- प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु सकलअमा द्वारा लिखित पुस्तक ‘मैसेजस फ्रॉम हिमालयन सेजेसः टाइमली एंड टाइमलेस’ पर हुई चर्चा
- पुस्तक का औपचारिक विमोचन समारोह 21 जुलाई को पंजाब कला भवन में होगा
कोरल ‘पुरनूर’, डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकुला – 20 जुलाई :
प्रसिद्ध आध्यात्मिक और लाइफ गुरु, गुरु सकलअमा ने अपनी नवीनतम पुस्तक ‘मैसेजस फ्रॉम हिमालयन सेजेसः टाइमली एंड टाइमलेस’ से जुड़ी जानकारी पत्रकारों से साझा की और अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर चर्चा चंडीगढ़ प्रेस क्ल्ब में की। पुस्तक का औपचारिक विमोचन समारोह 21 जुलाई को पंजाब कला भवन में होगा।
गुरु सकलअमा हिमालय के स्वामी रामा की शिष्या हैं, जिन्होंने 30 वर्ष पूर्व उन्हें श्री विद्या परंपराओं में दीक्षित किया था। श्री विद्या परंपरा श्रद्धालुओं की आध्यात्मिक चेतना को पार करके उन्हें परम वास्तविकता से जोड़ने का प्रयास करती है।
’मैसेजस फ्रॉम हिमालयन सेजसः टाइमली एंड टाइमलेस’ उनके अनुभवों का एक दस्तावेज है जो सरल शब्दों में समझाता है कि आध्यात्मिक विकास कोई रॉकेट साइंस नहीं है और एक सरल प्रणाली – श्री विद्या का पालन करके प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए किसी को अपने सांसारिक कर्तव्यों का त्याग करके दूर जाके तपस्या करने की आवश्यकता नहीं है। गुरु सकलअमा ने बताया कि पुस्तक के पीछे का विचार आध्यात्मिकता को रहस्य से मुक्त करना और इसे न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में हर घर तक पहुंचाना है। यह पुस्तक धर्म, जाति, नस्ल, रंग और भौगोलिक सीमाओं से परे सभी के लिए अध्यात्म के मार्ग को आसान बनाती है।
गुरु सकलअमा ने बताया कि यह पुस्तक हिमालय के ऋषियों के ज्ञान और शिक्षाओं पर प्रकाश डालती है, तथा प्राचीन प्रथाओं और समकालीन समय में उनकी प्रासंगिकता के बीच संबंध स्थापित करती है। “हमें लोगों को आध्यात्मिक रूप से प्रगति करने, मन और शरीर दोनों को स्वस्थ बनाकर जीवन में संतुलन बनाने की आवश्यकता के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है,” उन्होंने कहा ।
उन्होंने आगे कहा कि इस पुस्तक में हिमालय के ऋषि वंश की पवित्र शिक्षाओं और दक्षिण भारत की श्री विद्यारण्य भारती परंपरा को स्पष्ट रूप से एक साथ पिरोने की कोशिश की गई है। यह ध्यान देने वाली बात है कि श्री विद्यारण्य भारती परंपरा आध्यात्मिक और वेदान्तिक विचारों में अपने योगदान के लिए जानी जाती है।
गुरु सकलअमा ने इस पुस्तक में अपने निजी अनुभवों का खजाना साझा किया है। यह अनुभव उन्होंने तीन दशकों के समर्पित अभ्यास के दौरान अर्जित किया , और यह उनके हिमालय के आध्यात्मिक दिग्गजों के साथ अंतरंग मुलाकातों पर आधारित है।
गुरु सकलअमा ने कहा, यह पुस्तक पाठकों को हमारे ऋषियों की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत के बारे में जानकारी देती है । इस किताब के मूल में व्यापक ‘ऋषि वंश’ की स्थायी शक्ति का प्रमाण है जो मानवता का मार्गदर्शन करने में अहम भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने कहा कि पुस्तक पाठकों को आत्म-खोज और आध्यात्मिक जागृति के मार्ग पर ले जाती है, तथा उन्हें अपने भीतर ऋषियों की शाश्वत प्रतिध्वनियों की खोज करने का अवसर देती है।
उल्लेखनीय है कि गुरु सकलअमा , साधना संगम ट्रस्ट कीे संस्थापक निदेशक और पूर्व अध्यक्ष हैं।
गुरु सकलअमा ने आगे बताया कि पुस्तक यह संदेश देती है कि अपनी वर्तमान जीवनशैली को बिगाड़े बिना कोई भी व्यक्ति साधना का मार्ग अपना सकता है और उन मानसिक सीमाओं से ऊपर उठ सकता है जो वर्तमान अस्वस्थ जीवनशैली के लिए जिम्मेदार हैं।
उन्होंने बताया कि पुस्तक का औपचारिक विमोचन समारोह 21 जुलाई को पंजाब कला भवन में किया जाएगा, इसमें एक सहज कला प्रदर्शन होगा, जिसमें वह अपने जीवन के एक मार्मिक क्षण का वर्णन करेंगी, जिसे प्रसिद्ध कलाकार और वास्तुकार करणदीप सिंह बाजवा एक मिनट के स्केच में कुशलता से कैद करेंगे। इसके अलावा, एक प्रोडक्शन, ’द गाइडिंग ड्रीमः ए जर्नी विद सेज दुर्वासा’ गौरवप्रीत सिंह बाजवा के असाधारण अनुभव को दर्शाएगा, जिन्होने एक ज्वलंत और परिवर्तनकारी सपने में महान ऋषि दुर्वासा का सामना किया। उन्होंने बताया कि गौरवप्रीत उनके शिष्य हैं। उन्होंने बताया कि उनके स्वयं द्वारा परिकल्पित और डिजाइन किए गए अलौकिक ’मिस्टिक मून सैल्यूटेशन’ (चंद्रकला नमस्कार) को भी गौरवप्रीत द्वारा प्रदर्शित किया जाएगा ।गौरवप्रीत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित योग प्रतिपादक भी हैं। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर राज्य सभा सदस्य पद्मश्री संत बलवीर सिंह सीचेवाल तथा हास्य कलाकार व राजनेता गुरप्रीत सिंह घुग्गी मौजूद रहेंगे।