“हिंदू विरोधी विचारधारा के कारण हुईं लंकेश और कुल्बर्गी की हत्याएं”: कर्णाटक पुलिस

 

कर्नाटक पुलिस की एक विशेष टीम ने कोर्ट को बताया है कि तीन साल पहले हुई डॉक्टर एमएम कलबुर्गी और पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के तार आपस में जुड़े हुए हैं.

पुलिस की यह विशेष टीम पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या की जांच कर रही है. बेंगलुरू के एक कोर्ट में दाखिल किए गए चार्जशीट में यह दावा फॉरेंसिक रिपोर्ट के हवाले से किया गया है.

फॉरेंसिक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि दोनों हत्याओं में एक ही देसी कट्टे का इस्तेमाल किया गया था. विशेष जांच टीम के 660 पन्नों की चार्जशीट में कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्या में 7.65 एमएम कट्टे के इस्तेमाल की बात कही गई है.

हिंदूवादी परंपराओं और अनुष्ठानों के ख़िलाफ़ अभियान चलाने वाले डॉक्टर एमएम कलबुर्गी की हत्या 30 अगस्त 2015 को कर दी गई थी.

उत्तरी कर्नाटक के धारवाड़ में कुछ अज्ञात लोगों ने उनके घर के सामने उन्हें गोली मार दी थी.

5 सितंबर 2017 को गौरी लंकेश की हत्या बेंगलुरु में उनके घर के सामने कुछ अज्ञात लोगों ने कर दी थी. गोली चलने वाले व्यक्ति ने हेलमेट पहन रखी थी.

कथित रूप से हिंदूवादी विचारधारा को चुनौती देने के लिए गौरी लंकेश और कलबुर्गी की हत्या कर दी गई थी.

फॉरेंसिक रिपोर्ट के मुताबिक़ दोनों हत्याओं में गोली और कारतूस “एक ही देसी कट्टे से चलाई गई थी” जिसमें 7.65 एमएम की कारतूस लगती है.

इस रिपोर्ट को अहम माना जा रहा है, क्योंकि कलबुर्गी की हत्या के तीन साल बाद भी अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है.

एक पुलिस अधिकारी ने बीबीसी से कहा, “दोनों मामलों में यह एक बड़ी सफलता है.”

पोस्टमॉर्टम के दौरान डॉक्टरों को गौरी लंकेश के शरीर से तीन गोलियां मिली थीं जबकि हत्या की जगह पर उनके घर के दरवाज़े के ऊपर लगी एक गोली भी बरमाद की गई थी.

फॉरेंसिक टीम ने कलबुर्गी की हत्या के बाद बरामद किए गए कारतूसों से इन कारतूसों का मिलान किया था.

विशेष टीम ने इस मामले में केटी नवीन को गिरफ्तार किया था जिस पर प्रवीण उर्फ सुजीत कुमार को देसी कट्टा मुहैया कराने का आरोप था.

पुलिस को दिए अपने बयान में नवीन ने आरोप लगाया था कि उन्होंने गोवा के पोंडा में हुए एक धार्मिक सेमिनार में कहा था कि हिंदूत्व की रक्षा के लिए हथियार उठाने की ज़रूरत है. बयान की एक कॉपी बीबीसी के पास है.

इसके बाद आयोजकों में से एक व्यक्ति ने उन्हें कहा था कि उनके जैसे विचार रखने वाले और भी लोग हैं जो जल्द उनसे संपर्क करेंगे. इस तरह प्रवीण उनके संपर्क में आया था. नवीन ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा है, “मैं जानता हूं कि यह गैरकानूनी है, लेकिन मैं (गौरी लंकेश के) हिंदू विरोधी विचारों के ख़िलाफ़ था और मैंने उनकी मदद करने का फ़ैसला किया.”

इससे पहले प्रवीण एक कन्नड़ लेखक केएस भगवान की हत्या की साजिश रचने के लिए गिरफ्तार किए गए थे. बाद में उन्हें गौरी लंकेश हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया. केएस भगवान कई बार हिंदू देवी देवताओं के ख़िलाफ़ बोलने के लिए विवादों में फंस चुके हैं.

पुलिस ने इनके अलावा तीन अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया था जो हिंदूत्ववादी संस्थानों, सनातन संस्था या इससे जुड़ी हिंदू जनजागृति समिति से जुड़े थे.

जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया, वो हैं- महाराष्ट्र के पुणे से अमोल काले, पोंडा, गोवा से अमित देग्वेकर और कर्नाटक के विजयपुरा से मनोहर इदावे.

कलबुर्गी की हत्या पहले कम्युनिस्ट नेता गोविंद पनसारे और उनकी पत्नी की हत्या कोल्हापुर में गोली मार कर कर दी गई थी. पनसारे और उनकी पत्नी मॉर्निंग वॉक से घर लौट रहे थे.

इससे दो साल पहले 30 अगस्त 2013 में अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के नरेंद्र दाभोलकर की हत्या भी इसी तरह के 7.65 एमएम देसी कट्टे से की गई थी.

यह माना जा रहा है कि चारों की हत्या “हिंदू विरोधी विचारधारा” रखने की वजह से की गई है.

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