चिकित्सकों को अब सरकारी अस्पतालों में अतिरिक्त क्लिनिकल ड्यूटी देनी होगी: अनिल विज

 

हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि प्रदेश के लोगों को उत्कृष्ट चिकित्सा सेवाएं एवं चिकित्सकों की सहज उपलब्धता के लिए प्रशासनिक पदों पर तैनात हरियाणा नागरिक चिकित्सा सेवा, हरियाणा दंत सेवा तथा जिला आयुर्वेदिक चिकित्सकों को अब सरकारी अस्पतालों में अतिरिक्त क्लिनिकल ड्यूटी देनी होगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि केवल प्रशासनिक कार्य कर रहे चिकित्सकों द्वारा ओपीडी करने से न केवल डॉक्टर्स की कमी दूर की जा सकेगी बल्कि सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को भी इंतजार नही करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राज्य के अन्य विभागों में कार्यरत या प्रतिनियुक्ति पर गए चिकित्सकों पर यह आदेश लागू नही होगा। यदि किन्हीं कारणों से कोई चिकित्सक यह ड्यूटी करने मे असमर्थ रहता है तो उसे अगले सप्ताह अतिरिक्त कार्य दिया जाएगा।
विज ने बताया कि इसके तहत स्वास्थ्य महानिदेशक एवं अतिरिक्त स्वास्थ्य महानिदेशक को सप्ताह के किसी भी दिन 2 घंटे तथा राज्य के सभी सिविल सर्जन एवं समकक्ष अधिकारियों को सप्ताह में एक दिन चिकित्सीय कार्य करना होगा। इसी प्रकार प्रधान चिकित्सा अधिकारी, चिकित्सा अधिक्षक, उप सिविल सर्जन, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी तथा समकक्ष अधिकारियों को भी सप्ताह में दो दिन चिकित्सीय ड्यूटी करनी होगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इनके अलावा स्वास्थ्य महानिदेशालय, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, एचएमएससीएल, एचएसएचआरसी, एड्स कंट्रोल सोसाएटी तथा एसआईएचएफडब्ल्यू में तैनात उपनिदेशक (सीनियर स्केल), उपनिदेशक, वरिष्ठï चिकित्सा अधिकारी, चिकित्सा अधिकारियों तथा दंत चिकित्सकों को सप्ताह में 2 दिन क्लिनिकल ड्यूटी करनी होगी। इसी प्रकार आयुष विभाग के जिला आयुर्वेदिक अधिकारियों को भी सप्ताह में 2 दिन चिकित्सीय कार्य करना होगा।
विज ने बताया कि प्रशासनिक पदों पर तैनात चिकित्सकों को चिकित्सकीय कार्यों के लिए अपना अस्पताल चयन करने की छूट होगी। इसके लिए स्वास्थ्य महानिदेशक द्वारा चिकित्सीय ड्यूटी का पूरा रिकार्ड रखा जाएगा तथा क्लिनिकल ड्यूटी नही करने वाले चिकित्सक के खिलाफ नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए चिकित्सकों को अलग से कोई मानदेय नही दिया जाएगा परन्तु अन्य स्थान पर ड्यूटी के लिए टीए/डीए के हकदार होंगे। इस संबंध में निरीक्षण रिपोर्ट प्रत्येक सप्ताह संकलित की जाएगी।

आरक्षण को कोई भी छीनने का प्रयास करे, तो थप्पड़ मारकर अपना अधिकार वापस छीन लो: कल्याण सिंह

 

राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने सोमवार को विवादित बयान दे डाला। बयान भी ऐसा की कानून को हाथ में लेने की सलाह दे दी। अब कांग्रेस समेत दूसरी विपक्षी पार्टियां उनके इस बयान को लेकर पीछे पड़ गई है।

पिछड़ा वर्ग के लोगों को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि आरक्षण उनका हक है और यह उनके लिए ही है। अगर उनके इस अधिकार को कोई भी छीनने का प्रयास करे, तो थप्पड़ मारकर अपना अधिकार वापस छीन लो। राज्यपाल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ भी हो जाए, किसी भी कीमत पर अपना यह अधिकार मत खोना। सिंह ने कहा कि वीपी सिंह की जयंती पर लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में कल्याण सिंह ने कहा कि ‘आरक्षण के लिए कितने संघर्ष करने पड़े हैं, यह कोई पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय वीपी सिंह से पूछे। उन्होंने आपके लिए मंडल कमीशन लागू किया था। उस समय देश का क्या हाल हो गया था। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने कहा कि लाठी, डंडे, गोली सब कुछ चला, खून भी बहा, लेकिन उन्होंने किसी की परवाह न करते हुए मंडल कमीशन लागू किया। उनकी वजह से ही आप हैं। उनके दिए गए इस अधिकार को चाहे कोई कितना भी छीनने का प्रयत्न करे, आपको छीनने नहीं देना है।

रक्षा मंत्री सीतारमण ने अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित किया

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने वार्षिक अमरनाथ यात्रा के सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा के लिए सोमवार को जम्मू एवं कश्मीर के बालटाल बेस कैंप का दौरा किया। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि सीतारमण ने सेना के वरिष्ठ कमांडरों के साथ अमरनाथ यात्रा के लिए तीन स्तरीय सुरक्षा इंतजामों का जायजा लिया। अमरनाथ यात्रा 28 जून से शुरू हो रही है।

शीतकालीन राजधानी जम्मू से बालटाल और दक्षिण कश्मीर के पहलगाम के दो बेस कैंप से लगभग 400 किलोमीटर यात्रा मार्ग को सुरक्षित रखने के लिए अद्र्धसैनिक बलों की 213 अतिरिक्त कंपनियां तैनात की गई हैं। अमरनाथ गुफा समुद्र तल से 12,756 फीट की ऊंचाई पर है।

तीर्थयात्रियों को पहलगाम रास्ते से तीर्थस्थल पहुंचने में चार दिनों का समय लगता है। बालटाल मार्ग से जाने वाले लोग अमरनाथ गुफा में प्रार्थना करने के बाद उसी दिन बेस कैंप लौटते हैं। दोनों मार्गों पर हेलीकॉप्टर सेवा भी उपलब्ध है।

The Sub Committee is done with their report to be presented in Syndicate

 

The Panjab University in a meeting of the committee on the Governance reforms considered the recommendations of the Sub Committee  ,here today.

The Sub Committee gave the presentation of their report.

Members gave their views, and it was decided to refer it to the forthcoming meeting of the Syndicate.

घनश्याम तिवारी ने दिया इस्तीफा, बने भारत वाहिनी पार्टी

वसुंधरा राजे और घनश्याम तिवारी

 

राजस्‍थान की मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया से नाराज चल रहे बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता घनश्याम तिवारी ने सोमवार को पार्टी से इस्‍तीफा दे दिया है। उन्‍होंने अपना इस्‍तीफा बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह को भेजा है। 5 बार से विधायक तिवारी ने अपना इस्‍तीफा ऐसे समय पर दिया है जब दो दिन पहले ही उनके बेटे अखिलेश ने भारत वाहिनी पार्टी नाम से अलग पार्टी बनाई है।

घनश्‍याम तिवारी ने कहा कि बीजेपी ने अगर वसुंधरा राजे को सीएम पद से नहीं हटाया तो अगले चुनाव में पार्टी को बुरी स्थिति का सामना करना पड़ेगा। तिवारी ने दावा किया कि वसुंधरा राजे सिंधिया तानाशाह की तरह काम कर रही हैं। पार्टी के पदों को बाहरी लोगों से भरा जा रहा है। इससे पार्टी के कार्यकर्ता निराश हैं। चुनाव से ठीक पहले तिवारी के पार्टी छोड़ने से बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है। तिवारी सांगनेर विधानसभा सीट से विधायक हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में वह 60 हजार से अधिक वोटों से जीते थे।

उधर, घनश्याम तिवारी के बेटे अखिलेश तिवारी ने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव में हिस्‍सा लेगी। अखिलेश ने कहा कि भारत वाहिनी पार्टी राज्‍य की 200 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयारी करेगी। तीन जुलाई को पार्टी अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं की पहली बैठक आयोजित करने जा रही है। इस बैठक में 2000 कार्यकर्ता हिस्‍सा लेंगे। अखिलेश ने बताया कि हरेक विधानसभा सीट से 10 प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है।

उन्‍होंने बताया कि दीन दयाल वाहिनी के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता और प्रतिनिधि भी नई पार्टी में शामिल होंगे। बता दें, दीन दयाल वाहिनी की स्‍थापना घनश्‍याम तिवारी ने की थी। चुनाव आयोग ने भारत वाहिनी पार्टी को रजिस्‍टर कर लिया है और विधानसभा चुनाव में उम्‍मीदवार उतारने की अनुमति दे दी है। अखिलेश ने 11 दिसंबर 2017 को पंजीकरण के लिए आवेदन किया था।

आम आदमी खुश हुआ, दिल्ली में अब नहीं कटेंगे पेड़


  • पेड़ कटाई मामले पर विवाद खड़ा होने के बाद एनजीटी इस पर 2 जुलाई को सुनवाई करेगा
  • क्या किसी भी प्रकार के विकास के नाम पर पेड़ों का काटना ही एक मात्र विकल्प है?
  • क्या हम पेड़ों का स्थानान्त्र्ण नहीं कर सकते?
  • क्या हमारे हॉर्टिकल्चर विभाग के लोग इस कार्य में दक्ष नहीं हैं?

दक्षिण दिल्ली के कई इलाकों में मकान बनाने के नाम पर सरकारी विभाग द्वारा 16 हजार पेड़ों की कटाई का मामला तूल पकड़ने लगा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए 4 जुलाई तक पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दिया है.

कोर्ट ने 4 जुलाई को इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख मुकर्रर की है.

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कोर्पोरेशन (एनबीसीसी) से पूछा कि- क्या दिल्ली सड़कों के और इमारतों के विकास के लिए पेड़ों की कटाई की कीमत चुका सकता है? इसपर एनबीसीसी की ओर से कहा गया कि एनजीटी में ये मामला बहुत साल चला और अंत मे एनजीटी ने पेड़ काटने की अनुमति दे दी.

एनबीसीसी और पीडब्ल्यूडी ने कोर्ट को आश्वासन दिया है कि अगली सुनवाई तक वो पेड़ों को नहीं काटेंगे.

आम आदमी, अपनी सरकार के फैसलों पर रोक से खुश अब पेड़ नहीं कटेंगे

बता दें कि वकील के के मिश्रा ने पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल की थी. मिश्रा ने कहा कि सरकार दक्षिण दिल्ली में 20 हजार से भी ज्यादा पेड़ों को काटना चाहती है.

उन्होंने सीएजी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली में 9 लाख पेड़ों की पहले से कमी है.

वहीं राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) 2 जुलाई को इस मामले की सुनवाई करेगा.

बयान विवादित है


हरियाणवी डांसर और लोक गायक सपना चौधरी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए प्रचार कर सकती है


हरियाणवी डांसर और लोक गायक सपना चौधरी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए प्रचार कर सकती हैं। बीते शुक्रवार को सपना चौधरी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी से मुलाकात करने दिल्ली पहुंचीं थी। सपना चौधरी के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद ने विवादित बयान दिया है। करनाल से सासंद अश्विनी कुमार चोपड़ा ने कहा कि कांग्रेस को देखना है कि उन्हें ठुमके लगाने वाले चाहिए या चुनाव जीतने वाला।
सासंद अश्विनी कुमार चोपड़ा ने कहा, कांग्रेस में ठुमके लगाने वाले जो हैं, वही ठुमके लगाएंगे, ये उनको देखना है कि ठुमके लगाने हैं या चुनाव जीतना है।
आपको बता दें कि 22 जून को सपना चौधरी कांग्रेस मुख्यालय गई थी और कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से प्रभावित होने की बात कही थी। कांग्रेस मुख्यालय पहुंचने के बाद सपना ने संवाददाताओं से कहा था, मुझे सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी बहुत अच्छी लगती हैं। मैं उनसे मिलने पहुंची थी लेकिन उनसे नहीं मिल पाई। जल्द ही मैं उनसे मिलूंगी।

आरक्षण विरोधी ताकतों के साथ मिल कर लड़ेगे चुनाव : सपाक्स

सामान्य, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कर्मचारी एवं अधिकारियों के संगठन (सपाक्स)


मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया प्रभारी माणक अग्रवाल कहते हैं कि सपाक्स की लड़ाई बीजेपी से है. कांग्रेस चुनाव के वक्त ही सपाक्स के उम्मीदवार देखने के बाद कोई रणनीति बनाएगी.


दिल्ली के आईएएस अधिकारी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें राजनीतिक कारणों से निशाना बनाया जा रहा है लेकिन, मध्यप्रदेश के अफसर पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे के खिलाफ राजनीति के मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं. पिछले दो साल से पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे सामान्य, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कर्मचारी एवं अधिकारियों के संगठन (सपाक्स) ने अगले विधानसभा चुनाव में राज्य की सभी विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है.

अनारक्षित वर्ग के अधिकारियों एवं कर्मचारी के संगठन के इस ऐलान से साल के अंत में होने वाले विधानसभा के चुनाव में जातिवादी राजनीति के हावी होने की संभावना बढ़ गई है. सपाक्स समाज से कई आईएएस, आईपीएस अधिकारी भी जुड़े हुए हैं. संगठन का राजनीतिक स्वरूप होने पर अधिकारियों एवं कर्मचारियों का आचरण संहिता से बचना मुश्किल होगा.

पिछले ड़ेढ दशक से कांग्रेस के सत्ता से बाहर रहने की मुख्य वजह पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था रही है. वर्ष 2002 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पदोन्नति में आरक्षण दिए जाने का कानून बनाया था. पदोन्नति में आरक्षण का लाभ अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग को ही दिया जाता है. पिछड़ा वर्ग को पदोन्नति में आरक्षण नहीं दिया जाता है. राज्य में पिछड़ा वर्ग को नौकरियों में चौदह प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है. अनुसूचित जाति वर्ग के लिए बीस एवं जनजाति वर्ग के लिए सोलह प्रतिशत पद सरकारी नौकरियों में आरक्षित हैं. वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में दिग्विजय को पदोन्नति में आरक्षण दिए जाने का कोई लाभ नहीं मिला था.

कांग्रेस बुरी तरह से चुनाव हार गई थी. भारतीय जनता पार्टी हर चुनाव में दिग्विजय सिंह शासनकाल की याद दिलाकर वोटरों को बांधे रखने की लगातार कोशिश करती रहती है. विधानसभा एवं लोकसभा के पिछले तीन चुनावों में बीजेपी को इस मुद्दे पर सफलता भी मिलती रही है. लगभग दो साल पहले मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण दिए जाने के लिए बनाए गए कानून एवं नियमों को असंवैधानिक मानते हुए निरस्त कर दिया था.

 

इस निर्णय के खिलाफ सरकार के सुप्रीम कोर्ट में चले जाने से गैर आरक्षित वर्ग के सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारी नाराज हैं. सपाक्स संगठन इसी नाराजगी से उपजा है. संगठन के सक्रिय होने के बाद राज्य के सरकारी क्षेत्र में आरक्षित और अनारक्षित वर्ग के बीच स्पष्ट विभाजन देखा जा रहा है. वर्ग संघर्ष की पहली झलक दो अप्रैल के भारत बंद के दौरान देखने को मिली थी. इस बंद के दौरान राज्य के कई हिस्सों में व्यापक तौर पर हिंसा भी हुई थी. इस आंदोलन में आरक्षित वर्ग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था.

आरक्षण के खिलाफ संख्या बल दिखाने के लिहाज से ही पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वर्ग को भी शामिल कर सपाक्स का गठन किया गया था. पिछड़ा वर्ग को हर स्तर पर चौदह प्रतिशत आरक्षण मिलता है. सिर्फ पदोन्नति में नहीं है. पिछड़ा वर्ग के अधिकारी एवं कर्मचारी आरक्षण समाप्त करने की मांग का समर्थन नहीं करते हैं. अन्य पिछड़ा वर्ग अधिकारियों एवं कर्मचारियों का अपाक्स नाम से अलग संगठन भी है. संगठन के अध्यक्ष भुवनेश पटेल कहते हैं कि हम सपाक्स के साथ नहीं हैं. पटेल ने कहा कि सपाक्स के लोग भ्रमित दिखाई दे रहे हैं. वे क्या करना चाहते हैं, उन्हें पता ही नहीं हैं. सपाक्स के अध्यक्ष डॉ. केदार सिंह तोमर ने कहा कि कोई भी राजनीतिक दल आरक्षित वर्ग को नहीं छोड़ना चाहता है. सपाक्स ने चुनाव लड़ने का फैसला आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ लिया है.

डॉ.तोमर पशु चिकित्सा विभाग में हैं. उन्होंने बताया कि आरक्षण के खिलाफ राजनीतिक लड़ाई सपाक्स समाज संगठन द्वारा लड़ी जाएगी. सपाक्स की उत्पत्ति पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था के खिलाफ हुई थी, इस कारण इस संगठन को जमीनी स्तर पर सामान्य वर्ग का कोई खास समर्थन नहीं मिला. लिहाजा सपाक्स समाज नाम से अलग संगठन बनाया गया. इस संगठन में रिटायर्ड आईएएएस अधिकारी हीरालाल त्रिवेदी संरक्षक हैं. अन्य पदाधिकारी भी रिटायर्ड अधिकारी हैं. सपाक्स और सपाक्स समाज एक ही सिक्के दो पहलू हैं.

सपाक्स समाज के संरक्षक हीरालाल त्रिवेदी कहते हैं कि उन सभी राजनीतिक दलों से बात कर चनाव की रणनीति तय की जाएगी, जो आरक्षण व्यवस्था के विरोध में हैं. सवर्ण समाज पार्टी भी इनमें एक है. यह दावा भी किया जा रहा है कि रघु ठाकुर सपाक्स समाज का समर्थन कर रहे हैं. रघु ठाकुर लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष हैं. रघु ठाकुर अथवा उनके दल की ओर से इस बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने दमोह में आरोप लगाया है कि बीजेपी ब्राहणों और दलितों को आपस में लड़ाने का काम कर रही है.

राज्य में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं. इनमें 148 सामान्य सीटें हैं. अनुसूचित वर्ग के लिए 35 और जनजाति वर्ग के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं. दोनों ही प्रमुख राजनीति दल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ज्यादा से ज्यादा आरक्षित सीटों को अपनी झोली में ड़ालने की रणनीति बना रहे हैं. कांग्रेस बसपा और सपा से भी तालमेल की संभावनाएं तलाश रही है. पिछड़े वोटों को जाति के आधार साधने के लिए पार्टी में महत्वपूर्ण पद दिए जा रहे हैं.

आरक्षण के मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस अभी साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं. इससे सामान्य वर्ग नाराज है. इस नाराजगी का लाभ सपाक्स राजनीति में उतरकर उठाना चाहता है. सपाक्स से जुड़े हुए अधिकांश लोग सरकारी नौकरी में हैं. सरकारी नौकरी में रहकर राजनीति नहीं की जा सकती. इस कारण ऐसे दलों से उम्मीदवार उतारने की संभावनाएं भी तलाश की जा रही हैं, जो पहले से ही चुनाव आयोग में पंजीकृत राजनीतिक दल है. इसमें सवर्ण समाज पार्टी भी एक है. सपाक्स के श्री त्रिवेदी ने कहा कि संगठन को राजनीतिक दल के तौर पर पंजीयन कराने का फैसला सभी संभावनाएं टटोलने के बाद ही किया जाएगा.

राज्य में कांग्रेस एवं भारतीय जनता पार्टी ब्राह्मण वोटों को लेकर सबसे ज्यादा चिंतित है. पिछले पांच सालों में बीजेपी का ब्राह्मण नेतृत्व कमजोर हुआ है. कांग्रेस में भी दमदार ब्राहण नेताओं की कमी है. बीजेपी की आतंरिक राजनीति के चलते कई ब्राह्मण नेता नेपथ्य में चले गए हैं. सरकारी नौकरी में सामान्य वर्ग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की संख्या पांच लाख से भी अधिक है. अधिकारी एवं कर्मचारी भी सरकार से अनेक मुद्दों पर नाराज चल रहे हैं. प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष कमलनाथ कर्मचारी संगठनों से उनकी मांगों को लेकर बैठक भी कर चुके हैं.

कांग्रेस इस कोशिश में लगी हुई है कि किसी भी सूरत में सरकार विरोधी वोटों का विभाजन न हो. सपाक्स के उम्मीदवार यदि सामान्य सीटों पर चुनाव लड़ते हैं तो वोटों का विभाजन भी होगा. सत्ता विरोधी वोटों के विभाजन की स्थिति में लाभ बीजेपी को होना तय माना जा रहा है. मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया प्रभारी माणक अग्रवाल कहते हैं कि सपाक्स की लड़ाई बीजेपी से है. कांग्रेस चुनाव के वक्त ही सपाक्स के उम्मीदवार देखने के बाद कोई रणनीति बनाएगी.

जाको राखे साईं मार सके न कोय

 


 खुदकुशी के इरादे से पटरियों के बीच बच्चे सहित लेटी महिला के ऊपर से पुष्पक एक्सप्रेस तेजी से निकल गई, लेकिन उन्हें कुछ नहीं हुआ


मध्य प्रदेश में एक 25 वर्षीय महिला ने अपने नवजात बच्चे के साथ पटरियों के बीच में लेटकर खुदखुशी करने का प्रयास किया. बुरहानपुर जिले के नेपानगर रेलवे स्टेशन पर महिला अपने बच्चे के साथ ट्रैक के बीच में लेट गई. इसके बाद एक एक्सप्रेस ट्रेन तेजी से दोनों के ऊपर से गुजर गई, लेकिन उन्हें कुछ नहीं हुआ.

यह घटना शनिवार सुबह को इटारसी-भुसावल रेल खंड के नेपानगर रेलवे स्टेशन पर हुई. जब खुदकुशी के इरादे से पटरियों के बीच बच्चे सहित लेटी महिला के ऊपर से पुष्पक एक्सप्रेस तेजी से निकल गई. खंडवा आरपीएफ थाने के प्रभारी निरीक्षक एस के गुर्जर ने बताया कि महिला की पहचान इलाहाबाद की तब्बसुम के तौर पर हुई है. वह अपने दो माह के बच्चे के साथ कुशीनगर एक्सप्रेस से इलाहबाद से मुंबई जा रही थी. लेकिन नेपानगर में ही ट्रेन से उतर गई और स्टेशन पर बच्चे के साथ पटरियों के बीच लेट गई.

उन्होंने कहा कि इससे पहले की वहां मौजूद लोग कुछ कर पाते पटरियों पर पुष्पक एक्सप्रेस आ गई और महिला और उसके बच्चे के ऊपर से तेज गति से निकल गई. लेकिन चमत्कारिक रूप से महिला और उसका बच्चा दोनों सुरक्षित रहे और उन्हें कुछ नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि इसके बाद वहां मौजूद लोगों ने दोनों को अस्पताल पहुंचाया.

नानी के घर मुंबई जा रही थी तब्बसुम

गुर्जर ने बताया कि महिला से पूछताछ करने पर उसने बताया कि वह अपनी नानी के घर मुम्बई जा रही थी. लेकिन व्यक्तिगत परेशानियों के चलते बीच रास्ते में ही खुदकुशी करने की कोशिश की. उसने बताया कि उसकी सौतेली मां ने शादीशुदा व्यक्ति साजिद से उसकी शादी करवा दी. उसका पति उसे मारता और प्रताड़ित करता था. उसका कहना था कि पति ने गर्भवती होने के बाद उसे तलाक भी दे दिया. महिला ने बताया कि बच्चे के जन्म से पहले भी वह एक दफा खुदकुशी का प्रयास कर चुकी थी.

धार्मिक सौहार्द और आस्था का एक बेहतरीन उदाहरण

 

बिहार के बेगूसराय जिले में एक मुस्लिम परिवार ने अपने दो बच्चों का गंगाघाट पर हिन्दू रीति-रिवाजों से मुंडन संस्कार कराया. यूपी के धधरा के रहने वाले इस परिवार में कोई संतान नहीं थी. परिवार ने मां गंगा से संतान की मन्नत मांगी थी.

मां गंगा के आशीर्वाद से पति-पत्नी को दो बेटों का जन्म हुआ. इसके बाद इस परिवार ने सिमरिया के गंगा घाट पर अपने दोनों बेटों का विधि-विधान से मुंडन संस्कार कराया. मुस्लिम परिवार का यह कार्य सिमरिया समेत पूरे बेगूसराय में चर्चा का विषय बना हुआ है.

धार्मिक सौहार्द और आस्था का एक बेहतरीन उदाहरण पेश करने वाले इस मुस्लिम परिवार की खुशी देखने लायक थी. इनकी आंखों में न तो किसी धर्म का खौफ था न ही कोई दिखावटीपन नजर आया. जागीर खान की पत्नी ने बताया कि वे बेहद खुश हैं क्योंकि उनकी मन की मुराद पूरी हो गई. मुंडन संस्कार कराकर वह बहुत अच्छा महसूस कर रही हैं. स्थानीय लोगों ने इसे धार्मिक सौहार्द का बेहतर उदाहरण कहा है.