5 साल बाद 5 रोहङियाओं को वापिस भेजा

इन रोहिंग्याओं को बिना यात्रा दस्तावेज के पांच साल पहले पकड़ा गया था. इन पर विदेशी कानून का उल्लंघन करने का मामला दर्ज किया गया था.

गुवाहाटी: असम के तेज़पुर जेल में बंद एक रोहिंग्या परिवार के पांच सदस्यों को गुरुवार को म्यांमार वापस भेज दिया गया. अधिकारियों ने तीन महीने पहले भी सात अन्य लोगों को पड़ोसी देश वापस भेजा था. पुलिस ने यहां यह जानकारी दी.

असम के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीमा) भास्कर ज्योति महंत ने बताया कि इन लोगों को मणिपुर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर म्यांमार अधिकारियों को सौंप दिया गया. इन रोहिंग्याओं को  बिना यात्रा दस्तावेज के पांच साल पहले पकड़ा गया था और इन पर विदेशी कानून का उल्लंघन करने का मामला दर्ज किया गया था. यह जेल की सजा पूरी करने के बाद तेजपुर हिरासत केंद्र में बंद थे.

बता दें कि फिलहाल असम के अलग -अलग जिला के डिटेंशन कैंपों में कुल 20 रोहिंग्या हैं, जिनके प्रत्यार्पण की प्रस्तुति भी सजा पूरी करने के बाद कर दी जाएगी. बिना दस्तावेज के मणिपुर के मोरे से यह रोहिंग्या असम में प्रवेश करते हैं. चूंकि पहले से ही संदिग्ध बांग्लादेशियों के रहने के मामले आलोक में हैं इसलिए रोहिंग्याओं को केवल उनके बोली से ही पहचाना जाता है.

फिलहाल असम बॉर्डर पुलिस के पास अवैध रूप से असम में घुसे और रोहिंग्याओं के कोई तथ्य नहीं हैं कारण ये असम को केवल भारत के अन्य हिस्सों में जाने का मार्ग के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. भारत सरकार के तथ्य अनुसार फिलहाल भारत में 40 हज़ार रोहिंग्या अवैध रूप से रह रहे हैं. असम बॉर्डर पुलिस बिना कोताही बरते संदिग्ध रोहिंग्याओं की खोजबीन जगह-जगह पर कर रही है.

म्यांमार देश में बर्मी लोगों के बोलचाल और संस्कृति से बिल्कुल भिन्न रोहिंग्या मुसलमान होते हैं. ये बांग्लादेश से म्यांमार के रखाइन प्रान्त में बहुतायत में बताये जाते हैं. रख़ाइन में कई लोगों का मानना है कि बढ़ती आबादी की वजह से एक दिन वो उनके ज़मीन को हथिया लेंगे.  म्यांमार के समाज और सेना को रोहिंग्याओं से अपनी संस्कृति और राजनैतिक क्षमता के जाने की चिंता सताती हैं. इसलिए इन्हें देश की सीमा से बहार खदेड़ देने की कोशिश की जाती है. इस लिए इन पर अमानवीय जुल्मो सितम भी ढहाये जाते हैं.

म्यांमार में बोली जाने वाली 135 आधिकारिक जातीय समूहों में रोहिंग्या मुसलमानों को गिना नहीं जाता है. म्यांमार के राष्ट्रवादी समूहों ने इस अवधारणा को प्रोत्साहित किया कि रोहिंग्या मुसलमान एक ख़तरा हैं, क्योंकि मुस्लिम पुरुषों की चार पत्नियां और कई बच्चे हो सकते हैं.

बता दें कि असम पहले से ही अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों के संकट से जूझ रहा है. ऐसे में रोहिंग्या संकट चाहे शरणार्थी के तौर पर ही हो, असम के लोग इन्हें शरण देने के पक्ष में नहीं हैं. 

कांग्रेस अब मुसलमानों का नहीं बल्कि सेकंड लरजेस्ट मेजोरिटी का तुष्टीकरण करेगी

कांग्रेस का 2019 का घोषणापत्र तैयार हो रहा है. इस बार कांग्रेस जनता से रूबरू है. कांग्रेस के नेता शहर और कस्बों में जाकर लोगों से राय मशविरा कर रहे हैं. इस संवाद की महत्वपूर्ण बातें कांग्रेस के मेनिफेस्टो में नजर आ सकती हैं. कांग्रेस में ये प्रक्रिया पहली बार अपनाई गई है.

इस सिलसिले में अल्पसंख्यक वर्ग से बातचीत का दायरा बढ़ाया गया है, जिसमें राहुल गांधी के करीबी सचिन राव और सलमान खुर्शीद इस वर्ग से बातचीत कर रहे हैं, जिसमें कई प्रमुख बातें निकलकर आ रही हैं. मुस्लिम वर्ग की तरफ से कांग्रेस को कई सुझाव दिए जा रहे हैं. इस वार्ता में मुस्लिम बुद्धिजीवी वर्ग को बुलाया जा रहा है. इस कार्यक्रम के सूत्रधार सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट फुज़ैल अहमद अय्यूबी का कहना है कि डॉयलाग और डिस्कशन से ही रिजल्ट निकल सकता है. पहली बार कांग्रेस ड्राइंग रूम से निकलकर लोगों की राय जानने की कोशिश कर रही है.

ये अच्छी पहल है, जिसके नतीजे सकारात्मक हो सकते हैं. वहीं पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कांग्रेस को समर्थन करने की अपील की है.

ना ले मुसलमान का नाम

दिल्ली में हुई इस बैठक में कई लोगों ने सुझाव दिया कि इन चुनाव में मुसलमान का नाम ही ना लिया जाए तो बेहतर है बल्कि सेकेंड लार्जेस्ट मेजॉरिटी कहा जाए तो ज्यादा अच्छा है. ऐसे लोगों का डर है कि जैसे कांग्रेस मुसलमान का नाम लेती है, वैसे बीजेपी ध्रुवीकरण का खेल शुरू कर लेती है. कई लोगों की राय थी कि कांग्रेस सिर्फ देश के संविधान की बात करे, जिसमें सभी लोगों को समान अधिकार दिया गया है. संविधान में जो अल्पसंख्यक को अधिकार दिया गया है वही काफी है. ऐसे लोगों की तादाद ज्यादा थी, जो मुसलमान के हक की बात कर रहे है.

कांग्रेस उचित दूरी ना बनाए

इस बैठक में शामिल कई लोग ये कह रहे हैं कि कांग्रेस डर गई है. बीजेपी के हिंदुत्व के जवाब में सॉफ्ट हिंदुत्व की लाइन पर चल रही है. कांग्रेस को बीजेपी के हिंदुत्व का जवाब अपनी पार्टी की विचारधारा के आधार पर देना चाहिए, ना कि सॉफ्ट हिंदुत्व की लाइन पर चलना चाहिए.

पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब ने कहा कि कांग्रेस मुसलमान से उचित दूरी ना बनाए क्योंकि फिर मुसलमान क्या करेगा? कांग्रेस को इस माहौल में डटकर खड़ा होना चाहिए कि कांग्रेस सिर्फ सुरक्षा का वायदा करे क्योंकि मुल्क के हालात बदल गए हैं. मुसलमान को अपनी देशभक्ति साबित करने के लिए रोजाना कहा जा रहा है इसलिए कांग्रेस को बीजेपी के विरोध की राजनीति करनी चाहिए ऐसा नहीं दिखना चाहिए कि कांग्रेस बीजेपी की बी टीम बनती जा रही है.

दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदर कमाल फारूकी ने सवाल किया कि यहां सभी तबके के लोगों को क्यों नहीं बुलाया गया है? जिससे ये पता चल सके कि मुस्लिम क्या सोचता है उसकी राय क्या है? जिससे इस डायलॉग का बेहतर नतीजा निकल सकता है. हालांकि इसकी सफाई में कहा गया कि पंजाब और कश्मीर में भी इस तरह का कार्यक्रम किया जा रहा है.

मॉब लिंचिंग पर सख्त कानून

मॉब लिंचिंग की वजह से लोग दहशत में है. इसलिए ऐसा कानून बनना चाहिए कि इस तरह के लोगों पर काबू किया जा सकता है. लिंचिंग पर कानून इस तरह बनना चाहिए कि हर समुदाय पर लागू हो सकता है. भीड़ तंत्र का इंसाफ भयावह होता जा रहा है. इसलिए ये सुझाव दिया गया कि लिंचिंग की वारदात के बाद फौरन एनएसए और मकोका को फौरन लगाया जाए, ये अमल जिला प्रशासन पर ना छोड़ा जाए. जो राजनीतिक दबाव में आ सकता है. ज़ाहिर है कि जैसे ही इस तरह की घटना हो वैसे ही सभी मुल्जिमों को इस कानून के दायरे में कार्रवाई होनी चाहिए.

सच्चर कमेटी पर विरोधाभासी राय

मुसलमानों की हालात पर बनी सच्चर कमेटी पर लोगों की राय अलग थी. कुछ लोगों का कहना था कि सच्चर कमेटी का नाम लेते ही बीजेपी का राग शुरू हो जाता है. ऐसे में सच्चर का नाम न ही लेना बेहतर है बल्कि सच्चर कमेटी की सिफारिश में से कई बात निकालकर मेनिफेस्टो में डाला जा सकता है. जैसे आवासीय विद्यालय, कई लोगों का कहना था कि नवोदय की तर्ज पर बने आवासीय विद्यालय से पढ़े बच्चे कौम की जाहलियत को दूर करने में मदद कर सकते हैं. हालांकि रिजर्वेशन की बात भी उठाई गई है लेकिन इसका स्वरूप स्पष्ट नहीं है.

राजनीतिक हिस्सेदारी की कमी

कांग्रेस पार्टी से सीधे सवाल पूछा गया कि आखिर राजनीति में हिस्सेदारी क्यों कम है? कांग्रेस ज्यादा लोगों को टिकट क्यों नहीं दे रही है. ये सवाल भी उठाया गया कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने सिर्फ तीन टिकट दिए, जिसमें दो जीतकर आए, वहीं राजस्थान में सात लोग जीते. टिकट देने में बीजेपी से थोड़ा बेहतर ही कांग्रेस है. कांग्रेस ज्यादा मुस्लिम को टिकट देगी तो ज्यादा लोग संसद में जा सकते है.

क्या करेगी कांग्रेस?

कांग्रेस अभी सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही है. बीजेपी के हिंदुत्व और राष्ट्रवाद से मुकाबला है. कांग्रेस के नेता राहुल गांधी सॉफ्ट हिंदुत्व पर अपनी लाइन खींच रहे हैं लेकिन बीजेपी से मुकाबला करना मुश्किल है. प्रधानमंत्री के हालिया बयान में राम मंदिर/अयोध्या विवाद पर कांग्रेस को आड़े हाथ लिया है. कांग्रेस पर आरोप लगाया कि इस मसले पर देरी कांग्रेस की वजह से हो रही है, जिससे कांग्रेस को जवाब देना मुश्किल है. कांग्रेस के लिए इस माहौल में इस तरह के इमोटिव मुद्दों पर बीच का स्टैंड ही सूट करता है. यही कांग्रेस की मुश्किल है. इस तरह के मसले पर कांग्रेस न इधर दिखाई दे सकती है ना ही उधर दिखाई दे सकती है. बीजेपी कांग्रेस की इस मुश्किल का फायदा उठाती है.

2019 की लड़ाई

आम चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो गया है. सभी दल अपने हिसाब से भूमिका बांध रहे हैं. राजनीतिक खेमेबंदी भी शुरू हो गई है. प्रधानमंत्री के इंटरव्यू से साफ हो गया है कि बीजेपी अपने कोर वोट के साथ को साधना चाहती है. इसके साथ बीजेपी के विरोध में मुखर हो रहे तबकों को भी साथ लेकर चलने की तैयारी कर रही है. बीजेपी इस वर्ग की तरफ हाथ बढ़ा रही है, जिससे कांग्रेस फिक्रमंद हो रही है. कांग्रेस की विडंबना है कि रीजनल पार्टियों ने अल्पसंख्यक वोट में सेंध लगा रखी है. ये सेंध भी 1992 के बाद लगी है. ये वोट कांग्रेस के पास वापिस नहीं आ पा रहा है. ये मेनिफेस्टो मीट इस आबादी को विश्वास में लेने की कवायद है, जिसकी कामयाबी पर कांग्रेस का भविष्य टिका है.

6 दिसम्बर से भव्य राम मंदिर का निर्माण आरंभ होगा: वेदांती

राम जन्मभूमि न्यास समिति के वरिष्ठ सदस्य और पूर्व सांसद रामविलास वेदांती ने शुक्रवार को दावा किया कि अयोध्या मे विवादित भूमि पर इसी साल छह दिसम्बर से भव्य राममंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के राममंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने जाने की पहल का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि पांच अक्टूबर को साधु संतों के ऐलान के बाद आरएसएस प्रमुख का बयान स्वागत योग्य है। कभी दो सीटों वाली भारतीय जनता पार्टी आज देश की सबसे अधिक सांसदों वाली पार्टी तो है ही, साथ ही दुनिया मे सबसे लोकप्रिय पार्टी होने का तमगा भाजपा के पास ही है। देश मे आज 20 राज्यों में भाजपा की सरकार है।

शिवसेना प्रमुख उद्वव ठाकरे के नंबवर मे अयोध्या मे राममंदिर निर्माण की दिशा में शिलान्यास करने के ऐलान पर वेदांती ने कहा कि भाजपा के अलावा कोई भी दल राममंदिर का निर्माण करने का पक्षधर नहीं है।

उन्होंने कहा कि देश का मुसलमान चाहता है कि अयोध्या में भव्य रामलला इन मंदिर बने। सुन्नी वक्फ बोर्ड के लोग चाहते हैं, शिया वक्फ बोर्ड के लोग चाहते हैं, केवल 20 प्रतिशत लोग नहीं चाहते और वह ऐसे लोग हैं जो पाकिस्तान से सम्मानित किए जाते हैं। पाकिस्तान की मंशा है कि भारत का हिंदू और मुसलमान आपस में इसी तरह से लड़ता और भिडता रहे।

फैजाबाद के पूर्व सांसद ने कहा कि भारत के हिंदू और मुसलमानों को आपस में लडाने के लिए पाकिस्तान पैसा भेजता है। अरबों डालर रुपया भारत में इसी बाबत भेजा जाता है ताकि देश का मुसलमान और हिंदू आपस में लड़ते रहे।

उन्होंने कहा कि 2018 के आखिर मे अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण का शुभारंभ किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रहते श्रीराम मंदिर का निर्माण नहीं होगा तो फिर कब होगा।

आज देश मे प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, देश के 20 राज्यों में भाजपा की सरकार होना इस बात का सबूत है कि हर कोई राममंदिर निर्माण मे अपनी अपनी हिस्सेदारी रखना चाहता है। हमारे पक्ष ने साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए धार्मिक ग्रंथों तथा पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट प्रस्तुत की तो वाल्मीकि रामायण के अनुरूप मंदिर माना।

वेदांती ने बाबर के वंशज प्रिंस के दावे को खारिज करते हुए कहा कि प्रिंस झूठ बोलते हैं। उन्होंने जमीन का मालिकाना हक पर सवाल उठाते हुए कहा कि अयोध्या की जमीन सरकारी दस्तावेज में दशरथ के नाम पर दर्ज हुआ करती थी जो आज राजाराम के नाम पर दर्ज है। इस बात का सबूत अदालत मे प्रस्तुत किए जा चुके हैं।

Justice Ranjan Gogoi is 46th CJ India.


President Ram Nath Kovind administered the oath to Justice Gogoi at a ceremony which took place in Rashtrapati Bhavan’s Darbar Hall.

Justice Gogoi’s father Sh. Keshab Chandra Gogoi was a Chief minister under the Indian National Congress regime in the state of Assam in the year 1982.


Justice Ranjan Gogoi took oath as the as the 46th Chief Justice of India on Wednesday as he succeeded Justice Dipak Misra.

President Ram Nath Kovind administered the oath to the 63-year-old Justice Gogoi at a ceremony which took place in Rashtrapati Bhavan’s Darbar Hall.

Justice Gogoi’s father Sh. Keshab Chandra Gogoi was a Chief minister under the Indian National Congress regime in the state of Assam in the year 1982.

Justice Gogoi will have a tenure of a little over 13 months and would retire on November 17, 2019.

He was appointed as a judge of the Supreme Court on April 23, 2012.

Born on November 18, 1954, Justice Gogoi was enrolled as an advocate in 1978. He practised in the Gauhati High Court on constitutional, taxation and company matters.

He was appointed as a permanent judge of the Gauhati High Court on February 28, 2001. On September 9, 2010, he was transferred to the Punjab and Haryana High Court.

He was appointed as Chief Justice of Punjab and Haryana High Court on February 12, 2011.

Justice Gogoi was one of the four Supreme Court judges who had revolted against CJI Misra earlier this year. The other three were Justice J. Chelameswar, Justice Madan B. Lokur and Justice Kurian Joseph.

In an unprecedented move, the four senior-most judges of the apex court had held a press conference in January this year raising, among other things, questions over assigning cases to different judges by the CJI.

Earlier in September, CJI Misra had recommended Justice Gogoi as his successor as per the established practice of naming for the post the senior-most judge after the CJI.

The appointment of members of the higher judiciary is governed by the Memorandum of Procedure, which says “appointment to the office of the Chief Justice of India should be of the senior-most judge of the Supreme Court considered fit to hold the office”.

The protocol stipulates that the law minister will, at an appropriate time, seek recommendation of the outgoing CJI for the appointment of a successor. Once the CJI makes the recommendation, the law minister puts it before the Prime Minister who then advises the President on the matter.

After President Ramnath Kovind signed warrants of Justice Gogoi’s appointment , a notification was issued announcing his appointment.

Mahagathbandhan’ is an alliance of some opportunistic parties to hide their weakness:Modi


Modi attributed the party’s success to its workers and their grip over their respective polling booths


New Delhi, 13 September,2018:

Prime Minister Narendra Modi on Thursday said the Congress was in the Intensive Care Unit (ICU) and using other parties as support system to survive, observing it is getting desperate to join hands with any party to forge a grand opposition alliance for the 2019 Lok Sabha polls,

Mr. Modi also said the wind is blowing in the BJP’s favour and that opportunist opposition parties are clutching each other’s hands to withstand its force.

He exhorted party workers to follow the mantra of ‘Mera Booth Sabse Mazboot’ to ensure BJP’s victory in the next general elections.

Addressing party workers of five Lok Sabha constituencies via the NaMo app, Mr. Modi said the BJP’s biggest strength is its workers. Their hard work has ensured the party’s historic success and progress in a short span of four years, he added.

He attributed the party’s success to its workers and their grip over their respective polling booths.

Only mantra

‘Mera Booth Sabse Mazboot’ (my polling booth, the strongest)…this is the only mantra and this is our strength,” Mr. Modi said in a video interaction.

Replying to a question on opposition parties trying to stitch an alliance for the 2019 polls, Modi assured the party workers that the BJP will win again.

“… the wind is blowing in favour of BJP, even stronger than 2014. That’s why opposition parties are clutching each other’s hands to save themselves from being blown away,” he said.

Mahagathbandhan, an alliance of opportunistic parties

Describing the proposed ‘Mahagathbandhan’(grand alliance) as an alliance of some opportunistic parties to hide their weakness, Mr. Modi said,”they are trying to stich an alliance of parties while we are trying to unite the hearts of the people.”

He further said there is confusion on policy and leadership in the proposed grand alliance and its intent is corrupt and Congress is using other parties as support system to save itself in the ICU and survive.

“The Congress is now desperate to join hands with any party to survive. The Congress is trying to save itself in the ICU. For it, all these allies(in the alliance) are support system to survive,” he said.

The Prime Minister also urged party workers to continuously interact with voters of their respective constituencies and ensure that at least 20 families and youth are working with the party in every polling booth.

He was addressing workers from five constituencies — Jaipur (Rural), Nawada, Ghaziabad, Hazaribagh, Arunachal West — in Rajasthan, Uttar Pradesh, Jharkhand and Arunachal Pradesh respectively.

Lashes out at Congress

Mr. Modi, who was nominated the BJP’s prime ministerial candidate this day in 2013 for the 2014 Lok Sabha polls, said only in the BJP can an ordinary party worker become its leader. He also asserted that someone else can also take his place.

Talking about the work carried out by his government, Mr. Modi said ‘Sabka Sath Sabka Vikas’ is not just a slogan but it’s our inspirational Mantra. He said the country will not be a developed one unless everyone in it is developed and asserted his government do not discriminate on the basis of caste and religion.

Lashing out at the Congress, the Prime Minister said it is, unlike the BJP, a one family party. He said he felt pity for dedicated workers of the opposition party.

“Many capable and committed workers of the Congress were sacrificed for interests of the family,” he said.

The opposition is resorting to lies in its campaign but today people in the country are awake while opposition is not ready to come out of its slumber, the prime minister said.

China’s strategic intentions should not be taken casually: Parliamentary Committee


Despite India’s strong objections, the CPEC was being openly trumpeted as a ‘gift to Pakistan’ by China, the Standing Committee on External Affairs said in its latest report on Sino-Indian relations.


Delhi, 13 September, 2018:

A Parliamentary Committee has expressed concern over the fact that while India has been ‘overtly cautious’ about China’s sensitivities while dealing with Taiwan and Tibet, Beijing does not exhibit the same deference while dealing with India’s sovereignty concerns, be it in the case of Arunachal Pradesh or that of the China Pakistan Economic Corridor (CPEC).

Despite India’s strong objections, the CPEC was being openly trumpeted as a ‘gift to Pakistan’ by China, the Department related Standing Committee on External Affairs said in its latest report on Sino-Indian relations.

‘’India cannot but oppose the CPEC which violates India’s territorial integrity. The committee desires that China’s double standards should be exposed. It opposes any project in Arunachal Pradesh for which funding has been sought from international financial institutions on the grounds that this is disputed territory. At the same time, it conducts construction activities in Indian territory which China itself acknowledges as disputed,’’ said the report of the committee, headed by its chairperson Shashi Tharoor, in the context of the Doklam area.

The high-powered panel, of which Congress President Rahul Gandhi too is a member, said given the ‘muscular’ approach of China of late while dealing with some of the issues pertaining to India, it was difficult for the committee to be content with India continuing with its ‘conventionally deferential policy’ towards China.

“Dealing with a country like China essentially requires a flexible approach. The committee strongly believes that the government should contemplate using all options, including its relations with Taiwan, as part of such an approach’’, it added.

On last summer’s military stand-off at Doklam, the committee said the Chinese intrusion was a blatant and unsuccessful attempt to unilaterally change the status quo by shifting the India, Bhutan, China trijunction from Batang La to Gyomochen, thereby seriously affecting India’s security interests by enhancing China’s ability to dominate the vulnerable Siliguri sector.

The committee commended the government’s overall handling of the Doklam crisis as it managed to send necessary signals to China that India would not acquiesce in its unilateral and forceful attempts to change the status quo at any of India’s territorial boundaries. It, however, expressed concern that Chinese infrastructure built uncomfortably close to the tri-junction has not yet been dismantled.

Referring to reports which allude to the presence of Chinese troops around Doklam plateau, the committee noted the Defence Secretary’s statement that PLA troops were within their own territory and there was nothing unusual about their deployment. The panel, however, was of the opinion that while dealing with China, it was always better to have a sense of healthy scepticism. ‘’Even if they have withdrawn their troops from Doklam for the time being, China’s strategic intentions should not be taken casually.’’ It urged the government not to let its vigil down in order to prevent any untoward incident in future.

The Committee also suggested a comprehensive border engagement agreement between the Indian Army and the PLA, subsuming all established mechanisms for confidence building, including border personnel meetings, flag meetings, meetings of the working mechanism for consultation and coordination on border affairs and other diplomatic channels.

पेट्रोल 55 और डीजल 50 रुपए लीटर मिलेगा: गडकरी


केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हमारा पेट्रोलियम मंत्रालय एथेनॉल बनाने के लिए पांच प्लांट लगा रहा है, एथेनॉल लकड़ी और नगर निगम के कचरे से बनाया जाएगा’


पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बायोफ्यूल के उपयोग का तरीका सुझाया है. गडकरी ने कहा, मैं 15 वर्षों से कह रहा हूं कि किसान और आदिवासी बायोफ्यूल बना सकते हैं. जिससे हवाई जहाज तक उड़ सकता है. हमारी नई तकनीक से बनी गाड़ियां किसानों और आदिवासियों द्वारा बनाए गए एथेनॉल से चल सकती हैं.

इसी के साथ उन्होंने पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों का भी जिक्र किया. सोमवार को एक सभा को संबोधित करते हुए नितिन गडकरी ने कहा, हम पेट्रोल और डीजल के आयात पर 8 लाख करोड़ रुपए खर्च करते हैं. पेट्रोल की कीमत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. डॉलर की तुलना में रुपए की कीमत घट रही है.’

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ANI

एथेनॉल है पेट्रोल-डीजल का विकल्प

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हमारा पेट्रोलियम मंत्रालय एथेनॉल बनाने के लिए पांच प्लांट लगा रहा है. एथेनॉल लकड़ी और नगर निगम के कचरे से बनाया जाएगा. इसके बाद डीजल की कीमत 50 रुपए प्रति लीटर और पेट्रोल का विकल्प 55 रुपए प्रति लीटर पर उपलब्ध होगा.’

दरअसल पिछले कुछ दिनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार वृद्धि हुई है. और फिलहाल पेट्रोल और डीजल के दाम अब तक के सबसे उच्चतम कीमत पर पहुंच गए हैं. इसके चलते सोमवार को कांग्रेस ने बंद का आयोजन भी किया था.

तरुण सागर जी के ब्रह्मलीन होने की खबर सुनकर आहत हूं: अनिल विज

 

 

अम्बाला- जैन मुनि तरुण सागर जी के निधन पर हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने व्यक्त किया शोक।

अम्बाला- विज ने कहा समाज को सही दिशा दिखाने में हमेशा याद किया जायेगा तरुण सागर जी का योगदान।

अम्बाला- विज ने कहा- तरुण सागर जी के ब्रह्मलीन होने की खबर सुनकर आहत हूं।

पीवी सिंधू ने 18वें एशियाई खेलों में रचा इतिहास


रियो ओलंपिक खेलों की रजत विजेता भारत की पीवी सिंधू ने सोमवार को 18वें एशियाई खेलों की बैडमिंटन स्पर्धा के महिला एकल स्वर्ण पदक मुकाबले में पहुंचकर इतिहास रच दिया।


सिंधू भारत की पहली बैडमिंटन खिलाड़ी बन गयी हैं जिन्होंने एशियन खेलों के फाइनल में प्रवेश पाया है। उन्होंने महिला एकल सेमीफाइनल मुकाबले में भारी उत्साह और भारतीय समर्थकों के सामने दूसरी सीड जापान की अकाने यामागुची के खिलाफ 66 मिनट तक चले रोमांचक मुकाबले को 21-17, 15-21, 21-10 से जीता।

विश्व की तीसरे नंबर की खिलाड़ी सिंधू ने यामागुची की चुनौती को स्वीकारते हुये बराबरी की टक्कर दिखाई। पहला गेम जीतने के बाद दूसरे गेम में हालांकि जापानी खिलाड़ी ने कहीं बेहतर खेल दिखाया और 8-10 से सिंधू से पिछड़ने के बाद लगातार भारतीय खिलाड़ी को गलती करने के लिये मजबूर किया और 11-10 तथा 16-12 से बढ़त बना ली।

सिंधू पर दबाव बढ़ता गया और एक समय यामागुची ने स्कोर 17-14 पहुंचा दिया और फिर 20-15 पर गेम प्वांइट जीतकर 21-15 से गेम जीता और मुकाबला 1-1 से बराबर पहुंचा दिया। निर्णायक गेम और भी रोमांचक रहा जिसमें यामागुची ने आत्मविश्वास के साथ शुरूआत करते हुये 7-3 की बढ़त बनाई।  लेकिन सिंधू लगातार अंक लेती रहीं और 5-10 से पिछड़ने के बाद लंबी रैली जीतकर बढ़त बनाई।

उन्होंने 11 अंकों की सबसे बढ़ी बढ़त ली और 16-10 से यामागुची को पीछे छोड़ा और 20-10 पर मैच प्वाइंट जीतकर निर्णायक गेम और मैच अपने नाम कर लिया। तीसरी वरीय खिलाड़ी के सेमीफाइनल मुकाबला जीतने के साथ ही स्टेडियम में बैठे लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनकी जीत का स्वागत किया।

सिंधू अब फाइनल में भारत को पहला एशियाड स्वर्ण दिलाने के लिये चीनी ताइपे की ताई जू यिंग के खिलाफ उतरेंगी जिन्होंने दिन के एक अन्य सेमीफाइनल में भारत की सायना नेहवाल को 21-17, 21-14 से पराजित किया।
सायना एशियाई खेलों में महिला एकल का पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी हैं।

‘मन की बात’ का 47वां संस्करण

 

मोदी ने रविवार को आकाशवाणी अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 47वें संस्करण में देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि सुशासन को मुख्य धारा में लाने के लिए देश सदा वाजपेयी का आभारी रहेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वाजपेयी ने भारत को नई राजनीतिक संस्कृति दी और बदलाव लाने का प्रयास किया। इस बदलाव को उन्होंने व्यवस्था के ढांचे में ढालने की कोशिश की जिसके कारण भारत को बहुत लाभ हुआ हैं और आगे आने वाले दिनों में बहुत लाभ होने वाला सुनिश्चित है।

उन्होेंने कहा कि भारत हमेशा 91वें संशोधन अधिनियम 2003 के लिए अटल जी का कृतज्ञ रहेगा। इस बदलाव ने भारत की राजनीति में दो महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। पहला यह कि राज्यों में मंत्रिमंडल का आकार कुल विधानसभा सीटों के 15 प्रतिशत तक सीमित किया गया। दूसरा यह कि दल-बदल विरोधी कानून के तहत तय सीमा एक-तिहाई से बढ़ाकर दो-तिहाई कर दी गयी। इसके साथ ही दल-बदल करने वालों को अयोग्य ठहराने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश भी निर्धारित किए गए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कई वर्षों तक भारी भरकम मंत्रिमंडल गठित करने की राजनीतिक संस्कृति ने ही बड़े-बड़े “जम्बो” मंत्रिमंडल कार्य के बंटवारे के लिए नहीं बल्कि राजनेताओं को खुश करने के लिए बनाए जाते थे। वाजपेयी ने इसे बदल दिया। इससे पैसों और संसाधनों की बचत हुई। इसके साथ ही कार्यक्षमता में भी बढ़ोतरी हुई।

मोदी ने कहा कि यह अटल जी दीर्घदृष्टा ही थे, जिन्होंने स्थिति को बदला और हमारी राजनीतिक संस्कृति में स्वस्थ परम्पराएं पनपी। अटल जी एक सच्चे देशभक्त थे। उनके कार्यकाल में ही बजट पेश करने के समय में परिवर्तन हुआ। पहले अंग्रेजों की परम्परा के अनुसार शाम को पांच बजे बजट प्रस्तुत किया जाता था क्योंकि उस समय लन्दन में संसद शुरू होने का समय होता था। वर्ष 2001 में अटल जी ने बजट पेश करने का समय शाम पांच बजे से बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया।

मोदी ने कहा कि वाजपेयी के कारण ही देशवासियों को ‘एक और आज़ादी’ मिली। उनके कार्यकाल में राष्ट्रीय ध्वज संहिता बनाई गई और 2002 में इसे अधिसूचित कर दिया गया। इस संहिता में कई ऐसे नियम बनाए गए जिससे सार्वजनिक स्थलों पर तिरंगा फहराना संभव हुआ। इसी के कारण अधिक से अधिक भारतीयों को अपना राष्ट्रध्वज फहराने का अवसर मिल पाया। इस तरह से उन्होंने प्राण प्रिय तिरंगे को जनसामान्य के क़रीब कर दिया। उन्होेंने कहा कि वाजपेयी ने चुनाव प्रक्रिया और जनप्रतिनिधियों से संबंधित प्रावधानों में साहसिक कदम उठाकर बुनियादी सुधार किए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी तरह आजकल आप देख रहे हैं कि देश में एक साथ केंद्र और राज्यों के चुनाव कराने के विषय में चर्चा आगे बढ़ रही है। इस विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों में लोग अपनी-अपनी बात रख रहे हैं। ये अच्छी बात है और लोकतंत्र के लिए एक शुभ संकेत भी। मैं जरुर कहूंगा कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए, उत्तम लोकतंत्र के लिए अच्छी परम्पराएं विकसित करना, लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए लगातार प्रयास करना, चर्चाओं को खुले मन से आगे बढ़ाना, यह भी अटल जी को एक उत्तम श्रद्धांजलि होगी।

वाजपेयी के योगदान का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने गाज़ियाबाद से कीर्ति, सोनीपत से स्वाति वत्स, केरल से भाई प्रवीण, पश्चिम बंगाल से डॉक्टर स्वप्न बनर्जी और बिहार के कटिहार से अखिलेश पाण्डे के सुझावाें का जिक्र किया।