करूणानिधि की बीमारी के सदमे से 21 पार्टी कार्यकर्ताओं की मौत: DMK


स्टालिन ने कहा कि चूंकि करूणानिधि यहां कावेरी अस्पताल में लगातार पांचवें दिन गहन देखभाल में हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें इन मौतों को लेकर बहुत दुख हुआ. उन्होंने पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जताई. उन्होंने यद्यपि मृतकों की पहचान का खुलासा नहीं किया.


द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) ने बुधवार को कहा कि 21 पार्टी कार्यकर्ताओं की मृत्यु हो गई है जो पार्टी प्रमुख एम करूणानिधि के बीमार होने और अस्पताल में भर्ती होने का ‘सदमा’ बर्दाश्त नहीं कर पाए.

द्रमुक ने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि 94 वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य के मद्देनजर वे कोई कठोर कदम नहीं उठाएं. द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एम के स्टालिन ने कहा, ‘मुझे यह जानकर बहुत दुख हुआ है कि पार्टी के 21 कार्यकर्ताओं की मृत्यु हो गई है जो पार्टी अध्यक्ष कलैगनार की बीमारी (और अस्पताल में भर्ती) होने का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाए.’

स्टालिन ने कहा कि चूंकि करूणानिधि यहां कावेरी अस्पताल में लगातार पांचवें दिन गहन देखभाल में हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें इन मौतों को लेकर बहुत दुख हुआ. उन्होंने पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जताई. उन्होंने यद्यपि मृतकों की पहचान का खुलासा नहीं किया.

स्टालिन ने अस्पताल से एक बयान के हवाले से कहा कि पार्टी संरक्षक के स्वास्थ्य की स्थिति ‘सामान्य’ हो रही है और चिकित्सकों का एक दल उनकी निगरानी कर रहा है.

उन्होंने कहा,‘यह अच्छी खबर है और यह हमें साहस दे रही है.’ उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं द्वारा अपने नेता को वापस आने आने को लेकर की गई भावनात्मक अपील बेकार नहीं जाएगी.

करूणानिधि के बेटे और द्रमुक में उनके उत्तराधिकारी स्टालिन ने कार्यकर्ताओं से कहा कि वह यह जानें कि वह एक भी पार्टी कार्यकर्ताओं के जीवन का नुकसान बर्दाश्त नहीं कर सकते. इस बीच तमिल अभिनेता विजय अस्पताल पहुंचे और करूणानिधि के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली.

अस्पताल के कार्यकारी निदेशक डॉ. अरविंदन सेलवाराज ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके कहा, ‘यद्यपि उस स्थिति का समाधान हो गया है जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन अधिक आयु के चलते उनके सामान्य स्वास्थ्य में समग्र रूप से हुई गिरावट के चलते उन्हें कुछ समय के लिए अस्पताल में रखना पड़ेगा.’ करूणानिधि को 28 जुलाई को रक्तचाप में गिरावट के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

32 accounts eliminated: “coordinated inauthentic behaviour”

Los Angeles, Aug 1 :

Facebook announced on Tuesday that it eliminated 32 accounts for what the company described as “coordinated inauthentic behaviour” ahead of the mid-term US congressional elections in November.

“This kind of behaviour is not allowed on Facebook because we don’t want people or organisations creating networks of accounts to mislead others about who they are, or what they’re doing,” Facebook said in a statement, Efe reported.

The social network founded by Mark Zuckerberg found itself at the center of controversy during the 2016 presidential election for the use of its platform to disseminate hoaxes and fake news.

“We’re still in the very early stages of our investigation and don’t have all the facts – including who may be behind this,” Facebook acknowledged, while adding that “whoever set up these accounts went to much greater lengths to obscure their true identities than the Russian-based Internet Research Agency (IRA) has in the past.”

IRA is accused by Facebook and the US Department of Justice of having played a key role in the campaign of hoaxes and fake news on controversial and divisive issues designed to try to influence the 2016 election in which Donald Trump won the White House.

In the current probe, the tech giant eliminated eight Facebook pages and 17 profiles, as well as seven Instagram accounts.

“In total, more than 290,000 accounts followed at least one of these pages, the earliest of which was created in March 2017,” said Facebook.

Among the deleted pages was one called “Resisters,” which had created a Facebook Event – “No Unite the Right 2-DC” – a counter demonstration to Unite the Right 2-DC, which had been called by the ultraright for Aug. 12 in Washington.

लापता

इस बच्चे का नाम आशीष है उम्र 15 वर्ष निवासी 1393A सेक्टर 39B चंडीगढ़ कल शाम को (31.7.2018) घर से हरे रंग की स्पोर्ट्स साईकल पर खेलने गया था लेकिन घर वापिस नहीं पहुंचा। अगर किसी को ये बच्चा मिलता है तो जल्द से जल्द इसके पिता श्री राजपाल जो कि हरियाणा विधान सभा में कार्यरत है मोo 9888098899 को तुरंत सूचित करें। इस सम्बन्ध में रिपोर्ट सेक्टर 39 थाना में भी दर्ज करवा दी गई है आप इस मैसेज को आगे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें
धन्यावाद

‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा’ पुण्यतिथि विशेष


बाल गंगाधर तिलक को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का अग्रदूत कहा जाता है

‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा’ तिलक

तिलक स्वराज फंड मे जुटाये 1 करोड़ से अधिक रुपए


गुलाम भारत में ब्रिटिश राज के खिलाफ शुरू हुए महात्मा गांधी के पहले अभियान यानी असहयोग आंदोलन को साल 1921 में एक साल बीत चुका था. आंदोलन की आग देश भर में फैल रही थी. लेकिन किसी भी आंदोलन को चलाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी चीज यानी पैसे की कमी शिद्दत के साथ महसूस की जा रही थी.

ऐसे में महात्मा गांधी ने देश की जनता से आंदोलन के लिए आर्थिक सहयोग लेने का फैसला किया. एक साल से भी कम वक्त के भीतर एक करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा गया. उस दौर में एक करोड़ रुपए बहुत बड़ी रकम थी. लोगों को शक था कि इतना बड़ा लक्ष्य पूरा नहीं हो सकता.

तिलक के नाम का जलवा

गांधी जी जानते थे कि यह लक्ष्य एक ही व्यक्ति के नाम पर पूरा हो सकता है. और वह थे लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक. तिलक का स्वर्गवास हुए एक साल हो चुका था और गांधी जी ने उन्हीं की पुण्य तिथि पर इस कोष को नाम दिया ‘तिलक स्वराज फंड’.

देश के जनमानस के भीतर लोकमान्य तिलक नाम का प्रभाव इतना अधिक था कि तय वक्त में एक करोड़ रुपए जुटाने का असंभव सा दिखने वाला लक्ष्य भी पूरा हो गया. देश के स्वतंत्रता आंदोलन के जनक कहे जाने वाले तिलक का स्वर्गवास आज से ठीक 97 साल पहले यानी एक अगस्त 1920 को हुआ था. लोकमान्य के नाम से मशहूर बाल गंगाधर तिलक को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का अग्रदूत कहा जाता है.

भारत की आजादी के सबसे बड़े नायक माने जाने वाले महात्मा गांधी के साल 1915 में भारत वापस आने से पहले ही, देश में ब्रिटिश राज के खिलाफ आम जनता के बीच बगावत का बिगुल बज चुका था और इसका श्रेय तिलक को ही जाता है.

गणेश उत्सव को बनाया अंग्रेजों के खिलाफ हथियार

23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में जन्मे बाल गंगाधर तिलक देश की उस पहली पीढ़ी में से एक थे जिसने ब्रिटिश शिक्षा व्यवस्था के तहत कॉलेज की पढ़ाई पूरी की थी. पढ़ाई पूरी करने बाद तिलक एक स्कूल में गणित के शिक्षक भी रहे. लेकिन नियति ने तो उनको भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का जनक बनाना निर्धारित किया था.

जल्दी ही तिलक ने नौकरी छोड़ दी और वह पत्रकारिता करने लगे. तिलक के लेखों की भाषा इतनी तीखी होती थी कि वह अंग्रेज सरकार के सीने में नश्तर की तरह चुभती थी.

तिलक ब्रिटिश सरकार के खिलाफ देशवासियों को एकजुट करके घरों से बाहर निकालना चाहते थे. और इस काम के लिए उन्होंने बेहद नायाब तरीका ईजाद किया. महाराष्ट्र में घर-घर में मनाए जाने वाले गणेश महोत्सव को तिलक ने घरों से बाहर मनाने की अपील की. इसी बहाने लोगों को एक साथ जागरुक और संगठित किया जा सकता था.

तिलक का विचार काम कर गया. गणेश उत्सव के सहारे भारतीय जनता संगठित होने लगी. आज हम गणेश उत्सव का जो मौजूदा स्वरूप देखते हैं वह तिलक की ही देन है. तिलक ने अपनी बुद्धिमत्ता से एक त्योहार को ब्रिटिश राज के खिलाफ लोगों की अभिव्यक्ति का साधन बना दिया.

बदल दिया कांग्रेस का स्वरूप

साल 1890 में तिलक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए थे. कांग्रेस में शामिल होने के बाद तिलक ने उसके स्वरूप को ही बदल डाला. इससे पहले कांग्रेस को ब्रिटिश राज को ठीक तरह से चलाने में इस्तेमाल होने वाले औजार की तरह ही देखा जाता था.

लेकिन तिलक के राष्ट्रवाद ने कांग्रेस के चरित्र को बदल दिया और वह भारतीय जनमानस की वास्तविक अभिव्यक्ति का प्रतीक हो गई. इस दौरान तिलक पर देशद्रोह के आरोप लगे और वह जेल भी गए लेकिन ब्रिटिश सरकार के जुल्म, तिलक के हौसले और विश्वास को नहीं डिगा सके.

कांग्रेस के भीतर भी तिलक को जोरदार विरोध का सामना करना पड़ा. लेकिन तिलक को भी बंगाल के बिपिन चंद्र पाल और पंजाब के लाला लाजपत राय जैसे देशभक्त नेताओं का साथ मिला. कांग्रेस के भीतर नरम दल और गरम दल की राजनीति शुरू हुई. तिलक गरम दल के अगुआ बने और यह तिकड़ी ‘लाल-बाल-पाल’ के नाम से मशहूर हो गई. कांग्रेस के नरम दल की कमान गोपाल कृष्ण गोखले के हाथ में थी.

लाल – बाल – पाल

देश में सबसे पहले की स्वराज की मांग

गांधी-नेहरू के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पहली बार लाहौर में साल 1929 में पूर्ण स्वराज की मांग की थी. लेकिन स्वराज का यह नारा तिलक उससे कई साल पहले ही बुलंद कर चुके थे. तिलक का नारा ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा’ हर भारतीय की जुबान पर था.

साल 1905 में जब वायसराय लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन किया तो तिलक के इस नारे ने पूरे देश को एकजुट कर दिया. आयरिश महिला श्रीमती एनी बेसेंट के साथ मिलकर तिलक ने देश में स्वराज की मांग करते हुए आयरलैंड की तर्ज पर होमरुल आंदोलन की शुरूआत की. यह वही वक्त था जब महात्मा गांधी भारत वापस लौटे थे. धीरे-धीरे यह आंदोलन बड़ा होता चला गया.

महात्मा गांधी के हाथों में सौंपी अपनी विरासत

महात्मा गांधी भले ही कांग्रेस में नरम दल के नेता गोपालकृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे, लेकिन गांधी जी के आंदोलनों ने जो कामयाबी हासिल की उसकी नींव तो तिलक ने ही रखी थी.

तिलक और गांधी जी की कार्यप्रणाली और विचारों में भले ही मतभेद हों लेकिन तिलक जानते थे कि भारत की आजादी के ख्वाब को वास्तविकता में बदलने का माद्दा गांधी जी में ही है. लिहाजा तिलक ने स्वतंत्रता आंदोलन की बागडोर गांधी जी को सौंपने में बिल्कुल देरी नहीं की.

साल 1920 में एनी बेसेंट और तिलक द्वारा खड़ी की गई होमरुल लीग की अध्यक्षता महात्मा गांधी को सौंप दी गई. इसी साल गांधी जी देश में अपने पहले बड़े अभियान यानी असहयोग आंदोलन की शुरूआत की.

और संयोग देखिए जिस दिन यानी एक अगस्त 1920 को असहयोग आंदोलन की शुरूआत हुई उसी दिन लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का स्वर्गवास हो गया. ऐसा लगता है जैसे तिलक बस उस दिन के इंतजार में थे जब वह किसी काबिल देशभक्त के हाथों में अपनी विरासत सौंप सकें.

सरकार ने कलेजियम को जजों की भर्ती में भाई भतीजावाद के सबूत दिये


इलाहाबाद हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा भेजी गई 33 वकीलों की सूची को सरकार ने अपनी जुटाई गहन जानकारियों के साथ सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को भेजा है. इसमें इन वकीलों की योग्यता, न्याय बिरादरी में उनकी निजी और पेशवर छवि के अलावा उनकी पूरी साख के बारे में बताया गया है


जजों की नियुक्ति के प्रस्ताव में परिवारवाद (नेपोटिज्म) को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को आईना दिखाया है. केंद्र ने पहली बार इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए भेजे गए 33 वकीलों के नामों के अनुशंसा (सिफारिश) में शामिल कम से कम 11 के वर्तमान और रिटायर्ड हाईकोर्ट के जजों और सुप्रीम कोर्ट के जजों के साथ संबंधों (भाई-भतीजावाद) का जिक्र किया है.

एक राष्ट्रीय दैनिक में छपी खबर के अनुसार सरकार ने फरवरी में इलाहाबाद हाईकोर्ट कॉलेजियम की तरफ से दी गई 33 वकीलों की सूची को अपनी जुटाई गहन जानकारियों के साथ सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को भेजा है. इसमें इन वकीलों की योग्यता, न्याय बिरादरी में उनकी निजी और पेशवर छवि के अलावा उनकी पूरी साख जैसे जांच निष्कर्षों के बारे में कोलेजियम को बताया गया है.

हालांकि सरकार ने एक अनूठा कदम उठाते हुए इस बार कई उम्मीदवारों के वर्तमान और रिटायर जजों के साथ संबंधों को भी अपनी जुटाई जानकारी में शामिल किया है. इसके पीछे केंद्र का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के इस बारे में फैसला लेते वक्त ऐसे सभी सिफारिशों को दरकिनार करना है. और काबिल (सक्षम) वकीलों को प्रस्तावना में बराबर का मौका दिलाना है.

दो वर्ष पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से ऐसी ही एक अनुशंसा की गई थी. उस समय हाईकोर्ट कॉलेजियम ने 30 वकीलों के नाम का प्रस्ताव भेजा था. जिसमें से तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) टीएस ठाकुर ने 11 वकीलों के नाम खारिज कर दिए थे, और सरकार से केवल 19 के हाईकोर्ट के जज के तौर पर नियुक्ति की सिफारिश की थी. 2016 की उस लिस्ट में भी जजों और नेताओं के सगे-संबंधी शामिल थे.

इलाहाबाद HC कॉलेजियम की भेजी लिस्ट में परिवारवाद का था बोलबाला

एक राष्ट्रीय अखबार के हवाले से यह खबर छापी थी कि इलाहाबाद हाईकोर्ट कॉलेजियम की भेजी गई लिस्ट में सुप्रीम कोर्ट के एक वर्तमान जज के साले, एक अन्य जज के कजिन (भाई) के अलावा सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट के ही कई पूर्व जजों के सगे-संबंधी के भी नाम इसमें शामिल थे. तब अखबार ने इन नामों को उजागर नहीं किया था. इसकी वजह थी कि सरकार को इनके इतिहास (बैकग्राउंड) के बारे में पड़ताल करना बाकी था.

कुल मिलाकर कहें तो, 33 वकीलों की इस लिस्ट में कम से कम 11 ऐसे हैं जिनका संबंध वर्तमान या रिटायर्ड जजों से है. इसके अलावा लिस्ट में शामिल एक वरिष्ठ वकील के बारे में कहा जाता है कि वो दिल्ली के एक बड़े नेता की पत्नी के कथित लॉ पार्टनर हैं.

दिलचस्प बात है कि गहन पड़ताल के बाद सरकार ने इन 33 अनुशंसाओं में से केवल 11-12 वकीलों के ही देश के इस सबसे बड़े हाईकोर्ट का जज बनने के लायक पाया. सूत्रों के अनुसार अनुशंसा किए गए हर उम्मीदवार की काबिलियत पर काफी बारीकी से जांच की गई थी.

गोगोई की बिसात पर भाजपा की मात


ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इस मुद्दे पर विपक्ष उनके पीछे खड़ा हुआ है


एनआरसी को लेकर हंगामा जारी है. विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों ने इसे राजनीतिक मुद्दा बना लिया है. संसद में भी इस मसले को लेकर बवाल चल रहा है. दोनों पक्ष इस मसले को तूल दे रहे हैं. विपक्ष की तरफ से लोकसभा में दो स्थगन प्रस्ताव भी दिया गया है. एक कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी की तरफ से दूसरा टीएमसी के सौगत राय की तरफ से. वहीं टीएमसी की अध्यक्ष के दिल्ली दौरे से इस मामले में और भी राजनीतिक उबाल आ गया है. ममता बनर्जी ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की है, वहीं बीजेपी के दो बागी नेताओं के साथ इस पूरे मसले पर राय मशविरा कर रही हैं, जिसमें यशंवत सिन्हा और राम जेठमलानी शामिल हैं.

टीएमसी के सांसदों ने संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने धरना भी दिया है. टीएमसी सांसदो का एक दल हालात का जायज़ा लेने के लिए असम जा रहा है. ऐसा लग रहा है कि एनआरसी का मसला एकबार फिर बीजेपी और टीएमसी के बीच फ्लैश प्वाइंट बनता जा रहा है. टीएमसी उन 40 लाख लोगों को बंगाल में बसाने की पेशकश कर रही है. वहीं बीजेपी बंगाल में एनआरसी जैसी प्रक्रिया अपनाने को लेकर बयानबाज़ी कर रही है. हालांकि इस पूरे राजनीतिक माहौल में कांग्रेस अलग-थलग दिखाई दे रही है. वैसे राज्यसभा में कांग्रेस ने इस मसले को पुरज़ोर ढंग से उठाने का प्रयास किया है.

ममता-माया साथ-साथ

इस पूरे मामले में ममता बनर्जी ने राजनीतिक बाज़ी मार ली है. ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इस मुद्दे पर विपक्ष उनके पीछे खड़ा हुआ है. मायावती ने सरकार से सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है. मायावती ने ममता के सुर में सुर मिलाया है. दोनों का आरोप है कि सरकार इस मुद्दे को धार्मिक रंग देने की कोशिश कर रही है. मायावती ने आरोप लगाया है कि सरकार इसका चुनावी फायदा उठाना चाहती है. बीएसपी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि असम में रह रहे 40 लाख से अधिक धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के नागरिकता को ही समाप्त करके बीजेपी की केंद्र और असम सरकार ने अपनी स्थापना के संकीर्ण और विभाजनकारी राजनीतिक मकसद को हासिल कर लिया है. लेकिन इससे जो नई उन्मादी समस्या पैदा हो रही है उसके दुष्प्रभाव को संभालना मुश्किल होगा. इसलिए सरकार को बैठक बुलाकर इसपर सुरक्षात्मक कार्रवाई करनी चाहिए.

बीजेपी का रूख सख्त

इस मसले को लेकर राज्यसभा में भी काफी हंगामा हुआ है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस को घेरा है. अमित शाह ने कहा कि एनआरसी कांग्रेस लेकर आई है. ये राजीव गांधी के वक्त असम एकॉर्ड का हिस्सा था. लेकिन इसको लागू नहीं किया गया था. बीजेपी की सरकार आने पर लागू किया गया है, क्योंकि बीजेपी ने हिम्मत दिखाई है.

ज़ाहिर है कि अमित शाह को लग रहा है कि बीजेपी के लिए एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा साबित हो सकता है इसलिए बीजेपी इस मसले पर कांग्रेस को घेर रही है. बीजेपी को चुनाव से पहले इतना बढ़िया मुद्दा नहीं मिल सकता है. बीजेपी लगातार कहती रही है कि असम में अवैध रूप से विदेशी बंग्लादेशी नागरिक रह रहे हैं, जिससे निजात पाना ज़रूरी है. हालांकि, एनआरसी का ये फाइनल ड्राफ्ट नहीं है लेकिन 40 लाख लोगों की नागरिकता पर सवाल खड़ा हो गया है. बीजेपी ने इस मुद्दे को बढ़ाते हुए बंगाल को भी घेरने की कोशिश की है. बीजेपी के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि बीजेपी को बंगाल की सत्ता हासिल हुई तो राज्य में एनआरसी की व्यवस्था लागू करेगी. ज़ाहिर है कि निशाने पर ममता बनर्जी हैं. बीजेपी का आरोप है कि टीएमसी अवैध रूप से रह रहे लोगों को भारत में बसाने का प्रयास कर रही है. बंगाल में बीजेपी की जद्दोजहद जारी है. पार्टी अपने विस्तार के लिए मुद्दों की तलाश में है.

राजनैतिक मुद्दे गँवाती कांग्रेस

इस मसले को लेकर कांग्रेस परेशान है. बंगाल में पार्टी की स्थिति और खराब हो सकती है. इसका उदाहरण संसद परिसर में देखने को मिला है. जब केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी चौबे और कांग्रेस के नेता प्रदीप भट्टाचार्य में तीखी बहस हो गई. इससे पता चलता है कि कांग्रेस के बंगाल के नेता किस तरह दबाव में हैं. कांग्रेस को लग रहा है कि बंगाल में बचा-खुचा कांग्रेस का मुस्लिम वोट टीएमसी में शिफ्ट कर सकता है.

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि मनमोहन सिंह ने इसकी शुरूआत की थी. ये असम समझौते का हिस्सा था लेकिन जिस तरह इसको अमली जामा पहनाया गया है, ये सही नहीं है. कांग्रेस ने इस मसले को ज़ोरदार ढंग से उठाया है. लेकिन इसका कांग्रेस को राजनीतिक फायदा होगा ये कहना मुश्किल है. राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने नपे-तुले शब्दों का इस्तेमाल किया है. गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि एनआरसी को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए, इसका इस्तेमाल वोट बैंक के तौर पर नहीं किया जाना चाहिए. ये मानवाधिकार का मामला है, हिंदू मुस्लिम का नहीं है. कांग्रेस को लग रहा है ये मसले पार्टी के लिए दोधारी तलवार हैं. अगर बोले तो बीजेपी मुस्लिमपरस्त साबित करने की कोशिश करेगी. अगर नहीं बोले तो पार्टी के धर्मनिरपेक्षता वाली छवि को नुकसान हो सकता है.

गोगोई ने की हिटविकेट 

असम में ज्यादातर लोग इस हंगामे के लिए कांग्रेस को ज़िम्मेदार मानते हैं. कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के बयान से पार्टी की जान सांसत में है. पंद्रह साल राज्य के मुख्यमंत्री रहे तरुण गोगोई ने कहा कि एनआरसी कांग्रेस लेकर आई थी. हालांकि इस तरह से लोगों के बेदखल करने का विरोध पूर्व मुख्यमंत्री ने किया है. लेकिन कांग्रेस के हाथ से ये मुद्दा निकल गया है. कुल मिलाकर इस मसले पर कांग्रेस फंस गई है. कांग्रेस को नहीं लग रहा था कि इतनी बड़ी तादाद में लोग रजिस्टर से बाहर हो जाएंगे, जो राजनीतिक बिसात बिछाने की कोशिश तरुण गोगई ने की थी, उसका फायदा बीजेपी ने उठा लिया है. कांग्रेस के हाथ में कुछ नहीं आया है.

जानकार कहते हैं कि तरुण गोगोई ने एआईयूडीएफ के विरोध में कांग्रेस को असम में बहुसंख्यक पार्टी बनाने की तैयारी की थी. लेकिन बीजेपी के हिंदुत्व के आगे गोगोई की ये चाल फेल हो गई है. कांग्रेस के पास हाथ मलने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है. हालांकि मुस्लिम जमात इस मसले पर अभी सरकार के रुख का इंतज़ार कर रहे हैं. जमीयत उलेमा हिंद के अरशद मदनी ने कहा है कि घबराने की जरूरत नहीं है. अभी ये फाइनल लिस्ट नहीं है. जमीयत के कार्यकर्ता सभी को अपना नागरिकता साबित करने में मदद करेंगे इसलिए लोग संयम से काम लें. गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा है कि ये फाइनल लिस्ट नहीं है.

भाजपा को हराने के लिए उद्धव एनसीपी, कांग्रेस के उम्मीदवार को भी मदद दे सकते हैं


अब शिवसेना को अपने अस्तित्व पर संकट नजर आने लगा है. ऐसे में उद्धव की रणनीति साफ है कि पहले बीजेपी को रोकना जरूरी है क्योंकि कांग्रेस और एनसीपी उसका वोट नहीं लेते


बीजेपी की रणनीति से उद्धव ठाकरे इतने परेशान हो गए हैं कि अपने विधायकों को यह साफ कर दिया कि शिवसेना भले सत्ता में न आए लेकिन बीजेपी भी नहीं आनी चाहिए. उद्धव ने यह भी साफ कर दिया है कि पार्टी केवल 120 सीटों पर फोकस करेगी, जिसमें 70 से 75 सीट हर हाल में हासिल करनी होगी. जाहिर है बीजेपी के लिए यह अच्छी खबर नहीं है.

शिवसेना के नेताओं के अनुसार बीजेपी ने पिछले बीएमसी चुनाव के बाद से ही संबंध बिगाड़ लिए हैं. अब तक महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले 30 सालों से चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी यहां तक कि शरद पवार सब की सोच यही रही कि मुंबई और ठाणे को शिवसेना के लिए छोड़ दिया जाए, भले ही बाकी राज्य में विस्तार किया जाए. लेकिन बीजेपी ने मुंबई और ठाणे में भी शिवसेना के किले में सेंध लगा दी. 36 में से बीजेपी के 15 विधायक चुनकर आ गए हैं. साथ ही महानगरपालिका में भी शिवसेना के 84 कॉरपोरेटर हैं तो बीजेपी के 82.

क्या है शिवसेना की रणनीति?

जाहिर है अब शिवसेना को अपने अस्तित्व पर संकट नजर आने लगा है. ऐसे में उद्धव की रणनीति साफ है कि पहले बीजेपी को रोकना जरूरी है क्योंकि कांग्रेस और एनसीपी उसका वोट नहीं लेते. उद्धव ने अपने बेटे आदित्य के साथ मिलकर रणनीति बना ली है कि दिसंबर में सरकार से हाथ खींच लिए जाएंगे ताकि चुनाव अगर लोकसभा के साथ भी हो तो उनकी तैयारी पूरी रहे.

बीजेपी भी अब शिवसेना से बराबरी का रिश्ता चाहती है. सन 2009 तक शिवसेना राज्य की 288 सीटों में से 171 सीटों पर चुनाव लड़ती थी और बीजेपी 117 पर लेकिन 2014 के चुनाव में दोनों अलग-अलग लडे़ क्योंकि बीजेपी आधी-आधी सीट का फॉर्मूला चाह रही थी. मोदी लहर के कारण बीजेपी को कामयाबी मिली और उसकी सबसे ज्यादा 122 सीट आ गई.

शिवसेना क्यों नहीं चाहती बीजेपी का साथ?

अब बीजेपी फिर से आधी सीटों से चुनाव लड़ना चाह रही है, इससे कम पर राजी नहीं है. शिवसेना जानती है कि ऐसा किया तो राज्य की आधी सीटों से उसका जनाधार हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा. शिवसेना इसके लिए तैयार नहीं.

शिवसेना के संगठन मंत्री अनिल देसाई ने कहा कि उद्धव ठाकरे पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारणी और अमित शाह से मुलाकात के बाद भी कह चुके हैं कि अब अकेले लड़ेंगे. ऐसे में वापस जाना संभव नहीं है.

वैसे भी शिवसेना की नजर विधानसभा चुनाव पर है लोकसभा की उसे चिंता नहीं है. पिछली बार मोदी लहर में उसके 18 सांसद चुनकर आए थे लेकिन अलग-अलग लड़ने पर यह संख्या दहाई से नीचे आ सकती है.

अन्य पार्टियों को भी मदद दे सकती है शिवसेना

उद्धव की पहली प्राथमिकता मुंबई और राज्य में शिवसेना को बचाने की है. शिवसेना के रणनीतिज्ञ इस बात के लिए भी तैयार है कि जरूरत पड़ने पर एनसीपी, कांग्रेस के उम्मीदवार को भी मदद दे सकते हैं.

भाजपा को घेरने आए विपक्ष भाजपा से ही घिर गई


राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी के मुद्दे को लेकर संसद से सड़क तक संग्राम छिड़ा है.


राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी के मुद्दे को लेकर संसद लेकर सड़क तक संग्राम छिड़ा है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राज्यसभा में जैसे ही इस मुद्दे पर बोलना शुरू किया, हंगामा तेज हो गया. हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही अगले दिन तक के लिए स्थगित करनी पड़ी.

आखिर विपक्षी दल एनआरसी के मुद्दे पर इतना हंगामा क्यों कर रहे हैं. विपक्षी दल लगातार बीजेपी पर हमलावर क्यों है. ये चंद सवाल हैं जिसको लेकर गुवाहाटी से लेकर दिल्ली तक की राजनीति गर्म है.

दरअसल, असम में एनआरसी का अंतिम मसौदा जारी करने के बाद से ही हंगामा तेज हो गया है. इस मसौदे के मुताबिक 2 करोड़ 89 लाख 83 हजार 677 लोगों को भारत का वैध नागरिक मान लिया गया है. हालांकि, वैध नागरिकता के लिए 3,29,91,384 लोगों ने आवेदन किया था, लेकिन, इनमें से 40,07,707 लोग यह साबित नहीं कर पाए कि वे भारत के नागरिक हैं.

एनआरएसी के नए ड्राफ्ट के हिसाब से अब चालीस लाख से ज्यादा लोगों को बेघर होना पड़ेगा. इसी के बाद हंगामा तेज हो गया है. विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. कांग्रेस से लेकर टीएमसी तक और एसपी-बीएसपी तक सबकी तरफ से सरकार पर हमला तेज कर दिया गया है.

विपक्षी दलों ने एनआरएसी के मुद्दे को लेकर सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगाया है, जबकि सरकार की तरफ से सफाई यही दी जा रही है कि यह सबकुछ सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो रहा है.

बात पहले विपक्ष की करें तो इस मुद्दे पर कांग्रेस की तरफ से राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान कहा कि एनआरसी को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए और इसका इस्तेमाल वोट बैंक के तौर पर नहीं किया जाना चाहिए. ये मानवाधिकार का मामला है, हिंदू-मुस्लिम का नहीं. कांग्रेस की तरफ से इस मुद्दे पर बीजेपी को घेरा जा रहा है. सरकार पर ध्रुवीकरण की राजनीति का आरोप लगाया जा रहा है.

उधर, टीएमसी ने भी इस मुद्दे को लेकर हंगामा शुरू कर दिया है. टीएमसी ने इस मुद्दे को लेकर संसद परिसर में धरना भी दिया. राज्यसभा में इस मुद्दे पर चर्चा हो रही है, लेकिन, अब लोकसभा के भीतर भी टीएमसी इस मुद्दे पर चर्चा चाहती है.

असम में भारतीय नागरिकता साबित करने को लेकर एनआरसी तैयार हो रहा है, लेकिन, इसका असर पश्चिम बंगाल में भी दिख रहा है. पश्चिम बंगाल में भी अवैध रूप से रह-रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों की तादाद को लेकर सियासत होती रही है. अब जबकि बीजेपी नेताओं की तरफ से असम की ही तर्ज पर पश्चिम बंगाल में भी ऐसा करने की बात कही जा रही है तो फिर टीएमसी इस मुद्दे पर पलटवार कर रही है.

लेकिन, टीएमसी ही नहीं इस मुद्दे पर एसपी, बीएएसपी और आरजेडी जैसे विरोधी दल भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. मायावती ने इसे बीजेपी और आरएसएस की विभाजनकारी नीतियों का परिणाम बताया है. समाजवादी पार्टी सांसद रामगोपाल यादव ने भी सरकार पर एनआरसी के मुद्दे को लेकर हमला बोला है.

लेकिन, विपक्ष के हमले का बीजेपी भी अपने अंदाज में जवाब दे रही है. राज्यसभा में चर्चा के दौरान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जैसे ही पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम लिया वैसे ही सदन में कांग्रेस के सदस्यों ने हंगामा कर दिया. अमित शाह ने कहा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 14 अगस्त 1985 को असम समझौते पर हस्ताक्षर किया था, जिसकी आत्मा एनआरसी है. उन्होंने कहा कि अवैध घुसपैठियों की पहचान की बात इसमें की गई थी. अमित शाह ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि आपमें हिम्मत नहीं थी इसलिए आप इस पर आगे नहीं बढ़ पाए, लेकिन, हमारे अंदर हिम्मत है तो हम इस पर आगे बढ पा रहे हैं.

बीजेपी अध्यक्ष के संसद के भीतर कांग्रेस को घेरने के बाद कांग्रेसी सांसद राज्यसभा में वेल में आ गए. हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई. लेकिन, बीजेपी इस मुद्दे पर विपक्ष को घेरने की पूरी कोशिश कर रही है. उसे लगता है कि इस मुद्दे पर जितनी चर्चा होगी, विपक्ष उतना ही बैकफुट पर जाएगा. लिहाजा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अलग से प्रेस कांफ्रेस बुलाकर इस मुद्दे पर विपक्ष के रवैये को लेकर सवाल खड़ा कर दिया.

बीजेपी इस मुद्दे पर असम समेत पूरे नॉर्थ-ईस्ट में विपक्ष पर बढ़त लेना चाहती है. भले ही यह सबकुछ सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो रहा है, लेकिन, अवैध रूप से भारत में रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दे को बीजेपी पहले से ही उठाती रही है. एनआरसी के मुद्दे पर भले ही हंगामा कर विपक्ष की तरफ से बीजेपी को घेरने की कोशिश हो रही है, लेकिन,इस मुद्दे पर बीजेपी को सियासी फायदा ही मिलने वाला है, क्योंकि यह उसके मुख्य मुद्दे में से एक रहा है.

असम में ममता बनर्जी पर FIR


असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का दूसरा और आखिरी ड्राफ्ट जारी हो चुका है. इसमें 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.90 करोड़ आवेदक वैध पाए गए हैं. 40 लाख आवेदकों का नाम ड्राफ्ट से गायब है


असम NRC मुद्दे पर डिब्रुगढ़ जिले के नाहरकटिया पुलिस थाने में ममता बनर्जी के खिलाफ एफआईआर हुआ है. ममता पर प्रदेश की सांप्रदायिक सद्भावना को नुकसान पहुंचाने की कोशिश का आरोप लगाया गया है.

यह एफआईआर जगदीश सिंह, मृदुल कलिता और अमुल्य चेंगलारी नाम के तीन लोगों ने दर्ज करवाई है. ये तीनों बीजेपी युवा मोर्चा के सदस्य बताए जा रहे हैं. एफआईआर के मुताबिक ममता बनर्जी असम में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने और NRC की शांतिपूर्ण प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं. ममता बनर्जी ने एनआरसी से 40 लाख लोगों को बाहर रखने पर केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था.

क्या कहा था ममता ने?

दिल्ली स्थित कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में ममता बनर्जी ने कहा कि बंगाली ही नहीं अल्पसंख्यकों, हिंदुओं और बिहारियों को भी एनआरसी से बाहर रखा गया है. 40 लाख से ज्यादा लोगो जिन्होंने कल सत्ताधारी पार्टी के लिए वोट किया था आज उन्हें अपने ही देश में रिफ्यूजी बना दिया गया है. ममता ने कहा, ‘वे लोग देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं. यह जारी रहा तो देश में खून की नदियां बहेंगी, देश में सिविल वॉर शुरू हो जाएगा.’

ममता बनर्जी ने NRC पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि जिन 40 लाख लोगों के नाम एनआरसी से बाहर किए गए हैं वे नेहरू-लियाकत पैक्ट, इंदिरा पैक्ट के मुताबिक वे भारतीय नागरिक हैं. बिहार, तमिलनाडु और राजस्थान के कई लोगों के नाम वहां नहीं हैं. उन्होंने कहा कि अगर बंगाली कहें कि वे बंगाल में नहीं रह सकते, अगर दक्षिण भारतीय कहें कि वे उत्तर भारतीयों को नहीं रहने दे सकते इस देश के हालात कैसे होंगे? अगर हम साथ रह रहे हैं तो यह देश हमारे लिए परिवार की तरह है.

कौन सी गलती करना चाहती हैं ममता?

ममता ने यह भी कहा कि किसी भी अच्छी वजह के लिए लड़ना गलत है तो हम ये गलती करेंगे. उन्होंने नाम न लेते हुए कहा कि सिर्फ एक ही पार्टी के सदस्यों का अधिकार है कि वे देश से प्यार करें.

असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का दूसरा और आखिरी ड्राफ्ट जारी हो चुका है. इसमें 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.90 करोड़ आवेदक वैध पाए गए हैं. 40 लाख आवेदकों का नाम ड्राफ्ट से गायब है. असम में एनआरसी का पहला ड्राफ्ट पिछले साल दिसंबर के आखिर में जारी हुआ था. पहले ड्राफ्ट में 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे.

आज का राशिफल

1 अगस्त 2018 राशिफल: चन्द्र राशि अनुसार आपका पॉजिटिव, नेगेटिव, हैल्थ, करियर, लव, स्टडी रिपोर्ट और उपाय

टिप्स फॉर 01-08-2018 बुधवार हमारी हर टिप्स ज्यादा से ज्यादा शेयर करे *सबका मंगल हो

*आज अतिगंड योग – पंचक – पद्मा योग – तिथि कृष्ण चतुर्थी और उत्तरा भाद्रापद नक्षत्र …

आज के योग के अनुसार आज सुबह का समय बहोत ही उत्तम हे हो शके तो गणेश जी के समाने अथर्वशीर्ष स्तोत्र का पाठ करे

आज का मंत्र लेखन – आज ॐ सोम्याय नमः यह मंत्र २१ बार लिख ( हो शके तो 108 बार लिखे )

आज प्लान्टेशन करने के लिए उत्तम समय हे कृपया लाभ जरुर उठाये

आज क्या करे – केवल शान्ति पूर्ण कार्य ही करे, आज रिसर्च करे, ध्यान योग करे, नए मकान को बनाने की शुरुआत करे, फाय्नान्सियल डीलिंग करे, नए मकान में प्रवेश करे, बच्चे के नाम करन के लिए उत्तम समय, …

आज क्या ना करे – ट्रावेल ना करे, दुश्मन से दूर ही रहे तो अच्छा हे, इन्वेस्टमेंट ना करे आजे, ज्यादा फिजिकल मूवमेंट ना करे, जुआ ना खेले आज …

आज कहा जाना शुभ रहेगा – म्यूजियम जाए, टेम्पल जाए, बुक स्टोर जाए, सोसियल वेल्फेर सेंटर जाए..

आज दोपहर १२ ३० बजे से ०२ ३० बजे के बिच कोई भी शुभ कार्य ना करे

भोजन उपाय – आज मुंग दाल से बनी चीज खाए

दान पुण्य उपाय – आज हरी सब्जी का दाना कर …

वस्त्र उपाय – आज हरे या पिस्ता रंग के वस्त्र धारण करे …

वास्तु उपाय – आज शाम घर में गुगुल और कपूर का धुप जरुर करे

01 अगस्त जिनका जन्म दिन हे और जिनकी शादी की सालगिरह हे वो आज सुबह के समय श्री गणेश जी को मोदक का भोग लगावे और सभी को प्रसाद बांटे …

मेष –
01 अगस्त 2018, बुधवार
पॉजिटिव – आपकी आर्थिक स्थिति में कुछ बड़े बदलाव होने की संभावना बन रही है। इन पर आपकी नजरें रहेंगी। बिजनेस या कार्यक्षेत्र संबंधित यात्रा हो सकती है। काम भी बहुत रहेगा। दूर स्थान के लोगों से आपके संबंध अच्छे हो सकते हैं। लोग आपकी मेहनत से कुछ सीखेंगे। निपट चुके काम एक बार चेक कर लें। अच्छा रहेगा।

क्या करें – किन्नरों को इलाइची पाउडर खिलाएं।

वृष –
01 अगस्त 2018, बुधवार
पॉजिटिव – ऑफिस या बिजनेस में कोई नई पहल कर सकते हैं। करियर और सामाजिक क्षेत्र में प्रगति हो सकती है। आप जो भी सोचेंगे, जो करेंगे उसमें आपको सफलता मिल सकती है। किए गए कामों का पूरा परिणाम भी आपको मिल सकता है। आज आप सही समय पर सही निवेश कर सकते हैं। आपको साझेदार से फायदा हो सकता है। रोजमर्रा के कामों से भी फायदा मिलने के योग हैं। जमीन-जायदाद का कोई बड़ा काम निपट सकता है, ध्यान रखें। प्रॉपर्टी से जुड़ा फायदा भी होने की संभावना है। पुराने कामों का कोई खास फायदा भी आपको मिल सकता है। कानूनी मामले सुलझ जाएंगे।

मिथुन –
01 अगस्त 2018, बुधवार
पॉजिटिव – सोचे हुए पुराने काम शुरू करें। बिल और देनदारियां चुका सकते हैं। धन लाभ के भी योग बन रहे हैं। जिन लोगों से आपको पैसे लेने हैं, उनसे वसूली कर सकते हैं। दिन आपके फेवर में हो सकता है। कार्यक्षेत्र या ऑफिस से जुड़ी योजनाएं पूरी होने के योग बन रहे हैं। ऑफिस और बिजनेस में आपके लिए गए फैसलों से बड़ा फायदा हो सकता है। आज कुछ घटनाएं भी अचानक हो सकती हैं।

कर्क –
01 अगस्त 2018, बुधवार
पॉजिटिव – आपके लिए दिन खास रहेगा। कुछ ऐसी बातें सामने आ सकती हैं जो आपको आने वाले दिनों में फायदा देंगी। सितारे आपके सोचे हुए काम पूरे करवा देंगे। अचानक कोई अच्छी खबर या संकेत से आप खुश भी हो सकते हैं। इससे आपको ताकत भी मिलेगी। दिन आपके लिए शुभ रहेगा। कोई बीमारी है, तो वह ठीक भी हो सकती है। किस्मत का साथ और रुका हुआ पैसा आज आपको मिल सकता है।

सिंह –
01 अगस्त 2018, बुधवार
पॉजिटिव – आपको कोई खास काम निपटाने पर शांति मिलेगी। कोई पुरस्कार भी मिल सकता है। साथ के कुछ लोगों से सहयोग और प्रोत्साहन मिलेगा। कोई नया काम शुरू करने से पहले उससे संबंधित अनुभवी की सलाह ले लें। अपनी प्लानिंग गुप्त रखें। कहीं सें आपको कुछ निवेश की सलाह भी मिल सकती है।

कन्या –
01 अगस्त 2018, बुधवार
पॉजिटिव – अचानक आपके मन में कोई बात आ सकती है। उससे ही आपको अपने सवालों के जवाब मिल सकते हैं। कन्फ्यूजन की स्थिति खत्म हो सकती है। रूटीन कामों से धन लाभ और फायदा होने के योग बन रहे हैं। जिनसे आपको बड़ा फायदा मिल जाएगा। आपको मेहनत करने पर मजा आएगा। जिसके नतीजे भी आपके फेवर में रहेंगे। किसी पुराने काम को निपटाने के बाद आपको फायदा हो सकता है।

तुला –
01 अगस्त 2018, बुधवार
पॉजिटिव – आप बहुत मजबूती और धैर्य से काम लेंगे। दिनभर पैसों के बारे में ही सोचते रहेंगे। कहीं कोई निवेश, एक्स्ट्रा इनकम या किसी से बकाया पैसा मिलने के भी योग बन रहे हैं। भूमि और प्रॉपर्टी के कामों से धन लाभ हो सकता है। आज आप जोश में रहेंगे और अपनी बुद्धि भी उपयोग करेंगे। प्रेम के मामलों में आप बहुत भाग्यशाली हो सकते हैं। अविवाहित लोगों को प्रेम प्रस्ताव मिलने के योग हैं। कुछ विवाहित लोग भी साथ मे समय बीताएंगे।

वृश्चिक –
01 अगस्त 2018, बुधवार
पॉजिटिव – आप जो भी काम करेंगे उससे आपको कुछ न कुछ फायदा जरूर मिलेगा। काम से आपको पैसा मिल सकता है। ऑफिस में कुछ खास बदलाव होने के भी योग बन रहे हैं। इसका असर आपकी दिनचर्या पर पड़ेगा। इसी के साथ आपको आगे बढ़ने के मौके मिल सकते हैं। घूमने-फिरने के लिए समय अच्छा है। सोचे हुए काम पूरे होने से खुशी मिलेगी। अचानक धन लाभ भी हो सकता है।

धनु –
01 अगस्त 2018, बुधवार
पॉजिटिव – पुरानी चुनौतियों से निपटने के लिए आपको नई बात समझ आ जाएगी। आप कोई ऐसी नई बात सीख सकते हैं, जो आने वाले दिनों में आपको बड़ा फायदा देगी। आज आप अपनी मानसिक अस्थिरता दूर करने की कोशिश करेंगे और बहुत हद तक इसमें सफल भी हो जाएंगे। अपने काम समय पर करने की कोशिश करेंगे।

मकर –
01 अगस्त 2018, बुधवार
पॉजिटिव – पुरानी टेंशन आज खत्म हो सकती है। खुद पर ध्यान देंगे। जरूरत की चीजों पर पैसा खर्चा हो सकता है। कामकाज में एक्टिव रहेंगे। समाज व परिवार दोनों क्षेत्रों के काम पूरे होंगे। अचानक यात्रा हो सकती है। दोस्तों से भी सहयोग मिल सकता है। हंसी-मजाक में दिन बीतेगा। नए लोगों से दोस्ती होगी। प्रोफेशनल रिलेशन मजबूत हो सकते हैं। आज आप किसी तरह का नशा छोड़ने का मन भी बना सकते हैं। भागीदारी में आपके लिए गए फैसले फायदेमंद हो सकते हैं।

कुंभ –
01 अगस्त 2018, बुधवार
पॉजिटिव – चंद्रमा की अच्छी स्थिति से धन लाभ हो सकता है। आप दिमाग से और मीठा बोलकर लोगों को प्रभावित करेंगे। आज आपको दुश्मनों पर जीत मिल सकती है। आप करियर के मामले में बिल्कुल सही समय पर सही जगह मौजूद रहेंगे। किसी खास काम में पूरी ताकत से जुट जाएंगे और खुद को साबित करके दिखा देंगे। बेरोजगार लोगों के लिए दिन अच्छा रहेगा। किसी खास व्यक्ति से भी मुलाकात हो सकती है।

मीन –
01 अगस्त 2018, बुधवार
पॉजिटिव – आज आपके कुछ जरूरी काम पूरे हो सकते हैं। आज आप कोई उलझा हुआ मामला सुलझा सकते हैं। कामकाज संबंधित अच्छे आइडिया आपको मिल सकते हैं। चंद्रमा आपकी ही राशि में होने से आपके लिए दिन ठीक रहेगा। अपनी व्यवहारकुशलता और सहनशक्ति से काम लें। ज्यादातर चीजें खुद सुलझ जाएंगी।