क्यों गाय और मुस्लिम दोनों जीवित नहीं रह सकते?
आज सबसे चर्चित विषय माब लिंचिंग और बलात्कार हैं यहां ध्यान दीजिये कि सभी दल सभी पक्ष मीडिया न्यायालय बुद्धिजीवी एक मत हैं कि ये गंदगी मिटनी चाहिये पर सब एक दूसरे को इनका पोषक बता रहे हैं आरोपित कर रहे हैं।
जब ओवैसी कहते हैं कि गाय को कानूनन जीने का हक है पर मुस्लिम को नहीं तब परोक्ष रूप से यही कह रहे हैं कि मुस्लिम को जीने का हक होना चाहिये गाय को नहीं। सवाल ये है कि गाय और मुस्लिम क्यों दोनों जीवित नहीं रह सकते क्यों मुस्लिम गाय को मारने का प्रयास करें और गौभक्त मुस्लिम को, समस्या का हल तो यही हो सकता है कि हिंदू मुस्लिम ईसाई कोई भी हो बहुसंख्य देशवासियों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए गौ हत्या से दूर रहें इसकी निंदा करें तब न कोई शक होगा न माब लिंचिंग होगी।
निस्संदेह कानून हाथ में लेना गौभक्तों की ज्यादती है जिस पर रोक लगनी चाहिये पर मीडिया अदालत और बुद्धिजीवी सहित राजनेता ये रेखांकित क्यों नहीं करते कि दोनों गलत हैं गौ हत्या भी और माब लिंचिंग भी, एक पक्षीय वकालत तो नकारात्मकता को प्रोत्साहन देने के समान है
जब मोदी जी कथित नकली गौभक्तों की निंदा करते लताड़ते हैं तब साथ में ये क्यों नहीं कहते कि गौवध का कोई भी प्रयास सामाजिक तानेबाने को आहत करता है इसलिये बरदाश्त नहीं किया जायेगा। इसीतरह ओवैसी यदि ये कहते कि गौवध के प्रयास करने वाले को जो सजा मिले कम है और माबलिंचिंग वाले को भी कठोरतम सजा दी जाय तो उनका राष्ट्रीय सरोकार ध्वनित होता, किंतु जो उन्होंने अभी कहा उसमें तो इस्लामिक सरोकार और गौ को मरने देने के भाव की प्रस्तुति हुई ये दोगला सरोकार इन घटनाओं को बढ़ावा देता है। यही हाल मीडिया न्यायालयों और अन्य सेकुलर नेताओं का है।
इसी प्रकार बलात्कार यदि मुस्लिम महिला या लड़की से हुआ और आरोपी हिंदू हैं तो कांग्रेस इंडियागेट पर मोमबत्ती जलाकर प्रदर्शन करती है किंतु यदि बलात्कार हिंदू लड़की पर मुस्लिम युवक करता है रंगे हाथ पकड़ा जाता है स्वयं कबूल करता है तो कांग्रेस सीबीआई जांच की मांग कर सजा टालने या आरोपी के बचाने का घृणित प्रयास करती है बलात्कार घृणित है निंदनीय दंडनीय है इसमें हिमदू मुस्लिम पक्ष का विचारण क्यों होना चाहिये कोई कथित हिंदू साधु बाबा या नक्काल बलात्कार का दोषी है तो हंगामा बरपा जाये पर यदि बलात्कारी मौलवी या पादरी हो तो चुप्पी साध ली जाय ये चारित्रिक बेईमानी और पाखंड ही नहीं है बल्कि यही आचरण बलात्कार व माब लिंचिंग का पोषक है सिख नरसंहार से बड़ा माब लिंचिंग तो होना संभव ही नहीं है पर मीडिया सेकुलर कांग्रेस उसकी निंदा करने में हिचकते ही नहीं बचाव करते झूठ बोलते और बगलें झांकते हैं ये बेईमानियां तब भी दिखती है जब ओवैसी या कांग्रेस को केवल बंगाल में हिंदुओं की भीड़ द्वारा हत्याओं कोई अपराध नहीं दिखता ये दोगलापन जब तक है अपराध रोकने की कोई मुहिम सफल नहीं हो सकती क्योंकि अपराधों के पोषक वही हैं जो होहल्ला मचाते हैं….#