पंचांग 21 अप्रैल 2022

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

नोटः आज से वैशाख शक प्रारम्भ है।

विक्रमी संवत्ः 2079, 

शक संवत्ः 1944, 

मासः वैशाख़, 

पक्षः कृष्ण

तिथिः पंचमी, प्रातः 11.13 तक है, 

वारः गुरूवार, 

नक्षत्रः मूल रात्रि 09.52 तक है।

विशेषः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।

 योगः परिघ प्रातः काल 10.21 तक, 

करणः तैतिल, 

सूर्य राशिः मेष,  चंद्र राशिः धनु, 

राहु कालः दोपहर दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 05.55,  सूर्यास्तः 06.46 बजे। 

आज जाएष्ठ मास से ग्रीषम ऋतु आरंभ

ग्रीष्म ऋतु साल का सबसे गर्म मौसम होता है, जिसमें दिन के समय बाहर जाना काफी मुश्किल होता है। इस दौरान लोग आमतौर पर  बाजार देर शाम या रात में जाते हैं। बहुत से लोग गर्मियों में सुबह में टहलना पसंद करते हैं। इस मौसम में धूल से भरी हुई, शुष्क और गर्म हवा पूरे दिन भर चलती रहती है। कभी-कभी लोग अधिक गरमी के कारण हीट-स्ट्रोक, डीहाइड्रेशन (पानी की कमी), डायरिया, हैजा, और अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से भी प्रभावित हो जाते हैं।

राजविरेन्द्र वसिष्ठ, डेमोक्रेटिक फ्रंट, ऋतु वर्णन डेस्क, चंडीगढ़ – वैशाख़ कृष्ण चतुर्थी :

ज्येष्ठ और आषाढ़ ‘ग्रीष्म ऋतु’ के मास हैं। इसमें सूर्य उत्तरायण की ओर बढ़ता है। ग्रीष्म ऋतु प्राणीमात्र के लिए कष्टकारी अवश्य है, पर तप के बिना सुख-सुविधा को प्राप्त नहीं किया जा सकता। यह ऋतु अंग्रेजी कैलेंडर अनुसार मई और जून में रहती है।

मादक वसन्त का अन्त होते ही ग्रीष्म की प्रचंडता आरम्भ हो जाती है। वसन्त ऋतु काम से, ग्रीष्म क्रोध से सम्बन्धित है। ग्रीष्म ऋतु, भारतवर्ष की छह ऋतओं में से एक ऋतु है, जिसमें वातावरण का तापमान प्रायः उच्च रहता है। दिन बड़े हो जाते हैं रातें छोटी।  शीतल सुंगधित पवन के स्थान पर गरम-गरम लू चलने लगती है। धरती जलने लगती है। नदी-तलाब सूखने लगते हैं। कमल कुसुम मुरझा जाते हैं। दिन बड़े होने लगते हैं। सर्वत्र अग्नि की वर्षा होती-सी प्रतीत होती है। शरद ऋतु का बाल सूर्य ग्रीष्म ऋतु को प्राप्त होते ही भगवान शंकर की क्रोधाग्नि-सी बरसाने लगा है। ज्येष्ठ मास में तो ग्रीष्म की अखंडता और भी प्रखर हो जाती है। छाया भी छाया ढूंढने लगती है।

  एक और दोहे में कवि बिहारी कहते हैं कि ग्रीष्म की दोपहरी में गर्मी से व्याकुल प्राणी वैर-विरोध की भावना को भूल जाते हैं। परस्पर विरोध भाव वाले जन्तु एक साथ पड़े रहते हैं। उन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता है मनो यह संसार कोई तपोवन में रहने वाले प्राणियों में किसी के प्रति दुर्भावना नहीं होतीं । बिहारी का दोहा इस प्रकार है –

 गर्मी में दिन लम्बे और रातें छोटी होती हैं। दोपहर का भोजन करने पर सोने व आराम करने की तबियत होती है। पक्की सड़कों का तारकोल पिघल जाता है। सड़कें तवे के समान तप जाती हैं –

ग्रीष्म की प्रचंडता का प्रभाव प्राणियों पर पड़े बिना नहीं रहता। शरीर में स्फूर्ति का स्थान आलस्य ले लेता है। तनिक-सा श्रम करते ही शरीर पसीने से सराबोर हो जाता है। कण्ठ सूखने लगता है। अधिक श्रम करने पर बहुत थकान हो जाती है। इस मौसम में यात्रा करना भी दूभर हो जाता है। यह ऋतु प्रकृति के सर्वाधिक उग्र रुप की द्योतक है।

भारत में सामान्यतया 15 मार्च से 15 जून तक ग्रीष्म मानी जाती है। इस समय तक सूर्य भूमध्य रेखा से कर्क रेखा की ओर बढ़ता है, जिससे सम्पूर्ण देश में तापमान में वृद्धि होने लगती है। इस समय सूर्य के कर्क रेखा की ओर अग्रसर होने के साथ ही तापमान का अधिकतम बिन्दु भी क्रमशः दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ता जाता है और मई के अन्त में देश के उत्तरी-पश्चिमी भाग में 48डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। उत्तर पश्चिमी भारत के शुष्क भागों में इस समय चलने वाली गर्म एवं शुष्क हवाओं को ‘लू’ कहा जाता है। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रायः शाम के समय धूल भरी आँधियाँ आती है, जिनके कारण दृश्यता तक कम हो जाती है। धूल की प्रकृति एवं रंग के आधार पर इन्हें काली अथवा पीली आंधियां कहा जाता है। सामुद्रिक प्रभाव के कारण दक्षिण भारत में इन गर्म पवनों तथा आंधियों का अभाव पाया जाता है।

त्योहार- ग्रीष्म माह में अच्छा भोजन और बीच-बीच में व्रत करने का प्रचलन रहता है। इस माह में निर्जला एकादशी, वट सावित्री व्रत, शीतलाष्टमी, देवशयनी एकादशी और गुरु पूर्णिमा आदि त्योहार आते हैं। गुरु पूर्णिमा के बाद से श्रावण मास शुरू होता है और इसी से ऋतु परिवर्तन हो जाता है और वर्षा ऋतु का आगमन हो जाता है।

रीतिकालीन कवियों में सेनापति का ग्रीष्म ऋतु वर्णन अत्यन्त प्रसिद्ध है।–

रासो काव्य रचनाकार ‘अब्दुल रहमान’ द्वारा लिखी गई सन्देश रासक में षड्ऋतुवर्णन ग्रीष्म से प्रारम्भ होता है…

ग्रीष्म शब्द ग्रसन से बना है। ग्रीष्म ऋतु में सूर्य अपनी किरणों द्वारा पृथ्वी के रस को ग्रस लेता है।

भागवत पुराण में ग्रीष्म ऋतु में कृष्ण द्वारा कालिया नाग के दमन की कथा आती है जिसको उपरोक्त आधार पर समझा जा सकता है । भागवत पुराण का द्वितीय स्कन्ध सृष्टि से सम्बन्धित है जिसकी व्याख्या अपेक्षित है।

शतपथ ब्राह्मण में ग्रीष्म का स्तनयन/गर्जन से तादात्म्य कहा गया है जिसकी व्याख्या अपेक्षित है।

जैमिनीय ब्राह्मण 2.51 में वाक् या अग्नि को ग्रीष्म कहा गया है ।

तैत्तिरीय संहिता में ग्रीष्म ऋतु यव प्राप्त करती है। तैत्तिरीय ब्राह्मण में ग्रीष्म में रुद्रों की स्तुति का निर्देश है। तैत्तरीय संहिता में ऋतुओं एवं मासों के नाम बताये गये है,जैसे :- बसंत ऋतु के दो मास- मधु माधवग्रीष्म ऋतु के शुक्र-शुचिवर्षा के नभ और नभस्यशरद के इष ऊर्जहेमन्त के सह सहस्य और शिशिर ऋतु के दो माह तपस और तपस्य बताये गये हैं।

चरक संहिता में कहा गया हैः …… शिशिर ऋतु उत्तम बलवाली, वसन्त ऋतु मध्यम बलवाली और ग्रीष्म ऋतु दौर्बल्यवाली होती है। ग्रीष्म ऋतु में गरम जलवायु पित्त एकत्र करती है। प्रकृति में होने वाले परिवर्तन शरीर को प्रभावित करते हैं। इसलिए व्यक्ति को साधारण रूप से भोजन तथा आचार-व्यवहार के साथ प्रकृति और उसके परिवर्तनों के साथ सामंजस्य स्थापित करना चाहिए । तापमान बढ़ने पर पित्त उत्तेजित होता है तथा शरीर में जमा हो जाता है। व्याधियों से बचाव के लिए ऋतु के अनुकूल आहार तथा गतिविधियों का पालन जरूरी है।

होलिकोत्सव में सरसों के चूर्ण से उबटन लगाने की परंपरा है, ताकि ग्रीष्म ऋतु में त्वचा की सुरक्षा रहे। आदिकाल से उत्तर भारत में जहाँ तेज गर्मी होती है, गरम हवाएँ चलती हैं वहाँ पर त्वाचा की लाली के शमन के लिए प्राय: लोग सरसों के बीजों के उबटन का प्रयोग करते हैं।

नवरात्री दुर्गा पूजा वर्ष में दो बार आती है। यह जलवायु प्रधान पर्व है। अतः एक बार यह पर्व ग्रीष्म काल आगमन में राम नवरात्रि चैत्र (अप्रैल मई) के नाम से जाना जाता है। दूसरी बार इसे दुर्गा नवरात्रि अश्विन(सितम्बर-अकतूबर) मास में मनाया जाता है। यह समय शीतकाल के आरम्भ का होता है। यह दोनो समय ऋतु परिवर्तन के है।

प्रकृति-चित्रण में बिहारी किसी से पीछे नहीं रहे हैं। षट ॠतुओं का उन्होंने बड़ा ही सुंदर वर्णन किया है। ग्रीष्म ॠतु का चित्र देखिए –

कालिदास ने अभिज्ञानशाकुन्तलम् और ऋतुसंहार में ग्रीष्म ऋतु का वर्णन किया है-

अभिज्ञानशाकुन्तलम्- नाटक के प्रारम्भ में ही ग्रीष्म-वर्णन करते हुए लिखा कि वन-वायु के पाटल की सुगंधि से मिलकर सुगंधित हो उठने और छाया में लेटते ही नींद आने लगने और दिवस का अन्त रमणीय होने के द्वारा नाटक की कथा-वस्तु की मोटे तौर पर सूचना दे दी गई है, जो क्रमशः पहले शकुन्तला और दुष्यन्त के मिलन, उसके बाद नींद-प्रभाव से शकुन्तला को भूल जाने और नाटक का अन्त सुखद होने की सूचक है।

ऋतुसंहार में महाकवि कालिदास कहते हैं- प्रथम सर्ग के ग्रीष्म ऋतु के वर्णन में गीतिकार अपनी प्रियतमा को प्यार भरा सम्बोधन कर कहता है। प्रिये देखो, यह घोर गर्मी का मौसम है। इस ऋतु में सूर्य बहुत ही प्रचण्ड हो जाता है, -चन्द्र किरणें सुहानी लगती हैं, जल में स्नान करना भला लगता है। सांयकाल बड़ा रमणीयहो जाता है क्योंकि उस समय सूर्य का ताप नहीं सताता ! काम भावना भी प्रायः शिथिल पड़ जाता है। संभवतः इस सन्दर्भ में युवा कवि की यह सूचना रही हो कि ऋतु राजबसन्त में कामोद्रेक द्विगुणित हो जाता है।

गर्मी की रात में चन्द्र किरणों से रात्रि की कालिमा क्षी हो जाने से चाँदनी राते बहुत ही सुहावनी लगती है। ऐसे ही उष्पकाल में जिन भवनों में जल यन्त्र (फब्बारे) लगे रहते हैं, वे भी अति मनोरम लगते हैं । ठण्डक देने वाले चन्द्रकान्त मणि और सरस चन्दन का सेवन अति सुखकर लगता है। ग्रीष्म की चाँदनी रातों में धवल भवनों की छतों पर सुख से सोई ललनाओं के मुखों की कालि को देखकर चन्द्रमा बहुत ही उत्कण्ठित हो जाता है और रात्रि समाप्ति की वेला में  उनकी सुन्दरता से लजा कर फीका पड़ जाता है।

ग्रीष्म ऋतु में मयूर, सूर्य के आतप से इतने परितप्त हो जाते है कि अपने पंखों की छाया में धूप निवारण के लिए आ छिपे सॉपों को भी नहीं खाते, जबकि यह सर्प उनके भक्ष्य जंगल में फैली हुयी दावाग्नि का भी सरस चित्रण कवि करता है । पर्वत की गुफाओं में हवा का जोर पकड़कर दवानल बढ़ रहा है। सूखे बॉसों में चर-चर की आवाज आ रही है क्योकि जलने से ये शब्द करते है । जो अभभ दूर थी वहीं दावाग्नि सूखे तिनकों में फैलकर बढ़ती ही जाती है । इसी तरह से इधर-उधर घूमने वाले हरेषों को व्याकुल कर देती है। इस तरह से कवि ने प्रथम सर्ग में ग्रीष्म ऋतु का हृदय हारी वर्णन किया है ।

ज्येष्ठ की गर्मी- ज्येष्ठ हिन्दू पंचांग का तीसरा मास है। ज्येष्ठ या जेठ माह गर्मी का माह है। इस महीने में बहुत गर्मी पडती है। फाल्गुन माह में होली के त्योहार के बाद से ही गर्मियाँ प्रारम्भ हो जाती हैं। चैत्र और बैशाख माह में अपनी गर्मी दिखाते हुए ज्येष्ठ माह में वह अपने चरम पर होती है। ज्येष्ठ गर्मी का माह है। इस माह जल का महत्त्व बढ जाता है। इस माह जल की पूजा की जाती है और जल को बचाने का प्रयास किया जाता है। प्राचीन समय में ऋषि मुनियों ने पानी से जुड़े दो त्योहारों का विधान इस माह में किया है-

ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को गंगा दशहरा

ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को निर्जला एकादशी

इन त्योहारों से ऋषियों ने संदेश दिया कि गंगा नदी का पूजन करें और जल के महत्त्व को समझें। गंगा दशहरे के अगले दिन ही निर्जला एकादशी के व्रत का विधान रखा है जिससे संदेश मिलता है कि वर्ष में एक दिन ऐसा उपवास करें जिसमें जल ना ग्रहण करें और जल का महत्त्व समझें। ईश्वर की पूजा करें। गंगा नदी को ज्येष्ठ भी कहा जाता है क्योंकि गंगा नदी अपने गुणों में अन्य नदियों से ज्येष्ठ(बडी) है। ऐसी मान्यता है कि नर्मदा और यमुना नदी गंगा नदी से बडी और विस्तार में ब्रह्मपुत्र बड़ी है किंतु गुणों, गरिमा और महत्त्व की दृष्टि से गंगा नदी बड़ी है। गंगा की विशेषता बताता है ज्येष्ठ और ज्येष्ठ के शुक्ल पक्ष की दशमी गंगा दशहरा के रूप में गंगा की आराधना का महापर्व है।

निर्जला एकादशी- भीषण गर्मी के बीच तप की पराकाष्टा को दर्शाता है यह व्रत। इसमें दान-पुण्य एवं सेवा भाव का भी बहुत बड़ा महत्व शास्त्रों में बताया गया है।  ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी कहलाती है। अन्य महीनों की एकादशी को फलाहार किया जाता है, परंतु इस एकादशी को फल तो क्या जल भी ग्रहण नहीं किया जाता। यह एकादशी ग्रीष्म ऋतु में बड़े कष्ट और तपस्या से की जाती है। अतः अन्य एकादशियों से इसका महत्व सर्वोपरि है। इस एकादशी के करने से आयु और आरोग्य की वृद्धि तथा उत्तम लोकों की प्राप्ति होती है। महाभारत के अनुसार अधिक माससहित एक वर्ष की छब्बीसों एकादशियां न की जा सकें तो केवल निर्जला एकादशी का ही व्रत कर लेने से पूरा फल प्राप्त हो जाता है।

वृषस्थे मिथुनस्थेऽर्के शुक्ला ह्येकादशी भवेत्‌

ज्येष्ठे मासि प्रयत्रेन सोपाष्या जलवर्जिता।

नवतपा- नवतपा को ज्येष्ठ महीने के ग्रीष्म ऋतु में तपन की अधिकता का द्योतक माना जाता है। सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करने के साथ नवतपा शुरू हो जाता है। शुक्ल पक्ष में आर्द्रा नक्षत्र से लेकर 9 नक्षत्रों में 9 दिनों तक नवतपा रहता है। नवतपा में तपा देने वाली भीषण गर्मी पड़ती है। नवतपा में सूर्यदेव लोगों के पसीने छुड़ा देते हैं। पारा एक दम से 48 डिग्री पर पहुंच जाता है। जबकि न्यूनतम तापमान 32 डिग्री तक रहता है। लेकिन नवतपा के बाद एक अच्छी खबर आती है आर्द्रा के 10 नक्षत्रों तक जिस नक्षत्र में सबसे अधिक गर्मी पड़ती है, आगे चलकर उस नक्षत्र में 15 दिनों तक सूर्य रहते हैं और अच्छी वर्षा होती है।

राग दीपक- ग्रीष्म की जलविहीन शुष्क ऋतु में भी कलाकार की रचनाधर्मिता जागृत रहती है। संगीतकार इस उष्ण वातावरण को राग दीपक के स्वरों में प्रदर्शित करता है तो चित्रकार रंग तथा तूलिका के माध्यम से राग दीपक को चित्र में साकार करता है। भारतीय मान्यताओं के अनुसार राग के गायन के ऋतु निर्धारित है । सही समय पर गाया जाने वाला राग अधिक प्रभावी होता है । राग और उनकी ऋतु इस प्रकार है –

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तानसेन और राग दीपक- परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है। ग्रीष्म की तपन के पश्चात आकाश में छाने लगते हैं – श्वेत-श्याम बादलों के समूह तथा संदेश देते हैंजन-जन में प्राणों का संचार करने वाली बर्षा ऋतु के आगमन का। आकाश में छायी श्यामल घटाओं तथा ठंडी-ठंडी बयार के साथ झूमती आती है जन-जन को रससिक्त करतीजीवन दायिनी वर्षा की प्रथम फुहार। वर्षा की सहभागिनी ग्रीष्म की उष्णता आकाश से जल बिंदुओं के रूप में पुन: धरती पर अवतरित होती है किंतु अपने नवीन मनमोहक रूप में। उष्ण वातावरण के कारण घिर आये मेघ तत्पश्चात जीवनदान करती वर्षा का प्रसंग एक किवदंती में प्राप्त होता है जिसके अनुसार बादशाह अकबर ने दरबार में गायक तानसेन से ग्रीष्म ऋतु का राग दीपक‘ सुनने का अनुरोध किया। तानसेन के स्वरों के साथ वातावरण में ऊष्णता व्याप्त होती गयी। सभी दरबारीगण तथा स्वयं तानसेन भी बढ़ती गरमी को सहन नहीं कर पा रहे थे। लगता थाजैसे सूर्य देव स्वयं धरती पर अवतरित होते जा रहे हैं। तभी कहीं दूर से राग मेघ के स्वरों के साथ मेघ को आमंत्रित किया जाने लगा। जल वर्षा के कारण ही गायक तानसेन की जीवन रक्षा हुई। 

आयुर्वेद के अनुसार ग्रीष्म ऋतु में कौन सा पकवान और मिष्ठान लाभदायक होता है…

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वसंत ऋतु की समाप्ति के बाद ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है। अप्रैल, मई तथा जून के प्रारंभिक दिनों का समावेश ग्रीष्म ऋतु में होता है। इन दिनों में सूर्य की किरणें अत्यंत उष्ण होती हैं। इनके सम्पर्क से हवा रूक्ष बन जाती है और यह रूक्ष-उष्ण हवा अन्नद्रव्यों को सुखाकर शुष्क बना देती है तथा स्थिर चर सृष्टि में से आर्द्रता, चिकनाई का शोषण करती है। इस अत्यंत रूक्ष बनी हुई वायु के कारण, पैदा होने वाले अन्न-पदार्थों में कटु, तिक्त, कषाय रसों का प्राबल्य बढ़ता है और इनके सेवन से मनुष्यों में दुर्बलता आने लगती है। शरीर में वातदोष का संचय होने लगता है। अगर इन दिनों में वातप्रकोपक आहार-विहार करते रहे तो यही संचित वात ग्रीष्म के बाद आने वाली वर्षा ऋतु में अत्यंत प्रकुपित होकर विविध व्याधियों को आमंत्रण देता है। आयुर्वेद चिकित्सा-शास्त्र के अनुसार ‘चय एव जयेत् दोषं।’ अर्थात् दोष जब शरीर में संचित होने लगते हैं तभी उनका शमन करना चाहिए। अतः इस ऋतु में मधुर, तरल, सुपाच्य, हलके,जलीय, ताजे, स्निग्ध, शीत गुणयुक्त पदार्थों का सेवन करना चाहिए। जैसे कम मात्रा में श्रीखंड, घी से बनी मिठाइयाँ, आम, मक्खन, मिश्री आदि खानी चाहिए। इस ऋतु में प्राणियों के शरीर का जलीयांश कम होता है जिससे प्यास ज्यादा लगती है। शरीर में जलीयांश कम होने से पेट की बीमारियाँ, दस्त, उलटी, कमजोरी, बेचैनी आदि परेशानियाँ उत्पन्न होती हैं। इसलिए ग्रीष्म ऋतु में कम आहार लेकर शीतल जल बार-बार पीना हितकर है।

आहारः ग्रीष्म ऋतु में साठी के पुराने चावलगेहूँदूधमक्खनगुलाब का शरबत, आमपन्ना से शरीर में शीतलतास्फूर्ति तथा शक्ति आती है। सब्जियों में लौकीगिल्कीपरवलनींबूकरेलाकेले के फूलचौलाईहरी ककड़ीहरा धनिया,पुदीना और फलों में द्राक्षतरबूजखरबूजाएक-दो-केलेनारियलमौसमीआमसेबअनारअंगूर का सेवन लाभदायी है। इस ऋतु में तीखे, खट्टे, कसैले एवं कड़वे रसवाले पदार्थ नहीं खाने चाहिए। नमकीन, रूखा, तेज मिर्च-मसालेदार तथा तले हुए पदार्थ, बासी एवं दुर्गन्धयुक्त पदार्थ, दही, अमचूर, आचार, इमली आदि न खायें। गरमी से बचने के लिए बाजारू शीत पेय (कोल्ड ड्रिंक्स), आइस क्रीम, आइसफ्रूट, डिब्बाबंद फलों के रस का सेवन कदापि न करें। इनके सेवन से शरीर में कुछ समय के लिए शीतलता का आभास होता है परंतु ये पदार्थ पित्तवर्धक होने के कारण आंतरिक गर्मी बढ़ाते हैं। इनकी जगह कच्चे आम को भूनकर बनाया गया मीठा पनापानी में नींबू का रस तथा मिश्री मिलाकर बनाया गया शरबतजीरे की शिकंजीठंडाईहरे नारियल का पानीफलों का ताजा रसदूध और चावल की खीरगुलकंद आदि शीत तथा जलीय पदार्थों का सेवन करें। इससे सूर्य की अत्यंत उष्ण किरणों के दुष्प्रभाव से शरीर का रक्षण किया जा सकता है।

‘सती अनुसूया’ जयंती

भगवान विष्णु के अवतार दत्तात्रेय के जन्म के बारे में कथा के अनुसार सती अनुसूया की कोख से ब्रह्मा जी के अंश से चंद्रमा, विष्णु जी के अंश से दत्तात्रेय और शिव जी के अंश से दुर्वासा मुनि ने जन्म लिया था।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, धर्म डेस्क, चंडीगढ़ – 20 अप्रैल :

सती अनुसुया को पतिव्रता धर्म के लिए जाना जाता है। इस वर्ष इनकी जयंती 20 अप्रैल 2022 को मनाई जाएगी। देवी अनुसुईया की पवित्रता और उनका साध्वी रुप सभी विवाहित महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहा है। देवी अनुसुईया जयंती के अवसर पर मंदिरों में विशेष पूजा आरती की जाती है। विवाहित महिलाएं इस दिन के व्रत का पालन कर, सती अनुसुईया के दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेती है। देवी अनुसुईया प्रसन्न होकर अपने भक्तों के दुख दूर करती हैं और उन्हें अखंड सौभाग्यवती होने का वर देती है। भारत वर्ष के उतराखंड राज्य में देवी अनुसुईया का एक प्रसिद्ध व प्राचीन मंदिर है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह वहीं स्थान है जहां माता देवी की परीक्षा त्रिदेवों ने ली थी। माता अनुसुईया के जन्मदिवस के अवसर पर स्त्रियां अपने वैवाहिक स्त्री धर्म का पालन करते हुए सती अनुसुईयां जयंती का पूजन करती है।

यह माना जाता है कि उत्तराखंड में स्थित माता अनुसुईया के मंदिर में रात्रि में जप और जागरण करने की परंपरा है। इस मंदिर में निसंतान दंपत्ति जप और जागरण कर पूजा अर्चना कर संतान कामना करते है। यह जप-तप, अनुष्ठान शनिवार की रात्रि में करने का प्रावधान है। इस मंदिर को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है कि इस मंदिर में त्रिदेव माता की परीक्षा लेने के लिए बालक रुप में आए थे और तीनों देवों ने देवी से भोजन कराने की प्रार्थना की। देवी ने अपने सतीत्व से त्रिदेवों को पहचान लिया, इससे त्रिदेव असली रुप में आ गए। माता अनुसुईया से भगवान शिव दुर्वासा के रुप में मिले थे।

दक्ष प्रजापति की चौबीस कन्याओं में से एक थी अनुसूया जो मन से पवित्र एवं निश्छल प्रेम की परिभाषा थीं इन्हें सती साध्वी रूप में तथा एक आदर्श नारी के रूप में जाना जाता है. अत्यन्त उच्च कुल में जन्म होने पर भी इनके मन में कोई अंह का भाव नहीं था.

इनका संपूर्ण जीवन ही एक आदर्श रहा है. पौराणिक तथ्यों के आधार की यदि बात की जाए तो माता सीता जी भी इनके तेज से बहुत प्रभावित हुई थी तथा उनसे प्राप्त भेंट को सहर्ष स्वीकार करते हुए नमन किया. अनुसूया जी का विवाह ब्रह्मा जी के मानस पुत्र परम तपस्वी महर्षि अत्रि जी के साथ हुआ था. अपने सेवा तथा समर्पित प्रेम से इन्होंने अपने पति धर्म का सदैव पालन किया.

कहा जाता है कि देवी अनसुया बहुत पतिव्रता थी जिस कारण उनकी ख्याती तीनों लोकों में फैल गई थी. उनके इस सती धर्म को देखकर देवी पार्वती, लक्ष्मी जी और देवी सरस्वती जी के मन में द्वेष का भाव जागृत हो गया था. जिस कारण उन्होंने अनसूइया कि सच्चाई एवं पतीव्रता के धर्म की परिक्षा लेने की ठानी तथा अपने पतियों शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी को अनसूया के पास परीक्षा लेने के लिए भेजना चाहा.

भगवानों ने देवीयों को समझाने का पूर्ण प्रयास किया किंतु जब देवियां नहीं मानी तो विवश होकर तीनो देवता ऋषि के आश्रम पहुँचे. वहां जाकर देवों ने सधुओं का वेश धारण कर लिया और आश्रम के द्वार पर भोजन की मांग करने लगे. जब देवी अनसूया उन्हें भोजन देने लगी तो उन्होंने देवी के सामने एक शर्त रखी की वह तीनों तभी यह भोजन स्वीकार करेंगे जब देवी निर्वस्त्र होकर उन्हें भोजन परोसेंगी. इस पर देवी चिंता में डूब गई वह ऎसा कैसे कर सकती हैं. अत: देवी ने आंखे मूंद कर पति को याद किया इस पर उन्हें दिव्य दृष्टि प्राप्त हुई तथा साधुओं के वेश में उपस्थित देवों को उन्होंने पहचान लिया. तब देवी अनसूया ने कहा की जो वह साधु चाहते हैं वह ज़रूर पूरा होगा किंतु इसके लिए साधुओं को शिशु रूप लेकर उनके पुत्र बनना होगा.साधुओं का अपमान न हो इस डर से घबराई अनुसूइया ने पति का स्मरण कर कहा कि यदि मेरा पतिव्रत्य धर्म सत्य है तो ये तीनों साधु 6 मास के शिशु हो जाएं। इस बात को सुनकर त्रिदेव शिशु रूप में बदल गए जिसके फलस्वरूप माता अनसूइया ने देवों को अनुसूइया ने माता बनकर त्रिदेवों को स्तनपान  भोजन करवाया. इस तरह तीनों देव माता के पुत्र बन कर रहने लगे.

इस पर अधिक समय बीत जाने के पश्चात भी त्रिदेव देवलोक नहीं पहुँचे तो पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती जी चिंतित एवं दुखी हो गई  तब नारद ने त्रिदेवियों को सारी बात बताई। त्रिदेवियां ने अनुसूइया से क्षमा याचना की। तब अनुसूइया ने त्रिदेव को अपने पूर्व रूप में ला दिया। प्रसन्नचित्त त्रिदेवों ने देवी अनुसूइया को उनके गर्भ से पुत्र रूप में जन्म लेने का वरदान दिया। तब ब्रह्मा अंश से चंद्र, शंकर अंश से दुर्वासा व विष्णु अंश से दत्तात्रेय का जन्म हुआ।

इस पर तीनों देवियों ने सती अनसूइया के समक्ष क्षमा मांगी एवं अपने पतियों को बाल रूप से मूल रूप में लाने की प्रार्थना की ऐस पर माता अनसूया ने त्रिदेवों को उनका रूप प्रदान किया और तभी से वह मां सती अनसूइया के नाम से प्रसिद्ध हुई. स्त्रियां मां सती अनसूया से पतिव्रता होने का आशिर्वाद पाने की कामना करती हैं. प्रति वर्ष सती अनसूइया जी जयंती का आयोजन किया जाता है. इस उत्सव के समय मेलों का भी आयोजन होता है. रामायण में इनके जीवन के विषय में बताया गया है जिसके अनुसार वनवास काल में जब राम, सीता और लक्ष्मण जब महर्षि अत्रि के आश्रम में जाते हैं तो अनुसूया जी ने सीता जी को पतिव्रत धर्म की शिक्षा दी थी

Panchang

पंचांग, 20 अप्रैल 2022

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

नोटः आज ग्रीष्म ऋतु प्रारम्भ, श्री सतीअनुसूइया जयंती है।

माता सतीअनुसूइया जयंती : यह माना जाता है कि उत्तराखंड में स्थित माता अनुसुईया के मंदिर में रात्रि में जप और जागरण करने की परंपरा है। इस मंदिर में निसंतान दंपत्ति जप और जागरण कर पूजा अर्चना कर संतान कामना करते है। यह जप-तप, अनुष्ठान शनिवार की रात्रि में करने का प्रावधान है। इस मंदिर को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है कि इस मंदिर में त्रिदेव माता की परीक्षा लेने के लिए बालक रुप में आए थे और तीनों देवों ने देवी से भोजन कराने की प्रार्थना की। देवी ने अपने सतीत्व से त्रिदेवों को पहचान लिया, इससे त्रिदेव असली रुप में आ गए। माता अनुसुईया से भगवान शिव दुर्वासा के रुप में मिले थे।

आज ग्रीष्म ऋतु प्रारम्भ : ज्येष्ठ और आषाढ़ ‘ग्रीष्म ऋतु’ के मास हैं। इसमें सूर्य उत्तरायण की ओर बढ़ता है। ग्रीष्म ऋतु प्राणीमात्र के लिए कष्टकारी अवश्य है, पर तप के बिना सुख-सुविधा को प्राप्त नहीं किया जा सकता। यह ऋतु अंग्रेजी कैलेंडर अनुसार मई और जून में रहती है। आज ही से जाएष्ठ मास प्रारम्भ हो जाएगा, ग्रिशम ऋतु 20/21 अप्रैल से 15 जून (आषाढ़ मास की समाप्ती) तक चलेंगी

विक्रमी संवत्ः 2079, 

शक संवत्ः 1944, 

मासः वैशाख़, 

पक्षः कृष्ण, 

तिथिः चतुर्थी, दोपहर 01.53 तक है, 

वारः बुधवार, 

नक्षत्रः ज्येष्ठा रात्रि 11.41 तक है।

विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।

योगः वरीयान दोपहर काल 01.39 तक, करणः वणिज, 

सूर्य राशिः मेष,  चंद्र राशिः वश्चिक, 

राहु कालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक, 

सूर्योदयः 05.55,  सूर्यास्तः 06.46 बजे।

panchang

पंचांग 19 अप्रैल 2022

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

आज अंगारकी श्रीणेश चतुर्थी

नोटः आज अंगारकी श्रीणेश चतुर्थी व्रत है। विनायक श्री गणेश चतुर्थी आज यानी 19 अप्रैल 2022, मंगलवार को है। यूं तो विनायक चतुर्थी व्रत हर महीने के शुक्ल पक्ष में रखा जाता है। लेकिन नवरात्रि के दौरान पड़ने वाले चतुर्थी व्रत का महत्व और बढ़ रहा है। खास बात यह है कि मंगलवार के दिन विनायक चतुर्थी पड़ रही है। मंगलवार के दिन पड़ने वाली चतुर्थी को अंगारकी चतुर्थी के नाम से जानते हैं। मान्यता है कि आज के दिन भगवान श्रीगणेश की विधिवत पूजा करने से कर्ज से मुक्ति प्राप्त होती है। इसके साथ ही मां लक्ष्मी का घर पर आगमन होता है।

विक्रमी संवत्ः 2079, 

शक संवत्ः 1944, 

मासः वैशाख़, 

पक्षः कृष्ण, 

तिथिः तृतीया, सांय 04.39 तक है, 

वारः मंगलवार, 

नक्षत्रः अनुराधा रात्रि 25.39 तक है।

विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर मंगलवार को धनिया खाकर, लाल चंदन,मलयागिरि चंदन का दानकर यात्रा करें।

योगः व्यातिपात सांय काल 05.01 तक, 

करणः वणिज, 

सूर्य राशिः मेष,  चंद्र राशिः वृश्चिक, 

राहु कालः अपराहन् 3.00 से 4.30 बजे तक 

सूर्योदयः 05.56,  सूर्यास्तः 06.45 बजे।

Rashifal

राशिफल, 18 अप्रैल 2022

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति के बारे में जानने के लिए उसकी राशि ही काफी होती है। राशि से उस या अमूक व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य के बारे में जानना आसान हो जाता है। इतना ही नहीं, ग्रह दशा कोअपने विचारों को सकारात्मक रखें, क्योंकि आपको ‘डर’ नाम के दानव का सामना करना पड़ सकता है। नहीं तो आप निष्क्रिय होकर इसका शिकार हो सकते हैं। आपका कोई पुराना मित्र आज कारोबार में मुनाफा कमाने के लिए आपको सलाह दे सकता है, अगर इस सलाह पर आप अमल करते हैं तो आपको धन लाभ जरुर होगा। घरेलू मामलों पर तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत है। आपकी ओर से की गयी लापरावाही महंगी साबित हो सकती है। आपके प्रिय/जीवनसाथी का फ़ोन आपका दिन बना देगा।

aries
मेष/aries

18 अप्रैल 2022:  

आपका प्रबल आत्मविश्वास और आज के दिन का आसान कामकाज मिलकर आपको आराम के लिए काफ़ी वक़्त देंगे। आज के दिन आपको अपने उन दोस्तों से बचकर रहने की जरुरत है जो आपसे उधार मांगते हैं और फिर उसे लौटाते नहीं हैं। कुछ लोगों के लिए- परिवार में किसी नए का आना जश्न और उल्लास के पल लेकर आएगा। यात्रा के चलते रुमानी संबंध को बढ़ावा मिलेगा। नई चीज़ों को सीखने की आपकी ललक क़ाबिल-ए-तारीफ़ है। घर में पड़ी कोई पुरानी वस्तु आज आपको मिल सकती है जिससे आपको अपने बचपन के दिनों की याद सता सकती है और आप उदासी के साथ अपने दिन का काफी समय अकेले बिता सकते हैं। आज के दिन आप वैवाहिक जीवन का असली स्वाद चख सकते हैं।

अपनी व्यक्तिगत समस्या के निश्चित समाधान हेतु समय निर्धारित कर ज्योतिषाचार्य से संपर्क करे, दूरभाष : 8194959327

वृष/Taurus

18 अप्रैल 2022:  

आज शान्त और तनाव-रहित रहें। घर में किसी फंक्शन के होने की वजह से आज आपको बहुत धन खर्च करना पड़ेगा जिसके कारण आपकी आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है। घर में कुछ बदलाव लाने के लिए पहले बाक़ी लोगों की राय भली-भांति जान लें। आपका प्रिय आज कुछ खीझा हुआ महसूस कर सकता है, जो आपके दिमाग़ पर दबाव और बढ़ा देगा। कुछ लोगों को कार्यक्षेत्र में तरक़्क़ी मिलेगी। आज आपको अपनेे ससुराल पक्ष से कोई बुरी खबर मिल सकती है जिसके कारण आपका मन दुखी हो सकता है और आप काफी समय सोच विचार करने में गंवा सकते हैं। रिश्तेदारों के चलते जीवनसाथी से वाद-विवाद हो सकता है, लेकि आख़िर में सब ठिक हो जाएगा।

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मिथुन/Gemini

18 अप्रैल 2022 :  

असुरक्षा/ दुविधा के चलते आप असमंजस में फँस सकते हैं। आपके घर से जुड़ा निवेश फ़ायदेमंद रहेगा। अपने दिन की योजना सावधानी से तय करें। ऐसे लोगों से बात करें, जो आपकी मदद कर सकते हैं। दिन को ख़ास बनाने के लिए स्नेह और उदारता के छोटे-छोटे तोहफ़े लोगों को दें। जो काम आपने किया है, उसका श्रेय किसी और को न ले जाने दें। आज समय की नजाकत को देखते हुए आप अपने लिए समय निकाल सकते हैं लेकिन ऑफिस के किसी काम के अचानक आ जाने के कारण आप ऐसा करने में सफल नहीं हो पाएँगे। आज आपके वैवाहिक जीवन के सबसे अच्छे दिनों में से एक हो सकता है।

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कर्क/Cancer

18 अप्रैल 2022:  

बीमारी आपकी उदासी की वजह हो सकती है। आपको परिवार में फिर से ख़ुशी का माहौल बनाने के लिए जल्द-से-जल्द इससे बाहर आने की ज़रूरत है। जो लोग शादीशुदा हैं उन्हें आज अपने बच्चों की पढ़ाई पर अच्छा खासा धन खर्च करना पड़ सकता है। आपके बच्चे के पुरुस्कार वितरण समारोह का बुलावा आपके लिए ख़ुशनुमा एहसास रहेगा। वह आपकी उम्मीदों पर खरा उतरेगा और आप उसके ज़रिए अपने सपने साकार होते हुए देखेंगे। रोमांस आनन्ददायी और काफ़ी रोमांचक रहेगा। आप महसूस करेंगे कि आपकी रचनात्मकता कहीं खो गयी है और फ़ैसले करने में आपको ख़ासी दिक़्क़त का सामना करना पड़ेगा। उन लोगों से मेलजोल बढ़ाने से बचें जिनके साथ आपका वक्त खराब होता है। वैवाहिक सुख के दृष्टिकोण से आज आपको कुछ अनोखा उपहार मिल सकता है।

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Leo
सिंह/Leo

18 अप्रैल 2022 :

कोई दोस्त आपकी सहनशक्ति और समझ की परीक्षा ले सकता है। अपने मूल्यों को दरकिनार करने से बचें और हर फ़ैसला तार्किक तरीक़े से लें। आज आपको अपने उन रिश्तेदारों को पैसा उधार नहीं देना चाहिए जिन्होंने आपका पिछला उधार अब तक वापस नहीं किया है। बच्चों के साथ ज़्यादा सख़्ती उन्हें नाराज़ कर सकती है। ख़ुद को नियंत्रित रखने और यह याद रखने की ज़रूरत है कि ऐसा करने से आप अपने और उनके बीच दीवार खड़ी कर लेंगे। आप आज प्यार की मनोदशा में होंगे- और आपके लिए काफ़ी मौक़े भी होंगे। आज आप नए प्रोजेक्ट को शुरू करेंग जो पूरे परिवार के लिए समृद्धि लेकर आएगा। इस राशि वाले जातकों को आज खाली वक्त में आध्यात्मिक पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए। ऐसा करके आपकी कई परेशानियां दूर हो सकती हैं। जीवनसाथी के साथ थोड़ा हँसी-मज़ाक़, थोड़ी छेड़-छाड़ आपको किशोरावस्था के दिनों की याद दिला देंगे।

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कन्या/Virgo

18 अप्रैल 2022 :  

अपनी ख़ुशियों को दूसरों के साथ साझा करना आपकी सेहत को भी बेहतर करेगा। लेकिन ख़याल रखें कि इसे नज़रअंदाज़ करना बाद में भारी पड़ सकता है। जिन लोगों ने किसी से उधार लिया है उन्हें आज किसी भी हालत में उधार चुकाना पड़ सकता है जिससे आर्थिक स्थिति थोड़ी कमजोर हो जाएगी। घर में कुछ बदलाव लाने के लिए पहले बाक़ी लोगों की राय भली-भांति जान लें। आपके ईमानदार और ज़िंदादिल प्यार में जादू करने की ताक़त है। आज कार्यक्षेत्र में आपके किसी पुराने काम की तारीफ हो सकती है। आपके काम को देखते हुए आज आपकी तरक्की भी संभव है। कारोबारी आज अनुभवी लोगों से करोबार को आगे बढ़ाने की सलाह ले सकते हैं। इस राशि के छात्र छात्राओं को आज के दिन पढ़ाई में मन लगाने में दिक्कतें आ सकती हैं। आज आप अपना कीमती समय दोस्तों के चक्कर में बर्बाद कर सकते हैं। आपका जीवनसाथी बिना जाने कुछ ऐसा ख़ास काम कर सकता है, जिसे आप कभी भुला नहीं पाएंगे।

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Libra
तुला/Libra

18 अप्रैल 2 2022 :   

सेहत बढ़िया रहेगी। आज आप अच्छा पैसा कमाएंगे- लेकिन ख़र्च में इज़ाफ़ा आपके लिए बचत को और ज़्यादा मुश्किल बना देगा। मुमकिन है कि परिवार वाले आपकी उम्मीदों को पूरा न कर सकें। इस बात कि इच्छा न करें कि वे आपके मुताबिक़ काम करेंगे, बल्कि अपने काम करने का तरीक़ा बदलकर पहल करें। विवाहेतर प्रेम संबंध आपकी प्रतिष्ठा धूमिल कर सकते हैं। कुछ सहकर्मी कई अहम मुद्दों पर आपकी कार्यशैली से नाख़ुश होंगे, लेकिन यह वे आपको बताएंगे नहीं। अगर आपको लगता है कि परिणाम आपकी उम्मीद के मुताबिक़ नहीं आ रहे हैं, तो अपनी योजनाओं का फिर से विश्लेषण कर उनमें सुधार लाना बेहतर रहेगा। आज जितना हो सके लोगों से दूर रहें। लोगों को वक्त देने से बेहतर है अपने आपको वक्त दें। ज़रूरत के वक़्त आपका जीवनसाथी आपके परिवार की अपेक्षा अपने परिवार को ज़्यादा तरजीह देता हुआ नज़र आ सकता है।

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वृश्चिक/Scorpio

18 अप्रैल 2022 : 

तली-भुनी चीज़ों से दूर रहें और रोज़ाना कसरत करते रहें। आज किसी करीबी से आपका झगड़ा हो सकता है और बात कोर्ट कचहरी तक जा सकती है। जिसकी वजह से आपका अच्छा खास धन खर्च हो सकता है। परिवार के साथ सामाजिक गतिविधियाँ सभी को ख़ुश रखेंगी। आज आप महसूस करेंगे कि प्यार दुनिया में हर मर्ज़ की दवा है। आपके पास आज अपनी क्षमताओं को दिखाने के मौक़े होंगे। आज के दिन में आप बहुत व्यस्त रहेंगे लेकिन शाम के वक्त अपने मनपसंद कामों को करने के लिए भी आपके पास पर्याप्त समय होगा। वैवाहिक जीवन के मोर्चे पर यह दिन वाक़ई बहुत बढ़िया है।

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धनु/Sagittarius

18 अप्रैल 2022 :  

मुमकिन है कि आपको किसी अंग मे दर्द या तनाव से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़े। अचानक आए ख़र्चे आर्थिक बोझ बढ़ा सकते हैं। घर को सजाने-संवारने के अलावा बच्चों की ज़रूरतों पर भी ध्यान दें। बच्चों के बिना घर आत्मा के बिना शरीर की तरह है, फिर चाहे वह कितना भी ख़ूबसूरत क्यों न हो। बच्चे घर में उत्साह और ख़ुशीयों की सौगात लाते हैं। अपने प्रिय के साथ सैर-सपाटे पर जाते समय ज़िंदगी को पूरी शिद्दत से जिएँ। जो अपने काम पर एकाग्र रहेंगे, उन्हें पुरस्कार और फ़ायदा दोनों ही मिलेंगे। अपने काम से आराम लेकर आज आप कुछ समय अपने जीवनसाथी के साथ बिता सकते हैं। आपको महसूस होगा कि आपका वैवाहिक जीवन बहुत ख़ूबसूरत है।

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मकर/Capricorn

18 अप्रैल 2022 : 

आपका बच्चों जैसा भोला स्वभाव फिर सतह पर आ जाएगा और आप शरारती मनोदशा में होंगे। दीर्घावधि मुनाफ़े के नज़रिए से स्टॉक और म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करना फ़ायदेमंद रहेगा। अगर आपको किसी ऐसी जगह से बुलावा आया है जहाँ पहले आप कभी नहीं गए हैं, तो कृतज्ञता से उसे स्वीकार कर लें। अपने साथी को भावनात्मक तौर पर ब्लैकमेल करने से बचें। प्रतिस्पर्धा के चलते काम-काज की अधिकता थकावट भरी हो सकती है। बेवजह की उलझनों से दूर होकर आज आप किसी मंदिर, गुरुद्वारे या किसी भी धार्मिक स्थल पर अपना खाली समय बिता सकते हैं। आपका जीवनसाथी अपने दोस्तों में कुछ ज़्यादा व्यस्त हो सकता है, जिसके चलते आपके उदास होने की संभावना है।

अपनी व्यक्तिगत समस्या के निश्चित समाधान हेतु समय निर्धारित आशावादी बनें और उजले पक्ष को देखें। आपका विश्वास और उम्मीद आपकी इच्छाओं व आशाओं के लिए नए दरवाज़े खोलेंगी। आज आपका धन कई चीजों पर खर्च हो सकता है, आपको आज अच्छा बजट प्लान करने की आवश्यकता है इससे आपकी कई परेशानियां दूर हो सकती हैं। ऐसे कामों में सहभागिता करने के लिए अच्छा समय है, जिसमें युवा लोग जुड़े हों। अपनी व्यक्तिगत भावनाएँ और गोपनीय बातें अपने प्रिय से बाँटने का सही समय नहीं है। वक्त पर चलने के साथ-साथ अपनों को वक्त देना भी आवश्यक है। यह बात आज आप समझेंगे लेकिन इसके बावजूद भी आप अपने घरवालों को पर्याप्त समय नहीं दे पाएंगे। अपने जीवनसाथी के किसी छोटी बात को लेकर बोेले गए झूठ से आप आहत महसूस कर सकते हैं। यह दिन दोस्तों-रिश्तेदारों के साथ शॉपिंग पर जाने का है। बस अपने ख़र्चों पर थोड़ी नज़र रखें।कर ज्योतिषाचार्य से संपर्क करे, दूरभाष : 8194959327

कुम्भ/Aquarius

18 अप्रैल 2022 : 

भीड़भाड़ भरे इलाक़ों में यात्रा करते समय रक्तचाप के रोगियों को अतिरिक्त सावधान रहने की आवश्यकता है। किसी करीबी रिश्तेदार की मदद से आज आप अपने करोबार में अच्छा कर सकते हैं जिससे आपको आर्थिक लाभ भी होगा। घर पर मेहमानों का आना दिन को बढ़िया और ख़ुशगवार बना देगा। प्रेम-संबंध में ग़ुलाम की तरह व्यवहार न करें। नयी परियोजनाओं और ख़र्चों को टाल दें। अपने समय की कीमत समझें, उन लोगों के बीच रहना जिनकी बातें आपके समझ में नहीं आती हैं गलत है। ऐसा करना भविष्य में आपको परेशानियों के अलावा कुछ नहीं देगा। उबाऊ होती शादीशुदा ज़िन्दगी के लिए कुछ रोमांच ढूंढने की ज़रूरत है।

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मीन/Pisces

18 अप्रैल 2022 : 

भले ही आप उत्साह से लबरेज़ हों, फिर भी आज आप किसी ऐसे की कमी महसूस करेंगे जो आज आपके साथ नहीं है। आज किसी पार्टी में आपकी मुलाकात किसी ऐसे शख्स से हो सकती है जो आर्थिक पक्ष को मजबूत करने के लिए आपको अहम सलाह दे सकता है। कुछ लोगों के लिए- परिवार में किसी नए का आना जश्न और उल्लास के पल लेकर आएगा। याद रखिए कि आँखें कभी झूठ नहीं बोलतीं। आज आपके प्रिय की आँखें आपको वाक़ई कुछ ख़ास बताएंगी। बड़े व्यापारिक लेन-देन करते वक़्त अपनी भावनाओं पर क़ाबू रखें। आज ऐसे बर्ताव करें जैसे कि आप ‘सुपर-स्टार’ हैं, लेकिन सिर्फ़ उन चीज़ों की ही प्रशंसा करें जो उसके क़ाबिल हैं। इस बात की प्रबल सम्भावना है कि आपके आस-पास के लोग आप दोनों के बीच मतभेद पैदा करने का प्रयास करेंगे। अत: बाहरी लोंगों के कहने पर अमल करना ठीक नहीं होगा।

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panchang

पंचांग, 18 अप्रैल 2022

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

विक्रमी संवत्ः 2079, 

शक संवत्ः 1944, 

मासः वैशाख़, 

पक्षः कृष्ण, 

तिथिः द्वितीया, सांय 07.24 तक है, 

वारः सोमवार, 

नक्षत्रः विशाखा  27.38 तक है।

विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही,शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।

योगः सिद्धि रात्रि काल 08.23 तक, 

करणः तैतिल, 

सूर्य राशिः मेष,  चंद्र राशिः तुला, 

राहु कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 05.57,  सूर्यास्तः 06.45 बजे।

Rashifal

राशिफल, 17 अप्रैल 2022

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति के बारे में जानने के लिए उसकी राशि ही काफी होती है। राशि से उस या अमूक व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य के बारे में जानना आसान हो जाता है। इतना ही नहीं, ग्रह दशा कोअपने विचारों को सकारात्मक रखें, क्योंकि आपको ‘डर’ नाम के दानव का सामना करना पड़ सकता है। नहीं तो आप निष्क्रिय होकर इसका शिकार हो सकते हैं। आपका कोई पुराना मित्र आज कारोबार में मुनाफा कमाने के लिए आपको सलाह दे सकता है, अगर इस सलाह पर आप अमल करते हैं तो आपको धन लाभ जरुर होगा। घरेलू मामलों पर तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत है। आपकी ओर से की गयी लापरावाही महंगी साबित हो सकती है। आपके प्रिय/जीवनसाथी का फ़ोन आपका दिन बना देगा।

aries
मेष/aries

17 अप्रैल 2022:  

मानसिक तौर पर आप स्थिर महसूस नहीं करेंगे- इसलिए इस बात का ख़याल रखें कि दूसरों के सामने आप कैसे बर्ताव करते और बोलते हैं। आज आपकी कोई चल संपत्ति चोरी हो सकती है इसलिए जितना हो सके इनका ध्यान रखें। दूसरों को प्रभावित करने की आपकी क्षमता आपको कई सकारात्मक चीज़ें दिलाएगी। आज का दिन प्रेम के रंगों में डूबा रहेगा लेकिन रात के वक्त किसी पुरानी बात को लेकर आप झगड़ सकते हैं। आज काफ़ी दिगाग़ी कसरत मुमकिन है। आपमें से कुछ शतरंज खेल सकते हैं, वर्ग-पहेली हल कर सकते हैं, कोई कविता-कहानी लिख सकते हैं या भविष्य की योजनाओं पर गहराई से सोच सकते हैं। आज के दिन जीवन साथी पर किया गया संदेह आने वाले दिनों में आपके वैवाहिक जीवन पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। आज आप बच्चों के साथ बच्चों के जैसा ही व्यवहार करेंगे जिससे आपके बच्चे सारे दिन आपसे चिपके रहेंगे।

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वृष/Taurus

17 अप्रैल 2022:  

योग और ध्यान आपको बेडौल होने से बचाने और मानसिक तौर पर सेहतमंद रखने में मददगार साबित होंगे। आर्थिक समस्याओं ने रचनात्मक सोचने की आपकी क्षमता को बेकार कर दिया है। दूर के रिश्तेदार से जिस संदेश की काफ़ी समय से उम्मीद थी, वह अच्छी ख़बर पूरी परिवार को ख़ुशियों से भर देगी। आज किसी ऐसे इंसान से मिलने की संभावना है जो आपके दिल को गहराई से छूएगा। वक्त की नाजाकत को समझते हुए आज आप सब लोगों से दूरी बनाकर एकांत में वक्त बिताना पसंद करेंगे। ऐसा करना आपके लिए हितकर भी होगा। आज से पहले शादीशुदा ज़िन्दगी इतनी अच्छी कभी नहीं रही। आज घर पर शादी की बात चल सकती है लेकिन आपको यह बात पसंद नहीं आएगी।

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मिथुन/Gemini

17 अप्रैल 2022 :  

जीवन-साथी की सेहत को ठीक तरह से ध्यान दिए जाने और देखभाल की ज़रूरत है। आज आप घर से बाहर तो बहुत सकारात्मकता के साथ निकलेंगे लेकिन किसी कीमती वस्तु के चोरी होने की वजह से आपका मूड खराब हो सकता है। अपने परिवार के सदस्यों की ज़रूरतों पर ध्यान देना आज आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए। जिनकी सगाई हो चुकी है, वे अपने मंगेतर से बहुत-सी ख़ुशियाँ पाएंगे। इस राशि के छात्र-छात्राएं आज अपने कीमती समय का दुरुपयोग कर सकते हैं। आप मोबाइल या टीवी पर आवश्यकता से अधिक समय जाया कर सकते हैं। आज से पहले शादीशुदा ज़िन्दगी इतनी अच्छी कभी नहीं रही। छुट्टी के दिन भी दफ़्तर का काम करने से बुरा और क्या हो सकता है। परन्तु परेशान न हों, क्योंकि काम करके आप अपने अनुभव को और बढ़ा सकते हैं।

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कर्क/Cancer

17 अप्रैल 2022:  

तनाव के चलते बीमारी से दो-चार होना पड़ सकता है। सुकून महसूस करने के लिए दोस्तों और परिवार के साथ कुछ समय बिताएँ। जिन लोगों ने किसी अनजान शख्स की सलाह पर कहीं निवेश किया था आज उन्हें उस निवेश से फायदा होने की पूरी संभावना है। बच्चे खेल-कूद और दूसरी बाहरी गतिविधियों पर ज़्यादा वक़्त ख़र्च करेंगे। आपकी मुस्कुराहट आपके प्रिय की नाराज़गी दूर करने के लिए सबसे उम्दा दवा है। आज अपने प्रेमी के साथ वक्त बिता पाएंगे और उनके सामने अपने जज्बातों को रख पाएंगे। आपका जीवनसाथी आज आपके लिए कुछ बहुत ख़ास करने वाला है। अच्छे मित्र आपका कभी साथ नहीं छोड़ते यह बात आज आपको समझ आ सकती है।

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Leo
सिंह/Leo

17 अप्रैल 2022 :

ख़ुद को परिष्कृत करने की कोशिश कई तरीक़ों से अपना असर दिखाएगी- आप ख़ुद को बेहतर और आत्मविश्वास से भरा हुआ महसूस करेंगे। आज घर से बाहर बड़ों का आशीर्वाद लेकर निकलें इससे आपको धन लाभ हो सकता है। उस रिश्तेदार को देखने जाएँ, जिसकी तबियत काफ़ी समय से ख़राब है। मुहब्बत और रोमांस आपको ख़ुशमिज़ाज रखेगे। यात्रा करना फ़ायदेमंद लेकिन महंगा साबित होगा। आपका प्यार, आपका जीवनसाथी आपको कोई ख़ूबसूरत तोहफ़ा दे सकता है। मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए आज किसी नदी का किनारा या पार्क की सैर बेहतर विकल्प हो सकता है।

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कन्या/Virgo

17 अप्रैल 2022 :  

दौड़-भाग भरा दिन आपको तुनकमिज़ाज बना सकता है। नौकरी पेशा से जुड़े लोगों को आज धन की बहुत आवश्यकता पड़ेगी लेकिन बीते दिनों में किये गये फिजुलखर्च के कारण उनके पास पर्याप्त धन नहीं होगा। परिवार के सदस्य कई चीज़ों की मांग कर सकते हैं। रोमांटिक मुलाक़ात आपकी ख़ुशी में तड़के का काम करेगी। आपके घर वाले आज आपसे कई परेशानियां शेयर करेंगे लेकिन आप अपनी ही धुन में मस्त रहेंगे और खाली समय में कुछ ऐसा करेंगे जो करना आपको पसंद है। आपका जीवनसाथी वाक़ई आपके लिए फ़रिश्तों की तरह है और आपको आज यह एहसास होगा। आज का दिन किसी भी धार्मिक स्थल के लिए समर्पित करना अपनी मानसिक शांति बनाए रखने का सर्वश्रेष्ठ साधन हो सकता है।

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Libra
तुला/Libra

17 अप्रैल 2 2022 :   

आज के दिन किए गए दान-पुण्य के काम आपको मानसिक शान्ति और सुकून देंगे। आज आपको बेवजह पैसा खर्च करने से खुद को रोकना चाहिए नहीं तो जरुरत के समय आपके पास पैसे की कमी हो सकती है। किसी पारिवारिक भेद का खुलना आपको चकित कर सकता है। आपका प्रिय आपको ख़ुश रखने के लिए कुछ ख़ास करेगा। आप अपनी छुपी ख़ासियत का इस्तेमाल कर दिन को बेहतरीन बनाएंगे। आपका जीवनसाथी आपको ख़ुश करने के लिए आज काफ़ी कोशिशें करता नज़र आएगा। स्कूूल में आज आप किसी सीनियर के साथ उलझ सकते हैं। ऐसा करना आपके लिए ठीक नहीं है। अपने गुस्से को काबू में रखें।

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वृश्चिक/Scorpio

17 अप्रैल 2022 : 

आपकी इच्छा-शक्ति को प्रोत्साहन मिलेगा, क्योंकि आप बहुत पेचीदा हालात से निकलने में क़ामयाब रहेंगे। भावुक फ़ैसला लेते वक़्त अपनी तार्किकता न छोड़ें। कार्यक्षेत्र में या करोबार में आपकी कोई लापरवाही आज आपको आर्थिक नुक्सान करा सकती है। प्यार, मेलजोल और आपसी जुड़ाव में इज़ाफा होगा। अपने प्रिय की पुरानी बातों को माफ़ करके आप अपनी ज़िंदगी में सुधार ला सकते हैं। आज आपको ढेरों दिलचस्प निमंत्रण मिलेंगे- साथ ही आपको एक आकस्मिक उपहार भी मिल सकता है। आपका जीवनसाथी आज ऊर्जा और प्रेम से भरपूर है। भविष्य की चिंता से अधिक चिंतन की आवश्यकता होती है, इसलिए बेवजह चिंता करने की बजाय आप कोई रचनात्मक योजना बना सकते हैं।

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धनु/Sagittarius

17 अप्रैल 2022 :  

आपकी उम्मीद एक महक से भरे हुए ख़ूबसूरत फूल की तरह खिलेगी। सट्टेबाज़ी से फ़ायदा हो सकता है। अपने परिवार के सदस्यों की भावनाओं को आहत करने से बचने के लिए अपने ग़ुस्से पर क़ाबू रखिए। आज अपने प्रिय से दूर होने का दुःख आपको टीस देता रहेगा। अपने समय की कीमत समझें, उन लोगों के बीच रहना जिनकी बातें आपके समझ में नहीं आती हैं गलत है। ऐसा करना भविष्य में आपको परेशानियों के अलावा कुछ नहीं देगा। रिश्तेदारों के चलते जीवनसाथी से वाद-विवाद हो सकता है, लेकि आख़िर में सब ठिक हो जाएगा। मीडिया फिल्ड से जुड़े लोगों के लिए आज का दिन अच्छा रहने वाला है।

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मकर/Capricorn

17 अप्रैल 2022 : 

अपने दफ़्तर से जल्दी निकलने की कोशिश करें और वे काम करें जिन्हें आप वाक़ई पसंद करते हैं। अतिरिक्त आय के लिए अपने सृजनात्मक विचारों का सहारा लें। पारिवारिक तनावों को अपनी एकाग्रता भंग न करने दें। बुरा दौर ज़्यादा सिखाता है। उदासी के भंवर में ख़ुद को खोकर वक़्त बर्बाद करने से बेहतर है कि ज़िंदगी के सबक़ को जानने और सीखने की कोशिश की जाए। प्रेमी को आज आपकी कोई बात चुभ सकती है। वो आपसे रुठें इससे ही पहले ही अपनी गलती का अहसास कर लें और उन्हें मना लें। आज पूरे दिन आप खाली रह सकते हैं और टीवी पर कई फिल्में और प्रोग्राम देख सकते हैं। शादीशुदा ज़िन्दगी के नज़रिए से चीज़ें काफ़ी अच्छी रहेंगी। स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ करने से तनाव बढ़ना संभव है, इसलिए डॉक्टरी सलाह आपके लिए कारगर सिद्ध हो सकती है।

अपनी व्यक्तिगत समस्या के निश्चित समाधान हेतु समय निर्धारित आशावादी बनें और उजले पक्ष को देखें। आपका विश्वास और उम्मीद आपकी इच्छाओं व आशाओं के लिए नए दरवाज़े खोलेंगी। आज आपका धन कई चीजों पर खर्च हो सकता है, आपको आज अच्छा बजट प्लान करने की आवश्यकता है इससे आपकी कई परेशानियां दूर हो सकती हैं। ऐसे कामों में सहभागिता करने के लिए अच्छा समय है, जिसमें युवा लोग जुड़े हों। अपनी व्यक्तिगत भावनाएँ और गोपनीय बातें अपने प्रिय से बाँटने का सही समय नहीं है। वक्त पर चलने के साथ-साथ अपनों को वक्त देना भी आवश्यक है। यह बात आज आप समझेंगे लेकिन इसके बावजूद भी आप अपने घरवालों को पर्याप्त समय नहीं दे पाएंगे। अपने जीवनसाथी के किसी छोटी बात को लेकर बोेले गए झूठ से आप आहत महसूस कर सकते हैं। यह दिन दोस्तों-रिश्तेदारों के साथ शॉपिंग पर जाने का है। बस अपने ख़र्चों पर थोड़ी नज़र रखें।कर ज्योतिषाचार्य से संपर्क करे, दूरभाष : 8194959327

कुम्भ/Aquarius

17 अप्रैल 2022 : 

दूसरों की इच्छाएँ आपकी अपना ख़याल रखने की इच्छा से टकराएगी- अपने जज़्बात को बांधे नहीं और वे काम करें जिससे आपको सुकून मिले। कुछ ख़रीदने से पहले उन चीज़ों का इस्तेमाल करें, जो पहले से आपके पास हैं। जिन्हें भावनात्मक संबल की ज़रूरत है, वे पाएंगे कि बड़े मदद के लिए आगे आ रहे हैं। आपकी ऊर्जा का स्तर ऊँचा रहेगा- क्योंकि आपका प्रिय आपने लिए बहुत सारी ख़ुशी की वजह साबित होगा। अगर आप कार्यक्षेत्र में बेहतर करना चाहते हैं तो अपने काम में आधुनिकता लाने की कोशिश करें। इसके साथ ही नई तकनीक से अपडेटेड रहें। जो लोग बीते कुछ दिनों से काफी व्यस्त थे उन्हें आज अपने लिए फुर्सत के पल मिल सकते हैं। आज आपको अपने जीवनसाथी से एक बार फिर प्यार हो जाएगा।

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मीन/Pisces

17 अप्रैल 2022 : 

आज शान्त और तनाव-रहित रहें। रियल एस्टेट सम्बन्धी निवेश आपको अच्छा-ख़ासा मुनाफ़ा देंगे। अगर आप अपनी घरेलू ज़िम्मेदारियों को अनदेखा करेंगे, तो कुछ ऐसे लोग नाराज़ हो सकते हैं जो आपके साथ रहते हैं। रोमांस के नज़रिए से आज ज़िन्दगी बहुत जटिल रहेगी। घर के छोटे सदस्यों को साथ लेकर आज आप किसी पार्क या शॉपिंग मॉल में जा सकते हैं। अगर आप और आपका जीवनसाथी खाने-पीने पर ज़्यादा ध्यान देंगे, तो सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिए आज आप किसी मनोवैज्ञानिक चिकित्सक से मिल सकते हैं।

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panchang

पंचांग 17 अप्रैल 2022

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

नोटः आज से वैशाख कृष्ण पक्ष प्रारम्भ है। आज 17 अप्रैल दिन रविवार है. आज वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है।  आज से हिंदू कैलेंडर का दूसरा माह वैशाख शुरु हुआ है। इस माह में भगवान विष्णु की पूजा करने और गंगा की स्तुति करने का महत्व है।

विक्रमी संवत्ः 2079, 

शक संवत्ः 1944, 

मासः वैशाख़, 

पक्षः कृष्ण, 

तिथिः प्रतिपदा, रात्रि 10.02 तक है, 

वारः रविवार, 

नक्षत्रः चित्रा प्रातः 07.16 तक है।

विशेषः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर रविवार को पान खाकर लाल चंदन, गुड़ और लड्डू का दान देकर यात्रा करें।

योगः वज्र रात्रि काल 11.40 तक, 

करणः बालव, 

सूर्य राशिः मेष,  चंद्र राशिः तुला, 

राहु कालः सायंः 4.30 से सायं 6.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 05.59,  सूर्यास्तः 06.44 बजे। 

आरएसएस के श्रीनिवासन की हत्या पर भाजपा नेता सुरेंद्रन का आरोप, कहा- PFI और CPI(M) के बीच ‘गुप्त समझौता’

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की केरल इकाई ने मंगलवार को राज्य के पलक्कड़ जिले में आरएसएस कार्यकर्ता की हत्या के संबंध में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, केरल भाजपा अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर निशाना साधते हुए कहा कि ग्रामीण इलाकों में अपनी जड़ें मजबूत करते हुए पूरे राज्य में उनकी गतिविधियां बढ़ रही हैं। सुरेंद्रन ने दावा किया है कि केरल में सत्तारूढ़ माकपा सरकार के अधिपत्य के साथ पीएफआई का विस्तार हो रहा है। के सुरेंद्रन ने कहा, “यह कोई आकस्मिक बात नहीं है। पूरे राज्य में पीएफआई गतिविधियां बढ़ रही हैं। पीएफआई और सीपीआई-एम आपस में जुड़े हुए हैं। उनके बीच एक गुप्त समझौता है और कई स्थानीय निकायों में वे एक साथ शासन कर रहे हैं” 

नई दिल्ली/ पलक्कड़(ब्यूरो) डेमोक्रेटिक फ्रंट:

केरल के पलक्कड़ में शनिवार दोपहर एक गिरोह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक कार्यकर्ता की हत्या कर दी। पुलिस ने यह जानकारी दी। मृतक का नाम श्रीनिवासन (45) है। हमलावरों का एक समूह शनिवार दोपहर श्रीनिवासन की दुकान पर पहुंचा और उन पर हमला कर दिया. बताया जा रहा है कि आरोपी मोटरसाइकिल से मौके पर पहुंचे।

पुलिस ने बताया कि हमलावर मोटर साइकिलों पर आए थे और हमलाकर भाग निकले। गंभीर रूप से घायल श्रीनिवासन को तत्काल समीप के निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। यह घटना पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (PFI) के एक नेता की हत्या के 24 घंटे बाद हुई। पीएफआई नेता सुबैर (43) की पलक्कड के समीप एक गांव में हत्या कर दी गई थी। इलापुल्ली में  सुबैर की हत्या तब की गई थी जब वह शुक्रवार को मस्जिद में जुमे की नमाज अदा कर घर लौट रहा था। 

केरल भाजपा प्रमुख ने आगे कहा है कि पलक्कड़ की शोरनूर नगरपालिका में, सीपीआई (एम) पीएफआई और एसडीपीआई सदस्यों की मदद से शासन करती है। सुरेंद्रन ने आरोप लगाया कि वे राष्ट्रीय भावनाओं को नष्ट करते हुए देश और लोगों को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं और भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं को निशाना बनाते हैं।

“लेकिन सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है और इसके बजाय उनका समर्थन कर रही है। पुलिस उन्हें बचा रही है और लोगों का केरल पुलिस पर से विश्वास उठ गया है। हमने कल गृह मंत्री से संपर्क किया है। हमने उनके साथ इस मामले पर चर्चा की और उन्हें पूरी जानकारी दी। वोटबैंक की राजनीति के कारण एलडीएफ और यूडीएफ आतंकवादी संगठन पीएफआई का नाम तक लेने को तैयार नहीं हैं।”

भाजपा नेता ने यह भी दावा किया कि पाला बिशप के हालिया बयान के बाद, सैकड़ों पीएफआई के गुंडे हथियारों के साथ उनके घर पर हमला करने के लिए दौड़ पड़े, लेकिन भाजपा और आरएसएस कार्यकर्ताओं के अलावा किसी ने भी उनकी और उनके घर की रक्षा नहीं की। अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सुरेंद्रन ने यह भी दावा किया कि केरल में कांग्रेस भी आतंकी संगठनों का समर्थन करती है। इसके अलावा, उन्होंने केरल में धीरे-धीरे धर्मांतरण होने की बात कही है।

केरल के पलक्कड़ जिले में सोमवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई। पुलिस के अनुसार, मृतक एस संजीत अपनी पत्नी के साथ मोटरसाइकिल पर जा रहे थे इस दौरान रास्ते पर ही उन पर हमला किया गया। बीजेपी ने सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, जो कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की राजनीतिक शाखा है, पर हमले की साजिश रचने का आरोप लगाया था। पुलिस ने बताया कि केरल के पलक्कड़ जिले के एलापल्ली के रहने वाले संजीत को 50 से अधिक बार चाकू मारा गया।