विपक्ष लंबे वक्त से अविश्वास प्रस्ताव की मांग कर रहा था. लेकिन जिस तत्परता के साथ नरेंद्र मोदी सरकार ने अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार किया उससे हर कोई हैरान है. खास कर विपक्षी दल को हैरानी ज्यादा हो रही है. बुधवार को सुबह ठीक साढ़े दस बजे, प्रधानमंत्री संसद भवन पहुंचे और उन्होंने ऐलान किया कि सरकार विपक्ष द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों पर चर्चा और बहस के लिए तैयार है.
इसके बाद दो घंटे से भी कम समय के अंदर ही तेलुगू देशम पार्टी के अविश्वास प्रस्ताव को स्पीकर सुमित्रा महाजन ने मंजूरी दे दी. पिछली बार बजट सत्र के दौरान टीडीपी के सांसद अविश्वास प्रस्ताव की मांग करते रहे लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली थी.
आमतौर पर संसद में सत्र के पहले हफ्ते सांसद नए जोश के साथ आते हैं. इस दौरान यहां शोर शराबा भी खूब होता है. ऐसे में जिस तरीके से सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के लिए तैयार हो गई है, सत्ता की गलियारों में अटकलों का बाज़ार भी गर्म हो गया है.
पिछली बार विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि अविश्वास प्रस्ताव से बचने के लिए आखिरी सेशन में पहली पंक्ति में बैठे (treasury bench) सरकार के बड़े नेताओं और मंत्रियों ने हंगामा खड़ा किया था. अगर ऐसा एक बार फिर से मॉनसून सत्र में होता तो इससे विपक्षी दलों को ही फायदा होता. उन्हें एक बार फिर से ये कहने का मौका मिल जाता कि मोदी सरकार अविश्वास प्रस्ताव से बचने की कोशिश कर रही है.
सत्र की शुरुआत में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से सभी दलों को राजनीतिक मुद्दों पर बहस करने का मौका मिल जाएगा. इसी तरह सरकार को भी सारे पेंडिंग मुद्दों पर बहस करने का मौका मिल जाएगा. इसके अलावा मॉनसून सत्र चलने में भी कोई परेशानी नहीं होगी.
4 साल के कामों को दिखाने के लिए बीजेपी के पास अच्छा मौका
राजनीतिक तौर पर बीजेपी भी इस मौके का इस्तेमाल अपने पिछले चार साल के प्रदर्शन को दिखाने के लिए भी कर सकती है. इसके अलावा वो नए सहयोगियों की तलाश कर सकती है. साथ ही वो विपक्ष की कमजोरियों को भी भांप सकती है. इतना ही नहीं बीजेपी इस मौके को इस्तेमाल ये बताने के लिए भी कर सकती है कि 2019 का चुनाव मोदी बनाम विपक्ष की लड़ाई है.
ये ध्यान रखना दिलचस्प होगा कि अविश्वास प्रस्ताव से पहले, बीजेपी के सांसद और प्रधानमंत्री, भाषण के जरिए इसे मोदी बनाम राहुल की लड़ाई बनाने की कोशिश कर सकते हैं. पिछले एक महीने से इस बात के संकेत भी मिल रहे हैं. शुक्रवार को लोकसभा में इसका और भी प्रमाण मिल जाएगा.
आखिर में सबसे अहम बात, विश्वास मत के बाद अगस्त के तीसरे हफ्ते में बीजेपी ने अपने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है. इस बैठक ने 2019 में होने अगले आम चुनावों की टाइमिंग को लेकर भी अटकलें बढ़ा दी है.