राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया ने असम व पुंडुचेरी में भाजपा के कार्यकर्ताओं को बधाई दी

पंचकूला, 3 मई:

 केंद्रीय जल शक्ति और सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से असम व पुंडुचेरी में भाजपा के कार्यकर्ताओं को बधाई दी।
कटारिया ने कहा देश की जनता ने पांच राज्यों के चुनाव में भाजपा को भरपूर समर्थन दिया है केरल को छोड़ दिया जाए तो अन्य राज्यों में भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा है। पश्चिम बंगाल के चुनाव परिणामों को विपक्ष द्वारा भाजपा की करारी हार के रूप में बढ़ा चढ़ा कर पेश करना बेमानी है। कटारिया ने कहा कि “हम चुनाव हारे हैं, अपना लक्ष्य नहीं हारे हैं”। हम तो अटल जी के इस आदर्श वाक्य को लेकर चलते हैं की “जीत गए तो मस्त नहीं हुए, अगर हार गए तो हौसले पस्त नहीं हुए”। कटारिया ने 1984 के लोकसभा के नतीजों की याद दिलाते हुए कहा कि हमें वह दिन भी याद है जब हमारे मात्र दो सांसद जीत कर आए थे, परंतु तब भी हमारे एक सामान्य कार्यकर्ता जंगा रेड्डी ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को चुनाव में धराशाही कर दिया था और आज भी नंदीग्राम चुनाव में हमारी पार्टी के शुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को धूल चटा कर यह संकेत दिया है कि हम चुनाव हारे हैं परन्तु डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के राष्ट्रवाद के सपने को पूरा करके पश्चिम बंगाल में भाजपा के परचम लहराए जाने का संघर्ष जारी रहेगा।
कटारिया ने कहा असम में हिमंता बिस्वा सरमा और मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल का विकास मॉडल प्रभावी रहा है, बंगाल में भाजपा अपेक्षित विजय ना हासिल कर सकी हो, पर 2016 में 3 सीटों और 10 फीसद वोट से लगभग 76  सीटें और करीब 38 फीसद वोट प्राप्त करना भी सराहनीय है स जिसकी शुरुआत 2019 के लोकसभा चुनावों से हो गई थी, जिसमें हमें 40 फीसद से अधिक वोट और 18 सीटें मिली थी। इसका कारण था बड़ी संख्या में दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों का भाजपा द्वारा समर्थन हासिल करना स भाजपा ने बंगाल में अपने संगठन कैडर और विचारधारा को विस्तार तो दिया ही है, साथ में बंगाल को भाजपा के रूप में एक सशक्त विपक्ष मिला है, जो लोकतंत्र के लिए जरूरी है।  बंगाल में कांग्रेस और वामपंथ का पूर्ण सफाया हो गया, लगता है भाजपा ने उनसे उनका जनाधार छीन लिया है।
कटारिया ने कहा पांच राज्यों के चुनाव परिणामों से कुछ बातें उजागर की जा सकती हैं। भाजपा की राष्ट्रीय स्तर पर उपस्थिति बढ़ी है, महिलाओं का रुझान भाजपा की ओर बढ़ा है और वह जाति धर्म से ऊपर उठकर एक वर्ग के रूप में वोट देने लगी हैं। संभवतः मोदी के विकास मॉडल में जातियों के प्रभाव को कम करने का बीज है। महिला राजनीतिक सशक्तिकरण में मोदी ने आर्थिक सशक्तिकरण का तड़का लगा दिया है, अधिकतर योजनाओं को महिलाओं से जोड़कर उनके खाते में सीधे पैसे भेज कर मोदी ने महिलाओं को वित्तीय स्वायत्तता देकर उनकी आकांक्षाओं को जैसे पंख दे दिए हैं, महिला चेतना राजनीतिक अस्मिता के रूप में उभरी है, जिससे जाति धर्म के बंधन को तोड़ महिला मतदाता सामाजिक वर्ग के रूप में स्वायत्त संगठित हो गई है।
कटारिया ने कहा सुरक्षा और विकास राजनीति के दो पहलू होते हैं। मोदी ने इन दोनों पर पकड़ बना समावेशी राजनीति की है, जिससे आज 18 राज्यों में भाजपा/ राजग की सरकारें हैं। इन चुनावों में कांग्रेस का जैसे और ह्रास हो गया है। कटारिया ने कहा पुंडुचेरी और केरल में जहां इस बार कांग्रेस की सरकार बननी चाहिए थी, वहां भी उसे शिकस्त मिली है, बंगाल से तो जैसे कांग्रेस का निशान ही मिट गया है और असम में भी उसे घोर निराशा मिली है, इसके बावजूद कांग्रेस, नेतृत्व और संगठन को लेकर हठधर्मिता अपनाए हुए हैं। अंतिम प्रवृत्ति चुनाव आयोग पर आरोप लगाने को लेकर है।
कटारिया ने कहा अमेरिका जैसे विकसित देश में अभी तक भारत से 3 गुना ज्यादा लोग करोना महामारी से मर चुके हैं लेकिन वहां विपक्षी दल,  मीडिया या न्यायपालिका ने उसका ठीकरा सरकार पर नहीं फोड़ा। यहां आपदा से लड़ने के बजाय सभी मोदी सरकार से लड़ने में लगे हैं। कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र में गृह और वित्त मंत्री रहे पी. चिदंबरम ने कोविड आपदा प्रबंधन पर मोदी सरकार के विरुद्ध जनता से विद्रोह की अपील की? क्या यह लोकतंत्र में आस्था का प्रतीक है? यही कारण है कि बंगाल में कभी दूसरे नंबर पर रही कांग्रेस आज यदि हाशिए पर चली गई है तो अपने कर्मों के कारण। पांच राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में हैसियत और घटना तय है, वह केवल अपना ही नहीं विपक्ष का भी नुकसान कर रही है। कांग्रेस बंगाल में तो हाशिए पर गई ही है, असम में भी फिर से भाजपा के हाथों पराजित हुई है और उस केरल में भी हार गई है जहां इस बार उसके नेतृत्व वाले मोर्चे की बारी थी वाम मोर्चे ने सत्ता अपने पास बनाए रखकर यह भी बताया कि राहुल गांधी का वायनाड से लोकसभा चुनाव लड़ना कांग्रेस के लिए काम कारगर साबित नहीं हुआ हैं।