CRIKC & CIIC to be developed soon

 

 

Dr Pramod Kumar, while speaking on the future of Chandigarh had that  “Chandigarh is emerging as the satellite town of Delhi. It has a potential to develop as a global destination in terms of culture, trade, knowledge exchange. It can locate a diplomatic enclave to realise this potential. The main focus should be to reach out to the people and influence policy planning institutions like CRIKC (Chandigarh Region Innovation and Knowledge Cluster) to be strengthened besides setting up an institution like India International Centre, Delhi.”

Both CM seconded the idea and also promised to contribute to turn the idea into reality.

It has been learnt that the proposed site of CIIC likely to be in one of the posh sectors of Chandigarh.

Here are some of the suggested features of the proposed CIIC

The underlying vision of CIIC will be aimed to have a vibrant space for preservation and dissemination of knowledge. The purpose is to make people’s contribution central in global processes through generation, dissemination and sharing of knowledge.

CIIC will try to support Chandigarh in its journey to emerge as an international city with number of knowledge imparting and disseminating institutions. To consolidate and reinforce its capacity to become a knowledge hub, CIIC shall make an effort to, preserve cultural impulse of the north-western region, promote spirit of enquiry to reinforce scientific temper and sustain dialogue. Chandigarh being a modern city with unique architecture will be used as an example to shape and influence process and pattern of urban development in the region in terms of people-centric growth of planned cities etc.

Chandigarh India International Centre will be a non-government institution, non-commercial in nature and carried out its activities in the spirit of public service. Its basic character and predisposition would be to remain non-aligned, non-governmental and non-affiliate to any political, economic or religious formations.

The aims and objectives of the proposed centre include:

  • To develop a place where statesmen, diplomats, policymakers, intellectuals, scientists, jurists, writers, artists and members of civil society meet to initiate the exchange of new ideas and knowledge in the spirit of international cooperation.
  • To promote dialogical tradition of lokayata  through lectures, seminars, workshops and conferencing etc.
  • To create a world class library fully equipped with modern technological facilities. It will have not only printed material, but also video and audio collections.
  • To invite cultural leaders, scholars, scientists and creative artists, who may or may not be members of the society, to exchange of new ideas, knowledge, art, skills and creativity.
  • To undertake, facilitate and provide for the publication of newsletters, research papers, and books, and of a journal for the exposition of cultural patterns and values prevailing in different parts of the world.

झज्जर के मातनहेल में जल्द बनेगा सैनिक स्कूल

झज्जर के मातनहेल में बनने वाले सैनिक स्कूल के लिए हरियाणा सरकार ने जमीन उपलब्ध करवाने और भवन निर्माण के लिए बजट की मंजूरी दे दी है. इस स्कूल का शिलान्यास तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नान्डीज़ ने 2003 में किया था. कांग्रेस सरकार के दस वर्ष के शासन में इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया गया जिसकी वजह से स्कूल शुरू नहीं हो पाया. वर्तमान सरकार के प्रयासों से स्कूल की स्थापना का सपना जल्द हकीकत में बदलने जा रहा है. प्रदेश के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने इस मुद्दे को 2014 में रेवाड़ी में हुई भाजपा की पूर्व सैनिक रैली में भी जोरशोर से उठाया था. इस रैली को उस समय भाजपा के प्रधानमन्त्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया था. स्कूल के शुरू होने से हरियाणा के छात्रों को बहुत लाभ होगा. हरियाणा में यह तीसरा सैनिक स्कूल होगा. वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने इसके लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल का आभार जताया है.
हरियाणा के झज्जर जिले के मातनहेल गाँव में सैनिक स्कूल खुलने की योजना जल्दी ही धरातल पर उतरने वाली है. इस स्कूल के लिए हरियाणा सरकार ने गाँव मातनहेल और रुडियावास की करीब 100 एकड़ भूमि को स्कूल के नाम स्थानांतरित करने को मंजूरी दे दी है. हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने बताया की हरियाणा वीरों की भूमि है. हरियाणा के लाखों जवान देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं. सेना में हरियाणा की भागीदारी को देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नान्डीज़ ने झज्जर के मातनहेल में 7 सितम्बर 2003 को सैनिक स्कूल का शिलान्यास किया था. उसके करीब डेढ़ साल बाद केंद्र और राज्य में कांग्रेस की सरकार बन गई और सैनिक स्कूल की योजना को ठन्डे बस्ते में डाल दिया जिसकी वजह से यह स्कूल स्थापित नहीं हो पाया. विपक्ष में होते हुए भी उन्होंने इस मांग को जोर शोर से उठाया था और कांग्रेस सरकार से स्कूल को शीघ्र शुरू करने की मांग की थी लेकिन तत्कालीन सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया, उन्होंने बताया की केंद्र और हरियाणा में भाजपा सरकार का गठन होते ही इस स्कूल को स्थापित करने की दिशा में संजीदा प्रयास शुरू किये गये. इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने रक्षा मंत्री को पत्र भी लिखा और रक्षा मंत्री की तरफ से जवाब आने के बाद सरकार ने स्कूल के लिए जमीन, इन्फ्रास्ट्रक्चर और अन्य सुविधाएं देने के लिए कार्यवाही शुरू की. इसी के चलते स्कूल के लिए ज़मीन ट्रांसफर का कार्य सबसे पहले किया गया है. प्रदेश सरकार ने इस स्कूल के लिए ज़मीन को ट्रांसफर करने की मंजूरी दे दी है. वित्त मंत्री ने बताया की एक पूर्व सैनिक होने की वजह से यह स्कूल उनके दिल के करीब है और वे चाहते हैं की स्कूल जल्द से जल्द खुले. उन्होंने कहा की स्कूल के भवन के साथ अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर हरियाणा सरकार की तरफ से तीन साल में करीब 50 करोड़ रूपये खर्च किये जाने का प्रस्ताव मंज़ूर किया गया है. इस सम्बन्ध में हरियाणा सरकार और रक्षा मंत्रालय के बीच एमओयु भी जल्दी साईन किया जाएगा. हरियाणा में पहले से ही करनाल के कुंजपुरा और रेवाड़ी में सैनिक स्कूल चल रहे हैं और मातनहेल में सैनिक स्कूल शुरू होते ही इनकी संख्या तीन हो जायेगी जो हरियाणा के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी. इसके साथ ही हरियाणा देश का ऐसा अकेला राज्य बन जाएगा जिसमे तीन सैनिक स्कूल होंगे.

हाँ मैंने 2 बच्चे बेचे, मुझे नहीं मालूम वोह कहाँ हैं: नन, अणिमा


राज्य की राजधानी रांची स्थित मिशनरीज ऑफ चैरिटी की नन ने स्वीकार किया है कि मैंने दो अन्य शिशुओं को भी बेचा है, नन ने कहा है कि मुझे नहीं पता कि अब वे कहा हैं


झारखंड में नवजात शिशुओं के बेचे जाने के मामले में एक नन के कबूलनामे का एक वीडियो सामने आया है. राज्य की राजधानी रांची स्थित मिशनरीज ऑफ चैरिटी की नन ने स्वीकार किया है कि मैंने दो अन्य शिशुओं को भी बेचा है. नन ने अपने कबूलनामे में कहा है कि मुझे नहीं पता कि अब वे कहा हैं.

रांची पुलिस ने चाइंलड ट्रैफिकिंग के आरोप में 9 जुलाई को दो नन को गिरफ्तार किया था. यह नन भी उसी में शामिल है. पुलिस ने बताया कि बेचे गए 4 शिशुओं में से 3 को बरामद कर लिया गया है.

रांची पुलिस के सामने गुनाह कबूल करते हुए नन ने कहा है कि उसने 50-50 हजार रुपए में दो बच्चों को बेचा है जबकि एक बच्चे को एक लाख बीस हजार रुपए में बेचा था. बेचे गए अन्य बच्चे के बारे में नन को पूरी जानकारी नहीं है.

कैसे हुआ मामले का खुलासा

यह मामला तब खुला जब यूपी के सोनभद्र जिले के ओबरा निवासी सौरभ अग्रवाल और प्रीति अग्रवाल ने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडबल्यूसी) के पास शिकायत लेकर पहुंचे कि उन्हें उनका बच्चा वापस नहीं दिया जा रहा है. इस बच्चे को उन्होंने पांच मई को 1.20 लाख में खरीदा था.

एफआईआर में दर्ज जानकारी के मुताबिक गुमला की रहनेवाली एक रेप पीड़िता अविवाहित गर्भवती लड़की यहां रह रही थी. उसने बीते एक मई को रांची सदर अस्पताल में बच्चा को जन्म दिया. इस नवजात को कर्मचारी अनिमा इंदवार ने सिस्टर कोंसिलिया के मिलीभगत से अग्रवाल दंपती को बेच दिया. उस वक्त नवजात चार दिन का ही था. इधर 30 जून को सीडबल्यूसी के सदस्यों ने संस्था का दौरा किया था. इससे डरकर अनिमा ने उसी दिन अग्रवाल दंपति को फोन कर कहा कि बच्चे को अदालत में पेश करना है, उसे लेकर रांची आ जाइए.

इसके बाद बच्चे को दो जुलाई अनिमा को दे दिया. तीन जुलाई को बच्चे की जानकारी लेने वह संस्था पहुंचे, जहां उन्हें बच्चे से नहीं मिलने दिया गया. इसके बाद उसी दिन उन्होंने इसकी शिकायत सीडबल्यूसी से की. सूचना मिलते ही चेयरमैन रूपा कुमारी निर्मल हृदय पहुंची. पूरी छानबीन के बाद जब कड़ाई से पूछताछ की गई तो अनिमा ने स्वीकारा कि उन तीनों ने मिलकर बच्चे को बेच दिया है.

सख्त तय समयसीमा के साथ पूर्वाञ्चल एक्सप्रेसस्वे का शिलानियास हुआ आज, 2021 तक होगा तैयार


सरकार ने प्रोजेक्ट के लिए सख्त डेडलाइन तय की है. अनुमान है कि 2021 तक यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को आजमगढ़ में 23 हजार करोड़ के पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की नींव रखी. 354 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे लखनऊ से गाजीपुर को जोड़ेगा. एक्सप्रेसवे की वजह से 6 घंटे का रास्ता केवल साढे 4 घंटे का रह जाएगा.

अखिलेश यादव की सरकार में इस एक्सप्रेसवे का नाम समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेस रखा गया था. इसके जरिए 302 किमी लंबे लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे और 165 किमी लंबे यमुना एक्सप्रेसवे से भी जुड़ा जा सकेगा. एक्सप्रेसवे का कुल नेटवर्क 800 किलोमीटर का हो जाएगा.

एक्सप्रेसवे की शुरुआत आजमगढ़ से होगी जोकि समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का क्षेत्र है. हालांकि वाराणसी तक एक्सप्रेसवे को जोड़ने का प्रस्ताव रखा गया है. योगी सरकार ने इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए पंजाब नेशनल बैंक से 12 हजार करोड़ का लोन पारित करा लिया है.

93 फीसदी जमीन खरीदने में खर्च हुए 6500 करोड़ रुपए

यूपी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी अवनीश अवस्थी ने बताया कि 6500 करोड़ रुपए 93 फीसदी जमीन को खरीदने में खर्च हुए. 11 जुलाई को राज्य सरकार ने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के लिए पांच बोलीदाताओं को 340 किलोमीटर के एक्सप्रेसवे के आठ हिस्सों के लिए अनुबंध सौंपकर टेंडर की प्रक्रिया पूरी की.

सरकार ने प्रोजेक्ट के लिए सख्त डेडलाइन तय की है. अनुमान है कि 2021 तक यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा. अधिकारियों का कहना है कि वह 24 से 26 महीनों में प्रोजेक्ट को पूरा करने की कोशिश करेंगे.

हालांकि सपा और बीजेपी के बीच इस प्रोजेक्ट का श्रेय लेने की होड़ मची है. सपा इस प्रोजेक्ट से जुड़े फोटो शेयर कर रही है जिसमें 22 दिसंबर 2016 को अखिलेश यादव इस प्रोजेक्ट की नींव रख रहे हैं वहीं क्षेत्रीय पार्टी के नेताओं ने आजमगढ़ में रैली लगाकर इस प्रोजेक्ट पर अपना दावा पेश किया.

वहीं इन्फ्रास्ट्रक्चर और इंडस्ट्री मामलों के मंत्री सताश महाना ने कहा कि 2016 में रखी गई नींव फर्जी थी. उन्होंने दावा किया कि पुरानी सरकार ने इस टेंडर को ऊंचे दामों में पास किया था.

राहुल माया राजस्थान, मध्य प्रदेश ओर हहत्तीस गढ़ मे साथ होंगे


सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश में बीएसपी के साथ बातचीत पिछले कुछ महीने से चल रही है, लेकिन सीटों के तालमेल को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है


कांग्रेस मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में दलित मतदाताओं को साथ लेने के मकसद से बीएसपी के साथ गठबंधन की तैयारी में है, हालांकि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने इन तीन राज्यों के नेताओं से कहा है कि वे इस संदर्भ में अगले कुछ दिनों के भीतर ‘जमीनी ब्योरा’ सौंपें. इन तीनों राज्यों में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं.

गांधी ने इन तीनों राज्यों के पार्टी प्रभारियों और प्रदेश अध्यक्षों के साथ बैठक की जिसमें बीएसपी के साथ गठबंधन के अलावा संगठन, चुनाव प्रचार की तैयारियों और टिकटों के आवंटन को लेकर चर्चा हुई.

बैठक में मौजूद पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ‘तीनों राज्यों में बीएसपी के साथ गठबंधन को लेकर पार्टी में सहमति है. इस मुद्दे पर राहुल गांधी के साथ चर्चा हुई. उन्होंने पार्टी नेताओं से कहा है कि जमीनी ब्योरा हासिल करें, बीएसपी की क्या स्थिति है और सीटों के तालमेल में सही सूरत क्या होगी.’ उन्होंने कहा, ‘तीनों राज्यों में संगठन की स्थिति, टिकटों के आवंटन और चुनाव प्रचार की तैयारियों को लेकर भी चर्चा हुई.’

सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश में बीएसपी के साथ बातचीत पिछले कुछ महीने से चल रही है, लेकिन सीटों के तालमेल को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है. चर्चा के दौरान मौजूद रहे एक अन्य नेता ने बताया, ‘संसद सत्र के बाद राहुल गांधी के चुनावी कार्यक्रम इन तीनों राज्यों में जोरशोर से शुरू हो जाएंगे.’

गांधी के साथ बैठक में मध्य प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया और प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, पार्टी के राजस्थान प्रभारी अविनाश पांडे और प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट तथा छत्तीसगढ़ के कांग्रेस प्रभारी पीएल पूनिया और प्रदेश अध्यक्ष भूपेश पटेल मौजूद थे.

कांग्रेस शमशान कब्रिस्तान मेन भेद नहीं रखती : कांग्रेस


कांग्रेस नेता ने दावा किया कि ‘मोदी जी का तेवर एक हारे हुए सेनापति का था जिसकी सेना का अंधकारमय भविष्य नजर आ रहा है’

शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हमले पर कांग्रेस ने भी पलटवार किया है. कांग्रेस ने मोदी द्वारा लगाए गए तुष्टिकरण के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वह उनकी तरह ‘श्मशान-कब्रिस्तान और बांटने की राजनीति’ नहीं करती. बल्कि सभी धर्मों और जातियों का सम्मान करती है.

दरअसल, मोदी ने शनिवार को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे परियोजना के शिलान्यास के मौके पर कांग्रेस पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया. प्रधानमंत्री मोदी ने एक उर्दू दैनिक की खबर का हवाला देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से सवाल किया कि कांग्रेस क्या मुस्लिम पुरूषों की पार्टी है या मुस्लिम महिलाओं की भी है?

कांग्रेस सबको साथ लेकर चलने वाली पार्टी

इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने कहा, ‘हम गर्व से कह सकते हैं कि अगर कोई देश के हर धर्म, जाति और वर्ग को साथ लेकर चला है तो वह सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस है. हम सभी का आदर करते हैं. हम मोदी की तरह श्मशान ,कब्रिस्तान और बांटने की राजनीति नहीं करते.’

तीन तलाक विरोधी कानून के बारे में तिवारी ने कहा, ‘हम तीन तलाक पर कानून के पक्ष में हैं. लेकिन जो इस विधेयक का मौजूदा स्वरूप है उससे महिलाओं का भला नहीं होने वाला है. इस विधेयक को ऐसे बनाना होगा जिससे महिलाओं का भला हो सके.’

तिवारी ने कहा, ‘पूर्वांचल के लोगों को मोदी जी से उम्मीद थी कि किसानों के जो 12 हजार करोड़ रुपए बकाया हैं उसको दिए जाने की घोषणा करेंगे. आशा थी कि बंद मिलों एवं कारखानों को फिर से खोलने की तारीख की घोषणा करेंगे. आशा थी कि उत्तर प्रदेश में महिला विरोधी अपराधों के बढ़ते मामलों पर कुछ बोलेंगे. लेकिन उन्होंने इन पर कुछ नहीं बोला.’

उधार की योजना का जिक्र कर रहे थे मोदी जी

उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री पूर्वांचल में बोल रहे थे, लेकिन आजमगढ़ के महान साहित्यकार राहुल सांस्कृत्यायन का उल्लेख करना भूल गए. वीर अब्दुल हमीद का नाम लेना भूल गए. गोरखपुर में ऑक्सीजन की कमी से मरने वाले मासूम बच्चों के बारे में कुछ कहना भूल गए. उन्नाव के बलात्कार के आरोपी अपने विधायक को पार्टी से बाहर निकालने की हिम्मत नहीं कर पाए.’

उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री अपने भाषण में जिन उपलब्धियों का जिक्र कर रहे थे वो सबकुछ उधार का था. मनमोहन सिंह सरकार की योजनाओं का नाम बदलकर पेश किया.’ कांग्रेस नेता ने दावा किया कि ‘मोदी जी का तेवर एक हारे हुए सेनापति का था जिसकी सेना का अंधकारमय भविष्य नजर आ रहा है.’

बीजेपी राम में नहीं उनके इस्तेमाल में यकीन करती है

उन्होंने सवाल किया, ‘प्रधानमंत्री जी जवाब दीजिए कि रोजगार कहां है, महंगाई क्यों बढ़ी, रुपये की कीमत आपकी उम्र से ज्याद कैसे हो गई, पेट्रोल-डीजल के दाम कब कम होंगे?’ बीजेप अध्यक्ष अमित शाह के राम मंदिर से जुड़े एक कथित बयान का हवाला देते हुए तिवारी ने आरोप लगाया, ‘बीजेपी को भगवान राम में आस्था नहीं है, बल्कि वह उनके नाम इस्तेमाल चुनाव के मोहरे के रूप में करती है.’

कांग्रेस केवल मुस्लिम पुरुषों की पार्टी है क्या: मोदी


उन्होंने कहा, ‘जब बीजेपी सरकार ने संसद में कानून लाकर मुस्लिम बहन बेटियों को अधिकार देने की कोशिश की तो उस पर भी यह दल रोडे अटका रहे हैं’


 

संसद का मानसून सत्र शुरू होने से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘तीन तलाक’ से संबंधित विधेयक के लंबित होने को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कांग्रेस से सवाल करते हुए कहा कि क्या यह पार्टी सिर्फ मुस्लिम पुरूषों की पार्टी है, महिलाओं की नहीं.

एक्सप्रेसवे के उद्धघाटन पर तीन तलाक का जिक्र

मोदी ने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे परियोजना का शिलान्यास करने के बाद एक जनसभा में कहा, ‘मैंने अखबार में पढा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि कांग्रेस मुस्लिमों की पार्टी है. पिछले दो दिन से चर्चा चल रही है. मुझे आश्चर्य नहीं हो रहा है क्योंकि जब मनमोहन सिंह की सरकार थी तो स्वयं उन्होंने कह दिया था कि देश के प्राकृतिक संसाधनों पर सबसे पहला अधिकार मुसलमानों का है.’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन मैं कांग्रेस अध्यक्ष से यह पूछना चाहता हूं कि कांग्रेस मुस्लिमों की पार्टी है. ये तो बताइए मुसलमानों की पार्टी भी क्या पुरूषों की है या महिलाओं की भी है. क्या मुस्लिम महिलाओं के गौरव के लिए जगह है.’

तीन तलाक मामले पर विपक्षियों पर जम कर बरसे मोदी

विपक्षी दलों पर हमला करते हुए मोदी ने कहा, ‘इन सारे दलों की पोल तो तीन तलाक पर इनके रवैए ने भी खोल दी है. एक तरफ केन्द्र सरकार महिलाओं के जीवन को आसान बनाने के लिए प्रयास कर रही है, वहीं ये सारे दल मिलकर महिलाओं और विशेषकर मुस्लिम बहन बेटियों के जीवन को और संकट में डालने का काम कर रहे हैं.’

मोदी ने कहा कि वह इन परिवारवादी पार्टियों और मोदी को हटाने के लिए दिन रात एक करने वाली पार्टियों को कहना चाहते हैं कि संसद का सत्र शुरू होने में चार पांच दिन बाकी हैं. आप पीडित मुस्लिम महिलाओं से मिलकर आइए और फिर संसद में अपनी बात रखिए.

उन्होंने कहा, ‘जब बीजेपी सरकार ने संसद में कानून लाकर मुस्लिम बहन बेटियों को अधिकार देने की कोशिश की तो उस पर भी यह दल रोडे अटका रहे हैं. ये चाहते हैं कि तीन तलाक होता रहे और मुस्लिम बहन बेटियों का जीवन भी तबाह होता रहे.’

राज्य सभा को मिले 4 मनोनीत सदस्य, बढ़ा भाजपा का आधार


राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोनल मान सिंह, राकेश सिन्हा, राम सकल और रघुनाथ महापात्रा का नाम राज्यसभा के नए सांसद के तौर पर मनोनीत किया है


 

राज्यसभा के लिए राष्ट्रपति ने चार लोगों के नाम को मनोनित किया है. ये चारों लोग अलग-अलग क्षेत्र के हुनरमंद हैं. इनमें राकेश सिन्हा, राम सकल, रघुनाथ महापात्रा और सोनल मान सिंह का नाम शामिल है. संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए और प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति ने इन 4 नामों को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है.

आइए जानते हैं इन चारों के बारे में…

राकेश सिन्हा

राकेश सिन्हा दिल्ली यूनिवर्सिटी के मोतीलाल नेहरू कॉलेज में प्रोफेसर हैं और आरएसएस के विचारक हैं. लेकिन राकेश सिन्हा के राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1980 में हुई थी. दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए उन्होंने तय किया कि वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के उम्मीदवार के तौर पर छात्र संघ का चुनाव लड़ेंगे. सिन्हा ने एक अच्छा कैंपेन चलाया लेकिन वो जीत नहीं सके.

हिंदू कॉलेज में पढ़ने वाले कम ही छात्र इस प्रकार की महत्वकांक्षा रखते हैं. सिन्हा जब मैदान में थे बिहारी बनाम लोकल का मुद्दा अपने चरम था. ऐसे में उनका चुनाव लड़ने का निर्णय लेना एक महत्वपूर्ण कदम था.

एक छात्र और राजनीतिक की तरफ झुकाव रखने वाले एक छात्र कार्यकर्ता के रूप में की गई उनकी कड़ी मेहनत का फल आने वाले सालों में उन्हें मिलने लगा. वो राइट विंग बुद्धिजीवियों के सबसे प्रसिद्ध चेहरों में से एक बन गए. ऐसा इसलिए नहीं था कि वे आरएसएस और उनके सहयोगियों को अच्छी तरह से जानते थे और उन्होंने आरएसएस संस्थापक केबी हेडगेवार पर अपना पोस्ट ग्रेजुएशन डिजर्टेशन लिखा था. बल्कि उन्होंने वामपंथी विचारधारा और राजनीतिक को समझने के लिए काफी समय और ऊर्जा खर्च की थी.

वाम दलों पर काफी रिसर्च किया है राकेश सिन्हा ने

राकेश सिन्हा ने हार्डकोर राइट विंगर होते हुए भी अपना एमफिल, नागरिक स्वतंत्रता आंदोलन पर करने को चुना. इसके बाद उन्होंने अपने पीएचडी रिसर्च के लिए सीपीआई (एम) के संगठनात्मक और विचाराधारात्मक परिवर्तन को चुना.

उनको पहली बार तब प्रसिद्धि हासिल हुई जब उन्होंने आरएसएस संस्थापक हेडगेवार पर किताब लिखी. इसे उस समय का हेडगेवार पर पहला प्रमाणिक जीवनी कहा गया. सिन्हा ने एक राइट विंग थिंक टैंक, इंडिया पॉलिसी फाउंडेशन की भी स्थापना की.

एक समय जब आरएसएस अपने काम और दर्शन के बारे में बहुत चुनिंदा या लगभग गुप्त रहता था. यहां तक कि सार्वजनिक मंच पर खुद को बचाने में भी, खासकर समाचार चैनलों पर, तब सिन्हा ने संघ परिवार का अघोषित प्रवक्ता बनने की पहल की.

सिन्हा ने अपने दोस्तों के बीच कभी भी अपनी आकांक्षाओं को गुप्त नहीं रखा. वह खुले तौर पर संसद के ऊपरी सदन में एक सांसद के तौर पर जाने की अपनी बात को कहते थे और इस मंच से बहस करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते थे.

सिन्हा को कई संस्थानों का नेतृत्व करने का प्रस्ताव मिला लेकिन उन्होंने इसे सवीकार नहीं किया. आज सिन्हा यह कह सकते हैं उन्हें जो चाहिए था, वह मिल गया है. इसके लिए वे अपने विचारधारात्मक परिवार का धन्यवाद भी कह सकते हैं.

राम सकल

इनके अलावा, उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले राम सकल किसान नेता हैं. दलित समुदाय के कल्याण और बेहतरी के लिए उन्होंने कई काम किए हैं. वो पूर्व में लगातार 3 बार रॉबर्टसगंज से बीजपी के सांसद भी रह चुके हैं. लेकिन 2004 में उन्हें टिकट नहीं मिला. आरएसएस से मजबूत संबंध रखने वाले राम सकल संघ के जिला प्रचारक थे. टिकट नहीं मिलने के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया. अब जब उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनित किया गया है, तो एक बार फिर भारतीय संसद में जाने के लिए तैयार हैं.

रघुनाथ महापात्रा

रघुनाथ महापात्रा अद्भुत प्रतिभा के धनी हैं. उनकी शिल्पकला का जादू देश में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी माना जाता है. साल 2013 में उन्हें पद्म विभूषण से नवाज़ा गया था. इससे पहले उन्हें पद्म भूषण, शिल्प गुरु अवार्ड जैसे कई समान मिल चुके हैं.

अब तक उन्होंने लगभग 2000 छात्रों को ट्रेनिंग दी है. देश की पारंपरिक शिल्प कला को सहेजने में उनका बहुत बड़ा योगदान है. उनकी कला की खूबसूरती पुरी के जगन्नाथ मंदिर में देखने को मिलती है. उनके कई कामों को देश और विदेश में खूब ख्याति मिली. इसमें से एक संसद के सेंट्रल हॉल में लगी भगवान सूर्य की 6 फीट लंबी प्रतिमा है. उनके द्वारा बनाए गए लकड़ी के बुद्धा को पेरिस के बुद्धा मंदिर में रखा गया है.

सोनल मानसिंह

ओडिसी डांस के प्रमुख प्रदर्शकों में से एक सोनल मानसिंह प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, विचारक, शोधकर्ता, वक्ता, कोरियोग्राफर और शिक्षिका हैं. सोनल मानसिंह ओडिसी के अलावा, भरतनाट्यम में भी माहिर हैं. उन्होंने कई भारतीय पौराणिक कथाओं के माध्यम से कई नृत्य कलाएं बनाई हैं. सोनल मानसिंह को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. इनको 1992 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया और वह सबसे कम उम्र में पद्म भूषण पाने वाली महिला हैं.

ग्रामीण डिजिटल क्रांति की ओर कदम बढ़ाते हुये इफको द्वारा “इफको आई मंडी ऐप” की शुरुआत


इफको आई मंडी भारत की सबसे बड़े ग्रामीण ई प्लेटफार्म बन सकती है, इससे 5.5 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा


चंडीगढ़15 जुलाई 2018 : सहकारी क्षेत्र की विश्व की सबसे बड़ी उर्वरक उत्पादक कंपनी इफको ने किसानों की सेवा के उद्देश्य से सोशल ई-कॉमर्स ऐप (इफको आई मंडी) तथा एक वेब पोर्टल शुरू करके डिजिटल क्षेत्र में एक और क्रांतिकारी कदम उठाया है। प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने की दिशा में एक सार्थक पहल है। इफको की सभी ई-कॉमर्स और डिजिटल गतिविधियाँ इफको आई मंडी प्लेटफार्म पर उपलब्ध रहेंगी।

आई मंडी, इफको की शत-प्रतिशत साझेदारी वाली सहयोगी कंपनी इफको ई बाज़ार लिमिटेड द्वारा सिंगापुर की प्रद्योगिकी कंपनी आई मंडी प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर किया गया एक नीतिगत निवेश है। कृषि उद्योग तथा मोबाइल/इंटरनेट प्रौद्योगिकी के क्षेत्र के अनुभवी और पेशेवर लोग इससे जुड़े हुये हैं। इस पहल का उद्देश्य देश के हर किसान तक डिजिटल प्रौद्योगिकी का लाभ पहुंचाना तथा ग्रामीण भारत में डिजिटल क्रांति लाना है।

इफको के प्रबंध निदेशक, डॉ. यू एस अवस्थी ने इस मौके पर कहा कि पूरे भारत में किसानों के बीच ऑनलाइन और डिजिटल लेन-देन के प्रयोग को प्रचारित प्रसारित करने के पश्चात अभियान के बाद ‘इफको आई मंडी ऐप’ की शुरुआत करते हुए हमें गर्व है। आई मंडी कृषि आदानों, उत्पादों, उपभोक्ता वस्तुओं (एफ़एमसीजी),इलेक्ट्रॉनिक्स, ऋण तथा बीमा आदि की खरीद के लिए वस्तुएँ एक ही स्थान पर उपलब्ध कराती है। यह खेतिहर समुदायों की सभी जरूरतों को पूरा करेगी तथा 5.5 करोड़ किसान इससे लाभान्वित होंगे।

आई मंडी प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक, वी के अग्रवाल ने कहा कि इफको और आई मंडी को इस बात से आश्वस्त हैं कि इस भारतीय सहकारी डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से हरेक घर, हरेक गाँव में बड़े पैमाने पर सामाजिक बदलाव लाने में मदद मिलेगी तथा इसकी डिजिटल समावेशी प्रौद्योगिकी से एक करोड़ लोग सशक्त होंगे।

इस परियोजना को व्यापक स्तर पर कार्यान्वित किया जाएगा। इफको के 55000 बिक्री केन्द्रों, 36000 सदस्य सहकारी समितियों, 30000 भंडार गृहों तथा 25 करोड़ ग्रामीण उपभोक्ताओं से जुड़कर आई मंडी ग्रामीण सोशल ई कॉमर्स क्षेत्र में भारत की सबसे बड़ी कंपनी बन जाएगी। लगभग 16000 पिन कोड के जरिए भारत का लगभग एक तिहाई हिस्सा इससे जुड़ेगा। एंड्रॉयड और आईओएस फोन पर क्रमशः प्ले स्टोर और ऐप स्टोर के जरिए आई मंडी ऐप को डाउनलोड किया जा सकता है। www.iffcoimandi.in के माध्यम से वेब से भी इससे जुड़ा जा सकता है। इसमें विभिन्न बिक्री केन्द्रों के माध्यम से लोगों की जरूरतें पूरा करने के अतिरिक्त किसानों को जोड़ने के लिए संवाद (चैट एवं कॉलिंग), मनोरंजन तथा सूचना/परामर्श आदि की सुविधा भी उपलब्ध है। इसकी सोशल और संवाद संबंधी सुविधा से विभिन्न क्षेत्रों के लोग एक ही प्लेटफार्म पर जुड़ सकेंगे। अपनी अपनी रुचि के मुताबिक लोग अलग-अलग फोरम चुन सकते हैं। वे विषय के विशेषज्ञों से बात कर सकते हैं तथा विभिन्न समस्याओं पर उनसे सलाह ले सकते हैं। यही नहीं वे एक दूसरे से अपनी कामयाबी भी साझा कर सकते हैं।

बिक्री केंद्र से किसान इस समय उर्वरक (रासायनिक,जल विलेय, कार्बनिक,जैविक आदि), कृषि रसायन तथा बीज सहित  इफको के सभी उत्पाद रियायती मूल्य पर खरीद सकते हैं तथा बिना किसी अतिरिक्त भुगतान के इन्हें घर बैठे मंगा सकते हैं। किसान अपना लेन-देन मोबाइल ऐप, वेब पोर्टल अथवा कॉल सेंटर के जरिए टोल फ्री नंबर 1800 2000 344 पर कॉल करके, कर सकते हैं। वे चैट, ऑडियो और वीडियो कॉल तथा चित्र और वीडियो साझा करके अपने दोस्तों और परिवार के साथ संपर्क में रह सकते हैं। इसमें संचार की सुविधा एंड टु एंड इंक्रीप्टेड है तथा डाटा पूरी तरह निजी और सुरक्षित है।

प्रयोक्ता मनोरंजक वीडियो के साथ-साथ मौसम, मंडी मूल्य तथा दैनिक खबरों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त वे अपने पसंदीदा स्थानीय और राष्ट्रीय रेडियो स्टेशन के कार्यक्रम भी सुन सकते हैं।

किसान निकट भविष्य में अपने उत्पाद अच्छी कीमतों पर ऑनलाइन बेच सकेंगे। आई मंडी के जरिए ऋण, बीमा जैसी अनेक वित्तीय सेवाओं की सुविधा भी मिलेंगी।

समय के साथ इस ऐप पर अनेक सामाजिक सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी। इसके जरिए ऑनलाइन शिक्षा और कौशल-विकास के साथ-साथ रोजगार पाने में भी मदद मिलेगी। इस ऐप के माध्यम से बुनियादी चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध करायी जाएंगी।

आई मंडी ऐप की यह खासियत है कि यह 2जी प्लस और 3जी प्लस दोनों ही प्रकार की तकनीक वाले स्मार्ट फोन पर काम करता है। हिन्दी और अंग्रेजी के अतिरिक्त यह भारत की 10 क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध होगा। इसे ग्रामीण भारतीय उपभोक्ताओं को ध्यान में रखते हुए वैश्विक मानकों के अनुरूप विकसित किया गया है।

उत्कल सांस्कृतिक संघ की ओर से जगन्नाथ मंदिर सेक्टर-31 से शनिवार14 जुलाई को भगवान जगन्नाथ रथयात्रा धूमधाम के साथ निकाली तेज बरसात होने के बावजूद लोगो ने रथ यात्रा में बढ़चढ़ कर भाग लिया |

चंडीगढ़ 14 जुलाई। शनिवार  को उत्कल सांस्कृतिक संघ की ओर से जगन्नाथ मंदिर सेक्टर-31 से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा शहर में धूमधाम के साथ निकाली गई। फूलों और मालाओं से सजे भगवान जगन्नाथ ऐसे लग रहे थे मानो उनका साक्षात अवतरण हुआ हो।

रथयात्रा में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ जय श्री जगन्नाथ के जयकारे लगाते हुए व उनका गुणगान करते हुए चल रही थी। शहर के विभिन्न सेक्टरों से आए बच्चे, वृद्ध और महिलाएं सभी भगवान की रथयात्रा में शामिल हुए। भगवान जगन्नाथ की पूजा- अर्चना के बाद दोपहर 1 बजे भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा की शुरुआत हुई।  मुख्य अतिथि श्री देवेश मोदगिल महापौर चंडीगढ़, श्रीसंजय चंडीगढ़ टंडन  भाजपा अध्यक्ष, श्री सत्यपाल जैन पूर्व सांसद एवं एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया आदि ने भक्तों के साथ जगनाथ यात्रा में भगवान का आशीर्वाद लिया व यात्रा का शुभारम्भ किया। इस मौके पर पूरा शहर राधे-राधे के जयकारों से गूंज उठा । यात्रा में रथ की रस्सी खींचने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। यात्रा के साथ भक्त नाचते-गाते हुए चल रहे थे। भगवान रथ में सवार थे और भक्त उनकी मस्ती में झूम रहे थे। मान्यता के अनुसार भगवान श्री जगन्नाथ भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ नगर भ्रमण पर निकले। इस रथ यात्रा में भगवान बलराम की पालकी को खींचने से पाप से मुक्ति के द्वार की तरफ प्रस्थान माना जाता है। 

 रथ को फूल मालाओं से सजाया गया था, जिसकी शोभा देखते ही बनती थी। रथ यात्रा  सेक्टर-31 के श्री जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर सेक्टर-29, 30, 20, 21, 22, 23, 35, 36, 34,45, 46 और सेक्टर-47 होते हुए सेक्टर-31 स्थित मंदिर में 9  बजे के करीब दोबारा मंदिर में पहुंची। इस दौरान श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन भी किया गया।  रथयात्रा का जगह-जगह भव्य स्वागत हुआ। श्रद्धालु कीर्तन करते रथयात्रा में चल रहे थे।  उत्कल सांस्कृतिक संघ के सेकेट्री एस के नायक ने बताया कि 22 जुलाई को बुहाडा यात्रा निकाली जाएगी।