कर्नाटक के लोग इन दिनों कुमारस्वामी के पांच साल पूरे करने और येदियुरप्पा के दोबारा सरकार बनाने को लेकर राज्य के प्राचीन वीरशैव मठ के संत और एक आदिवासी जनजाति के बीच वाकयुद्ध देख रहे हैं
कर्नाटक में पिछले कुछ सालों में राजनीति में धार्मिक नेताओं का बोलबाला बढ़ता गया है. यहां धार्मिक और आध्यात्मिक गुरु राजनीति में गहरी रुचि लेते दिखते हैं और अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए राजनेता उनकी सलाह लेते हैं. राज्य में आजकल कोई दिन ऐसा नहीं बीतता, जब कोई धार्मिक नेता या भविष्यवक्ता बयान न दे.
कर्नाटक के लोग इन दिनों कुमारस्वामी के पांच साल पूरे करने और येदियुरप्पा के दोबारा सरकार बनाने को लेकर राज्य के प्राचीन वीरशैव मठ के संत और एक आदिवासी जनजाति के बीच वाकयुद्ध देख रहे हैं.
चिकमंगलुर के पास बालेहोन्नुर के संत रामभपूरी ने हाल ही में दावा किया था कि येदियुरप्पा फिर एक बार राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे, जिसके बाद राज्य में नया विवाद शुरू हो गया. उन्होंने राज्य में चल रही कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार के जल्द गिरने का संकेत दिया था.
वहीं तंत्र-मंत्र और जादू-टोने की प्रैक्टिस करने वाले आदिवासी जनजाति ‘सुदुगादू सिध्दारू’ ने वीरशैव मठ के संत पर हमला बोलते हुए कहा कि कुमारस्वामी राज्य में पांच साल पूरे करेंगे और दुनिया की कोई भी शक्ति उन्हें नहीं हटा सकती है.
‘सुदुगादू सिध्दारू’ ने विधानसभा चुनाव से तीन महीने पहले ही कहा था कि कुमारस्वामी राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे और उनकी यह भविष्यवाणई सच भी हो गई. उन्होंने कहा था कि अगर उनकी भविष्यवाणी सच नहीं हुई तो पूरी जनजाति इस पेशे से निकल जाएगी.
हालांकि वीरशैव मठ के संत के इस नए बयान ने एक बार फिर इस जनजाति को परेशान कर दिया. इसलिए जनजाति की तरफ से फिर कहा गया कि अगर वे गलत साबित होते हैं तो पेशा छोड़ देंगे.
बता दें कि रामभपुरी ने चुनाव के दौरान बीजेपी का खुलेआम समर्थन किया था, लेकिन वह येदियुरप्पा के मात्र 56 घंटे में सत्ता खोने से परेशान हैं.
गौरतलब है कि ‘सुदुगादू सिध्दारू’ श्मशान घाट में रहते हैं. हाल के वर्षों में राज्य सरकार ने उन्हें विशेष कॉलोनियों में बसाया है. यह जनजाति एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमकर भविष्यवाणी करती है. हाल की जनगणना में राज्य में उनकी संख्या 9 हजार थी.