राष्‍ट्रगान है तो वंदे मातरम की क्‍या जरूरत: प्रकाश अंबेडकर


भारिप बहुजन महासंघ के संस्‍थापक और राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने एक विवादित बयान दिया है


भारिप बहुजन महासंघ के संस्‍थापक और राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने एक विवादित बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि वो वंदे मातरम नहीं गाएंगे. उन्‍होंने सवाल किया कि अगर मैं जन गण मन गाउंगा तो मैं एंटी इंडिया हो जाउंगा और अगर वंदे मातरम गाउंगा तो क्या मैं सच्चा भारतीय बन जाउंगा? बीजेपी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा आप इस तरह के सर्टिफिकेट्स (नेशनल-एंटी नेशनल) देने वाले कौन होते हैं. मैं उन लोगों पर एंटी-इंडिया होने का आरोप लगाता हूं जो वंदे मातरम गाते हैं.

परभनी में एक रैली के दौरान उन्‍होंने कहा, ‘जन गण मन राष्‍ट्रगान है न कि वंदे मातरम. जब आधिकारिक राष्‍ट्रगान मौजूद है तो किसी दूसरे की क्‍या जरूरत है. क्‍या बीजेपी राष्‍ट्रगान में विश्‍वास नहीं रखती? अंबेडकर ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी के पास वंदे मातरम गाने वालों को भारतीय और नहीं गाने वाले को गैर भारतीय बताने का कोई अधिकार नहीं है.

कांग्रेस के साथ अपनी पार्टी के गठबंधन के फैसले में देरी को लेकर भी उन्होंने बयान दिया. अंबेडकर ने कहा, ‘कांग्रेस के लिए मैं एआईएमआईएम से अपना गठबंधन नहीं तोडूंगा. हम उन लोगों में से नहीं हैं जो स्‍वार्थ के लिए राजनीतिक दोस्‍तों को छोड़ देते हैं.’

सबरीमाला मंदिर को लेकर दिए गए बयान की आलोचना होने के बाद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सफाई दी है


केरल के सबरीमाला मंदिर को लेकर दिए गए बयान की आलोचना होने के बाद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सफाई दी है


केरल के सबरीमाला मंदिर को लेकर दिए गए बयान की आलोचना होने के बाद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सफाई दी है. उन्होंने कहा कि सबरीमाला के संबंध में मेरे बयान पर चर्चा हो रही है. ऐसे में मैं अपने बयान पर बयान देना चाहती हूं. एक हिंदू के नाते और एक पारसी से शादी करने के चलते मुझे अग्नि मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं है.

उन्होंने आगे कहा कि मैं पारसी समुदाय, उनके पुजारियों का सम्मान करती हूं. लेकिन दो पारसी बच्चों की मां होने के नाते वहां पूजा करने के अधिकार के लिए मैं कोर्ट नहीं गई. ऐसे ही मासिकधर्म वाली पारसी महिलाएं या फिर गैरपारसी महिलाएं किसी अग्नि मंदिर में प्रवेश नहीं करती. ये दो तथ्यात्मक बयान हैं. बाकी सब प्रोपेगेंडा और मेरे खिलाफ चलाया जा रहा एजेंडा है

उन्होंने कहा, ‘जहां तक किसी दोस्त के घर खून से सने सैनिटरी पैड को ले जाने वाले मेरे बयान को लेकर मुझ पर निशाना साधा जा रहा है. तो मैं ये बताना चाहती हूं कि मुझे अब तक कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिला है, जिसने ऐसा किया हो.’

इससे पहले केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि पूजा करने के अधिकार का यह मतलब नहीं है कि आपको अपवित्र करने का भी अधिकार प्राप्त है. उन्होंने कहा था, ‘मैं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ बोलने वाली कोई नहीं हूं, क्योंकि मैं एक कैबिनेट मंत्री हूं. लेकिन यह साधारण-सी बात है क्या आप माहवारी के खून से सना नैपकिन लेकर चलेंगे और किसी दोस्त के घर में जाएंगे. आप ऐसा नहीं करेंगे.’

उन्होंने कहा था, ‘क्या आपको लगता है कि भगवान के घर ऐसे जाना सम्मानजनक है? यही फर्क है. मुझे पूजा करने का अधिकार है लेकिन अपवित्र करने का अधिकार नहीं है. यही फर्क है कि हमें इसे पहचानने तथा सम्मान करने की जरुरत है.’ स्मृति ब्रिटिश हाई कमीशन और आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की ओर से आयोजित ‘यंग थिंकर्स’ कान्फ्रेंस में बोल रही थी.

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 28 सितंबर को मंदिर में माहवारी आयु वर्ग (10 से 50 वर्ष) की महिलाओं के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटा दिया था. सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ प्रदर्शनों के चलते महिलाओं को सबरीमला मंदिर में जाने से रोक दिया गया.

ट्रक -अर्टिका कार में आमने सामने की टक्कर किरतपुर गावँ के पास हुआ हादसा

 

खबर और फोटो: RK ओर कपिल नागपाल, कालका.

पिंजौर नालागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर आज सुबह हुआ दर्दनाक हादसा । ट्रक -अर्टिका कार में आमने सामने की टक्कर किरतपुर गावँ के पास हुआ हादसा । कार सवार पांच में से 4 लोगों की मौत , 1 घायल


घायल को इलाज के लिए सेक्टर 6 पंचकूला भेजा । मृतक बद्दी स्थित एक निजी कंपनी में काम करते थे ,
पुलिस ने मौके पर पहुंच जांच की शुरू । ट्रक ड्राइवर मौके से फरार

भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची में आडवाणी नहीं


बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में होने वाले प्रचार के लिए 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है, इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से लेकर कई केंद्रीय मंत्री, सांसद बीजेपी के पक्ष में समर्थन जुटाएंगे


चुनावों के मद्देनजर अब हर पार्टी कमर कस कर तैयार हो गई है. जीत के लिए सभी पार्टियों ने पुरजोर मेहनत करना शुरू कर दिया है. पार्टी अपने स्टार प्रचारकों की मदद से चुनाव में अपना परचम लहराने की कोशिश करती है और ऐसे में साल 2013 के चुनावों तक अटल-आडवाणी कमल निशान मांग रहा है हिंदुस्तान, का नारा लगाने वाली बीजेपी ने इस चुनाव में लालकृष्ण आडवाणी को अपने स्टार प्रचारकों की सूची में भी शामिल नहीं किया है.

बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में होने वाले प्रचार के लिए 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से लेकर कई केंद्रीय मंत्री, सांसद बीजेपी के पक्ष में समर्थन जुटाएंगे. हालांकि बीजेपी की इस लिस्ट में पार्टी के मार्गदर्शक मंडल के नेता लालकृष्ण आडवाणी को जगह नहीं मिली है. आपको बता दें कि इससे पहले भी यूपी विधानसभा चुनाव प्रचार में लालकृष्ण आडवाणी को जगह नहीं दी गई थी. यूपी विधानसभा चुनाव में लालकृष्ण आडवाणी के साथ साथ विनय कटियार, ओम प्रकाश सिंह, सूर्यप्रताप शाही, लक्ष्मीकांत बाजपेई, रमापति राम त्रिपाठी के नाम भी हटा दिए गए थे. गवर्नर होने के चलते सूची से बाहर हुए कल्याण सिंह की जगह उनके बेटे राजबीर सिंह को दे दी गई थी.

अन्य स्टार प्रचारकों में केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, नितिन गडकरी, शिवराज सिंह चौहान, उमा भारती, स्मृति इरानी, धर्मेंद्र प्रधान, जुएल उरांव, रविशंकर प्रसाद, जेपी नड्डा, योगी आदित्यनाथ, रघुवर दास, देवेंद्र फडनवीस, डॉ. रमन सिंह, डॉ. अनिल जैन, सौदान सिंह, सरोज पांडेय, मनोज तिवारी, विष्णुदेव साय, अर्जुन मुंडा, बृजमोहन अग्रवाल, अभिषेक सिंह, दिनेश कश्यप, रमेश बैस, धरमलाल कौशिक, हुकुमचंद नारायण यादव, रामकृपाल सिंह, हेमा मालिनी, पवन साय, रामप्रताप सिंह, चंदुलाल साहू, कमलभान सिंह, लखनलाल साहू, कमलादेवी पाटले, रणविजय सिंह जूदेव, रामविचार नेताम और फग्गन सिंह कुलस्ते शामिल हैं.

सत्ता विमुख दलों में हाशिये पर जाते मुस्लिम नेता


कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने हाल ही में यह कह सियासी तूफान मचा दिया है कि अब उनकी पार्टी के हिंदू नेता कार्यक्रमों में बुलाने से डरने लगे हैं.


कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने हाल ही में यह कह सियासी तूफान मचा दिया है कि अब उनकी पार्टी के हिंदू नेता कार्यक्रमों में बुलाने से डरने लगे हैं. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में वहां के छात्रों से मुखातिब आज़ाद ने कहा कि पहले उन्हें अपने कार्यक्रमों में बुलाने वालों में 95 फीसदी हिंदू हुआ करते थे. अब सिर्फ 20 फीसदी हिंदू ही उन्हें बुलाते हैं. पिछले चार साल में देश में ऐसा माहौल बन गया है कि वोट कटने के डर से हिंदू नेता मुस्लिम नेताओं को अपने कार्यक्रमों में बुलाने से कन्नी काटने लगे हैं.

आज़ाद के इस बयान पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे हिंदुओं का अपमान करार दिया. बीजेपी इसे लेकर कांग्रेस पर हमालावर हो गई है. कांग्रेस प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा है कि ऐसा बयान देकर आज़ाद ने हिंदुओं को नीचा दिखाने की कोशिश की है. बीजेपी ऐसे ही मुद्दों की तलाश में रहती है जिससे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हो और उसे चुनावी फायदा पहुंचे. पाच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. इनमें से तीन में बीजेपी की सरकारें हैं. राजस्थान और मध्य प्रदेश में मुसलमान करीब 10 फीसदी हैं, इन राज्यों में बीजेपी आज़ाद के इस बयान को बड़ा मुद्दा बनाकर ध्रुवीकरण कर सकती है.

आज़ाद कांग्रेस के कद्दावर नेता हैं. वो उन गिने-चुने नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के साथ काम किया है और अब राहुल गांधी के साथ उनके बेहद करीबी और विश्वास पात्र नेताओं की हैसियत से उनकी टीम मे शामिल हैं. पार्टी में उनकी हैसियत और अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा में विपक्ष बनाया गया हैं. लिहाज़ा यह नहीं माना जा सकता कि पार्टी और देश राजनीतिक मिजाज को समझने में उसे किसी तरह की चूक हुई होगी. जो उन्होंने महसूस किया बोल दिया. शायद यह बात कहने का समय उन्होंने गलत चुना है.

आजम खान

आजाद की हिम्मत की दाद देनी होगी कि इतने संवेदनशील मुद्दे पर उन्होंने मुंह खोला. और बगैर लाग लपेट साफ बात की. समाज को आईना दिखाया. हो सकता है कि उनका यह बयान राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए नुकसान का सबब बन जाए. पिछले साल गुजरात चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी ने यह कह कर बाजी पलट दी थी कि अगर कांग्रेस जीती तो अहमद पटेल को मुख्यमंत्री बनाएगी. पाकिस्तान अहमद पटेल को मुख्यमंत्री बनाना चाहता है. यह सच्चाई है कि इस प्रचार के बाद गुजरात में बीजेपी के पक्ष में ध्रुवीकरण हुआ था. इससे बीजेपी को चुनाव जीतने में काफी मदद मिली था.

गुजरात का यह प्रयोग इस बात का सबूत है कि तेजी से बदलते भारत में मुसलमानों के खिलाफ नफरत नित नए आयाम ले रही है. इसकी शुरुआत कब हुई यह तो रिसर्च का विषय है. लेकिन यह बात पक्के तौर पर कही जा सकती है कि जब से बीजेपी ने हिंदुत्व को खुले रूप से अपने एजेंडे में शामिल किया है तब से राजनीतिक परिदृश्य से मुसलमान कम होते गए हैं. साल 2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद राजनीति में मुसलमान लुप्तप्राय प्राणी बन गए हैं. सिर्फ कांग्रेस ही क्यों मुसलमानों के दम पर राजनीति करने वाली सपा, बसपा, राजद, जदयू और रालोद जैसी पार्टियों ने अपने मुस्लिम चेहरों पर नकाब डाल दिया है.

कांग्रेस ने गुजरात के पिछले तीन विधानसभा चुनावों में अहमद पटेल को छोड़कर किसी दूसरे मुस्लिम नेता प्रचार में नहीं भेजा. कांग्रेस आलाकमान को डर रहता है कि ज्यादा मुस्लिम चेहरे दिखेंगे तो कांग्रेस को नुकसान होगा. इस बार कर्नाटक के चुनाव में भी कांग्रेस ने मुस्लिम नेताओं को दूर रखा था. चुनावी नतीजे आने के बाद वहां सरकार बनाने के लिए गुलाम नबी आज़ाद के बड़ी ज़िम्मेदारी ज़रूर दी गई. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस के मुस्लिम नेताओं को अलग रखा गया है. ज़ाहिर है कांग्रेस मुस्लिम नेताओं को चुनाव प्रचार में नहीं भेजकर धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण की गुंजाइश कम करना चाहती है.

कांग्रेस में टिकटों के बंटवारे में भी इस बात का खास ख्याल रखा जाता है कि कहीं मुसलमानों को ज्यादा टिकट देने से उसका हिंदू वोट बैंक न खिसक जाए. गुजरात के पिछले तीन चुनाव के आंकड़े देखिए कांग्रेस 6-7 से ज्यादा टिकट मुसलमानों को नहीं देती. इसी तरह राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी पिछले तीन चुनावों में कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवारों का आंकड़ा दहाई के अंक को नहीं छूता. इन राज्यों में मुसलमानों की आबादी 10 फीसदी है.

अहमद पटेल

इस हिसाब से देखें तो कांग्रेस को इन राज्यों में कम से कम 15-20 मुस्लिम उम्मीदवार उतारने चाहिए. लेकिन हिंदू जनाधार खिसकने का डर कांग्रेस को ऐसा करने से रोकता है.

मुसलमानों का डर दिखाकर सिर्फ बीजेपी ही राजनीतिक फायदा नहीं उठाती. कांग्रेस इस इस खेल की माहिर रही है. कांग्रेस मौका मिलने अब भी नहीं चूकती. साल 2011 में असम के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने अनौपचारिक रूप से यही प्रचार किया था कि अगर हिंदुओं ने उस वोट नहीं दिया तो बदरुद्दीन अजमल राज्य के मुख्यमंत्री बन जाएंगे. तब असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चलकर ही अपनी सत्ता बचाई थी. ये खुली सच्चाई है. अब यही काम बीजेपी खुलेआम कर रही है.

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी ने राजनीति में धर्म का ऐसा तड़का लगाया था कि उसकी खुशबू राजनीतिक माहौल में रच बस गई है. पीएम बनने बाद मोदी ने देश विदेश के प्रसिद्ध मंदिरों में सार्वजनिक रूप से विशेष पूजा करके देश के बहुंसख्यंक समाज के बीच एक मजबूत हिंदू नेता की छवि बना ली है. इसकी काट कांग्रेस और बाकी पार्टियां ढूंढ ही नहीं पा रहीं. अब राहुल गांधी भी मंदिर-मंदिर चक्कर लगा कर खुद को मोदी से बेहतर हिंदू साबित करने में जुटे हैं. वहीं अखिलेश और मुलायम कभी कृष्ण को राम से बड़ा भगवान बताकर उनकी मूर्ती लगवाने की बात करते हैं तो कभी विष्णु भगवान की मूर्ती लगवाने का ऐलान करते है.

मौजूदा राजनीतिक हालात में बीजेपी को छोड़ हर पार्टी के सामने अपना वजूद बचाने की चुनौती है. ऐसे में मुसलमानों की चिंता के लिए भला किसके पास वक्त बचा है. मुलायम यिंह यादव और अमर सिंह 2009 के लोकसभा चुनाव में हर रोज दाढ़ी वाले मुसलमानों के साथ टीवी चैनलों पर दिखते थे. साल 2012 के विधानसभा चुनावों के दौरान पूरे यूपी में मुलायम, अखिलेश और शिवपाल की हरे चैक के रूमाल और सिर पर मुस्लिम टोपी वाले पोस्टर लगे थे. वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश ने एक भी लंबी दाढ़ी और टोपी वाले मुसलमान को अपने आसपास भी नहीं फटकने दिया. सपा के जन्म से ही उसका चेहरा रहे आज़म खान आज पार्टी में अपनी जगह ढूंढ रहे हैं.

लगभग सभी राजनीतिक दलों में मुस्लिम नेताओं का हालात आज़म खान और गुलाम नबी आज़ाद की तरह होती जा रही है. मायावती ने कभी बसपा में पार्टी की रीढ़ माने जाने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी को एक झटके से पार्टी से निकाल फेंका था. मुसलमानों के वोटों पर राजनीति करने वाले राजद, जदयू ने भी मौके की नजाकत को देखते हुए अपने मुस्लिम नेताओं को चुपचाप पिछली कतार में बैठा दिया है. ऐसा लगता है कि कभी मुसलमानों के वोट हासिल करने का जरिया रहे ये मुस्लिम नेता उनके लिए आज बोझ बन गए है. आज इस बोझ को कोई ढोना नहीं चाहता.

गुलाम नबी आज़ाद

गुलाम नबी आज़ाद ने जब यह मुद्दा छेड़ ही दिया है तो उनसे भी कुछ सवाल बनते हैं. आज़ाद को खुद से और अपनी पार्टी के बड़े नेताओं से भी पूछना चाहिए कि अगर देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण इस हद तक पहुंच गया है कि मुस्लिम नेताओं की मौजूगी भर से पार्टी के हिंदू वोटर खिसक जाते हैं तो फिर इसका जिम्मेदार कौन है? अगर संघ परिवार और बीजेपी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के नाम पर अपनी सांप्रदायिक सोच को देश के बड़े तबके के बीच ले जाने में कामयाब हुए हैं तो फिर पांच दशकों तक केंद्र की सत्ता और कई दशकों तक राज्यों की सत्ता में रहने के बावजूद कांग्रेस ऐसा माहौल क्यों नहीं पैदा कर पाई जिसमें समाज का कोई तबका किसी दूसरे के मुकाबले खुद को कमतर या असुरक्षित महसूस न करे. इसकी जिम्मेदारी तो किसी न किसी को लेनी होगी. लंबे समय तक सत्ता में रहने वाली कांग्रेस पर इसकी ज्यादा जिम्मेदारी आती है.

CM Raman touched the feet of ‘Yogi’ after filing his nomination


Chhattisgarh Chief Minister Raman Singh filed his nomination papers from Rajnandgaon Assembly constituency on Tuesday, 23 October, in the presence of Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath.


Chhattisgarh Chief Minister Raman Singh filed his nomination papers from Rajnandgaon Assembly constituency on Tuesday, 23 October, in the presence of Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath.

Singh, who is seeking a fourth consecutive term, was also accompanied by his wife, party in-charge for Chhattisgarh Anil Jain and several other leaders and party workers.

According to reports, the 66-year-old Chief Minister touched the feet of the Uttar Pradesh CM who is not only 20 years his junior by age but also has less experience in politics.

Adityanath arrived in Chhattisgarh to canvass support for BJP candidates after cancelling the weekly meeting of the Uttar Pradesh cabinet. He has been extensively campaigning for the saffron camp in election campaigns ever since his elevation as Chief Minister in March 2017.

Singh has contested from Rajanandgaon constituency in the last two elections. Before that, he contested and won from Dongargaon assembly constituency in Rajnandgaon district in the 2004 elections.

Ahead of filing nominations, Singh told reporters, “I have full faith on the strength of party workers and booth-level workers. The BJP has dedicated this election to Atal ji and each party worker has vowed to form the government for the fourth consecutive term with a thumping majority in the state”.

Commenting on Karuna Shukla, niece of former prime minister late Atal Bihari Vajpayee who has been pitted by Congress against Singh, the CM merely said that the Congress “did not get any local candidate”.

On the other hand, Shukla said that Singh has not done anything for the people in Rajnandgaon.

“Dr Raman Singh has served as CM Chhattisgarh for 15 yrs and as the MLA of Rajnandgaon from last 10 yrs but he didn’t do anything for the betterment of people there. So the Congress president sent me to fight for the people of Rajnandgaon,” Shukla was quoted as saying by ANI.

The last day of filing of nominations for the first phase of state assembly polls to be held on November 12 is 23 October. The second phase of the polls for the 90-member Chhattisgarh Assembly will be held on 20 November.

The votes will be counted on 11 December.

Yet to find a person who ‘takes’ blood soaked napkin to ‘offer’ to anyone: Smriti Irani


Hours after triggering a controversy with her comment on the issue of allowing menstruating women entry into the Sabarimala temple, Union Textiles Minister Smriti Irani took to Twitter to present her case.

Stating that she is a practicing Hindu married to a Zoroastrian, Irani said she respects the stand by the Zoroastrian priests not to allow any non-Parsi woman entry into a fire temple.

“As a practising Hindu married to a practising Zoroastrian I am not allowed to enter a fire temple to pray. I respect that stand by the Zoroastrian community / priests and do not approach any court for a right to pray as a mother of 2 Zoroastrian children. Similarly Parsi or non Parsi menstruating women irrespective of age DO NOT go to a Fire Temple,” she wrote in a series of tweets.

Irani stressed that everything other than the statement she made in the tweets are “propaganda or agenda”.

“These are 2 factual statements. Rest of the propaganda / agenda being launched using me as bait is well just that … bait,” the minister added.

Commenting on her remark that people do not take sanitary napkins soaked in menstrual blood into a friend’s home, Irani said that she is yet to find anyone who would do that.

“As far as those who jump the gun regarding women visiting friend’s place with a sanitary napkin dipped in menstrual blood — I am yet to find a person who ‘takes’ a blood soaked napkin to ‘offer’ to any one let alone a friend,” wrote Irani.

Before signing off, Irani claimed that the criticism coming her way due to the remarks made by her fascinates her that she is not free to air her own point of view as long as it is not the ‘liberal’ point of view.

“But what fascinates me though does not surprise me is that as a woman I am not free to have my own point of view. As long as I conform to the ‘liberal’ point of view I’m acceptable. How Liberal is that ??” tweeted Irani.

 

Smriti Z Irani

@smritiirani

Since many people are talking about my comments — let me comment on my comment.

As a practising Hindu married to a practising Zoroastrian I am not allowed to enter a fire temple to pray.

Smriti Z Irani

@smritiirani

I respect that stand by the Zoroastrian community / priests and do not approach any court for a right to pray as a mother of 2 Zoroastrian children. Similarly Parsi or non Parsi menstruating women irrespective of age DO NOT go to a Fire Temple.

Smriti Z Irani

@smritiirani

These are 2 factual statements. Rest of the propaganda / agenda being launched using me as bait is well just that … bait.

Smriti Z Irani

@smritiirani

As far as those who jump the gun regarding women visiting friend’s place with a sanitary napkin dipped in menstrual blood — I am yet to find a person who ‘takes’ a blood soaked napkin to ‘offer’ to any one let alone a friend.

Smriti Z Irani

@smritiirani

As far as those who jump the gun regarding women visiting friend’s place with a sanitary napkin dipped in menstrual blood — I am yet to find a person who ‘takes’ a blood soaked napkin to ‘offer’ to any one let alone a friend.

Smriti Z Irani

@smritiirani

But what fascinates me though does not surprise me is that as a woman I am not free to have my own point of view. As long as I conform to the ‘liberal’ point of view I’m acceptable. How Liberal is that ??

The minister, who is a member of the Rajya Sabha from Gujarat, also posted a link to the video from the event where she commented on the Sabarimala temple issue.

The Bharatiya Janata Party (BJP) leader had earlier today commented on the on the entry of women within a particular age group in the Sabarimala temple at the Young Thinkers’ Conference organised by the British Deputy High Commission and the Observer Research Foundation in Mumbai.

“It is plain common sense. Would you take sanitary napkins soaked in menstrual blood into a friend’s home? You will not. And do you think it is respectful to do the same thing when you walk into the house of God? So that is the difference. That is my personal opinion,” Irani said, adding that she cannot comment on the Supreme Court verdict because she is a serving cabinet minister.

Her remarks were criticised by many.

Delhi Commission for Women Chairperson Swati Maliwal slammed Irani for her “shameful comment”.

“Shameful comment by Smriti Irani. Is menstruating woman only a sanitary pad 4 this lady? When she has periods, doesn’t she go out of her house? Doesn’t go 2 her friend’s place? Without periods, can there be babies? Horrible words reinforcing patriarchy & misogyny by a Minister!” she wrote on Twitter.

Congress national spokesperson Priyanka Chaturvedi questioned Irani for the remark.

“Forget the places of worship for a minute but as per this shocker of a statement from you should menstruating women be sent to a kaal kothri the days that she bleeds, Ms Irani? You endorse the age old taboos associated to periods? Shame!” wrote Chaturvedi on Twitter.

When Michael Safi, the South Asia correspondent of The Guardian, quoted the Union minister on the Sabarimala issue, Irani called it “fake news” and said that she will post a video soon.

अदिति सिंह ने रंजीता मेहता के प्रयासों की सराहना की

पंचकूला।

कोऑर्डिनेटर प्रियदर्शिनी आल इंडिया महिला कांग्रेस एवं रायबरेली से विधायक अदिति सिंह व अखिल भारतीय महिला कांग्रेस प्रभारी हरियाणा पार्टी के महासचिव अनुपमा रावत ने सोमवार को पंचकूला पहुंची। महिला कांग्रेस की वरिष्ठ उपप्रधान रंजीता मेहता के निवास स्थान पर पत्रकारों से बातचीत में अदिति सिंह ने कहा कि देश और प्रदेश की भाजपा सरकार के खिलाफ आक्रोश है। महिलाएं प्रण कर चुकी हैं कि वह देश और प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से उखाड़ फेंकेगी। जिसके लिए वह केवल चुनावों का इंतजार कर रही हैं। आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में देश की आधी आबादी राहुल गांधी जी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए मतदान करने वाली है। उन्होंने कहा कि पंचकूला में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए रंजीता मेहता उल्लेखनीय काम कर रही है। रंजीता मेहता से उन्होंने पंचकूला के समीकरणों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि महिलाओं को टिकट दिलवाने के लिए कोशिश की जाएगी। उन्होंने कहा कि आने वाले वाला समय कांग्रेस है।
इस अवसर पर महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय पदाधिकारी चित्रा सारवारा, शक्ति प्रोजेक्ट की प्रभारी कमल मान, हरियाणा प्रदेश महिला कांग्रेस की वरिष्ठ उपप्रधान रंजीता मेहता, इंचार्ज एडमिनिस्ट्रेशन मीना राठी, इंचार्ज ऑर्गेनाइजेशन सुधा भारद्वाज, सोनीपत जिला अध्यक्ष राजेश चौधरी, अंबाला जोन कोऑर्डिनेटर विमला सराह , आईटी सेल के प्रभारी रुचि शर्मा, उपाध्यक्ष अमनदीप कौर, पंचकूला की कार्यकारी जिलाध्यक्ष किरण मलिक, रुचि शर्मा, अमरदीप कौर, सुनीता शर्मा, पूनम, दर्शन नंदन, सुषमा खन्ना, मीनाक्षी चौधरी, नंदिता हुड्डा, कविता, एनजीओ कोऑर्डिनेटर सुनीता शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष पंचायती राज मंजू भारत, जिलाध्यक्ष अंबाला सुमन मेहरा, प्रियदर्शनी की प्रदेश अध्यक्ष पूनम चौहान, कोऑर्डिनेटर अनिता नैन, रीना बाल्मीकि, रीना विराट, बिना देशवाल, सविता चौधरी, मंजू सोनगढ़, राखी कौशिक, निर्मला यादव सुदेश चौधरी, उपेंद्र कोर आहलूवालिया एवं अन्य महिला पदाधिकारी उपस्थित थी।

पंजाब में टूट रहा है अकाली दल, अब पार्टी के इस वरिष्ठ नेता ने दिया इस्तीफा, कहा- सुखबीर और मजीठिया सब संभाल लेंगे

नरेश शर्मा भारद्वाज

सुखदेव सिंह ढींडसा के बाद अकाली दल के एक और बड़े नेता रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने पार्टी प्रधान सुखबीर बादल को झटका दिया है। ब्रह्मपुरा ने पार्टी के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट तथा कोर कमेटी के मेंबर पद से इस्तीफा दे दिया है। रंजीत ब्रह्मपुरा ने यह भी साफ़ किया है कि आगामी 2019 की लोक सभा चुनावों में तकड़ी से चुनाव नहीं लड़ेंगे। हालांकि यह सारे पद छोड़ने के बाद वह पार्टी में ही बने रहेंगे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके साथ वरिष्ठ नेता रतन सिंह अजनाला भी थे

शिरोमणि अकाली दल (बादल) के वरिष्ठ नेता रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने आज अकाली दल के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। ब्रह्मपुरा ने कहा कि उनकी उम्र ज्यादा होती जा रही है और वह इस पद को संभालने में असमर्थ हैं।
प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि इस उम्र में उनका पार्टी के लिए काम करना अब मुश्किल हो रहा है जिस कारण उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि अकाली दल उनकी मां पार्टी है।

अकाली दल के रहे और अकाली दल के लिए ही मरेंगे। ब्रह्मपुरा ने कहा कि वह अकाली दल के मैंबर के तौर पर पार्टी में बने रहेंगे। उनके साथ वरिष्ठ अकाली नेता रत्न सिंह अजनाला भी मौजूद थे।

India asked the Pak PM to stop supporting and glorifying terrorists and terror activities against India and its other neighbours.

External Affairs Ministry Spokesperson Raveesh Kumar said, instead of making comments on India’s internal affairs, Pakistan leadership should look inwards and address its own issues. (File Photo)


India asked the Pak PM to stop supporting and glorifying terrorists and terror activities against India and its other neighbours.


A day after Pakistan Prime Minister Imran Khan condemned the ‘new cycle of killing of innocent Kashmiris’ targeting India, India, on Tuesday, termed Pakistan Prime Minister’s remark about the situation in Kashmir as deeply regrettable.

India asked the Pak PM to stop supporting and glorifying terrorists and terror activities against India and its other neighbours.

External Affairs Ministry Spokesperson Raveesh Kumar said, instead of making comments on India’s internal affairs, Pakistan leadership should look inwards and address its own issues.

Pakistan should serve the interest of the people of the region by taking credible action against all kind of support to terrorism and terror infrastructure from all territories under its control, said Kumar, adding that Pakistan’s deceitful stand on dialogue, while supporting terror and violence, stands exposed to the whole world.