नितीश अगला कदम क्या लेंगे? बहुत असमंजस ;


इसमें कोई दो राय नहीं कि इस समय नीतीश बिहार की राजनीति में सबसे स्वीकार्य नेता हैं इसके बावजूद अपने सहयोगी दल के रवैए से वो असहज महसूस कर रहे हैं


बात उस समय की है जब नीतीश कुमार दसवीं की परीक्षा दे रहे थे और मैथ्स (गणित) का पेपर चल रहा था. तय समय पूरा हो जाने के कारण परीक्षक ने उनकी कापी छीन ली ओर उस गणित के पेपर मे नितीश कुमार 100 मे 98 अंक ही पा सके। उन्हें इस बात का हमेशा मलाल रहा कि वो 100 अंक हासिल नहीं कर सके.

राजनीति की दुनिया में नीतीश कुमार ने कई मौकों पर ऐसे फैसले लिए जो लोगों को चौंकाने वाले रहे, लेकिन शायद नीतीश को किसी फैसले का मलाल नहीं रहा. आज नीतीश कुमार फिर राजनीति के अपने पेपर में उस मुकाम पर खड़े हैं जिसका तय समय पूरा होना वाला है लेकिन समय के इस पड़ाव पर वो अपने खुद के परीक्षक हैं और कॉपी अपने पास रखनी है या किसी को देनी है, उन्हें खुद तय करना है.

यह समय बिहार की राजनीति, उनकी पार्टी और खुद नीतीश कुमार के लिए काफी निर्णायक होने वाला है. बिहार एनडीए में घमासान मचा हुआ है. लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान और मोल भाव का दौर चालू है. बीजेपी के नेता तरह-तरह के बयान देकर उनपर दबाव बनाने का काम शुरू कर चुके हैं. राजनीतिक हलके में चर्चा हो रही है कि अगर बीजेपी से बात नहीं बनी तो वो फिर कुछ चौंकाने वाला निर्णय ले सकते हैं. नीतीश भी अपने अदांज में एक बार फिर दबाव की राजनीति कर कर रहे हैं.

उनकी पार्टी जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो रही है. इस बैठक में नीतीश के अध्यक्षीय भाषण पर सबकी निगाहें हैं. इस भाषण से तय हो जाएगा कि बिहार में क्या होने वाला है. इस भाषण का इंतजार बीजेपी के साथ-साथ बिहार की पार्टियों को भी है. बिहार में आरजेडी अभी मजबूत स्थिति में है. नीतीश इस बात को बखूबी जानते हैं. आगे उनका निर्णय जो भी वो इस हकीकत को ध्यान में जरूर रखेंगे.

तमाम अटकलों और चर्चाओं के बीच सबसे बड़ी बात यह है कि नीतीश आज भी बिहार की राजनीति के सबसे बड़े खिलाड़ी और चेहरा हैं. इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता. उनका कद आज भी राज्य के तमाम नेताओं में सबसे बड़ा है. बदलते हुए हालात में अपनी प्रासंगिता को बनाए रखने के लिए नीतीश कुमार कड़े राजनीतिक फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं.

शराबबंदी का साहसिक फैसला

नीतीश कुमार ने जब 2015 बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महिलाओं के एक समूह को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर इस बार हमारी सरकार बनी तो राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू करूंगा. उस समय नीतीश बीजेपी का दामन छोड़ आरजेडी के साथ हो लिए थे. लेकिन इस फैसले पर उन्हें अपने सहयोगी आरजेडी का साथ नहीं मिला. नीतीश कुमार चुनाव जीत कर आए और उन्होंने अपने वादे को पूरा किया और राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू हो गई.

नीतीश के इस फैसले पर बीजेपी ने भी खुली रजामंदी नहीं जताई थी. हालांकि नीतीश पर इसका कोई असर नहीं पड़ा. उन्होंने 10 करोड़ आबादी वाले राज्य में पूर्ण शराबबंदी कर ही दी. मीडिया में तमाम खबरें चलीं कि शराबबंदी से राज्य के राजस्व पर न जाने कितने करोड़ का असर पड़ेगा, लेकिन इसी मीडिया से किसी ने यह जानने की कोशिश क्यों नहीं की कि राज्य की एक बड़ी जनसंख्या पर इसका असर क्या हुआ और न जाने कितने घर टूटने से बच गए.

आरजेडी के साथ जाना और फिर साथ छोड़ देना

नीतीश कुमार ने जब बीजेपी से नाता तोड़ा था तब नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय फलक पर चमकने के लिए पूरी तरह तैयार हो चुके थे. ऐसा नहीं था कि नीतीश यह नहीं जानते थे कि जिस बीजेपी नेतृत्व (अटल-आडवाणी) में विश्वास जता कर उन्होंने इस पार्टी का दामन थामा था, अब वह वैसी नहीं रही. लेकिन राजनीतिक भविष्य का अंदाजा उन्हें लग गया था. उन्हें समझ आ गया था कि बिहार जैसे राज्य में खुद को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए बीजेपी का साथ छोड़ने का समय आ गया है.4

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जिस लालू का विरोध कर नीतीश ने सत्ता हासिल की थी उसी लालू से गले मिल चुनाव जीतना और फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अपना नाम लिखवाना. यह नीतीश के राजनीतिक जीवन का सबसे कठीन फैसला था. लालू के साथ गए भी तो वहां भी चेहरा खुद बने रहे. आरजेडी ने 2015 विधानसभा चुनाव में जेडीयू से ज्यादा सीटें हासिल की थी लेकिन लालू और उनकी पार्टी ने चेहरा के तौर पर नीतीश को ही चुना था.

महागठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस नीतीश के मुख्य सहयोगी थे. सरकार बनी तो लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री का पद मिला. नीतीश की राजनीति और काम करने के तरीके को समझने वाले लोग कहने लगे थे कि यह साथ लंबा नहीं चलेगा, लेकिन नीतीश ने कभी भी ऐसा कुछ नहीं कहा. वो बीजेपी के सहयोगी से बीजेपी के कट्टर विरोधी बन गए. मौका मिलने पर संघ मुक्त भारत के निर्माण की कल्पना भी की.

सरकार बनने के बाद प्रशासनिक स्तर पर नीतीश का वो जोर नहीं दिखा जो बीजेपी के साथ सरकार में रहने पर 10 साल तक था. राज्य में अराजकता बढ़ने लगी. हत्या, अपहरण और अपराध का दौर फिर से अपने पुराने रूप में लौटने को तैयार दिखने लगा. यह सब तो ठीक था, लेकिन जिस प्रकार से लालू परिवार पर एक-एक कर भ्रष्टाचार के आरोप लगते गए और रोज नए-नए घोटालों में लालू परिवार के सदस्यों का नाम आने लगा, इससे नीतीश असहज हो गए.

हद तो तब हो गई तब बिहार के उपमुख्यमंत्री रहे तेजस्वी यादव का नाम भी ऐसे ही मामलों में आने लगा. नीतीश ने दूसरे तरफ से सफाई की उम्मीद की. उन्होंने सोचा की जनता के बीच जाकर बिहार के युवा नेता तेजस्वी सफाई देंगे, लेकिन लालू के नेतृत्व में ताकत का प्रदर्शन का खेल चलने लगा और सफाई तो दूर कोई बयान तक नहीं दिया गया.

नीतीश मजबूर हुए और राजनीति के शतरंज में बिना शह दिए सरकार के सबसे बड़े सहयोगी को मात दे दी और बीजेपी का दामन थाम लिया. नीतीश के इस फैसले की मीडिया में जमकर आलोचना हुई. मीडिया से लेकर विरोधी पार्टी के नेताओं ने उन्हें पलटूराम तक कह दिया. नीतीश को क्या लालू और उनके परिवार के भ्रष्टाचार को एंडोर्स करना चाहिए था, शायद इसका जवाब किसी के पास न हो. यह सिर्फ बातें नहीं हैं सीबीआई से लेकर ईडी तक मामला पहुंचा हुआ है. जब स्थिति ऐसी हो तो फैसले पर विचार हर कोई करता है. नीतीश ने भी वही किया.

बिहार में किसी भी पार्टी के पास नीतीश के कद का नेता नहीं

इतनी बातें कहने के बाद और राजनीतिक हालात पर चर्चा करने के पश्चात एक बात कहना बेहद जरूरी सा जान पड़ता है. फिलहाल नीतीश की सहयोगी वह पार्टी है जिसका दामन उन्होंने दो दशक से भी ज्यादा समय पहले थामा था. वह पार्टी कोई और नहीं बल्कि आज केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी ही है. बीजेपी को यह हर हाल में समझ लेना चाहिए कि नीतीश कुमार कोई जीतन राम मांझी, रमई राम, राम विलास पासवान और सुशील कुमार मोदी नहीं हैं.

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अगर बीजेपी को यह लगता है कि नीतीश कुमार कमजोर हो गए हैं तो उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि कुछ समय पहले ही आरजेडी के साथ जाने के बाद और फिर आरजेडी का दामन छोड़ के बीजेपी में आने के बाद भी नीतीश ही बिहार के मुख्यमंत्री बने हुए हैं. अगर इन विपरित परिस्थितियों में एक सर्वमान्य नेता के तौर पर नीतीश कुमार किसी भी पार्टी में जाकर राज्य के मुखिया रह सकते हैं तो बीजेपी को अपनी सोच पर काम करना होगा और नीतीश के स्तर का नेता बिहार में तैयार करना होगा, जो एक दो साल में संभव नहीं है. वर्तमान में जिस तरह से बीजेपी की कार्यशैली चल रही है आने वाले कुछ सालों में भी यह पार्टी शायद ही इस कद का नेता दे पाए.

बीजेपी के चाणक्य भी जानते हैं नीतीश की स्थिति

बीजेपी के ‘चाणक्य’ अमित शाह को यह जरूर आभास होगा कि हालात 2014 जैसे नहीं हैं, ऐसे में नीतीश कुमार जैसे सर्वमान्य चेहरे को खोने की कीमत भी वो बखूबी लगा लिए होंगे. बिहार की सत्ता संभालने के बाद जो तमाम काम नीतीश कुमार ने किए उनमें से कई को केंद्र की सरकार ने भी आदर्श माना. विपरित परिस्थितियों और बदले हुए नेतृत्व को यह जरूर पता को होगा कि नीतीश की एक ‘सात निश्चय योजना’ बिहार की दशा बदल रही है.

तमाम कार्य और राज्य को उन्नति की दिशा में लगातार अग्रसर करने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक बात पर लोगों ने बहुत कम गौर किया और वो था/है की नीतीश ने कभी भ्रष्टाचार से समझौता और धर्म की राजनीति करने वालों से कभी कोई उम्मीद नहीं रखी और न ही ऐसे लोगों को कोई मौका दिया.

भाजपा द्वारा पीडीपी को तोडऩे का प्रयास ‘भारतीय लोकतंत्र में कश्मीरियों के विश्वास को समाप्त’ कर देगा : महबूबा मुफ्ती

 

नई दिल्ली। जम्मू एवं कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने चेतावनी देते हुए कहा है कि राज्य में भाजपा द्वारा पीडीपी को तोडऩे का प्रयास ‘भारतीय लोकतंत्र में कश्मीरियों के विश्वास को समाप्त’ कर देगा। पीडीपी प्रमुख ने इंडिया टीवी को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘अगर दिल्ली हस्तक्षेप करती है, हमारी पार्टी को तोड़ती है और सज्जाद लोन या किसी को भी मुख्यमंत्री बनाती है तो इससे कश्मीरियों का भारतीय लोकतंत्र में विश्वास समाप्त हो जाएगा। दिल्ली द्वारा किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप को गंभीरता से लिया जाएगा।’’

हालांकि भाजपा महासचिव राम माधव ने जम्मू एवं कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के असंतुष्ट विधायकों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने की किसी भी संभावना से इंकार कर दिया। यहां 19 जून से राज्यपाल शासन लागू है। माधव ने ट्वीट किया, ‘‘हम राज्य में शांति, सुशासन और विकास के हित में राज्यपाल शासन लागू रहने देने के पक्ष में हैं।’’

माधव का यह बयान ऐसे समय आया है, जब कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा और इसके सहयोगी, पूर्व अलगाववादी सज्जाद लोन का पीपुल्स कांफ्रेंस पीडीपी में एक राजनीतिक नियंत्रण स्थापित कर इसके बागी विधायकों का समर्थन हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। पीडीपी के कम से कम पांच विधायकों ने सार्वजनिक तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के खिलाफ बयान दिया था।

87 सदस्यीय जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा में सत्ता हासिल करने के लिए जरूरी सदस्यों के जादुई आंकड़े किसी भी पार्टी के पास नहीं हैं। सदन में, पीडीपी के पास 28 विधायक हैं, भाजपा के पास 25 विधायक हैं और इसे पीपुल्स कांफ्रेंस के दो विधायकों और लद्दाख के एक विधायक का समर्थन प्राप्त है। यहां सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को 44 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी।

अपने साक्षात्कार में, मुफ्ती ने इन रपटों को आधारहीन बताया, जिसमें उनके पार्टी के कांग्रेस के साथ गठबंधन करने की कोशिश की बात कही गई है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर ऐसा होता तो मैं इस्तीफा क्यों देती? जब हमारी सरकार गिरी, राज्यपाल ने मुझसे पूछा कि क्या मैं अन्य विकल्पों की ओर देख रही हूं और मैंने उनसे कहा कि मैं एक घंटे में उन्हें अपना इस्तीफा सौंपूंगी।’’ महबूबा ने कहा, ‘‘पीडीपी दो वर्ष पहले कांग्रेस के साथ सरकार बना सकती थी। लेकिन हमने ऐसा नहीं किया और एक महान उद्देश्य के लिए भाजपा के साथ सरकार बनाई, जिसका सपना मेरे पिता ने देखा था।’’

प्रधानमंत्री मोदी के पाकिस्तान के साथ शांति की कोशिश और उसके जवाब में पाकिस्तान की ओर से पठानकोट और उरी जैसी घटनाएं अंजाम देने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कहती हूं कि मोदीजी ने प्रयास नहीं किया, लेकिन इसमें निरंतरता होनी चाहिए। हमने मोदीजी को श्रीनगर आने का निमंत्रण दिया, जहां उन्होंने विशाल जनसभा को संबोधित किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘घाटी के लोगों को बहुत उम्मीदें थी, लेकिन वे निराश होकर अपने घर गए।’’

समस्याओं का सामना करने के लिए मोदी के 56 इंच के सीने के दावे को याद करते हुए मुफ्ती ने कहा, ‘‘उन्हें जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को अपने 56 इंच के सीने में से कम से कम एक इंच भी देना चाहिए था। भारत का विचार, जम्मू एवं कश्मीर के विचार के बिना अधूरा है।’’

JEE, NEET to be conducted online, twice a year


The engineering and medical entrance exams JEE and NEET would now be conduced online and twice a year by the newly formed National Testing Agency(NTA), HRD Minister Prakash Javdekar said today.

The Joint Entrance Examination (JEE) Main and National Eligibility cum Entrance Examination (NEET) will be held by newly formed examination conducting agency, NTA, Javdekar told reporters.

The NTA would conduct its first exam NET, that was till now conducted by the CBSE, in December, he added.

JEE (Mains) would be conducted twice a year, in January and April. NEET (UG) would be conducted in February and May, the minister said.

The NTA would also conduct National Eligibility cum Entrance Test Common Management Admission Test (CMAT) and Graduate Pharmacy Aptitude Test(GPAT), Javadekar said.

CMAT and GPAT would be conducted in January next year.

The students can appear both the times in National Eligibility cum Entrance Test (NEET) and JEE (Mains) and the best of the two scores would be taken in account for admission, the minister said. NEET is conducted for admissions to medical institutions across the country.

“This will give more chances to students thereby giving adequate opportunity to bring out his/her best and reduce stress which develops due to a single exam being conducted on one day in the year. However, sitting in both the tests will not be compulsory,” he said.

The two tests — JEE (Mains) and NEET — would be equated using psychometric methods, standardisation techniques and best of the equated scores would be used for the admissions.

The minister said that the exams would be more secure and at par with international norms. There would be no issues of leakage and it would be more student friendly, open, scientific and leak-proof, he stressed.

“The examinations for all candidates will be conducted in computer-based mode only. These examinations will use highly secured IT software and and encryption to ensure delivery of tests just in time. This will ensure no leakages and other malpractices,” he told reporters.

Javadekar assured that the syllabus, the pattern of the question paper would remain the same and there would no increase in the examination fees. The exams would be held in the existing number of languages.

“All the tests would be set in a scientific manner with the test items developed jointly by the subject matter experts and psychometricians.

“Before developing the question papers, the item writers for the exams will be given on the functioning of the previous years’ items so that they are able to make test items which are more valid and reliable,” he said.

All the tests would be conducted in multiple sittings and a candidate would have an option of choosing from the dates. Scores of different candidates in multiple sittings would also be equated using standardisation techniques.

NTA would establish a network of test practice centres for students from rural areas so that everyone would have an opportunity to practice before the exam.

Schools/engineering colleges with computer centres would be identified and kept open on Saturday/Sunday starting from third week of August and any student can use the facility free of charge, he added.

The time table of the exams to be conducted by the NTA would be uploaded on the ministry’s website.

The IITs would continue to conduct Joint Entrance Examination-Advanced exam, he said.

The online submission of application forms for NET would start from September 1 and would be on till September 30.

The examinations would be held between December 2 to December 12 in two shifts per day on Saturdays and Sundays. The results would be declared in the last week of January 2019.

The online submission of application forms for JEE (Mains) would start from September 1 and be on till September 30.

The examinations would be held between January 6, 2019 to January 20, 2019 in eight different sittings and candidates can choose any one. The results would be declared in the first week of February 2019.

The online submission of application forms for the second phase of JEE (Mains) would start from second week of February 2019.

The examinations would be held between April 7, 2019 to April 21, 2019 in eight different sittings and candidates can choose any one. The results would be declared in the first week of May 2019.

The online submission of application forms for NEET (UG) would start from October 1 and be on till October 31. The examinations would be held between February 3, 2019 to January 17, 2019 in eight different sittings and candidates can choose any one. The results will be declared in the first week of March 2019.

The online submission of application forms for second phase of NEET (UG) would start from second week of March next year. The examinations would be held between May 12, 2019 to May 26, 2019 in eight different sittings and candidates can choose any one. The results would be declared in the first week of June.

The online submission of application forms for CMAT and GPAT would start from October 22 till December 15. The examinations would be held on January 27 next year and the results would be declared in the first week of February.

The Union Cabinet had approved setting up of the NTA to conduct entrance examinations for higher educational institutions.

So far, The Central Board of Secondary Education(CBSE) conducted NEET on behalf of the Medical ouncil Of India and the Health Ministry and NET on behalf of the University Grants Commission(UGC).

122 आईपीएस ऑफिसरों में से 119 जरूरी परीक्षा में फेल हो गए

फोटो केवल संदर्भ के लिए


हैदराबाद
हैदराबाद में इंडियन पुलिस सर्विस में चुने जाने के बाद सेवा देने के लिए जरूरी इम्तिहान देने पहुंचे 122 ऑफिसरों में से 119 जरूरी परीक्षा में फेल हो गए। यहां सरदार वल्लभभाई पटेल नैशनल पुलिस अकैडमी से ग्रैजुएशन के लिए इन भावी अफसरों के लिए इस परीक्षा में पास होना जरूरी होता है। उन्हें पास होने के लिए तीन मौके और दिए जाएंगे। हालांकि, इन नतीजों से सभी हैरान हैं।


हालांकि, फेल होने के बाद भी फिलहाल इन्हें ग्रैजुएट घोषित कर दिया गया है और अलग-अलग काडरों में प्रोबेशनर बना दिया गया है लेकिन तीन प्रयासों में हर सब्जेक्ट पास न कर पाने की स्थिति में उन्हें सेवा से बाहर किया जा सकता है। बता दें कि इससे पहले साल 2016 में केवल दो आईपीएस अफसर अकैडमी से पास नहीं हो सके थे। इस साल फॉरन पुलिस फोर्स के मिला के कुल 136 आईपीएस अफसरों में से 133 एक या एक से ज्यादा विषयों में फेल हुए हैं। इनमें इंडियन पीनल कोड और क्रिमिनल प्रसीजर कोड शामिल हैं। 

अकैडमी के इतिहास में पहली बार ऐसे नतीजे
हैरान करने वाली बात यह है कि फेल होने वाले अफसरों में वे अफसर भी शामिल हैं जिन्हें अक्टूबर में हुई पासिंग आउट परेड में मेडल और ट्रोफी मिले थे। उधर, फॉरन पुलिस फोर्स के सभी अफसर फेल हो गए हैं। एक प्रॉबेशनर ने बताया कि अफसर एक बार फिर परीक्षा में बैठेंगे। उन्होंने बताया कि अकैडमी के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है। लोग परीक्षा में फेल होते हैं लेकिन इस तरस से लगभग सभी का फेल होना बड़ी बात है।

प्रॉबेशनर ने बताया कि ट्रेनिंग में मिले मार्क्स सीनियॉरिटी में जुड़ते हैं। फेल होने से सीनियॉरिटी कम हो जाती है। अकैडमी के एक अधिकारी ने बताया कि ऑफिसरों के फेल होने के बाद भी उन्हें ग्रैजुएट होने या फील्ड पर पोस्टिंग मिलने से रोका नहीं जा सकता।

‘कांग्रेस को आज कल कुछ लोग ‘बेल-गाड़ी’ बोलने लगे हैं : मोदी


किसानों पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा ‘2022 तक किसानों की आय दोगुनी करेंगे. किसानों को इस सरकार ने सॉयल हेल्थ कार्ड दिया. कई सालों बाद देश में बंपर पैदावार हुई.’


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों से संवाद करने के लिए शनिवार को जयपुर पहुंचे.

वायुसेना के विशेष विमान से उनके सांगानेर हवाई अड्डे पहुंचने पर राजस्थान के राज्यपाल कल्याणसिंह और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उनकी अगवानी की.

हवाई अड्डे पर कुछ देर रुकने के बाद प्रधानमंत्री वहां से सेना के एक हेलीकॉप्टर से सवाई मान सिंह स्टेडियम रवाना हो गए जहां से वह सड़क मार्ग से कई योजनाओं के लाभार्थियों से संवाद करने सभा स्थल अमरूदों के बाग पहुंचे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक दिवसीय यात्रा के दौरान राजस्थान को 2100 करोड़ रुपए के विकास कार्यों का तोहफा दिया. पीएम ने रिमोट का बटन दबाकर 13 शहरी परियोजनाओं के शिलान्यास की पटि्टका का अनावरण किया.

इस अवसर पीएम मोदी एक विशाल जनसभा में भारत सरकार और राजस्थान सरकार की 12 प्रमुख योजनाओं के लाभार्थियों की ओर से साझा किए गए अनुभवों का ऑडियो विजुअल प्रजेंटेंशन देखा. इसका संचालन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने किया.

पीएम ने कहा, राजस्थान में नेताओं के नाम पर पत्थर लगाने की होड़ थी. अब न चीजें लटकती हैं और न अटकती हैं. प्रकृति की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से लोहा लेते हुए, अन्न उत्पादन हो या फिर राष्ट्र रक्षा की चुनौती, राजस्थान सदियों से देश को प्रेरणा देता रहा है.

पीएम ने कहा ‘कांग्रेस को आज कल कुछ लोग ‘बेल-गाड़ी’ बोलने लगे हैं. कांग्रेस के कई दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री आजकल बेल पर हैं.’

किसानों पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा ‘2022 तक किसानों की आय दोगुनी करेंगे. किसानों को इस सरकार ने सॉयल हेल्थ कार्ड दिया. कई सालों बाद देश में बंपर पैदावार हुई.’

उन्होंने कहा ‘सरकारी मशीनरी पर जनता जनार्दन का दबाव होता है. पिछली सरकार ने खजाना खाली दिया था.’

पीएम ने कहा ‘चाहे केंद्र की सरकार हो या राज्य की हमारा एक मात्र एजेंडा रहा है, विकास, विकास और विकास. देश के प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को अधिक से अधिक सरल, सुरक्षित और सुगम बनाने का काम एक के बाद एक योजनाओं के द्वारा हम करते जा रहें है.’

किसी के साथ भी काम करने में तब तक कोई समस्या नहीं, राहुल गांधी काफी जूनियर: ममता बनर्जी


ममता बनर्जी ने कहा कि उनके पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बहुत अच्छे संबंध हैं लेकिन राहुल गांधी के साथ उन्होंने कभी काम नहीं किया.


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह केंद्रीय सत्ता से बीजेपी को बाहर करने के लिए कांग्रेस के साथ मिलकर काम करने के खिलाफ नहीं हैं, उनके पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बहुत अच्छे संबंध हैं लेकिन राहुल गांधी के साथ उन्होंने कभी काम नहीं किया. ममता ने कहा कि राहुल अभी बहुत जूनियर हैं.

ममता ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार सौ हिटलर की तरह बर्ताव कर रही है. पीएम बनने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनकी ऐसी कोई इच्छा नहीं है. लेकिन उन्हें किसी के साथ भी काम करने में तब तक कोई समस्या नहीं है जब तक कि सामने वाली की मंशा साफ हो.

ममता ने कहा कि कुछ पार्टियां कांग्रेस का समर्थन नहीं करती हैं क्योंकि उनकी अपनी मजबूरियां हैं लेकिन वह बीजेपी के खिलाफ काम करने के पक्ष में हैं. बता दें कि राहुल गांधी ने दिल्ली में पश्चिम बंगाल के कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की थी.

कांग्रेस नेताओं के एक हिस्से ने तृणमूल कांग्रेस के साथ गठजोड़ के लिए अपना झुकाव दिखाया है. वहीं पीसीसी प्रमुख अधीर रंजन चौधरी तृणमूल के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं. हालांकि तृणमूल प्रमुख का मानना है कि विपक्षी पार्टियों का महागठबंधन हो जाएगा. वह खुद बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का गठबंधन तैयार करने के लिए कई प्रभावशाली नेताओं से मिल रही हैं.

मोदी और वसुन्धरा का नाम सुनते ही कुछ लोगों को चढ़ जाता है बुखार – प्रधानमंत्री

 

अमरूदों के बाग में विपक्ष पर जमकर बरसे मोदी
अमरूदों के बाग में योजनाओं के लाभार्थियों से जन संवाद के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में विपक्ष पर जमकर प्रहार किये। उन्होंने कहा कि भाजपा का नाम सुनते ही एक वर्ग की तो नींद उड़ जाती है। देश और राजस्थान में जिस गति से पिछले कुछ सालों में विकास हुआ है इस वर्ग के लोगों को वह हजम नहीं हो रहा है। उन्हें मोदी और वसुन्धरा का नाम सुनते ही बुखार चढ़ जाता है।

कांग्रेस की स्थिति आज ’बेल’गाड़ी जैसी
श्री मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस की स्थिति आजकल ’बेल’गाड़ी जैसी हो गई है। आखिरकार उनके दिग्गज कहे जाने वाले अधिकांश नेता और पूर्व मंत्री बेल (जमानत) पर जो चल रहे हैं।

चार साल में वसुन्धरा जी ने प्रदेश को दी नई ऊंचाई
प्रधानमंत्री ने राजस्थान के लोगों का आहवान करते हुए कहा कि प्रदेश के लोग चार वर्ष पहले की स्थिति नहीं भूले हैं। सभी जानते हैं कि चार साल पहले वसुन्धरा जी ने किस हालात में प्रदेश संभाला और आज प्रदेश को किस ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में विकास के नाम पर नेता पत्थर लगाने की होड में लगे हुए थे। बाड़मेर रिफाइनरी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार के काम करने का तरीका अलग है। आज रिफाइनरी लगाने का काम तेज गति से हो रहा है।

श्री मोदी ने लाभार्थियों से संवाद के इस कार्यक्रम पर उंगली उठाने वालों को करारा जवाब देते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों में लाभार्थी जब योजनाओं से मिले लाभ के बारे में बताते हैं तो इससे आमजन में जागरूकता पैदा होती है और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने वालों का दायरा भी बढ़ता है। इसके अलावा सरकारी मशीनरी पर इस बात का दबाव पड़ता है कि वे योजनाओं का लाभ सही तरीके से आमजन तक पहुंचाएं।

कांग्रेस ने गरीबों को सत्ता सुख का जरिया बनाया – मुख्यमंत्री
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने भी विपक्ष पर करारे प्रहार किये। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की तरह हमारा लक्ष्य सिर्फ योजनाएं शुरू करना नहीं है। उन्होंने इन्दिरा आवास योजना शुरू की जिसमें पहले 10 हजार, फिर 25 हजार, फिर 50 हजार और चुनाव से ठीक पहले 70 हजार रूपये मकान के नाम पर दिए, लेकिन गरीबों को फिर भी छत नहीं मिल पाई।

श्रीमती राजे ने कहा कि एक प्रधानमंत्री कहते थे कि एक रूपये में से 15 पैसे ही गांव तक पहुंचते हैं पर उन्हीं की पार्टी ने 70 साल राज करने के बाद भी गरीबी मिटाने का कोई काम नहीं किया। गरीबी हटाने का नारा जरूर दिया। कांग्रेस ने गरीबों को सिर्फ सत्ता का, सुख और अपनी तरक्की का जरिया बनाया। जबकि हमने साढे़ चार साल में प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में सिर्फ साफ नीयत-सही विकास के लक्ष्य से काम किया है। हमारी सरकारों ने जो योजनाएं बनाई उन्हें हमने पूरी तरह जमीन पर लाने का काम किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस की योजनाओं के लाभार्थी सिर्फ उनके परिवार के लोग थे। जबकि हमने 36 की 36 कौम को अपना परिवार मानकर अपनी योजनाएं जनता जनार्दन को समर्पित की।

विधि आयोग कड़ी पाबंदी लगाने की बात कही है, न कि वैधता प्रदान करने की, न्यायमूर्ति चौहान


  • विधि आयोग के चेयरमैन ने ToI को बताया कि सट्टेबाजी एवं जुए को लेकर उसकी सिफारिश को सही से समझा नहीं गया.

  • जस्टिस बीएस चौहान के मुताबिक, लॉ पैनल ने इन दोनों पर कड़ी पाबंदी लगाने की बात कही है, न कि वैधता प्रदान करने की.

  • गुरुवार देर शाम खबर आई थी कि विधि आयोग ने देश में सट्टेबाजी एवं जुए को कानूनी दायरे में लाकर टैक्स लगाने की सिफारिश की है.


नई दिल्ली
विधि आयोग के चेयरमैन न्यायमूर्ति बी एस चौहान ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा कि सट्टेबाजी और जुए को लेकर समिति की रिपोर्ट को गलत समझा गया। उन्होंने कहा कि लॉ पैनल ने सट्टेबाजी और जुए को कानूनी मान्यता देने की जगह इन पर कठोर पाबंदी लगाने की बात कही है। जस्टिस चौहान ने कहा, ‘आयोग ने दृढ़ता से स्पष्ट सिफारिश की है कि मौजूदा परिदृश्य में भारत में सट्टेबाजी एवं जुए की छूट नहीं दी सकती और गैर-कानूनी सट्टेबाजी एवं जुए पर पूरी तरह हर हाल में पाबंदी सुनिश्चित की जानी चाहिए।’

लॉ कमिशन के चेयरमैन ने आगे कहा, ‘इतना ही नहीं, आयोग की सिफारिश है कि जुए पर नियंत्रण के लिए प्रभावी नियमन ही एकमात्र व्यावहारिक विकल्प है। अगर ऐसा संभव नहीं हो तो पूरी पाबंदी लगा दी जाए।’ लॉ पैनल की रिपोर्ट कहती है कि जुए के ऐसे नियमन के लिए तीन स्तरीय रणनीति की दरकार है। पहला- सट्टेबाजी के मौजूदा बाजार (लॉटरी, घुड़दौड़) में संशोधन, दूसरा- अवैध सट्टेबाजी को नियमों के दायरे में लाना एवं तीसरा- कठोर और महत्वपूर्ण कानून लागू करना।

जस्टिस चौहान ने कहा कि सरकार अगर सट्टेबाजी पर पूर्ण पाबंदी की जगह इसकी सशर्त वैधता प्रदान करना चाहती है तो जिसे सब्सिडी मिलती है या जो इनकम टैक्स ऐक्ट अथवा जीएसटी ऐक्ट के दायरे में नहीं आते, उन सभी को ऑनलाइन या ऑफलाइन, किसी तरह की सट्टेबाजी की अनुमति नहीं दी जानाी चाहिए। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में जोर देकर कहा गया है कि सरकार को समाज के पिछड़े वर्ग को इसका शिकार होने से बचाने की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए।

गौरतलब है कि गुरुवार देर शाम खबरें आईं कि विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सरकार से सिफारिश की है कि देश में सट्टेबाजी और जुए को कानूनी दायरे में लाया जाए। खबरों में आयोग के हवाले से कहा गया था कि सट्टेबाजी एवं जुए को वैधता प्रदान करके इन पर डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स लगाया जाए। 

खबर आने के बाद राजनीति भी शुरू हो गई थी। कांग्रेस ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि अगर यह लागू होता है तो इससे जहां एक ओर खेल को नुकसान पहुंचेगा, वहीं दूसरी ओर परिवार और समाज पर गलत असर पड़ेगा। पार्टी ने स्पष्ट कहा था कि खेलों में सट्टेबाजी और जुए को वह किसी भी सूरत में लागू नहीं होने देगी।

राहुल डोप टेस्ट में जरूर फेल हो जाएंगे : स्वामी

नई दिल्ली।

पंजाब के राजनीतिक गलियारे में इन दिनों ड्रग्स का मुद्दा छाया हुआ है। इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर विवादित बयान देते हुए कहा कि राहुल गांधी ड्रग्स का सेवन करते हैं। उनका दावा है कि अगर राहुल गांधी का डोप टेस्ट लिया जाए तो वह इसमें फेल हो जाएंगे। स्वामी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, ‘इस बात में कोई शक नहीं है कि राहुल गांधी ड्रग्स लेते हैं, खासतौर पर कोकीन। वह डोप टेस्ट में जरूर फेल हो जाएंगे।’

आपको बता दें कि राहुल गांधी के डोप टेस्ट की बात करने की वजह पंजाब की राजनीति में डोप टेस्ट की एंट्री है। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने न सिर्फ नई भर्तियों के दौरान बल्कि हर साल होने वाले प्रमोशन और एनुअल रिपोर्ट तैयार किए जाने के दौरान भी कर्मचारियों का डोप टेस्ट करवाने के लिए नियम बनाने और नोटिफिकेशन जारी करने के निर्देश दिए हैं। इसीके बाद तमाम राजनेता ड्रग्स पर बयान दे रहे हैं।

इसके बाद केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा था कि सबसे पहले डोप टेस्ट उन लोगों को कराना चाहिए जो यह कहते हैं कि 70 फीसदी पंजाब के लोग ड्रग्स की गिरफ्त में हैं। स्वामी ने केंद्रीय मंत्री कौर के बयान को सही ठहराया है। उन्होंने कहा, ‘मैं उनके बयान का स्वागत करता हूं। वह जिस आदमी की बात कर रही हैं, वह कोई और नहीं राहुल गांधी ही हैं। उन्होंने ही कहा था कि 70 फीसदी पंजाबी ड्रग्स के आदी हैं।’

पंजाब के राजनीतिक गलियारे में इन दिनों ड्रग्स का मुद्दा छाया हुआ है। पंजाब में पिछले 33 दिनों में ड्रग्स के ओवरडोज की वजह से 47 लोगों की जान जा चुकी है। इसी वजह से सवालों से घिरी पंजाब सरकार एक के बाद एक कड़े फैसले लेकर ड्रग्स के खिलाफ कड़ा संदेश देने की कोशिश में लगी है। इससे पहले पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ड्रग सप्लायर्स के लिए मौत की सजा की मांग करते हुए केंद्र सरकार से सिफारिश भी की थी।

ड्रग माफिया के घर रेड, हथियार और करोड़ों रुपये की जमीन की रजिस्ट्रियां बरामद

फिरोजपुर।

पंजाब में नशे के ओवरडोज से हो रही मौतों के बाद पुलिस ने नशा तस्करों के खिलाफ शिकंजा कसना शुरू कर दिया। इसी कड़ी में पुलिस ने फिरोजपुर में नशा तस्कर के घर पर रेड की।

हलांकि कि रेड पड़ते ही नशा तस्कर मौके से फरार हो गया, लेकिन उसके घर से पुलिस ने एक 315 बोर राइफल, तीन 32 बोर पिस्तोल, 25 कारतूस और करोड़ों रुपये की जमीन की 20 रजिस्ट्रियां बरामद की हैं। पुलिस नशा तस्कर की तलाश कर रही है।

वहीं दूसरी ओर पंजाब के तरनतारन में सरहदी थाना खालड़ा पुलिस ने 350 ग्राम हेरोइन के साथ तीन नशा तस्करों को गिरफ्तार किया है। गौरतलब है कि बीते गुरूवार को जालंधर में 400 ग्राम हेरोइन और दो लाख रुपए नकदी के साथ गिरफ्तार किया था। इस महिला का पूरा परिवार नशे का काराेबार करता है।