall inagurated

The Punjab Governor and Administrator, Union Territory, Chandigarh, Shri V.P. Singh Badnore addressing at the inauguration of “Neerja Bhanot Hall” at Panjab University, Sector-25, Chandigarh on Tuesday, May 29, 2018.

 

The Punjab Governor and Administrator, Union Territory, Chandigarh, Shri V.P. Singh Badnore along with Smt. Kirron Kher, Member of Parliament, Chandigarh and the Adviser to the Administrator, UT Chandigarh, Shri Parimal Rai inaugurating the “Neerja Bhanot Hall” at Panjab University, Sector-25, Chandigarh on Tuesday, May 29, 2018.

The Punjab Governor and Administrator, Union Territory, Chandigarh, Shri V.P. Singh Badnore along with Smt. Kirron Kher, Member of Parliament, Chandigarh and the Adviser to the Administrator, UT Chandigarh, Shri Parimal Rai inaugurating the “Neerja Bhanot Hostel” at Panjab University, Sector-25, Chandigarh on Tuesday, May 29, 2018.

चंडीगढ़ नाटक अकेडमी की प्रस्तुती आज

चंडीगढ़ : 29 मई, 2018

आज सायं टैगोर थिएटर में ‘चंडीगढ़ संगीत नाटक अकेडमी’ द्वारा प्रस्तुति दी जायेगी.

आज शहर के 9 सरकारी स्कूलों में लगाईं गयी विभिन्न कार्यशालाओं में प्रशिक्षित बच्चे प्रस्तुती देंगे.