Sunday, December 22

नगर निगम को शायद उम्मीद ही नहीं थी कि आसमान में उमड़ा धूल का गुब्बार मौसम विभाग के मुताबिक बारिश से थमने वाला है। शायद यही वजह है कि नगर निगम प्रशासन के फरमान के बाद पंचकूला में धूल के कणों को आसमान से जमीन पर उतारने के लिए करीब 57 हजार लीटर पानी बर्बाद कर दिया। हालांकि नगर निगम के मेयर ने निगम प्रशासन के इस फैसले का विरोध भी किया था। इसके बावजूद धूल के कणों को बिठाने के लिए पानी की बोछारों का इस्तेमाल किया गया। उससे हल तो नहीं निकला और कुदरत की इस आफत को शनिवार सुबह कुदरत ने ही निपट लिया। शनिवार तड़के हुई भारी बारिश से पंचकूला ही नहीं अपितु उत्तर भारत के कई राज्यों की समस्या हल हुई।

 

बीते वीरवार को जब पंचकूला में एअर पॉल्युशन चंडीगढ़ से अधिक बढ़ रहा था, तो निगम प्रशासन ने इससे निपटने की अपने स्तर पर तैयारी कर ली। फरमान के मुताबिक फायर विभाग ने पंचकूला के विभिन्न हिस्सों में करीब 20 हजार लीटर पानी का छिड़काव किया। इसके बाद शुक्रवार को जब एअर पाल्यूशन का स्तर 649 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर पहुंच गया तो निगम प्रशासन के फरमान पर बीते शुक्रवार को 37 हलार लीटर पानी की और बौछारें की गई। निगम प्रशासन का सब्र का पैमाना टूट चुका था, जिसकी वजह से ये सब हुआ।

 

हालांकि फायर विभाग के अधिकारियों का भी यही मानना था कि यह कुदरत की मार है और कुदरत ही इसे ठीक कर सकती थी। फायर विभाग के अधिकारियों के पास आदेश मामने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। बहरहाल उन्होंने निगम प्रशासन के आदेशों पर अमल किया और वे कुछ कर भी नहीं सकते थे। आखिर में वही हुआ शनिवार को बारिश ने इस गंभीर समस्या का हल किया। नगर निगम की मेयर उपिंद्र कौर ने प्रशासन के इस निर्णय का कड़ा विरोध किया था और कहा था कि गर्मी में शहर में ऐसे भी पानी की किल्लत रहती है और पानी को इस तरह वेस्ट करना ठीक नहीं है।