The Passing Out Parade of the 18th & 19th batch

 

Chandigarh 18th December, 2018:

The Passing Out Parade of the 18th & 19th batch of 61 recruit constables (48 Males, 13 Females) was held at the Parade grounds, Police lines, Sector-26, Chandigarh. Sanjay Baniwal, IPS, Director General of Police, U.T. Chandigarh took the salute.

Nilambari Jagadale, IPS, SSP-UT & Training, Chandigarh welcomed Worthy Director General of Police, U.T., Chandigarh and presented a report about the training of recruits. SSP/UT stated that these constables were provided adequate exposure in the fields of Criminal law, Medical Jurisprudence, VIP Security, Human Rights, etc. They have also been imparted training in Mob Control, Weapon handling, Yoga, P.T. and Parade. Special workshops on topics like Cyber Crime, Bank Frauds and Gender sensitization, etc. were also held.  Satish Kumar, DANIPS, Dy.S.P/Lines and Principal, Recruit Training Centre, Chandigarh, administered oath to these young recruits. After passing out, these recruits will undergo a commando training course.

Sanjay Baniwal, IPS, Director General of Police, U.T. Chandigarh, in his official address appreciated the hard work put in by these recruits during their training and given best wishes to the newly recruited constables in Chandigarh Police.

Also, out of these 61 constables, Ct. Naresh Kumar, 6657/IRB, Ct. Shubham, 1372/CP stood All-Round 1st and C. Manjit Singh, 2426/CP, L/C Savita, 1344/CP stood All-Round 2nd in their respective batches.  All Prize winners have been awarded with Trophies by the Chief Guest.

आज का राशिफल

मेष —व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। रोजगार में वृद्धि होगी। नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति के योग हैं। आय में वृद्धि होगी। कोई बड़ा काम होने की संभावना है। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। प्रसन्नता में वृद्धि होगी। निवेश शुभ रहेगा। जल्दबाजी करने से बचें। उत्साह बना रहेगा। व्यापार लाभदायक रहेंगे।

वृष —-पुरानी व्याधि से परेशानी रहेगी। विवाद को बढ़ावा न दें। फालतू खर्च अधिक होगा। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। समय पर काम न होने से खिन्नता रहेगी। विवेक से कार्य करें। लाभ होगा। दूसरों की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर पाएंगे। नकारात्मकता बढ़ेगी। आय में निश्चितता रहेगी। देनदारी बढ़ेगी।

मिथुन— डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है, प्रयास करें। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। आय बनी रहेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। व्ययवृद्धि होगी। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। बेकार की बातों पर ध्यान न दें। बेचैनी रहेगी। व्यापार वृद्धि के योग हैं। नए काम मिल सकते हैं। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। उत्साह बना रहेगा।

कर्क— योजना फलीभूत होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। कार्यस्‍थल पर बदलाव संभव है। तत्काल लाभ नहीं मिलेगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। व्यवसाय लाभदायक रहेगा। विवाद से क्लेश संभव है। शत्रु पस्त होंगे। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। शेयर के कार्य लाभ देंगे। जल्दबाजी न करें। धनार्जन होगा।

सिंह— राजकीय सहयोग मिल सकता है। प्रभावशाली व्यक्ति का सहयोग व मार्गदर्शन प्राप्त होगा। पूजा-पाठ में मन लगेगा। सत्संग का लाभ मिल सकता है। नौकरी में सहकर्मी साथ देंगे। प्रसन्नता रहेगी। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। चोट व रोग से बचें। आलस्य हावी रहेगा। निवेश शुभ रहेगा।

कन्या— स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। चोट व दुर्घटना से हानि हो सकती है। विवाद को बढ़ावा न दें। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। लाभ कम होगा। बेकार बातों की तरफ ध्यान न दें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। व्यवसाय ठीक चलेगा। मातहतों से विवाद हो सकता है। शांति बनाए रखें।

तुला —राजकीय सहयोग प्राप्त होगा। वरिष्ठजनों का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। आय में वृद्धि के योग हैं। बाहर जाने का कार्यक्रम बन सकता है। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। कार्यसिद्धि होगी। ऐश्वर्य के साधनों पर खर्च हो सकता है। भाइयों का सहयोग प्रसन्नता में वृद्धि करेगा। निवेश व नौकरी लाभ देंगे।

वृश्चिक—- कानूनी अड़चन आ सकती है। बोलचाल में हल्कापन न रखें। संपत्ति के बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। बेरोजगारी दूर होकर चिंता में कमी आएगी। वस्तुएं संभालकर रखें। व्यस्तता के चलते स्वास्थ्‍य प्रभावित हो सकता है। माता के स्वास्थ्‍य की चिंता रहेगी। व्यवसाय में वृद्धि के योग हैं।

धनु –बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता मिलेगी। आय में वृद्धि होगी। भाग्य का साथ रहेगा। अध्ययन में मन लगेगा। पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बन सकता है। मनपसंद भोजन का आनंद प्राप्त होगा। यात्रा में सावधानी रखें। थकान रहेगी। बोलचाल में संयम रखें। प्रसन्नता में वृद्धि होगी।

मकर— शोक समाचार मिल सकता है। विवाद को बढ़ावा न दें। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। दौड़धूप अधिक होगी। बनते कामों में व्यवधान आ सकते हैं। काम में मन नहीं लगेगा। दूसरों से अपेक्षा न करें। जल्दबाजी में निर्णय न लें। आय बनी रहेगी। व्यवसाय में सुधार होगा। नौकरी में सामंजस्य बैठाएं। लाभ होगा।

कुंभ—- मेहनत का फल मिलेगा। सामाजिक कार्यों में रुचि रहेगी। मान-सम्मान मिलेगा। शेयर बाजार से लाभ होगा। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। व्यवसाय से मनोनुकूल लाभ होगा। प्रसन्नता रहेगी। आपकी योग्यता और कार्य करने के तरीके का सभी लोग मानेंगे उत्साह बना रहेगा। काम में मन लगेगा। बड़ा काम करने का मन बनेगा। परिवार की चिंता रहेगी।

मीन —भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। प्रसन्नता व उत्साह में वृद्धि होगी। अच्‍छी खबर प्राप्त होगी। बड़ा कार्य करने का मन बनेगा। व्यवसाय से लाभ होगा। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। जल्दबाजी से हानि होगी। वरिष्ठ व्यक्तियों की सलाह मानें। उन्नति होगी। विवाद को बढ़ावा न दें।

प्रधान मंत्री मोदी ने अपनी पारदर्शी सरकार के गुण गिनाए


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राफेल डील के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब कांग्रेस पर हमला बोला है


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राफेल डील के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब कांग्रेस पर हमला बोला है. मुंबई में रिपब्लिक टीवी के समिट में बोलते हुए मोदी ने विपक्ष के ‘दुष्प्रचार’ की कोशिशों को कठघरे में खड़ा कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के राफेल मामले में आए फैसले का हवाला देकर उन्होंने देश में बदवाल के तौर पर पेश किया.

मोदी ने कहा, ‘हमारे यहां एक साइकॉलजी रही है कि जब कोई सरकार के खिलाफ अदालत में जाता है और उसके ऊपर आरोप लगाता है तो माना यही जाता है कि सरकार गलत होगी और आरोप लगाने वाला सही होगा. आम तौर पर हमारी मान्यता यही है. घोटाले हों, भ्रष्टाचार के आरोप हों तो यह मानसिकता रही है क्योंकि हमने यही देखा है. लेकिन, यह पहली बार हो रहा है कि सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सबसे बड़ी अदालत गए और अदालत ने उन्हें दो टूक जवाब मिला कि जो काम हुआ है वो पूरी पारदर्शिता के साथ हुआ है, ईमानदारी से हुआ है.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान से साफ है कि वो सीधे-सीधे पहले की कांग्रेसी सरकारों के कार्यकाल के दौरान घोटाले के लगे आरोपों को लेकर उन्हें कठघरे में खड़ा कर दिया. उन्होंने यह दिखाने की कोशिश की है कि कैसे सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील में उनकी सरकार पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया, जो कि 2014 के पहले ऐसा नहीं होता था. मोदी ने लोगों से सवाल भी किया कि ऐसा साढे चार साल पहले तो किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि इस तरह भ्रष्टाचार के आरोपों के मामले में सुप्रीम कोर्ट इस तरह भी कर सकता है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

राफेल डील के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी काफी आक्रामक हो गई है.पार्टी औऱ सरकार की तरफ से इस मुद्दे पर संसद लेकर सड़क तक कांग्रेस और उसके अध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला हो रहा है. बीजेपी राहुल गांधी से माफी की मांग कर रही है. संसद के भीतर बीजेपी ने इस मुद्दे पर हंगामा किया तो वहीं प्रधानमंत्री ने पुणे से राफेल को लेकर हल्ला बोला.
एक दिन पहले ही 1984 के सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के दोषी ठहराए जाने के फैसले को भी मोदी ने अपने कार्यकाल के साढ़े चार सालों में आए बदलाव का परिणाम बताया. प्रधानमंत्री ने कहा, 1984 के सिख नरसिंहार के दोषी कांग्रेस नेताओं को सजा मिलने लगेगी, लोगों को इंसाफ मिलने लगेगा. आखिरकार यह परिवर्तन क्यों आया, देश वही है, लोग वही हैं, ब्यूरोक्रेसी वही है, साधन वहीं हैं, संसाधन वहीं है, फिर ऐसा परिवर्तन क्यों?’

मोदी यहीं नहीं रूके. अगस्टा वेस्टलैंड घोटाले में बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल के भारत लाए जाने के मसले का भी जिक्र कर उन्होंने सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम के तौर पर पेश किया. मोदी ने 2014 के बाद के बदलाव और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सरकार की प्रतिबद्धता का जिक्र करते हुए कहा कि साढे चार साल पहले किसने सोचा था कि हेलीकॉप्टर घोटाले का इतना बड़ा राजदार भारत में होगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर विपक्ष की तरफ से उद्दोगपतियों का कर्ज माफ करने और किसानों का कर्ज माफ नहीं करने का आरोप विपक्ष लगाता रहा है. प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के दौरान इस मुद्दे पर भी उल्टे उन लोगों से ही सवाल किया जो उन पर सवाल खड़े करते हैं.

मोदी ने कहा, ‘पहले कंपनियां खराब हालत के चलते या कारोबार नहीं चल पाने के कारण हजारों करोड़ रुपए लेकर चली जाती थीं, तो उस वक्त कंपनियों के मालिकों का कुछ नहीं होता था, इन कंपनियों को खास तरह का सुरक्षा कवच था. इसमें खास लोगों, खास परिवार का सुरक्षा कवच था. लेकिन, 2016 में इंसॉलवेंसी एंड करप्शन कोड बनाकर हमने इसे बदल दिया है जिसके कारण दो सालों के भीतर ही करीब -करीब तीन लाख करोड़ रुपए इन कंपनियों को चुकाने पर मजबूर होना पड़ा है.’

उन्होंने कहा कि इसके अलावा बैंकों को लूटकर भगोड़े हो जाते हैं, उसके लिए सख्त कानून अपना काम कर रहा है. देश और विदेश में भी अपराधियों की संपत्ति जब्त हो रही है. एक बार फिर मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की वचनबद्धता को दोहराते हुए इसे पिछले साढ़े चार सालों में बड़े बदलाव के तौर पर पेश कर दिया.

मोदी ने जीएसटी लागू होने को भी क्रांतिकारी कदम बताते हुए कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद पारदर्शिता आई है और अब देश में टैक्स पेयर की तादाद भी बढ़ी है. जीएसटी को लेकर कारोबारियों के एक वर्ग में नाराजगी भी रही है, जिसे विपक्ष भी हवा देता रहता है. मोदी ने इसे अपनी सरकार की ईमानदार कार्यकरने और कराने के तरीके से जोड़कर देशहित में बड़ा बदलाव बताया.

आर्थिक मोर्चे पर भी अपनी सरकार की उपलब्धि और दुनिया भर में भारती की बढ़ती साख का जिक्र कर मोदी ने विपक्ष के उन आरोपों की धार को कुंद करने की कोशिश की जिसमें विपक्ष लगातार नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था की मंदी की बात करता रहाहै. मोदी ने उदाहरण देते हुए कहा कि ‘क्या किसी ने सोचा था कि भारत ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के चक्कर में 142 से 77 की रैंक में आ जाएगा.’

इसके अलावा देश के आम आदमी के लिए 2014 के बाद सरकार की तरफ से किए गए बदलाव का जिक्र कर मोदी ने इसकी तुलना 2014 के पहले के कामों से की. उन्होंने कहा, ‘क्या किसी ने (साढ़े चार साल पहले ) 2014 के पहले सोचा था कि एसी ट्रेन से ज्यादा लोग हवाई सफर करने लगेंगे? रिक्शा चलाने वाला भी सब्जी वाला भी चाय वाला भी भीम ऐप का इस्तेमाल करने लगेगा, अपने जेब में डेबिट रखकर चलेगा? भारत का एविएशन सेक्टर इतना तेज आगे बढ़ेगा कि कंपनियों को 1000 नए हवाई जहाज का ऑर्डर देना होगा? नेशनल वाटरवेज एक सच्चाई बन जाएगा, कोलकाता से बनारस तक पानी के रास्ते जहाज चलेगा?’

अपने पूरे भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सवालों के जरिए ही जवाब देने की कोशिश की. पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद अब सबकी नजरें लोकसभा चुनाव पर हैं. तीन राज्यों में सरकार बनाने बाद उत्साहित विपक्ष अब नए सिरे से सरकार पर हमलावर है.

लेकिन, प्रधानमंत्री ने अपने कार्यकाल के दौरान आए बदलाव और अपनी सरकार के ईमानदार प्रयास और कामों का जिक्र कर 2014 के बाद और उसके पहले के हालात से तुलना करनी शुरू कर दी है. रविवार को प्रधानमंत्री ने सोनिया गांधी के गढ़ रायबरेली से हुंकार भरी थी अब समिट के दौरान अपने कार्यकाल में आए बदलाव की तुलना 2014 से पहले से कर रहे हैं. इस कोशिश में राफेल पर मिली ‘सुप्रीम राहत’ ने उन्हें और उनकी सरकार को बड़ी ‘संजीवनी’ दे दी है.

1984 नरसंहार का साया मुख्यमंत्री कमलनाथ की कुर्सी पर


कमलनाथ के खिलाफ मुख्तियार सिंह नाम के शख्स द्वारा हलफनामा दिया गया था. दंगा मामलों में बंद कर दिए गए 232 मामलों से यह भी एक है. 

वह 1984 में कांग्रेस के लोकसभा सांसद थे, जब इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी और जब उन्होंने दंगाई हत्यारी भीड़ की अगुवाई की थी.

वह 1 नवंबर 1984 को गुरुद्वारा रकाबगंज में मौजूद थे, जब दो सिख जलाए गए थे. कुछ लोग आरोप लगाते हैं कि वह उस भीड़ की अगुवाई कर रहे थे, जिसने दो सिख पुरुषों की हत्या की दी


दिल्ली में सिख विरोधी दंगों के 34 साल बाद, हाई कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को दोषी ठहराया है. यह एक कठोर फैसला है जो दिल्ली की जनता के लिए दशकों पहले दे दिया जाना चाहिए था. सज्जन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.

सिख विरोधी दंगों में उनकी भागीदारी, निर्दोष सिखों की हत्या करने और उनकी दुकानों व घरों को लूटने वालों की अगुवाई करने का दाग 1984 के बाद से हमेशा उन पर रहा, लेकिन यह कांग्रेस नेतृत्व को उन्हें महत्वपूर्ण पद देने में कभी रुकावट नहीं बना. वह कांग्रेस पार्टी के टिकट पर 1991 में 10वीं लोकसभा और 2004 में 14वीं लोकसभा के लिए चुने गए. वह 1984 में कांग्रेस के लोकसभा सांसद थे, जब इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी और जब उन्होंने दंगाई हत्यारी भीड़ की अगुवाई की थी.

इस तरह वह कांग्रेस के कोई साधारण नेता नहीं हैं. उन्होंने एच.के.एल. भगत (स्वर्गीय) और जगदीश टाइटलर के साथ पार्टी की दिल्ली इकाई को नियंत्रित किया. ये तीनों बाहरी दिल्ली, उत्तरी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली के सांसद थे. दंगों में उनकी भागीदारी के बारे में आम लोगों के जेहन में कोई शक नहीं था. कहते हैं कि न्याय में देरी, न्याय से वंचित करने के समान है. लेकिन निचली अदालत द्वारा सज्जन कुमार को बरी करने के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले में पलट देने से पीड़ितों के परिवारों के लिए देरी से ही सही, इंतजार का अंत हुआ.

कांग्रेस नेता कमलनाथ संजय गाधी के अच्छे मित्र थे (फोटो: फेसबुक से साभार)

दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है. यह ऐसे समय में आया है जब पार्टी तीन हिंदीभाषी राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी से सत्ता छीनने के बाद उत्सव के मूड में थी.

यह फैसला 1984 के नरसंहार से कांग्रेस के सीधे संबंध का पहला प्रत्यक्ष और निर्णायक सबूत पेश करता है. अब तक, कांग्रेस के प्रतिद्वंद्वियों और आलोचकों के पास राजीव गांधी के बयान के रूप में सिर्फ एक परिस्थितिजन्य सबूत था, जिसमें उन्होंने कहा था, ‘कुछ दिन के लिए लोगों को लगा कि भारत हिल रहा है, लेकिन जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती थोड़ा हिलती है.’ अब इस टिप्पणी को नया अर्थ मिलेगा, नए राजनीतिक अर्थ के साथ, खासकर तब जबकि संसदीय चुनाव मात्र चार महीने दूर हैं.

कैसी विडंबना है कि उसी समय जब हाईकोर्ट आरोपी सज्जन कुमार को दोषी ठहराते हुए अपना फैसला सुना रहा था, एक और प्रमुख नेता कमलनाथ जिनका नाम दिल्ली के 1984 के सिख दंगों में आया था, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभालने की तैयारी कर रहे थे. हाईकोर्ट द्वारा ऐतिहासिक फैसला सुनाए जाने के तीन घंटे बाद अकाली दल, बीजेपी के एक वर्ग और सिख समुदाय के विरोध प्रदर्शन के बीच भोपाल में एक सार्वजनिक समारोह में कमलनाथ ने गवर्नर आनंदीबेन पटेल के सामने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

हालांकि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई पुख्ता आपराधिक मामला नहीं है, लेकिन 1984 का दाग उनकी स्थिति को थोड़ा असहज बना रहा है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एसआईटी ने कई मामलों को फिर से खोल दिया है. दंगों के मामलों को दोबारा खोलने और मुकदमों की समीक्षा के चलते ही बीते कुछ हफ्तों में कई आरोपी दोषी साबित हुए हैं. कमलनाथ यही ख्वाहिश करेंगे कि उनका मामला फिर से ना खोला जाए.

कमलनाथ 1984 में पहली बार सांसद बने थे. वह 1 नवंबर 1984 को गुरुद्वारा रकाबगंज में मौजूद थे, जब दो सिख जलाए गए थे. कुछ लोग आरोप लगाते हैं कि वह उस भीड़ की अगुवाई कर रहे थे, जिसने दो सिख पुरुषों की हत्या की दी, लेकिन कमलनाथ का बचाव यह है कि वह तो भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे थे.

अपनी पुस्तक ‘1984: द एंटी-सिख राइट एंड आफ्टर’ में पत्रकार संजय सूरी ने विस्तार से उस दिन की घटना का आंखोंदेखा हाल बयान किया है, ‘मुझे गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब के बाहर चीखती भीड़ के साथ कमलनाथ के दिखने की उम्मीद नहीं थी, जहां अभी-अभी दो सिखों को जिंदा जला दिया गया था.

लेकिन वह वहां थे, दमकते सफेद कुर्ता-पाजामे में थोड़ा सा किनारे, लेकिन सफेद अंबेसडर कार से बहुत दूर नहीं, जिसकी छत पर लाल बत्ती लगी थी और बंपर पर छोटा सा राष्ट्रध्वज लगा था, जो कि इनके मंत्री पद का कोई शख्स होने या कम से कम आधिकारिक रूप से महत्वपूर्ण शख्स होने की गवाही दे रहा था… यह 1 नवंबर की दोपहर थी, इंदिरा गांधी की हत्या एक दिन पहले हुई थी.

उनका पार्थिव शरीर गुरुद्वारा रकाबगंज के करीब तीन मूर्ति भवन में लोगों के दर्शन के लिए रखा था. सुबह से जमा हो रहे शोकाकुल समर्थक रोते हुए कह रहे थे, ‘खून का बदला खून.’ गुरुद्वारा रकाबगंज तीन मूर्ति भवन से निकटतम निशाना था, जहां खून के बदले की मांग को कार्रवाई में बदला जा सकता था. वहां सिखों का मिलना पक्का था, और हमले के लिए गुरुद्वारा तो था ही…’

कमलनाथ के खिलाफ मुख्तियार सिंह नाम के शख्स द्वारा हलफनामा दिया गया था. दंगा मामलों में बंद कर दिए गए 232 मामलों से यह भी एक है. अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के खिलाफ इस मामले सहित इन सभी मामलों को फिर से खोलने की नई मांग उठाई जा रही है.

इंदिरा गांधी की हत्या और दंगों के फौरन बाद हुए संसदीय चुनावों में कमलनाथ फिर से चुने गए. तब से उन्होंने कभी पीछे पलट कर नहीं देखा, कई बार संसद के लिए चुने गए, यूपीए-1 और यूपीए-2 में वाणिज्य और उद्योग, भूतल परिवहन, संसदीय मामले, शहरी विकास सहित विभिन्न मंत्री पदों पर रहे. मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की राह में ज्योतिरादित्य सिंधिया की चुनौती को उन्होंने आसानी से निपटा दिया. कमलनाथ ने जिंदगी में जिस दिन अपनी सबसे बड़ी महत्वाकांक्षा को पूरा किया, उसी दिन 1984 के दंगों का प्रेत उनके सिर पर मंडराने के लिए वापस लौट आया है.

मेथनोल के प्रयोग से पेट्रोल हो सकता है रु 10/- सस्ता


सरकार देश भर में 15 फीसदी मेथेनॉल मिला हुआ पेट्रोल लाने की तैयारी कर चुकी है. इससे पेट्रोल के दाम 10 रुपए तक घट सकते है


नीति आयोग की देखरेख में सरकार देश भर में 15 फीसदी मेथेनॉल मिला हुआ पेट्रोल लाने की तैयारी कर चुकी है. यही नहीं गाड़ियों का ट्रायल भी जोर-शोर से शुरू हो गया है. इस पूरी कवायद से पेट्रोल के दाम 10 रुपए तक घट सकते है. मेथेनॉल कोयले से बनता है. फिलहाल पेट्रोल-डीजल में इथेनॉल मिलाया जाता है. इसे गन्ने से बनाया जाता है. जिसकी लागत प्रति लीटर 42 रुपए आती है. वहीं, मेथेनॉल की लागत 20 रुपए प्रति लीटर आती है.

कैसे हो रहा है इस योजना पर काम

– मेथेनॉल से गाड़ियां चलाने की तैयारी पर तेजी से काम हो रहा है. – 15 फीसदी मेथेनॉल मिले हुए पेट्रोल से गाड़ियां चलनी शुरू हो गई है. – नीति आयोग की निगरानी में पुणे में ट्रायल रन शुरू हो चुका है. – मेथेनॉल मिला हुआ पेट्रोल 8-10 रुपए तक सस्ता होगा. – पुणे में मारुति और हुंडई की गाड़ियों पर ट्रायल हो रहा है. – 2-3 महीने में ट्रायल रन के नतीजे आ जाएंगे. – नतीजों के बाद मेथेनॉल मिला पेट्रोल मिलना शुरू होगा.

मेथेनॉल से क्या होगा फायदा

– एथेनॉल के मुकाबले मेथेनॉल काफी सस्ता है – एथेनॉल 40 रुपये प्रति लीटर हैं. वहीं, मेथेनॉल 20 रुपये लीटर से भी सस्ता है. – मेथेनॉल के इस्तेमाल से प्रदूषण घटेगा.

कहां से आएगा मेथनॉल

– घरेलू उत्पादन बढ़ाने और इंपोर्ट पर सरकार का फोकस है.

– RCF (राष्ट्रीय केमिकल एंड फर्टिलाइजर) GNFC (गुजरात नर्मदा वैली फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन) और असम पेट्रोकेमिकल जैसी कंपनियों के क्षमता विस्तार की तैयारी पूरी कर चुकी है. – मेथेनॉल इंपोर्ट करने के लिए नीति आयोग ने बोलियां मंगाई है. – बोलियां आने के बाद इंपोर्ट प्राइस तय किया जाएगा. – चीन, मेक्सिको और मिडिल ईस्ट से मेथेनॉल का इंपोर्ट किया जा सकता है.

गन्‍ने से बनता है इथेनॉल

इथेनॉल गन्‍ने से तैयार कि‍या जाता है। वर्ष 2003 में भारत में पेट्रोल में 5 फीसदी की इथेनॉल मि‍क्‍सिंग को अनिवार्य कि‍या गया था. इसका मकसद था पर्यावरण की सुरक्षा, वि‍देशी मुद्रा की बचत और कि‍सानों का फायदा. अभी 10% तक ब्‍लेंडिंग की जा सकती है.

बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के लोगों के कारण मध्य प्रदेश के स्थानीय लोगों को नौकरी नहीं मिल पाती है: कमलनाथ


उत्तर प्रदेश से आकर मध्य प्रदेश में राजनीतिक करियर बनाने वाले कमलनाथ ने जब उनके ही जैसे संभावना तलाशते हुए यूपी से एमपी में आने वाले लोगों पर बयान दिया, तो वह खुद इस कटघरे में आ खड़े हुए 

कमलनाथ का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ, दून स्कूल से अपने स्कूल से पढ़ाई की, यहीं उनकी दोस्ती संजय से हुई, लॉ की पढ़ाई कानपुर विश्वविद्यालय के डीएवी कॉलेज से की और मध्यप्रदेश में अपनी राजनैतिक ज़मीन तलाशी


डेढ़ दशक के सूखे के बाद जब मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी, तो बनते ही विवादों में भी घिर गई. यह विवाद तब शुरू हुआ जब कांग्रेस के नव निर्वाचित मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के लोगों के कारण मध्य प्रदेश के स्थानीय लोगों को नौकरी नहीं मिल पाती है.

नव निर्वाचित मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद न सिर्फ बिहार और यूपी  बल्कि तमाम राजनीतिक पार्टियों से इस बात का विरोध किया जाने लगा. कई लोगों ने तो खुद कमलनाथ पर ही सवालिया निशान उठा दिया. दरअसल कमलनाथ खुद भी उत्तर प्रदेश से हैं.

मध्य प्रदेश के नव निर्वाचित मुख्यमंत्री का जन्म 18 नवंबर 1946 में उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ. कमलनाथ ने अपनी लॉ की पढ़ाई कानपुर विश्वविद्यालय के डीएवी कॉलेज से की थी. उन्होंने देहरादून के दून स्कूल से अपने स्कूल से पढ़ाई की थी. यहीं पर उनकी दोस्ती पूर्व प्रधानमंत्री के पुत्र और कांग्रेस के दिग्गज नेता संजय गांधी से हुई थी.

पहली बार छिंदवाड़ा से लड़ा था चुनाव

उत्तर प्रदेश में पैदा होने और पढ़ने वाले कमलनाथ ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत मध्य प्रदेश से की. उन्होंने साल 1980 में मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा सीट से कांग्रेस के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ा था. और आज वह इसी राज्य के मुख्यमंत्री हैं. इसी के साथ मध्य प्रदेश के नव निर्वाचित मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश में ऐसे उद्योगों को छूट दी जाएगी, जिनमें 70 प्रतिशत नौकरी मध्य प्रदेश के लोगों को दी जाएगी.

उत्तर प्रदेश से आकर मध्य प्रदेश में राजनीतिक करियर बनाने वाले कमलनाथ ने जब उनके ही जैसे संभावना तलाशते हुए यूपी से एमपी में आने वाले लोगों पर बयान दिया. तो वह खुद इस कटघरे में आ खड़े हुए. और तमाम राजनेताओं समेत आम लोगों के निशाने पर भी आ गए.

Punjab BJP questioned Sidhu’s presence at Kamal Nath swearing-in: 1984 Sikh Genocide


The BJP leader said the Congress party had unleashed terror on the roads of the national capital in 1984 and got thousands of Sikhs killed through its four villains – Jagdish Tytler, Sajjan Kumar, HKL Bhagat and Kamal Nath.


The Punjab unit of the Bharatiya Janata Party (BJP) on Tuesday questioned the state cabinet minister and Congress leader Navjot Singh Sidhu’s decision to attend the swearing-in ceremony of the new Madhya Pradesh Chief Minister Kamal Nath.

Hailing the Delhi High Court verdict convicting and sentencing senior Congress leader Sajjan Kumar in 1984 anti-Sikh riots case, BJP’s national secretary Tarun Chugh questioned Sidhu’s decision to first campaign for and now attend swearing-in ceremony of Kamal Nath, one of the senior Congress leaders accused of leading mobs in 1984. “Sidhu has rubbed salt on the wounds of the families of victims of 1984 by agreeing to be a part of the ceremony,” he said adding that Sikh leaders of the Congress also need to explain their support to Kamal Nath.

The BJP leader said the Congress party had unleashed terror on the roads of the national capital in 1984 and got thousands of Sikhs killed through its four villains – Jagdish Tytler, Sajjan Kumar, HKL Bhagat and Kamal Nath. Stating that only Sajjan has been punished so far, Chugh hoped that Tytler and Kamal Nath will also get their due soon. Bhagat is not alive.

Slamming Congress president for approving Kamal Nath’s name as CM of Madhya Pradesh, Chugh said this is a proof of Rahul Gandhi’s anti-Sikh DNA. “He (Rahul) has proved once again that Gandhi family was throughout protecting the perpetrators of 1984 genocide,” the BJP leader said.

He said both Nanavati Commission and Mishra Commission in their reports had confirmed the involvement of Tytler and Kamalnath in 1984 genocide but the successive Congress governments in the Centre had brushed the reports under the carpet to save the leaders who led the killers. He said victims of the 1984 started getting justice only after Narendra Modi took over as Prime Minister of the country and constituted SIT to expedite the process of law and impart justice.

Chugh claimed Narendra Modi government was committed to provide justice to victims of 1984. He hoped that the special investigative team (SIT) would continue its fact-based investigation against Tytler and Kamal Nath too so that they are also punished as per law.

Congress leader Sajjan Kumar convicted in 1984 anti-Sikh riots has resigned from party

New Delhi: Senior Congress leader Sajjan Kumar comes out after appearing before Special Investigation Team (SIT) in New Delhi on Dec 21, 2016. (Photo: IANS)


The Delhi High Court had on Monday convicted Sajjan Kumar and sentenced him to life imprisonment, while describing the mass killings as ‘crimes against humanity’.


Congress leader Sajjan Kumar convicted in 1984 anti-Sikh riots, has written to party president Rahul Gandhi submitting his resignation from the primary membership of the party, sources in the party said on Tuesday.

“I tender my resignation with immediate effect from the primary membership of the Indian National Congress in the wake of the judgement of the hon’be high court of Delhi against me,” he said in the letter to Gandhi.

The Delhi High Court had on Monday convicted Sajjan Kumar and sentenced him to life imprisonment, while describing the mass killings as “crimes against humanity”.

The 73-year-old was in the Congress for over four decades.

Reversing the acquittal order of the trial court, the high court held him guilty of crime and ordered him to surrender by December 31 this year.

The court while reading out the judgement said the “accused enjoyed political patronage and escaped trial”.

Besides Kumar, Captain Bhagmal, Girdhari Lal and former Congress councillor Balwan Khokhar were also sentenced to life imprisonment. Kishan Khokkar and former legislator Mahender Yadav were sentenced to 10 years in prison.

Non-Congress political parties on Monday hailed the Delhi High Court ruling holding Congress leader Sajjan Kumar guilty in the 1984 killing of Sikhs.

Earlier last month, a Delhi court had sentenced to death one of the two convicts found guilty of killing two Sikh men during the 1984 riots, the first capital punishment in the case.

According to reports, over 3000 people were killed in the riots in and outside Delhi.

Plea for Pakistan help to ‘liberate’ Punjab exposes SFJ-ISI nexus: Amarinder Singh


Amarinder has also taken strong exception to SFJ’s plans to hold the ‘Kartarpur Sahib Convention – 2019’, coinciding with the auspicious occasion of the 550th birth anniversary celebrations of Guru Nanak Dev.


Punjab Chief Minister (CM) Amarinder Singh on Tuesday said the statement by Sikhs for Justice (SFJ) seeking Pakistan’s help to ‘liberate’ Punjab from India has exposed the nefarious designs of the organisation and its nexus with the Pakistani Army and ISI.

In a hard-hitting reaction to the statement of SFJ’s legal advisor Gurpatwant Singh Pannu, Amarinder said the cat is now well and truly out of the bag, and the truth of the deep-rooted connection between SFJ and Pakistani Army is out in the open.

The statement has nailed SFJ’s lies that it is a peaceful movement to build momentum for a referendum on a separate state of Khalistan, said the CM, adding that it is more than evident now that the organisation, with the full support and backing of Pak Army and ISI, is striving to foment trouble in Indian Punjab.

Amarinder has also taken strong exception to SFJ’s plans to hold the ‘Kartarpur Sahib Convention – 2019’, coinciding with the auspicious occasion of the 550th birth anniversary celebrations of Guru Nanak Dev.

This, he said, has lent credence to his fears that Pakistan’s decision to open the Kartarpur Corridor was an ISI game-plan to help forces inimical to India, including SFJ. It has also once again proved that the Pak government had always been, and continues to remain, a puppet regime, working at the behest of the Army there, he added.

The whole affair is a bigger conspiracy by the Pak Army, which is persistently trying to revive militancy in Punjab, said the CM, reiterating his stand on the issue. Amarinder also reiterated that Punjab, and the Indian Army, are well prepared to counter any such plans of the neighbouring country.

Punjab is today much better equipped than it was in the 80s and 90s when Pak-backed terrorism had swept the state, he said, warning Islamabad against extending any further support to SFJ or other such outfits that are bent on disturbing the state’s hard-earned peace.

Asserting that he was all in favour of the Kartarpur Corridor to fulfil the long-pending aspirations of the Sikh community in India, the CM said it was the misuse of the initiative that he was opposed to.

If Pakistan Prime Minister Imran Khan was truly in favour of opening the doors for long-lasting peace with India through this corridor he should not only unequivocally condemn the SFJ statement but should also ensure that Pak soil is not used by the anti-India outfit to further its campaign, said Amarinder, urging the Pak leader to put a stop to the Kartarpur Sahib Convention – 2019 plans.

Karti, P. Chidambram at ease till Jan 11

A Delhi court on Tuesday extended till January 11 the protection granted to former Union Minister P. Chidambaram and his son Karti Chidambaram from arrest in the Aircel-Maxis case.

Special Judge O.P. Saini extended the relief granted to both Karti after the CBI and the Enforcement Directorate (ED) submitted that new material that needed to be collated had been recovered

It also granted time till January 11 to the CBI to get sanction to prosecute some others accused in the case.

On November 26, the CBI told the court that the Centre had granted sanction to prosecute Mr. P. Chidambaram.

The case relates to alleged irregularities in grant of FIPB (Foreign Investment Promotion Board) approval in the Aircel-Maxis deal.