तालिबान के ड्रग्स व्यापार पर लगाम लगाने में विफल रहा संयुक्त राष्ट्र: सैयद अकबरुद्दीन
उन्होंने कहा कि तालिबान का 60 प्रतिशत राजस्व ड्रग्स व्यापार से आता है और तालिबान के कब्जे वाले क्षेत्रों में अफीम की खेती को सबसे ज्यादा पैसा देने वाली फसल माना जाता है
तालिबान के ड्रग्स व्यापार पर लगाम लगाने में विफल रहने को लेकर भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर हमला बोला है. भारत ने कहा कि ड्रग्स का धंधा चलाने वाले और अफगानिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों की चोरी करने वाले आपराधिक गिरोहों से इस आतंकवादी संगठन को अच्छी खासी मदद मिलती है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने सोमवार को सुरक्षा परिषद में एक चर्चा के दौरान कहा कि महासचिव की ताजा रिपोर्ट भी इस मुद्दे को पर्याप्त ढंग से समझने में विफल हुई है.
उन्होंने इस बात पर भी चिंता जाहिर की कि भले ही इस साल की शुरुआत में सुरक्षा परिषद में अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) को बढ़ाने का प्रस्ताव चरमपंथ, आतंकवाद, मादक पदार्थों के उत्पादन और अफगानिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों के अवैध दोहन के बीच संबंधों पर ध्यान केंद्रित करता है. लेकिन तालिबान के ड्रग्स व्यापार से निपटने में उसकी कोशिशों के मामले में खरा नहीं उतरता.
भारत ने ड्रग्स के व्यापार को कमजोर बनाने का आह्वान किया, जो तालिबान और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों को वित्तीय सहायता मुहैया कराता है. आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि तालिबान का 60 प्रतिशत राजस्व ड्रग्स व्यापार से आता है और तालिबान के कब्जे वाले क्षेत्रों में अफीम की खेती को सबसे ज्यादा पैसा देने वाली फसल माना जाता है.
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