एक राज्य एक वोट और अधिकारियों के एक कार्यकाल के बाद कूलिंग ऑफ पीरियड दोनों नकार दीं गईं : नयायमूर्ति लोढा
बीसीसीआई पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से निराश हैं जस्टिस लोढ़ा
बीसीसीआई को भविष्य को लेकर सुप्रीम कोर्ट के ताज पैसले के बाद बोर्ड के भीतर भले ही खशियां मनाई जा रही हों लेकिन जिन जस्टिस लोढ़ा कि सिफारिशो के बाद बोर्ड के ढांचे में ही आमूलचूल बदलाव हो गया था वह सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से खुश नहीं हैं.
जस्टिल लोढ़ा का मानना है कि देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने उनकी सिफारिशों की नींव को ही हिला दिया है और जब नींव ही हिल गई है तो फिर इस पर बीसीसीआई में सुधारों की इमारत कैसे खड़ी हो सकती है.
अदालत का फैसला आने के बाद जस्टिस लोढ़ा का एएनआई से कहना है, ‘ मैं यह तो नहीं कहुंगा कि मैं मुझे सदमा लगा है लेकिन इतना जरूर कहुंगा के कि मैं इस फैसले से निराश हूं. बोर्ड में सुधार के लिए मेरी सिफारिशों में दो जरूरी बातें थीं. एक राज्य एक वोट और अधिकारियों के एक कार्यकाल के बाद कूलिंग ऑफ पीरियड. अदालत ने इन दोनों बातों को नकार कर मेरी सिफारिशों की नींव को ही हिला दिया है.
उनका कहना है कि लोढ़ा कमेटी की सिफारिशो का मूल मकसद बीसीसीआई के अधिकारियों को तानाशाही करने से रोकना था ताकि नए लोगों के लिए रास्ता साफ हो सके लेकिन अब उन्हें छह साल तक अपना साम्राज्य खड़ा करने की इजाजत मिल गई है.
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