एस्मा के बावजूद MPHW कर रहे प्रदर्शन

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मल्टीपर्पज हेल्थ वर्कर्स ने अपनी मांगों को लेकर धरना स्थल सेक्टर -5   में दी गिरफ्तारियां व तहसीलदार के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम अपनी मांगों को लेकर सौंपा ज्ञापन।

MPHW अपनी कई मांगो को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. हालांकि प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य विभाग में एस्मा लगा रखा है, बावजूद इसके प्रदर्शन कर रहे कर्मचारी,  इनमें से कई कर्मचारियों पर एस्मा के तहत सेक्टर 5 थाने में मामले दर्ज हैं, इसके बावजूद पुलिस कि नाक तले प्रदर्शन कर रहे हैं

फोटो RK

प्रदर्शनकारियों कि मुख्य मांगें:

4200 पे ग्रेड लागू किया जाए ।

आरसीएच के तहत जितने भी परीयोजना के तहत जितने भी महिलाmphw कर्मी है उनको पक्का किया जाए।

जो m p h w मेल फीमेल और हमारे mphs पुरुष और महिला है उनको तकनीकी घोषित किया जाए।

The Election Commission served show cause notice to Arvind’s AAP


The move comes after report by the Central Board of Direct Taxes on the alleged concealment of donations by the party.


The Election Commission on Tuesday served a show-cause notice on the Aam Aadmi Party seeking an explanation for alleged incorrect disclosures on contributions.

The move comes after report by the Central Board of Direct Taxes on the alleged concealment of donations by the party.

Asking why action should not be taken against the party under Para 16A of the Election Symbol (Reservation & Allotment) order 1968 for failure to follow its lawful directions, the Commission sought its response within 20 days.

“Your representation should reach the office of the Commission within 20 days from the date of receipt of the notice, failing which the matter will be decided on merits based on information available on record,” said the notice.

The AAP submitted the original contribution report for 2014-15 which was received by the EC on September 30, 2015. It had later submitted a revised report on March 20, 2017.

The original report contained a list of 2,696 donors with the total donation amounting to over Rs.37.45 crore and the revised report showed the total amount as Rs.37.60 crore received from 8,264 donors.

Action based on CBDT report

However, a report was submitted to the EC by the Central Board of Direct Taxes in January 2018, “regarding the concealment of donations received by the Aam Aadmi Party (AAP) during Financial Year 2014-15 and other discrepancies…”

The report alleged concealment of donations.

“It is stated that the bank account of the AAP has recorded total credits of Rs.67.67 crore, including Rs.64.44 crore from donations in excess of Rs.20,0001. However, the party has disclosed total income of Rs.54.15 crore from donations in its audited accounts for the year,” said the EC.

Therefore, the report said, it has been held by the Assessing Officer that Rs.13.16 crore have not been accounted for by the party and these donations have been held to be from unknown sources.

प्रदेश में कुल 513 गौशालाएं हैं जिनमें से 500 पंजीकृत और 13 अपंजीकृत गौशालाएं हैं: धनखड़

चंडीगढ़, 11 सितंबर:

हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि प्रदेश में कुल 513 गौशालाएं हैं जिनमें से 500 पंजीकृत और 13 अपंजीकृत गौशालाएं हैं।

यह जानकारी आज यहां विधान सभा के मानसून सत्र के दौरान विधायक श्री जगबीर सिंह मलिक द्वारा इस संबंध में पूछे गए एक प्रश्न के लिखित जवाब में दी।

इन गौशालाओं में रखे गए गौवंश की कुल संख्या 366398 है जिनमें से 321848 गौवंश की टैगिंग की गई है। जिला अम्बाला की 9 गौशालाओं में रखे गए 5573 गौवंश में से 5318 गौवंश की टैगिंग की गई है। इसीप्रकार, जिला भिवानी की 37 गौशालाओं में रखे गए 18948 गौवंश में से 16480, जिला चरखीदादरी की 13 गौशालाओं में रखे गए 4464 गौवंश में से 3598, जिला फरीदाबाद की 6 गौशालाओं में रखे गए 4628 गौवंश में से 3083, जिला फतेहाबाद की 54 गौशालाओं में रखे गए 30259 गौवंश में से 28318, जिला गुरुग्राम की 16 गौशालाओं में रखे गए 18554 गौवंश में से 17921, जिला हिसार की 51 गौशालाओं में रखे गए 41248 गौवंश में से 40131, जिला झज्जर की 9 गौशालाओं में रखे गए 16009 गौवंश में से 14702, जिला जींद की 35 गौशालाओं में रखे गए 35469 गौवंश में से 24583, जिला कैथल की 17 गौशालाओं में रखे गए 20152 गौवंश में से 18004, जिला करनाल की 21 गौशालाओं में रखे गए 13530 गौवंश में से 12677, जिला कुरुक्षेत्र की 24 गौशालाओं में रखे गए 8728 गौवंश में से 7637, जिला नारनौल की 22 गौशालाओं में रखे गए 16075 गौवंश में से 13782, जिला मेवात की 12 गौशालाओं में रखे गए 5719 गौवंश में से 4860, जिला पानीपत की 22 गौशालाओं में रखे गए 14584 गौवंश में से 14307, जिला पंचकूला की 11 गौशालाओं में रखे गए 4281 गौवंश में से 3778, जिला पलवल की 13 गौशालाओं में रखे गए 5693 गौवंश में से 5383, जिला रेवाड़ी की 6 गौशालाओं में रखे गए 3705 गौवंश में से 2529, जिला रोहतक की 10 गौशालाओं में रखे गए 18043 गौवंश में से 15514, जिला सिरसा की 104 गौशालाओं में रखे गए 44272 गौवंश में से 38520, जिला सोनीपत की 23 गौशालाओं में रखे गए 33583 गौवंश में से 28123 और जिला यमुनानगर की 8 गौशालाओं में रखे गए 2881 गौवंश में से 2600 गौवंश की टैगिंग की गई है।

इसके अतिरिक्त, पशु विभाग द्वारा पंचकूला में चलाए जा रहे पशु चिकित्सा केन्द्र या पॉली क्लीनिक और उनमें पशुओं की गई कुल ओपीड

सभी छात्र संगठनों ने एक मंच पर आकर , प्रत्यक्ष चुनाव की उठाई मांग

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कोरल

चंडीगढ़, 11 सितम्बर:

प्रदेश में प्रत्यक्ष छात्र संघ चुनाव करवाने की मांग को लेकर प्रत्यक्ष चुनाव छात्र संघर्ष समिति(एनएसयूआई-इनसो-एसएफआई-जीबीएसएसओ-दिशा छात्र संगठन आदि) छात्र संगठनों ने 11 सितम्बर को विधानसभा का घेराव किया।आंदोलन शालीमार चौंक से हजारो छात्रो के साथ शुरू हुआ और विधानसभा की ओर कूच किया।इस आंदोलन में एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा , इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिग्विजय चौटाला व एसएफआई के प्रदेशाध्यक्ष शहनवाज भट्टी , जीबीएसएसओ , दिशा छात्र संगठन आदि भी अपने संगठन के छात्रो को आंदोलन में लाए।

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विधानसभा घेराव का प्रस्ताव इनसो, एसएफआई और एनएसयूआई के आह्वान पर चंडीगढ़ में संयुक्त छात्र संगठनों की बैठक में हुआ था और सभी छात्र संगठनों ने प्रत्यक्ष सहमति जताते हुए मंच साझा किया था। गत दिनों एमएलए होस्टल में हुई बैठक में प्रत्यक्ष छात्र संघ चुनाव संघर्ष समीति का गठन भी किया गया था। दिव्यांशु बुद्धिराजा ने कहा कि अब राज्य सरकार के विरुद्ध सभी छात्र संगठन एक मंच से प्रत्यक्ष चुनाव कराने की लड़ाई लड़ रहे है जिसका सबूत प्रत्यक्ष चुनावो के लिए सभी छात्र संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित विधानसभा घेराव ने दे दिया है।

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ज्ञापन सौंपने के बाद इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिग्विजय चौटाला ने कहा कि आज जॉइंट कमेटी का प्रत्यक्ष चुनाव को लेकर प्रोटेस्ट हुआ,जिसमे सभी छात्र संगठन एकजुट नजर आए। दिग्विजय ने कहा कि एबीवीपी उन लोगों का संगठन है जो नागपुर संघ कार्यालय के आर्डर पर चलता है और एबीवीपी को हरियाणा के हितों से कोई वास्ता नही। साथ ही दिग्विजय ने एबीवीपी को मोलिस्ट लोगों का संगठन करार दिया। इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिग्विजय ने कहा कि सरकार निककरधारियों को पदों पर बिठाना चाहती है, जो कतई मंजूर नहीं और सरकार को एकजुटता के आगे झुकना होगा और प्रत्यक्ष चुनाव करवाने होंगे।

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एनएसयूआई की ओर से बोलते हुए प्रदेशाध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा ने कहा कि राजनैतिक मतभेदों और गतिरोधों के बावजूद छात्रों के हकों के लिए आवाज बुलंद करना ही प्रत्यक्ष छात्र संगठन का दायित्व बनता है। सरकार अप्रत्यक्ष चुनावो को प्रत्यक्ष व प्रत्यक्ष चुनावो को अप्रत्यक्ष तौर पर करवा रही है।मेयर के अप्रत्यक्ष चुनाव की प्रणाली को बदल कर प्रत्यक्ष कर दिया तो छात्र संघ चुनाव जोकि प्रत्यक्ष होने चाहिए उन्हें अप्रत्यक्ष कर दिया।यदि सरकार ने जल्द प्रत्यक्ष चुनाव कराने के लिए आदेश जारी नही करे तो एक बड़ा क्रांतिकारी आंदोलन किया जाएगा।बुद्धिराजा ने कहा कि एबीवीपी को इस प्रदर्शन में आने के लिए निमंत्रण दिया था, शायद सरकार के दबाव के चलते वे नहीं आये।

प्रत्यक्ष चुनाव छात्र संघर्ष समिति के संयोजक व एसएफआई के प्रदेशाध्यक्ष शहनवाज भट्टी ने कहा कि 13 सितम्बर-14 सितम्बर 2018 को बैठक करके क्रांतिकारी फैसला लिया जाएगा।

छात्र नेताओं ने कहा कि हरियाणा में करीब 22 साल बाद होने वाले छात्र संघ चुनाव प्रत्यक्ष तौर पर नहीं कराए गए इसलिए सभी छात्र संगठनो ने एक प्रदेशव्यापी आंदोलन खड़ा कर विधानसभा का घेराव किया है। उन्होंने बताया कि इस आंदोलन से पहले प्रदेश स्तर पर सभी विश्वविद्यालयों में सभी छात्र संगठनों द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री के नाम साझा ज्ञापन वाइस चांसलर्स को सौंपा गया और जब सरकार यह मांग नहीं मानी इसलिए विधानसभा का घेराव किया गया।साथ ही अब भी मांग नही मानी गई तो वह यह संघर्ष जारी रखेंगे।

आन्दोलन में हिस्सा लेने वालों में मुख्य तौर पर इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिग्विजय सिंह चौटाला,एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा,एसएफआई प्रदेशाध्यक्ष से शहनवाज, एनएसयूआई से प्रताप , शुभम,हरजीत,हरदीप,मोहित, इनसो से अनिल धूल,जसविंदर खेरा,एसएफआई से शहनवाज ,सुमित,जीबीएसओ से सुमित व दिशा छात्र संगठन से इंदरजीत सिंह ,आसिफ,प्रिंस आदि भी शामिल थे।

Why Captain Chooses 10 September as state holiday?

The Sacred scripture

Adi Granth: literally means “the first book.” This is the early compilation of the Sikh Scriptures by Guru Arjan Dev Ji, the fifth Sikh Guru, in 1604. This Granth (Book) is the Holy Scripture of the Sikhs. The tenth Sikh Guru, Guru Gobind Singh Ji added further holy Shabads to this Granth during the period of 1704 to 1706. Then in 1708, before taking leave for his heavenly abode, Guru Gobind Singh Ji affirmed the Adi Granth as the perpetual Guru of the Sikhs and the Granth then became known as the Sri Guru Granth Sahib Ji.

Important Milestones

  • 30 August 1604: Completion of Adi Granth

Please see Sri Guru Granth Sahib for full details

The original copy of the scripture, called Adi Granth, compiled and authenticated by Guru Arjan Dev still exists today and is kept at Kartarpur which is a town about 15 km. north west of the city of JalandharPanjabIndia. This is the only Holy Scripture in the world which was written by the founders of the religion during their lifetime. All other holy scriptures were completed after their founders had left for their heavenly abodes. Further, this is the only holy scripture that can be considered a “universal Granth” because it contains the hymns of both Hindu and Muslim saints.

 

Now the question rises when we don’t found any other day(Hindu or Islamic calendar date) how come Captain Amrinder Singh CM Punjab declares 10 September instead of 1st September. or there is something else which he might like to share with general masses.

Why he chooses 10th September??? Can any one please ……….

Answer is so simple people of Punjab will remain busy in Gurudwaras and enjoying sudden holiday for no reason and no one will ask him for his contribution in Rahul’s cause.

कांग्रेस के भारत बंद से जनता परेशान

Photo by Rakesh Shah


भारत बंद की असलियत ये थी की मंच पर नेता तो दिखे लेकिन जनता गायब थी. कहीं कहीं तो हालात ऐसे थे कि जनता से ज्यादा मंच पर नेता नज़र आए

व्यापारिक प्रतिष्ठानों को धमका कर बंद करवाया गया.


 

कांग्रेस और विपक्षी दलों के भारत बंद को पूरी तरह से विफल करार देते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा कि विपक्षी दलों के भारत बंद से देश की जनता को परेशानी के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हुआ. हुसैन ने संवाददाताओं से कहा कि देश की जनता को पता है कि तेल की कीमतें अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार से जुड़ी हैं और तेल उत्पादक देशों ने कच्चे तेल के उत्पादन में कमी की है, जिसके कारण तेल की कीमतें बढ़ी हैं.

तेल की कीमतों में वृद्धि के मुद्दे पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि कई बार तेल की कीमतें बढ़ी हैं, तो कम भी हुई हैं. सरकार की नीति और नीयत साफ है. सरकार कोशिश में लगी हुई है. जल्द से जल्द देश की जनता को राहत मिलेगी. तेल सस्ता होगा. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने पूछा कि जहानाबाद की उस मासूम बच्ची की मौत का जिम्मेदार कौन है, जिसकी जिंदगी भारत बंद की वजह से चली गई.

कांग्रेस समर्थकों का अहिंसक और शान्ति प्रिय प्रदर्शन

बंद को जनता का समर्थन नहीं

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस और सहयोगी दलों के भारत बंद को जनता का समर्थन नहीं मिला. इसी से हताश होकर बंद समर्थकों ने जगह जगह हिंसा की और देश की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के साथ साथ उग्र प्रदर्शन किया.

उन्होंने कहा कि भारत बंद की असलियत ये थी की मंच पर नेता तो दिखे लेकिन जनता गायब थी. कहीं कहीं तो हालात ऐसे थे कि जनता से ज्यादा मंच पर नेता नज़र आए. विपक्षी पार्टियां बंद के लिए मंच पर इकट्ठा नहीं हुई थी, बल्कि सबकी नजर दिल्ली की सत्ता पर लगी है. लेकिन विपक्ष का ये सपना पूरा होने वाला नहीं है. हुसैन ने विश्वास व्यक्त किया कि पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी क्षणिक है और इस समस्या का हल जल्द निकलेगा.

पेट्रोल 55 और डीजल 50 रुपए लीटर मिलेगा: गडकरी


केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हमारा पेट्रोलियम मंत्रालय एथेनॉल बनाने के लिए पांच प्लांट लगा रहा है, एथेनॉल लकड़ी और नगर निगम के कचरे से बनाया जाएगा’


पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बायोफ्यूल के उपयोग का तरीका सुझाया है. गडकरी ने कहा, मैं 15 वर्षों से कह रहा हूं कि किसान और आदिवासी बायोफ्यूल बना सकते हैं. जिससे हवाई जहाज तक उड़ सकता है. हमारी नई तकनीक से बनी गाड़ियां किसानों और आदिवासियों द्वारा बनाए गए एथेनॉल से चल सकती हैं.

इसी के साथ उन्होंने पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों का भी जिक्र किया. सोमवार को एक सभा को संबोधित करते हुए नितिन गडकरी ने कहा, हम पेट्रोल और डीजल के आयात पर 8 लाख करोड़ रुपए खर्च करते हैं. पेट्रोल की कीमत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. डॉलर की तुलना में रुपए की कीमत घट रही है.’

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ANI

एथेनॉल है पेट्रोल-डीजल का विकल्प

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हमारा पेट्रोलियम मंत्रालय एथेनॉल बनाने के लिए पांच प्लांट लगा रहा है. एथेनॉल लकड़ी और नगर निगम के कचरे से बनाया जाएगा. इसके बाद डीजल की कीमत 50 रुपए प्रति लीटर और पेट्रोल का विकल्प 55 रुपए प्रति लीटर पर उपलब्ध होगा.’

दरअसल पिछले कुछ दिनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार वृद्धि हुई है. और फिलहाल पेट्रोल और डीजल के दाम अब तक के सबसे उच्चतम कीमत पर पहुंच गए हैं. इसके चलते सोमवार को कांग्रेस ने बंद का आयोजन भी किया था.

लिटमस टेस्ट में राहुल फेल


  • जब कांग्रेस के नेतृत्व में मोदी सरकार का विरोध करने में राजनीतिक दल इतना हिचकिचा रहे हैं तो फिर साथ मिलकर चुनाव लड़ने के दावे कहीं कोरी कल्पना न साबित हो जाएं.

  • भारत बंद में शामिल दलों ने  जहाँ राहुल गाँधी के नेतृत्व पर मोहर लगा दी वहीँ ममता माया और अखिलेश कि अनुपस्थिति कोई और ही कहानी बयान करती है.

  • पेट्रोल के 80 का आंकड़ा छूने पर भारत बंद कि नाकाम कोशिश करनेवाले यह भूल गए कि मनमोहन के राज में भी पेट्रोल 84पार जा चुका है.


पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में लगी आग से सियासत सुलगी और भारत बंद का एलान कर दिया गया. कांग्रेस की अगुवाई में भारत-बंद बुलाया गया. ये दावा किया गया कि बंद को 21 विपक्षी दलों का समर्थन हासिल है. ये भारत बंद न सिर्फ केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन था बल्कि शक्ति प्रदर्शन का भी मौका था. इसके जरिये विपक्षी एकता की भी ताल ठोंकी गई. सरकार और जनता को ये संदेश भेजा गया कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ आवाज उठाने का वक्त आ चुका है. लेकिन विपक्षी एकता के ‘लिटमस टेस्ट’ के मौके पर एक बार फिर महागठबंधन को ऐसा ग्रहण लगा कि तेल के मुद्दे पर विपक्ष फिसलता ही दिखा.

महंगाई के खिलाफ कांग्रेस के आह्वान पर 21 विपक्षी दलों के साथ आने का दावा किया गया. रामलीला मैदान में सियासत के मंच पर यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार जैसे चेहरे दिखाई दिये. लेकिन मंच पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नुमाइंदे नहीं दिखे. यहां तक कि आम आदमी पार्टी ने भी ‘कभी हां-कभी ना’ के बाद विरोध की मशाल थामना बेहतर समझा. इसके बावजूद समाजवादी पार्टी की तरफ से अखिलेश यादव और बीएसपी की तरफ से मायावती का कोई भी प्रतिनिधि मंच पर नहीं आया.

लोकसभा चुनाव से पहले रामलीला मैदान एक खास पड़ाव बन सकता था जहां से विपक्षी दल न सिर्फ मोदी सरकार के खिलाफ जनता को सामूहिक संदेश देते बल्कि अपनी एकता का भी जोरदार प्रचार करते. लेकिन पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतों को जनता के बीच मुद्दा बनाने से एसपी और बीएसपी चूक गए. मंच पर उनकी गैरमौजूदगी से दूसरा संदेश गया. जहां कांग्रेस विपक्षी एकता का दावा कर रही थी तो एसपी-बीएसपी की गैरमौजूदगी से संदेश गया कि महागठबंधन के संभावित सहयोगियों के लिये तेल की कीमतों से ज्यादा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर तनाव है.

दरअसल, साल 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एसपी और बीएसपी यूपी की ‘सीट-साधना’ में जुटे हुए हैं. ऐसे में एसपी-बीएसपी की कांग्रेस से दूरी को दरअसल यूपी में सीटों के बंटवारे को लेकर इशारा समझा जा सकता है.

यूपी की कुल 80 में से 40 सीटों पर मायावती दावा कर रही हैं. वहीं अखिलेश यादव भी अपनी पार्टी के लिये 40 सीटों की मांग करने का इरादा रखते हैं. ऐसे में फिर कांग्रेस के लिये यूपी में बचेगा क्या? वैसे भी कांग्रेस के लिये न तो जमीन बची है और न ही जनाधार. ऐसे में यूपी में सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस-एसपी-बीएसपी में बात कैसे बनेगी?

दरअसल, यूपी में हाल ही में हुए उपचुनावों के वक्त एसपी-बीएसपी के गठबंधन से बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस को भी नुकसान हुआ है. एसपी-बीएसपी के गठबंधन से कांग्रेस यूपी में सौदेबाजी की रेस से बाहर हो गई है. जबकि यूपी में उपचुनावों में मिली जीत के बाद एसपी-बीएसपी के हौसले बुलंद हैं. बुआ-भतीजे को लगता है कि उन्हें मोदी सरकार को हराने के  लिये गठबंधन की कुंजी मिल गई है और कांग्रेस की अब जरूरत नहीं है.

पेट्रोल डीजल के बढ़ते दामों के खिलाफ कांग्रेस ने देश भर में भारतबंद का ऐलान किया है जिसे कुल 21 पार्टियों का समर्थन मिला है

महागठबंधन बनने के पहले ही विपक्षी पार्टियों में ये संदेश भी फैल चुका है कि पीएम उसी पार्टी का बनेगा जिसकी सबसे ज्यादा सीटें होंगी.ऐसे में हर पार्टी ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की जी तोड़ कोशिश करेगा. साथ ही ये भी चाहेगा कि गठबंधन की सूरत में उसे सीट बंटवारे में भी ज्यादा से ज्यादा सीटें मिली. यही वजह है कि इस समय एसपी-बीएसपी का जोर खुद की सेहत पर ज्यादा और कांग्रेस की कमजोरियों पर कम है. तभी एसपी-बीएसपी ने कांग्रेस के बुलाए भारत-बंद में शामिल न हो कर ये संदेश भी दे दिया कि उन्हें राहुल की लीडरशिप में कोई  दिलचस्पी नहीं है.

रामलीला के मैदान में मंच पर आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह की मौजूदगी एक नए समीकरण का प्रतीक है. दरअसल आम आदमी पार्टी ने एक दिन पहले तक भारत बंद को समर्थन देने से इनकार कर दिया था. आम आदमी पार्टी का आरोप था कि बीजेपी और कांग्रेस की सरकार में फर्क कुछ भी नहीं है और कांग्रेस ने जो महंगाई साल 2014 तक बढ़ाने का काम किया था वही अब  बीजेपी कर रही है.

आम आदमी पार्टी ने हालांकि ये कहा था कि वो सैद्धांतिक रूप से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का विरोध करती है लेकिन भारत बंद में शामिल होने का उसका कोई इरादा नहीं है. लेकिन बाद में आम आदमी पार्टी ने भारत बंद को सहयोग देने का एलान कर दिया. खुद आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह रामलीला मैदान में मंच पर मौजूद थे.

Bharat Bandh Protest March

कांग्रेस विरोध में जन्मी आम आदमी पार्टी अब बीजेपी विरोध के चलते कांग्रेस के साथ खड़ी है. राजनीति की यही विडंबना है. कभी कांग्रेस आम आदमी पार्टी को सरकार बनाने के लिये समर्थन देती है तो कभी राज्यसभा में उपसभापति के चुनाव के वक्त आम आदमी पार्टी से समर्थन तक नहीं मांगती है. लेकिन अब कांग्रेस साल 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर किसी भी पार्टी को छोटा या अछूत नहीं मानना चाहती है. वो सारे वैचारिक मतभेदों को दूर कर सिर्फ बीजेपी के वोट काटने के एक सूत्री कार्यक्रम पर फोकस कर रही है. यही वजह है कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त की तर्ज पर कांग्रेस ने दिल्ली में बीजेपी को टक्कर देने के लिये आम आदमी पार्टी से हाथ मिला लिया है.

लेकिन इतने खास मौके पर एसपी-बीएसपी का तेल की तरह फिसलना महागठबंधन के भविष्य और संभावनाओं पर बड़ा सवाल है. साफ है कि इस वक्त एसपी-बीएसपी साल 2019 के चुनाव के तेल की धार देख रहे हैं और उन्हें कांग्रेस को लेकर कोई कन्फ्यूज़न नहीं है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि विपक्षी एकता के नाम पर कांग्रेस कहीं किसी मुगालते में तो नहीं जी रही? क्या कांग्रेस की कमजोर रणनीति की ही वजह से बीजेपी अब ताल ठोंक कर कहने लगी है कि अगले 50 साल तक उसे हराने वाला कोई नहीं?

कांग्रेस ने तेल की कीमतों को ताड़ बनाने का दरअसल मौका गंवा दिया. भले ही इस मुद्दे पर वो देर से ही सही मैदान में उतरी लेकिन बिना किसी तैयारी के उतर कर उसने मोदी सरकार पर हल्ला बोल की जगह सेल्फ गोल करने का ही काम किया. एक तरफ बीजेपी जहां खुल कर ये कह रही है कि उसका तेल की कीमतों पर नियंत्रण नहीं है तो दूसरी तरफ वो कांग्रेस पर भारत बंद के दौरान हुई हिंसा का आरोप लगा रही है. भारत बंद से हुई असुविधा की वजह से आम जनता तेल की कीमतों को भूल गया. कांग्रेस की विरोध की कोशिश से जनता ही परेशान हुई और जनता में ये संदेश गया कि विपक्ष सिर्फ मोदी विरोध की राजनीति के चलते तोड़फोड़ कर आम लोगों का नुकसान कर रहा है. बहरहाल, कैलाश मानसरोवर से लौटे राहुल गांधी का ये सियासी वार भी खाली गया क्योंकि उनके संभावित महागठबंधन के सहयोगियों ने ही आग लगी तेल की कीमतों पर ठंडा पानी डालने का काम किया है.

Receiving no good response to Bandh, Congress workers attack school bus, private vehicles, throw stone at trains attacking passengers!

 

The Congress and few of its allies had called for Bharat Bandh today to protest against the fuel price and the central government. However, the bandh call has not been successful as people felt it was a gimmick of the Congress party to utilize the situation for their benefits. It is well known that in 2013, the petrol prices under Congress had reached Rs 84 and then PM Manmohan Singh had vaguely said that they were unable to control the price because of global crisis.

But what congress has forgotten is, it was Modi government who has repaid the credit value of over 2 Lakh crore to the oil companies which were due since 5 years. This information was clarified 2 months back by the Petroleum minister himself.

And the real reason for fuel hike is the unimaginable debts which were created by Congress during their tenure.

The Congress which is responsible for this huge mess is today pretending to be saints and are creating disruption in the name of Bharat Bandh and Protest. Rahul Gandhi should be reminded that in 10 years of Congress rule, there was a whopping RS 47 hike in petrol prices. But in Modi government’s rule, there has been Rs 4-5 hike in 4.5 years.

But this was not the end, the Congress workers have targeted private vehicles of common citizens with stones and sticks just to create panic and project the Bandh was successful

There were also reports on attack on trains by Congress workers who were seen throwing stones targeting innocent passengers.

The worst part was, the so called protestors have attacked a school bus in Mumbai. It is unfortunate that in our country these goons destroy public property in the name of protests and bandhs. Only criminals can go to an extent of attacking school buses of innocent children and claim it to be freedom of speech and expression.

This is the real scenario of how these Bandh and protests are misused by political parties. The ultimate sufferers are only innocent people and common man who have to bear these criminals and goons.

The court will have to take suo moto action against the unruly behavior of Congress party workers or anyone who destroys public property and troubles commoners for their political gimmicks.

No CM face till party gets ‘majority’ says Kiran Choudhary

Photo by R.K.


State Congress CLP leader, MLA from Tosham Constituency said that there is no Chief Minister face in the party till date. While responding to media persons regarding her being in the same races she did not deny her stake. At the same time she ruled out any polarisation in the party. She said that all the party leaders are conveying the party policies to the masses in their respective areas and ways.

While criticising the anti masses policies of BJP, Kiran said that the prices of petrol and other products varies according to the local government policies which imposes taxes on fuels. as and when the Govt. of India raises tax rates on fuels the oil companies in India also increase the price of petrol to recover losses and maintain marginal profits in the oil business in India.  The fear linked to the rise of petrol prices in India are never ending.  Do we blame crude oil for these steep price hike? Or is the root cause something different?  The answer lies in the fact that while crude oil continues to remain cheaper, the taxes levied by the State and Central Govts. which are actually for the ever rising petrol prices. Since May, 2014, there has been successive increase in the excise duty.  Data reveals that as of November, 2014, there has been a 54% increase in the excise duty on petrol.

Kiran along with  Hooda and other MLAs going to Vidhan Sabha Photo by Rakesh shah

Daily prices revision of petrol has begun 16th june this year. It has been observed that the price rise has happened gradually. As petrol does not fall under GST, the price of it varies across States. However, when considering the cost and freight prices alongwith the excise duty, dealer commission, applicable VAT etc., it has been found that the taxes on petrol sums up to be more than its actual cost. Although, presently crude oil has become much cheaper compared to what it had been way back in 2014, it is that collective taxes levied by the State and the Central Govts., that has caused the petrol price to rise to what it had been in 2014,  the highest till date. despite promises from the Govt. regarding rolling back the taxes, the prices of petroleum products have increased many folds.

people were brought from various distts. to mark political presence of ‘the Mahagathbandhan’ photo by R.K.

Relentless rise in prices of petrol and diesel is not inevitable because the price is built up by excessive taxes on petrol and diesel. If taxes are cut, prices will decline significantly. Rising oil prices have direct bearing in India’s inflation and fiscal indicators in the Indian Economy.

To give relief to common people the petrol and diesel should be brought within the ambit of GST and also reduce state VAT and Central Excise and taxes on fuel so that petrol diesel prices are reduce by Rs. 10/15 per liter.