नितीश – शाह कुछ तो है जो ‘सरकार’ बदले बदले से नज़र आते हैं
बीजेपी ने समय रहते लगता है नीतीश कुमार की नाराजगी को दूर कर दिया है
अपने एक दिन के बिहार दौरे में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सुबह नाश्ते पर जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मुलाकात की. बिहार दौरे की शुरुआत नीतीश के साथ मुलाकात से हुई. इस मुलाकात में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के अलावा बिहार बीजेपी अध्यक्ष नित्यानंद राय और उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी भी साथ थे.
मुलाकात के बाद बाहर निकलते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुस्कुराहट से बहुत कुछ साफ झलक रहा था. चेहरे की मुस्कुराहट और बॉडी लैंग्वेज बताने के लिए काफी थी कि दोनों दलों के बीच पिछले कुछ दिन से आ रही तनातनी खत्म हो गई है. हालांकि नाश्ते पर मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अमित शाह ने कुछ भी नहीं कहा.
लेकिन, पटना के बापू सभागार में अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अमित शाह ने नीतीश के साथ बीजेपी के रिश्ते और विपक्षी दलों को लेकर अपना स्टैंड साफ कर दिया. शाह ने कहा ‘नीतीश जी अलग थे लेकिन, भ्रष्टाचार का साथ छोड़कर चले आए. अब बिहार में कुछ नहीं होने वाला. लार टपकाना बंद कर दो. बिहार में चालीस की चालीस सीट जीतेंगे.’
अमित शाह ने आगे कहा कि हमें साथियों का सम्मान करने आता है. हमें साथियों को संभालने आता है. आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के एनडीए छोड़कर जाने पर तंज कसते हुए शाह ने एक बार फिर से नीतीश कुमार की तारीफ की. बीजेपी अध्यक्ष ने पार्टी कार्यकर्ताओं से पूछा कि चंद्रबाबू चले गए तो नीतीश कुमार हमारे साथ आ गए. अब आप ही बताइए नायडू के जाने का कोई फर्क पड़ेगा. इस पर कार्यकर्ताओं की तरफ से जवाब मिला ना.
बीजेपी अध्यक्ष के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू से गठबंधन को लेकर दिए गए इस बयान ने उन सभी अटकलों को खारिज कर दिया है, जिसमें दोनों दलों के रिश्तों में कड़वाहट के बाद एक बार फिर से अलग-अलग राह पर चलने की संभावना जताई जा रही थी.
हालांकि सूत्र बता रहे हैं कि इस मुलाकात में सीट शेयरिंग समेत और भी कई मुद्दों पर चर्चा हुई है. चर्चा आने वाले लोकसभा चुनाव में मिलकर विपक्षी दलों को मात देने पर भी हुई है. चर्चा आने वाले दिनों में सरकार के बेहतर प्रदर्शन और केंद्र की तरफ से दिए जाने वाले सहयोग पर भी हुई है. संगठन और सरकार में सहयोग की भी बात हुई है.
सूत्रों के मुताबिक, दोनों ही दलों के बड़बोले नेताओं को सीट शेयरिंग के मुद्दे पर बयानबाजी बंद करने को भी कहा गया है. लेकिन, इस मुलाकात के बाद तय है कि अब विवादों को खत्म करने की कोशिश बीजेपी की तरफ से भी की गई है.
बीजेपी अध्यक्ष का सुबह-शाम दोनों वक्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ खाने पर बैठना इस बात का संकेत है कि बीजेपी नीतीश कुमार को कितना वजन दे रही है. लेकिन, ऐसा ही नजरिया नीतीश कुमार का भी रहा है.
पिछले कुछ दिनों में लगाए जा रहे तमाम कयासों के बावजूद जेडीयू की दिल्ली में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश कुमार की अगुआई में सारे नेताओं ने साफ-साफ लहजे में इस बात का ऐलान किया कि 2019 में लोकसभा चुनाव में जेडीयू एनडीए का ही पार्ट रहेगी.
दरअसल, हकीकत यही है कि अमित शाह के साथ नीतीश कुमार की मुलाकात का खांका भी पहले ही तैयार हो गया था. दोनों दलों के नेताओं के बीच पर्दे के पीछे बात कर एक बेहतर माहौल बना दिया गया था. बेहतर माहौल में मुलाकात का असर दिख भी रहा था.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए जो संदेश दिया उसमें नीतीश कुमार की अहमियत साफ-साफ दिख रही थी. अमित शाह ने बार-बार यह बताया कि कैसे अपने दम पर सत्ता में आने के बावजूद बीजेपी अपने सहयोगियों को भी साथ लेकर चल रही है. दो दिन पहले चेन्नई में भी अमित शाह ने इसी तरह का बयान दिया था, जिसमें उन्होंने मौजूदा सहयोगियों को सम्मान देकर नए साथियों की तलाश की बात कही थी.
फिलहाल, अमित शाह के पटना दौरे के बाद जेडीयू के साथ बीजेपी के हिचकोले खाते रिश्ते को लेकर लग रहे कयास खत्म होते दिख रहे हैं. सूत्र बता रहे हैं कि सीट शेयरिंग से लेकर हर मुद्दे पर नीतीश कुमार को बीजेपी नाराज नहीं करेगी. यानी रिश्ता बराबरी का होगा या फिर राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी भले ही बड़े भाई की भूमिका में रहे लेकिन, बिहार में चेहरा नीतीश कुमार का ही आगे रहेगा.
हालांकि अमित शाह ने दावा किया कि यूपी में मायावती, अखिलेश, अजीत सिंह और कांग्रेस मिलकर भी चुनाव लड़े तो उनको बीजेपी हरा देगी. दावा पूरे देश में जीत का किया जा रहा है, लेकिन, हकीकत यही है कि इस वक्त चंद्रबाबू नायडू के एनडीए छोड़ने के बाद शिवसेना की तरफ से भी दबाव बढ़ा दिया गया है.
बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना ने अगला लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया है. ऐसे में नीतीश को साथ रखना बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है. बीजेपी ने समय रहते लगता है नीतीश कुमार की नाराजगी को दूर कर दिया है. वरना, 2010 में मोदी के साथ अपनी तस्वीरों वाले विज्ञापन के छपने के चलते बीजेपी नेताओं को दिया गया डिनर रद्द करने वाले नीतीश कुमार मोदी के सबसे भरोसेमंद चाणक्य के सम्मान में इस तरह डिनर के साथ-साथ नाश्ते पर सहज नहीं दिखते.
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!