पाक प्रेम या मानसिक विक्षिप्तता???
मणि शंकर अय्यर , दिग्विजय सिंह और राहुल ही काफी नहीं थे कि नवजोत सिंह सिद्धु भी पाक प्रेमियों की सूची में शामिल हो गए । कल तक सिद्धू की मुखालफत करने वाले पार्टी के सरमाये दार सिद्धू के ब्यान के बाद सन्नाटे में हैं
मणि शंकर अय्यर , दिग्विजय सिंह और राहुल ही काफी नहीं थे कि नवजोत सिंह सिद्धु भी पाक प्रेमियों की सूची में शामिल हो गए । कल तक सिद्धू की मुखालफत करने वाले पार्टी के सरमाये दार सिद्धू के ब्यान के बाद सन्नाटे में हैं। सोच रहे हैं अब क्या कहें क्या न कहें। सिद्धू के खिलाफ बोलते हैं तो राहुल और कुछ गिने चुने कट्टरपंथी गुस्सा सिद्धू के हक़ में बोलने से कैप्टन की नज़र में खटक सकते हैं। लेकिन हैरत की बात है कि राहुल ने किस आधार पर सिद्धू को पाकिस्तान जाने के लिए कहा होगा। कैप्टन कि अनदेखी और अनसुनी करने का अर्थ ये तो नहीं राहुल सिद्धू को पंजाब का सिंहासन सोंपने का वादा कर बैठे हैं और 2019 में प्रधान मंत्री बनवाने के लिए से सिफ़ारिश करने भेजा । आपको बता दें कि कुछ महीने पहले पाकिस्तान में अपने मणि शंकर अय्यर ने कहा था कि आप अगर राहुल गांधी को प्रधान मंत्री बनवा दें तो भारत पाक समस्या खत्म करने मे मदद होगी। मणि शंकर अय्यर कांग्रेस्स सरकार के समय विदेशी मामलों के मंत्री थे उससे पहले भारतीय विदेशी सेवा अधिकारी रहे हैं।
या तो ये राजनेता खुले तोर पर देश के हितों कि अनदेखी करते हैं या फिर विक्षिप्त मानसिकता के स्वामी हैं।
अब बात करते हैं नवजोत सिंह सिद्धू आपसे:
आपका और विवादों का चोली दामन का साथ है, जबकि सार्वजनिक जीवन जीने वालों को जिन बातों से गुरेज करना चाहिए आप उन्ही बातों को नगाड़े की चोट पर कहते हैं, चाहे भाजपा नेत्री को ठोकने की बात हो या प्रधान मंत्री को चोर कहने की। अब दूसरी बार करतारपुर कॉरीडोर का नियोता मिला, भारत से कोई भी जाने के लिए तैयार नहीं था, भारत सरकार और आपकी पंजाब की प्रदेश सरकार ने भी इंकार किया और कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने आपको पुन: चेताया परंतु आप की आँखों पर न जाने कौन सी पट्टी चढ़ी थी की देखना सुनना तो दूर आपने तो सोचना भी बंद कर दिया।
भारत भूमि पर लगातार छद्म युद्ध थोप रहे पाकिस्तान के नव निर्वाचित प्रधान मंत्री इमरान खान ने भारत के कई नेताओं ओर क्रिकेट जगत के पुरोधाओं को न्योता भेजा था, सभी ने घाटी में फैले पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को ध्यान में रखते हुए समारोह में जाने से मना किया, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने भी पाकिस्तान के दोगले रवैये को देखते हुए जाने से इंकार किया और सिद्धु को भी नसीहत दी परंतु सिद्धु को इतना प्यार उमड़ा की वह पैदल ही समारोह में शिरकत करने चले गए। वहाँ शिरकत करना ही किसी को नहीं सुहाया ऊपर से इनहोने जन बाजवा को गलबाहियाँ दी।
मामला क्या है ? आप शक के दायरे में हैं।
गुरु कहीं सिखों को भारत से अलग करने कि पाक कि नीति में मोहरा तो नहीं बन रहे। क्योंकि चाहे खालिस्तान समर्थक हों या काश्मीरी अलगाववादी या अब रेफेरेंड्म 20 के समर्थक सबके रोटी कपड़ा मकान का इंतजाम पाकिस्तान में ही है।
सनद रहे उनके सेनाध्यक्ष बाजवा वही है जिस के इशारे पर पाकिस्तान भारत पर जगह जगह आतंकी वारदातों को अंजाम देता है और हमारी युवा शक्ति को लील जाता है। उस बाजवा को गलबहियाँ डालना और फिर वापिस आ कर आप बेशर्मी के साथ भारत के प्रधान मंत्री पर तंज़ कसते हैं कि आप शपथ ग्रहण समारोह में गए थे न की ‘राफेल डील‘ करने। आपको कई बार चेताया जा चुका है की आप जन भावनाओं को ‘कामेडी शो’ की तालियाँ न समझें।
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