नेशनल हेराल्ड (AJL) केस हुड्डा साहब और कांग्रेस के खिलाफ पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है, कल हुई चार्जशीट छलावा, विशेषज्ञों अनुसार केस में कोई दम नहीं औंधे मुंह गिरना है। बस हुड्डा को बदनाम करने की साजिश भर है ताकि राजनीतिक फायदा उठाया जा सके।
आइये आपको पूरा विवरण देता हूँ, 1982 में नेशनल हेराल्ड को huda द्वारा 2 लाख में प्लॉट अलॉट किया गया उस पर वर्क न होने के कारण रिज्यूम हो गया जिसे चौ.भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में 2005 में 2 लाख के प्लॉट पर 57 लाख रुपए ब्याज और पेनेल्टी जोड़कर 59 लाख रुपए में रिस्टोर किया गया। जो सिर्फ नेशनल हेराल्ड को नहीं इंडियन एक्सप्रेस, दैनिक जागरण, पंजाब केसरी, अमर उजाला आदि के भी रिज्यूम प्लॉट रिस्टोर किए गए। मेरा सवाल- क्यों सिर्फ नेशनल हेराल्ड को टारगेट किया गया बाकी क्यों नहीं, जबकि सिर्फ नेशनल हेराल्ड आजादी से पहले का अखबार है जो क्रांतिकारियों की आवाज उठाता था जिसका जंग-ए-आजादी में अहम योगदान है। ऐसे अखबार को तो फ्री में प्लॉट अलॉट किया जाए तब भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए पर हुडा ने तो ब्याज, पेनेल्टी जोड़कर रिस्टोर किया था, जबकि 1982 में हुए अलॉट के बाद जो उस समय अलॉट राशि दो लाख हुडा को दी थी वो भी वापिस नहीं हुई थी, तब कि हुडा के खाते में पड़ी थी। इसमें नियम क़ायदों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ, हुडा के फाइनांशियल एडवाइजर ने जो नियमों के हिसाब से पेनेल्टी और ब्याज जोड़कर राशि ली। तो फिर केस किस बात का…. दूसरा हुडा में एक प्रावधान है अगर ऑथोरिटी को कोई केलकुलेशन करने में गड़बड़ी हुई है घाटा हुआ है तो उस पार्टी को नोटिस दिया जाता है कि इतने रुपये और जमा कराएँ नहीं तो आपका प्लॉट रिज्यूम हो जाएगा, पर वो भी ऑप्शन नहीं दिया मोती लाल वोहरा जी तैयार थे जमा कराने के लिए।
ये प्लॉट हुड्डा द्वारा रिस्टोर किया गया जोकि मुख्यमंत्रियों के अधिकार क्षेत्र में आता है हर मुख्यमंत्री ने प्लॉट रिस्टोर कर रखे हैं चाहे वह चौ.भजनलाल हो, चौ.बंसीलाल हो या चौ.ओमप्रकाश चौटाला। यहाँ तक सुनने में आ रहा है अभी बीजेपी सरकार में फरीदाबाद में प्लॉट रिस्टोर हुए हैं तो फिर सिर्फ चौ.भूपेंद्र हुड्डा पर केस क्यों? सभी मुख्यमंत्रियों की सीबीआई जांच कराओ। इनेलो राज में जनसंदेश नामक अखबार को प्लॉट अलॉट किया गया जो अखबार चला नहीं उस बिल्डिंग को आज किराये पर दे रखा है उसको भी खारिज या निरस्त नहीं करती बीजेपी सरकार ना ही जांच कराती।
वास्तव में नेशनल हेराल्ड (AJL) मामला भी जांच का विषय था ही नहीं सिर्फ चौ.भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस की लोकप्रियता से घबराकर ऐसे ओच्छे हथकंडे अपनाए जा रहे हैं जनता को गुमराह करने के लिए, जबकि अंतिम निर्णय में तो इस का परिणाम शून्य ही रहना है कानून विशेषज्ञों अनुसार। फिर भी बीजेपी सरकार पहले से राजनीतिक साजिश के तहत चल रहे मुकदमे को हाईलाइट करने के लिए कभी राज्यपाल से परमिशन दिलवाती कभी कुछ और करती है। देश में वर्तमान शासक बेहद तुच्छ राजनीति कर रहे हैं जो काम करने की बजाय मजबूत विरोधियों को बदनाम कर सत्ता में बने रहना चाहते हैं इतिहास में हरियाणा ही नहीं देश मे भी राजनीति का इतना स्तर कभी नहीं गिरा। जो बेहद अफसोसजनक है।