Congressmen protest near CBI office in Chandigarh

photo by Rakesh Shah

Chandigarh, Oct 26 :

Congress ministers and party members protested near the CBI office here against the Centre’s move to divest agency director Alok Verma of his powers and send him on leave and they demanded an apology from Prime Minister Narendra Modi.
Police had barricaded roads leading to the CBI office in Sector 30 here and after the protestors tried to cross the barricades, the police used water canons to disperse them.
The protestors had to move back from the barricades erected near the CBI office, the police said.
Several ministers, including Sukhjinder Singh Randhawa and Vijay Inder Singla, and were among the agitating party members.

photo by Rakesh Shah

Incharge of the Punjab Congress’ affairs Asha Kumari, Punjab and Haryana Congress chiefs Sunil Kumar Jakhar and Ashok Tanwar led the protesters, the Congress said.
The Congress leaders demanded an apology from the prime minister and alleged that the “illegal, unconstitutional and illegitimate” removal of the CBI director had shamed India and its premier investigative agency.
The government Tuesday sent Verma and Special Director Rakesh Asthana, who accused each other of corruption, on leave.
It also transferred several CBI officials and appointed M Nageswar Rao as the interim chief of the agency.

27 अक्टूबर को मनाएंगे काला दिवस : विजय बंसल


भाजपा के कुशासन में , पहले एसीसी और अब एचएमटी हुई बन्द 
क्षेत्र से नही कोई सरोकार,केवल घोटालेबाजो की है ये भाजपा सरकार


भाजपा सरकार ने 27 अकटुबर 2016 को एचएमटी लिमिटेड पिंजोर के ट्रेक्टर प्लांट को बन्द करके क्षेत्र के लाखों लोगों की रोटी को छिनने का काम किया था,इसी बाबत 2 साल बीतने के बाद भी न तो कर्मचारियों की समस्या का समाधान हो सका,करोड़ो की मशीनरी को जंग लग रहा है,न ही फेक्ट्री रिवाइव हो सकी।एचएमटी बचाओ संघर्ष समिति के संरक्षक विजय बंसल ने एचएमटी के रामबीर पांचाल,वीरेंद्र राणा,बलबीर सैनी,रमेश शर्मा,सतपाल , बलदेव रूपचंद आदि कर्मचारियो को लेकर पंचकूला में एक निजी होटल में प्रेस वार्ता को सम्भोधित करके 27 अकटुबर को काला दिवस बनाने का एलान किया है जिसमे एचएमटी के कर्मचारी,सेवानिवृत कर्मचारी,विभिन्न दलों के स्थानीय नेता,समाजिक संस्थाओं के लोग व स्थानीय क्षेत्रवासी मोदी व खट्टर सरकार के विरुद्ध अपना रोष व्यक्त करेगे।

इस प्रदर्शन में ट्रैक्टर प्लांट को पुनः शुरू करवाने,नया उद्योग लगाने की मांग करी जाएगी।विजय बन्सल ने इस प्रदर्शन में सभी दलों के स्थानीय नेताओ व कार्यकर्ताओं,समाजिक संस्थाओं व स्थानीय निवासियों को आह्वान किया है कि इस प्रदर्शन में युवाओ के रोजगार को मद्देनजर रखते हुए,भविष्य को सुरक्षित करने के लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस प्रदर्शन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले।विजय बंसल ने कहा कि यह एचएमटी बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले होगा जिसका आयोजन एचएमटी गेट पर किया जाएगा।

विजय बंसल ने वार्ता के दौरान खुलासा करते हुए बताया कि 23 दिसम्बर 2017 को प्रधानमंत्री कार्यालय मे व राज्य हरियाणा सरकार ने 30 मई 2018 को एचएमटी के मामले को सुलझाने के लिए विशेष बैठक कर प्रदेश व देश की जनता को ठगने का काम किया।बैठक में निर्णय लिए गए कि केंद्रीय कैबिनेट ने स्वीकृति देदी है कि एचएमटी 446 एकड़ जमीन का कब्जा हरियाणा सरकार को दे जिसमे 297 एकड़ पर HSIIDC , 62.54 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से पूरी कीमत एचएमटी को देगी व बकाया 149 एकड़ की 60 प्रतिशत रकम जमा करवाएगी।बंसल ने बताया कि सरकार व एचएमटी इस जगह पर उद्योग लगाने की बजाय , 100 एकड़ भूमि में फल व सेब मंडी मंजूर कर दी है जिससे न तो प्रदेश सरकार को कोई आय होगी, न ही किसी युवा को रोजगार मिलेगा व जनता का 100 करोड़ खुर्द बुर्द करने का काम कर रहे है।पंचकूला में सेब मंडी का प्रोजेक्ट फेल साबित हुआ है और वहां के निवासियों की दुर्गंध की शिकायत की वजह से इसे बदलकर पिंजोर व आसपास की जनता को सेब की दुर्गंध देने के लिए जनता का पैसा बर्बाद किया जा रहा है।33 एकड़ जमीन रेलवे द्वारा एक्वायर का मुआवजा,18 एकड़ एनएचआई व कौशल्या डैम द्वारा अधिकृत जमीन का मुआवजा भी एचएमटी को देने का निर्णय लिया।

एचएमटी व सरकार की मिलीभगत से पहले एचएमटी को बन्द किया गया,अब सरकार द्वारा जमीन को एचएमटी को दिया गया,फिर जमीन को खुर्द बुर्द करने के लिए अपर्याप्त व गैर संबंधित प्रोजेक्ट्स को लगाने के लिए स्वीकृति दी गई और प्रदेश की जनता के पैसे को बर्बाद करने के लिए व कॉरपोरेट मित्रो को फायदे पहुंचाने के लिए एक सुनियोजित षड्यंत्र रचा गया।

भाजपा के देश व प्रदेश में शासन के 4 वर्ष पूरे हो गए है जोकि पूरी तरह विफल साबित हुए है।एक तरफ जहां सरकार मेक इन इंडिया व स्किल्ड इंडिया की बात करती है वही विश्वस्तरीय भारतीय उत्पादों व उद्योगों को बंद करने में कोई कसर नही छोड़ रही।एचएमटी बचाओ संघर्ष समिति के संरक्षक विजय बंसल ने भाजपा सरकार की 4 वर्ष कार्यशैली पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र व राज्य में भाजपा की सरकार है, केंद्र में हरियाणा से सम्बंधित 6 मंत्री है व राज्य में शिवालिक क्षेत्र से 4 मंत्री-10 विधायक है जबकि स्थानीय विधायक व सांसद भाजपा से है , परन्तु एचएमटी को बचाने में तथा भाजपा के चुनावी वायदों को पूरा करने में सभी विफल साबित हुए है।सन 1962 में तत्कालीन मुख्यमंत्री, संयुक्त पंजाब स्व प्रताप सिंह केरोंन ने एचएमटी को उद्योग लगाने के लिए 846 एकड़ भूमि निशुल्क दी थी।

एचएमटी बचाओ संघर्ष समिति के संरक्षक विजय बंसल ने विज़न डॉक्यूमेंट , प्रधानमंत्री भारत सरकार को प्रस्ताव करते हुए भेजा था जिससे यहां मिनी ट्रेक्टर व इंजन आदि का उत्पादन किया जा सकता था परन्तु सरकार की जनविरोधी नीति के चलते व निजीकरण की नजर से व बिल्डर्स मित्रो को फायदा पहुंचाने हेतु इस सूरत में कोई काम नही किया गया।वही मोदी सरकार ने गुजरात मे छोटे ट्रेक्टर बनाने हेतु प्लांट लगाए परन्तु एचएमटी जैसे विश्वस्तरीय प्लांट को बंद कर दिया गया।यहा छोटे ट्रेक्टरों का उत्पादन किया जा सकता था जबकि स्थानीय भाजपाई नेतृत्व कमजोर होने के कारण फेक्ट्री को बंद किया गया।एचएमटी ट्रेनिंग सेंटर में प्रति वर्ष सेकड़ो नौजवान व सेवानिवृत जवान ट्रेनिंग लेकर स्वरोजगार व अन्य रोजगार के अवसर पैदा करते है।स्किल डेवलपमेंट के अंतर्गत आईआईटी एवं तकनीकी विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जा सकता है क्योंकि 2016 में केपिटल गुड्स स्किल काउंसिल ने उच्च ट्रेनिंग सेंटर का दर्जा दिया था।उत्तराखंड व हिमाचल के भांति शिवालिक क्षेत्र को औद्योगिक पैकेज दिया जाना चाहिए।हरियाणा सरकार ने अपनी लगभग 400 एकड़ जमीन , एचएमटी कम्पनी के नाम करके स्वामी बना दिया है जिससे एचएमटी कम्पनी को जमीन व मशीनरी आदि बेचने का अधिकार मिल गया है क्योंकि इसी तरह 1997 में तत्कालीन केंद्र में भाजपा सरकार व हरियाणा में भाजपा-हविपा गठबंधन की सरकार ने भूपेंद्र सीमेंट कम्पनी को बंद कर दिया था।एसीसी कम्पनी ने अरबो की 122 एकड़ जमीन प्राइवेट बिल्डर्स को बेच दी व जमीन को खुर्द बुर्द कर दिया।सन 2000 सरकार में औरंगाबाद में तत्कालीन एनडीए सरकार ने एचएमटी प्लांट को बंद करने के आदेश दिए थे जबकि मजबूत नेतृत्व होने के कारण महाराष्ट्र में फेक्ट्री अभी भी चल रही है।भाजपा नेता व सरकार द्वारा कर्मचारियों को एछीक सेवा निवृत्त लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जबकि उद्योग लगाने की बजाय स्थानीय व कमजोर भाजपाई नेतृत्व द्वारा कभी चिड़िया घर तो कभी पंचकूला से पिंजोर सेब मंडी शिफ्ट करने की मांग व दावे करके जनता को गुमराह किया जा रहा है बल्कि यहाँ सेब की पैदावार नही है व स्थानीय किसानों व लोगो को इसका कोई लाभ नही है।साथ ही गत वर्ष भाजपा नेताओ द्वारा कालका को औद्योगिक पिछड़ा क्षेत्र घोषित कराने की वाहवाही लूटी जबकि यहाँ उद्योग लगने चाहिए थे परन्तु यहां से उद्योग पलयन कर गए।शिक्षित युवा साथ लगते हिमाचल के क्षेत्र में कम वेतन पर काम करने को मजबूर है इसीलिए यहाँ नशो का कारोबार बढ़ता जा रहा है।

Police File

DATED

26.10.2018

One arrested for consuming liquor at public place

One case U/S 68-1(B) Punjab Police Act 2007 & 510 IPC has been registered in PS-49, Chandigarh against one person who was arrested while consuming liquor at public place. Later he bailed out.

This drive will be continuing in future, the general public is requested for not breaking the law.

Action against Gambling/Satta

Chandigarh Police arrested Vipan R/o #306, PWT, MM, Chandigarh while he was playing satta near Plot No.2, TPT Area, Sector-26, Chandigarh on 25.10.2018. Total cash Rs. 1370/- was recovered from his possession. A case FIR No. 335, U/S 13A-3-67 Gambling Act has been registered in PS-26, Chandigarh. Later he was bailed out. Investigation of the case is in progress.

MV Theft

Sh. Sourav R/o # 2107, Phase-7, Mohali, Punjab reported that unknown person stolen away complainant’s Splendor Motor Cycle No.HP-20E-2299 while parked backside Hotel J.W. Marriot, Sector-35, Chandigarh. A case FIR No. 382 u/s 379 IPC has been registered in PS-36 Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Dowry Death

A lady resident of Housing Board Complex, Phase-1, Industrial Area, Chandigarh alleged that Amit Kumar Yadav & other R/o # 776, Housing Board Complex, Phase-1, Industrial Area, Chandigarh gave poison to her daughter at house on 24.10.2018. The lady got admitted in GH-16, Chandigarh & later she expired. A case FIR No. 315, U/S 304B, 34 IPC has been registered in PS-Industrial Area, Chandigarh. Alleged person namely Amit Kumar Yadav R/o # 776, Housing Board Complex, Phase-1, Industrial Area, Chandigarh has been arrested in this case. Investigation of the case is in progress

मिलिये सीबीआई V/s सीबीआई के वकीलों से

 

सीबीआई में चल रहे घमासान पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा की याचिका और एनजीओ कॉमन कॉज की याचिका की सुनवाई सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस एसके पॉल और जस्टिस केएम जोसफ की बेंच ने की. सीजेआई रंजन गोगोई ने अपने फैसले में कहा कि सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच सीवीसी आज से दो सप्ताह के भीतर पूरी करे. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एके पटनायक मामले की जांच करेंगे.

मामले की पैरवी कई जाने माने वकीलों ने की. आलोक वर्मा की तरफ से सीनियर वकील फली एस नरीमन और संजय हेगड़े ने मामले की पैरवी की. फली एस नरीमन ने सुप्रीम कोर्ट में कई बड़े मामलों की पैरवी की है. खासकर अल्पसंख्यकों और मानवाधिकारों से जुड़े मुद्दों पर काम किया है. नरीमन पूर्व सॉलिसिटर जनरल भी रह चुके हैं.

दीपक मिश्रा के चीफ जस्टिस रहते हुए एक बार उन्होंने कहा था कि उन्हें लगता है कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया इंस्टीट्यूशन को डिफेंड करने में सक्षम नहीं हैं, इसलिए उन्हें चार जजों की बेंच के पास जाना चाहिए. उनका इशारा उन्हीं चार जजों की ओर था, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट की प्रशासनिक दिक्कतों को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी.

फली एस नरीमन

वहीं संजय हेगड़े भी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं. उन्होंने निर्भया रेप केस के आरोपियों को फांसी की सजा सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए थे.

वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े

दूसरी तरफ सीनियर वकील और पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के मामले की पैरवी की. मुकुल रोहतगी ने कॉमन कॉज के द्वारा फाइल पीआईएल के खिलाफ भी बहस की.

कॉमन कॉज के जरिए सीनियर वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सीबीआई में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में करवाए जाने की मांग की है.

रोहतगी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं. उन्होंने साल 2002 में हुए गुजरात दंगे और फेक एनकाउंटर केस में तत्कालीन सरकार का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखा था. इस केस में गुजरात सरकार को क्लीन चिट मिल गई थी.

साल 2014 में जब मोदी की सरकार आई तो उसके साथ ही वरिष्ठ वकील रोहतगी को देश का नया अटॉर्नी जनरल नियुक्त किया गया. वह 19 जून, 2014 से 18 जून,2017 तक इस पद पर बने रहे. बाद में उनकी जगह के.के वेणुगोपाल ने ली.

वहीं अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता चीफ विजिलेंस कमिशन (सीवीसी) की तरफ से पक्ष रखा.

सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की छुट्टी जारी रहेगी: सर्वोच्च नयायालय

 

कांग्रेस के आरोप निराधार साबित हुए।

सर्वोच्च नयायालय ने एक अभूतपूर्व फैसला लेते हुए कहा की सीवीसी की अनुशंसा पर निदेशक को अनिश्चितकालीन छुट्टी पर भेजना संवैधानिक है ओर सरकार ने कुछ गलत नहीं किया है।

 

  • अपने फैसले में सर्वोच्च नयायालय ने आगे कहा की सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जबतक इस मामले में दोबारा सुनवाई नहीं कर लेता तबतक सीबीआई के नए डायरेक्टर एम नागेश्वर राव एक भी नीतिगत फैसला नहीं लेंगे.

 

  • चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि सीवीसी सुप्रीम कोर्ट के एक जस्टिस की देखरेख में 10 दिनों में जांच जारी रखेगी. एम नागेश्वर राव केवल नियमित कार्य करेंगे. उन्होंने कहा कि सीबीआई द्वारा जांच अधिकारिओं के तबादले की सूचि सुप्रीम कोर्ट को सील बंद लिफाफे में 12 नवंबर को दी जाए.

 

  • सीजेआई रंजन गोगोई ने अपने फैसले में कहा कि सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच सीवीसी आज से दो सप्ताह के भीतर पूरा करे. जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एके पटनायक मामले की जांच करेंगे.

पत्रकार सुरक्षा, पेंशन-आवास योजना को भाजपा घोषणा पत्र में शामिल करवाने के लिए जार राजस्थान के पदाधिकारी व पत्रकार मिले भाजपा नेताओं से


  • राजस्थान में न्यूज वेबसाइट, न्यूज वेबपोर्टल और यू-ट्यूब चैनल को विज्ञापन मान्यता देने के लिए नीति बनाई और सरकार बनने के छह महीने में इसे लागू किया जाए

  • सभी समाचार पत्रों, मीडिया संस्थानों के कार्यालयों को एक ही छत के नीचे लाने के लिए बहुमंजिला मीडिया सेंटर बनाकर उन्हें कार्यालय आवंटित किए जाए


जयपुर:

जर्नलिस्टस एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार) ने चुनाव घोषणा पत्र में पत्रकार हितों से जुड़े मुद्दों को शामिल करने के लिए आज जार पदाधिकारियों ने भाजपा मुख्यालय में भाजपा नेताओं से मिलकर ज्ञापन दिए। जार के प्रदेश अध्यक्ष राकेश कुमार शर्मा, महासचिव संजय सैनी, वरिष्ठ पत्रकरा ऐश्वर्य प्रधान, जितेन्द्र सिंह राजावत, जयराम शर्मा, मजीठिया वेजबोर्ड आंदोलन में सक्रिय दैनिक भास्कर के शीलेन्द्र उपाध्याय, रीतेश गौत्तम, पिंकसिटी प्रेस क्लब के पूर्व सदस्य रवीन्द्र शर्मा शेखर आदि पत्रकार भाजपा घोषणा कमेटी के अध्यक्ष व पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री राजेन्द्र राठौड़, कमेटी के सदस्य ओंकार सिंह लखावत से मिले और इन्हें पत्रकारों के हितों से जुड़े मुद्दों को घोषणा पत्र में शामिल करने के लिए ज्ञापन सौंपा। जार प्रतिनिधियों ने राठौड़ व लखावत को पत्रकार आवास योजना, बुजुर्ग पत्रकार पेंशन योजना को लागू करने, पत्रकार सुरक्षा कानून, लघु-मझौले समाचार पत्रों को मासिक विज्ञापन तय करने, डिजिटल पॉलिसी लागू करने समेत अन्य मुद्दों के बारे में बताया। इन सभी मुद्दों को पार्टी के घोषणा पत्र में शामिल करने का आग्रह किया गया। राठौड़ व लखावत ने पत्रकार हितों के मुद्दों पर गंभीरता से विचार करके इन्हें घोषणा पत्र में शामिल करवाने का आश्वासन दिया है।

जर्नलिस्टस एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार) की ओर से निम्न सुझाव दिए गए।

– देश और प्रदेश में पत्रकारों पर जानलेवा हमले और हत्याएं की घटनाएं काफी होने लगी है। ऐसे में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान में पत्रकार सुरक्षा कानून बनाया जाए। पत्रकारों पर हमले, धमकियों को गैर जमानती अपराध घोषित किया जाए। पत्रकारिता कार्य के दौरान हमले में हताहत और घायल पत्रकारों को सरकार की तरफ से उचित मुआवजा दे और चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराएं।

-राजस्थान में वयोवृद्ध पत्रकारों की पेंशन योजना बंद है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने बुजुर्ग पत्रकारों को पेंशन देने की व्यवस्था कर रखी थी। हरियाणा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे भाजपा शासित राज्यों में भी पत्रकारों को पेंशन दी जा रही है। ऐसे में राजस्थान के पत्रकारों की पेंशन योजना फिर से शुरु की जाए और कम से कम दस हजार पेंशन रखी जाए, जिससे अपनी लेखनी से समाज व देश हित में कार्य करने वाले पत्रकारों का सम्मान व स्वाभिमान बना रहे।

-प्रदेश में पत्रकार आवास योजना के नियम सरल किए जाए। पत्रकार समाज के लिए जिलों में भूखण्ड और फ्लैट हाऊसिंग प्रोजेक्ट को अमल में लाया जाए। जयपुर की नायला पत्रकार आवासीय योजना के सभी सफल आवंटियों को पट्दे देने में आ रही बाधाओं को दूर करके आवंटियों को पट्टे दिलवाए जाए।

-बड़े समाचार पत्रों की तर्ज पर लघु व मझौले समाचार पत्रों (दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक व मासिक) को भी मुद्रणालय यंत्र व कार्यालय स्थापित करने के लिए प्रदेश भर में रियायती दर पर जमीन आवंटन किया जाए। रीको क्षेत्र में डीएलसी दर की बीस फीसदी दर पर जमीन आवंटन के नियम बनाए जाए।

-लघु व मझौले समाचार पत्रों (दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक व मासिक) को रोस्टर प्रणाली से मासिक विज्ञापनों का आवंटन सुनिश्चित किया जाए। साथ ही उक्त समाचार पत्रों के स्थापना दिवस और सरकार-पार्टी के विशेष आयोजनों पर अलग से विज्ञापन दिया जाए।

-वर्तमान युग डिजिटल है। सरकार ने प्रिंट और इलेक्टोनिक मीडिया को विज्ञापन के लिए मान्यता दे रखी है, लेकिन देश और प्रदेश में तेजी से बढ़ते व पसंद किए जा रहे न्यूज वेबसाइट, न्यूज वेबपोर्टल को राजस्थान में मान्यता नहीं है। राजस्थान में न्यूज वेबसाइट, न्यूज वेबपोर्टल और यू-ट्यूब चैनल को विज्ञापन मान्यता देने के लिए नीति बनाई और सरकार बनने के छह महीने में इसे लागू किया जाए।

– सभी समाचार पत्रों, मीडिया संस्थानों के कार्यालयों को एक ही छत के नीचे लाने के लिए बहुमंजिला मीडिया सेंटर बनाकर उन्हें कार्यालय आवंटित किए जाए।

-समाचार पत्रों को पहले रियायती दर पर सरकार न्यूज प्रिंट उपलब्ध कराती थी। इस व्यवस्था को फिर से बहाल किया जाए। क्योंकि न्यूज प्रिंट की लागत बढऩे से अखबार मालिकों के सामने आर्थिक संकट गहराने लगा है।

– पीआईबी कार्ड की तर्ज पर राजस्थान में भी पत्रकारों को एक ही कार्ड बनाकर शासन सचिवालय, मुख्यमंत्री कार्यालय, राजस्थान विधानसभा, पुलिस मुख्यालय, राजभवन व दूसरे सरकारी कार्यालयों में आने-जाने की सुविधा प्रदान की जाए।

-राज्य और राज्य के बाहर सर्किट हाउस व स्टेट गेस्ट हाउस में पत्रकारों के लिए रियायती दरों पर ठहराव की व्यवस्था करना।

-पत्रकार अधिस्वीकरण कार्ड योजना में अधिकाधिक श्रमजीवी पत्रकारों को लाभ मिल सके, इसके लिए अखबारों के तय कोटे को बढ़ाया जाए। डिजिटल मीडिया के पत्रकारों का भी अधिस्वीकरण किया जाए और इसके लिए नियम बनाए जाए।

– मेडिकल क्लेम योजना में अधिस्वीकृत पत्रकारों के साथ गैर अधिस्वीकृत श्रमजीवी पत्रकारों को शामिल करके इन्हें भी लाभांवित किया जाए।

-जेडीए, राजस्थान आवासन मण्डल, नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद की आवासीय योजना में अधिस्वीकृत पत्रकारों के लिए तय कोटे को दुगुना किया जाए।

CBI vs CBI how it unfolded

The Central Bureau of Investigation (CBI) has been in a crisis these past few weeks. Although behind the scenes earlier, the infighting between CBI Director Alok Verma and his deputy, Special Director Rakesh Asthana, is now out in the open, with the agency’s top two pointing fingers and each alleging that the other accepted bribes from the same man accused in a case the agency is investigating.

Representational image

The CBI saga, which began as an investigation into a corruption case against meat exporter Moin Qureshi, has since evolved into a controversy involving various government and judicial authorities, with both Verma and Asthana being asked to go on leave. M Nageshwar Rao was also appointed the interim CBI director.

Here is a timeline of how the Verma versus Asthana battle in the CBI unfolded:

15 October:

— The CBI registered a case of bribery against Asthana, on the basis of a complaint by Sathish Sana, an accused in the Moin Qureshi case. Asthana is accused of taking Rs 3 crore as a bribe from Sana.

Asthana’s second in command, CBI Deputy Superintendent of Police (DSP) Devender Kumar was also named in the FIR in the bribery case for allegedly forging documents related to Sana’s statement. Dubai-based investment banker Manoj Prasad and his brother Somesh Prasad are also named in the FIR.

16 October: 

— The investigating agency arrested Manoj Prasad, believed to be a middleman in the case, when he returned from Dubai.

19 October: 

— Asthana wrote to the Central Vigilance Commissioner (CVC), informing him that he wanted to arrest and interrogate Sana, for which a proposal was sent to Verma on 20 September. In the letter, he has also referred to his communication to the Cabinet secretary on 24 August, in which he detailed alleged irregularities against the CBI director.

Asthana claimed that Verma had held the file for nearly four days. He had also marked the letter to the Director of Prosecution on 24 September, who then demanded all evidence available on record, sources said.

22 October: 

— The CBI raided its own headquarters in Delhi and then arrested Kumar. The investigating agency claimed that Kumar allegedly fabricated a statemet by Sana in the Moin Qureshi case. The CBI also alleged that the statement was fabricated with a plan to “corroborate the baseless allegations made by Asthana against Verma to the CVC”.

23 October: 

— Kumar was produced before a special court in Delhi and remanded in CBI custody for seven days. Earlier the same day, Kumar had moved the Delhi High Court, seeking to have his arrest in the matter quashed.

The CBI told the court it had discovered “incriminating documents and evidence” in raids conducted on his office and home on 20 and 21 October. The agency had sought 10-day custody of Kumar and alleged that he was running an “extortion racket” under the “guise of an investigation”.

— The same day, Asthana had also approached the Delhi High Court seeking interim relief approached the Delhi high Court seeking interim relief in the bribery case, claiming that the criminal investigation against him was on “flimsy grounds” and motivated.

However, the counsel representing the CBI said: “The charges against the accused, including that of bribery and criminal conspiracy, are very serious. The charges (have been framed) under the Prevention of Corruption Act. Charges of extortion and forgery will also be added.”

The court posted the matter for hearing on 29 October and ruled that till then, status quo should be maintained and Verma should respond to Asthana’s allegations.

— Late in the evening, the Department of Personnel and Training (DoPT) issued orders  divesting both Asthana and Verma of their roles at the CBI. It is the first such case in the history of the investigating agency.

23-24 October:

— In a midnight order, the CVC had recommended sending both Verma and Asthana on leave and the formation of a Special Investigation Team (SIT) to look into the bribery allegations against both of them. Verma is accused of taking Rs 2 crore as a bribe from Sana.

— The DoPT released another directive, after the Appointments Committee of the Cabinet decided to give interim responsibility of the CBI director’s post to Joint Director M Nageswara Rao, a 1986-batch IPS officer of the Odisha cadre, with immediate effect.

24 October:

— Finance Minister Arun Jaitley said after a Cabinet briefing that an SIT will look into the charges against Verma and Asthana, and both officers will “sit out” the duration of the investigation, adding that they have been sent on leave as an interim measure. Jaitley had said it is absolutely essential to restore the agency’s institutional integrity and credibility.

— Verma moved the Supreme Court, challenging the government’s orders stripping him off his duties at the agency and appointing an interim chief in his place. He sought to have the orders removing him from the post of CBI director quashed, calling them “patently illegal”. The Supreme Court scheduled the hearing for Friday, 26 October.

In his petition, Verma emphasised the need to allow the CBI “to function completely independently and autonomously”, but said: “There are bound to be occasions when certain investigations into high functionaries do not take the direction that may be desirable to the government.”

This is a significant remark, given the allegations that Verma was removed from his post for”asking too many questions” about the Rafale fighter jet deal.

— The CBI overhauled the team investigating the allegations of corruption against Asthana, bringing in completely new faces. The transfers reflected changes made right from the investigation officer level to supervisory levels. CBI Deputy Inspector General Tarun Gauba, Superintendent of Police Satish Dagar and Joint Director V Murugesan will now investigate the charges against Asthana.

— The CVC justified its decision to recommed divesting Verma of his responsibilities at the CBI, saying it made the decision after considering “the extraordinary and unprecedented circumstances” at the investigating institution. The vigilance watchdog also cited Verma’s “non compliance” and the “willful obstructions” he created for the commission while it was investigating a corruption case against him.

विश्व हिंदू परिषद मन्दिरों का सरकारीकरण नहीं समाजीकरण चाहता है — सुरेंद्र जैन

मन्दिरों की व्यवस्था के नाम पर अव्यवस्था आज हिन्दू समाज के लिए बहुत ही दुर्भाग्य की बात है। सरकार द्वारा अधिकृत मन्दिरों को हिन्दू समाज को सौंपा जाए जिससे कि आस्था और संस्कृति को ठेस लगने से बचाया जाए। ऐसे ही विचार आज विश्व हिंदू परिषद के केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेंद्र जैन ने एक प्रेसवार्ता में रखे।

डॉ जैन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल आज परिषद के दूसरे चरण के कार्यक्रम के तहत हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य से मिले और राम मंदिर निर्माण को लेकर हरियाणा की जनता की भावनाओं से अवगत करवाया।

प्रयागराज में 31 जनवरी और 1 फरवरी को धर्म संसद का आयोजन किया जाएगा जिसमें मन्दिर निर्माण पर विचार विमर्श किया जाएगा । इस संसद में सन्तों द्वारा लिया गया निर्णय सर्वमान्य होगा।

भाजपा द्वारा राम मन्दिर को चुनावी मुद्दा बनाये जाने पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए द सुरेंद्र जैन ने कहा कि इस सामाजिक और धार्मिक मुद्दे को कांग्रेस ने ही सर्वप्रथम राजनैतिक रंग दिया है।

उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद ही नहीं बल्कि भरोसा है कि मौजूदा केंद्रीय सरकार और संसद में विधेयक लाएगी और राम मन्दिर का निर्माण कार्य आरम्भ करवाए गी ।

क्योंकि सरकार में शामिल लोग वही है जो कि राम मन्दिर निर्माण पर कन्धे से कन्धा मिला कर परिषद के साथ रहे
हालांकि न्यायपालिका से उन्हे उम्मीद थी कि इस केस की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति अपनी सेवानिवृति से पहले इस मामले में निर्णय लेते परन्तु किसी कारण ऐसा नहीं हो सका।

परन्तु हिन्दू अनन्तकाल तक निर्णय की प्रतीक्षा नहीं कर सकता। इसलिए जल्दी ही निर्णय लिया जाएगा । वर्ष 1950 से न्यायपालिका के माध्यम से भी संघर्ष जारी है। इतना ही नहीं हिन्दू समाज ने 1528 से 76 बार राम जन्मभूमि को मुक्त करवाने हेतु संघर्ष किया 77वें संघर्ष में 1992 में राम जन्म भूमि को मुक्त करवाया गया इसके बावजूद राम लला अभी तक टेण्ट में विराजमान हैं जिससे कि जनता की भावनाएं विद्वेलित होती हैं।

समय समय पर देश के प्रधानमंत्रियों से भी बातचीत चलती रही हर बार केवल आश्वासन ही मिल।

भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने वाले मुस्लिमों को डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम की बजाए बाबर के साथ जोड़ते हैं जो कि एक विदेशी हमलावर था। किसी भी विदेशी हमलावर द्वारा किये गए निर्माण को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा नहीं दिया जा सकता

राम मन्दिर निर्माण के समर्थन में नवम्बर और दिसम्बर के महीनों में परिषद के प्रतिनिधि मंडल हर क्षेत्र के स्थानीय सांसद से मिलकर उनसे आग्रह करेंगे कि संसद में इस मामले में कानून बनाने में आगे बढ़ें । इसके अतिरिक्त सभी मतों के साधुसंतों से भी आग्रह किया जाएगा कि वे अपने सम्बन्धित धर्म स्थलों पर अपनी पद्धति के अनुसार मन्दिर निर्माण कार्य की सफलता के लिए अनुष्ठान करें।

विहिप के पूर्व अध्यक्ष डॉ प्रवीण तोगड़िया के विषय मे बात करते हुए उन्होंने बताया कि संगठन से अलग होने का उनका व्यक्तिगत निर्णय था इसमें संगठन की कोई भूमिका नहीं।

प्रेसवार्ता में सन्त समाज से महामंडलेश्वर शाश्वतनन्द , महामंडलेश्वर दिव्यानन्द , साध्वी अमृता, सन्त रवि शाह, आदि भी उपस्थित रहे

ब तक चंडीगढ़ प्रशासन अंडर पास वाली जगह का अधिग्रहण नहीं कर लेता तब तक यह आमरण अनशन जारी रहेगा: प्रताप सिंह राणा


चंडीगढ़- 25 अक्टूबर 2018 , हार्मिलाप नगर :

रायपुर कलां रेलवे फाटक नंबर 123/SPL पर पिछले 3 सालों से अंडरपास बनाने का काम लंबित है I इस अंडरपास को बनाने के लिए 17 दिसंबर 2018 को इंटर स्टेट मीटिंग भी हो चुकी है इस मीटिंग में मुख्य सचिव पंजाब, मुख्य सचिव हरियाणा, तथा फाइनेंस कमिश्नर चंडीगढ़ तथा चीफ आर्किटेक्ट चंडीगढ़, हरियाणा, पंजाब के अधिकारियों ने हिस्सा लिया था I जिसमें रेलवे द्वारा भेजी गई दिनांक 15 अगस्त 2015 की ड्राइंग को मंजूरी दे दी गई थी I अंडर पास बनने वाली साइट का तीनों राज्यों के अधिकारियों ने साइट सर्वे भी कर लिया है I अंडरपास के लिए जमीन अधिग्रहण चंडीगढ़ प्रशासन को करना है क्योंकि अंडर पास की जगह चंडीगढ़ क्षेत्र में पड़ती है I अप्रोच रोड अंडरपास की जो बलटाना पंजाब क्षेत्र में पड़ता है उसका खर्चा देने के लिए एमसी जीरकपुर ने 1 साल पहले एनओसी जारी करके चंडीगढ़ प्रशासन को पत्र लिख दिया था I इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी चंडीगढ़ प्रशासन इस अंडरपास को बनाने में आनाकानी कर रहा है जिस कारण हजारों लोग रोज ट्रैफिक जाम में फंस रहे हैं छोटे-छोटे बच्चे जो सुबह स्कूल में देर से पहुंचते हैं और दोपहर को घर भी फाटक बंद होने के कारण देर से पहुंचते हैं I इस जाम के कारण बलटाना क्षेत्र की 36 कॉलोनियों के लोग सीधे सीधे प्रभावित होते हैं तथा चंडीगढ़ क्षेत्र के विकास नगर मौलीजगरा मौली गांव तथा पंचकूला के लोग भी जो रोजगार के सिलसिले में जीरकपुर या बलटाना क्षेत्र में आते हैं वह भी इससे प्रभावित होते हैं I चंडीगढ़ प्रशासन की हठधर्मी के कारण ज्वाइंट एक्शन कमेटी फॉर वेलफेयर ऑफ बलटाना रेजिडेंट ने यह फैसला लिया कि चंडीगढ़ प्रशासन के विरुद्ध आमरण अनशन के द्वारा आंदोलन शुरू किया जाए I इसी आंदोलन के अंतर्गत आज ज्वाइंट एक्शन कमेटी फॉर वेलफेयर ऑफ बलटाना रेजिडेंट के प्रधान प्रताप सिंह राणा आमरण अनशन पर बैठ चुके हैं उनका कहना है कि जब तक चंडीगढ़ प्रशासन अंडर पास वाली जगह का अधिग्रहण नहीं कर लेता तब तक यह आमरण अनशन जारी रहेगा I