तीसरे मोर्चे की तैयारी में लगे देवेगौडा


एच.डी देवगौड़ा को कांग्रेस के समर्थन वापस लेने से प्रधानमंत्री के पद से हटना पड़ा था. लेकिन अपने भाषण में देवगौड़ा ने कहा था कि अगर उनकी किस्मत में फिर से प्रधानमंत्री बनना है तो वो फिर से उठेंगे और कांग्रेस पार्टी भी उसको रोक नहीं सकती है.


कांग्रेस के नए साथी बने एच.डी देवगौड़ा भी तीसरे मोर्चे की बात शुरू करने वाले हैं. जिसके लिए गैर बीजेपी दलों के नेताओं से मिलने का सिलसिला शुरू कर रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री भी राजनीतिक संभावना तलाश रहे हैं. एच.डी देवगौड़ा ने कहा कि हमे जल्दी ही तीसरा मोर्चा खड़ा कर लेना चाहिए, ये वक्त की जरूरत है. क्योंकि समय से पहले चुनाव से इनकार नहीं किया जा सकता है. हालांकि कांग्रेस के लिए राहत की खबर है कि कर्नाटक में जेडीएस ने कांग्रेस के साथ ही रहने की बात कही है.

लेकिन लोकसभा चुनाव के लिए दोनों दलों के बीच औपचारिक बातचीत नहीं शुरू हुई है. एच.डी देवगौड़ा कांग्रेस के समर्थन से केंद्र में सरकार चला चुके हैं. जिसमें बीजेपी को छोड़कर लगभग सभी दलों की भागीदारी रही है. कई दल जो एनडीए के साथ हैं, वो संयुक्त मोर्चा सरकार में शामिल थे. यूपीए के साथी भी इस सरकार के हिस्सा थे. जाहिर है कि देवगौड़ा की राजनीतिक गणित में इन सभी संभावनाओं का खयाल जरूर रखा गया होगा.

कर्नाटक में सरकार से मिली मजबूती

कर्नाटक में सरकार आने से जेडीएस को मजबूती मिली है. इससे पहले जेडीएस की केंद्रीय राजनीति में कोई भूमिका नहीं थी. जेडीएस की कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनने के बाद एच.डी देवगौड़ा को केंद्र की राजनीति में दखल देने का मौका मिल गया है. एच.डी देवगौड़ा भी कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहते हुए प्रधानमंत्री बने थे. अब उनके बेटे एच.डी कुमारास्वामी मुख्यमंत्री हैं. देवगौड़ा को लग रहा है कि संभावना के इस खेल में उनकी लॉटरी फिर से लग सकती है. इसलिए वो सक्रिय हो रहे हैं.

दक्षिण की भूमिका

बीजेपी अपनी सारी ताकत उत्तर के राज्यों में लगा रही है. नया प्रयोग बंगाल और ओडिशा में कर रही है. बीजेपी को साउथ के राज्यों से ज्यादा उम्मीद नहीं है. कांग्रेस भी इन राज्यों में कमजोर है. रीजनल पार्टियां यहां मजबूत हैं. तमिलनाडु में एआईडीएमके और डीएमके, आंध्र प्रदेश में टीडीपी और वाईआरएस तेलांगना में टीआरएस जो पहले से ही तीसरे मोर्चे की वकालत कर रही है. केरल में भी लेफ्ट कांग्रेस के मुकाबले में है. ओडिशा में नवीन पटनायक गैर कांग्रेस गैर बीजेपी मोर्चे के साथ जा सकते हैं. ममता बनर्जी खुलकर तीसरे मोर्चे के लिए कवायद कर रही हैं.

केजरीवाल का भी मिलेगा साथ

राहुल गांधी के इफ्तार में सभी विपक्षी दलों को दावतनामा भेजा गया. लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को न्योता नहीं दिया गया था. दिल्ली में केजरीवाल एलजी के खिलाफ धरने पर बैठे तो कांग्रेस का कोई नुमाइंदा नहीं पहुंचा. लेकिन ममता बनर्जी समेत चार मुख्यमंत्री केजरीवाल से मिलने दिल्ली आए थे. इनमें एच.डी कुमारास्वामी भी शामिल थे. इसके अलावा चंद्रबाबू नायडू और केरल के सीएम पी.विजयन भी थे. केजरीवाल और ममता के रिश्ते काफी अच्छे हैं. ममता कई बार कांग्रेस के नेताओं से इशारा कर चुकी हैं. ममता चाहती हैं कि केजरीवाल को भी भविष्य के गठबंधन में शामिल किया जाए. लेकिन कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं है.

देवगौड़ा ने किया इशारा

पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी देवगौड़ा ने कई इशारे किए हैं. बेंगलूरु में कुमारास्वामी के शपथग्रहण समारोह में लगभग पूरा विपक्ष शामिल हुआ था. जिसपर देवगौड़ा ने साफ किया है कि मंच पर एक साथ दिखाई देने वाले नेता, जरूरी नहीं है कि चुनाव भी साथ लड़े, यानि संकेत साफ है कि कांग्रेस किसी मुगालते में ना रहे. मंच का फोटोसेशन राजनीतिक मुनाफे में तब्दील हो इसकी कोई गारंटी नहीं है. देवगौड़ा अभी कोशिश कर रहे हैं कि वो संयुक्त मोर्चा की तर्ज पर नया गठजोड़ खड़ा करें. अगर इसमें कामयाबी मिली तो कांग्रेस को सलाम नमस्ते भी कर सकते हैं. देवगौड़ा की अगुवाई वाली सरकार में लेफ्ट के इंद्रजीत गुप्ता मंत्री थे तो मुलायम, लालू, पासवान, शरद यादव तक मंत्रिपरिषद में थे. डीएमके, टीडीपी भी सरकार के साथ थे. बीजेडी तब जनता दल का ही हिस्सा थी.

कर्नाटक में ऑल इज नॉट वेल

कर्नाटक में पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया का वीडियो वायरल हुआ है. इसमें वो आशंका जाहिर कर रहे हैं कि प्रदेश की सरकार ज्यादा दिन नहीं चलने वाली है. जबकि इस पर देवगौड़ा ने कहा कि ऐसा सिद्धरमैया सोचते होंगे. जिससे लगता है कि कर्नाटक में गठबंधन की सरकार में को की कमी है.पार्टी के सीनियर नेता सरकार के कामकाज पर खुश नहीं है.जिससे बार बार इस तरह की बाते उठ रही है.

ड्राइविंग सीट के लिए मारामारी

यूपीए का गठबंधन का स्वरूप सामने नहीं आया है. कमजोर जेडीएस को ड्राइविंग सीट देने से रीजनल पार्टियां संभावना तलाश रही हैं. आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव सार्वजनिक तौर पर कांग्रेस को आगाह कर चुके हैं. कांग्रेस के साथी राज्यों में गठबंधन मनमुताबिक चलाना चाहते हैं. तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के बारे में जो नो वैकेंसी वाला बयान दिया है. इसको साबित करता है. कांग्रेस ने भी तेजस्वी के बयान पर कुछ नहीं कहा है. बिहार में कांग्रेस की मजबूरी आरजेडी है.

कांग्रेस नहीं कर रही प्रयास

शायद कांग्रेस को हालात का अंदाजा है, इसलिए औपचारिक तौर पर कोशिश नहीं हो रही है. कांग्रेस के नेता समय का इंतजार करने की बात कह रहे हैं. चुनाव नजदीक आने पर कांग्रेस की कोशिश तेज होगी. राज्यवार गठबंधन की बात पर विचार हो रहा है. लेकिन यूपीए का कुनबा बढ़ाने की कोशिश नहीं की जा रही है. एनडीए का साथ छोड़ रहे दलों से कांग्रेस की तरफ से कोई पेशरफ्त नहीं हो रही है. जिससे तीसरे मोर्चे की बात बार-बार उठ रही है.

कांग्रेस ने गिराई थी देवगौड़ा सरकार

एच.डी देवगौड़ा को कांग्रेस के समर्थन वापस लेने से प्रधानमंत्री के पद से हटना पड़ा था. लेकिन अपने भाषण में देवगौड़ा ने कहा था कि अगर उनकी किस्मत में फिर से प्रधानमंत्री बनना है तो वो फिर से उठेंगे और कांग्रेस पार्टी भी उसको रोक नहीं सकती है. देवगौड़ा शायद फिर से उठने की कोशिश कर रहे हैं. इस बार हालात 1996 से भी ज्यादा मुफीद हैं. फर्क इतना है कि तब कांग्रेस की कमान केसरी के पास थी अब राहुल गांधी के पास है.

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