जालंधर 3 जून 2018:(नरेश श. भा.)
किसानों द्वारा किया जा रहा प्रदर्शन अब उग्र रूप धारण करता जा रहा है. अपनी मांगों को लेकर किसानों ने 10 दिन की हड़ताल की है, जिससे आम लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त होता दिखाई दे रहा है. लेकिन जिस तरह से किसान सरकार के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं, उससे ये साह ज़ाहिर हो रहा है कि ये प्रदर्शन रुपी ये तूफ़ान जल्दी नहीं थमेगा. किसानों के इस प्रदर्शन में अपना सहयोग देने के लिए जालंधर के काला बकरा गाँव के नजदीक एक भुग्गा नामक एक छोटे से गाँव के किसान ने अपने खेत में पकी हुई फसल पर ही ट्रैक्टर चला दिया. किसान का कहना है कि ऐसा करके वह बाकी के किसानों के प्रदर्शन में अपना सहयोग दे रहा है.
किसानों के इस प्रदर्शन ने बार फिर से मंदसौर के किसान प्रदर्शन की यादों को ताज़ा कर दिया है. जिस तरह से अपनी मांगों को लेकर किसान सब्जियां, फल और दूध रास्ते में गिराकर सरकार के खिलाफ रोष ज़ाहिर कर रहे हैं, उससे ये साफ़ ज़ाहिर हो रहा है कि शायद सरकार ने किसानों का मंदसौर प्रदर्शन देखकर सार नहीं ली. किसान भी बड़े ही अनोखे ढंग से सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. कुछ ऐसा ही मामला जालंधर के गाँव काला बकरा के नजदीकी गाँव भुग्गा का है. जहाँ एक किसान ने बाकी के किसानों का साथ देते हुए अपनी पकी हुई फसल पर ट्रैक्टर चला दिया. मनोहर सिंह नामक किसान इस किसान का कहना है कि वह बाकी के प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ है. हालाँकि ऐसा करने से उसे करीब 5 लाख रूपए का नुक्सान हुआ है।
किसानों का कहना है ऐसा करके उन्होंने सरकार को किसानों की समस्या के प्रति ज्गाने जगाने का काम किया है. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की फसल का उन्हें वाजिब मूल्य नहीं दे रही है, जिससे खफा हो उन्हें अपने खेतों में ट्रैक्टर चलाने पड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की फसलों का निर्धारित मूल्य तय करे. वहीँ, इस प्रदर्शन से लोगों को हो रहे नुक्सान के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि लोगों को भी किसानों का साथ देना चाहिए, जिससे उन्हें मुश्किलों का सामना न करना पड़े.।
किसानों के इस उग्र हो रहे प्रदर्शन से जहाँ किसान तो भारी नुक्सान तो उठा ही रहे हैं लेकिन इसके आम लोगों को भी इसके नतीजे भुगतने पड़ रहे हैं. फिलहाल देखने वाली बात ये होगी कि सरकार किसानों की बात को कब मानती है और अगर मानती है तो उसके सामने क्या चुनौतियां होंगी.