चंद्रशेखर राव, नायडू की तरह झगड़ने के बजाय अपने राज्य के विकास को तरजीह देते हैं : मोदी


तेलंगाना के सीएम की तारीफ करके मोदी ने ये सुनिश्चित कर लिया है कि 2019 में उनके पास एक संभावित सहयोगी के तौर पर टीआरएस होगी


शुक्रवार देर रात, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में अपना जवाब पूरा किया, तो, विजयवाड़ा से सांसद केसीनेनी नानी बोलने के लिए खड़े हुए. नानी ने शुरुआत में पीएम मोदी की भाषण कला की तारीफ की और कहा कि जब प्रधानमंत्री भाषण दे रहे थे, तो, उन्हें लगा कि वो एक ब्लॉकबस्टर बॉलीवुड फ़िल्म देख रहे हैं. लेकिन, कुछ सेकेंड के बाद ही नानी के बयान में तुर्शी नजर आ गई, जब उन्होंने कहा कि दुनिया में मोदी से बड़ा कोई अभिनेता नहीं. सत्ता पक्ष के सांसदों ने नानी के इस बयान पर कड़ा ऐतराज जताया.

लेकिन, फिल्मी दुनिया से प्रभावित विजयवाड़ा के सांसद नानी के आरोप में कुछ तो दम जरूर है. पीएम मोदी सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के हीरो हैं. उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव पर हुई चर्चा के जवाब में टीडीपी अध्यक्ष को आंध्र के विकास का विलेन ठहराने की कोशिश की थी. पीएम ने टीडीपी नेता को झगड़ालू बताया और कहा कि वो अक्सर तेलंगाना की सत्ताधारी पार्टी टीआरएस से झगड़ते रहते थे. जिसकी वजह से कई बार राज्यपाल, गृह मंत्री और खुद पीएम को ये झगड़ा शांत कराना पड़ता था.

टीडीपी की आलोचना टीआरएस की तारीफ के साथ

चंद्रबाबू नायडू के जख्मों पर और नमक डालते हुए पीएम मोदी ने टीआरस प्रमुख और तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव की तारीफ की और कहा कि चंद्रशेखर राव, नायडू की तरह झगड़ने के बजाय अपने राज्य के विकास को तरजीह देते हैं. नायडू को इस बात से और भी गुस्सा आया होगा.

लेकिन, मोदी यहीं पर नहीं रुके. नायडू के साथ अकेले में हुई अपनी बातों को सार्वजनिक करते हुए पीएम ने कहा कि जब मार्च में टीडीपी ने एनडीए से बाहर जाने का फैसला किया, तो उन्होंने नायडू को आगाह किया था कि आप वायएसआर कांग्रेस के जाल में फंस रहे हैं. मोदी ने अपने भाषण के जरिए चंद्रबाबू नायडू को एक छोटे से क्षेत्रीय दल का नेता ठहरा दिया, जो अपने घरेलू मसले निपटाने के लिए झगड़ता है. मगर दावे ऐसे करता है कि वो बहुत बड़ा नेता हो और देश की बड़ी सियासी तस्वीर समझता है.

लोकसभा में पीएम मोदी ने चंद्रबाबू नायडू पर जो तीखे हमले किए उसमें एक बात सबसे अहम है, वो ये कि नायडू के साथ बीजेपी की दोस्ती गए जमाने की बात हो गई है. हालांकि गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि नायडू अभी भी उनके दोस्त हैं, लेकिन, पीएम के भाषण से साफ है कि नायडू के एनडीए छोड़ने को मोदी निजी दुश्मनी के तौर पर देख रहे हैं. निजी स्तर पर नायडू के राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और प्रकाश जावडेकर से रिश्ते अब भी बहुत अच्छे हैं. लेकिन अमित शाह और पीएम मोदी के साथ उनकी केमिस्ट्री गड़बड़ा गई है. और आज की तारीख में मोदी और शाह ही बीजेपी में सबसे अहम हैं.

आंध्र को विशेष दर्जा दिलाने पर नायडू का यू-टर्न

पीएम मोदी के भाषण पर पहली प्रतिक्रिया में नायडू ने उन्हें अहंकारी कहा. लेकिन तल्ख हकीकत ये है कि आंध्र प्रदेश और टीडीपी, राज्य को विशेष दर्जा दिलाने की ये सियासी लड़ाई हार गए हैं. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि आंध्र को विशेष दर्जा दिलाने पर उन्होंने यू-टर्न लिया है क्योंकि ये नायडू ही थे जिन्होंने 2016-17 में राज्य के लिए विशेष वित्तीय पैकेज को स्वीकार किया था. केवल यही नहीं, मार्च 2017 में नायडू ने आंध्र प्रदेश विधानसभा में एक प्रस्ताव भी पेश किया था जिसमें इस पैकेज के लिए आंध्र प्रदेश की जनता की तरफ से केंद्र को दिल से शुक्रिया कहा गया. इस प्रस्ताव में साफ लिखा था कि भले ही नाम अलग हो, लेकिन ये पैकेज असल में राज्य के लिए विशेष दर्जे जैसा ही है. उस वक्त नायडू के प्रचारकों ने इसे जोर-शोर से आंध्र प्रदेश की जनता और नायडू की जीत के तौर पर पेश किया था. बल्कि, लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत करने वाले टीडीपी सांसद जयदेव गल्ला ने मार्च 2017 में कहा था कि, ‘स्पेशल पैकेज विशेष राज्य के दर्जे से बेहतर है’. गुंटूर से सांसद गल्ला अब कह रहे हैं कि, ‘मेरे लिए विशेष दर्जा ही सब कुछ है’. ये आला दर्जे का सियासी दोगलापन है.

 

पीएम ने आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा न देने के लिए वित्तीय आयोग की सिफारिशों का बहाना बनाया. मोदी ने कहा कि उत्तर-पूर्व के राज्यों और पहाड़ी इलाकों के सिवा किसी और राज्य को विशेष दर्जा नहीं दिया जा सकता. चंद्रबाबू नायडू इसे सरासर झूठा दावा कहते हैं. सच तो ये है कि अगर आंध्र प्रदेश को स्पेशल स्टेटस दिया जाता, तो केंद्र सरकार को तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे आंध्र प्रदेश के पड़ोसी राज्यों का विरोध झेलना पड़ता. क्योंकि तब इन राज्यों को लगता कि निवेशकों को रिझाने में आंध्र प्रदेश उनसे आगे निकल जाता.

2019 के लिए बड़ी दूर का पासा है टीआरएस का नाम लेना

बीजेपी की रणनीति साफ है. वो चंद्रबाबू नायडू पर दबाव बनाए रखना चाहती है. इस मामले में वाईएसआर कांग्रेस और पवन कल्याण उसके मददगार हैं. खास तौर से अभिनेता से नेता बने पवन कल्याण के तीखे हमलों से नायडू को शक है कि वो बीजेपी के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं.

आंध्र प्रदेश के सियासी मैदान में जो तस्वीर बन रही है, उसमें नायडू के मुकाबले बीजेपी, वाईएसआर कांग्रेस और पवन कल्याण की जनसेना का मोर्चा बनता दिख रहा है. इस मुकाबले में नायडू तभी जीत सकते हैं, जब उनके खिलाफ इस तिकड़ी के वोट बंटें. अगर ये तीनों आपसी तालमेल से नायडू का मुकाबला करने की ठानते हैं, तो टीडीपी के लिए चुनौती बहुत बड़ी होगी. दूसरी तरफ टी़डीपी, कांग्रेस के साथ नहीं जा सकती, क्योंकि आंध्र की जनता उसे राज्य के बंटवारे का विलेन मानती है. हालांकि कांग्रेस ने वादा किया है कि वो सत्ता में आई तो आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देगी.

हालांकि मोदी का नायडू के दावों को झूठा साबित करना सिक्के का एक ही पहलू है. पीएम ने जिस तरह से इशारों में चंद्रशेखर राव की तारीफ की, उससे 2019 में हम नई तस्वीर देख सकते हैं. तेलंगाना के सीएम की तारीफ करके मोदी ने ये सुनिश्चित कर लिया है कि अगर 2019 में वो बहुमत के जादुई आंकड़े 272 से दूर रहते हैं, तो उनके पास एक संभावित सहयोगी के तौर पर टीआरएस होगी. आखिर चंद्रशेखर राव को लुभाने के लिए इससे अच्छा दांव क्या हो सकता है कि उन्हें अपने दुश्मन चंद्रबाबू नायडू से बेहतर नेता बताया जाए.

कर्णाटक में गौ रक्षा दल बनयेगी विश्व हिन्दू परिषद


यह दल रात के वक्त मवेशियों को ले जा रहे सभी संदिग्ध वाहनों को रोकेंगे और दोषियों के पकड़े जाने पर उन्हें पुलिस को सौंपेंगे


विश्व हिंदू परिषद ने कर्नाटक के तटीय दक्षिण कन्नड़ जिले के हर गांव में गौरक्षा दल बनाने का फैसला किया है. ताकि मवेशियों की चोरी और अवैध तरीके से उन्हें लाने ले जाने पर लगाम लगे.

परिषद के मंगलूर संभाग के अध्यक्ष जगदीश शेनावा ने कहा कि मवेशियों की बढ़ती चोरी की घटनाएं और दोषियों की गिरफ्तारी में पुलिस की कथित नाकामी के कारण उन्हें ऐसे दल  बनाने पड़े. उन्होंने कहा कि हर दल में 10 सदस्य होंगे. यह दल रात के वक्त मवेशियों को अवैध तरीके से लाने-ले जाने पर नजर रखेंगे. मवेशियों को ले जा रहे सभी संदिग्ध वाहनों को रोकेंगे और दोषियों के पकड़े जाने पर उन्हें पुलिस को सौंपेंगे.

शेनावा ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद को ऐसा कदम इसलिए उठाना पड़ा क्योंकि पुलिस जिले में मवेशियों को अवैध तरीके से लाने-ले जाने पर लगाम लगाने में पूरी तरह नाकाम रही है. उन्होंने कहा कि हिंदू कार्यकर्ताओं को नैतिकता के पहरेदार के तौर पर पेश करने की बजाय पुलिस को मवेशियों का अवैध परिवहन करने वालों के खिलाफ गुंडा कानून के तहत केस दर्ज करना चाहिए.

विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल 26 जुलाई को जिले के वामनजूर में गौहत्या और मवेशियों के अवैध व्यापार को रोकने में अधिकारियों की कथित नाकामी के विरोध में संयुक्त रूप से एक रैली करेंगे.

जो प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं वे कभी अज्ञानता, झूठ और कलाबाजी को मिश्रित नहीं करते हैं:जेटली


जेटली ने लिखा, ‘राहुल ने बार-बार ये दर्शाया है कि वे तथ्यों से अनजान हैं. लागत बताने का मतलब होता है कि विमान में मौजूद हथियारों की भी जानकारी देना.’


लोकसभा में शुक्रवार को मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लेकर केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर निशाना साधा है. शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र पर संविधान बदलने से लेकर जीएसटी पर आरोप लगाए थे. अरुण जेटली ने फेसबुक पर ब्लॉग लिखकर इन सभी आरोपों पर जवाब दिया है.

जेटली ने लिखा, ‘अगर कोई प्रतिभागी (राहुल गांधी) जो एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल का अध्यक्ष भी है (जो प्रधानमंत्री बनने की आकांक्षा रखता है), तो उसका बोला हुआ हर एक शब्द मूल्यवान होना चाहिए. उनके तथ्यों में विश्वसनीयता और सत्यता होनी चाहिए. बहस महत्वहीन नहीं होनी चाहिए.’ राहुल का घेराव करते हुए जेटली ने आगे कहा कि जो प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं वे कभी अज्ञानता, झूठ और कलाबाजी को मिश्रित नहीं करते हैं.

जितना ज्यादा ‘दल-दल’ होगा, उतना खिलेगा कमल- शाहजहांपुर में PM मोदी ने विपक्ष पर किए ये प्रहार

अरुण जेटली ने लिखा, ‘अफसोस की बात है कि कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष ने एक महान अवसर खो दिया है. अगर 2019 के लिए यह उनकी अबतक की सबसे अच्छी बहस थी, तो भगवान उनकी पार्टी (कांग्रेस) की मदद करे.’ जेटली ने कहा कि उनकी समझ की कमी न केवल बुनियादी मुद्दों तक ही सीमित है, बल्कि प्रोटोकॉल की जानकारी भी सीमित है.


Rahul Gandhi, by concocting a conversation with President Macron, has lowered his own credibility&seriously hurt the image of an Indian politician before the world at large. Not to be aware of the fact that UPA Government Minister had signed the secrecy pact is not understandable


जेटली ने आगे लिखा, ‘उन्होंने कहा कि किसी को भी कभी भी सरकार के मुखिया या राज्य के मुखिया के साथ हुई बातचीत को गलत नहीं ठहराना चाहिए. अगर कोई ऐसा कहता है, तो गंभीर लोग आपसे बात करने या आपकी उपस्थिति में बोलने के लिए अनिच्छुक होंगे.’

PM मोदी का राहुल पर तंज, कहा- ‘अविश्वास प्रस्ताव का कारण नहीं बता पाए तो गले पड़ गए’

केंद्रीय मंत्री ने ब्लॉग में लिखा, ‘सदन में राफेल का मुद्दा उठाने के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो से मुलाकात का भी जिक्र किया. इसको राहुल गांधी ने राष्ट्रपति मैक्रों के साथ बातचीत करके अपनी विश्वसनीयता कम की है. दुनिया भर में एक भारतीय राजनेता की छवि को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है.’


Hallucinations can give momentary pleasure to a person. Therefore, to hallucinate after an embarrassing performance that he has won future election or to hallucinate that he is the reincarnation of Mark Antony may give him self-satisfaction but– in fact it is a serious problem.


जेटली ने लिखा, ‘ये नहीं भूलना चाहिए कि यूपीए सरकार के मंत्री ने गोपनीयता समझौते पर साइन किए. राहुल गांधी अब डॉक्टर मनमोहन सिंह को शर्मिंदा करना चाहते हैं, जो इस बातचीत के गवाह हैं.’

जेटली ने लिखा, ‘राहुल ने बार-बार ये दर्शाया है कि वे तथ्यों से अनजान हैं. लागत बताने का मतलब होता है कि विमान में मौजूद हथियारों की भी जानकारी देना.’

उन्होंने जीएसटी का जिक्र करते हुए कहा कि क्या वह इस तथ्य से अनजान हैं कि यूपीए ने जीएसटी संशोधन का प्रस्ताव दिया था? जीएसटी के दायरे में पेट्रोलियम उत्पादों को शामिल नहीं किया गया? यह केवल एनडीए सरकार है जो जीएसटी परिषद द्वारा सहमत होने के बाद जीएसटी लेकर आई.

बिहार कांग्रेस्स ने रखी राहुल के भूचाल की लाज

 

 

 

 

 

 


 

 

 

 

 



राहुल गांधी ने देश से वादा किया था कि अगर वो संसद में बोलेंगे तो भूकंप आ जाएगा, वह संसद में बहुत बोले, भूकंप नहीं आया लेकिन बिहार के कांग्रेसियों ने उनके दावे की लाज रख ली


कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश से वादा किया था कि अगर वो संसद में बोलेंगे तो भूकंप आ जाएगा. वह संसद में बहुत बोले. भूकंप नहीं आया. लेकिन, बिहार के कांग्रेसियों ने उनके दावे की लाज रख ली. राहुल शुक्रवार को संसद में बोल रहे थे. इधर भागलपुर में कांग्रेसियों की बैठक में भूकंप का नजारा चल रहा था. नेता-कार्यकर्ता एक दूसरे को धकिया कर बैठक वाले कांग्रेस भवन से बाहर कर रहे थे. बिल्कुल भूकंप जैसा माहौल था. बुजुर्ग कांग्रेसी सदानंद सिंह, जो इस समय विधायक दल के नेता हैं, विधानसभा के साथ-साथ कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं, इस आपाधापी में गश खाकर गिर गए. सबको एक रहने की हिदायत देने आए कांग्रेस के प्रभारी सचिव वीरेंद्र सिंह राठौर बमुश्किल जान बचा कर भागे.

यह उसी समय में हो रहा था, जब संसद में केंद्र सरकार के खिलाफ पेश अविश्वास प्रस्ताव पर बहस चल रही थी. कांग्रेस के नगर विधायक अजीत शर्मा और पार्टी के नेता प्रवीण कुशवाहा के समर्थक अपना जौहर दिखा रहे थे. तभी यह दृश्य उपस्थित हुआ. इस अप्राकृतिक ‘भूकंप’ की चपेट में आए सदानंद सिंह ने दोषी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. दरअसल, राज्य में कांग्रेस लंबे समय से नेतृत्वविहीन है. इधर आलाकमान ने एक महासचिव और दो सचिवों को राज्य में पार्टी की मजबूती का जिम्मा दिया है. कांग्रेसी इसी तरीके से अपनी ताकत का अहसास कराते रहते हैं.

90 के बाद खानाबदोश की जिंदगी

बिहार में कांग्रेस 1990 में सत्ता से बेदखल हुई. तभी से वह खानाबदोश वाली जिंदगी बसर कर रही है. लंबे समय तक वह आरजेडी के आसरे रही. बीच में कुछ दिनों के लिए उसे जेडीयू का भी सहारा मिला. आजकल फिर आरजेडी के साथ है. इस अवधि में कभी भी आलाकमान की ओर से इस बात की गंभीर कोशिश नहीं की गई कि कांग्रेस को अपने पैरों पर खड़ा किया जाए.

इस दौर में जितने अध्यक्ष बने, सबको गुटबाजी का शिकार होना पड़ा. लंबे समय तक सत्ता में रहने के कारण कांग्रेसियों की सड़क पर उतर कर संघर्ष करने की क्षमता खत्म होती गई. पार्टी में पूर्व सांसद और पूर्व विधायक इफरात में हैं. इन्हें रेलवे में मुफ्त सफर की सुविधा है. दिल्ली में रहने के लिए बिहार भवन के कमरे आसानी से मिल जाते हैं. इन सुविधाओं का इस्तेमाल कांग्रेसियों ने आलाकमान के सामने एक दूसरे की कब्र खोदने के लिए किया. आप कांग्रेस के बड़े नेताओं के रोजनामा पर गौर करें तो पाएंगे कि क्षेत्र से अधिक इनके दौरे दिल्ली के होते हैं.

करीब 20 वर्षों से आलाकमान से मुलाकात की खबरों का एक फॉर्मेट बना हुआ है-‘आलाकमान से मुलाकात हुई. राज्य की राजनीतिक स्थिति पर गंभीर चर्चा हुई.’ चर्चा कितनी गंभीर हुई, इसका पता आजतक किसी को नहीं चला. क्योंकि 2015 के विधानसभा चुनाव परिणाम को छोड़ दें तो राज्य में कांग्रेस की कामयाबी हमेशा गिरते क्रम में रही है. 1990 के विधानसभा चुनाव में 71, 1995 में 29, 2000 में 23, 2005 के फरवरी में 10, अक्टूबर में 09 और 2010 में सिर्फ चार विधायक जीत पाए. इस चुनाव की खासियत यह थी कांग्रेस अपने दम पर लड़ी थी. सभी 243 सीटों पर उसके उम्मीदवार खड़े थे. आठ फीसदी से अधिक वोट मिले थे.

अंदरूनी संकट का कारण पिछला चुनाव परिणाम भी है

असल में राज्य कांग्रेस में मौजूद अंदरूनी संकट का कारण विधानसभा का पिछला परिणाम भी है. 41 सीटों पर लड़ाई. उसमें 27 पर जीत. लगता है कि कांग्रेसियों ने इस जीत में अपने योगदान को माइनस कर दिया है. सबके सब इस बहस में उलझे हुए हैं कि इतनी शानदार जीत किसके चलते हुई. वह चुनाव महागठबंधन के बैनर तले हुए था. आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद और सीएम नीतीश कुमार जोर लगाए हुए थे. आने वाले नवंबर में उस चुनाव को हुए तीन साल पूरे हो जाएंगे, कांग्रेसी अभी तक यह तय नहीं कर पाए हैं कि उस जीत का असली श्रेय किसे दिया जाए.

कुछ विधायक इसका श्रेय नीतीश कुमार को देते हैं. एहसान चुकाने की गरज से ही प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डा अशोक चौधरी विधान परिषद के दो अन्य सदस्यों के साथ जेडीयू में चले गए. इधर जो विधायक हैं, उनके मन में संघर्ष चल रहा है- कांग्रेस में रहें, इधर(आरजेडी) रहें कि उधर (जेडीयू) चले जाएं. उनकी बेचैनी समझने लायक है. कई बार विधायक और एक बार सांसद रहे बुजुर्ग कांग्रेसी रामदेव राय भी नीतीश कुमार की तारीफ करते नहीं थकते. उन्होंने कहा, मैं खांटी कांग्रेसी की हैसियत से नीतीश के कामकाज की तारीफ करता हूं. सच्चा कांग्रेसी कभी झूठ नहीं बोलता. राय के वक्तव्य को कांग्रेस में भूकंप की आशंका के तौर पर देखा जा रहा है.

असर मापने का कोई पैमाना नहीं बन सका

कांग्रेस के किस नेता का राज्य में कितना असर है? इसके मूल्यांकन की अजीबोगरीब प्रणाली अपनाई गई है. आलाकमान ने हमेशा अपने प्रभारी की रिपोर्ट पर भरोसा किया. प्रभारी की रिपोर्ट में जो कुछ कहा गया, आंख मूंदकर उस पर अमल किया गया. लिहाजा कांग्रेसी उतने ही समय तक सक्रिय रहते हैं, जितने समय तक प्रभारी राज्य में मौजूद रहते हैं.

पटना एयरपोर्ट से लेकर प्रदेश मुख्यालय सदाकत आश्रम तक पार्टी की सक्रियता उस दिन देखते ही बनती है, जिस दिन प्रभारी, कांग्रेस के किसी बड़े नेता या आलाकमान की ओर से तैनात किसी प्रतिनिधि का पटना आगमन होता है. नई-पुरानी गाड़ियों का काफिला यह बताते चलता है कि कांग्रेस में बड़ी जान है. प्रभारी के सामने ताकत का प्रदर्शन अक्सर मारपीट के जरिए ही होता रहा है. इससे पहले सदाकत आश्रम में मारपीट की कई घटनाएं हो चुकी हैं. भागलपुर में भी वही हुआ. हां, उस घटना के बाद प्रभारी एहतियात बरत रहे हैं. अब उनकी हिफाजत का खास खयाल रखा जा रहा है.

प्रभारियों के साथ एक और बात होती है. सत्ता में न रहने के बावजूद उनपर रिश्वतखोरी के आरोप लग जाते हैं. पहले वाले प्रभारी महासचिव सीपी जोशी पर ऐसे आरोप इफरात में लगे. राज्य में पार्टी के प्रति आलाकमान की गंभीरता का अंदाजा इस तथ्य से लगाइए कि प्रदेश अध्यक्ष का पद करीब साल भर से प्रभार में चल रहा है. यह अलग बात है कि जिस दिन नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा हुई, गुटबाजी फिर तेज हो जाएगी.

DR Raj Kumar has been appointed new VC of Panjab University, Chandigarh

 

DR Raj Kumar has been appointed new VC of Panjab University, Chandigarh

Dr Kumar is presently working as Dean and Head, Institute of Management Studies, Banaras Hindu University.

Know more about Dr Raj Kumar 

Prof Raj Kumar is D. Litt., Ph.D, MBA and M.com, having 35 years of teaching and research experience in the areas of Insurance, Capital Market and Entrepreneurship. His special interest arena is contemporary issues like Human Values & Ethics and CSR. He has authored four books and completed six research projects besides contributing many research papers to National and International seminars, conferences and workshops. He has also conducted one refresher course, one Entrepreneurial Development program and 4 QIPs (AICTE). He has been organizing Faculty Development Programmes on Entrepreneurship Development under NIMAT Project of the Department of Science & Technology, Government of India since 2008-09 for creating resource persons for entrepreneurship development. Till date, over 200 faculties/ executives / Entrepreneurs were trained as part of the Project. Prof. Raj Kumar has been serving as an expert member in Panels of AICTE, NAAC and other professional bodies and in selection committees for a number of institutions. He has served as Coordinator of the Technical Cell in the Office of the Vice Chancellor, Banaras Hindu University and as Chief Coordinator of Industry Institute Partnership Cell, IM, BHU besides serving as expert member in Academic Council/ Board of Studies of number of Universities/ Institute. He is the Managing Editor of BHU Management Review – A journal of contemporary management research, and serving as expert member in various Editorial / Advisory board of National and International Journals. Prof Raj Kumar has served as Executive Member of LIC Policy Holder Council and All India Commerce Association.

After taking charges of the Director, Dean and Head of the Institute, Prof. Raj Kumar initiated several innovative steps for expansion and outreach of the institute. These include works on consultancy services, collaborative courses and projects, connecting the institute with different ministries of GOI, Central government agencies, banks & financial institutions and reputed private corporate entities for possible tie-ups. Created Start-up Cell in the institute for encouraging new and innovative ideas. Also initiated efforts to finalize Vision Document of the Institute, establishing Management Park at RGSC, construction of new block with additional class rooms and facilities and strengthening the linkages with different stakeholders.

कांग्रेस कब तक ढोएगी अपरिपक्व ओर विक्षिप्त नेतृत्व

दिनेश पाठक , वरिष्ठ अधिवक्ता राजस्थान उच्च न्यायालय,एवं विश्व हिन्दू परिषद के विधि प्रमुख

देश की संसद मे अविश्वास प्रस्ताव पर बहस चल रही थी पूरा देश संसद की तरफ टकटकी लगाये पूरे दिन बैठा रहा कि जिन जनप्रतिनिधियो को हमने चुनकर भेजा है वो देश के लिये क्या सोचते और बोलते है एक बहुत बडा समूह जो राहुल गांधी मे देश के भावी प्रधानमंत्री होने के सपने देख रहा था उनके सपने चूर चूर हो गये जब राहुल गांधी लोकसभा मे बोले।

राहूल गांधी से देश को बहुत आशाएं थीं कि आज तो सरकार के बखिया उधेड देंगे लेकिन उन्होने लोकसभा को नुक्कड सभा समझकर तथ्यो से परे और झूठ पर आधारित रहा। आपके दिये भाषण को सुनकर पूरे देश को शर्मिंदा होना पडा जब आपके राफेल पर दिये वक्तव्य को सुनकर हाथोंहाथ फ्रांस सरकार ने झूठ करार दे दिया। अब तक जो छवि आपकी आपके निकनेम के साथ देश के सामने थी आपने वही छवि अन्तराष्ट्रीय पटल पर भी बना ली ! आपको पता होना चाहिये कि देश की सर्वोच्च संस्था लोकतंत्र के मन्दिर संसद मे बोल रहे थे न किसी चौराहे पर चुनावी सभा कर रहे! या तो आपको संसद के नियमो के जानकारी नही या आप जानबुझकर संसद का अपमान कर रहे थे संसद मे बोलने की एक मर्यादा होती है राहुल गांधी ने अपने भाषण मे कहा कि प्रधानमंत्री मेरी आंख मे आंख नही डाल सकते लेकिन आप देश के एक नागरिक हो बस इससे ज्यादा कुछ नही आप अहंकार मे यह सब देश के प्रधानमंत्री से कह गये लेकिन प्रधानमंत्री ने इस बात का जबाव बडी विनम्रता से दिया।

राहुल गांधी यहीं नही रुके आगे कहा “प्रधानमन्त्री बार मे जाते है” इस पर पूरा सदन ठहाको से गंज उठा गांधी को बार और बाहर मे अन्तर नही मालूम जबकि उनके अनुयायी उन्हे प्रधानमन्त्री बनाने का ख्वाब देख रहे है! राहुल गांधी ने राफेल सौदे मे रक्षामन्त्री सीतारमण पर आरोप लगाये यही नही यूपीए सरकार के समय फ्रांस और भरत सरकार के डील को सार्वजनिक न करने का समझौता हुआ जिसकी धज्जिया राहुल ने स्वयं ही बिना कोई सबूत के कीमते बताकर उडा दी! देश की सबसे पुरानी पार्टी के अध्यक्ष को प्रधानमन्त्री के प्रोटोकाल की भी जानकारी नही जो कह रह थे कि प्रधानमन्त्री सुरक्षा कवच से बाहर नही निकलते जबकि उनको पता है देश के प्रधानमन्त्री आतंकी संगठनों के निशाने पर सबसे ऊपर है आखिर क्यो चाहते है कि वो सुरक्षा कवच तोडकर बाहर आये? यह बात राजनितिक और सामाजिक विश्लेषको की समझ से बाहर है ! राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को कुर्सी से उठने को कहकर अपने अहंकार के साथ यह दिखाने की कोशिश की कि मै और मेरा परिवार ही इस कुर्सी के असली हकदार है शायद उनको संसदीय मर्यादाओ का ज्ञान नही या जानबूझकर देश के प्रधानमंत्री का अपमान करना था । बात यही नही रुकी प्रधानमंत्री के पास से लौटकर बैठे तो सिंधिया की तरफ आंख मारकर अपनी एक और बचकानी हरकत का प्रदर्शन संसद मे किया!

अब विचारणीय विषय यह है कि देश का विपक्ष और उसका नेता ऐसा व्यवहार देश की लोकसभा मे करने वाला होने चाहिये? लोकतंत्र मे विपक्ष की अहम भूमिका होती है और यदि विपक्ष का नेता ही ऐसी हरकतें करे वो संसद मे तो देश का संविधान और लोकतंत्र वाकयी खतरे मे है!

dineshpathak@demokraticfront.com

Opposition running for power ignoring poor, farmers & youth: PM


This is PM’s third visit to the state in a month. Before this, he has reached out to people in Azamgarh, Sant Kabir Nagar, Mirzapur and Varanasi.


A day after winning the no-confidence motion in Lok Sabha on Friday, Prime Minister Narendra Modi on Saturday said the Opposition is running after PM’s chair and ignoring the poor, youth and farmers. While addressing a farmers’ rally in Shahjahanpur district in central Uttar Pradesh, PM Modi criticised the previous UP governments saying they did not have the will to help farmers.

PM’s outreach to the farmers in the state can be viewed as an exercise to appease the huge agrarian voter base in UP. Before starting today’s rally, Modi had tweeted that he always enjoys being with the farmers.

“I always enjoy being with our farmers. It is due to their hardwork that India has achieved so much. Going to Shahjahanpur in Uttar Pradesh to address a Kisan Kalyan Rally this afternoon”.



Narendra Modi

@narendramodi

I always enjoy being with our farmers. It is due to their hardwork that India has achieved so much. Going to Shahjahanpur in Uttar Pradesh to address a Kisan Kalyan Rally this afternoon.



The PM also said that the government has decided to allow mills to produce ethanol from molasses, sugarcane juice from Dec 1. Uttar Pradesh has a huge population sugarcane farmers. The state has a large number of sugar mills. A considerable part of the farming community in the state depends on sugarcane crop for their livelihood.

Apart from this, Modi also criticised some opposition parties in alliance or mulling over getting together to face BJP in the 2019 Lok Sabha polls. Using a Hindi expression, he said more the parties, more the mud in which ‘lotus’ blooms.

This is the PM’s third visit to the state in less than a month. Before this, he has reached out to people in Azamgarh, Sant Kabir Nagar, Mirzapur and Varanasi. Among the necessary arrangements made for smooth conduct of the rally, waterproof tents were also installed, an official was quoted.

Chief Minister Yogi Adityanath had convened a meeting of officials of eight districts while making preparation for the rally. Meanwhile, speaking prior to the PM, Adityanath said that Modi answered each and every question of the opposition during no-confidence motion yesterday and won with an absolute majority.

The NDA government on Saturday won the no-trust vote against the opposition in Lok Sabha. Before that, the no-confidence motion also saw dramatic scenes inside the lower house when Congress president Rahul Gandhi walked up to PM Modi and hugged him.

Mark my words BJP will get maximum 150 in 2019: Mamta Banerjee


Announces mega rally in brigade parade ground on January 19, where she will call opposition political leaders for the initiation of  “The Federal Front”


A day after the Narendra Modi-led NDA government defeated the no-confidence motion in Lok Sabha, Trinamool Congress chief Mamata Banerjee said that the BJP have no numbers outside the House and will be ousted from power in 2019 by a federal front alliance of regional parties.

Mamata Banerjee also announced a mega rally to be held in the iconic Brigade Parade Ground on January 19 where she will invite all opposition political leaders for the initiation of the federal front against BJP.

“On January 19 in brigade parade ground, we will hold a mega rally. The rally will mark the beginning of BJP end. I will call all political leaders (opposition parties). It will mark the beginning of the federal front. Bengal will show the path in the Lok Sabha polls. But we are not hungry for chair,” she said.

Speaking at the 25th anniversary of ‘July 21 TMC Martyr’s Day’ at Esplanade situated in the heart of Kolkata, the TMC supremo said that the no-confidence motion showed how the party is fast losing numbers and allies.

“Yesterday, BJP somehow managed to slip through no-confidence motion by 325:126 votes. They somehow managed to get the numbers inside the House. Those are 2014 numbers. In 2019, they will be ousted. They pulled it off because of AIADMK’s support. Had Jayalalithaa been alive, BJP would have never got their vote. But they lost their oldest ally Shiv Sena. BJP is fast losing numbers and allies. They won the no-confidence motion through ‘acquaintances’,” Mamata Banerjee said.

“M K Stalin (DMK working president) will defeat AIADMK in Tamil Nadu. In UP, if Akhilesh and Mayavati come together, their alliance will win 50 of the 80 seats. In Madhya Pradesh, they had got 28 seats but this time they will not win even 8 seats. In Rajasthan, they won 25 seats but this time they will not even win 5 seats there. In Gujarat, they will get zero. In Bihar, Laluji will grasp all the seats. In West Bengal, people will show them the doors. In Odhisa Navin Patnaik will get the seats. In Punjab, Amarinder Singh will thwart them. Where will they get the seats,” said Mamata Banerjee.

“Now they (BJP) have 325 (Lok Sabh seats). I doubt they can cross 100 in 2019 (Lok Sabha polls). They will get maximum 150. They will not get the majority. Mark my words,” said Mamata Banerjee.

She stated that BJP and NDA had started to disintegrate. “Yesterday, the allies did not vote for them. Shiv Sena, their ally did not vote for them.

Bengal chief minister also targeted BJP on raging issues like lynchings and farmer suicides. “Lynchings have become so common which shows the way they are preaching hatred among the people. They are changing the names of the railway stations. I do not hate the old-timers of the BJP-RSS as they do not play such dirty games. They are not like the Talibanis that rule the country today. Hundreds of people have been killed in Uttar Pradesh in the name of encounters. More than 12,000 farmers are committing suicide every year,” she said.

“It is Bengal where farmers have tripled their income and we also give for a loan waiver. But cant the central government learn from us.

Lakhs of Trinamool Congress workers hit the streets on Saturday and all major thoroughfares were jam-packed. The rally also saw, leaders like Chandan Mitra(former BJP Rajya Sabha member and noted journalist), Ritabrata Bandopadhyay (CPIM Rajya Sabha member) and a number of Congress MLA joining Trinamool Congress.

28 years youth lynched in Alwar


A 28-year-old was allegedly lynched by villagers on suspicion of cow smuggling in Alwar on Friday night, the police said.


A 28-year-old was allegedly lynched by villagers on suspicion of cow smuggling in Alwar on Friday night, the police said. The victim Akbar, along with Aslam, were transporting cows on foot when they were questioned by villagers in Ramgarh police jurisdiction, Ramgarh police station Sub Inspector Subhash Chand said.

“They were taking two cows on foot sometime between 12 -1 am last night when villagers stopped them. However, they tried to run away and the mob chased them and caught them. While Akbar was assaulted, Aslam managed to escape,” Chand said, adding that “Akbar succumbed to his injuries.”

“We retrieved two cows and sent to a nearby gaushala. We have also registered an FIR under IPC Sections 302 (murder), 143 (unlawful assembly), 341 (wrongful restraint), 323 (voluntarily causing hurt), 34 (acts done by several persons in furtherance of common intention),” he said.

Rajasthan Chief Minister Vasundhara Raje condemned the incident and assured strict action against the perpetrators. She tweeted, “The incident of alleged lynching of a person transporting bovines in Alwar district is condemnable. Strictest possible action shall be taken against the perpetrators.”

No arrests have been made in the case.


The incident of alleged lynching of a person transporting bovines in Alwar district is condemnable. Strictest possible action shall be taken against the perpetrators.


India to assist ‘SHAHTOOT’ project despite Taliban threat


Once completed, the dam will hold 146 million cubic meters of potable water for two million people in Kabul and irrigation water for 400,000 acres of land


Despite the growing threat from the Taliban, India has decided to assist Afghanistan in building another key project, the Shahtoot Dam, that will provide drinking and irrigation water to the residents of Kabul.

Informed sources said work on the World Bank-funded project could start as early as next month. Officials from India and Afghanistan recently met in New Delhi and discussed the broad contours of the project. Foreign Secretary Vijay Gokhale, during his visit to Kabul in February, had indicated to the Afghan side India preparedness to build the dam.

A feasibility study of the project was finalised in 2012 and the Afghan authorities were now working on the issue of land acquisition. Once this issue had been sorted out satisfactorily, the construction phase would begin.

India has in the past also built India-Afghanistan Friendship Dam, called the Salma Dam. The estimated cost of the Shahtoot Dam will be about $236 million and the project would be completed in three years.

New Delhi’s decision comes at a time when there are concerns in the Indian establishment over the violence unleashed by the Taliban in the war-ravaged country. Reports received by New Delhi suggest that more than half of area of the Khak-e-Jabbar district, which is just 45 KM from Kabul, is under militants’ control.

The Taliban is believed to have a presence in 40 out of 60 villages of Khak-e-Jabbar district. The militant outfit has also warned residents to compel their family members serving in military or civil organs to quit their jobs.

However, New Delhi is unruffled by the upsurge in violence in Afghanistan. “We are determined to assist Afghanistan in every possible manner to enable it to stand on its feet…we continue vigorously with all our developmental activities in Afghanistan for the benefit of the Afghans,’’ sources said.

Once completed, the dam will hold 146 million cubic meters of potable water for two million people in Kabul and irrigation water for over 400,000 acres of land.

Afghanistan’s National Disaster Management Authority (ANDMA) had recently warned that underground water reserves in Kabul would dry up within the next 10 years amid an increasing demand and the overuse of water in the capital city.

Observers say India’s decision to construct the Shahtoot Dam would greatly annoy Pakistan, which has vehemently opposed any role for New Delhi in the battle-scarred country.

The Pakistan Economy Watch recently said that Islamabad must lessen its dependence on arch-rivals India and Afghanistan for water by constructing dams and water reservoirs. Pakistan apprehends that projects like the Shahtoot Dam will skew the flow of Kabul River into Pakistan, thus triggering a water crisis in the country.