“किम – ट्रम्प” बर्फ पिघल रही है

अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के बीच सिंगापुर में ऐतिहासिक मुलाक़ात समाप्त हो गई है. मुलाक़ात समाप्त होने के बाद किम ने ट्रंप से अंग्रेजी में कहा, ”नाइस टू मीट यू , मिस्टर प्रेज़ीडेंट”, जिस पर ट्रम्प ने कहा,” आईटी’स माय ऑनर, वे विल हैव टेरेफिक रिलेशनशिप, आई हैव नो डोयुट”

सिंगापुर के सैंटोसा द्वीप में स्थित कैपेला होटल में हुई यह मुलाक़ात करीब 50 मिनट तक चली. अब दोनों ही नेता अपने साथ आए वरिष्ठ सलाहकार और सहयोगियों के दल के साथ बैठक कर रहे हैं.

अमरीका की तरफ से इस बैठक में राष्ट्रपति ट्रंप के साथ विदेश मंत्री माइक पोम्पियो, व्हाइट हाउस के चीफ़ ऑफ स्टाफ जॉन कैली और सुरक्षा सलाहकार जॉन बॉल्टन बैठे हुए दिखाई दे रहे हैं.

वहीं दूसरी तरफ उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के साथ उनके सबसे करीबी समझे जाने वाले किम योंग चोल मौजूद हैं, इसके अलावा विदेश मंत्री री योंग हो और पूर्व विदेश मंत्री री सु योंग मौजूद हैं.

किम और ट्रंप के बीच हुई फ़ेस-टू-फ़ेस यानी आमने-सामने की मुलाक़ात होटल की लाइब्रेरी में हुई.

इससे पहले दोनों नेताओं ने एक छोटी सी प्रेस कॉन्फ्रेंस की.

इस दौरान डोनल्ड ट्रंप ने कहा, ”मैं बहुत ही अच्छा महसूस कर रहा हूं. हमारे बीच शानदार बातचीत होने वाली है और मुझे लगता है कि यह मुलाकात ज़बरदस्त रूप से कामयाब रहेगी. यह मेरे लिए बहुत ही सम्मानजनक है और मुझे इसमें कोई शक़ नहीं कि हमारे बीच बेहतरीन संबंध स्थापित होंगे.”

वहीं किम जोंग उन ने कहा, ”यहां तक पहुंचना आसान नहीं था, हमारा इतिहास…और हमारे पूर्वाग्रह इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए रोढ़े बने हुए थे. लेकिन हम उन सभी को पार कर आज यहां मौजूद हैं.”

किम जोंग-उन से मुलाक़ात के ठीक पहले अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने एक ट्वीट किया, जिसमें इस बैठक को लेकर ख़ुद ट्रंप की आशंकाओं की झलक मिल रही थी. ट्रंप ने लिखा कि स्टाफ़ के सदस्यों और प्रतिनिधियों के बीच सबकुछ बहुत अच्छा रहा लेकिन ये बहुत मायने नहीं रखता. बहुत जल्द ये पता चल जाएगा कि इस मुलाक़ात में कोई असल समझौता हो पाता है या नहीं.

आशंकाएं अपनी जगह हैं लेकिन उम्मीदें भी कम नहीं हैं. दुनिया में बहुत लोग ये चाहते हैं कि 18 महीने पहले तक एक दूसरे को हमले की धमकी दे रहे देश, साथ मिलकर शांति स्थापित करने की ओर बढ़े. इसीलिए कल जब किम जोंग उन सिंगापुर घूम रहे थे तो वहां लोगों ने उन्हें देखकर ज़बरदस्त उत्साह दिखाया.

किम ने भी सिंगापुर वासियों को निराश नहीं किया और मुस्कुराकर, हाथ हिलाकर उनका अभिवादन किया.

अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप इस मुलाक़ात को शांति कायम करने का “एक और मौका” मान रहे हैं वहीं दुनिया से अलग-थलग रहने वाले उत्तर कोरिया के लिए यह दुनिया से जुड़ने का एक सुनहरा मौक़ा है.

इस मुलाक़ात में परमाणु कार्यक्रमों पर बात होनी तय है. अमरीका को उम्मीद है कि इससे उस प्रक्रिया को शुरू करने में मदद मिलेगी जिसके नतीजे में उत्तर कोरिया परमाणु हथियारों का अपना कार्यक्रम बंद कर देगा.

वहीं उत्तर कोरिया का कहना है कि वह परमाणु कार्यक्रम बंद करने को तो तैयार है लेकिन ये सब कैसे होगा, ये अभी तक स्पष्ट नहीं है. इसके साथ ही ये भी स्पष्ट नहीं है कि उत्तर कोरिया ऐसा करने के ऐवज़ में क्या मांग रखेगा.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेश ने दोनों नेताओं की मुलाक़ात को एक सार्थक पहल बताते हुए कहा कि दोनों ही नेता पिछले साल उपजे तनाव को दूर करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं. दोनों का ही मकसद शांति स्थापित करना होना चाहिए. जैसा कि मैं पिछले महीने ही दोनों नेताओं को ख़त लिखकर बोल चुका हूं कि यह रास्ता आपसी सहयोग, त्याग और एक उद्देश्य की मांग करता है. ज़ाहिर है इसमें कई तरह के उतार-चढ़ाव होंगे, असहमतियां होंगी और कठिन समझौते होंगे.

अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने दोनों नेताओं की इस मुलाक़ात को संभावनाओं से भरा हुआ बताया है.

पॉम्पियो ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप इस मुलाक़ात के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. हम चाहते हैं कि कह होने वाली मुलाक़ात का सार्थक परिणाम सामने आए जो दोनों देशों के हित में हो. यह बिल्कुल नई तरह की कोशिश है.

किम के संदर्भ में जानकारों का कहना है कि अब वो अपना ध्यान देश की अर्थव्यवस्था पर लगा रहे हैं और चाहते हैं कि उनके देश पर लगाए गए प्रतिबंध हटाए जाएं. उत्तर कोरिया में अंतरराष्ट्रीय निवेश हो और ये मुलाक़ात इस लिहाज़ से भी काफी अहम है. सबसे अहम सवाल यही कि क्या यह बातचीत उस तनाव को कम करने में कामयाब होगी जो उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षणों और परमाणु कार्यक्रम से पनपा था और जिसने एक समय समूची दुनिया को अपनी ज़द में ले लिया था.

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