स्वर्णों के लिए कांग्रेस ओर भाजपा एक समान


स्वर्णों ने दिग्विजय को सत्ताच्युत किया था अब शिवराज उर्फ भाजपा की बारी है , नोटा की तैयारी है

स्वर्णों को अपनी मलकीयत समझने वाली भाजपा ने अपना जनाधार खो दिया 


मध्यप्रदेश में सवर्ण समाज द्वारा बुलाया गया भारत बंद का व्यापक असर देखने को मिला. चंबल संभाग में सवर्णों ने पुलिस की गाड़ियों पर पथराव किया. एट्रोसिटी एक्ट के खिलाफ हुए इस बंद की सबसे ज्यादा हलचल भारतीय जनता पार्टी में देखी गई. भिंड में बीजेपी विधायक नरेन्द्र सिंह कुशवाह के पुत्र पुष्पेन्द्र सिंह बंद को सफल बनाने के लिए सवर्ण समाज के साथ सड़क पर उतर आए. रैली निकालने की कोशिश में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

वहीं रीवा में वरिष्ठ नेता लक्ष्मण तिवारी ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. बंद की व्यापक सफलता को भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ी चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है. राज्य में सवर्णों की नाराजगी को उभारने के पीछे पार्टी के असंतुष्टों का हाथ भी देखा जा रहा है. दो माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में सवर्ण आक्रोश का असर देखने को मिल सकता है. प्रदेश में सवर्णों ने सड़क पर अपनी ताकत का प्रदर्शन पहली बार किया है. लेकिन,2003 के विधानसभा चुनाव में वह अपने वोट से तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को वनवास दे चुकी है.

शिवराज को याद आया राजधर्म कहा, वंचित वर्ग उनकी प्राथमिकता में है

शिव राज कुर्सी की राजनीति में मई के लाल को भूल बैठे

2 अप्रैल के दलित आंदोलन के दौरान बड़े पैमाने पर हुई हिंसा को देखते हुए ग्वालियर-चंबल संभाग में सुरक्षा के बड़े पैमान पर इंतजाम किए गए थे. इस संभाग के अशोकनगर, गुना, भिंड और मुरैना में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव की छिटपुट घटनाएं हुईं. अशोकनगर में प्रदर्शनकारियों ने रेल की पटरी पर बैठकर पटरी जाम करने की कोशिश की. जबलुपर में भी इस तरह की कोशिश सफल नहीं हुई.

उज्जैन जिले में दो वर्ग जरूर आमने-सामने आ गए. राज्य के गृह मंत्री भूपेन्द्र सिंह लगातार हालात पर नजर रखे हुए थे. प्रदर्शनकारियों ने भूपेन्द्र सिंह के बंगले का भी घेराव किया गया था. गृह मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि बंद के दौरान कोई अप्रिय स्थिति कही निर्मित नहीं हुई है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी जनआशीर्वाद यात्रा के तहत खंडवा जिले में सभाएं कर रहे थे. मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के दौरान भी कोई व्यधान की घटना नहीं है. सीएम के यात्रा मार्ग पर सवर्णों ने अपने घर पर एट्रोसिटी एक्ट के खिलाफ बैनर लगा रखे थे.

कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया मैहर में परिवर्तन रैली कर रहे थे. वहां भी सभा और रोड शो में सवर्णों के बंद का असर नहीं दिखा. एट्रोसिटी एक्ट का सवर्णों द्वारा किए जा रहे विरोध के बारे में पूछे गए सवाल पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया.

उन्होंने कहा कि सबके मन की बात सुनकर, सबके हित की बात की जाएगी. जब उनसे माई के लाल वाले बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि संबल योजना हर वर्ग के लिए है. मुख्यमंत्री ने कहा कि वे राजधर्म का पालन करेंगे. वहीं भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय चौहान ने विट्टन मार्केट स्थित अपनी फूलों की दुकान भी नहीं खोली. बुधवार को दमोह में सवर्णों की नाराजगी का शिकार हुए प्रहलाद पटेल ने सफल बंद के बाद कहा कि जरूरी हुआ तो कानून में संशोधन किया जाएगा.

पुलिस के लचीले रवैये के कारण बनी रही शांति

भारत बंद के आह्वान के चलते सीबीएसई और एमपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों में छुट्टी का एलान कर दिया गया था. कॉलेज भी बंद रहे. बंद के चलते राज्य के तीस से अधिक जिलों में धारा 144 लागू की गई थी. इसके बाद भी कई स्थानों पर सैकड़ों प्रदर्शनकारी सड़कों पर दिखाई दिए. जलूस की शक्ल में अधिकारियों को ज्ञापन देने गए. पुलिस प्रशासन को डर इस बात का था कि यदि प्रदर्शनकारियों पर किसी तरह का बल प्रयोग किया गया तो पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर हिंसा फैल सकती है. इंटेलिजेंस इनपुट यह भी था कि भीम अर्मी प्रतिक्रिया स्वरूप सड़कों पर आ सकती है. इस कारण पुलिस ने प्रदेश भर में अंबेडकर प्रतिमा की सुरक्षा बढ़ा दी थी.

पुलिस बल में भी आंदोलन को लेकर दो विचार धाराएं देखने को मिल रही थीं. राज्य के मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा के दौरान इस बात की ओर इशारा करते हुए पुलिस अधीक्षकों से कहा था कि प्राथमिकता कानून एवं व्यवस्था को बनाए रखने में दी जाना चाहिए. शहडोल की घटना को पुलिस बल में विपरीत विचारधाराओं के टकराव के तौर पर देखा जा रहा है.

शहडोल में धारा 144 लागू नहीं थे. लोग गांधी चौक पर जमा थे. अचानक लाठी चार्ज हो गया. शहडोल एसपी कुमार सौरभ पर इरादतना हिंसा फैलाने के उद्देश्य से लाठी चार्ज कर गायब हो जाने का आरोप सपाक्स ने लगाया है. शहडोल एसपी हटाए जाने की मांग को लेकर सवर्ण समाज के लोगों ने नेशनल हाईवे जाम कर दिया. कलेक्टर अनुभा श्रीवास्तव ने मामले की जांच मजिस्ट्रेट से कराने का आश्वासन दिया. इसके बाद ही स्थिति कुछ सामान्य हुई.

2003 में दिग्विजय सिंह को सत्ता से बाहर करने में थी सवर्णों की भूमिका

मई के लालों ही ने डिग्गी राजा को सत्ता से बाहर किया था

वर्ष 1998 में लगातार दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में राज्य में लगातार दूसरी बार कांग्रेसी सरकार बनी थी. सरकार बनने के बाद दिग्विजय सिंह ने अपनी सरकार की नीतियों के जरिए सवर्णों की उपेक्षा करना शुरू कर दिया था. वर्ष 2000 तक छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश का ही हिस्सा था. राज्य में विधानसभा की कुल 320 सीटें थीं. इसमें 75 सीटें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित थीं. कुल 43 सीटें दलित वर्ग के लिए आरक्षित. 1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत की बड़ी वजह आरक्षित सीटों को ही माना जाता था. दिग्विजय सिंह ने वर्ष 2003 के चुनाव का एजेंडा 1998 के नतीजों के बाद से ही तय करना शुरू कर दिया था.

दलित एजेंडा के जरिए उन्होंने सवर्णों के एकाधिकार को समाप्त करने की सरकारी कोशिश तेज कर दी थी. सरकारी सप्लाई और सरकारी ठेके देने में भी आरक्षण लागू कर दिया था. यह व्यवस्था अभी भी जारी है. दिग्विजय सिंह निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू करना चाहते थे. संवैधानिक मजबूरियों के चलते वे इसे लागू नहीं कर पाए थे. दिग्विजय सिंह को अपने दलित एजेंडा पर इतना भरोसा था कि उन्होंने एक कार्यक्रम में उत्साहित होकर यहां तक कह दिया कि उन्हें सवर्णों के वोटों की जरूरत नहीं है.

वर्ष 2003 का विधानसभा चुनाव हारने के कुछ समय बाद दिग्विजय सिंह ने अपने इस बयान पर सफाई देते हुए कहा था कि जो मैने कहा नहीं था, उसे अखबारों ने हेडलाइन बनाकर छाप दिया. दिग्विजय सिंह के दलित एजेंडा को आदिवासी वर्ग ने भी मान्यता नहीं दी थी. आदिवासी खुद को दलित के साथ जोड़े जाने से नाराज थे. चुनाव नतीजों में दिग्विजय सिंह का दलित एजेंडा कहीं नहीं दिखा था. कांग्रेस अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित सीटों को भी नहीं बचा पाई थी. आदिवासी इलाकों में भी करारी हार का सामना करना पड़ा था. सवर्णों ने खुलकर बीजेपी का साथ दिया था.

बीजेपी और शिवराजके लिए मुसीबत बन गया है ‘कोई माई लाल’

सवर्णों को अपने पक्ष में बांधे रखने के लिए शिवराज सिंह चौहान और भारतीय जनता पार्टी हर चुनाव में दिग्विजय सिंह सरकार के दिनों की याद वोटरों को दिलाती है. बीजेपी लगातार तीन चुनाव दलित एजेंडा के डर को दिखाकर जीतती रही है. भाजपा की चौथी जीत के रास्ते में बड़ी रुकावट, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का अति उत्साह में कहा गया शब्द कि कौन माई का लाल है जो पदोन्नति में आरक्षण को रोक दे? बना हुआ है.

शिवराज सिंह चौहान ने यह चुनौती अनुसूचित जाति,जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संगठन (अजाक्स) के कार्यकम में दी थी. पहले तो यह माना जा रहा था कि सवर्ण संगठित होकर इसका जवाब नहीं दे पाएंगे. सवर्णों ने धीरे-धीरे संगठित होना शुरू किया. मैं हूं माई का लाल लिखी हुई टोपी लगाकर शिवराज सिंह चौहान का विरोध शुरू करना शुरू कर दिया. स्थिति वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव के जैसी ही बन गई हैं. दिग्विजय सिंह का बयान सवर्णों के वोट नहीं चाहिए और शिवराज सिंह चौहान का बयान कौन माई का लाल है जो पदोन्नति में आरक्षण रोक दे, सवर्णों को एक समान ही लग रहे हैं.

पीयू में लेफ्ट

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आज पंजाब यूनिवर्सिटी में छात्र संघ चुनाव 2018 के लिए मतदान हुआ, जिसमें स्टूडेंट्स फॉर सोसाइटी(एसएफएस) ने भारी मतों से जीत दर्ज की और कनुप्रिया के सिर पहली महिला अध्यक्ष बनने का गौरव हासिल हुआ। इसके अलावा पीयू से संबंद्ध 11 कॉलेजों में भी वोटिंग हुई। करीब एक घंटा स्टूडेंट्स ने वोट डाले। 11 कॉलेजों में 31 हजार वोटर हैं। वहीं पंजाब यूनिवर्सिटी में 15281 वोटर हैं।

प्रधान पद के लिए मुकाबला मुख्य तौर पर सात छात्र नेताओं में रहा- एसएफएस से जूलोजी विभाग की कनुप्रिया, एनएसयूआई से अनुज सिंह, एबीवीपी से आशीष राणा, सोई के गठबंधन से इकबालप्रीत सिंह, पुसू से रविंदर वीर सिंह, पुसू ललकार से अमनदीप सिंह और यूआईईटी से अजयंत।

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एसएफ़एस को मिलीं 2802 वोट जबकि भाजपा के विद्यार्थी एकै एबीवीपी 203 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रही, एसओआई को 1997 मत मिले ओर एनएसयूआई को 1583। एनओटीए ने भी 209 मत ले कर अपनी उपस्थिती दर्ज कारवाई।

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दलेर सिंह आईएसए (एसओआई गठजोड़) उप अध्यक्ष

अमरिंदर सिंह आईएनएसओ(एसओआई गठबंधन सचिव के पद के लिए)

विपुल अत्रेय एनएसयूआई संयुक्त सचिव

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मतदान सवेरे सवा दस बजे शुरू हुआ और सवा 11 बजे खत्म। उसके बाद जिम्नेजियम हॉल में मतगणना शुरू हुई।

कॉलेजों के रिजल्ट शाम तक आ गए थे, जो इस प्रकार हैं…

फोटो राकेश शाह 7/10     छुटपुट घटनाओं को पुलिस ने संभालने की कोशिश की

– डीएवी कालेज सेक्टर-10 में आशीष नेहरा जीते
– पोस्ट ग्रेजुएट गवर्नमेंट कालेज सेक्टर-46 में अनुजा जीतीं

– गुरु गोबिंद सिंह खालसा कालेज सेक्टर-26 ब्वॉयज सतगुरु ने बाजी मारी
– श्री गुरु गोबिंद सिंह खालसा कालेज-26 गर्ल्स में मुस्कान ने जीत का परचम लहराया

दुष्यंत चौटाला के साथ पुलिस की हुई कहा सुनी फोटो राकेश शाह 8/10

– एसडी कालेज सेक्टर-32 में सोई के प्रीतम पाल सिंह के सिर जीत का ताज सजा
– एमसीएम डीएवी कालेज-36 में ज्योत्सना नारंग ने जीत दर्ज की

– पोस्ट ग्रेजुएट गवर्नमेंट कॉलेज सेक्टर-11 में राघव शर्मा ने चुनाव जीता
– देव समाज कालेज सेक्टर-45 में निशांत परवीन के हाथ लगी जीत

– जीसीजी 11 में गरिमा ने चुनाव जीत कर अध्यक्ष की कुर्सी हासिल की

 

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सेक्टर 25 में हुई दिनदहाड़े चोरी…

पंचकुला बिग ब्रेकिंग…

अजय कुमार

6 सितंबर 2018

सेक्टर 25 में हुई दिनदहाड़े चोरी…
चोरो ने ए सी पी ऑफिस से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर चोरो ने घर में लगाई सैंध..
एस एच ओ मोके पर

‘Everyone knows what Rahul Gandhi is…the biggest buffoon in the country’: KCR

 

Hours after dissolving the Telangana Assembly, K Chandrashekhar Rao set the tone for the state elections. Revealing his game plan, KCR said that his party Telangana Rashtra Samithi won’t go for any pre-poll alliance with the BJP.

‘TRS is a 100% secular party. How can we join hands with BJP,’ KCR asked while addressing media on Thursday.

Maintaining an equidistance from the Congress, KCR also attacked the Congress and its chief Rahul Gandhi.

‘Rahul Gandhi inherited the legacy of Congress Delhi sultanate, he is the legal heir of Congress empire of Delhi. That is the reason I appeal to the people, let us not become slaves to Congress, slaves to Delhi. Telangana ka nirnay Telangana mein hona chahiye (Telangana’s fate must be decided in the state itself),’ Rao said.

‘Everyone knows what Rahul Gandhi is…the biggest buffoon in the country. Whole country has seen how he went to Mr Narendra Modi and hugged him, the way he is winking. He is a property for us, the more he comes (to Telangana) the more seats we will win,’ Rao said while mocking the Congress chief.

However, he was all in praise of Asaduddin Owaisi’s AIMIM. ‘We are going to contest election alone but no doubt we are friends with MIM (All India Majlis-e-Ittehadul Muslimeen),’ Rao added.

During the press conference, KCR also announced a list of 105 candidates.

But the move has sparked a debate on what prompted the TRS supremo to bite the bullet.

The ruling Telangana Rashtra Samithi said the aim is to leverage what they call the “feel good factor” prevailing in the state which has received good rainfall.

Rao is “upbeat” as his popularity rate has not fallen and his personal image continues to be strong, the sources claimed, adding that “the idea is to encash the positive mood among the people”.

A leader of an opposition party said Rao was trying to play a “very safe game”.

“He (Rao) wants to win back the state and hand it over to KTR (his son K T Rama Rao)”, he said, seeing the early poll move as part of the chief minister’s “succession plan”.

“He (Rao) wants to become a hero. You become a hero only when you fight an incumbent (NDA) government. The man wants to be a regional hero, just like (late) Jayalalithaa (former Tamil Nadu Chief Minister). He wants to play the same politics,” the leader said.

The TRS would “go with whoever gets bigger numbers” in the next Lok Sabha elections, he added.

A Congress leader said Rao did not want his opponents to get their act together.

“He wants to give them less resource-mobilisation time, less alliance-mobilisation time, and also less preparation time for the elections,” the leader said.

Meanwhile, a member of the Bharatiya Janata Party (BJP) said Rao was nursing national ambitions.

He wants to play a bigger role in national politics and that’s possible only if he wins the state polls. He desires to play a key role, pre-poll and post-poll, the leader said.

Another Congress leader claimed Rao was at a stage in his life where he was “losing energy and health” citing his “less-spirited” speech at last Sunday’s public meeting.

“He (Rao) wants to execute the succession plan; he needs two different elections. He can win back (the state) and promote his son (to the post of CM) and then focus on national elections himself,” he claimed.

As a smart politician, Rao understands the fluid nature of politics, a politial analyst said.

“Tomorrow, if all opposition (parties) including NDA allies rally together then he knows that things are going to be shaky for the NDA. In that kind of scenario, he will fight as a formal ally of the opposition alliance. So, he is giving himself a lot of elbow room to take those decisions pre-poll,” he said.

खिलाडिय़ों के प्रोत्साहन के लिए विश्वस्तरीय 5 खेलों को नकद पुरस्कार राशि नीति में शामिल किया गया है: विज

 

चंडीगढ़, 6 सितंबर:

हरियाणा के खेल एवं युवा मामले मंत्री श्री अनिल विज ने कहा कि खिलाडिय़ों के प्रोत्साहन के लिए विश्वस्तरीय 5 खेलों को नकद पुरस्कार राशि नीति में शामिल किया गया है तथा युवा, जुनियर व सब-जुनियर प्रतियोगिताओं के खिलाडिय़ों के लिए नकद पुरस्कार राशि शुरू की है। इससे विद्यालय तथा विश्वविद्यालयों के खिलाडिय़ों को लाभ होगा।

श्री विज ने बताया कि इसके तहत विद्यालय एवं विश्वविद्यालय स्तर पर होने वाली खेलों इंडिया प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने पर 50 हजार, रजत पदक के लिए 30 हजार व कांस्य पदक के लिए 20 हजार रुपये की पुरस्कार राशि दी जाएगी। इसी प्रकार बधिर ओलपिंक खेलों में स्वर्ण पदक के लिए 1.20 करोड़, रजत पदक के लिए 80 लाख, कांस्य पदक के लिए 40 लाख तथा प्रतिभागी को 2.5 लाख तथा आईबीएसए विश्व स्तरीय खेलों व विशेष ओलपिंक खेलों में स्वर्ण पदक के लिए 20 लाख, रजत पदक के लिए 15 लाख, कांस्य पदक के लिए 10 लाख व प्रतिभागी को 2 लाख तथा इसी प्रकार 4 साल में होने वाली अंध क्रिकेट विश्व कप के स्वर्ण पदक के लिए 5 लाख, रजत पदक के लिए 3 लाख, कांस्य के लिए 2 लाख व प्रतिभागी को एक लाख रुपये दिए जाएंगे। इसी प्रकार, विश्वकप प्रतियोगिता पैरा विश्व खेल, पैरा विश्व प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक के लिए 10 लाख, रजत पदक के लिए 7.5 लाख तथा कास्ंय पदक विजेता को 5 लाख रुपये दिए जाएंगे।

खेल मंत्री ने बताया कि युवा, जुनियर व सब-जुनियर प्रतियोगिताओं के खिलाडिय़ों को युवा ओलपिंक खेलों में स्वर्ण पदक विजेता की राशि 10 लाख से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये, रजत पदक की पुरस्कार राशि 7.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.25 करोड़ रुपये, कांस्य पदक की पुरस्कार राशि 5 लाख से बढ़ाकर 80 लाख रुपये तथा प्रतिभागी को शून्य से बढ़ाकर पांच लाख रुपये दिए जाएंगे। इसी प्रकार, युवा एशियन खेलों में स्वर्ण पदक के लिए 7 लाख से बढ़ाकर एक करोड़, रजत पदक के लिए 5 लाख से बढ़ाकर 50 लाख, कांस्य पदक के लिए 3 लाख से बढ़ाकर 25 लाख व प्रतिभागी के लिए शुन्य से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये दिए जाएंगे। इसी प्रकार युवा राष्टï्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक के लिए 5 लाख से बढ़ाकर 50 लाख, रजत पदक के लिए 3 लाख से बढ़ाकर 25 लाख, कांस्य पदक के लिए 2 लाख से बढ़ाकर 15 लाख किए गए है। 4 वर्षों में एक बार होने वाले विश्वकप जुनियर प्रतियोगिता, पैरा विश्व खेल, पैरा विश्व प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक के लिए 20 लाख, रजत पदक के लिए 15 लाख तथा कास्ंय पदक विजेता को 10 लाख व प्रतिभागी को 3 लाख रुपये नकद पुरस्कार दिए जाएंगे। एक व 2 वर्षों में एक बार होने वाले विश्व जुनियर कप प्रतियोगिता, पैरा विश्व खेल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक के लिए 10 लाख, रजत पदक के लिए 7.5 लाख तथा कास्ंय पदक विजेता को 5 लाख व प्रतिभागी को 1.5 लाख रुपये नकद पुरस्कार दिए जाएंगे।

खेल मंत्री ने बताया कि वर्ष में एक से अधिक बार होने वाले विश्व जुनियर कप प्रतियोगिता, पैरा विश्व खेल में स्वर्ण पदक के लिए 5 लाख, रजत पदक के लिए 3 लाख तथा कास्ंय पदक विजेता को 1 लाख रुपये नकद पुरस्कार दिए जाएंगे। इसी प्रकार एक व 2 और 4 वर्षों में होने वाले विश्व सब-जुनियर कप प्रतियोगिता, सब-जुनियर पैरा विश्व खेल में स्वर्ण पदक के लिए 5 लाख, रजत पदक के लिए 3 लाख तथा कास्ंय पदक विजेता को 1 लाख रुपये नकद पुरस्कार दिए जाएंगे। इसी प्रकार एशियन, राष्टï्रमंडल जुनियर प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक के लिए 3 लाख, रजत पदक के लिए 2 लाख तथा कास्ंय पदक विजेता को 1 लाख रुपये नकद पुरस्कार दिए जाएंगे तथा एशियन, राष्टï्रमंडल सब-जुनियर प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक के लिए 1.5 लाख, रजत पदक के लिए 1 लाख तथा कास्ंय पदक विजेता को 50 हजार रुपये नकद पुरस्कार दिए जाएंगे।

श्री विज ने बताया कि एसएएफ जुनियर खेलों में स्वर्ण पदक के लिए 1.5 लाख, रजत पदक के लिए 1 लाख तथा कास्ंय पदक विजेता को 50 हजार रुपये नकद पुरस्कार दिए जाएंगे। राष्टï्रीय जुनियर प्रतियोगिता, जुनियर पैरा राष्टï्रीय प्रतियोगिता स्वर्ण पदक के लिए 50 हजार, रजत पदक के लिए 30 हजार तथा कास्ंय पदक विजेता को 20 हजार रुपये नकद पुरस्कार दिए जाएंगे तथा राष्टï्रीय सब-जुनियर प्रतियोगिता, सब- जुनियर पैरा राष्टï्रीय प्रतियोगिता स्वर्ण पदक के लिए 25 हजार, रजत पदक के लिए 15 हजार तथा कास्ंय पदक विजेता को 10 हजार रुपये नकद पुरस्कार दिए जाएंगे। इसी प्रकार शतरंज मे अन्तर्राष्टï्रीय ग्रांड मास्टर को 5 लाख व मास्टर व महिला मास्टर को 2 लाख रुपये दिए जाएंगे।

खेल मंत्री ने बताया कि 4 वर्षों में होने वाली विश्व कप प्रतियोगिता मे स्वर्ण पदक की राशि 25 लाख से बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपये, रजत पदक विजेता के लिए 20 लाख से बढ़ाकर 75 लाख, कांस्य पदक के लिए 15 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपये किए गए हैं। इसी प्रकार 4 वर्षों में होने वाले पैरा विश्व प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक के लिए 20 लाख से बढ़ाकर 1.5 करोड़, रजत पदक के लिए 15 लाख को बढ़ाकर 75 लाख, कांस्य पदक के लिए 10 लाख से बढ़ाकर 50 लाख तथा प्रतिभागी के लिए 3 लाख से बढ़ाकर 7.5 लाख रुपये किए गए हैं। इसी प्रकार 2 वर्षों में होने वाले विश्व कप प्रतियोगिता, पैरा विश्व प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक के लिए 20 लाख से बढ़ाकर 40 लाख, रजत पदक के लिए 15 लाख को बढ़ाकर 30 लाख, कांस्य पदक के लिए 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख तथा प्रतिभागी के लिए 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किए गए हैं। वर्ष में 2 या अधिक बार होने वाले विश्व कप प्रतियोगिता, पैरा विश्व प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक के लिए 10 लाख, रजत पदक के लिए 7.5 लाख, कांस्य पदक के लिए 5 लाख रुपये किए गए हैं।

खेल मंत्री ने बताया कि ओलपिंक व पैरा ओलपिंक खेलों में स्वर्ण पदक विजेता खिलाडिय़ों के कोच को 20 लाख, रजत पदक को 15 लाख, कांस्य पदक विजेता को 12 लाख रुपये दिए जाएंगे। इसी प्रकार एशियन या पैरा एशियन खेलों के कोचों को स्वर्ण पदक पर 15 लाख, रजत पदक को 10 लाख व कांस्य पदक को 7 लाख तथा राष्टï्रमंडल या पैरा राष्टï्रमंडल खेलों के कोच को स्वर्ण पदक पर 10 लाख, रजत पदक पर 5 लाख तथा कांस्य पदक पर 2 लाख रुपये की राशि दी जाएगी। इसी प्रकार 2 सदस्यीय टीम में खेलने वाले खिलाडिय़ों को एकल पुरस्कार राशि का 75 प्रतिशत तथा 3 या अधिक सदस्यीय टीम के खिलाडिय़ों को एकल पुरस्कार राशि का 50 प्रतिशत राशि दी जाएगी।

विधायक के भांजे अमित गुप्ता की अग्रिम जमानत याचिका खारिज

फ़ाइल फोटो


-अश्लील वीडियो ग्रुप्स में डालने पर रद्द हुई याचिका


पंचकूला 6 सितंबर।

भाजपा के विधायक ज्ञान चंद गुप्ता के भांजे अमित गुप्ता की अग्रिम जमानत याचिका वीरवार को पंचकूला के अतिरिक्त सैशन जज कोर्ट राजन वालिया ने खारिज कर दी। इस मामले में हरियाणा प्रदेश महिला कांग्रेस की वरिष्ठ उपप्रधान रंजीता मेहता ने पुलिस को शिकायत दी थी कि पंचकूला मंथन नामक एक ग्रुप में गत देर रात अमित गुप्ता नामक एक व्यक्ति ने 60 से 65 अश्लील वीडियो डाल दी थी। इसके बाद रात को ही जिसने यह वीडियो देखी, वह भडक़ने लगा। रंजीता मेहता ने बताया गया कि पंचकूला मंथन नामक ग्रुप में कई राजनीतिज्ञ, मीडिया पर्सन, ब्यूरोक्रेट्स एवं शहर के गणमान्य लोग हैं। अमित गुप्ता सेक्टर 11 में अंबिका मैडीकोज के नाम से दुकान चलाता है, साथ ही वह भारतीय जनता युवा मोर्चा का जिला उपप्रधान भी है। रंजीता मेहता ने शिकायत में दावा किया था कि अमित गुप्ता स्वयं को भाजपा के विधायक का रिश्तेदार भी बताता है। उन्होंने बताया कि यह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह अश्लील वीडियोस भेजी गई, उससे शहर के लोगों को काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है, क्योंकि इस ग्रुप में कई महिलाएं भी हैं। इस मामले में पंचकूला पुलिस ने आइटी एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया था। इसके बाद अमित गुप्ता अंडरग्राउंड हो गया था। अमित गुप्ता ने कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की थी।
वीरवार को अग्रिम जमानत पर सुनवाई के दौरान रंजीता मेहता खुद ही कोर्ट में पेश हुईं और उन्होंने कोर्ट में याचिका का विरोध किया। रंजीता मेहता ने कहा कि अमित गुप्ता द्वारा समाज में अश्लीलता फैलाने का काम किया है, इसलिए उन्हें तुरंत गिरफ्तार करके जेल भेजा जाना चाहिए। याचिका का कोर्ट में एडवोकेट उदित मेहंदीरत्ता ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि पंचकूला मंथन नामक अमित गुप्ता ने 60-65 अश्लील वीडियो जानबूझ कर डाली है। यह कोई ऑफ सीन वीडियो नहीं, बल्कि पोर्न वीडियो है। इसकी एडमिन महिला है और इसकी शिकायतकत्र्ता भी महिला है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी।

कांग्रेस की माँग तुरंत पेट्रो पदार्थों व रसोई गैस पर एक्ससाइज़ डूटी कम की जाए। इसे GST के दायरे में लाया जाए।

 

कांग्रेस ने कहा के देश में पेट्रोल डीज़ल व गैस सिलेंडर की बढ़ती क़ीमतों को लेकर भयंकर आक्रोश है। इसे लेकर कांग्रेस ने देशवासियों से 10 सितंबर को होनेवाले देशव्यापी बंद का आयोजन में भाग लेने की अपील की। इसने देशभर के पेट्रोलपंपस पर सुबह 9 बजे से लेकर दोहपर 3 बजे तक प्रतीकात्मक धरना होगा। दोपहर को इसलिए ताकि जनता को परेशानी न होगा।

कांग्रेस ने 11 लाख करोड़ रुपए फ़्यूअल लूट का आरोप मोदी सरकार पर लगाया। कांग्रेस का कहना कि दूसरे विपक्षी दलों ने भी इसके समर्थन का आश्वासन दिया।
आज कांग्रेस के टॉप लीडरशिप ने प्रभारी महासचिवों व पीसीसी चीफ़ के साथ मीटिंग कर इस कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया। – सुरजेवाला

कांग्रेस की माँग तुरंत पेट्रो पदार्थों व रसोई गैस पर एक्ससाइज़ डूटी कम की जाए। इसे GST के दायरे में लाया जाए।

सरकार की विश्वसनीयता आज निम्न स्तर पर: लांबा

फोटो अजय कुमार


सर्व कर्मचारी संघ 10 को करेगा विधान सभा कूच 


सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के अध्यक्ष सुभाष लांबा ने मौजूदा राज्य सरकार को चेताया कि रोडवेज कि हड़ताल खत्म होना राज्य सरकार कि उपलब्धि नहीं बल्कि संगठन का आधारहीन नेतृत्व रहा है।

सुभाष लांबा ने बताया कि सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने सरकार की कर्मचारियों से निरंतर की जा रही वादा खिलाफी, मांगों की अनदेखी व दमन कारी नीतियों के विरोध में 10 सितंबर को विधान सभा कूच का निर्णय लिया है।

उन्होने कहा की संघ सरकार की दमनकारी नीतियों का कड़ा जवाब देगा उन्होने सरकार की भर्त्सना करते हुए कहा की मल्टी परपस हेल्थ वर्कर्ज की हड़ताल 28 अगस्त से जारी है। स्वस्थय मंत्री समय समय पर कहते हैं कि उन्होने कर्मचारियों कि मांगे मान लीं हैं, परंतु सत्य यह है कि इसि सरकार के वित्त मंत्रालय में अभी भी फाइलें लंबित पड़ीं हैं।

सुभाष लंबा ने कहा कि खट्टर सरकार केवल बातचीत तक ही सीमित है, मांगें पूरी करने ओर कर्मचारियों कि समस्याओं के समाधान में पूरी तरह असफल रही है। साथ ही उन्होने कहा कि सरकार कि विश्वसनीयता निम्न स्तर पर है।

पंचायत सेक्रेटरी राज्याध्यक्ष ने बताया कि आगामी 3, 4 और 5 अक्तूबर को पंचायत सेक्रेटरी हड़ताल पर जाएँगे।

सरकार द्वारा समय समय पर गठित समन्वय समितियां केवल नाम भर के लिए हैं। वर्ष 2014 में वादा किया था कि पंजाब के समान हरियाणा के कर्मचारियों का वेतन मान निर्धारित होगा परंतु आज तक वादा पूरा नहीं हुआ साथ ही ठेके पर काम कर रहे सफाई कर्मचारितों का वेतन 15,000/= से किया जाएगा और उनको पक्का किया जाएगा, परंतु यह भी मात्र आश्वास्न ही निकला

पिछले दिनों कुछ मल्टी परपस हैल्थ कर्मचारियों कि बिना किसी निर्धारित नियमों के भर्ती कि गयी जो कि बहुत ही निंदनीय है।

संघ की मांग है कि राज्य भर में 6 लाख के करीब पद

रिक्त हैं, परंतु सरकार इन्हे भरने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही। उनकी मांग है जल्दी से जल्दी इस दिशा में काम हो जिससे राज्य में बेरोजगारी कम कि जा सके।

हरियाणा के हजारों सक्षम युवा कल विधान सभा कि ओर करेंगे कूच

फोटो अजय कुमार

 

सक्षम युवा संघर्ष समई के बैनर तले इकट्ठा हो कर अपनी मांगे सरकार से मँगवाने के लिए कल सैंकड़ों सक्षम युवा विधान सभा कि ओर कूच कर विधान सभा सत्र के दौरान सरकार पर दबाव बनाएँगे। उससे पहले सभी सक्षम युवा पंचकुला के यवनिका पार्क में इकट्ठे हो कर एक आम सभा का आयोजन करेंगे।

गौर तलब है कि सक्षम युवा लंबे समय से अपनी समस्याओं के प्रति सरकार को अवगत करवा रहे हैं। हर जिले में ज्ञापन सौंपे गए हैं। हजारों की संख्या में मुख्यमंत्री के नाम ई-मेल भेजे जा चुके हैं। लेकिन सरकार की तरफ से लगातार हो रही बेरुखी के चलते प्रदेश के सक्षम युवा अब संघर्ष के रास्ते पर उतारने के लिए मजबूर हुए हैं।

प्रैस को जारी विज्ञप्ति के जरिये सक्षम युवा संघर्ष समिति की ओर से संदीप सिंह ने बताया की सरकार पढे लिखे नौजवानों से भत्ते के नाम पर बेगार कार्वा रही है। इन युवाओं को महकमों में आए दिन अपमानित होना पड़ रहा है। गोबर तक उठवाने की बात सामने आ रहीं हैं।  सक्षम युवा समिति यह मांग करती है कि 3 और 35 साल कि समयावधि कि शर्तें तुरंत हटाई जाएँ। TA/DA दिया जाये। रिक्त पदों पर तुरंत स्थायी नियुक्तियाँ निकालीं जाएँ ओर उनमें अनुभव के आधार पर सक्षमों को वरीयता दी जाये। पहचान पत्र बनाए जाएँ ओर एनआईटी दिन होने वाली विभागीय बदली भी बंद कि जाये।

भारत कि जनवादी नौजवान सभा के राज्य प्रधान नरेश दानौन्दा ने भी अपने संगठन कि ओर से अपना पूर्ण समर्थन जताया।

यदि खट्टर सोचते हैं कि सत्ता से हटने के बाद संघ प्रचारक का थैला उठा कर चले जायेंगे, यह सब तो ठीक है, पर आप द्वारा किये गये गैरकानूनी कामों का हिसाब तो एक दिन जरूर देना होगा: मान

अजय कुमार

चण्डीगढ़ 06 सितम्बर, 2018
पूर्व मुख्य संसदीय सचिव व प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता रणसिंह मान ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के शासकीय कौशल पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य के बाहर के उनके सलाहकार, उनकी लीगल टीम व नम्बर बनाने वाले उच्च अधिकारी उन्हें कहीं का नहीं छोड़ेंगे। मुख्यमंत्री को पता होना चाहिए कि जब कभी उन पर आफत आयेगी, तो इनमें से कोई भी उनकी मदद में खड़ा होने वाला नहीं है, बल्कि सब अपना पल्ला झाड़ लेंगे। अपना दाव खेलने वाले अशोक खेमका जैसे लोग व उन्हें उकसाने वाला इनेलो भी दूर खड़े मिलेंगे।

मान ने मुख्यमंत्री को संविधान की शपथ लेने की याद दिलाते हुए कहा कि हकीकत में बिना किसी भेदभाव के काम करने की आपकी कसम धूल में मिल चुकी है। शिकोहपुर (गुरूग्राम) की जमीन की खरीद-फरोख्त मामले में राबर्ट वाड्रा व पूर्वमुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा पर एफआईआर इसका ताजा व ठोस सबूत है, जो यह दर्शाता है कि आप अपने लोगों व राजनीतिक विरोधियों के प्रति समान भाव नहीं रखते हैं, बल्कि उन्हें झूठे केसों में उलझा कर चुप रहने का भय दिखाते हैं। ऐसा करते समय आप कानून को ठेंगा दिखाने में भी नहीं झिझकते हैं। मान्यवर ! यदि आप सोचते हैं कि सत्ता से हटने के बाद संघ प्रचारक का थैला उठा कर चले जायेंगे, यह सब तो ठीक है, पर आप द्वारा किये गये गैरकानूनी कामों का हिसाब तो एक दिन जरूर देना होगा।

मान ने कहा कि शिकोहपुर मामले में शिकायतकर्त्ता सुरेन्द्र शर्मा को तो केवल बलि का बकरा बनाया गया है। शायद उन्हें नहीं मालूम कि यह मामला पहले ही माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। हकीकत में खेल की असली सूत्रधार तो भाजपा है, सुरेन्द्र शर्मा तो मुखोटा है। सुरेन्द्र शर्मा न उस जमीन के खरीददार हैं और न बेचने वाले हैं और न डील में बिचौलिये की भूमिका में हैं। जब सुरेन्द्र शर्मा के हित किसी रूप में भी उपरोक्त डील में प्रभावित नहीं हैं, तो उनकी शिकायत का क्या औचित्य है ? यदि सरकार को राजस्व प्राप्ति में हेराफेरी की शंका थी, तो सरकार स्वयं आगे क्यों नहीं आई ? क्या दो प्राईवेट पार्टियों के बीच जमीन की खरीद- फरोख्त में किसी अनजान का दखल कानून सम्मत है ? क्या कोई पार्टी सरकार से पूछ कर जमीनों के भाव तय करती है ? गुरूग्राम में बैठे अधिकांश भाजपा नेता प्रॉपर्टी का काम करते रहे हैं व कर रहे हैं। उन्हीं से पूछ लें कि कोई भी व्यक्ति या पार्टी अपनी जमीन लीये भाव से उस समय के बाजार भाव को देखकर कितनी भी ऊंची कीमत पर बेच सकता है। सरकार को सन्देह है, तो 2005 से 2012 तक, जब प्रॉपर्टी बूम पर थी, का कैग से स्पेशल बिजनेस ऑडिट करवा लें। सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिये कि सरकार ने केवल राबर्ट वाड्रा-डीएलएफ के बीच हुई डील को ही कार्रवाई के लिए क्यों चुना, जबकि प्रॉपर्टी में बूम के इस समय जमीनों की ऐसी कितनी ही डील हुई हैं।

मान ने कहा कि भाजपा शासित राज्यों में पुलिस का दोहरा व विरोधाभासी रवैया गौर करने वाला है। कोरेगांव-भीमा मामले में महाराष्ट्र पुलिस का हलफनामा इतिहासकार रोमिला थापर और अन्य पर सवाल उठाता है कि किस हैसियत से इन लोगों ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है, जबकि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। वहीं राबर्ट वाड्रा व डीएलएफ डील में एक अनजान सुरेन्द्र शर्मा की दरख्वास्त पर गुरूग्राम पुलिस एफआईआर दर्ज करती है। सरकार को मालूम है कि इस केस में सुरेन्द्र शर्मा का कोई वास्ता नहीं है।

मान ने कहा कि राबर्ट वाड्रा व रियल इस्टेट कम्पनी डीएलएफ के बीच हुई जमीन की डील का लाईसेंस आज भी वैध है। जाहिर है कि उपरोक्त जमीन के टुकड़े पर लाईसेंस तभी मिला होगा, जब पार्टी ने सभी शर्तें पूरी की होंगी व पूरी स्टाम्प डियूटी व कन्वर्जन चार्जिज अदा किये होंगे। आईएएस अधिकारी खेमका द्वारा उपरोक्त जमीन का म्यूटेशन रद्द करने के आदेश को तीन वरिष्ठतम आईएएस अधिकारियों द्वारा निरस्त करने के बाद आज इसके लाईसेंस पर कोई विवाद शेष नहीं है। उपरोक्त प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त में तत्कालीन कांग्रेस सराकर की कोई भूमिका नहीं है। यह विशुद्ध रूप से दो प्राईवेट पार्टियों के बीच का करार है। सरकार किसी प्राईवेट पार्टी को कलैक्टरेट रेट से ऊपर खरीद व बिक्री, चाहे वो कितनी भी ऊपर है, दखल देने का अधिकार नहीं रखती। हां, यदि भाजपा गलत नीयत से व राजनैतिक लाभ के लिये, राफेल डील पर पर्दा डालने के लिये व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की जनक्रान्ति यात्रा को लेकर लोगों को भ्रमित करने के लिये ये सब कर रही है, तो वो भ्रम में है। भाजपा समझ ले कि न कांग्रेस पार्टी राफेल डील में हुए घोटाले पर चुप रहेगी और न भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की जनक्रान्ति रथ यात्रा रूकेगी।
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