चंडीगढ़ से लाल डोरे का आतंक खत्म: शर्मा

Photo by Rakesh Shah

आज दिनांक 08/09/2018 को प्रेस क्लब चंडीगढ़ में प्रेस वार्ता करके अविनाश सिंह शर्मा, “ चंडीगढ़ की आवाज “ ने बताया कि पिछले 50 वर्षों से चंडीगढ़ के गांवों (फैदा, धनास, कैंबवाला, खुड्डा अली शेर, खुड्डा लाहौरा, खुड्डा  जस्सू, सारंगपुर, किशनगढ़, बहलाना, दरिया, मौली जगरा, माखन माजरा, रायपुर कलां, रायपुर खुर्द और हल्लो माजरा आदि) में लाल डोरे के नाम पर पेरीफेरी कंट्रोल एक्ट 1952 के तहत गांव वासियों के बने मकानों पर बुलडोजर चलाए जा रहे थे । यह भाजपा – कांग्रेस नेताओं के इशारों पर उत्पीड़न की राजनीति हो रही थी । भाजपा-काग्रेस के हर चुनाव का मुद्दा लाल डोरा होता था | “ चंडीगढ़ की आवाज “ ने चुनावी मेनफेस्टो के लाल डोरे की बड़ी समस्या का हाई कोर्ट के माध्यम से पूरा कर दिया है | ग्राम फैदा निवासी राज कुमार एवं अन्यो प्रेस कांफ्रेंस में साथ बैठ कर बताया कि अविनाश सिंह शर्मा की बदौलत हम लोगो का मकान बचा और न्याय मिल सका | लाल डोरे का आतंक चंडीगढ़ के गांवों से खत्म हो गया है | इसी के साथ लाल डोरे के बाहर रहने वाले लोगो को पक्की राहत मिल गई | चंडीगढ़ के ग्राम फैदा में सैकड़ों ग्रामवासियों को पेरीफेरी कंट्रोल एक्ट 1952 के तहत अप्रैल 2016 को  नोटिस आया था । सैकड़ों ग्रामवासियों ने लिखित जिम्मेदारी अविनाश सिंह शर्मा को अपनी पैरवी लिए  दिया था | अविनाश सिंह शर्मा, फैदा ग्रामवासियों की पैरवी  के लिए लैंड ईकयूजेशन जज के सामने लिखित जवाब के साथ पेश हुए थे । अविनाश सिंह शर्मा ने जवाब में पेरीफेरी कंट्रोल एक्ट चंडीगढ़ के अंदर लागू नहीं होता ये स्पष्ट रूप से लिखा था ।  सुनवाई के बाद कोई नोटिस नहीं आया था | फिर अचनाक  22 मार्च 2017 से चंडीगढ़ प्रशासन के लोग मकान तोड़ने की बात करने लगे थे । और एडवाइजर का आदेश बता रहे थे । 23 मार्च 2017 को लिखित पत्र के साथ एडवाइजर से अविनाश सिंह शर्मा मिले थे और 27/03/2017 सूचना अधिकार 2005के अंतर्गत डिप्टी कमिश्नर चंडीगढ़ से ग्राम फैदा की कार्रवाई की प्रति मांगी थी । जिस के बाद 30/03/2017 को ग्राम वासियों को डिमोलिशन की प्रति भेजी गई थी । चंडीगढ़ की आवाज अविनाश शर्मा के मदद से पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के वरीय अधिवक्ता मोहनलाल सगगर ने दिनांक 05/04/2017 को राजकुमार एवं ग्राम वासियों का रिट CWP-7426-2017 हाई कोर्ट ऑफ़ पंजाब एंड हरियाणा में फाइल करवाया । कोर्ट का खर्च “ चंडीगढ़ की आवाज “ ने उठाया । जस्टिस ने 07/04/2018 को अधिवक्ता की दलीलों को सुनने के बाद स्टे आर्डर दिया था । उसी के आधार पर और भी पीड़ितों को लाल डोरे पर स्टे मिला । 29/08/2018 को अधिवक्ता मोहनलाल सगगर की दलीले सुनने के बाद माननीय जस्टिस सूर्यकांत , जस्टिस  सुदीप अहलुवालिआ ने अपने फैसले में स्पष्ट रूप से लिखा है । कि चंडीगढ़ के अंदर पेरीफेरी कंट्रोल एक्ट 1952 लागू नहीं होता है । जो पेरीफेरी कंट्रोल एक्ट के तहत कार्रवाई हुआ वह गलत है । क्योंकि जगह चंडीगढ़ यूनियन टेरिटरी के अंदर है । चंडीगढ़ प्रशासन के डेमोलेशन नोटिस ( पेरीफेरी कंट्रोल एक्ट 1952 नोटिस ) को खारिज कर दिया ।  हाई कोर्ट के आर्डर के बाद अब किसी भी ग्राम में बुलडोजर नहीं चलेगा | हाई कोर्ट के फैसले से ग्राम ( फैदा,खुडा अली शेर, कैंबवाला, किशनगढ़, धनास, खुड्डा अली शेर, खुड्डा लाहौरा, खुड्डा जस्सू, सारंगपुर, किशनगढ़, बहलाना, दरिया, मौली जगरा, माखन माजरा, रायपुर कलां, रायपुर खुर्द और हल्लो माजरा आदि)  से लाल डोरे का आतंक खत्म हो गया |

इस संबंध में चडीगढ की आवाज के महामंत्री, कमल किशोर शर्मा, ने सवाल उठाते हुए दोनेा दलो के नेताओ से आम जनता की कचहरी में आकर उनके सवालो के जवाद देने की मांग करते हुए दोनेा पार्टीयो के नेताओं पर सवाल दागे जिनमें मुख्त: पेरीफेरी कंट्रोल एक्ट 1952 जोकि चंडीगढ़ में लागू नहीं होता परंतु भाजपा-काग्रेस के नेताओं ने पता होने के बावजूद भी वर्षो से लोगों के घरो पर बुलडोजर क्यों चलवा रहे थे। उन्होने पुछा कि क्या लोगो को इंसाफ लेने के लिए हर बार माननीय हाई कोर्ट ही जाना होगा ? उन्होने कहा कि या तो यहां के भाजपा-काग्रेस के राजनेता अनपढ़, एवं नासमझ है, या वो आज तक लोगो को दुखी करने की राजनीति करते आ रहे है, आज दोनो पार्टीयों के नेताओ को अपना स्पष्टीकरण देना चाहिऐ ।

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