आआपा प्रमुख को यादव में दिख रहीं हैं आपार संभावनाएं


राजनीति की पल-पल बदलती परिस्थिति में आज अरविंद केजरीवाल को योगेंद्र यादव में सार्थकता नजर आने लगी है, लेकिन इन्हीं अरविंद केजरीवाल ने विचारों में अंतर के कारण योगेंद्र यादव को पार्टी से निकाल दिया था.


दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में दो पुराने बिछड़े दोस्तों की फिर से मिलने की खबर से हलचल बढ़ गई है. यह चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि दो पुराने बिछड़े दोस्त एक बार फिर से एक होने जा रहे हैं. अरविंद केजरीवाल और योगेंद्र यादव के दिल जुड़ने को लेकर कयासों का बाजार गर्म है. हालांकि, इस खबर पर अब तक किसी भी तरफ से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं आई है लेकिन कुछ राजनीतिक घटनाक्रमों के बाद इतना तो तय हो गया है कि अरविंद केजरीवाल और योगेंद्र यादव के बीच जमी बर्फ अब कुछ-कुछ पिघलने लगी है. बर्फ पिघलने की सुगबुगाहट दोनों पार्टियों के अंदर देखी जा रही है.

बुधवार को स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने केंद्र सरकार पर उनके परिवार को तंग करने का आरोप लगाया था. यादव ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर मोदी सरकार पर अपने रिश्तेदारों को परेशान करने का आरोप लगाया था. योगेंद्र यादव का कहना था कि मोदी सरकार इनकम टैक्स विभाग का इस्तेमाल कर मेरी बहन और भांजे को फंसाने का काम कर रही है. योगेंद्र यादव ने ट्विटर पर लिखा था कि मोदी सरकार को अगर रेड करनी है तो मेरे घर रेड करे, मेरे परिवार को क्यों तंग कर रहे हो?

बता दें कि हरियाणा के रेवाड़ी में कलावती अस्पताल और कमला नर्सिंग होम्स पर बुधवार को आईटी विभाग की रेड पड़ी थी. ये दोनों अस्पताल योगेंद्र यादव की बहन पूनम यादव और नीलम यादव के हैं. इंकम टैक्स विभाग को रेड में रु 20,00,000.00  मिलने का दावा भी किया गया, जिस पर योगेन्द्र यादव की कोई टिप्पणी नहीं आई

योगेंद्र यादव के रिश्तेदारों के यहां आईटी विभाग के छापे के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं. इस मसले पर सबसे दिलचस्प प्रतिक्रिया दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की आई. अरविंद केजरीवाल अपने पूर्व सहयोगी और स्वराज इंडिया पार्टी के प्रमुख योगेंद्र यादव के परिवार के सदस्यों पर आईटी रेड का विरोध में उतर आए. अरविंद केजरीवाल ने इस मामले के बहाने पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा. केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए कहा कि पीएम मोदी को बदले की राजनीति अब बंद कर देनी चाहिए.

बता दें कि केजरीवाल के कभी सहयोगी रहे और आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक योगेंद्र यादव हाल के दिनों में अपनी उपयोगिता को काफी मजबूती के साथ दर्शाया है. देश के कई राज्यों में स्वराज इंडिया पार्टी किसानों के समर्थन में किए गए अभियान की काफी तारीफ हुई है.

जानकारों का मानना है कि हाल के कुछ वर्षों में देश की सोशल मीडिया पर स्वराज इंडिया की तरफ से किसानों की समस्या को लेकर किए गए धरना और प्रदर्शन की काफी तारीफ हुई है. आईटी विभाग के द्वारा योगेंद्र यादव के रिश्तेदारों के यहां रेड को भी कहीं न कहीं इसी नजरिए से देखा जा रहा है. सोशल मीडिया पर स्वराज अभियान द्वारा जारी पदयात्रा को लेकर भी अब तरह-तरह की बातें सामने आ रही हैं.

दरअसल देश के कई राज्यों में किसानों की बेहतरी के लिए योगेंद्र यादव पदयात्रा कर रहे हैं. पिछले दिनों ही हरियाणा में स्वराज यात्रा निकाली गई. इस यात्रा को किसानों का अच्छा खासा समर्थन मिला था.

राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा आम है कि हरियाणा में स्वराज इंडिया का अच्छा-खासा जनाधार बढ़ा है. पार्टी के बढ़ते जनाधार को देखते हुए ही अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर से योगेंद्र यादव से नजदीकी बढ़ाने की दिशा में पहला कदम उठा दिया है.

हाल के कुछ दिनों में योगेंद्र यादव की पार्टी स्वराज इंडिया हरियाणा में आम आदमी पार्टी से ज्यादा सक्रिय नजर आ रही है. साल 2019 लोकसभा चुनाव को देखते हुए आम आदमी पार्टी भी हरियाणा में अपना वजूद तलाशने में लगी हुई है. आम आदमी पार्टी को चिंता इस बात की है कि दिल्ली की तरह हरियाणा में भी कहीं योगेंद्र यादव उसका नुकसान न कर दें.

पिछले साल दिल्ली के एमसीडी चुनाव में भी स्वराज इंडिया पार्टी को बेशक कुछ ज्यादा सफलता नहीं मिली थी, लेकिन पार्टी ने आम आदमी पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगाई थी. नतीजा यह हुआ कि कि आम आदमी पार्टी को दिल्ली नगर निगम चुनाव में मुंह की खानी पड़ी. ऐसे में अगर स्वराज इंडिया पार्टी हरियाणा में उतरती है तो वह भले ही सरकार न बना पाए, लेकिन आम आदमी पार्टी को सत्ता में आने से रोक जरूर सकती है.

राजनीति की पल-पल बदलती परिस्थिति में आज अरविंद केजरीवाल को योगेंद्र यादव में सार्थकता नजर आने लगी है, लेकिन इन्हीं अरविंद केजरीवाल ने विचारों में अंतर के कारण योगेंद्र यादव को पार्टी से निकाल दिया था. इसके बाद ही योगेंद्र यादव ने स्वराज इंडिया पार्टी का निर्माण किया.

वर्तमान में स्वराज इंडिया से जुड़े और पूर्व में आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक प्रोफेसर आनंद कुमार ने अरविंद केजरीवाल और योगेंद्र यादव के साथ आने की संभावना पर बात की. आनंद कुमार ने कहा, ‘देखिए योगेंद्र यादव ने अपनी तरफ से तो अलगाव की कोशिश नहीं की थी, क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने प्रशांत भूषण से टेलिफोन पर भी हेलो करने से मना कर दिया था. जब अरविंद केजरीवाल के पास इतना शिष्टाचार भी नहीं बचा था और इतना अहंकार आ गया था. तो अब फिर से साथ आने की पहल अरविंद केजरीवाल के निर्णय पर ही निर्भर करेगी. मुझे उम्मीद है कि वह (अरविंद केजरीवाल) सुधरेंगे. चुनाव सिर पर आ गया है. दिल्ली में नगर पालिका के चुनाव में भी आप का वोट प्रतिशत 54 से घटकर 27 प्रतिशत पर आ गया. अगर अरविंद केजरीवाल समझौते की बात करते हैं तो अच्छी बात है.’

आनंद कुमार आगे कहते हैं, ‘दिल्ली सरकार का कार्यकाल पूरा होने के बाद अरविंद केजरीवाल का क्या भविष्य होगा, वह खुद ही जानते हैं. जहां तक योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण की बात है तो उन लोगों ने अपनी क्षमता दिखा दी है कि हमलोग देश में एक नया माहौल बना सकते हैं. सबकी मेहनत और कोशिश के बाद हमलोग राष्ट्रीय मंच पर आ गए हैं. मैं आपको बता दूं कि हमलोग अलग-अलग जरूर हो गए हैं, लेकिन सभी के मुद्दे तो एक ही हैं. हमलोग कोई प्रोफेशनल पॉलिटिक्स नहीं करते हैं. मैं अपनी भावनाओं के बारे में ही आपको बता सकता हूं कि हमलोग अरविंद केजरीवाल को अपना दुश्मन नहीं मानते हैं. हम तकलीफ महसूस करते हैं कि हमलोगों के पास एक अच्छा मौका था, जिसमें हमलोग राष्ट्रीय विकल्प बन सकते थे, लेकिन इन लोगों ने दिल्ली की सरकार को ही अपना अंतिम लक्ष्य मान लिया था. अगर ये लोग अपना दृष्टिकोण बदलेंगे और भारत के लिए सोचना शुरू करेंगे तो उनके लिए रास्ते बंद नहीं हुए हैं.’

वहीं अरविंद केजरीवाल और योगेंद्र यादव के साथ आने की संभावनाओं पर स्वराज इंडिया पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुपम बात की. अनुपम ने बताया, ‘सबसे पहले बता दूं कि आयकर विभाग की जो कार्रवाई हुई है, उसके पीछे साफ है कि योगेंद्र यादव किसानों और बेरोजगारी के मुद्दों पर केंद्र सरकार को जो लगातार घेर रहे थे, ये उसी का बदला है. इस कार्रवाई के बाद योगेंद्र यादव के सपोर्ट में कई पार्टियों के नेता सामने आए हैं. पं. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी ट्वीट कर इस कार्रवाई की निंदा की है. कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने भी इस पर अपनी नारजगी व्यक्त की है. रही बात अरविंद केजरीवाल के साथ आने की है तो हमलोगों ने कभी इस बात की चर्चा नहीं की है. मैं आपको बता दूं कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी लाइन बिल्कुल तय कर रखी है. देश में मोदी के समर्थन में या मोदी के विरोध में जो भी गठबंधन बन रहा है, उससे हमारा किसी भी तरह का कोई संबंध नहीं होगा.’

अनुपम आगे कहते हैं, ‘जहां तक अरविंद केजरीवाल के साथ आने की बात है तो ये लोग अलग-अलग मोर्चे पर पहले भी ये काम करते रहे हैं. कई चैनल्स के जरिए यह बात हमलोगों तक आती रही है. बीच में कई मौकों पर तो इन लोगों ने अपने कैडर में भी और बाकी जगहों पर भी भ्रम फैलाने का काम किया है. लेकिन, हमारे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में अभी तक इस बात पर कोई अंतर नहीं पड़ा है. हमलोगों में इस बात को लेकर पूरी तरह से स्पष्टता है कि वह क्या करेंगे. यह तो हाइपोथेटिकल बातें हैं कि हमलोग अरविंद केजरीवाल के साथ नजर आएंगे. आज की तारीख में पार्टी के अंदर साथ आने की कोई चर्चा नहीं है.’

कुलमिलाकर कह सकते हैं कि दोनों तरफ से गिले-शिकवे हैं जो अभी भी दूर नहीं हुए हैं, लेकिन ऐसे भी गिले-शिकवे नहीं है कि दूर नहीं किए जा सकते हैं. दोनों पार्टियों के अंदर भी कई तरह की बात चल रही हैं. इसके बावजूद राजनीति में कुछ संभावनाएं हमेशा जिंदा रहती हैं.

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