Saturday, January 11
पंचकूला, 9 अक्तूबर:-
जिला में धान फसल की कटाई जोरों पर है। फसल की ज्यादातर कटाई कम्बाईन हारवेस्टर से की जाती है, जिसके फलस्वरूप फसल का कुछ अवशेष बच जाते हैं। इस फसल अवशेष को प्राय किसानों द्वारा जला दिया जाता हैं। फसल अवशेष जलाने से भूमि में मौजूद आवश्यक कार्बन तत्व, सूक्ष्म पोषक तत्व व जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है। आग लगाने से उत्पन्न धुऐं से दिल व फेंफड़ों की बीमारियों की सम्भावना बनी रहती है जिससे अस्थमा इत्यादि बिमारी हो जाती है। आग से पर्यावरण में मौजूद ऑक्सीजन की कमी भी हो जाती है। प्राय: कई बार देखने में आया है कि आग से जान व माल का भारी नुकसान भी हो जाता हैं।
उपायुक्त श्री मुकुल कुमार ने कहा कि फसल अवशेष का किसान पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। कृषि विभाग द्वारा फसल अवशेष के निपटान हेतू व भूमि की शक्ति बनाऐं रखने हेतू विभिन्न प्रकार के कृषि यन्त्रों जैसे कि स्ट्रा रिपर, स्ट्रा बेलर, रिपर बाइंडर और जीरो ड्रिल, हैपी सीडर, मल्चर, रिवर्सिबल प्लो, स्ट्रा चैपर तथा स्ट्रा श्रेडर इत्यादि पर सबसिडी दी जाती है। इन कृषि यन्त्रों के प्रयोग से किसान फसल अवशेषों का उचित प्रयोग कर सकते हैं। स्ट्रा बेलर से गाठें बना कर व गाठों को बिक्री करके अतिरिक्त कमाई भी की जा सकती है।
उन्होंने बताया कि फसल अवशेष जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों को देखते हुए माननीय कोर्ट द्वारा दिशा निर्देश जारी किए हैं। यदि किसी किसान द्वारा फसल अवशेष जलाए जाते हैं तो उससे जुर्माने के रूप में 2500 रुपये से 15000 रुपये तक का जुर्माना वसूला जाएगा।
फसल अवशेष न जलाने के बारे में कृषि विभाग द्वारा खण्ड बरवाला व रायपुरानी में एक विशेष अभियान चलाया गया, जिसके अन्र्तगत सभी उच्च विद्यालयों व वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के बच्चों को फसल अवशेष के दुष्प्रभावों से अवगत करवाया गया। इसके अतिरिक्त एक जागरूक वाहन चलाया जा रहा है, जिसके माध्यम से खण्ड बरवाला व रायपुररानी के सभी गाँवों में फसल अवशेष न जलाने की मुहिम चलाई जा रही है।
उन्होंने किसानों को फसल अवशेष न जलाने की अपील की।