:सुप्रीम कोर्ट का फैसला, अब अदालत की कार्यवाही की होगी लाइव स्ट्रीमिंग
दिनेश पाठक:
ने अहम अदालती कार्यवाही के सीधे प्रसारण की अनुमति दे दी है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश देते हुए कहा कि इस प्रक्रिया की शुरुआत सुप्रीम कोर्ट से होगी। कोर्ट ने कहा कि लाइव स्ट्रीमिंग के आदेश से अदालत की कार्यवाही में पारदर्शिता आएगी और यह लोकहित में होगा।
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा, ‘इसे सुप्रीम कोर्ट से शुरू किया जाएगा पर इसके लिए कुछ नियमों का पालन किया जाएगा। लाइव स्ट्रीमिंग से जूडिशल सिस्टम में जवाबदेही आएगी।’ बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की विडियो रिकॉर्डिंग और उसके सीधे प्रसारण को लेकर केंद्र से जवाब मांगा था। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि चीफ जस्टिस द्वारा संवैधानिक मामले की सुनवाई की विडियो रिकॉर्डिंग और लाइव स्ट्रीमिंग ट्रायल बेसिस पर की जा सकती है। केंद्र ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया की लाइव स्ट्रीमिंग और विडियो रिकॉर्डिंग के लिए पायलट प्रॉजेक्ट शुरू किया जा सकता है।
केंद्र सरकार ने दी थी यह दलील
केंद्र की तरफ से अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने शीर्ष अदालत में कहा था आगे चलकर पायलट प्रॉजेक्ट की कार्य पद्धति का विश्लेषण किया जाएगा और उसे ज्यादा प्रभावी बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि लाइव स्ट्रीमिंग को एक प्रयोग के तौर पर पहले एक से तीन महीने के लिए शुरू किया जा सकता है, जिससे यह समझा जा सके कि तकनीकी तौर पर यह कैसे काम करता है।
वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने दाखिल किया था पीआईएल
चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ की इस बेंच ने वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह समेत सभी पक्षों से अटर्नी जनरल के इस प्रस्ताव पर अपनी राय देने को कहा था। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने PIL दाखिल कर अनुरोध किया था कि जो केस राष्ट्रीय महत्व और संवैधानिक महत्व के हैं, उनकी पहचान कर उन मामलों की रिकॉर्डिंग की जाए और सीधा प्रसारण किया जाना चाहिए।
SC ने कहा-नागरिकों को सूचना पाने का अधिकार
कोर्ट ने यह भी कहा था कि सुनवाई का सीधा प्रसारण होने से पक्षकार यह जान पाएंगे कि उनके वकील कोर्ट में किस तरह से पक्ष रख रहे हैं। जयसिंह ने याचिका में मांग की थी कि संवैधानिक और राष्ट्रीय महत्व के मामलों की सुनवाई का सीधा प्रसारण किया जाए क्योंकि नागरिकों के लिए यह सूचना पाने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों में ऐसा सिस्टम है।
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