कर्णाटक में उपचुनावों कि घोषणा के साथ जेडीएस पर छाये चिंता के बादल

तीन लोकसभा सीटों और दो विधानसभा चुनावों पर उप चुनाव की घोषणा ने कर्नाटक की जेडीएस सरकार की परेशानी को बढ़ा दिया है. शनिवार को चुनाव आयोग ने शिमोगा, बेल्लारी और मांड्या लोकसभा सीटों और जामखंडी और रामनगर विधानसभा सीटों पर 3 नवंबर को चुनाव कराने की घोषणा करके राज्य सरकार को चौंका दिया है. आम चुनाव से महज चार महीने पहले होने वाले इन उपचुनावों को लेकर कांग्रेस और जेडीएस भ्रम की स्थिति में आ गई है.

क्योंकि अगले ही साल लोकसभा चुनाव होने हैं तो तीनों बड़े दल बीजेपी, जेडीएस और कांग्रेस को बिल्कुल अंदेशा भी नहीं था कि चुनाव आयोग बीएस येद्दयुरप्पा, बी श्रीमलुरु और सीएस पुत्ताराजू द्वारा छोड़ी गई इन सीटों के लिए भी उपचुनाव की तारीख तय कर देगा. कांग्रेस के विधायक सिद्धू न्यामगौड़ा की मृत्यु और मुख्यमंत्री कुमारस्वामी की दो सीटों पर जीत के बाद रामनगर विधानसभा सीट से इस्तीफा देने के बाद इन सीटों में भी उपचुनाव की जरूरत पड़ी.

इन दोनों विधानसभा सीटों पर अपनी जीत को लेकर जेडीएस-कांग्रेस ज्यादा फिक्रमंद नहीं दिख रही. हालांकि आम चुनाव से महज चार महीने पहले कर्नाटक में लोकसभा की तीन सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर कांग्रेस और जेडीएस भ्रम की स्थिति में है.

इतने कम समय के लिए चुनाव की जरुरत नहीं थी:

तीनों पार्टियों के नेताओं का कहना है कि इतने कम समय के लिए इस उपचुनाव की कोई जरूरत नहीं थी. हालांकि इनमें से दो लोकसभा सीटें बीजेपी के पास हैं और उसने शिमोगा के लिए पहले से ही उम्मीदवार को घोषित कर रखा है. येदियुरप्पा के बेटे और पूर्व सांसद राघवेंद्र यहां से चुनाव लड़ेंगे. पार्टी ने बी श्रीरालुरु को बेल्लारी से अपनी पसंद का उम्मीदवार घोषित करने को कहा है. इसके अलावा बीजेपी मंड्या सीट पर जेडीएस और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच मतभेदों का फायदा उठाने की योजना बना रही है.

मांड्या सीट पर जेडीएस काबिज है, इसलिए गौड़ा ने कांग्रेस से इसे उन्हें देने के लिए कहा है. हालांकि कांग्रेस का एक वर्ग इसका विरोध कर रहा है और दावा कर रहा है कि कांग्रेस की मौजूदा सांसद राम्या दिव्या स्पंदना 2014 में जेडीएस उम्मीदवार से सिर्फ 5,000 वोटों से हारी थीं.

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता न कहा, ‘अगर हम जेडीएस के खिलाफ मंड्या से अपना उम्मीदवार उतारते हैं, तो गठबंधन सरकार गिर जाएगी और अगर हम जेडीएस को मंड्या में वापस लाते हैं तो हमारी पार्टी वहां पर पूरी तरह से खत्म हो जाएगी. हम वहां काफी मजबूत हैं और यह हमारे लिए यह सुनहरा मौका हो सकता है.’

मंड्या से स्थानीय कांग्रेस नेता चेलुवरया स्वामी ने जिले में जेडीएस के साथ किसी भी तरह के गठबंधन से साफ इनकार किया है. इसके अलावा ऐसी भी खबर है कि बीजेपी उन्हें लुभाने की कोशिश कर रही है

रामनगर सीट को लेकर कांग्रेस जेडीएस में द्वंद:

स्थानीय कांग्रेस नेता कुमारस्वामी द्वारा खाली की गई रामनगर विधानसभा सीट पर भी जेडीएस के समर्थन का विरोध कर रहे हैं. मुख्यमंत्री की पत्नी और पूर्व विधायक अनीता कुमारस्वामी वहां से चुनाव लड़ेंगी.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और विधायक लिंगप्पा का कहते हैं कि हालिया चुनाव में पार्टी को 60,000 से ज्यादा वोट मिले थे. ऐसे में पार्टी को जेडीएस के खिलाफ उम्मीदवार उतारना चाहिए.

कांग्रेस अभी भी बेल्लारी और शिमोगा लोकसभा सीट के लिए उम्मीदवारों की तलाश में है. ये दोनों सीटें बीजेपी के पास हैं. इसलिए गठबंधन को दोनों सीट पर जीत हसिल करने के लिए ताकतवर उम्मीदवार उतारने की जरूरत है. हालांकि कोई भी बड़ा नेता 6 महीने से भी कम कार्यकाल के लिए इन सीटों पर लड़ने में अपनी रुचि नहीं दिखा रहा. कांग्रेस नेता ने कहा कि इतने कम कार्यकाल के लिए कौन पैसा खर्च करना चाहेगा? इसके अलावा उनकी फिक्र यह भी कि है अगर पार्टी इन सीटों पर ठीक से नहीं लड़ती है तो इसका आगामी आम चुनावों पर असर पड़ेगा.

उधर जमखंडी विधानसभा सीट को लेकर जेडीएस और कांग्रेस के बीच कोई विवाद नहीं दिखता. जेडीएस ने पिछले चुनाव में एक हज़ार से भी कम वोट पाए और कांग्रेस ने दिबंगत विधायक सिद्धू न्यामुगड़ा के बेटे आनंद नय्मुगड़ा को वहां से उतारने का फैसला किया है.

जेडीएस सुप्रीमो एचडी देवेगौड़ा और राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष दिनेश गुंडुराव ने कहा कि सभी मुद्दों को एक या दो दिनों में हल किया जाएगा और वे संयुक्त रूप से सभी पांच सीटों में बड़ी लड़ाई करेंगे.

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