पगड़ी पहनने के आदेश से सिख धर्म की भावनाएं हुईं आहत : चीमा


अकाली दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने दावा किया कि चंडीगढ़ प्रशासन के इस कदम से सिख समुदाय की धार्मिक भावनाएं बहुत आहत हुई हैं.


शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने शनिवार को केंद्र-शासित प्रदेश (यूटी) चंडीगढ़ के प्रशासन से छह जुलाई की वह अधिसूचना वापस लेने की अपील की जिसमें पगड़ीधारी सिख महिलाओं को छोड़कर बाकी सभी महिलाओं के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य कर दिया गया है.

अकाली दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने दावा किया कि चंडीगढ़ प्रशासन के इस कदम से सिख समुदाय की धार्मिक भावनाएं बहुत आहत हुई हैं. चीमा ने कहा, ‘केंद्रशासित प्रदेश को किसी सिख महिला की पहचान परिभाषित या फिर से परिभाषित करने और कानून की नजर में किसी के सिख महिला होने या नहीं होने का पता लगाने का कोई अधिकार नहीं है.’

उन्होंने दलील दी कि सिख सिद्धांत में कोई टोपी या हेलमेट पहनना मना है. चीमा ने कहा, ‘सिख धर्म के सिद्धांतों के मुताबिक, किसी सिख महिला के लिए पगड़ी पहनना जरूरी नहीं है. यह पूरी तरह उसकी मर्जी है. सिख धर्म में पगड़ी सिर्फ पुरुषों के लिए जरूरी है.’

उन्होंने कहा, ‘लगभग 99.99 फीसदी सिख महिलाएं दुपट्टे से अपना सिर ढकती हैं. हेलमेट पहनने से मिली छूट उन सब पर लागू होती है लेकिन नई अधिसूचना ने सिख महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित किया है.’

पूर्व मंत्री ने कहा कि अकाली दल इस मुद्दे को यूटी चंडीगढ़ प्रशासन के सामने उठाएगा और उससे अधिसूचना वापस लेने का अनुरोध करेगा. चीमा ने कहा, ‘यदि जरूरत पड़ी तो पार्टी का प्रतिनिधिमंडल इस बेहद संवेदनशील धार्मिक मुद्दे पर प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अधिकारियों से मुलाकात करेगा.’

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