लाल किले के प्राचीर से प्रधान मंत्री का राष्ट्र को सम्बोधन
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देश बुधवार को 72वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले पर पांचवीं बार तिरंगा फहराया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हमने फैसले लेने का साहस किया. भारत दुनिया छठवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना. संकल्प के साथ ही सपने पूरे होंगे. अगले साल जलियांवाला बाग हत्याकांड को 100 साल पूरे हो जाएंगे. मैं उन सभी को नमन करता हूं जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी. इससे पहले वे राजघाट पहुंचे और महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धांजलि दी.
मोदी स्पीच अपडेट…
– 82 मिनट के भाषण से प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित किया.
– मैं बेसब्र हूं क्योंकि कई देश हमसे आगे निकल चुके हैं, मैं बेसब्र हूं उन देशों से अपने देश को आगे ले जाने के लिए
– जम्मू कश्मीर के लोग स्थानीय निकाय के चुनाव की मांग कर रहे थे, मुझे खुशी है कि आने वाले कुछ महीनों में उन्हें अपने अधिकार का इस्तेमाल करने का मौका मिलेगा. यहां के चुने हुए पंचायत विकास को नई रफ्तार देंगे. जल्द यहां पंचायत के चुनाव हों, उसकी दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं.
– हम गोली और गाली से नहीं, हम कश्मीरियों को गले लगाकर आगे बढ़ना चाहते हैं.
– माओवाद आए दिन हिंसा की वारदात को अंजाम देता है, लेकिन विकास की नई-नई योजनाओं की वजह से माओवाद 126 जिलों से कम होकर 90 जिलों तक सिमट गया है.
– आज मुझे खुशी है कि सुरक्षाबलों के प्रयास, राज्य और केंद्र सरकार के प्रयास की वजह से त्रिपुरा और मेघालय पूरी तरह से अफ्पसा से मुक्त हो गए हैं.
– मुस्लिम बहनों को विश्वास दिलाना चाहता हूं, तीन तलाक की कुरीती ने महिलाओं को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ा है. संसद में अभी भी कुछ लोग हैं जो इस विधेयक को पास नहीं होने देना चाहता हूं, लेकिन मैं मुस्लिम महिलाओं को विश्वास दिलाता हूं कि मैं आपकी आशा अकांक्षाओं को पूरा करने की पूरी कोशिश करुंगा और इसमे कोई कमी नहीं छोड़ुुंगा.
– भारतीय सशस्त्र सेना में एसएससी के माध्यम से महिलाओं को पुरुष की तरह पारदर्शी व्यवस्था का ऐलान करता हूं. देश की महिलाएं नए व शक्तिशाली भारत के निर्माण में कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं.
– हमारे लिए गर्व का दिन है, भारत की सुप्रीम कोर्ट में तीन महिला न्यायाधीश हैं. आजादी के बाद यह पहली कैबिनेट है, जिसमे सुप्रीम कोर्ट में तीन महिला जज हैं.
– आज पर्यावरण की मंजूरी भ्रष्टाचार का पहाड़ पार करने जैसा है, लेकिन हमने इसे ऑनलाइन कर दिया है. हमने भाई भतीजावाद को खत्म कर दिया है. रिश्वत लेने वालों पर कार्रवाई बहुत कठोर हो रही है. 3 लाख संदिग्ध कंपनियों पर ताला लगा दिया गया है.
– 2013 के बाद यह संख्या पौने सात करोड़ हो गई है. ये ईमानदारी का जीता जागता उदाहरण है। देश ईमानदारी की ओर चल पड़ा है. इनडायरेक्ट टैक्स, 70 साल में सिर्फ 70 लाख का आंकड़ा पहुंचा था, लेकिन जीएसटी आने के बाद पिछले एक वर्ष में यह 70 लाख का आंकड़ा 1.16 करोड़ पहुंच गया है.
– आज देश ईमानदारी का उत्सव लेकर आगे बढ़ रहा है. देश में 2013 तक डायरेक्ट टैक्स देने वालों की संख्या 4 करोड़ थी. ये पिछले 70 साल की गतिविधि का परिणाम था.
– मैं देश के ईमानदार करदाताओं से कहता हूं कि मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, आपके कर से ये योजनाएं चलती है, जब आप खाना खाने बैठते हैं तो आपके कर देने की ईमानदार प्रक्रिया का परिणाम है, आपके खाना खाने के समय में 3 गरीबों का पेट भरता है.
– बिचौलिए राशन को बाजार से खरीदकर उसकी ब्लैकमेलिंग करते थे, जबकि सरकार बाजार से 20-25 रुपए किलो गेंहू, चावल खरीदकर उसे गरीबों में 2-3 रुपए में बेचती है. लेकिन यहां अनाज को दुकानो को बेच दिया जाता था, लेकिन हमने इसे रोका है.
– आप जानकर हैरान होंगे, जबसे हम सफाई अभियान में लगे हैं, भ्रष्टाचार को रोकने में लगे हैं, 6 करोड़ ऐसे लाभार्थी जोकि राशन कार्ड, पेंशन, एलपीजी के लाभार्थी थे वह ऐसे थे जो कभी पैदा ही नहीं हुए, उनके नाम से पैसे जा रहे थे. यह कितना कठिन काम था, इस सरकार ने इसे रोका है। भ्रष्टाचार और कालाधन को रोकने की दिशा में हमने कदम उठाए हैं. इसका परिणाम यह है कि 90 हजार करोड़ रुपए जो गलत तरीके से गलत लोगों के हाथ में चले जाते थे, वह अब देश के सामान्य नागरिकों के काम आ रहा है.
– 25 सितंबर को पंडित दीन दयाल उपाध्याय की जन्मदिन पर यह प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान लॉच कर दिया जाएगा.
– आयुष्मान भारत के तहत इस देश के 10 करोड़ परिवार शामिल हैं. 10 करोड़ परिवार यानि करीब-करीब 50 करोड़ परिवार, हर परिवार को 5 लाख रुपए देने की योजना है, इसे हम देने वाले हैं.
– WHO की रिपोर्ट के मुताबिक 3 लाख बच्चे स्वच्छता के कारण मरने से बचे हैं.
– बाजार से बाजार तक के अप्रोच से हम कृषि के क्षेत्र में कई रिफॉर्म ला रहें है. 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करना हमारा लक्ष्य है.
– आज हमारे देश की 65 फीसदी आबादी 35 से कम उम्र की है, इसलिए सारे विश्व की नजर हम पर बनी हुई है.
– हम कड़े फैसले लेने का सामर्थ्य रखते हैं, क्योंकि देशहित हमारे लिए सर्वोपरि है. जब हौसले बुलंद होते हैं, देश के लिए कुछ करने का इरादा होता है तो बेनामी संपत्ति का कानून भी लागू होता है.
– भारत की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से विकास कर रही है. पूर्वोत्तर भारत भी देश के विकास के साथ जुड़ रहा है. चार साल में नार्थ ईस्ट को भारत के साथ लाकर खड़ा कर दिया है.
– भारत की पहचान अब रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के तौर पर है. हमने रिकॉर्ड आर्थिक ग्रोथ दर्ज की.
– देश के जवान के लिए कई सालों से पेंडिग वन रैंक वन पेंशन को हमने लागू किया.
– आज भारत की बात हर जगह सुनी जाती है. पूरा विश्व कहता है कि सोया हुआ हाथी जाग गया है.
– पहले विश्व के अन्य देश हमारे साथ जुड़ने से हिचकिचाते थे, कहते थे, भारत की अर्थव्यवस्था में रिस्क है लेकिन आज वही देश हमारे साथ जुड़ना चाहते हैं और उन्हें भारत में अवसर नजर आते हैं.
– आज लाल किले की प्राचीर से मैं देशवासियों को खुशखबरी सुनाना चाहता हूं. हमने सपना देखा है कि 2022 में आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर या उससे पहले मां भारत की कोई संतान, चाहे बेटा हो या बेटी, वह अंतरिक्ष में जाएगा. हाथ में तिरंगा लेकर जाएगा. भारत के वैज्ञानिकों ने मंगलयान से लेकर अब तक ताकत का जो परिचय कराया है. जब हमारा यान हिंदुस्तानी लेकर जाएगा, तब अंतरिक्ष में मानव को पहुंचाने वाले विश्व के चौथे देश बन जाएंगे.
– आज भारत की हर चीज पर पूरा विश्व नजर रखता है। 2014 के बाद ये स्थिति बदली है.
– देश के छोटे व्यापारियों की वजह से, उनके दिमाग के खुलेपन की वजह से देश में जीएसटी लागू हुआ है.
– देश में आग छोटे शहरों में स्टार्टअप तेजी से बढ़ रहा है.
– 2014 से अबतक मैं अनुभव कर रहा हूं कि सवा सौ करोड़ देशवासी सिर्फ सरकार बनाकर रुके नहीं, वो देश बनाने में भी जुटे हुए हैं.
– देश आज रेकॉर्ड अनाज पैदा कर रहा है तो देश आज मोबाइल फैक्ट्री बनाने का काम भी कर रहा है. बाबा सहाब के बनाए गए संविधान में सबके लिए न्याय की बात की गई है. हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि सभी को न्याय मिले और एक ऐसे भारत का निर्माण हो जिसमें तेजी से विकास हो.
– अगर शौचालय बनाने में 2013 की रफ्तार से चलते तो शायद तो कितने दशक बीत जाते. अगर हम गांव में बिजली पहुंचाने की बात करें, तो 2013 के आधार के आधार पर सोचें, तो एक दो दशक और लग जाते. 2013 को सोचें तो एलपीजी कनेक्शन… अगर 2013 की रफ्तार से ऑप्टिकल फाइबर लगाने का काम करते तो गांवों में पहुंचाने में पीढ़ियां निकल जातीं.
– आजादी का ये पर्व हम तब मना रहे हैं, जब उत्तराखंड, मणिपुर, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश हमारी की बेटियों ने सात समुंदर पार किया और देश वापस लौट आईं. हमारे दूरसुदूर जंगलों में रहने वाले बच्चों ने एवरेस्ट पर झंडा फहराकर तिरंगे की शान बढ़ा दी.
– पीएम मोदी ने पढ़ी सुब्रमण्यम भारती की कविता
– अगले साल जलियांवाला बाग हत्याकांड को 100 साल पूरे हो जाएंगे. मैं उन सभी को नमन करता हूं जिन्होंने अपने प्राणों की आहूती दी.
– भारत विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना. हमने ओबीसी को संवैधानिक दर्जा दिया.
– मोदी ने इससे पहले चार बार के अपने भाषण में किसी न किसी बड़ी योजना का ऐलान किया.
Ayushmaan Bharat on cards today
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New Delhi:
With the nation gearing up to celebrate its 72nd independence on August 15, 2018, Prime Minister Narendra Modi is likely to launch Ayushman Bharat-National Health Protection Scheme (AB-NHPS) on Wednesday. The full roll-out of the world’s largest government-funded public health insurance scheme is expected to be announced from September 25 onwards.
The announcement is expected to come during PM Modi’s Independence Day speech at Delhi’s Red Fort.
Ayushman Bharat, also referred to as ‘Modicare’, is the national healthcare policy launched by the Government of India in February this year. The ambitious healthcare policy promises to cover over 10 crore poor and vulnerable families (approximately 50 crore beneficiaries) providing coverage up to Rs 5 lakh per family per year for secondary and tertiary care hospitalisation.
Benefits of the scheme are portable across the country and a beneficiary covered under the scheme will be allowed to take cashless benefits from any public/private empanelled hospitals across the country.
The scheme is entitlement based, with the entitlement decided on the basis of deprivation criteria in the Socio-Economic and Caste Census (SECC) database. The beneficiaries can avail the facilities in both public as well as empanelled private healthcare centres.
राष्ट्र आराधना का सर्वोत्तम समय
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/0 Comments/in ANDHRA PRADESH, ARUNACHAL PRADESH, ASSAM, BIHAR, BUSINESS, CHANDIGARH, CHHATTIS GARH, DELHI, ENTERTAINMENT, Goa, GUJRAT, HARYANA, HIMACHAL, JAMMU & KASHMIR, JHARKHAND, KARNATKA, KERELA, LIFE STYLE, MADHYA PRADESH, MAHARASHTRA, MANIPUR, MEGHALAYA, MIZORAM, MOHALI, NAGALAND, NATIONAL, ODHISHA, OPINION, PAGE 3, PANCHKULA, POLITICS, PUNJAB, RAJASTHAN, SIKKIM, SPIRITUAL, SPORTS, STATES, TAMIL NADU, TELANGANA, TRICITY, TRIPURA, UTTAR PRADESH, UTTRAKHAND, WEST BENGAL, WORLD/by Demokratic Front BureauLet’s pray together for our Matribhumi
स्वतन्त्रता दिवस पर मुख्यमंत्री द्वारा हिसार में बने प्रदेश के पहिले हवाई अड्डे का होगा लोकार्पण
/0 Comments/in CHANDIGARH, DELHI, HARYANA, NATIONAL, PANCHKULA, POLITICS, STATES/by Demokratic Front Bureauचंडीगढ़/हिसार:
हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि मुख्यमंत्री सीएम बुधवार को हिसार में बने हरियाणा के पहले हवाई अड्डे का उद्घाटन करेंगे। यहां से जल्द ही चंडीगढ़ और दिल्ली की उड़ाने संचालित होंगी। उन्होंने कहा कि भाजपा ने हरियाणा की जनता से जो वादा किया था वह पूरा होने जा रहा है। विपक्ष पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों ने लगातार झूठ बोलकर जनता को बरगलाने की कोशिश की। लेकिन अब सच जनता के सामने है। हिसार हवाई अड्डे की सौगात देने के लिए प्रधानमंत्री का भी आभार जताया।
अभी सप्ताह में उड़ेंगी 6 फ्लाइट
15 अगस्त से शुरू होने वाली हवाई उड़ानाें में मैसर्ज पिनाकले एयरवेज लिमिटेड की ओर से हिसार से चंडीगढ़ और दिल्ली के लिए सप्ताह में 6 फ्लाइट देने पर सहमति दी है। इस हवाई अड्डे के निर्माण पर 12.36 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।
इनेलो के भाजपा प्रेम की पोल खुली, जनता लेगी हिसाब – हुड्डा
/0 Comments/in HARYANA, POLITICS, STATES/by Demokratic Front Bureau· अहिरवाल के लोगों द्वारा पहनाई पगड़ी की रखूंगा लाज – हुड्डा
· दक्षिण हरियाणा के लोगों से मिला सहयोग रहेगा हमेशा याद – हुड्डा
· जनक्रांति रथ यात्रा का मुख्य मक्सद अमन-चैन और भाईचारा – हुड्डा
नारनौल, 14 अगस्त :
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई में पांचवें चरण की जनक्रांति रथ यात्रा ने आज तीसरे दिन महेंद्रगढ़ जिले के नारनौल हलके में दस्तक दीI यात्रा सिहमा गाँव से शुरू होकर, महरमपुर, नांगल काठा, मांदी, पटीकरा, आजाद चौक नारनौल पहुंची I इस बीच धरसू गाँव में उन्होंने हमजा पीर बाबा के दरगाह का ज्यारत किया तथा इस क्षेत्र की खुशहाली और तरक्की की दुआ की I हर जगह पूर्व मुख्यमंत्री का गर्मजोशी से स्वागत किया और ग्रामीणों ने पगड़ी पहना कर उनको सम्मानित किया Iहुड्डा ने वो उनकी पहनाई पगड़ी की लाज रखेंगे और उनकी शान में कोई कमी नहीं आने देंगे I उन्होंने हमेशा दक्षिण हरियाणा के लोगों को अपना सहयोगी माना है जबकि इनेलो और भाजपा जैसी दलों ने उनसे हमेशा सौतेला व्यवहार किया है I
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा में 2005 में कांग्रेस की सरकार बनीं जिसमें दक्षिण हरियाणा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा उसके बाद 2009 में भी हमें आपका पूरा आशीर्वाद मिला I मैंने बतौर मुख्यमंत्री इस क्षेत्र के विकास के पूरे प्रयास किये I जनक्रान्ति रथ यात्रा के पांचवें चरण में आपने मुझे जो प्यार और समर्थन दिया है उसे ताउम्र नहीं भुलूंगा Iआने वाले चुनाव में आपका सहयोग और प्यार इसी तरह बना रहा तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने से कोई नहीं रोक सकता I मेरा ये ऐलान है कि इस बार ऐसा काम करूँगा कि इस क्षेत्र की गिनती हरियाणा के अग्रणी इलाके में होगी I
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के 10 साल के शासनकाल में विकास के नजरिये से हरियाणा एक नंबर पर पहुंचा I हमारा पूरा फोकस चहुमुखी विकास पर रहा, कानून व्यवस्था चाक चौबंद रही तथा सामाजिक सद्भाव बनाए रखा I हमने प्रदेश को इनेलो के लूट, झूठ और दहशत के जंजाल से निकाला और विकास की पटरी पर लाए लेकिन हरियाणा का दुर्भाग्य था कि प्रदेश में 2014 में भाजपा की सरकार बनीं जिसने एक फलते फूलते राज्य को तीन बार जलवा डाला व प्रदेश के सामाजिक ताने बाने को छिन्न भिन्न करने में कोई कसर नहीं छोड़ी I जनक्रांति रथ यात्रा का मुख्य मकसद सत्ता नहीं बल्कि प्रदेश में अमन, चैन और भाईचारे को मजबूत करना है I मुझे ख़ुशी है कि प्रदेश की जनता भाजपा की षड़यंत्र को समझ रही है और विकल्प के रूप में कांग्रेस को आगे लाना चाहती है I मुख्य विपक्षी दल इनेलो के भाजपा प्रेम की पोल खुल गई है जिसका हिसाब जनता आने वाले चुनावों में लेगी I
हुड्डा ने अपने कार्यकाल में नारनौल हलके में किए विकास कार्यों का ज़िक्र करते हुए कहा कि सिहमा व निजामपुर को ब्लॉक का दर्जा दिया गया, संत खेतानाथ आयुर्वेदिक कॉलेज मंजूर किया, 1677 लाख रुपए की लागत से नारनौल बाइपास का निर्माण हुआ, नारनौल में 1047 लाख रूपए की लागत से नया लघु सचिवालय बनवाया , 2200 लाख रूपए की लागत से हाउसिंग बोर्ड, 377 लाख रूपए की लागत से ऑडीटोरियम, 705 लाख की लागत से अनाज मंडी के साथ सब्जीमंडी और चारा मंडी, 1793 लाख की लागत से पटीकरा में 132 केवी बिजली सब स्टेशन, आरोही मॉडल स्कूल बनाया, नारनौल शहर के विकास के लिए 200 करोड़ रुपए दिए जिसमें से 106 करोड़ रूपए की राशि से पानी व सीवरेज व्यवस्था के लिए मंजूर किये तथा महेंद्रगढ़ जिले का पहला विश्विद्यालय पाली में स्थापित किया I उन्होंने पूर्व मंत्री राव नरेन्द्र की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे जब भी मेरे पास आए हमेशा अपने हलके के विकास के लिए ही आए I ऐसे नेता को आगे बढाने की जरूरत हैI
हुड्डा ने कहा कि हमने किसान के दुःख दर्द को समझा I हमने अपने समय में किसी भी किसान की एक इंच जमीन नीलाम नहीं होने दी व किसानों का कर्ज माफ़ किया I कांग्रेस की सरकार बनने पर हम फिर से किसान को कर्ज मुक्त करेंगे तथा स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करेंगे I बुढ़ापा पेंशन बढाकर तीन हजार देंगे और आधे दाम में पूरी बिजली मिलेगी I युवाओं को रोजगार देंगे व रोजगार मिलने तक नौ हजार रूपए मासिक भत्ता देंगे I
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्ता पाकर भाजपाई सत्ता के नशे में मदहोश हो गए हैं Iक्या किसान, क्या व्यापारी, क्या कर्मचारी, क्या श्रमिक सबके सब भाजपा सरकार से दुखी हैं I भाजपा के नेता कोरे भाषणबाज हैं जो झूठ से शुरू करते हैं और झूठ और पर ही ख़तम करते हैं I आज देश में भाजपा की सरकार तेल की खेल से चल रही है और आम जन लाचार है I जो भाजपा तेल और रूपए की कीमतों पर कोहराम मचाती थी आज उनके राज रूपए की कीमत इतनी गिर गई है कि 1 डॉलर रिकॉर्ड 71 रूपए का हो गया है तथा पेट्रोल, डीज़ल और रसोई गैस की कीमतें आसमान छू रही है I उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि ऐसी जनविरोधी सरकार को उखाड़ फेंकने का समय आ गया है I
इस अवसर पर उनके साथ पूर्व मंत्री राव नरेन्द्र, पूर्व सीपीएस राव दान सिंह, पूर्व विधायक अनीता यादव, पूर्व विधायक राव यादवेन्द्र, पूर्व स्पीकर व विधायक कुलदीप शर्मा, पूर्व सीपीएस रणसिंह मान, विधायक शकुन्तला खटक, विधायक जयवीर बाल्मीकि, पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान, पूर्व मंत्री सत्य नारायण लाठर, पूर्व विधायक अर्जुन सिंह, प्रो. विरेन्द्र, पूर्व विधायक रामेश्वर दयाल, संजय राव, संतकुमार, चक्रवर्ती शर्मा, सत्यपाल दहिया, प्रवीण चौधरी, सुनीता चौधरी, राव कृष्ण कुमार, संदीप तंवर, जयदीप धनखड़, अक्षत राव, सुरेंद्र दहिया, धर्मवीर गोयत, भूपेंद्र कासनिया, नरेश हसनपुर, सुरेंद्र यादव, सुरेंद्र कादयान, अजीत सिंह, राकेश ठेकेदार, जसवंत सिंह डूबलाना, महिपाल खानपुरा, शेर सिंह गुवानी, कुलदीप डेरोली, सुमेर सिंह खासपुर, सूरज सिंह,अशोक व अन्य स्थानीय नेता मौजूद रहे I
कांग्रेस ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से भयभीत क्यों है ?
/0 Comments/in DELHI, HARYANA, NATIONAL, OPINION, POLITICS, STATES/by Demokratic Front Bureauकांग्रेस को दरअसल इस बात का डर सता रहा है कि साल 1967 में जिस तरह उसकी 6 राज्यों में सत्ता छिनी, उसी तरह लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने पर कहीं उसके कब्जे के बचे हुए राज्यों से भी सफाया न हो जाए
ऐसी सियासी सूरत बन रही है कि लोकसभा और 11 राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ हो सकते हैं. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने विधि आयोग को लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने की वकालत करते हुए चिट्ठी लिखी है. इससे पहले पीएम मोदी भी कई मौकों पर आम चुनाव और सभी विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की बात कर चुके हैं. वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी बजट सत्र के पहले दिन अपने अभिभाषण में ये बात दोहराई थी.
देखा जाए तो एक साथ चुनाव कराए जाने को लेकर बीजेपी या पीएम मोदी कुछ नया नहीं कह रहे हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त के बीजेपी के घोषणापत्र में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराए जाने का जिक्र है. घोषणा-पत्र में बीजेपी ने लिखा था कि वो सभी दलों के साथ आम सहमति के जरिये ऐसा तरीका निकालना चाहेगी जिससे लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकें.
दरअसल ये विचार उस इतिहास और व्यवस्था की तरफ वापस लौटने का है जिसकी शुरुआत साल 1952 में हुई थी और जो व्यवस्था साल 1967 तक पूरे देश में रही थी. इसके बावजूद कांग्रेस का विरोध समझ से परे है. कांग्रेस में इस विचार को लेकर कोहराम मचा हुआ है. कांग्रेस का कहना है कि इससे संवैधानिक व्यवस्था खतरे में पड़ जाएगी. कांग्रेस इसे अव्यवाहारिक और अतार्किक बता रही है. उसका कहना है कि ऐसा करने के लिए संविधान में संशोधन करना पड़ेगा.
लेकिन ऐसा कहने से पहले कांग्रेस को इतिहास के आईने में झांकना जरूरी है. आजादी के बाद से साल 1967 तक देश में आम चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव हुए हैं. लेकिन इस संवैधानिक परंपरा को तोड़ने का काम खुद कांग्रेस ने ही किया है. देश में साल 1952 से लेकर 1967 तक चार लोकसभा चुनावों के साथ ही विधानसभा चुनाव भी हुए. तय नियम के मुताबिक पांच साल बाद यानी साल 1972 में लोकसभा चुनाव होने थे. लेकिन इंदिरा गांधी की तत्कालीन सरकार ने समय से पहले ही साल 1971 में मध्यावधि चुनाव करा दिए. जाहिर तौर पर मध्यावधि चुनाव करा कर हालात का सियासी फायदा उठाने की कोशिश की गई.
दरअसल साल 1969 में कांग्रेस में फूट पड़ने के बाद कांग्रेस के पास लोकसभा में बहुमत नहीं था. सरकार बचाने के लिए इंदिरा गांधी को कम्युनिस्ट पार्टी का समर्थन लेना पड़ा था. लेकिन तब इंदिरा गांधी ये नहीं चाहती थीं कि कम्युनिस्टों के समर्थन से बनी सरकार को तय समय तक जैसे-तैसे खींचा जाए. उस वक्त उन्हें लगा कि उनके फैसलों की वजह से देश में कांग्रेस के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है. तभी प्रीवी पर्स की समाप्ति, बैंकों के राष्ट्रीयकरण और गरीबी हटाओ जैसे नारों का चुनावी फायदा उठाने के लिये मध्यावधि चुनाव का फैसला किया. इसके पीछे के दूसरी बड़ी वजह ये भी थी कि लगातार चार लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का ग्राफ गिरता जा रहा था. यहां तक कि साल 1967 में छह राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी हार का सामना करना पड़ा था. क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस की सरकारों का सफाया कर दिया था.
कांग्रेस का ग्राफ साल 1952 में 74 फीसदी से गिरकर 1967 तक 54 फीसदी हो गया था. साल 1971 के आम चुनाव में ये 40 फीसदी ही रह गया था. उस वक्त आम चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव होने की वजह से कांग्रेस का ग्राफ गिर रहा था. वहीं साल 1967 में छह राज्यों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था. तमिलनाडु में पूर्व मुख्यमंत्री कामराज की हार चौंकाने वाली थी. कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले तमिलनाडु में क्षेत्रीय पार्टी डीएमके ने मैदान मार लिया था. इसी तरह केरल, ओडीशा, गुजरात, और पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था.
कांग्रेस को डर था कि यही गिरता ग्राफ साल 1972 में होने वाले लोकसभा चुनाव को प्रभावित कर सकता है. तभी उसने मध्यावधि चुनाव का फैसला लेकर लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग अलग करने की शुरुआत कर डाली.
इसके बाद तय नियम के मुताबिक साल 1976 में होने वाले लोकसभा चुनावों को भी 1977 तक ढकेल दिया गया. इसके पीछे इमरजेंसी का हवाला दिया गया. कांग्रेस के इस फैसले को विपक्ष ने असंवैधानिक करार दिया. शरद यादव और समाजवादी नेता मधु लिमये जैसे नेताओं ने इसके विरोध में लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था. ये और बात है कि आज शरद यादव कांगेस की छांव तले महागठबंधन बनाने की कवायद में जुटे हुए हैं.
1980 में इंदिरा गांधी ने सत्ता में वापसी की थी. सत्ता पर दोबारा काबिज होने के बाद उन्होंने सबसे पहले राज्यों की गैर कांग्रेसी सरकारों को भंग करने का काम किया. किसी सरकार के विश्वास मत खोने या फिर किसी आपातकाल की स्थिति में ही उस राज्य में चुनाव कराने का प्रावधान होता है.
जबकि ऐसा काम तो इन साढ़े चाल सालों में मोदी सरकार ने कभी नहीं किया. 22 राज्यों में बीजेपी अपने बूते या फिर गठबंधन के दम पर चुनाव जीतती आई है. उसने किसी गैर बीजेपी राज्य सरकार को बर्खास्त करने जैसा असंवैधानिक अपराध नहीं किया है.
ऐसे में बीजेपी पर आरोप लगाने से पहले कांग्रेस को अपने अतीत में तोड़ी गई संवैधानिक परंपरा का जवाब देना चाहिये. दरअसल कांग्रेस विरोध के पीछे साफतौर पर मोदी लहर का डर देखा जा सकता है. कांग्रेस अब केवल 4 राज्यों में सीमित है. कांग्रेस को लगता है कि एक साथ चुनाव कराए जाने से उसका पूरी तरह सफाया न हो जाए.
सबसे पहले साल 1983 में चुनाव आयोग ने सुझाव दिया था कि देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने की प्रणाली विकसित की जानी चाहिये. उसके बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने देश में एक साथ सारे चुनाव कराने की मांग की थी. एक देश-एक चुनाव के समर्थन में पूर्व चुनाव आयुक्त एचएस ब्रह्मा और एसवाई कुरैशी भी उतरे. उन्होंने माना कि बार-बार चुनावों की वजह से विकास की रफ्तार थम जाती है. चुनावों की वजह से सामान्य कामकाज पर असर पड़ता है. खुद पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी लगातार चुनावों पर अपनी चिंता जता चुके हैं. विधि मंत्रालय और चुनाव आयोग भी केंद्र और राज्य के चुनावों को साथ-साथ कराए जाने के पक्ष में अपने विचार पहले ही जता चुके हैं.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने लॉ कमीशन को लिखी अपनी चिट्ठी में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के फायदे गिनाते हुए कहा कि इससे चुनाव पर बेतहाशा खर्च पर लगाम लगाने और देश के संघीय स्वरूप को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी.
दरअसल देश में हर साल चुनाव होते हैं. चुनावों की वजह से देश का विकास बाधित होता है. चुनाव के चलते लगने वाली अचार संहिता की वजह से कई काम प्रभावित होते हैं. न सिर्फ सरकारी खजाने पर असर पड़ता है बल्कि विकास पर भी बुरा असर पड़ता है.
साल दर साल चुनावों पर होने वाला खर्च बढ़ता जा रहा है जिसका असर देश के खजाने पर पड़ता है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जहां चुनाव आयोग का खर्च 3426 करोड़ था तो वहीं तकरीबन कुल खर्च 35 हजार करोड़ का था. जबकि ठीक दस साल पहले यानी साल 2004 में चुनाव आयोग का खर्च 1114 करोड़ हुआ था जबकि तकरीबन कुल खर्च 10 हजार करोड़ हुआ था.
ऐसे में एक देश एक चुनाव के पीछे के वाजिब तर्कों को सियासी नजरिये से देखना देशहित में नहीं होगा. कांग्रेस के विरोध पर सवाल उठता है कि अगर एक देश-एक चुनाव या फिर साल 2019 के लोकसभा चुनाव के साथ 11 राज्यों का विधानसभा चुनाव कराया जाना लोकतंत्र का अपमान है तो फिर साल 1971 में कांग्रेस ने क्या किया था?
बहरहाल, अगले साल 11 राज्यों के साथ ही लोकसभा चुनाव कराए जा सकते हैं. जिन राज्यों में चुनाव एक साथ कराए जाने की बात हो रही है उनमें अधिकतर बीजेपी शासित राज्य हैं. इस साल के आखिर में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में इन तीनों राज्यों के चुनाव को टालकर 2019 में लोकसभा चुनाव के साथ ही कराए जाने के कयास हैं.
ये राज्य कुछ समय तक के लिए राज्य में राज्यपाल शासन की सिफारिश कर सकते हैं ताकि इन राज्यों के चुनाव भी लोकसभा चुनाव के साथ हो सकें. इसी तरह महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा के विधानसभा चुनाव भी लोकसभा चुनाव के साथ कराए जा सकते हैं. इन राज्यों में लोकसभा चुनाव के बाद चुनाव होने हैं. वहीं आंध्र प्रदेश, ओडिशा और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव भी लोकसभा चुनाव के साथ ही होने हैं. ऐसे में चुनावी खर्च को कम करने के लिए मोदी सरकार एक बड़ा फैसला ले सकती है.
वन नेशन, वन इलेक्शन: भाजपा अपना दांव चल चुकी
/0 Comments/in ANDHRA PRADESH, CHHATTIS GARH, HARYANA, JHARKHAND, MADHYA PRADESH, MAHARASHTRA, MIZORAM, NATIONAL, ODHISHA, POLITICS, RAJASTHAN, STATES, TELANGANA/by Demokratic Front Bureauबीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने लॉ कमीशन को चिट्ठी लिखकर देश भर में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने का समर्थन किया.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने लॉ कमीशन को चिट्ठी लिखकर देश भर में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने का समर्थन किया. अमित शाह ने तर्क दिया कि एक साथ चुनाव कराए जाने पर बेतहाशा खर्च पर रोक लगेगी. इससे यह भी साफ हो सकेगा कि एक साथ पूरा देश इलेक्शन मोड में नहीं रहे.
बीजेपी अध्यक्ष के तर्क को देखा जाए तो इसमें काफी हद तक हकीकत दिखती है. लगभग सभी इस बात को मानते भी हैं कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव अलग-अलग वक्त पर होने के चलते चुनाव खर्च भी ज्यादा लगता है और सरकार खुलकर बड़े पैमाने पर कोई पॉलिसी डिसिजन नहीं ले पाती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले भी इस तरह की वकालत कर चुके हैं. लेकिन, अब लॉ कमीशन को अमित शाह की तरफ से दिया गया सुझाव फिर से चर्चा में है. चर्चा इस बात की शुरू हो गई है कि क्या बीजेपी एक साथ लोकसभा के साथ ही विधानसभा का चुनाव चाह रही है. या फिर अगले साथ ही लोकसभा चुनाव 2019 के साथ कम-से-कम 11 राज्यों में विधानसभा का चुनाव कराने पर विचार हो रहा है.
इस तरह की खबरें आई कि 11 राज्यों में लोकसभा चुनाव के साथ चुनाव कराने पर विचार हो रहा है. अगले साल लोकसभा चुनाव के साथ ही आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडीशा में विधानसभा का चुनाव होना है. 2019 में ही लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा का चुनाव होना है. इन तीनों राज्यों में बीजेपी की सरकार है. लिहाजा, बीजेपी अगर चाहे तो इन तीनों ही राज्यों में विधानसभा का चुनाव पहले ही लोकसभा चुनाव के साथ कराया जा सकता है. इसके अलावा 2020 जनवरी में दिल्ली में विधानसभा का चुनाव होना है. अगर दिल्ली विधानसभा चुनाव भी पहले कराया जाए तो फिर सात राज्यों में लोकसभा के साथ चुनाव हो सकता है.
लेकिन, चर्चा मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में इस साल अक्टूबर और नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव को आगे बढ़ाने को लेकर है. सूत्रों के मुताबिक, इस दिशा में भी सहमति बनाने की कोशिश हो सकती है. इस परिस्थिति में चारों ही राज्यों में या तो विधानसभा का कार्यकाल संविधान संशोधन के जरिए बढा दिया जाए या फिर चारों ही राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू कर अगले साल लोकसभा के साथ ही चुनाव करा लिए जाएं. इन दोनों ही विकल्पों के लिए संविधान संशोधन करना होगा और इसके लिए कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों की भी सहमति लेनी होगी.
लेकिन , ऐसा होना आसान नहीं लग रहा है क्योंकि सभी पार्टियां बीजेपी के साथ इस मुद्दे पर आने से कतरा रही हैं. उन्हें ऐसा लग रहा है कि एक साथ विधानसभा का चुनाव होने की सूरत में बीजेपी को फायदा ज्यादा होगा. कई क्षेत्रीय पार्टियों को भी इस मुद्दे पर अपना वजूद खत्म होने का खतरा लग रहा है.
दूसरी तरफ, बीजेपी को लगता है कि एक साथ चुनाव होने की सूरत में राष्ट्रीय मुद्दे और बड़े चेहरे के दम पर चुनाव जीतना आसान होगा. अगर 2019 की बात करें तो फिर, एक साथ 11 राज्यों में विधानसभा का चुनाव होने की सूरत में बीजेपी को मोदी के नाम और चेहरे का फायदा होगा. इसीलिए इस तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं कि बीजेपी अगले साल 11 राज्यों में चुनाव चाहती है. लेकिन, बीजेपी ने फिलहाल इस तरह की अटकलों को ही खारिज कर दिया है.
उधर,चुनाव आयोग की तरफ से मिल रहे संकेतों से नहीं लगता कि इस दिशा में बात जल्दी बनने वाली है. मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने न्यूज 18 से बातचीत में एक साथ चुनाव करने पर फिलहाल असमर्थता जताई है.
उन्होंने कहा, ‘2019 में लोकसभा चुनाव के साथ ही 11 राज्यों के विधानसभा चुनाव कराने के लिए हमारे पास पर्याप्त वीवीपैट मशीनें नहीं हैं. अगर ऐसी कोशिश की जाती है, तो इसके लिए नई वीवीपैट मशीनों का ऑर्डर देना होगा और इस बारे में एक या दो महीने में फैसला लेना होगा.’
वहीं चुनाव आयोग के कानूनी सलाहकार एसके मेंदीरत्ता ने एक इंटरव्यू में वीवीपैट मशीनों की इसी किल्लत की तरफ इशारा किया था. मेंदीरत्ता ने कहा, ‘ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की मौजूदा संख्या को देखा जाए तो फिलहाल देश भर में एक साथ चुनाव नहीं कराए जा सकते. इसके लिए जरूरी मशीनों की खरीद के लिए आयोग को कम से कम तीन साल का वक्त लगेगा.’
खैर, इन सभी चर्चाओं के बीच लॉ कमीशन जल्द ही इस बारे में अपनी रिपोर्ट सौंपने वाला है. सूत्रों के मुताबिक, लॉ कमीशन के मौजूदा चेयरमैन बी.एस. चौहान अगस्त महीने के ही आखिर में रिटायर हो रहे हैं. इसके पहले आयोग की तरफ से रिपोर्ट सौंपे जाने की संभावना है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराने के लिए लॉ कमीशन ने एक ड्राफ्ट तैयार किया है. इसके तहत दो चरणों में चुनाव कराने का सुझाव था. पहले चरण में 2019 में जबकि दूसरे चरण में 2024 में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव का सुझाव था.
सूत्रों के मुताबिक, पहले चरण में उन विधानसभाओं को शामिल किया गया, जिनका कार्यकाल 2021 में पूरा हो रहा है. इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, असम, बिहार महाराष्ट्र शामिल हैं. वहीं, दूसरे और आखिरी चरण में उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली और पंजाब हैं.
फिलहाल, लॉ कमीशन की तरफ से सरकार को रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद इस पर व्यापक बहस होगी. लेकिन, 2019 में इस तरह की संभावना फिलहाल नजर नहीं आ रही है. हो सकता है कि बीजेपी 2019 में आंध्र, तेलंगाना और ओडीशा के साथ अपने तीन राज्य महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव कराने की तैयारी कर ले.
‘एक देश-एक चुनाव’ भाजपा घबरा गयी: गहलोत
/0 Comments/in ANDHRA PRADESH, CHHATTIS GARH, DELHI, HARYANA, MADHYA PRADESH, NATIONAL, ODHISHA, POLITICS, RAJASTHAN, STATES, TELANGANA, WEST BENGAL/by Demokratic Front Bureauअशोक गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री पूरी तरह से घबराए हुए हैं, अगर संविधान संशोधन कर वह एकसाथ चुनाव करवाना चाहते हैं तो करवाए, कांग्रेस पूरी तरह से तैयार है
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की ओर से लॉ कमीशन के समक्ष देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एकसाथ कराने की पैरवी किए जाने पर कांग्रेस ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती दी कि अगर वह ऐसा चाहते हैं तो लोकसभा को समयपूर्व भंग करें और फिर आगामी विधानसभा चुनावों के साथ लोकसभा चुनाव भी कराएं.
लॉ कमीशन को लिखे शाह के पत्र को ‘नाटक’ करार देते हुए कांग्रेस के संगठन महासचिव अशोक गहलोत ने संवाददाताओं से कहा, ‘शाह का पत्र कुछ नहीं, बल्कि राजनीतिक फ़ायदा हासिल करने का स्टंट है. बीजेपी हार के डर से यह नाटक कर रही है.’ गहलोत ने चुनौती देते हुए कहा, ‘बीजेपी और प्रधानमंत्री चाहें तो राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है उनके साथ लोकसभा चुनाव करवाएं. इसके लिए लोकसभा को समयपूर्व भंग किया जाए.’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह से घबराए हुए हैं. अगर संविधान संशोधन कर वह एकसाथ चुनाव करवाना चाहते हैं तो करवाए, कांग्रेस पूरी तरह से तैयार है.’
कांग्रेस के विधि प्रकोष्ठ के प्रमुख विवेक तन्खा ने कहा कि अगर सरकार मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव को टालने का प्रयास करती है तो कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी.
बीजेपी अध्यक्ष शाह ने लॉ कमीशन के प्रमुख को पत्र लिख कर कहा है कि ‘एक देश-एक चुनाव’ से खर्चों पर लगाम लगाने और देश के संघीय स्वरूप को मजबूत बनाने में सहायता मिलेगी.
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