पंचकूला 3 अक्तूबर:
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जन्म से एक वर्ष तक की आयु के बच्चों को निमोनिया से बचाव के लिए निशुल्क न्यूमोकोकल कंजुगेट पीसीवी टीकाकरण लगाने का निर्णय लिया गया है ताकि प्रदेश को निमोनिया मुक्त बनाया जा सके।
यह जानकारी आज जिम खाना क्लब में आयोजित मीडिया कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए सिविल सर्जन योगेश शर्मा ने बताया कि सरकार विशेषकर बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर गम्भीर है। इसलिए इस पीसीवी टीकाकरण को लगाने निर्णय लिया है ताकि एक वर्ष तक के बच्चों को निमोनिया से निजात दिलाई जा सके। उन्होंने बताया कि न्यूमोकोकल कंजुगेंट वैक्सीन लगाने का कार्य 9 अक्तुबर को पूरे प्रदेश में किया जाएगा। यह टीका अन्य टीकों के साथ लगाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा देश के कई राज्यों में इस टीके को प्रथम चरण में लगाने का निर्णय लिया गया। इसके बाद दूसरे चरण में हरियाणा सरकार ने अपने खर्चे से प्रदेश के सभी अस्पतालों में यह तीन टीके लगाने का निर्णय लिया गया है। यह टीके 4, 14 व 19 महिनें के बच्चों को लगाया जाएगा। अन्य टीकों के साथ लगाने से इसका कोई साईड इफेक्ट नहीं है तथा निमोनिया की चार मेजर बीमारियों से बचाव का कार्य करेगा। उन्होंने बताया कि निमोनिया का बैक्ट्रिया आसानी से फैलता है। इसलिए अभिभावकों को इसके लिए जागरूक रहना चाहिए। विश्व स्तर पर निमोनिया से एक वर्ष की आयु के 16 प्रतिशत बच्चों को अकारण मौत हो जाती है।
कार्यशाला में उन्होंने बताया कि मल्टीपल इंजेक्शन के साथ इन्द्रधनुष कार्यक्रम की तरह इस टीके को लगाया जाएगा। यह बहुत ही महंगा टीका है लेकिन सरकार ने सभी बच्चों के लिए निशुल्क लगाने का फैसला करके एक वर्ष तक की आयु के बच्चों का जीवन सुरक्षित किया है। अब तक यह टीका केवल प्राईवेट अस्पतालों में ही लगाया जाता था। उन्होंने बताया कि यह एक युनिवर्सल प्रोग्राम है जो प्रदेश के छोटे बच्चों के लिए कारगर साबित होगा और इससे बच्चों को जीवनदान मिलेगा तथा शिशु मृत्यु दर में भी कमी आएगी।
उन्होंने टीकाकरण का महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि प्रदेश के मेवात जिले में बच्चों को वैक्सीन न लगवाने के अभाव में डिफथीरिया आउटब्रेेक होने के कारण पूरे प्रदेश में हाई अलर्ट घोषित किया गया है तथा सभी चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिए गए है कि वे आशा वर्कर, एएनएम व अपने स्टाफ के साथ अपने अपने क्षेत्रों में धर घर जाकर इसकी पहचान करें और गलघोटू बीमारी के लक्षण पाए जाने पर ऐसे बच्चों को तत्काल अस्पताल में उपचार के लिए भेंजें। उन्होंने बताया कि अब तक गलघोटू के 34 केस सामने आए हैं इनमें से 3 शिशुओं की मृत्यु डिफथीरिया के कीटाणुओं के कारण हुई है।
उन्होंने बताया कि बुखार के साथ साथ गले में झिल्ली होना पाया जाता है तो ओर बच्चों को सांस लेने में दिक्कत होती है तो गलघोटू बीमारी के लक्षण है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि पंचकूला के मोरनी व पिजोंर में डेंगू बीमारी के अब तक 75 केस सामने आ चुके है। लेकिन विभागीय टीम निरंतर जाचं एंव निगरानी कर रही है। डेंगू बीमारी का यह सबसे खतरनाक समय है, इसलिए पूर्ण सावधानी बरतें। उन्होंने कहा कि शरीर को ढक कर रखें तथा पानी को एक़त्र न होने दें। प्रत्येक रविवार को ड्राई डे के रूप में मनाए। इस दिन सभी पानी स्टोरेज करने वाले बरतनों एवं टैंकों की सफाई करवाएं और लारवा को पनपने से रोंके।
इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के डा. गगन सिंगला, उप सिविल सर्जन डा. सरोज अग्रवाल सहित कई चिकित्सक एवं स्टाफ मौजूद रहा।