Sunday, December 22


गोपाल राय ने कहा कि पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं होने की वजह से दिल्ली के मतदाताओं के मत की अहमियत अन्य राज्यों के मतदाताओं से कमतर है


दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को आम आदमी पार्टी (आप) एक अहम राजनीतिक मुद्दा बनाने के लिए व्यापक अभियान की शुरुआत आगामी एक जुलाई से करेगी. इसके लिए पार्टी ने दिल्ली में एक जुलाई को महासम्मेलन का आयोजन कर तीन से 25 जुलाई तक ‘दिल्ली मांगे अपना हक’ नाम से हस्ताक्षर अभियान चलाने का फैसला किया है.

पार्टी की दिल्ली इकाई के संयोजक गोपाल राय ने शुक्रवार को बताया कि सम्मेलन में दिल्ली के सभी मुहल्लों से हर वर्ग के प्रतिनिधि एकत्र होकर इस मांग को पुरजोर तरीके से उठाएंगे. इसके अलावा जनता को इस मामले की गंभीरता से अवगत कराने के लिए हस्ताक्षर अभियान के जरिए जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा जिससे लोग इस पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं होने के कारण विकास कार्यों में आने वाली बाधाओं से अवगत हो सकें. इसमें लगभग 10 लाख लोगों से हस्ताक्षर करवा कर उनकी मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाई जाएगी.

उन्होंने कहा कि दिल्ली के विकास कार्यों में आ रही बाधाओं की एकमात्र वजह पूर्ण राज्य का दर्जा न होना है. राय ने कहा कि पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं होने की वजह से दिल्ली के मतदाताओं के मत की अहमियत अन्य राज्यों के मतदाताओं से कमतर है. दिल्ली के मतदाता अपने वोट से ऐसी सरकार चुनते हैं जिसके पास शासन प्रशासन संबंधी पर्याप्त अधिकार नहीं हैं जबकि अन्य राज्यों के मतदाता पूर्ण अधिकार संपन्न सरकार को चुनते हैं.

 

पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग पर मुंह छुपा रही है कांग्रेस और बीजेपी

राय ने कहा कि कांग्रेस और बीजेपी ने समय-समय पर दिल्ली की जनता को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का वादा किया, लेकिन आज जब दिल्ली की जनता पूर्ण राज्य की मांग कर रही है तो दोनों ही पार्टियां मुंह छुपा रही हैं.

पूर्ण राज्य नहीं होने के कारण दिल्ली के छात्रों के साथ हो रहे भेदभाव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 90 प्रतिशत अंक पाने के बावजूद दिल्ली के छात्रों को कॉलेजों में दाखिला नहीं मिल पाता है. कमोबेश यही स्थिति रोजगार के मामले में भी है.

उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा के पिछले सत्र में भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव सर्व सम्मति से पारित हुआ था. इसमें नई दिल्ली क्षेत्र को छोड़कर बाकी इलाकों में प्रशासनिक जिम्मेदारी दिल्ली सरकार के क्षेत्राधिकार में होने की बात कही गई है. इस अभियान के जरिए केन्द्र सरकार पर जनता की ओर से दबाव बनाने की हरसंभव कोशिश की जाएगी.