सिद्धू का यह बयान ऐसे दिन आया है जब पूरा देश 26/11 मुंबई आतंकी हमले की 10वीं बरसी में शोक में डूबा है
सिद्धू का ‘बाजवा प्रेम’ ओर ‘इमरान स्तुति’ जग जाहिर है, पाकिस्तान जाने के लिए वह इतने उतावले रहते हैं की वह दूसरी बार ‘इमरान श्लाघा’ करते हुए फिर से देश के माहौल भावनाओं को समझने में नाकामयाब रहे। इसमें उनकी गलती नहीं है, कपिल शर्मा ने उन्हे जिस कुर्सी पर बैठा दिया था उस पर से उतारे जाने की बाद भी सिद्धू उस मोड से बाहर नहीं आ पा रहे हैं। कभी महिलाओं के लिए उन्हे ठोकने की बात करते हैं और अब जब समूचा राष्ट्र 26/11 के पाक प्रायोजित हमले की 10वीं बरसी का शोक माना रहा है वहीं सिद्धू को पाकिस्तान प्रधानमंत्री में एक भावुक बेचारा व्यक्ति दिखाई देता है।
वह करतारपुर कॉरीडोर से स्वयं को सिख धर्म के एक जाँबाज तारनहार की तरह दिखाना चाहते हैं की जो काम दशकों से टकसाली नेता एसजीपीसी के नेता सिख धरम के पुरोधा नहीं कर पाये वह सिद्धू ने कर दिखाया। ऐसा कर वह बादल परिवार को सिख राजनीति से दूर धकेलने में अपनी कामयाबी ढूंढ रहे हैं। परंतु वह भूल जाते हैं की इन्ही सिख बहादुरों की लाशों को पुंजाब में बिछा कर पाकिस्तान इतराता फिरता है, यही खेल वह अब काश्मीर में खेल रहा है। कसाब को फांसी हो चुकी है पर आज तक पाकिस्तान कसाब से अपने नकारता ही रहा है ओर तो और 26/11 के मुख्यारोपी वहाँ अपनी राजनैतिक ज़मीन मजबूत कर रहे हैं
‘करतारपुर कॉरिडोर का असली श्रेय पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को जाता है.’ ऐसा कहना है पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू का. सिद्धू ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, करतारपुर कॉरिडोर का असली श्रेय इमरान खान को जाता है. जिन्होंने इसके निर्माण के लिए कई सालों तक प्रार्थनाएं की. इस शख्स ने पाकिस्तान के प्रधान मंत्री की कुर्सी के लिए 24 साल का संघर्ष किया है.’
सिद्धू ने कॉरिडोर को लेकर चल रही राजनीति से दूर रहने की सलाह देते हुए कहा कि पूरी दुनिया खुश है. धर्म को हमेशा राजनीति से दूर रखना चाहिए. नुसरत फतेह अली खान और गुलाम अली जैसे लोगों को इन दोनों देशों की दूरियां कम करने का मौका दीजिए.
सिद्धू का यह बयान ऐसे दिन आया है जब पूरा देश 26/11 मुंबई आतंकी हमले की 10वीं बरसी में शोक में डूबा है. इस हमले में 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 166 लोगों की हत्या कर दी थी. एक दिन पूर्व ही पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने आतंकवादी हमलों का हवाला देते हुए कॉरिडोर के शिलान्यास समारोह में शामिल होने वाले पाकिस्तान के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया था.
वहीं सिद्धू ने रविवार को ही इस समारोह में शामिल होने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया था. पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के निमंत्रण के स्वीकार करते हुए सिद्धू ने कहा, ‘यह मेरे लिए बहुत सम्मान और खुशी कि बात है कि मैं 28 नवंबर को होने जा रहे करतरपुर साहिब के शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल होऊंगा.मैं इस ऐतिहासिक अवसर पर आपसे मिलने के लिए तत्पर(उतावला) हूं.’
क्या है करतारपुर साहिब और क्या है इसकी अहमियत
करतारपुर साहिब वो जगह है, जहां 1539 ईं. में सिख धर्म के पहले गुरु नानक देव के निधन के बाद पवित्र गुरुद्वारे का निर्माण करवाया गया था. इस जगह की अहमियत इसलिए है क्योंकि यहां गुरु नानक देव ने अपने जीवन के अंतिम 18 साल बिताए थे.
पाकिस्तान ने गुरु नानक की 549वीं जयंती के अवसर पर नवंबर में 3800 सिख श्रद्धालुओं को वीजा जारी किया था. करतारपुर कॉरिडोर बन जाने से लाखों सिख श्रद्धालु पाकिस्तान में रावी नदी के तट पर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर में मत्था टेक सकेंगे.