नीतीश कुमार के लिए 2015 जैसा रणनीति बनाने की तैयारी में जुटे हुए हैं


2015 चुनाव में नीतीश के साथ काम कर चुके प्रशांत किशोर एक बार फिर से सुशासन बाबू और जेडीयू के करीब आ गए हैं


सियासी रणनीति बनाने में माहिर माने जाने वाले पीके यानी प्रशांत किशोर क्या फिर से नीतीश कुमार के लिए 2015 जैसा रणनीति बनाने की तैयारी में जुटे हुए हैं. यह सवाल एक बार फिर से बिहार के सियासी फिजा में घूम रहा है. इसकी चर्चा तब तेज हुई जब एनडीए की बैठक के ठीक एक दिन पहले पीके और नीतीश कुमार की मुलाकात हुई थी.

पीके इफेक्ट को लेकर बिहार में सियासी गर्मी तेज हो गई है. बिहार के बक्सर के रहने वाले प्रशांत किशोर की पहचान सियासी नब्ज को पहचानने और चुनावी रणनीति बनाने में माहिर शख्सियत के तौर पर मानी जाती है.

सियासी हलके में पीके 2014 से तब चर्चा में आए जब बीजेपी के चुनावी रणनीतिकार बने और बीजेपी को तब शानदार सफलता मिली. इसके बाद पीके बीजेपी से अलग होकर नीतीश कुमार के नजदीक आए और बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के लिए रणनीतियां बनाई जिसके परिणाम में महागठबंधन को शानदार जीत मिली.

इसके बाद पीके नीतीश कुमार से दूर हो गए थे लेकिन इस वक्त जब नीतीश कुमार और एनडीए में अंदर खाने सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है तो पीके एक बार फिर से नीतीश कुमार के नजदीक आ गए हैं. वह नीतीश कुमार और जेडीयू के लिए रणनीति बनाने में लग गए हैं.

पीके की सक्रियता को लेकर जेडीयू खुलकर नहीं बोल रही है. जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक कहते हैं कि 2015 में प्रशांत किशोर प्रचार का काम देखने के लिए हमारे साथ जुड़े थे. जहां तक रणनीति बनाने का सवाल है, इसमें नीतीश कुमार ही माहिर हैं और उनसे बड़ा रणनीतिकार और चाणक्य कोई नहीं है. पार्टी से जितने लोग जुड़ते हैं उससे कहीं न कहीं पार्टी का फायदा होता है.

सूत्र बताते हैं कि पिछले दो महीने में पीके कई बार बिहार का दौरा कर चुके हैं और नीतीश कुमार से मुलाकात कर जेडीयू के लिए नई रणनीति बना रहे हैं. यही नहीं सूत्र यह भी बता रहे हैं कि आने वाले कुछ महीने में जेडीयू कई नए कार्यक्रम तैयार कर जनता के बीच जाने वाली है. इसका खाका भी पीके ने तैयार कर लिया है. बताया जाता है कि नीतीश कुमार और पीके की बैठक के बाद यह रणनीति भी बनी की ज्यादा सीट को लेकर बयानों का सिलसिला तेज हो ताकि बीजेपी पर सीटों को लेकर दबाव बने. इसके बाद जेडीयू के प्रवक्ता और बड़े नेताओं ने भी एक सुर से नीतीश को बड़े भाई कहा और ज्यादा सीट मांगने का बयान देने लगे.

जाहिर है पीके की रणनीति अभी और तेज होगी. बीजेपी भी पीके आने की हलचल पर संभल कर बयान दे रही है. बीजेपी प्रवक्ता संजय सिंह टाइगर कहते हैं कि चुनाव में कई लोगों की भूमिका होती है और सबसे बड़ी भूमिका जनता की होती है. किसी को चुनाव प्रबंधन में जोड़ने के लिए हर पार्टी स्वतंत्र है.

बिहार में महागठबंधन को सफलता दिलवा चुके पीके की जेडीयू के साथ नजदीकी से नीतीश के विरोधी सतर्क हो गए हैं. पीके पर सवाल पूछने पर कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा कहते हैं कि महागठबंधन नहीं बनता तो वह सफलता नहीं मिलती. इसमें पीके का क्या रोल है? महागठबंधन पीके ने नहीं बनवाया था.

बहरहाल, लोकसभा चुनाव के पहले तमाम पार्टियां चुनावी रणनीति बनाने में जुट गई है. भले ही यूपी के चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के लिए पीके सफलता नहीं दिलवा सके लेकिन उनकी कुशल रणनीति का कायल हर पार्टी है. बिहार के सियासत में पीके कितना इफेक्ट डालते हैं ये तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन इतना भी तय है कि पीके की रणनीति से वाकिफ दूसरी पार्टियां भी इसकी काट में रणनीति बनाने में जुट गई है.

हमारे कार्यकर्ताओं का बलिदान बेकार नहीं जाएगा : शाह


पश्चिम बंगाल: जानिए बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या समेत किन मुद्दों पर बोले अमित शाह


दो दिवसीय दौरे पर पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने तृणमूल कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने पश्चिम बंगाल की जनता के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिए गए लाभों के बारे में भी बताया. राज्य में हो रही बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या पर भी उन्होंने आज खुलकर बात की. जानिए शाह के पश्चिम बंगाल दौरे की प्रमुख बातें.

 संपर्क फॉर समर्थन अभियान के तहत बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पुरुलिया के लागदा गांव पहुंचे, उनके स्वागत के लिए भीड़ में काफी उत्साह दिखा.

 भाषण देने से पहले अमित शाह ने तारापीठ मंदिर में पूजा-अर्चना की.

 शाह के रैली में पहुंचते ही बंगाल में बदलाव और परिवर्तन का नारा लगा.

 शाह ने कहा कि अगर तृणमूल कांग्रेस को लगता है कि हिंसा के जरिए वह सत्ता में बने रहे सकते हैं तो मैं उनको चुनौती देता हूं कि हमारे कार्यकर्ताओं का बलिदान बेकार नहीं जाएगा और तृणमूल कांग्रेस की सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं रहेगी.

 शाह ने बीजेपी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि यूपीए सरकार में 13वें फाइनेंस कमीशन के जरिए पश्चिम बंगाल को केवल 1 लाख 32 हजार करोड़ रुपए दिए गए वहीं 14वें फाइनेंस कमीशन में बीजेपी की सरकार ने राज्य के विकास के लिए 3 लाख 60 हजार रुपए दिए.

 शाह ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा चलाई जा रही विकास योजनाएं तृणमूल कांग्रेस की सरकार की वजह से पश्चिम बंगाल की जनता तक नहीं पहुंच रही हैं.

 शाह ने टीएमसी पर निशाना साधते हुए कहा कि बंगाल का विकास नहीं हुआ लेकिन टीएमसी के गुंडों का विकास हो गया है. हालात यह हैं कि सभी फैक्ट्रियों को बंद कर दिया गया है केवल बम बनाने वाली फैक्ट्री चलाई जा रही हैं.

 पुरुलिया में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता दुलाल कुमार के पिता महावीर कुमार ने कहा कि ममता सरकार कुछ नहीं कर रही है, बीजेपी की तरफ से हमें 5 लाख की मदद मिली है. उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोग हमारे घर आए थे. वहीं महावीर की पत्नी ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि उन्हें राज्य सरकार की जांच एजेंसी पर भरोसा नहीं है.

 मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता दुलाल की बेटी ने कहा कि वह बड़े होकर डॉक्टर बनना चाहती हैं और अपने पिता का सपना पूरा करना चाहती हैं.

दिग्विजय सिंह मानते हैं कि हिंदू होता ही नहीं है : रामेश्वर शर्मा


रामेश्वर शर्मा ने कहा कि दिग्विजय सिंह के पिता भगवान राम के बहुत बड़े भक्त थे, लेकिन दिग्विजय सिंह मानते हैं कि हिंदू होता ही नहीं है.


 

मध्य प्रदेश के बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के बयानों को पकिस्तान से जोड़ते हुए कहा कि दिग्विजय लाहौर में जाकर बयान दिया करें. बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि हिंदुत्व को लेकर दिए दिग्विजय सिंह जो कहते हैं उससे उनके ही डीएनए पर सवाल खड़े हो गए हैं.

रामेश्वर शर्मा ने कहा कि दिग्विजय सिंह के पिता भगवान राम के बहुत बड़े भक्त थे, लेकिन दिग्विजय सिंह मानते हैं कि हिंदू होता ही नहीं है. शर्मा ने ये कहा कि दिग्विजय सिंह को अपने बयान लाहौर में जाकर देने चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि लाहौर का कोई मौलवी मध्य प्रदेश में बैठकर ये बयान देता है.

दिग्विजय सिंह अपने बयानों से अक्सर चर्चा में बने रहते हैं. हाल ही में ही झाबुआ में उन्होंने बयान दिया था कि जितने भी हिंदू धर्म के आतंकवादी पकड़े गए हैं वे सब के सब संघ के कार्यकर्ता रहे हैं. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे भी आरएसएस का हिस्सा थे. उन्होंने कहा कि यह विचारधारा नफरत फैलाती है, नफरत हिंसा की ओर ले जाती है और हिंसा आतंकवाद की ओर ले जाती है.

इससे पहले भी उनके हिंदू आतंकवाद वाले बयान पर भी खूब बवाल मचा था. इसके बाद दिग्विजय ने सफाई भी दी थी. उन्होंने कहा कि मैंने हिंदू आतंकवाद नहीं, बल्कि संघी आंतकवाद की बात कही है.

सतना पंहुचे कार्तिकेय ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा


कार्तिकेय ने माना कि चुनावी साल में अपने पिता का सहयोग करने के लिए वे मैदान में उतरे हैं. वंशवाद की खिलाफत करने वाली भाजपा आज उसी की राह पर होने के सवाल को कार्तिकेय ने टाल दिया.


भारतीय जनता युवा मोर्चा की संकल्प यात्रा बुधवार को सतना पहुंची. यात्रा का नेतृत्व भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष अभिलाष पांडे एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के पुत्र कार्तिकेय सिंह चौहान कर रहे थे. दोनों युवा नेताओं ने भाजपा युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं को जागरूक करने के साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी व प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ में निशाना साधते हुए कांग्रेस को हिंसक पार्टी करार दिया.

कार्तिकेय ने माना कि चुनावी साल में अपने पिता का सहयोग करने के लिए वे मैदान में उतरे हैं. वंशवाद की खिलाफत करने वाली भाजपा आज उसी की राह पर होने के सवाल को कार्तिकेय ने टाल दिया. भाजपा युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कार्तिकेय ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने आपसी फूट है, भारतीय राजनीति में इस वक्त झूठ, फरेब और हिंसा का बोलबाला है. कांग्रेस सत्ता के लिए किसानों को बहला फुसलाकर हिंसा करवा रही है. उन्होंने महागठबंधन को लेकर कहा कि जो एक दूसरे को देखना पसंद नहीं करते थे वे आज एकजुट हो रहे हैं. कार्तिकेय ने चेतावनी देते हुए कहा कि सत्ता के लिए अगर किसी ने हिंसा फैलाने की कोशिश की तो यह भाजपा कभी नहीं होने देगी.

कार्तिकेय और प्रदेशाध्यक्ष अभिलाष पांडे ने आगामी चुन व में तन, मन और धन से पार्टी को जिताने में लगने के लिए युवाओं को संकल्प दिलाया. भाजयुमो प्रदेशाध्यक्ष अभिलाष ने कहा कि संकल्प यात्रा पूरे मध्यप्रदेश में घूमकर छिंदवाड़ा में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के घर जाकर भाजपा सरकार बनाने का शंखनाथ कर समाप्त होगी. इस संकल्प यात्रा के जरिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के पुत्र कार्तिकेय की सियासी लॉंचिग हो गई है.

 

तेलंगना की तर्ज़ पर हो सकता है उत्रांधरा आन्दोलन : कल्याण


पवन कल्याण कर रहे हैं बटवारे की राजनीति.  जब एक जिला बनता है तो अरबों रूपये का सालाना खर्च बढ़ जाता है. यह तो एक पूरा पूरा राज्य मांगने की धमकी दे रहे हैं.


‘जन सेना पार्टी’ के प्रमुख पवन कल्याण ने आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा उत्तरांध्रा को ‘जानबूझकर उपेक्षित’ किए जाने पर अलग राज्य के लिए तेलंगाना जैसा ही आंदोलन करने की धमकी दी है.

उत्तरी आंध्रा के बुद्धिजीवियों के  साथ एक बातचीत के दौरान अनिभेता से राजनेता बने पवन कल्याण ने कहा, “यदि आंध्रा के शासक वर्गों का, लालच, क्रूरता और उत्पीड़न जारी रहता है तो अगले कुछ सालों में उत्तरांध्रा नया राज्य बन जाएगा.”

उत्तरी आंध्रा में श्रीककुल्म, विजिनागरम और विशाखापत्तनम जिले शामिल हैं.

उत्तरांध्रा के लोगों के गुस्से का जिक्र करते हुए पवन ने कहा, “उत्तरी आंध्र के इलाके हरी भूमि और प्राकृतिक संसाधनों से भरे हुए हैं, लेकिन इसे उपेक्षित किया जा रहा है. अधिकांश प्राकृतिक संसाधनों और खानों में घोटाला हुआ है, लूट की सभी योजनाएं सरकारी योजनाएं थीं ”

इसके बाद एक के बाद एक कई ट्वीट करके उन्होंने कह, “युवा, महिलाएं और बुद्धीजीवी अपने आत्मसम्मान, गरिमा और राजनीतिक आर्थिक समानता के लिए एक मजबूत आंदोलन बना रहे हैं. वे तथाकथित राजनीतिक वर्गों पर भरोसा नहीं करते हैं और यह नजर भी आता है. तेलंगाना आंदोलन भी इसी तरह शुरू हुआ और उन्होंने राज्य का दर्जा प्राप्त किया.”

जन सेना नेता ने व्यवसाय पर बाहरी लोगों का प्रभुत्व, उत्तरांध्रा की भाषा और संस्कृति का उपहास, प्रवास, स्थानीय व्यवसाय, भूमि हथियाने और जनजातीय कल्याण जैसे मुद्दों को उठाया.

पवन कल्याण ने कहा कि अगर वह 2019 में सत्ता में आते हैं तो सुनिश्चित करेंगे कि उत्तरांध्रा विकसित हो और प्राकृतिक संसाधन प्रभावित न हो. उन्होंने उत्तरांध्रा से प्रत्येक प्रवासी श्रमिकों को एक हेक्टेयर भूमि वितरित करने के लिए सभी कदम उठाने का वायदा किया.

बता दें कि जन सेना पार्टी 2019 में सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

मगहर से होगा 2019 का शंखनाद

 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की करिश्माई अपील के साथ संत कबीर को उनके मकबरे पर श्रद्धांजलि और फिर मगहर में होने वाली रैली का बड़ा राजनीतिक महत्व हो सकता है.


साल 2014 में ‘मोक्ष’ की नगरी (वाराणसी) से शुरू हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा ने एक नया मोड़ लिया है. प्रधानमंत्री अब पूर्वी उत्तर प्रदेश के कस्बे मगहर से बीजेपी का चुनावी बिगुल फूंकने जा रहे हैं. इस कस्बे को ‘नरक का द्वार’ भी कहा जाता है. उधर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने राम मंदिर के निर्माण की बात फिर से उठानी शुरू कर दी है. ऐसे में लगता है कि पीएम मोदी ‘सबके विकास’ पर फोकस रखेंगे.

बता दें कि पीएम मोदी आज मगहर के दौरे पर हैं. प्रधानमंत्री, संत कबीर दास की 500वीं पुण्यतिथि पर उनकी परिनिर्वाण स्थली पर जाकर उनकी मजार पर चादर चढ़ाएंगे. साथ ही वह कबीर अकादमी का शिलान्यास करेंगे. मोदी एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे, जिसे बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर प्रचार की शुरूआत के रूप में देख रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम की अपनी हालिया कड़ी में इस ओर इशारा भी दिया. पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में 15वीं शताब्दी के मशहूर कवि और संत कबीर दास का जिक्र करते हुए कहा था कि कबीर ने ‘लोगों को धर्म और जाति के विभाजन से ऊपर उठने और ज्ञान को पहचान का एकमात्र आधार बनाने की अपील की थी’.

ऐसे में कई लोगों ने कबीर के लिए पीएम मोदी के ‘अचानक उठे प्यार’ पर सवाल उठाया था, जिसका जवाब इस गुरुवार को होने वाले पीएम मोदी के मगहर दौरे में निहित है.

ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री का यह निर्णय ‘अगड़ी जाति’ के लोगों को परेशान कर सकता है, जो राज्य में बीजेपी का मुख्य वोटबैंक रहे हैं. हालांकि, नदजीक से देखने पर यह फैसला उपचुनाव में मिली हार के बाद बेहद सोच समझ कर उठाया गया प्रतीत होता है. गोरखपुर से सटे संत कबीर नगर जिले में स्थित मगहर धार्मिक मान्यताओं में वाराणसी के विरोधी के रूप में खड़ा दिखता है.

‘वाराणसी के खिलाफ मगहर’ कबीर दास बनाम अगड़ी जाति के हिंदुओं पर प्रभुत्व रखने वालों के बीच विचारों के संघर्ष को दर्शाता है. कबीर ने मगहर में अपनी आखिरी सांस लेने का फैसला किया था, क्योंकि वह ब्राह्मणों द्वारा प्रचारित विश्वास के खिलाफ लड़ना चाहते थे कि ‘मोक्ष’ केवल वाराणसी में ही प्राप्त किया जा सकता है, जबकि मगहर में मरने से व्यक्ति नरक में जाता है.

हिन्दुओं और मुसलमानों  में बराबर रूप में सम्मानित 15वीं शताब्दी के कवि संत कबीर दास का मगहर में एक मकबरा और समाधि है. संत कबीर के अनुयायियों को ‘कबीर पंथी’ के नाम से जाना जाता है, जो मुख्य रूप से दलित और पिछड़ी मानी जाने वाली हिंदू जातियों से आते हैं. उत्तर प्रदेश में वाराणसी से गोरखपुर तक उनका खासा प्रभाव है.

यह माना जाता है कि कबीर के पिता एक मुस्लिम जुलाहे थे और मुसलमानों के बीच भी उनका एक मजबूत अनुयायी वर्ग है. संत कबीर गरीब और दमित लोगों के बीच राजनीति का एक मजबूत प्रतीक हो सकते हैं, जिन्हें पारंपरिक रूप से बसपा और सपा जैसी पार्टियों का समर्थक माना जाता है.

ऐसे वक्त जब 80 संसदीय सीटों वाली यूपी में बीजेपी के लिए परेशानियों का सबब बढ़ रहा है, तो बीजेपी के लिए संत कबीर मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव के एक अग्रदूत बन सकते हैं. बीते कुछ महीनों में दलितों के बीच असंतोष और उनके कथित अलगाव से यहां बीजेपी के लिए चुनौती बढ़ी है.

बीएसपी और एसपी के एकसाथ आने के बाद गोरखपुर, फूलपुर और कैराना लोकसभा सीटों पर उपचुनाव में हुई हार को दलितों और पिछड़ों की नई एकता के रूप में देखा जा रहा है. आलोचकों का मानना है कि फिलहाल बीजेपी के पास इन मुसीबतों के लिए कोई स्पष्ट रणनीति नहीं है. इसलिए, संत कबीर दास बीजेपी के लिए खोया आत्मविश्वास हासिल करने का एक संभावित माध्यम हो सकते हैं.

भाजपा हालांकि कबीर को लेकर किसी भी राजनीति से इनकार करती है. पार्टी के महासचिव और एमएलसी विजय बहदुर पाठक कहते हैं, ‘हमारे लिए कबीर दास राजनीति नहीं, बल्कि विश्वास के पात्र हैं. हमारी पार्टी और सरकार ने हमेशा उनके नजरिये का ध्यान रखा है. कबीर ने निराश-हताश लोगों के लिए लड़ाई लड़ी. कुछ ऐसी ही बीजेपी भी है, जो ‘सबका साथ-सबका विकास’ के लिए प्रतिबद्ध है. पाठक साथ ही कहते हैं कि प्रधानमंत्री मगहर में मंच से संबोधन देंगे तो यह “समाज के अंतिम व्यक्ति को न्याय दिलाने” के हमारे संकल्प को और मजबूत करेगा.

उधर कांग्रेस प्रवक्ता और पूर्व विधायक अखिलेश प्रताप सिंह कहते हैं, ‘कबीर पाखंड के खिलाफ लड़े थे और प्रधानमंत्री का पाखंड मगहर में सामने आएगा. लोगों को इस तरह की तिकड़म से बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता.’

अमरनाथ यात्रा तेज़ बारिश के चलते 48 ग्नातों तक स्थगित

 

खराब मौसम के चलते अमरनाथ यात्रा स्‍थगित कर दी गई है. पहलगाम बेस कैंप से रवाना होने वाली यात्रा को नन वैन कैंप में रोका गया है. बता दें कि बुधवार शाम से ही मूसलाधार बारिश हो रही है. वहीं मौसम विज्ञान विभाग ने भी अगले 48 घंटों तक बारिश होने का अनुमान लगाया है. ऐसे में यात्रा को आगे बढ़ाना संभव नहीं लग रहा था. बताया जा रहा है कि अब यात्रा सिर्फ तभी शुरू होगी जबकि मौसम सुधर जाएगा. फिलहाल किसी भी यात्री को पवित्र गुफा की ओर जाने की अनुमति नहीं है. गुरुवार को यात्रा का पहला दिन था. यात्रा को पहलगाम और बाल्‍टल रूट्स से होकर गुजरना था.

अमरनाथ यात्रा के लिए शर्द्धालुओं का पहला जत्था जम्मू से गुरुवार सुबह कड़ी सुरक्षा में रवाना हुआ. जम्मू के भगवती नगर स्थित बेस कैंप से बीवीआर सुब्रमण्यम (मुख्य सचिव), बीबी व्यास (राज्यपाल सलाहकार) और विजय कुमार (राज्यपाल सलाहकार) ने जत्थे को झंडा दिखाकर रवाना किया था.  देशभर से करीब दो लाख श्रद्धालुओं ने अमरनाथ गुफा की यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है.

अधिकारियों ने बताया कि श्रद्धालुओं में साधु भी शामिल हैं. यात्रियों का पहला जत्था कश्मीर के दो बेस कैंपों से बालटाल और पहलगाम के लिए रवाना हुआ. तीर्थयात्री अगले दिन पैदल ही 3880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गुफा मंदिर के लिए रवाना होंगे. 40 दिनों तक चलने वाली यात्रा 26 अगस्त को खत्म होगी, जिस दिन रक्षा बंधन भी है. सुरक्षा अधिकारीयों ने कहा कि अभी तक 1.96 लाख तीर्थयात्रियों ने यात्रा के लिए पंजीकरण कराया है. इस बार अमरनाथ जाने वाले वाहनों में रेडियो फ्रीक्वेंसी टैग का इस्तेमाल किया जाएगा और सीआरपीएफ का मोटरसाइकिल दस्ता भी सक्रिय रहेगा.

लोकसभा चुनाव 2019 : भाजपाध्यक्ष शाह ने बंगाल में 21 सीटें जीतने का रखा लक्ष्य


भाजपा का दावा है कि राज्य में ग्रामीण चुनावों से पहले और बाद में उसके तीन समर्थक पुरुलिया में मारे गए


भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बुधवार को पार्टी की बंगाल इकाई के नेताओं के लिए लक्ष्य तय कर दिये. उन्होंने पार्टी नेताओं को राज्य की सभी लोकसभा सीटों पर जीत का लक्ष्य लेकर काम करने को कहा है. अपने दो दिवसीय बंगाल दौरे पर कोलकाता पहुंचे अमित शाह ने पोर्ट ट्रस्ट के गेस्ट हाउस में प्रदेश भाजपा नेताओं के साथ बैठक में कहा है : अगर आप 100 प्रतिशत सीटों पर जीत का लक्ष्य बनाते हैं तो बंगाल में 50 प्रतिशत सीट पर जीत हासिल की जा सकती है.
भाजपा को बंगाल से हर हाल में 50 प्रतिशत से ज्यादा यानी 22 सीटों पर जीत हासिल करनी होगी. इसमें कोई किंतु-परंतु  नहीं चलेगा. शाह ने लोकसभा चुनाव में  किसी भी स्थिति में बंगाल से 50 प्रतिशत सीटें हासिल करने का लक्ष्य दिया है. गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं.
कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के गेस्ट हाउस में हुई पार्टी की चुनाव प्रबंध कमेटी की इस बैठक में  प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष, राष्ट्रीय  सचिव सुरेश पुजारी, राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा, केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो, राज्यसभा सांसद रूपा गांगुली, वरिष्ठ नेता  मुकुल राय सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे.  शाह ने यहां करीब दो घंटे तक  बैठक की. इस दौरान उन्होंने सांगठनिक मजबूती के लिए जन संपर्क बढ़ाने पर  जोर दिया.
उन्होंने राज्य के हर जिले के हर गांव में जाकर स्थानीय, राज्य  स्तरीय एवं राष्ट्र स्तरीय मुद्दों पर आंदोलन करने को कहा. उन्होंने कहा कि  गांवों में बिना संपर्क के संगठन का विस्तार नहीं किया जा सकता है. इसलिए  प्रदेश नेतृत्व को गांवों में जन संपर्क बढ़ाना होगा. उन्होंने प्रदेश भाजपा के नेताओं को अगले तीन महीने के अंदर यहां के 35 प्रतिशत मतदान केंद्रों के लिए बूथ स्तर पर कमेटी गठन करने का निर्देश दिया है.
साथ ही अमित शाह ने साफ कर दिया कि तृणमूल कांग्रेस के साथ भाजपा का कोई समझौता नहीं है. इसलिए प्रदेश नेताओं  एवं कार्यकर्ताओं को किसी तरह के भ्रम में रहने की जरूरत नहीं है. वे  लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ें, केंद्रीय नेतृत्व उनके साथ है.
बंगाल में अपनी सांगठनिक शक्ति को और मजबूत करने के लिए भाजपा के  राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सांगठनिक तौर पर राज्य को तीन भाग उत्तर बंगाल,  दक्षिण बंगाल एवं जंगल महल में विभाजित किया है. उन्होंने इन तीनों भागों को  ध्यान में रखते हुए आंदोलन चलाने निर्देश दिया है.

All you need to know about the Amarnath Yatra


The Amarnath Yatra will begin on June 28 and conclude on August 26.


CHANDIGARH: 

The first batch of Amarnath Yatra pilgrims was flagged of from the Bhagwati Nagar camp in Jammu at 04:45 am on June 27 and they will start their journey to the cave shrine from Baltal and Pahalgam routes on June 28. Officials said a total of 1,904 pilgrims including 330 women and 30 children were part of this batch of Amarnath Yatra pilgrims. The Central Reserve Police Force also launched bike-borne quick reaction teams on Tuesday that will not only respond to any attack or sabotage incident on the yatra route but also double up as an ambulance to rescue unwell pilgrims, security personnel or locals.

Here’s all you need to know about the Amarnath Yatra:

Dates of Amarnath Yatra:

They Amarnath Yatra will begin on June 28 and conclude on August 26, coinciding with Raksha Bandhan.

Security at Amarnath Yatra:

Vehicles tagged with electromagnetic chips, bike and bullet-proof SUV police convoys and scores of bullet-proof bunkers have been deployed as part of the “biggest-ever” security blanket thrown to secure pilgrims undertaking the Amarnath Yatra.

Over 40,000 armed CRPF and state police personnel have virtually dotted the yatra routes from Jammu via Pahalgam and Baltal– with their overwhelming presence in armoured vehicles.

Helicopter service:

The advance online booking for Amarnath Yatra helicopter tickets began on April 27, 2018. Pilgrims could book the tickets through the websites of the heli-operators with which the arrangements had been finalised – UTAir India Private Limited and Global Vectra Helicorp Limited for the Neelgrath-Panjtarni-Neelgrath sector and Himalayan Heli Services Private Limited for the Pahalgam-Panjtarni-Pahalgam sector. The helicopter service can be availed at Rs. 1,600 for one way for Neelgrath-Panjtarni and Rs. 2,751 for Pahalgam-Panjtarni route.

Route of Amarnath Yatra:

The devotees start their Amarnath yatra from Srinagar or Pahalgam on-foot and take one of the two possible routes. The shorter but steeper trek via Baltal, Domial, Barari and Sangam is 14 km long and allows people to take a round trip in 1-2 days. This Amarnath Yatra route is considered more favourable for returning.  It is steep hence, difficult to climb.

The longer Amarnath yatra route via Pahalgam is generally preferred by most of the devotees. The length of the trek varies from 36 to 48 km. The trek usually takes 3-5 days one way. The Amarnath route is much wider than the Baltal trek and slopes gradually.

Registration process of Amarnath Yatra:

Registration and issue of yatra permit is done on first-come-first-serve basis. Travellers can get themselves registered at 440 designated bank branches of the Punjab National Bank, Jammu and Kashmir Bank and YES Bank in 32 states and Union Terriories across the country.

COMMENT

Total number of registrations for Amarnath Yatra:

Over two lakh pilgrims have registered for the annual pilgrimage to the 3,880 metre high cave shrine of Amarnath in south Kashmir Himalayas till now. Last year, over 2.6 lakh people registered for the annual pilgrimage.

अमरनाथ यात्रा और उसके पड़ाव

अमरनाथ हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह कश्मीर राज्य के श्रीनगर  शहर के उत्तर-पूर्व में 135 सहस्त्रमीटर दूर समुद्रतल से 13,600 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। इस गुफा की लंबाई (भीतर की ओर गहराई) 19 मीटर और चौड़ाई १६ मीटर है। गुफा 11 मीटर ऊँची है।अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्यों कि यहीं पर भगवान शिव ने माँ पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था।

यहाँ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं।आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखों लोग यहां आते हैं। गुफा की परिधि लगभग डेढ़ सौ फुट है और इसमें ऊपर से बर्फ के पानी की बूँदें जगह-जगह टपकती रहती हैं। यहीं पर एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम बूँदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है।चंद्रमा घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है। श्रावण पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है। आश्चर्य की बात यही है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, जबकि गुफा में आमतौर पर कच्ची बर्फ ही होती है जो हाथ में लेते ही भुरभुरा जाए। मूल अमरनाथ शिवलिंग से कई फुट दूर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग अलग हिमखंड हैं।

जनश्रुति प्रचलित है कि इसी गुफा में माता पावती को भगवान शिव ने अमरकथा सुनाई थी, जिसे सुनकर सद्योजात शुक-शिशु शुकदेव ऋषि के रूप में अमर हो गये थे। गुफा में आज भी श्रद्धालुओं को कबूतरों का एक जोड़ा दिखाई दे जाता है, जिन्हें श्रद्धालु अमर पक्षी बताते हैं। वे भी अमरकथा सुनकर अमर हुए हैं। ऐसी मान्यता भी है कि जिन श्रद्धालुओं को कबूतरों को जोड़ा दिखाई देता है, उन्हें शिव पार्वती अपने प्रत्यक्ष दर्शनों से निहाल करके उस प्राणी को मुक्ति प्रदान करते हैं। यह भी माना जाता है कि भगवान शिव ने अद्र्धागिनी पार्वती को इस गुफा में एक ऐसी कथा सुनाई थी, जिसमें अमरनाथ की यात्रा और उसके मार्ग में आने वाले अनेक स्थलों का वर्णन था। यह कथा कालांतर में अमरकथा नाम से विख्यात हुई।

कुछ विद्वानों का मत है कि भगवान शंकर जब पार्वती को अमर कथा सुनाने ले जा रहे थे, तो उन्होंने छोटे-छोटे अनंत नागों को अनंतनाग में छोड़ा, माथे के चन्दन को  चंदनबाड़ी में उतारा, अन्य पिस्सुओं को पिस्सू टाप पर और गले के शेषनाग को शेषनाग नामक स्थल पर छोड़ा था। ये तमाम स्थल अब भी अमरनाथ यात्रा में आते हैं। अमरनाथ गुफा का सबसे पहले पता सोलहवीं शताब्दी के पूर्वाध में एक मुसलमान गडरिए को चला था। आज भी चौथाई चढ़ावा उस मुसलमान गडरिए के वंशजों को मिलता है। आश्चर्य की बात यह है कि अमरनाथ गुफा एक नहीं है। अमरावती नदी के पथ पर आगे बढ़ते समय और भी कई छोटी-बड़ी गुफाएं दिखती हैं। वे सभी बर्फ से ढकी हैं।

 

शेषनाग झील

 चंदनबाड़ी

पिस्सू टॉप

अमर नाथ यात्रा पर जाने के भी दो रास्ते हैं। एक पहलगाम होकर और दूसरा सोनमर्ग बालटाल से। यानी कि पहलमान और बलटाल तक किसी भी सवारी से पहुँचें, यहाँ से आगे जाने के लिए अपने पैरों का ही इस्तेमाल करना होगा। अशक्त या वृद्धों के लिए सवारियों का प्रबंध किया जा सकता है। पहलगाम से जानेवाले रास्ते को सरल और सुविधाजनक समझा जाता है। बलटाल से अमरनाथ गुफा की दूरी केवल १४ किलोमीटर है और यह बहुत ही दुर्गम रास्ता है और सुरक्षा की दृष्टि से भी संदिग्ध है। इसीलिए सरकार इस मार्ग को सुरक्षित नहीं मानती और अधिकतर यात्रियों को पहलगाम के रास्ते अमरनाथ जाने के लिए प्रेरित करती है। लेकिन रोमांच और जोखिम लेने का शौक रखने वाले लोग इस मार्ग से यात्रा करना पसंद करते हैं। इस मार्ग से जाने वाले लोग अपने जोखिम पर यात्रा करते है। रास्ते में किसी अनहोनी के लिए भारत सरकार जिम्मेदारी नहीं लेती है।

पहलगाम जम्मू से 315 किलोमीटर की दूरी पर है। यह विख्यात पर्यटन स्थल भी है और यहाँ का नैसर्गिक सौंदर्य देखते ही बनता है। पहलगाम तक जाने के लिए जम्मू-कश्मीर पर्यटन केंद्र से सरकारी बस उपलब्ध रहती है। पहलगाम में गैर सरकारी संस्थाओं की ओर से लंगर की व्यवस्था की जाती है। तीर्थयात्रियों की पैदल यात्रा यहीं से आरंभ होती है।

पहलगाम के बाद पहला पड़ाव चंदनबाड़ी है, जो पहलगाम से आठ किलोमीटर की दूरी पर है। पहली रात तीर्थयात्री यहीं बिताते हैं। यहाँ रात्रि निवास के लिए कैंप लगाए जाते हैं। इसके ठीक दूसरे दिन पिस्सु घाटी की चढ़ाई शुरू होती है। कहा जाता है कि पिस्सु घाटी पर देवताओं और राक्षसों के बीच घमासान लड़ाई हुई जिसमें राक्षसों की हार हुई। लिद्दर नदी के किनारे-किनारे पहले चरण की यह यात्रा ज्यादा कठिन नहीं है। चंदनबाड़ी से आगे इसी नदी पर बर्फ का यह पुल सलामत रहता है।

चंदनबाड़ी से 14 किलोमीटर दूर शेषनाग में अगला पड़ाव है। यह मार्ग खड़ी चढ़ाई वाला और खतरनाक है। यहीं पर पिस्सू घाटी के दर्शन होते हैं। अमरनाथ यात्रा में पिस्सू घाटी काफी जोखिम भरा स्थल है। पिस्सू घाटी समुद्रतल से 11,120 फुट की ऊँचाई पर है। यात्री शेषनाग पहुँच कर ताजादम होते हैं। यहाँ पर्वतमालाओं के बीच नीले पानी की खूबसूरत झील है। इस झील में झांककर यह भ्रम हो उठता है कि कहीं आसमान तो इस झील में नहीं उतर आया। यह झील करीब डेढ़ किलोमीटर लम्बाई में फैली है। किंवदंतियों के मुताबिक शेषनाग झील में शेषनाग का वास है और चौबीस घंटों के अंदर शेषनाग एक बार झील के बाहर दर्शन देते हैं, लेकिन यह दर्शन खुशनसीबों को ही नसीब होते हैं। तीर्थयात्री यहाँ रात्रि विश्राम करते हैं और यहीं से तीसरे दिन की यात्रा शुरू करते हैं।

शेषनाग से पंचतरणी आठ मील के फासले पर है। मार्ग में बैववैल टॉप और महागुणास दर्रे को पार करना पड़ता हैं, जिनकी समुद्रतल से ऊँचाई क्रमश: 13,500 फुट व 14,500 फुट है। महागुणास चोटी से पंचतरणी तक का सारा रास्ता उतराई का है। यहाँ पांच छोटी-छोटी सरिताएँ बहने के कारण ही इस स्थल का नाम पंचतरणी पड़ा है। यह स्थान चारों तरफ से पहाड़ों की ऊंची-ऊंची चोटियों से ढका है। ऊँचाई की वजह से ठंड भी ज्यादा होती है। ऑक्सीजन की कमी की वजह से तीर्थयात्रियों को यहाँ सुरक्षा के इंतजाम करने पड़ते हैं।

अमरनाथ की गुफा यहाँ से केवल आठ किलोमीटर दूर रह जाती हैं और रास्ते में बर्फ ही बर्फ जमी रहती है। इसी दिन गुफा के नजदीक पहुँच कर पड़ाव डाल रात बिता सकते हैं और दूसरे दिन सुबह पूजा अर्चना कर पंचतरणी लौटा जा सकता है। कुछ यात्री शाम तक शेषनाग तक वापस पहुँच जाते हैं। यह रास्ता काफी कठिन है, लेकिन अमरनाथ की पवित्र गुफा में पहुँचते ही सफर की सारी थकान पल भर में छू-मंतर हो जाती है और अद्भुत आत्मिक आनंद की अनुभूति होती है।

बलटाल से अमरनाथ– जम्मू से बलटाल की दूरी 400 किलोमीटर है। जम्मू से उधमपुर के रास्ते बलटाल के लिए जम्मू कश्मीर पर्यटक स्वागत केंद्र की बसें आसानी से मिल जाती हैं। बलटाल कैंप से तीर्थयात्री एक दिन में अमरनाथ गुफा की यात्रा कर वापस कैंप लौट सकते हैं।