पिछले 6 साल से अपनी अपनी नियुक्ति की बाट जोह रहे पीजीटी संस्कृत शिक्षक अपनी मांग को लेकर पिछले 5 दिन से आमरण अनशन पर बैठे हैं लेकिन प्रदेश सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। एक और कोरोना वायरस की दहशत की वजह से सभी शिक्षण संस्थान ,मॉल ,रेस्टोरेंट बंद कर दिए गए हैं दूसरी ओर अपनी मांगों को लेकर अपने घर से दूर अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ आमरण अनशन पर बैठे शिक्षकों में महिलाएं भी हैं जिनकी स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ती जा रही हैं। अगर सरकार ने समय रहते इस पर ध्यान ना दिया तो परिस्थिति बद से बदतर हो सकती है। मौजूदा हालात में सरकार एक ऒर एक जगह पर लोगों के इकट्ठा होने पर सरकार पाबंदी लगा रही है तो दूसरी और इन हड़ताली अभ्यार्थियों के प्रति संवेदनहीनता सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन कर खड़ी हो सकती है।
रोहतक से आए अभ्यार्थी विनोद कुमार ने सरकार की कड़ी भर्त्सना करते हुए कहा एक तरफ संसद में 3 केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने के लिए विधेयक लाया गया है दूसरी ओर राज्य सरकार का संस्कृत के प्रति रवैया इस सरकार का दोगलापन दर्शाता है। वर्ष 2015 से शुरू हुई नियुक्ति प्रक्रिया का परीक्षा परिणाम1 जनवरी 2019 को घोषित किया गया जिसमें 523 विद्या अभ्यार्थी चयनित किए गए लेकिन अभी तक उन्हें ज्वाइन नहीं करवाया गया। आपको बता दें इन 523 चयनित अभ्यर्थियों में 400 महिला पीजीटी है जिन्हें अपने अधिकार के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है जोकि सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को मुंह चढ़ा रहा है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/03/8ca98b29-3c99-4a8e-860c-331103803899.jpg318659Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-03-19 17:08:182020-03-19 17:08:45शिक्षकों के प्रति असंवेदनशील है खट्टर सरकार
गुजरात यूनिवर्सिटी सीनेट चुनाव जितने के बाद यूँ लग रहा है मानो NSUI (कॉन्ग्रेस का छात्र संगठन) के लोग इस जीत को हज़म नहीं कर पा रहे हैं। बता दें कि हाल ही में गुजरात यूनिवर्सिटी सीनेट में एनएसयूआई की बड़ी जीत हुई थी और मीडिया ने भी इसे बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया था। ये एक ऐसी ख़बर है जिसे स्थानीय मीडिया से लेकर राष्ट्रीय मीडिया में खूब तवज्जो मिली। चुनाव जीतने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कॉन्ग्रेस की वाहवाही भी हुई लेकिन इस खबर का दूसरा हिस्सा हम तक नहीं पहुँचा या पहुँचाया नहीं गया। इसे जानने के बाद आपको इस बात का अंदाज़ा हो जाएगा कि आने वाला समय गुजरात यूनिवर्सिटी के छात्रों, प्रोफ़ेसरों के लिए कितना भयानक है!
कॉल के दौरान NSUI के गुंडे लगातार कह रहे थे कि “रिकॉर्ड कर और जिसको बताना है, बता देना।” उनके ऐसा कहने से समझा जा सकता है कि इन गुंडों की हौसलाबजाई के पीछे एक पूरा सिस्टम काम कर रहा है। और इसी सिस्टम के बूते ये लोग यूनिवर्सिटी कैंपस में वीभत्स भाषा, गाली-गलौच एवं जान से मारने की धमकियाँ दे रहे हैं, खुल्लम-खुल्ला बगैर किसी डर के!
जीत के नशे में मदहोश NSUI के नेता डॉ. इन्द्रविजय सिंह गोहिल, अहर्निश मिश्रा, सिद्धराज सिंह चौहान ने यूनिवर्सिटी के दो प्रोफ़ेसरों डॉ. अतुल ऊनागर एवं डॉ. मुकेश खटीक को कॉल-मेसेज कर करियर ख़त्म करने, चाकू गोदने, हाथ-पैर-जबड़ा तोड़ देने की धमकियों के साथ असंख्य बार माँ-बहन की गालियाँ सुनाई। साथ ही पी.एच.डी की छात्रा के लिए बारंबार र$# जैसे आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करने से भी गुरेज़ नहीं किया। डॉ. अतुल ने अपनी समझ से अहर्निश मिश्रा एवं सिद्धराज सिंह चौहान के कॉल को रिकॉर्ड कर लिया जिसके बाद यह मसला सबके सामने आया है। पूरी रिकॉर्डिंग के दौरान बारंबार ये गुंडे प्रोफ़ेसर लगातार माँ-बहन की गालियाँ देते हुए सुनाई देते हैं।
कॉल के दौरान NSUI के दोनों नेता जब लगातार माँ-बहन की गालियाँ बरसा रहे थे तब डॉ.अतुल कह रहे थे कि “आपको शुभकामनाएँ, खूब काम करो, खूब विकास करो, माँ-सरस्वती आपके मुख पे बिराजमान हो, माँ-सरस्वती आपको खूब-खूब ज्ञान दें!” इस दौरान NSUI नेता अहर्निश मिश्रा बार-बार प्रोफ़ेसर पर यह बोलने का भी दबाव बना रहा था कि “बोल, मैं अतुल, मेरी माँ का भो#$@।” चूँकि डॉ. अतुल गुजरात यूनिवर्सिटी में संस्कृत के प्रोफेसर हैं, इसलिए कॉल के दौरान संस्कृत भाषा का मज़ाक उड़ाते हुए बैकग्राउंड में एक पूरा समूह चटख़ारे ले रहा था- ये साफ़ सुना जा सकता है।
पोलिटिकल साइंस के प्रोफेसर डॉ. मुकेश खटीक को भी NSUI नेता डॉ. इन्द्रविजय सिंह गोहिल ने व्हाट्सप्प पर माँ-बहन की गालियाँ देकर चाकू गोदकर मारने की धमकियाँ दी। इस वाकये के बाद दोनों प्रोफेसरों ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। NSUI की गुंडागर्दी के इस पूरे वाकये के बाद डॉ. अतुल ने कहा:
“अत्यधिक भय का माहौल है। उनके द्वारा मुझे कई तरीकों से शारीरिक एवं मानसिक नुकसान पहुँचाए जाने की आशंका है। मैं बहुतों की आवाज़ हूँ। ईश्वर से मुझे सत्य के मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली है लेकिन यदि इस प्रेरणा का परिणाम नहीं मिलता है तो गुंडे-माफ़ियाओं को और ताक़त मिलेगी। मुझे व्यक्तिगत नुकसान होगा तो आगे असत्य के विरोध में आवाज़ उठाने की हिम्मत करने से लोग डरेंगे।”
गुजरात यूनिवर्सिटी सीनेट चुनाव में NSUI की जीत के तुरंत बाद जिस प्रकार से ‘डर का माहौल’ बनाया गया है, इस पर ‘गुजरात यूनिवर्सिटी शैक्षिक संघ’ ने कुलपति को आवेदन देकर कैंपस को भयमुक्त करने की बात कही है। अब देखना ये है कि इस मामले में यूनिवर्सिटी और पुलिस-प्रशासन क्या कार्रवाई करता है क्योंकि यहाँ प्रोफेसरों की जान का सवाल है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/03/000-7.jpg350700Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-03-18 16:50:382020-03-18 16:54:41गुजरात विष्वविद्यालय में NSUI की रेकॉर्ड तोड़ जीत और प्रोफेसरों को जान से मारने की धमकी और रिकार्ड तोड़ गालियां
Four
innovators, all faculty members from the Panjab University Campus have received
the Pfizer- IIT Delhi Innovation and IP Program (PIIP) Awards which includes sum
of rupees three lakhs each, for successful IP generation.
The faculty includes Dr. Monika Sharma, Assistant Professor, Department of Biotechnology and Dr. Rohit Sharma, Head, Department of Microbial Biotechnology, PU and BioNEST-PU for their innovation entitled, “Anti-carcinogenic extract from Pithecellobium dulce”., Dr. Ajay Mittal, Associate Professor, University Institute of Engineering and Technology, PU for his innovation, “AI-based dermoscope for skin disease classification.”, and Dr. Ranjana Bhandari, (Assistant Professor, University Institute of Pharmaceutical Sciences, PU for her innovation entitled “Novel dual-action targeted GC-Nanogel for Neuropathic pain.”
Till
date, 14 of India’s brightest healthcare ideas have been recognized with this
award and the list includes another technology backed by BioNEST- Panjab
University entitled, “Novice Zyme 001: Study of enzymatic biotransformations.”
With the increasing awareness of advantages of sound intellectual property
creation, unique awards like this are providing innovators a great help.
PIIP
is a special type of recognition, an incubator accelerator award launched in
collaboration with IIT-Delhi by the drug manufacturing giant, Pfizer. The
program is operated by Foundation for Innovation and Technology Transfer
(FITT), IIT Delhi to encourage startups and innovations in the healthcare
sector. PIIP was launched in the year 2015-16 to help improve the IP-scenario in
this sector and to promote incubation of innovations and creation of sound IP
through them. The calls for application are open every year and innovators with
registered IP, can apply with the help of an active incubator like the BioNEST-
Panjab University. The award supports innovators to take their ideas to an IP
stage with the help of a special funding support.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/03/Press-note-2-photo-scaled.jpg17072560Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-03-17 14:35:262020-03-17 14:35:29PU Faculty wins Pfizer-IIT IP Award
It is for the information of the general public and students of Panjab University Teaching Departments/Colleges in particular that result of the following examinations have been declared:- 1. BALLB (Hons.)-10th Semester, Jan.2020 2. B.Com LLB (Hons.)-10th Semester, Jan.2020 3. Master of Journalism & Mass Communication-3rd Semester, Dec-19 4. MA-Economics-Ist Semester, Dec-19 5. Bachelor of Fine Arts-7th Semester, Dec-19 The students are advised to see their result in their respective Departments/Colleges/University website.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/07/Panjab_university_admission.jpg350700Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-03-16 15:04:322020-03-16 15:04:35PU Results
If everything is to go as per the schedule then why is this mockery annonced by the administraton. As we all know that schools are conducting annual exams, and next session is to be started by 1st April 2020. then what is new in the order. Shall we take it for gauranteed that student’s immune system was boosted with providing of date sheet. If school children are suppose to write their exam as per schedule then why is the announcement of school clousre.
The Chandigarh Administration has suspended classes in schools till March 31 amid rising coronavirus cases in the country.
A circular by Chandigarh’s Education Department said that all government and private schools—both aided and unaided—will remain closed until March 31, but examinations will go on according to schedule.
“Students will attend the school only to take/appear in the Board Examination, Annual Examination and Assessment Examination etc. during March 2020 as per the previous schedule,” the circular said. However, all teaching and non-teaching staff members will attend the school as usual until further orders.
It also said parents should instruct their children to avoid crowds or large gatherings during this period.
“Students may also be advised to follow the School Advisory/ Instructions/ Guidelines issued from time to time by the Ministry of Health, Govt. of India / local health department, the circular said.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/09/header-img-chandigarh-administration-guide1.jpg350750Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-03-13 17:27:302020-03-14 03:20:44Adminis’Traitor’ of Juvinile Health
It is for the information of the general public and students of Panjab
University Teaching Departments/Colleges in particular that result of the
following examinations have been declared:-
1. P.G.Diploma in chemical Analysis of Food-Ist
Semester, Dec-19
2.
Master of Hotel Management & Catering Technology-Ist Semester, Dec-19
7.
P.G.Dip. in Health Family Welfare & Population Education-Ist Semester,Dec- 19
8.
Master in Business Administration (CIT)-Ist Semester, Dec-19
9.
Master in Business Administration-3rd Semester, Dec-19
10.
M.Com –Ist Semester, Dec-19
11.MA-Public
Administration-Ist Semester,Dec-19
The students are advised to see
their result in their respective Departments/Colleges/University website.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/07/Panjab_university_admission.jpg350700Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-03-09 15:14:362020-03-09 15:14:39PU Result
Professor Ashok Modak, National
Research Professor and Chancellor, GGD Central University Bilaspur,
Chhattisgarh, delivered the PU Bharat- Bharat Bodh Vyakhyan on “ Remembering
Lokamanya Tilak Today: Some Reflections”, here today.
Prof Raj Kumar, the Vice Chancellor, PU Chandigarh presided over the Bharat Bodh Vyakhyan.
Prof Raj Kumar, in his Presidential
Address, underlined the perennial significance of the vision of Lokamanya Tilak
for the youth of today in the frightening contexts of loss of moral values,
corruption, anti- India discourses, communalism, consumerism and terrorism.
A monograph, written by Prof Ashok Modak, – “ The Satalinist Phenomenon: A Critical Study” ( published by the Publication Bureau, P U Chandigarh) was also released by PU VC.
While welcoming the guests, Prof Sudhir Kumar, Coord of PU Colloquium Committee, emphaised the need not to uncritically accept the such imported concepts as “ nation/ nationalism, modernity “ as India does not offers not translated or morphed versions of western concepts, it offers alternatives and its own concepts rooted in Indic wisdom traditions. Prof Ashok Modak in his seminal speech highlighted different hitherto ignored but interconnected aspects of Lokamanya Tilak’s life and work- a great patriot, a great nationalist, a great thinker, a great karmayogi and a great social reformer, an exemplar of selfless service and sacrifice. Prof Modak , in his lecture, underscored how Tilak ji invested the cultural vocabulary ( particularly such loaded words as “ Swaraj” and “ Swadeshi “) with new meanings and used them for unifying the prople of India against their collective struggle for freedom from the British colonial rule as well as all other forms or injustice. To Tilak ji, “ swaraj” and “ swadeshi” were not mere slogans to arouse the masses. He was the first to realise that these concepts were well- entrenched in the collective consciousness but remained in the dormant form. Lokamanya Tilak ji awakened the masses of India , about the dangers of uncritically accepting “ western modernity” as “Indian modernity” and gave a clarion call to be “ Karmayogis” – full of selfless service and sacrifice.
Prof Modak said , quoting extensively
from Lokamanya Tolak’s writings, that “ it is only from India’s sanatan –
dharma ( eternally relevant morality or ethical duty )that a space and time –
specific “ newness or modernity “ can manifest itself , else the imposed
western modernity would make the Indians mimics and imposters ! He said that it
was Lokamanya Tilak who made the people of India realise the holistic meanings
of “Swaraj” and “ Swadeshi “ that implied the attainment of true freedom from
all kinds of bondage- political, social, economic and cultural. As a social-
cultural activist, his nationalistic writings published in the two papers
founded by him- “ Kesari” and “ Maharatta” , his speeches delivered during
1906-1919 on different occasions on such topics as education, local
self-administration, promotion of all Indian languages, national integration,
anti- colonialism, the meanings of the Gita , his role in starting the mass-
celebrations of “ Ganesh Utsav “ and “ Shivaji Jayanti”, his founding of “
Deccan Educational Society,” etc bear ample proof of his greatness as a
thinker, institution- builder and freedom fighter.
Prof
Ashok Modak also pointed out the fact that Lokamanya Tilak ( as also Lala
Lajpat Rai and Bipin Chandra Pal) was dubbed and presented as a “ communal
nationalist” in the ideologically- driven historiography of modern India. Prof
Modak asked the teachers as well as researchers in social sciences and cultural
studies to conduct further studies on the hitherto unexplored and ignored
aspects of Lokamanya Tilakji’s vision, life and work.
Those
present on the occasion included Prof Shankar ji Jha, Dean University
Instruction, Prof Karamjeet Singh, Registrar, Prof Nandita Singh, Dean
International Students, Prof. (Retd) Romesh Pandey and Prof Chaman Lal Gupta,
the Vice Chairman, Indian Institute of Advanced Study , Shimla, Prof Gurpal
Singh, Prof Harsukhjit Kaur, Prof Keshav Malhotra, faculty and students of the
University.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/03/Press-note-5-photos-2.jpg12161824Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-03-05 13:39:352020-03-05 13:39:37Bharat Bodh Vyakhyan on “ Remembering Lokamanya Tilak Today: Some Reflections”, by Prof. Ashok Modak
संस्कृत विभाग में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो. गिरीश चंद्र पंत का कालिदास के मेघदूत पर विशेष व्याख्यान हुआ। विभाग के अध्यक्ष प्रो. वी.के. अलंकार ने मेघदूत तथा कालिदास के सौंदर्य बोध की भूमिका प्रस्तुत करते हुए विश्व साहित्य में कालिदास और अन्य कवियों के महत्वपूर्ण योगदान की पृष्ठभूमि प्रस्तुत की। इस पृष्ठभूमि को आधार बनाकर प्रोफेसर पंत ने “कालिदास की भौगोलिक यात्रा” विषय पर अपना व्याख्यान दिया। पीपीटी के जरिए कालिदास के मेघदूत की रामगिरि (नागपुर, रामटेक) से लेकर कैलाश पर्वत पर्यंत यात्रा में भौगोलिक प्रदेशों का आधुनिक दृष्टि से विवरण प्रस्तुत किया।
विदित हो कि संस्कृत विभाग ने इस वर्ष ‘भाषा संवाद’ के अंतर्गत अनेक व्याख्यान आयोजित किए हैं। प्रो. अलंकार ने जानकारी दी कि संस्कृत के अनेक पक्षों को लेकर इस सत्र में अनेक व्याख्यान किए गए हैं।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/panjab_university.jpg246500Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-03-05 13:34:202020-03-05 13:34:22मेघदूत पर प्रो. गिरीश चंद्र पंत का विशेष व्याख्यान
Weekly seminar on ‘Women
Empowerment Policies’ was organised by the Department of Education, Panjab
University, Chandigarh by Prof Pam Rajput, PU Fellow. was invited to give a talk and have an
interactive session with the students of the department (Research Scholars,
M.Ed. (General) and M.A.).
Prof Pam Rajput introduced the
topic by initially discussing gender related terms such as difference between
sex and gender, gender roles, gender equality, gender stereotypes etc. She
urged the students to break various stereotypes such as last rites ceremonies
being performed by both women and men.
She explained to the students that
the term ‘Empowerment’ meant being able to make critical choices for one-self.
Steps had been taken to empower women in rural India by electing them to local
bodies. But the political exercise turned out to be futile in most cases as,
husbands of the women elected to local bodies were making all the important
decisions relating to the local area.
The students were familiarised with
the 17 Sustainable Development Goals, out of which ‘Gender Equality’ is the
fifth developmental goal. Prof. Pam Rajput also spoke to the students about
Global Gender Gap Index which is annually released by The World Economic Forum.
According to the Global Gender Gap Index (2020) India’s position is as follows-
In the year 2020, Global Gender Gap
Index ranked India 112th among 153 nations. On a scale of 0
(inequality) to 1(equality) it scored .668. The country score card on four
sub-indexes was as follows:
Global Gender Gap Index
Score Card – India, 2020
Sub-Index
Rank
Economic
Participation and Opportunity
149
Educational
Attainment
112
Health
and Survival
150
Political
Empowerment
18
(Source: World Economic
Forum, 2019)
Even though India is one of the
largest economies in the world, in the view of Prof. Pam Rajput, it still has a
long way to go when it comes to women’s empowerment.
Some of the important Articles, of
the Constitution of India related to Women’s Empowerment, which were discussed
in the seminar included –
Article 14 of the Constitution of India
provides for equality before the law or equal protection of the laws within the
territory of India. It states:
“The
State shall not deny to any person equality before the law or the equal
protection of the laws within the territory of India.”
In the eyes of the Constitution of
India all individuals are equal irrespective of gender.
Article 15 of the Constitution of India
states that no citizen of India shall be discriminated on the basis of
religion, race, caste, sex or place of birth. Every person shall have equal
access to public places like public parks, museums, wells, bathing ghats, etc.
However, the State may make any special provision for women and children.
Article 21 declares that no
citizen can be denied his life and liberty except by law. Protection of life and
personal liberty is also stated under the right to life and personal liberty.
Prof.Pam Rajput discussed various
policies relating to ‘Women’s Empowerment in India’ including – National Policy
for the Empowerment of Women was adopted in the year 2001 and its various
committees (2013 & 2015).
Students were familiarised with six
ways the government is pushing for women’s empowerment in India:
Beti Bachao Beti Padhao Yojana. …
Mahila-E-Haat. …
Mahila Shakti Kendra. …
Working Women Hostel.
…
Support to Training and
Employment Programme for Women (STEP)
…
Sukanya Samriddhi Yojana.
A number of
women’s related issues including malpractices in the area of women being
elected to local bodies; the need for gender budgeting; and laws relating to
gender based violence, including crimes committed by juveniles were discussed
in the seminar. Students also discussed with the speaker , various issues
relating to the Panjab University Campus such as eve teasing; safety of women
on the campus; providing security within the campus; creation of safe spaces
for women on campus; and A.C.Joshi Library being made easily accessible and
safe for women and girls at night. The
vote of thanks was proposed by the seminar coordinator Prof. Latika Sharma.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/03/Press-note-1-photo.jpg5481126Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-03-05 13:31:262020-03-05 13:31:28‘Women Empowerment Policies’ by the Dept. of Education
इससे पहले अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने विधान परिषद में घोषणा की थी कि सरकार ने शैक्षिक संस्थानों में मुस्लिमों को पांच प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने का प्रस्ताव किया है. वाहन फाड़नवीस ने शिव सेना से कुछ तीखे सवाल पूछे।
मुंबई.
महाराष्ट्र सरकार की तरफ से मुस्लिमों को पांच प्रतिशत कोटा प्रदान करने के राकांपा नेता एवं मंत्री नवाब मलिक के बयान के कुछ ही देर बाद वरिष्ठ मंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि अभी तक ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है. शहरी विकास मंत्री और वरिष्ठ शिवसेना नेता शिंदे ने कहा कि सत्तारूढ़ महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के नेता चर्चा करने के बाद इस मुद्दे पर कोई फैसला लेंगे.
इससे पहले अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मलिक ने विधान परिषद में घोषणा की थी कि सरकार ने शैक्षिक संस्थानों में मुसलमानों को पांच प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने का प्रस्ताव किया है. शिंदे ने विधानसभा परिसर के बाहर संवाददाताओं से कहा कि उन्हें घोषणा की जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा, ‘एमवीए के नेता एक साथ किसी भी समुदाय को आरक्षण देने वाले नीतिगत फैसलों पर विचार करेंगे. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे उचित समय पर उचित निर्णय लेंगे. अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है.’
मिली जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र में विधानसभा का बजट सत्र खत्म होने से पहले मुस्लिमों को शिक्षा में पांच फीसदी आरक्षण देने की बात कही जा रही है. बताया जा रहा है कि पिछली सरकार में अदालत का फैसला होने के बाद भी बीजेपी अध्यादेश नहीं लाई थी.
इसी बीच देवेंद्र फाड़नवीस पूर्व मुख्यमंत्री महाराष्ट्र ने अपने एक बयान में इसे संविधान के साथ साथ तोड़ने वाला निर्णय कहा।
बता दें महाराष्ट्र में 2014 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले जून महीने में प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सरकार ने मुस्लिमों के लिए पांच फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की थी और इस संबंध में अध्यादेश भी जारी किया था.इससे पहले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी एक कार्यक्रम के दौरान अल्पसंख्यकों की प्रशंसा की थी. उन्होंने कहा था कि अल्पसंख्यकों, विशेष तौर पर मुस्लिमों ने राज्य चुनाव में भाजपा के लिए वोट नहीं किया. उन्होंने कहा कि समुदाय के सदस्य जब कोई निर्णय करते हैं तो यह किसी पार्टी की हार सुनिश्चित करने के लिए होता है. लेकिन अब कुछ करने की हमारी बारी है. उन्होंने कहा कि राकांपा ने इस पर जोर दिया था कि राज्य सरकार में अल्पसंख्यक मामलों का विभाग कल्याणकारी कार्य करने के लिए उनकी पार्टी को दिया जाना चाहिए.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/74391918.jpg9001200Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-28 17:38:072020-02-28 17:38:29महाराष्ट्र में मुसलमानों को 5% आरक्षण पर भाजपा गरम तो उद्धव नर्म
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