Saturday, December 21

 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उनकी पत्नी के साथ पुरी के जगन्नाथ मंदिर में बदसलूकी का मामला सामने आया है. अब इस घटना को लेकर रिपोर्ट बनाई जा रही है. राष्ट्रपति, पत्नी के साथ मार्च में पुरी गए थे. हालांकि अधिकारियों ने माफी मांगी है. राष्ट्रपति कार्यालय ने इसे अस्वीकार कर दिया है और स्पष्टीकरण मांगा है.

यह पहली बार नहीं है कि पुरी में ऐसी घटना हुई है. यहां गर्भगृह में प्रवेश करने से कई गणमान्य व्यक्तियों को रोका जा चुका है. मंदिर में एक बोर्ड है जिसमें केवल हिंदुओं की अनुमति है. मंदिर के नियमों के अनुसार, केवल शंकराचार्य इसमें बदलाव कर सकते हैं. सबसे उल्लेखनीय बात यह थी कि इंदिरा गांधी को 1984 में पुरी में जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया गया था,क्योंकि उनकी शादी एक पारसी से हुई थी.

इंदिरा ही नहीं, यहां तक कि महात्मा गांधी को भी रोक दिया गया था जब वह मुस्लिम, हरिजन और दलितों को मंदिर में ले गए. गांधी परिवार से संबंधित राजनेताओं के लिए मंदिरों में ऐसा होना काफी आम हैं. साल 1984 में, जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, उनकी पत्नी सोनिया गांधी को काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया गया था. उन्हें इस आधार पर मना कर दिया गया कि वह एक ईसाई और इतालवी थीं.

भारत ने नेपाल के खिलाफ आर्थिक नाकाबंदी कर दी. हालांकि पीएमओ ने सोनिया से जुड़े इस घटना का नाकेबंदी से कोई संबंध इनकार किया था लेकिन फिर तत्कालीन विदेश मंत्री नटवर सिंह को रास्ता तलाशने के लिए भेजा गया था.

1998 में जब पार्टी अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला तो फिर सोनिया गांधी आशीर्वाद के लिए तिरुपति मंदिर गईं. उन्हें विजिटर्स बुक पर साइन करने के लिए कहा गया, जिस पर सवाल थात कि वह हिन्दू हैं या नहीं. तब उन्होंने कहा था, ‘मैं अपने परिवार के सिद्धांतों का पालन करती हूं.’ हाल ही में गुजरात चुनाव के दौरान राहुल ने सोमनाथ मंदिर का दौरा किया तब बहुत विवाद हुआ. सवाल उठाए गए कि उन्होंने गैर हिंदुओं के लिए विजिटर्स बुक पर साइन क्यों किए. कांग्रेस ने इसे अस्वीकार कर दिया था.

रशीद किदवई ने कहा, ‘गांधी इस मुद्दे के बारे में बहुत संवेदनशील हैं, क्योंकि आप जानते हैं कि सोनिया को भी रोका गया था और फिर संबंधों में खटास आई थी.’