Saturday, December 7
दिनेश पाठक , वरिष्ठ अधिवक्ता राजस्थान उच्च न्यायालय,एवं विश्व हिन्दू परिषद के विधि प्रमुख

देश की संसद मे अविश्वास प्रस्ताव पर बहस चल रही थी पूरा देश संसद की तरफ टकटकी लगाये पूरे दिन बैठा रहा कि जिन जनप्रतिनिधियो को हमने चुनकर भेजा है वो देश के लिये क्या सोचते और बोलते है एक बहुत बडा समूह जो राहुल गांधी मे देश के भावी प्रधानमंत्री होने के सपने देख रहा था उनके सपने चूर चूर हो गये जब राहुल गांधी लोकसभा मे बोले।

राहूल गांधी से देश को बहुत आशाएं थीं कि आज तो सरकार के बखिया उधेड देंगे लेकिन उन्होने लोकसभा को नुक्कड सभा समझकर तथ्यो से परे और झूठ पर आधारित रहा। आपके दिये भाषण को सुनकर पूरे देश को शर्मिंदा होना पडा जब आपके राफेल पर दिये वक्तव्य को सुनकर हाथोंहाथ फ्रांस सरकार ने झूठ करार दे दिया। अब तक जो छवि आपकी आपके निकनेम के साथ देश के सामने थी आपने वही छवि अन्तराष्ट्रीय पटल पर भी बना ली ! आपको पता होना चाहिये कि देश की सर्वोच्च संस्था लोकतंत्र के मन्दिर संसद मे बोल रहे थे न किसी चौराहे पर चुनावी सभा कर रहे! या तो आपको संसद के नियमो के जानकारी नही या आप जानबुझकर संसद का अपमान कर रहे थे संसद मे बोलने की एक मर्यादा होती है राहुल गांधी ने अपने भाषण मे कहा कि प्रधानमंत्री मेरी आंख मे आंख नही डाल सकते लेकिन आप देश के एक नागरिक हो बस इससे ज्यादा कुछ नही आप अहंकार मे यह सब देश के प्रधानमंत्री से कह गये लेकिन प्रधानमंत्री ने इस बात का जबाव बडी विनम्रता से दिया।

राहुल गांधी यहीं नही रुके आगे कहा “प्रधानमन्त्री बार मे जाते है” इस पर पूरा सदन ठहाको से गंज उठा गांधी को बार और बाहर मे अन्तर नही मालूम जबकि उनके अनुयायी उन्हे प्रधानमन्त्री बनाने का ख्वाब देख रहे है! राहुल गांधी ने राफेल सौदे मे रक्षामन्त्री सीतारमण पर आरोप लगाये यही नही यूपीए सरकार के समय फ्रांस और भरत सरकार के डील को सार्वजनिक न करने का समझौता हुआ जिसकी धज्जिया राहुल ने स्वयं ही बिना कोई सबूत के कीमते बताकर उडा दी! देश की सबसे पुरानी पार्टी के अध्यक्ष को प्रधानमन्त्री के प्रोटोकाल की भी जानकारी नही जो कह रह थे कि प्रधानमन्त्री सुरक्षा कवच से बाहर नही निकलते जबकि उनको पता है देश के प्रधानमन्त्री आतंकी संगठनों के निशाने पर सबसे ऊपर है आखिर क्यो चाहते है कि वो सुरक्षा कवच तोडकर बाहर आये? यह बात राजनितिक और सामाजिक विश्लेषको की समझ से बाहर है ! राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को कुर्सी से उठने को कहकर अपने अहंकार के साथ यह दिखाने की कोशिश की कि मै और मेरा परिवार ही इस कुर्सी के असली हकदार है शायद उनको संसदीय मर्यादाओ का ज्ञान नही या जानबूझकर देश के प्रधानमंत्री का अपमान करना था । बात यही नही रुकी प्रधानमंत्री के पास से लौटकर बैठे तो सिंधिया की तरफ आंख मारकर अपनी एक और बचकानी हरकत का प्रदर्शन संसद मे किया!

अब विचारणीय विषय यह है कि देश का विपक्ष और उसका नेता ऐसा व्यवहार देश की लोकसभा मे करने वाला होने चाहिये? लोकतंत्र मे विपक्ष की अहम भूमिका होती है और यदि विपक्ष का नेता ही ऐसी हरकतें करे वो संसद मे तो देश का संविधान और लोकतंत्र वाकयी खतरे मे है!

dineshpathak@demokraticfront.com