प्रधान मंत्री के काशी भाषण से सांसदों में हडकंप


उत्तर प्रदेश एक बार फिर बीजेपी समेत अन्य राजनीतिक दलों के चुनावी उपक्रम का साक्षी बन रहा है


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वाराणसी में गणितीय अंकों के हिसाब से यह कौन सा दौरा था इस बात के आकलन में समय न व्यर्थ करते हुए अगर इस दौरे और मंगलवार के भाषण को आगामी लोकसभा चुनावों में टिकट पाने की योग्यता का विवरण रूपी आयोजन कहा जाय तो शायद अतिश्योक्ति नहीं होगी.

सोमवार को अपना जन्मदिन काशी में मनाने के बाद मंगलवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एम्फीथियेटर मैदान में जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने जो बातें कहीं, उसे भले ही एक सांसद द्वारा अपने लोकसभा क्षेत्र में कराए गए कार्यों का इकरारनामा माना जा रहा हो लेकिन भाषण के प्रमुख बिंदुओं की तह में प्रदेश के अन्य सांसदों के लिये एक संदेश भी है जो शायद रिपोर्ट कार्ड की शक्ल में किन्हीं महत्वपूर्ण फाइलों में कहीं दर्ज हो चुका है. भाषण के कुछ अंशों का इशारा शायद इस तरफ भी है कि जिन सांसदों ने अपने क्षेत्रों में अनुकूल कार्य नहीं किया है उन्हें दोबारा मौका नहीं दिया जाएगा.

बहरहाल, उत्तर प्रदेश के सभी बीजेपी सांसदों को आने वाले परिवर्तन को समझने के निमित्त प्रधानमंत्री के सोमवार के वाराणसी अभिभाषण के कुछ अंशों को कई बार सुनना चाहिए. क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सांसद के रूप में अपने लोकसभा क्षेत्र के कार्यों का विवरण देने के क्रम में उपस्थित जनसमूह का न सिर्फ भोजपुरी में अभिवादन किया बल्कि बड़ी ही साफगोई से अपनी प्राथमिकताओं को क्रमवार तरीके से रख कर चुनावी अनुष्ठान की आधारशिला रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने अपने लोकसभा क्षेत्र में हुए बिजली, पानी, और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के कार्यों का उल्लेख किया और साथ ही भविष्य की योजनाओं का खाका खींच कर आने वाले चुनावों से संबंधित वायदे भी किए.

क्या किया, कैसे किया और आगे क्या करेंगे

सबसे पहले भूमिगत तारों की योजना आईपीडीएस की चर्चा करते हुए कहा, ‘काशी को भोले के भरोसे पहले छोड़ दिया गया था पर अब काशी बदल रही है. हमने ठाना था काशी में विकास करना है. सांसद बनने से पहले भी मैंने यह सोचा था कि काशी में लटकते बिजली के तार कब हटेंगे. आज बहुत बड़ा हिस्सा मुक्त हो गया है.’ लेकिन इसके साथ ही नगर में विकास कार्यों के नाम पर चल रहे कुछ अभियान से पनपे अवसाद के डैमेज कंट्रोल से भी नहीं चूके और उन्होंने कहा, ‘साथियों मैं जब भी यहां आता हूं तो एक बार जरूर याद दिलाता हूं कि काशी में जो भी बदलाव ला रहे है, वो यहां की परंपरा और प्राचीनता को बनाते हुए कर रहे हैं. 4 साल पहले बदलाव के इस संकल्प को लेकर निकले थे तब और अब में अंतर नजर आता है.’

सोमवार के भाषण में उन्होंने भोजपुरी मिश्रित काशिका में कहा, ‘काशी के लोग बहुत प्यार देहलन, आप लोगन के बेटा हई हम, बार-बार काशी आवे का मन करेला. हर-हर महादेव.’ इसके बाद उन्होंने बीएचयू की शान में कसीदे पढ़ते हुए कहा, ‘आप सभी का स्नेह आशीर्वाद मुझे हर पल प्रेरित करता है, बीएचयू को 21 वीं सदी का नॉलेज सेंटर बनाने के लिए कई प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई है. अटल इनोवेशन सेंटर में देश भर से 80 स्टार्ट अप के आयडिया यहां चुके हैं और 20 तो यहां से जुड़ चुके हैं.’

आगामी चुनावों के मद्देनजर अपनी भविष्य की योजनाओं का विवरण देने के क्रम में उन्होंने सड़क निर्माण में सहयोग के बाबत योगी सरकार की सराहना करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हुए कहा, ‘वाराणसी को पूर्वी भारत के गेटवे के तौर पर विकसित करने का प्रयास हो रहा है. आज काशी एलईडी की रोशनी से जगमगा रही है. 4 साल पहले जो काशी आया था वो आज काशी को देखता है तो उसे बदलाव नजर आता है. यह कि रिंग रोड की फाइल दबी हुई थी, 2014 के बाद हमने फाइल निकलवाई और योगी जी की सरकार बनने के बाद बहुत तेजी से सड़क बनने का काम हो रहा है. काशी रिंग रोड के निर्माण से आस-पास के कई जिलों को भी लाभ होने वाला है. वाराणसी-हनुमना, वाराणसी-सुल्तानपुर, वाराणसी-गोरखपुर मार्ग को बनाने में हजारों करोड़ रुपया खर्च किया जा रहा है.’

चर्चा में रहा आगामी प्रवासी भारतीय सम्मेलन

प्रधानमंत्री ने जनवरी में प्रस्तावित प्रवासी भारतीय सम्मेलन के सफल आयोजन के संकल्प को भी दोहराने में देर न करते हुए कहा, ‘पिछले 4 साल में कई देशों के राजनायकों का अद्भुत स्वागत वाराणसी ने किया है, जनवरी में दुनिया भर के प्रवासी भारतीयों का कुम्भ काशी में लगने वाला है सरकार अपने स्तर पर काम कर रही है पर आपका सहयोग भी चाहिए, काशी के हर मोहल्ले चौराहे पर बनारस का रस हमें दिखाना होगा. जो लोग काशी आएंगे वो ऐसा अनुभव लेकर जायें कि वो दुनिया भर में काशी के ब्रांड एम्बेसडर बन जाएं.’

इरादों- वादों में गंगा, घाट और बहुत कुछ

गंगा सफाई के बाबत भी उन्होंने अपने वादे को दोहराते हुए कहा, ‘गंगा की सफाई के लिए गंगोत्री से लेकर काशी तक काम चल रहा है, इसके लिए 21 हजार करोड़ की स्वीकृति दी जा चुकी है और काशी में 600 करोड़ की परियोजना की स्वीकृति दी जा चुकी है. सीवर और पेय जल की कमियां सुधारी जा रही हैं. इसके अलावा उन्होंने रेल नेटवर्क और वाराणसी के पर्यटन उद्योग के विकास पर सामूहिक प्रकाश डालते हुए कहा, ‘वाराणसी से अनेक नई रेल गाड़ियों की शुरुआत पिछले 4 सालों में की गई है, बनारस के रेल संपर्क बहुत मजबूत हो रहा है. शहर के सौंदर्य से भी पहचाना जा रहा है, यहां के घाट भी रोशनी से नहा रहे हैं. क्रूज की भी सवारी यहां की जा रही है. वाराणसी के टॉउन हाल का जीर्णोद्धार किया जा रहा है एवं सारनाथ में लाइट ऐंड साउंड की व्यवस्था की जा रही है. बनारस और पूर्वी भारत के बुनकर और शिल्पकार मिट्टी को सोना में बनाने का काम कर रहे हैं.

महामना मालवीय और लाल बहादुर शास्त्री का भी उल्लेख

प्रधानमंत्री ने प्रस्तावित गैस पाइपलाइन योजना का उल्लेख करते हुए कहा, ‘काशी अब देश के उन चुनिंदा शहरों में शामिल है जहां गैस पाइप लाइन से पहुंच रही है. इसके अलावा उज्ज्वला योजना के जरिये 60 हजार लोगों को एलपीजी सिलिंडर मिला है. इसके बाद वे फिर योगी आदित्यनाथ की तरफ मुखातिब होकर उन्होंने कहा, ‘यूपी में बीजेपी में सरकार बनने के बाद काम मे तेजी आई है, इसलिए योगी जी और उनकी टीम को बधाई देता हूं. वेद के ज्ञान से लेकर 21 वी सदी के विज्ञान को जोड़ा गया है मालवीय जी का सपना था कि सबको प्राचीन से लेकर अत्याधुनिक शिक्षा मिले उसे बीएचयू पूरा कर रहा है.’

इसके बाद वे चिकित्सा सेवाओं पर हुए कार्यों का विवरण देने के क्रम में देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘आज काशी पूर्वी भारत का हब बन रहा है. मेडिकल की दृष्टि में भी ये पूर्वी भारत का हब बनता जा रहा है. 54 साल पहले लाल बहादुर शास्त्री ने नेत्र विभाग का उद्घाटन किया था और अब मुझे क्षेत्रीय नेत्र संस्थान बनाने का मौका मिला है इससे मोतियाबिंद से लेकर आंख की गम्भीर बीमारियों से बहुत कम पैसे में छुटकारा मिलेगा.’

इसके बाद के अंश जिसके राजनैतिक निहितार्थ निकाले जाने चाहिये वो कुछ इस प्रकार है…

‘नई काशी और नए भारत के निर्माण में अपना योगदान दें. मैंने भले ही पीएम पद का दायित्व निभाया है पर मैं एक सांसद के नाते क्या किया इसका भी जिम्मेदार हूं. 4 साल में क्या किया, यह बताने की कोशिश की है, आप मेरे मालिक हैं, आप मेरे हाई कमान हैं, भारत माता की जय.’

दरअसल भाषण के इस अंश को अगर एक विषय से जोड़कर देखा जाय तो उत्तर प्रदेश के राजनीतिक शक्ति स्थलों और सत्ता के गलियारों में यह बात आजकल आम है कि बीजेपी आगामी चुनावों के मद्देनजर प्रदेश की कई लोक सभा सीटों में अपने प्रत्याशी बदलने के मूड में है.

प्रदेश भर में सबसे अधिक परिवर्तन पूर्वांचल में देखने को मिलेंगे इस बात की चर्चा भी गाहे-बगाहे होने लगी है. हालांकि पार्टी की ओर से बीजेपी सांसदों के टिकट काटे जाने या बदले जाने के बाबत कोई औपचारिक बयान अब तक नहीं जारी हुआ है लेकिन अंदरखाने में यह बात आम है कि प्रधानमंत्री और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की कसौटी पर खरे न उतरने वाले लोक सभा सदस्यों को इस बार बैठा दिया जाएगा. ऐसे में प्रदेश की कई सीटों से नए-नए आवेदकों द्वारा दिल्ली लखनऊ के राजनीतिक मठाधीशों के समक्ष पेशबन्दी जोर-शोर से चल रही है.

अमित शाह और उत्तर प्रदेश 

पिछले कुछ महीनों में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में कई बार प्रवास किया है. इन दौरों के बाद करीब 35 से 50 मौजूदा पार्टी सांसदों के टिकट काटे जाने की चर्चाएं हर तरफ हो रही हैं. इन चर्चाओं के आलोक में बीजेपी के सभी 68 सांसदों की धड़कनें तेज हो गई हैं. गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से भाजपा के 71 और सहयोगी दल अपना दल के दो सांसद जीते थे.

इनमें गोरखपुर, फूलपुर और कैराना लोकसभा सीट के उपचुनाव हार जाने के बाद मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश में भाजपा के 68 सांसद ही रह गए हैं. पिछले दो महीनों में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष काशी, अवध और गोरखपुर के क्षेत्रीय संगठनों के साथ लोकसभा चुनाव की रणनीति तैयार करने के क्रम में कई बैठकें कर चुके हैं. इसके अलावा उन्होंने ब्रज क्षेत्र, कानपुर क्षेत्र और पश्चिम क्षेत्र के संगठनों के साथ भी बैठक की है.

बन चुके हैं रिपोर्ट कार्ड

सूत्रों की मानें तो बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने यूपी में अपनी पार्टी के सभी 68 सांसदों के रिपोर्ट कार्ड तैयार कर लिए हैं, और इनमें से आधे से अधिक सांसदों के चार साल के कामकाज को निराशाजनक बताया गया है. इन सांसदों के बारे में नेतृत्व को यह ताकीद की गई है कि दोबारा इन्हें प्रत्याशी बनाया गया तो क्षेत्रीय जनता इन्हें जिताकर संसद नहीं भेजेगी. इस सूचि में से कुछ सांसद दलित और पिछड़े वर्ग से भी संबंधित हैं और कुछ ऐसे सांसद भी हैं जो बीजेपी के खिलाफ ही बगावत का बिगुल फूंक चुके हैं. इनके अलावा कुछ सांसदों के आचरण से सबंधित शिकायतें भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं बीजेपी अध्यक्ष के पास हैं.

इनके स्थान पर उन सीटों पर चुनाव मैदान में उतारने के लिए नए चेहरों की तलाश भी की जा रही है. टिकट कट जाने के अंदेशे में चार साल तक अपने संसदीय क्षेत्र में काम न करने वाले सांसदों ने संघ से लेकर प्रदेश व क्षेत्रीय संगठनों के बड़े पदाधिकारियों की चौखटों पर गणेश परिक्रमा करनी शुरू कर दी है.

उत्तर प्रदेश एक बार फिर बीजेपी समेत अन्य राजनीतिक दलों के चुनावी उपक्रम का साक्षी बन रहा है, ऐसे में कांग्रेस का सिकुड़ना, शिवपाल यादव का नया मोर्चा, अमर सिंह का राजनीतिक पुनर्जागरण, मायावती की खामोशी और अखिलेश की रक्षात्मक शैली के दूसरी तरफ बीजेपी के खेमे में एक साथ कई हांडियां आग पर चढ़ी हुई हैं.

देखना होगा कि इनमें से कौन सी हांडी में दाल पकती है और कौन सी हांडी में खिचड़ी, लेकिन तब तक इन सभी हाण्डियों में पानी खौल रहा है, पानी के उबाल मारने के बाद ही शायद तस्वीर साफ हो लेकिन तब तक सिर्फ चिन्ह की भाषा समझने में ही राजनीतिक यथार्थ का चित्रण संभव है.

चुनावों से पाहिले सीटों के बटवारे को ले कर दबाव बना रही हैं मायावती


अखिलेश यादव की बेसब्री कांग्रेस को लेकर नहीं बल्कि अपनी बुआ मायावती को लेकर है जिन्हें साथ लेकर वो ‘कैराना’ और ‘नूरपुर’ को 2019 में दोहराना चाहते हैं. लेकिन, उनकी यही बेसब्री लगता है उनपर भारी पड़ रही है


बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने 11 सितंबर को पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस को भी निशाने पर लिया था. यूपीए सरकार की आर्थिक नीतियों के बहाने मायावती का कांग्रेस पर हमले के सियासी मायने निकाले जा रहे थे. कहा गया कि मायावती लोकसभा चुनाव और पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन में अपनी हिस्सेदारी को लेकर दबाव बनाने की तैयारी कर रही हैं.

अब पांच दिन बाद ही मायावती ने एक बार फिर हमला बोला है. लेकिन, इस बार उनके निशाने पर महागठबंधन के सभी संभावित सहयोगी हैं. इस बयान को भी दबाव की कोशिश माना जा रहा है.

मायावती की दबाव बनाने की कोशिश !

बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा है ‘कुछ लोग राजनीतिक लाभ लेने के लिए अपना नाम मुझसे जोड़ते हैं. मुझे बुआ कहते हैं.’ भीम आर्मी के संस्थापक और सहारनपुर जातीय हिंसा मामले में आरोपी चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ ने भी जेल से बाहर आने के बाद मायावती को बुआ कहा था. मायावती कहती हैं ‘इन लोगों से मेरा कोई लेना-देना नहीं है. ये सब बीजेपी का गेम प्लान है.’

मायावती ने ‘बुआ-बबुआ’ के संबंधों को सिरे से खारिज कर दिया है लेकिन, उनके बयान का सियासी मतलब इससे कहीं बड़ा माना जा रहा है. क्योंकि चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ से पहले तो यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उन्हें बुआ कहते रहे हैं.

कई मौकों पर ‘बुआ-बबुआ’ के बीच लड़ाई होती रही है. लेकिन, अब दोनों के मिलकर चुनाव लड़ने को लेकर तैयारी की बात कही जा रही है. ऐसे वक्त में ‘बुआ-बबुआ’ के रिश्ते को खारिज करने के मायावती के बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है.

चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ से क्यों दूर रहना चाहती हैं मायावती?

चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ के साथ मायावती के रिश्ते की बात करें तो उन्हें लगता है कि ‘रावण’ के जेल से बाहर निकलने से उनके वोट बैंक पर असर पड़ेगा. सहारनपुर समेत पश्चिमी यूपी में दलित तबके में भीम आर्मी का असर धीरे-धीरे बढ़ रहा है. चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ अगर एक अलग ताकत के तौर पर अपने-आप को चुनावी राजनीति के केंद्र में लाते हैं या फिर चुनाव मैदान में उतरते हैं तो पूरे इलाके की दलित राजनीति पूरी तरह बदल जाएगी.

‘रावण’ के अलग ताकत के तौर पर चुनाव में आने के बाद इसका सीधा असर मायावती पर पड़ेगा. लेकिन, मायावती नहीं चाहती हैं कि कोई दूसरी ताकत दलित सियासत में उभर कर सामने आए. अपने बुरे दौर में भी मायावती को दलित समाज के एक बड़े तबके का समर्थन मिला हुआ है. ऐसे में किसी नए युवा दलित चेहरे को अगर दलित राजनीति में कोई स्पेस मिल जाता है तो शायद मायावती का वो एकाधिकार खत्म हो जाएगा.

यही वजह है कि बुआ का रिश्ता जोड़ने के बावजूद मायावती ने चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ से दूरी बनाने का फैसला किया है. मायावती नहीं चाहती हैं कि उनके साथ मिलकर या अलग रहकर भी भीम आर्मी इतनी ताकतवर हो जाए जो आगे चलकर बीएसपी को ही चुनौती देने लगे.

मायावती के रुख से अखिलेश की बढ़ी मुश्किलें !

लेकिन, मायावती को सबसे पहले बुआ कहने वाले बबुआ यानी अखिलेश यादव के लिए इस रिश्ते का खारिज होना ज्यादा परेशान करने वाला है. क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही अखिलेश यादव केंद्र की बीजेपी सरकार को हटाने के लिए हर कुर्बानी देने की बात कह रहे हैं. यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव की तरफ से मायावती के साथ गठबंधन करने की मंशा और उसके लिए कुछ कदम पीछे हटने का संकेत पहले ही दिया जा चुका है.

यह अलग बात है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर राहुल के साथ गलबहियां करना अखिलेश यादव को भारी पड़ा था. अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ गठबंधन की गलती को दोहराने के मूड में कतई नहीं दिख रहे. अगर कांग्रेस गठबंधन में शामिल होती भी है तो उसे बेहद कम सीटों पर ही संतोष करना होगा. हो सकता है कि उसे यूपी की 80 सीटों में से दहाई का आंकड़ा भी सीट बंटवारे में नहीं मिले.

ऐसे में अखिलेश यादव की बेसब्री कांग्रेस को लेकर नहीं बल्कि अपनी बुआ  मायावती को लेकर है जिन्हें साथ लेकर वो ‘कैराना’ और ‘नूरपुर’ को 2019 में दोहराना चाहते हैं. लेकिन, उनकी यही बेसब्री लगता है उनपर भारी पड़ रही है.

अखिलेश की अपरिपक्वता पड़ सकती है भारी

वक्त से पहले उनकी तरफ से कदम पीछे खींचने का संकेत उनकी राजनीतिक अपरिपक्वता का संकेत दे रही है. बीजेपी को हराने के लिए लचीला रुख अपनाने के नाम पर अखिलेश यादव कुछ ज्यादा ही झुक गए हैं. उनके इसी लचीलेपन का फायदा मायावती भी उठाना चाह रही हैं. मायावती की तरफ से गठबंधन को लेकर अभी भी अपने पत्ते नहीं खोले जा रहे हैं.

मायावती ने एक बार फिर से कहा है कि उन्हें अगर सम्मानजनक सीटें नहीं मिलती हैं तो फिर गठबंधन नहीं होगा. मायावती की कोशिश मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस पर दबाव बनाने की है. उनकी तरफ से सम्मानजनक समझौते की बात करना यूपी में लोकसभा चुनाव के वक्त सीटों के बंटवारे से पहले इन तीन राज्यों में भी सीट बंटवारे को लेकर है, जहां कांग्रेस के खाते से बीएसपी कुछ सीटें झटकना चाहती हैं.

मायावती सियासी तौर पर कितनी परिपक्व हैं उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यूपी में पिछले लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी का खाता भी नहीं खुला था. विधानसभा चुनाव में एसपी से भी काफी कम सीटें मिली और उनकी पार्टी महज 19 सीटों पर सिमट गई थी. फिर भी, ऐन वक्त तक सौदेबाजी करने और दबाव बनाकर रखने की उनकी रणनीति अब अखिलेश को बैकफुट पर ला सकती है.

लगता है अखिलेश यादव भी अपनी गलतियों से नहीं सीख रहे हैं. अखिलेश ने विधानसभा चुनाव 2017 में जनाधार विहीन कांग्रेस के साथ समझौता कर अपने खाते की जो सीटें कांग्रेस को दीं, उससे उनकी ही पार्टी का नुकसान हुआ. अब मायावती के आगे सौदेबाजी करने के बजाए पहले से ही घुटने टेकने की उनकी कोशिश एक बार फिर उनकी पार्टी कैडर्स पर नकारात्मक असर ही डालेगी.

मुलायम सिंह यादव की विरासत को आगे बढ़ाने और उस पर अपना हक जताने वाले अखिलेश यादव भले ही परिवार के भीतर उठापटक में बाजी मार गए हों, लेकिन, अपने पिता से शायद वो सियासी दांव अब तक नहीं सीख पाए हैं, जिसमें तुरुप का पत्ता आखिरी वक्त तक संभाल कर रखा जाता है. वक्त से पहले मुठ्ठी खोलना अखिलेश की उस बेसब्री को दिखा रहा है जो उन्हें बैकफुट पर धकेल सकती है

बीजेपी जानबूझकर पूर्व प्रधानमंत्री नेहरु को निशाने पर ले रही है: कांग्रेस

 

कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की स्मृतियों को हटाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी जानबूझकर पूर्व प्रधानमंत्री को निशाने पर ले रही है.

इलाहाबाद में सौंदर्यीकरण संबंधी कार्यों के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमा को अस्थायी रूप से हटाए जाने को लेकर कांग्रेस ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधा और कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री को इस देश से आत्मा से कभी नहीं हटाया जा सकता. इलाहाबाद की डेवलपमेंट अथॉरिटी ने बताया कि नेहरू की प्रतिमा को वहां से हटाकर उसी रोड पर स्थित एक पार्क में लगाया गया है.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया, ‘मोदी जी राजनीतिक बदला लेने के लिए अंधे हो चुके हैं वो और योगी आदित्यनाथ पंडित नेहरू की उस हर स्मृति को मिटाना चाहते हैं, जो स्वाधीनता संग्राम और आजाद भारत के निर्माण से जुड़ी है.’

उन्होंने कहा, ‘पूरा देश जानता है कि इलाहाबाद स्वाधीनता संग्राम का सबसे बड़ा प्रतीक है. इलाहाबाद पंडित नेहरू की कर्मस्थली है और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के स्वाधीनता संग्राम की कर्मस्थली है. यह शहर सिर्फ पंडित नेहरू ही नहीं, बल्कि सरदार वल्लभ भाई पटेल हों, महात्मा गांधी, चंद्रशेखर आजाद और कई दूसरे महापुरुषों से भी जुड़ा है.’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘पंडित नेहरू से जुड़ी याददाश्त को धूमिल करने का षड्यंत्र मोदी जी और योगी जी की जोड़ी कर रही है. उनको यह समझ लेना चाहिए कि वे मूर्ति हटाने से इस देश की आत्मा से पंडित नेहरू जी को कभी नहीं हटा पाएंगे.’

उन्होंने कहा, ‘मोदी जी और योगी यह जान लीजिए कि इस देश की जनता आपसे बड़ी है और आपको सजा देगी.’

पार्टी नेता अजय माकन ने भी इस मुद्दे पर मोदी को घेरा. उन्होंने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि नेहरू की मूर्ति हटाई जा रही है. नेहरू बस एक कांग्रेसी नेता नहीं थे वो देश के पहले प्रधानमंत्री थे और सभी राजनीतिक पार्टियों और नागरिकों को उनका सम्मान करना चाहिए

प्रधान मंत्री अपना 68वां जन्म दिन नौनिहालों के साथ वाराणसी में मनाएंगे


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्म दिन 17 सितंबर को दो दिवसीय दौरे पर वाराणसी आएंगे तथा हजारों स्कूली बच्चों के साथ खुशियां बांटने के अलावा अरबों रुपए की विभिन्न विकास परियोजनाओं की सौगात अपने संसदीय क्षेत्र की जनता को देंगे।


वाराणसी, 13 सितम्बर, 2018: 

भारतीय जनता पार्टी की काशी क्षेत्र के अध्यक्ष महेश चंद्र श्रीवास्तव ने गुरुवार को बताया कि मोदी के दौरे की सूचना मिलने के बाद तैयारियां शुरु कर दी गईं हैं। 17 सितंबर को उनका 68वां जन्म दिन है और उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री वाराणसी वासियों को फिर अरबों रुपए की विकास परियोजनाओं की सौगातें देंगे।

उन्होंने बताया कि अभी यह तय नहीं हुआ है कि वह किन परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास करेंगे। इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं।

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के दौरे से पहले भाजपा कार्यकर्ता विशेष सफाई अभियान चलाएंगे। शहर को साफ-सुथरा बनाने में अपनी भूमिका निभाने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं विशेष अपील की गई है।

अधिकारिक सूत्रों ने मोदी के प्रस्तावित दौरे की पुष्टि करते हुए बताया कि इसके बारे में बुधवार रात प्रधानमंत्री कार्यालय से प्रारंभिक जानकारी मिलने के बाद आवश्यक तैयारियां शुरु कर दी गई है। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम स्थल का चयन अभी नहीं हुआ। गुरुवार को इसके बारे में कोई फैसला लिया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि मोदी अपने जन्म दिन पर काशी विश्वनाथ मंदिर जाकर पूजा-अर्चना एवं करीब पांच हजार बच्चों के साथ अपने जन्म दिन की खुशियां बांटने के अलावा अपने जीवन पर आधारित चलो हम जीते हैं फिल्म भी देख सकते हैं।

यह कार्यक्रम बड़ा लालपुर स्थित पंडित दीन दयाल हस्तकला संकुल में आयोजित किए जाने की संभावना है। वह किसी एक दलित बस्ती में जाकर श्रमदान एवं लोगों से खुशियां साझा कर सकते हैं।

उन्होंने बताया कि 68 दलित बस्तियों में विशेष सफाई अभियान के अलावा एवं स्वास्थ्य जांच शिविरों का आयोजन किए जाने की योजना है। प्रधानमंत्री अगले दिन 18 सितंबर को एक सभा को संबोधित कर सकते हैं। सभा स्थल का चयन किया जा रहा है।

मोदी गोइठहां स्थित सिवरेज ट्रिटमेंट प्लांट, लहरतारा स्थित कैंसर अस्पताल और रिंग रोड फेज-एक का उद्घाटन सहित अनेक विकास परियोजनाओं का शिलान्यास एवं लोकार्पण कर सकते हैं।

Mahagathbandhan’ is an alliance of some opportunistic parties to hide their weakness:Modi


Modi attributed the party’s success to its workers and their grip over their respective polling booths


New Delhi, 13 September,2018:

Prime Minister Narendra Modi on Thursday said the Congress was in the Intensive Care Unit (ICU) and using other parties as support system to survive, observing it is getting desperate to join hands with any party to forge a grand opposition alliance for the 2019 Lok Sabha polls,

Mr. Modi also said the wind is blowing in the BJP’s favour and that opportunist opposition parties are clutching each other’s hands to withstand its force.

He exhorted party workers to follow the mantra of ‘Mera Booth Sabse Mazboot’ to ensure BJP’s victory in the next general elections.

Addressing party workers of five Lok Sabha constituencies via the NaMo app, Mr. Modi said the BJP’s biggest strength is its workers. Their hard work has ensured the party’s historic success and progress in a short span of four years, he added.

He attributed the party’s success to its workers and their grip over their respective polling booths.

Only mantra

‘Mera Booth Sabse Mazboot’ (my polling booth, the strongest)…this is the only mantra and this is our strength,” Mr. Modi said in a video interaction.

Replying to a question on opposition parties trying to stitch an alliance for the 2019 polls, Modi assured the party workers that the BJP will win again.

“… the wind is blowing in favour of BJP, even stronger than 2014. That’s why opposition parties are clutching each other’s hands to save themselves from being blown away,” he said.

Mahagathbandhan, an alliance of opportunistic parties

Describing the proposed ‘Mahagathbandhan’(grand alliance) as an alliance of some opportunistic parties to hide their weakness, Mr. Modi said,”they are trying to stich an alliance of parties while we are trying to unite the hearts of the people.”

He further said there is confusion on policy and leadership in the proposed grand alliance and its intent is corrupt and Congress is using other parties as support system to save itself in the ICU and survive.

“The Congress is now desperate to join hands with any party to survive. The Congress is trying to save itself in the ICU. For it, all these allies(in the alliance) are support system to survive,” he said.

The Prime Minister also urged party workers to continuously interact with voters of their respective constituencies and ensure that at least 20 families and youth are working with the party in every polling booth.

He was addressing workers from five constituencies — Jaipur (Rural), Nawada, Ghaziabad, Hazaribagh, Arunachal West — in Rajasthan, Uttar Pradesh, Jharkhand and Arunachal Pradesh respectively.

Lashes out at Congress

Mr. Modi, who was nominated the BJP’s prime ministerial candidate this day in 2013 for the 2014 Lok Sabha polls, said only in the BJP can an ordinary party worker become its leader. He also asserted that someone else can also take his place.

Talking about the work carried out by his government, Mr. Modi said ‘Sabka Sath Sabka Vikas’ is not just a slogan but it’s our inspirational Mantra. He said the country will not be a developed one unless everyone in it is developed and asserted his government do not discriminate on the basis of caste and religion.

Lashing out at the Congress, the Prime Minister said it is, unlike the BJP, a one family party. He said he felt pity for dedicated workers of the opposition party.

“Many capable and committed workers of the Congress were sacrificed for interests of the family,” he said.

The opposition is resorting to lies in its campaign but today people in the country are awake while opposition is not ready to come out of its slumber, the prime minister said.

The Election Commission served show cause notice to Arvind’s AAP


The move comes after report by the Central Board of Direct Taxes on the alleged concealment of donations by the party.


The Election Commission on Tuesday served a show-cause notice on the Aam Aadmi Party seeking an explanation for alleged incorrect disclosures on contributions.

The move comes after report by the Central Board of Direct Taxes on the alleged concealment of donations by the party.

Asking why action should not be taken against the party under Para 16A of the Election Symbol (Reservation & Allotment) order 1968 for failure to follow its lawful directions, the Commission sought its response within 20 days.

“Your representation should reach the office of the Commission within 20 days from the date of receipt of the notice, failing which the matter will be decided on merits based on information available on record,” said the notice.

The AAP submitted the original contribution report for 2014-15 which was received by the EC on September 30, 2015. It had later submitted a revised report on March 20, 2017.

The original report contained a list of 2,696 donors with the total donation amounting to over Rs.37.45 crore and the revised report showed the total amount as Rs.37.60 crore received from 8,264 donors.

Action based on CBDT report

However, a report was submitted to the EC by the Central Board of Direct Taxes in January 2018, “regarding the concealment of donations received by the Aam Aadmi Party (AAP) during Financial Year 2014-15 and other discrepancies…”

The report alleged concealment of donations.

“It is stated that the bank account of the AAP has recorded total credits of Rs.67.67 crore, including Rs.64.44 crore from donations in excess of Rs.20,0001. However, the party has disclosed total income of Rs.54.15 crore from donations in its audited accounts for the year,” said the EC.

Therefore, the report said, it has been held by the Assessing Officer that Rs.13.16 crore have not been accounted for by the party and these donations have been held to be from unknown sources.

A.A.P. to divide Uttar Pradesh


Uttar Pradesh accounts for the highest number of 80 Lok Sabha seats and it will hold a great significance in the 2019 Lok Sabha polls.


The issue of division of Uttar Pradesh has once again come to the fore with the Aam Aadmi Party saying on Monday it will launch a movement to fulfill the long-standing aspiration of the people.

Uttar Pradesh accounts for the highest number of 80 Lok Sabha seats and it will hold a great significance in the 2019 Lok Sabha polls.

“Uttar Pradesh is a big state, both from the points of view of area and population. Its population is as much as that of any big country. It has become practically very difficult to govern such a vast state,” Aam Aadmi Party spokesperson Sanjay Singh told media persons.

He added that his party supports the division of Uttar Pradesh into four parts.

“AAP is in favour of smaller states. It supports the division of Uttar Pradesh into four parts, and for this, it will go the extent of even launching a movement. The party will finalise its strategy soon,” he added.

On being told that other political parties have opposed division of the state, Mr Singh said that the BJP has been a supporter of formation of smaller states.

“People of Bundelkhand, Poorvanchal and Paschim Kshetra (western UP) have been demanding creation of smaller states for the last many years. This is a matter of public feeling and political parties must think about it seriously,” Singh, a Rajya Sabha member, said.

Aam Aadmi Party is of the view that for an effective law and order system and conducive conditions for growth, formation of smaller states is necessary.

This is not for the first time that the party has made its voice heard on the matter of diving UP, India’s most populous state.

On Saturday, AAP chief and Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal too, advocated for the division of the state and said it has lagged in development because of its size.

“Uttar Pradesh should be divided into Awadh, Bundelkhand, Purvanchal and Pashchim Uttar Pradesh — four states. This is the people’s demand. And not only do we support it, we will struggle with the people of the state for the fulfilment of this demand,” Mr Kejriwal had said at an event in Noida.

The Bahujan Samaj Party (BSP), headed by Mayawati, was once a strong supporter of the demand when the Samajwadi Party was in power, maintaining that smaller states could be governed better.

पेट्रोल 55 और डीजल 50 रुपए लीटर मिलेगा: गडकरी


केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हमारा पेट्रोलियम मंत्रालय एथेनॉल बनाने के लिए पांच प्लांट लगा रहा है, एथेनॉल लकड़ी और नगर निगम के कचरे से बनाया जाएगा’


पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बायोफ्यूल के उपयोग का तरीका सुझाया है. गडकरी ने कहा, मैं 15 वर्षों से कह रहा हूं कि किसान और आदिवासी बायोफ्यूल बना सकते हैं. जिससे हवाई जहाज तक उड़ सकता है. हमारी नई तकनीक से बनी गाड़ियां किसानों और आदिवासियों द्वारा बनाए गए एथेनॉल से चल सकती हैं.

इसी के साथ उन्होंने पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों का भी जिक्र किया. सोमवार को एक सभा को संबोधित करते हुए नितिन गडकरी ने कहा, हम पेट्रोल और डीजल के आयात पर 8 लाख करोड़ रुपए खर्च करते हैं. पेट्रोल की कीमत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. डॉलर की तुलना में रुपए की कीमत घट रही है.’

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ANI

एथेनॉल है पेट्रोल-डीजल का विकल्प

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हमारा पेट्रोलियम मंत्रालय एथेनॉल बनाने के लिए पांच प्लांट लगा रहा है. एथेनॉल लकड़ी और नगर निगम के कचरे से बनाया जाएगा. इसके बाद डीजल की कीमत 50 रुपए प्रति लीटर और पेट्रोल का विकल्प 55 रुपए प्रति लीटर पर उपलब्ध होगा.’

दरअसल पिछले कुछ दिनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार वृद्धि हुई है. और फिलहाल पेट्रोल और डीजल के दाम अब तक के सबसे उच्चतम कीमत पर पहुंच गए हैं. इसके चलते सोमवार को कांग्रेस ने बंद का आयोजन भी किया था.

Aero Show to remain in Bengaluru


Following the controversy over a proposed move to shift the venue of the Aero India, the Ministry of Defence confirmed on Saturday that the mega airshow will be held in its traditional venue of Bengaluru in Karnataka.


Following the controversy over a proposed move to shift the venue of the biennial Aero India show, the Ministry of Defence confirmed on Saturday that the mega airshow will be held in its traditional venue of Bengaluru in Karnataka.

“The Government has decided to hold the Aero India 2019 in Bengaluru from 20 to 24 February 2019,” the MoD said in a statement.

The Defence Ministry’s decision thus ends uncertainty over the venue of the 12th edition of Aero India. It was speculated that the venue may be shifted out of Karnataka especially after Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath made a request to Defence Minister Nirmala Sitharaman in August to select Lucknow as the venue for the mega event.

Besides Uttar Pradesh, the Defence Ministry had indicated that it was examining requests from a number of states including Gujarat, Rajasthan, Odisha and Tamil Nadu.

Political leaders in Karnataka had protested against any move to shift the Aero India out of the state.

Deputy Chief Minister of Karnataka G Parameshwara called the “plan” unfortunate and alleged that the Centre was trying to end Bengaluru’s dominance in the defence sector.

“Plan to snatch Aero India Show away from Bengaluru in favour of Lucknow is very unfortunate. We have been conducting it successfully since 1996. This comes after HAL was snubbed for Rafael deal. Centre seems to be keen on ending Bengaluru’s dominance in the defence sector,” he said on Twitter on 3 August.

After Adityanath’s argument that bringing the Aero India to Lucknow will give a fillip to the proposed defence corridor in Uttar Pradesh, Karnataka Chief Minister HD Kumaraswamy wrote to Prime Minister Narendra Modi arguing in favour of Bengaluru.

“Bengaluru being the hub for defence and aviation majors of the country is certainly the most suitable place to conduct the show,” he had said in the letter.

Meanwhile, the Defence Ministry said that the five-day event will combine a major trade exhibition for the aerospace and defence industries with public air shows.

“Besides global leaders and big investors in aerospace industry, the show will also see participation by think-tanks from across the world,” the government said.

Stating that the Aero India will provide a unique opportunity for exchange of information, ideas and new developments in the aviation industry, the government said that it will give a “fillip to the domestic aviation industry it would further the cause of Make in India”

अग्रवाल समाज के व्यक्ति विवाह-शादियों में पहली मिलनी महाराजा अग्रसैन जी के नाम पर ले – बजरंग गर्ग 

पंचकूला :

अग्रोहा विकास ट्रस्ट अग्रोहा धाम के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष व व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने वैश्य समाज के प्रतिनिधियों की बैठक लेने के उपरांत अग्रवाल भवन में पत्रकार वार्ता में कहा कि अग्रवाल विकास ट्रस्ट द्वारा पंचकूला में 4 नवंबर 2018 को उत्तरी भारत का 13 वां युवक-युवती परिचय सम्मेलन का भव्य आयोजन संस्था के प्रधान सत्यनारायण गुप्ता के नेतृत्व में किया जाएगा। जिसमें हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, दिल्ली, यूपी, राजस्थान व उत्तराखंड के अलावा देश भर से अग्रवाल युवक-युवती परिवार सहित भारी संख्या में भाग लेंगे। युवक-युक्तियों के परिचय फार्म भरवाने के लिए हर राज्य में अलग-अलग स्थान बनाए गए है। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि परिचय सम्मेलन के माध्यम से युवक-युवतियों को एक ही मंच पर मनचाहा वर-वधु मिलने में आसानी होती है। जबकि पंचकूला में परिचय सम्मेलन के माध्यम से लगभग अब तक 5000 परिवारों के रिश्ते हो चुके हैं। इतना ही नहीं इन रिश्तो के माध्यम से फजूल खर्चों पर रोक लगती है। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने समाज के व्यक्तियों से अपील की है कि वह विवाह- शादियों में पहली मिलनी महाराजा अग्रसेन जी के नाम की ली जाए व मिलनी चांदी व सोने की बजाए पहले की तरह कागज के रुपए की ले। श्री गर्ग ने कहां की देश की विकास व तरक्की में अहम भूमिका वैश्य समाज की है। जिन्होंने राष्ट्रीय व जनता के हित में मेडिकल कॉलेज, हॉस्पिटल, गौशाला, धर्मशाला, मंदिर, स्कूल, पियाऊ आदि संस्थाएं देश के गांव व शहरों में बना कर सेवा कार्यों में जुटा हुआ है। इतना ही नहीं केंद्र व प्रदेश की हर सरकारों को चलाने व देश के विकास कार्यों के लिए भी सबसे ज्यादा धन टैक्स के रूप में राजस्व देकर सरकार को पूरा सहयोग कर रहा है। मगर जो सहयोग केंद्र व प्रदेश की सरकारों से वैश्य समाज को मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा हैं। जिसके कारण आज देश का वैश्य समाज का परिवार रात-दिन व्यापार में पिछड़ता जा रहा है। जो समाज के साथ-साथ देश के हित में नहीं है। क्योंकि वैश्य समाज व्यापार व उद्योग के माध्यम से लाखों बेरोजगारों को रोजगार देकर बेरोजगारी को काफी हद तक कम करने में अपनी अहम भूमिका पूरे देश में निभा रहा हैै। राष्ट्रीय कार्यकारिणी अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार को देश की तरक्की, वैश्य समाज व व्यापारियों के हित में नई-नई योजना बनाकर ज्यादा से ज्यादा सुविधा व रियायते देनी चाहिए। ताकि देश में पहले से ज्यादा व्यापार व उद्योग को बढ़ावा मिल सके। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि बिना राजनीति के सामाजिक व धार्मिक कार्य पूरे करने में बड़ी भारी दिक्कतें समाज में आती है। श्री गर्ग ने कहा कि समाज के युवाओं से समाज व राष्ट्र के हित में आगे आकर ज्यादा से ज्यादा राजनीतिक में भागीदारी सुनिश्चित करें। इस मौके पर अग्रवाल विकास ट्रस्ट जिला प्रधान सत्यनारायण गुप्ता, संरक्षक कुसुम गुप्ता, उप प्रधान मनोज अग्रवाल, मनोज कुमार अग्रवाल, आनंद अग्रवाल, वरिष्ठ उपप्रधान प्रमोद जिंदल, सेक्रेटरी बी एम गुप्ता, राकेश गोयल, रामनाथ अग्रवाल, सचिव विपिन बिंदल, नरेंद्र जैन, वीरेंद्र गर्ग, कृष्ण गोयल, नरेश सिंगला, रामचरण सिंगला, विवेक सिंगला, राजेश जैन, इंद्र गुप्ता, सेक्रेटरी सचिन अग्रवाल, महिला अग्रवाल विकास ट्रस्ट प्रधान उषा अग्रवाल, कोषाध्यक्ष स्नेह लता गोयल, पी आर ओ रोहित आदि प्रतिनिधी भारी संख्या में मौजूद थे।

फोटो बाबत – अग्रोहा विकास ट्रस्ट अग्रोहा धाम व व्यापार मंडल के प्रान्तीय अध्यक्ष के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग गर्ग पत्रकार वार्ता करते हुए।